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सोमवार, 17 जनवरी 2022

माँ शाकम्बरी पूर्णिमा विशेष शाकम्बरी देवी की पौराणिक कथा

माँ शाकम्बरी पूर्णिमा विशेष
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शाकम्बरी देवी की पौराणिक कथा
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दुर्गम नाम का एक महान्‌ दैत्य था। उस दुष्टात्मा दानव के पिता राजा रूरू थे। 'देवताओं का बल “वेद” है। वेदों के लुप्त हो जाने पर देवता भी नहीं रहेंगे, इसमें कोई संशय नहीं है। अतः पहले वेदों को ही नष्ट कर देना चाहिये'। यह सोचकर वह दैत्य तपस्या करने के विचार से हिमालय पर्वत पर गया। मन में ब्रह्मा जी का ध्यान करके उसने  आसन जमा लिया। वह केवल वायु पीकर रहता था। उसने एक हजार वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की।

उसके तेज से देवताओं और दानवों सहित सम्पूर्ण प्राणी सन्तप्त हो उठे। तब विकसित कमल के सामन सुन्दर मुख की शोभा वाले चतुर्मुख भगवान ब्रह्मा प्रसन्नतापूर्वक हंस पर सवार हो वर देने के लिये दुर्गम के सम्मुख प्रकट हो गये और बोले - 'तुम्हारा कल्याण हो ! तुम्हारे मन में जो वर पाने की इच्छा हो, मांग लो। आज तुम्हारी तपस्या से सन्तुष्ट होकर मैं यहाँ आया हूँ।' ब्रह्माजी के मुख से यह वाणी सुनकर दुर्गम ने कहा - सुरे,र ! मुझे सम्पूर्ण वेद प्रदान करने की कृपा कीजिये। साथ ही मुझे वह बल दीजिये, जिससे मैं देवताओं को परास्त कर सकूँ।

दुर्गम की यह बात सुनकर चारों वेदों के परम अधिष्ठाता ब्रह्माजी 'ऐसा ही हो' कहते हुए सत्यलोक की ओर चले गये। ब्रह्माजी को समस्त वेद विस्मृत हो गये।

इस प्रकार दुर्गम दानव ने प्रचण्ड तपस्या से चारों वेदों को प्राप्त कर लिया, ऋषियों की सभी शक्तियां दुर्गम द्वारा शोषित कर ली गई तथा यह आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया कि देवताओं को समर्पित समस्त पूजा उसे प्राप्त होनी चाहिये । जिससे कि वह अविनाशी हो जाये । शक्तिशाली दुर्गम ने लोगों पर अत्याचार करना आरम्भ कर दिया और धर्म के क्षय ने गंभीर सूखे को जन्म दिया और सौ वर्षों तक कोई वर्षा नहीं हुई । 

इस प्रकार सारे संसार में घोर अनर्थ उत्पन्न करने वाली अत्यन्त भयंकर स्थिति हो गयी। ऋषि, मुनि और ब्राह्मण लोग भीषण अनिष्टप्रद समय उपस्थित होने पर जगदम्बा की उपासना करने के हिमालय पर्वत पर गये, और अपने को सुरक्षित एवं बचाने के लिए हिमालय की कन्दराओं में छिप गए तथा माता देवी को प्रकट करने के लिए कठोर तपस्या की । समाधि, ध्यान और पूजा के द्वारा उन्होंने देवी की स्तुति की। वे निराहार रहते थे। उनका मन एकमात्र भगवती में लगा था। वे बोले - 'सबके भीतर निवास करने वाली देवेश्वरी ! तुम्हारी प्रेरणा के अनुसार ही यह दुष्ट दैत्यसब कुछ करता है। तुम बारम्बार क्या देख रही हो ? तुम जैसा चाहो वैसा ही करने में पूर्ण समर्थ हो। कल्याणी! जगदम्बिके  प्रसन्न हो हम तुम्हें प्रणाम करते हैं।''इस प्रकार ब्राह्मणों के प्रार्थना करने पर भगवती पार्वती, जो 'भुवनेश्वरी' एवं महेश्वरी' के नाम से विखयात हैं।,

ब्रह्मा, विष्णु आदि आदरणीय देवताओं के इस प्रकार स्तवन एवं विविध द्रव्यों के पूजन करने पर भगवती जगदम्बा तुरन्त संतुष्ट हो गयीं। ऋषि, मुनि और ब्राह्मण लोग की समाधि, ध्यान और पूजा के द्वारा उनके संताप के करुण क्रन्दन से विचलित होकर, ईश्वरी- माता देवी-फल, सब्जी, जड़ी-बूटी, अनाज, दाल और पशुओं के खाने योग्य कोमल एवं अनेक रस से सम्पन्न नवीन घास फूस लिए हुए प्रकट हुईं और अपने हाथ से उन्हें खाने के लिये दिये।,शाक का तात्पर्य सब्जी होता है, इस प्रकार माता देवी का नाम उसी दिन से ''शाकम्भरी'' पड  गया।

जगत्‌ की रक्षा में तत्पर रहने वाली करूण हृदया भगवती अपनी अनन्त आँखों से सहस्रों जलधारायें गिराने लगी। उनके नेत्रों से निकले हुए जल के द्वारा नौ रात तक त्रिलोकी पर महान्‌ वृष्टि होती रही।  

वे अनगिनत आँखें भी रखती थीं। इसलिए उन्हें सताक्षी के नाम से पुकारा गया । ऋषियों और लोगों की दुर्दशा को देख कर उनकी अनगिनत आँखों से लगातार नौ दिन एवं रात्रि तक आँसू  बहते रहे । यह (आँसू ) एक नदी में परिवर्तित हो गए जिससे सूखे का समापन हो गया ।  

जगत में कोलाहल मच जाने पर दूत के कहने पर दुर्गम दैत्य स्थिति को समझ गया। उसने अपनी सेना सजायी और अस्त्र शस्त्र से सुसज्जित होकर वह युद्ध के लिये चल पड़ा। उसके पास एक अक्षोहिणी सेना थी। तदनन्तर देवताओं व महात्माओं को जब असुरों की सेना ने घेर लिया था तब करुणामयी मां ने बचाने के लिए,देवलोक के चारों ओर एक दीवार खड़ी कर दी और स्वयं घेरे से बाहर आकर युद्ध के लिए डट गई तथा दानवों से संसार को मुक्ति दिलाई।

तदनन्तर देवी और दैत्य-दोनों की लड़ाई ठन गयी। धनुष की प्रचण्ड टंकार से दिशाएँ गूँज उठी। भगवती की माया से प्रेरित शक्तियों ने दानवों की बहुत  बड़ी  सेना नष्ट कर दी। तब सेनाध्यक्ष दुर्गम स्वयं शक्तियों के सामने उपस्थित होकर उनसे युद्ध करने लगा। संसार के ऋषि एवं लोगों को बचाने के लिये, शाकम्बरी देवी ने दैत्य दुर्गम से युद्ध किया।   

अब भगवती जगदम्बा और दुर्गम दैत्य इन दोनों में भीषण युद्ध होने लगा।

माँ शाकम्बरी देवी ने अपने शरीर से दस शक्तियाँ उत्पन्न की थी । जिन्होंने युद्ध में देवी शाकम्बरी की सहायता की।

जगदम्बा के पाँच बाण दुर्गम की छाती में जाकर घुस गये। फिर तो रूधिर वमन करता हुआ वह दैत्य भगवती परमेश्वरी के सामने प्राणहीन होकर गिर पड़ा।

माँ शाकम्बरी देवी ने अंततः अपने भाले से दैत्य दुर्गम को मार डाला ।

तब वेदों का ज्ञान और ऋषियों की सभी शक्तियां जो दुर्गम द्वारा शोषित कर ली गई थीं, दानव दुर्गम को मारनेसे सभी शक्तियां सूर्यों के समान चमकदार सुनहरे प्रकाश में परिवर्तित हो गयीं और शाकम्बरी देवी के शरीर में प्रवेश कर गयीं।

देवी ने प्रसन्नतापूर्वक उस राक्षस से वेदों को त्राण दिलाकर देवताओं को सौंप दिया। वे बोलीं कि मेरे इस उत्तम महात्म्य का निरन्तर पाठ करना चाहिए। मैं उससे प्रसन्न होकर सदैव तुम्हारे समस्त संकट दूर करती रहूँगी।

शाकम्बरी देवी ने सभी वेद और शक्तियां देवताओं को वापस कर दिया। तब माता देवी या ईश्वरी का नाम“दुर्गा” हुआ क्योंकि उन्होंने दानव दुर्गम को मारा था । 

माँ शाकम्भरी देवी मन्दिर
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ऐसी मान्यता है कि माँ शाकम्भरी मानव के कल्याण के लिये धरती पर आयी थी।

मां शाकंभरी के तीन शक्तिपीठों की,  नौ देवियों में से एक हैं मां शाकंभरी देवी।

मां शाकंभरी धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। इनकी अराधना से घर हमेशा शाक यानी अन्न के भंडार से भरा रहता है।

देश भर में मां शाकंभरी के तीन शक्तिपीठ हैं।

पहला प्रमुख राजस्थान से सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास सकराय मां के नाम से प्रसिद्ध है।

दूसरा स्थान राजस्थान में ही सांभर जिले के समीप शाकंभर के नाम से स्थित है और

तीसरा स्थान उत्तरप्रदेश के मेरठ के पास सहारनपुर में 40 किलोमीटर की दूर पर स्थित है।

शाकम्भरी जयंती पर उपाय
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 धन धान्य कि पूर्ती हेतु देवी शाकंभरी कि पंचो-उपचार पूजन करने के बाद देवी के चित्र पर लौकी का भोग लगाएं।

लड़कियों का विवाह जल्दी कराती है यह देवी स्तुति
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देवी दुर्गा की स्तुति केवल शक्ति के लिए नहीं की जाती है। मां दुर्गा पार्वती के रूप में लड़कियों को अच्छा वर भी दिलाती है और विवाह में आ रही बाधा को दूर भी करती है। कहा जाता है कि सीता और रुक्मणि दोनों ने पार्वती का पूजन किया था और इससे ही उन्हें राम और कृष्ण जैसे पति मिले। तुलसीदास ने रामचरितमानस में इसका उल्लेख भी किया है। सीता ने पार्वती का पूजन किया था,स्तुति की थी। इसके बाद ही उन्हें राम के दर्शन हुए थे। वही स्तुति रामचरितमानस में मिलती है। कई विद्वानों ने इस स्तुति को सिद्ध माना है। अगर कुंवारी लड़की रोजाना नियम से पार्वती पूजन कर इस स्तुति का पाठ करे तो उसे भी मनचाहा वर मिलता है। 

स्तुति
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जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥ 
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥
नहिं तब आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥
सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
अर्थ - हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री पार्वती! आपकी जय हो, जय हो, हे महादेवजी के मुख रूपी चंद्रमा की ओर टकटकी लगाकर और छ: मुखवाले स्वामी कार्तिकेयजी की माता! हे जगजननी! हे बिजली की-सी कांतियुत शरीर वाली! आपकी जय हो। आपका न आदि है, न मध्य है और न अंत है। आपके असीम प्रभाव को वेद भी नहीं जानते। आप संसार को उत्पन्न,पालन और नाश करने वाली हैं। विश्व को मोहित करने वाली और स्वतंत्र रूप से विहार करने वाली हैं। हे भक्तों को मुंहमांगा वर देने वाली! हे त्रिपुर के शत्रु शिवजी की प्रिय पत्नी! आपकी सेवा करने से चारों फल सुलभ हो जाते हैं। हे देवी! आपके चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं। मेरे मनोरथ को आप भली भांति जानती हैं योंकि आप सदा सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करती हैं।

शाकम्भरी देवी की आरती
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हरि ॐ श्री शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

ऐसी अद्भुत रूप हृदय धर लीजो

शताक्षी दयालु की आरती कीजो

तुम परिपूर्ण आदि भवानी मां, सब घट तुम आप बखानी मां

शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

तुम्हीं हो शाकुम्भर, तुम ही हो सताक्षी मां

शिवमूर्ति माया प्रकाशी मां,

शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे मां

इच्छा पूर्ण कीजो, शाकुम्भर दर्शन पावे मां

शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

जो नर आरती पढ़े पढ़ावे मां, जो नर आरती सुनावे मां

बस बैकुंठ शाकुम्भर दर्शन पावे

शाकुम्भरी अंबाजी की आरती कीजो। 
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बाथरूम में मार्बल की टाइल्स पर फिसलन का डर होता है, कम खर्च में क्या उपाय करें कि फिसलन से सुरक्षित बचे रहें?

 

जब घर पे बच्चे और बुजुर्ग रहते हो तो यह एक सोचने वाली बात है की इसका उपाय कैसे डुंडा जाये क्यों की आज कल हर घर बाटरूम में टाइल्स डाली जाती है. दिखने में यह साफ़ सूत्रा और आकर्षक दिखाई देता है. लेकिन जब इस पर पानी डाला जाये तो पिसलने का डर रहता है. यंहा तक की कमर और घुटने भी चोट लग जाती है.

हमेशा बाटरूम सूखा रखिये

बाटरूम उसे करने के बाद वाइप करे

बाटरूम हर दिन साफ़ करे

साबुन और शैम्पू को सोप स्टैंड में रखिये

ऑनलाइन स्टोर में बाटरूम के लिए ही मैट्स मिलते है. उसका उपयोग करे


हलाल: एक आर्थिक जिहाद - जय आहूजा - जिस भी ब्रांड पर यह ये हलाल हरे कलर का लोगो प्रिंट हो उसका सम्पूर्ण बहिष्कार करें



विगत समय में “हलाल” चर्चा और विवाद का विषय बना, जब ज़ोमाटो, मॅक्डोनाल्ड आदि संस्थाओं ने यह स्पष्टीकरण दिया कि उनके यहाँ प्रयोग में लाया जाने वाला सारा मांस “हलाल” ही होता है। इस इण्डिक संवाद में श्री जय आहूजा द्वारा “हलाल” से हिन्दू समाज और व्यापार पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की गई है। वे इस्लामी मत में “हलाल” की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि इसके ध्येयानुसार किसी भी पदार्थ के उत्पादन, विपणन आदि में इस्लामी मजहबी विधि का पालन किया जाना आवश्यक है और इस प्रक्रिया में किसी गैर-मुस्लिम को लाभ नहीं पहुँचना चाहिए। इस दुराग्रह के परिणामस्वरूप गैर-मुस्लिमों का खाद्य व्यापार, विशेषतः मांस-व्यापार से बहिष्कार हो रहा है। “हलाल” का दुराग्रह अब मांस-पदार्थों तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि शाकाहारी खाद्य पदार्थ, वस्त्र, कॉस्मेटिक आदि वस्तुओं को भी हलाल-सम्मत बनाकर व्यापार को भी मजहबी रंग दिया जा रहा है। ये एक प्रकार का ‘आर्थिक जिहाद’ है जिससे हिन्दू समाज के निर्धन वर्गों और व्यापारियों की मजहबी घेराबन्दी कर उनसे रोजगार छीना जा रहा है। “हलाल” से आर्थिक हानि के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं का भी हनन हो रहा है। “हलाल” को एक षड्यन्त्र के तहत गैर-मुस्लिमों पर भी थोपा जा रहा है और फलस्वरूप अन्य विकल्प मिट जाने के कारण वे भी इस्लामी मजहबी विधान का पालन करने के लिए बाध्य हो रहे हैं। इस वीडियों को अवश्य देखें और “हलाल” के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनें।
 

 






 खाने पिने की वस्तुओ पर ये हलाल हरे कलर का लोगो प्रिंट होता है
जिस भी ब्रांड पर यह प्रिंट हो उसका सम्पूर्ण बहिष्कार करें
और
उस दूकान वाले को बोले की ये हलाल वाला ब्रांड हमें नहीं चाइए
- राष्ट्र व 🚩धर्म निर्माण मे सहयोग करें 🙏

चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाने वाला है इसलिए

 आप से कुछ प्रार्थना है....


- चुनाव सोशल मीडिया पर ही लड़ा जाने वाला है इसलिए अब व्हाट्सएप के माध्यम से योगी जी के पक्ष में जनसमर्थन जुटाने के लिए मैं ज्यादा से ज्यादा लेख लिखने वाला हूं

-आपसे ये प्रार्थना है कि आप मेरे लेख चाहे अच्छे लगें या नहीं लगें... लेकिन उनको अपने परिवार... रिश्तेदारों... ग्रुप्स... दोस्तों और खासकर हिंदुओं को जरूर फारवर्ड करते रहिएगा... जब बूथ लेवल पर बने व्हाट्सएप ग्रुप्स में ये लेख पहुंचेंगे तो हिंदुओं को गोलबंद करना बहुत आसान होता जाएगा

-मैं योगी जी और श्रीराम मंदिर निर्माण की वजह से बीजेपी के समर्थन में लेख लिखता रहा हूं आगे भी लिखता रहूंगा तो आप ये मत समझ लेना कि हमें बीजेपी से कोई पैसा मिलता है... हमने अपना घर-बार परिवार सब छोड़कर सारा समय बिना किसी स्वार्थ के देश को समर्पित कर दिया है... मेरी सेवा को आप निस्वार्थ समझना

-लेखों के बीच में मेरा मोबाइल नंबर दिया होता है... उसको आप मत हटाना क्योंकि जैसे आप मुझसे मोबाइल नंबर से जुड़े हैं वैसे ही दूसरे लोग भी मोबाइल नंबर से ही जुड़ते हैं जब लोग साथ आएंगे तभी कारवां आगे बढ़ेगा इसी कारवें से ही हिंदुत्व की क्रांति का सूर्य उदय होगा

-मैं आपको कभी कभी विशेष परिस्थितियों में अपने ट्विटर लिंक भी दिया करूंगा अगर आप ट्विटर पर हैं तो उसको लाइक शेयर रीट्वीट करते रहिएगा और नहीं हैं तो भी कोई बात नहीं आप ग्रुप में शेयर कर देना जिसकी मर्जी होगी वह कर लेगा

-योगी जी को अगर 320 से ज्यादा सीटें नहीं मिलती हैं तो ब्रांड योगी कमजोर होगा और अगर कमजोर हुआ तो फिर हिंदुत्व भी कमजोर हो जाएगा इसलिए जीत के लिए कार्य नहीं करना है 350 सीट का लक्ष्य लेकर जोरदार तरीके से प्रचार करना है

-आपका स्नेह और आशीर्वाद मुझको बराबर मिलता रहा है... मेरी तरफ से कोई गलती हो तो क्षमा कीजिएगा...

धन्यवाद
भारत माता की जय
वंदेमातरम
जय श्री राम
हम जिएंगे या मरेंगे... ऐ वतन तेरे लिए !

हमने हिंदू बनकर 2014 और 2019 में वोट दिए तो आज देश में .............


 ये कहानी अधिकांश मित्रों ने सुनी, पढ़ी होगी लेकिन आज भी बहुत प्रासंगिक है और शिक्षाप्रद भी है -

एक बार अकबर ने बीरबल से कहा कि उसे ये पता करना है कि उसके दरबार में कितने लोग ईमानदार हैं, ये कैसे पता चलेगा?

बीरबल ने कुछ दिनों का समय माँगा फिर अकबर के पास गए और उन्हें एक प्रयोग बताया जिससे कि पता चल जाएगा कि दरबार में कितने लोग ईमानदार हैं।

अकबर को इतना समझ नहीं आया चूँकि बीरबल ने कहा है इसलिए उसने हामी भर दी।

एक बड़े से कढ़ाव को थोड़ा ऊँचाई पर रखा गया और उस तक पहुँचने के लिये एक सीढ़ी रखी गई, सीढ़ी की ऊँचाई इतनी ही थी कि थोड़ा हाथ ऊपर करने पर कढ़ाव तक पहुँच सकता था।

सभी दरबारियों से कहा गया कि आधी रात को सबको इसमें एक एक लोटा दूध डालना है। दरबारियों को कुछ पता नहीं था कि ये सब क्यों करवाया जा रहा है।

चूँकि अकबर का आदेश था तो सबको मानना ही था, सो सबने जाकर ये काम कर दिया।

अगले दिन दरबार सजा और उस कढ़ाव को लाया गया लेकिन उसे देखकर अकबर और सारे के सारे दरबारी अचंभित और अवाक रह गए क्योंकि उस कढ़ाव में केवल पानी ही भरा हुआ था।

सबने ये सोचकर एक लोटा पानी भर दिया कि मेरे अकेले के पानी भरने से किसी को क्या पता चलेगा??

इसी तरह "आएगा तो योगी ही" सोचकर, बोलने से योगीजी नहीं आयेंगे, मतदान के हर चरण में हर सच्चे सनातनी, राष्ट्रभक्त को अपने घर से निकलकर वोट करने जाना होगा और अपने सभी मित्रों, परिजनों, अड़ोसी, पड़ोसी सबको ले जाकर वोट डलवाने होंगे।

अटलजी के "शाइनिंग इंडिया" के जैसे "आएगा तो योगी ही" का हश्र नहीं होने देना है इसका सभी को ध्यान रखना है।

ना केवल उत्तरप्रदेश बल्कि गोवा, उत्तराखंड, पंजाब के सभी सच्चे सनातनियों, राष्ट्रभक्तों को यही करना है।

अपनी जाति, मनपसंद उम्मीदवार का ना होना भूलकर केवल हिन्दू बनकर "कमल का बटन" दबाना है।

ध्यान रखिये चुनावों से पहले धूर्त नेताओं के लिए आप केवल जातियों में बँटे हिंदू होते हैं और चुनाव के बाद केवल हिंदू, तभी न अखिलेश जैसा मुख्यमंत्री दो बजे बाद होली खेलने पर प्रतिबंध लगा देता था, कावड़ यात्रा निकलने नहीं देता था, डीजे नहीं बजने देता था।

हमने हिंदू बनकर 2014 और 2019 में वोट दिए तो आज देश में घोटाले बंद हो गए, आतंकी हमले कश्मीर तक सीमित रह गए, राम मंदिर का निर्णय हमारे पक्ष में हुआ, राम मंदिर का निर्माण शुरू हो गया, काशी में शानदार विश्वनाथ कॉरिडोर बन गया, को रो ना जैसी महामारी में इतनी बड़ी आबादी के होते हुए भी बहुत ज़्यादा नुकसान नहीं झेलना पड़ा।

विश्व का सबसे बड़ा और सबसे श्रेष्ठ वैक्सीनेशन ड्राइव भारत में हुआ और उसमें भी विशेष बात ये कि सारी वैक्सीन देश में ही तैयार हुई हमें किसी अन्य देश पर आश्रित नहीं होना पड़ा।

यदि इस समय कांग्रेस केंद्र में होती तो यकीन मानिये आधा देश सो चुका होता।

वोट उन्हें दीजिये जिनकी नीयत में खोट नहीं है।


साभार

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