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बुधवार, 29 मई 2024

बुढ़वा (बड़ा) मंगल कथा और महत्व


बुढ़वा (बड़ा) मंगल कथा और महत्व
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लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर॥

बुढ़वा मंगल उत्सव हनुमान जी के वृद्ध रूप के लिए किया जाता है। यह उत्सव ज्येष्ठ माह के चारों मंगलवार को आयोजित किया जाता है, जिसे प्रचलित भाषा में बूढ़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। 

बुढ़वा मंगल हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, इसे भारत में वानर राज राम भक्त हनुमान जी के वृद्ध रूप की पूजा की जाती है। श्री हनुमंत शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक हैं, वह जादुई शक्तियों और बुरी आत्माओं को जीनते की क्षमता रखने वाले देव के रूप मे पूजे जाते हैं।

बुढ़वा मंगल दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत मे ज्यादा प्रमुखता से मनाया जाता है। परंतु उत्तर भारत में ही कहीं-कहीं यह त्यौहार ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगलवार को भी मनाया जाता है, जिनमे कानपुर एवं वाराणसी प्रमुख शहर हैं।

भगवान शिव के अवतार है हनुमान।

भगवान हनुमान को महादेव का 11वां अवतार भी माना जाता है। हनुमान जी की पूजा करने और व्रत रखने से हनुमान जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है, इसलिए हनुमान जी को संकट मोचक भी कहा गया है।

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता हैं या फिर शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है, उन लोगों को इस दिन हनुमान जी के सुन्दर कांड का 101 पाठ या हनुमान चालीसा का 1001 पाठ कराने से शनि ग्रह से जुड़ी समस्या में कमी आती हैं। हनुमान जी को मंगलकारी कहा गया है, इसलिए इनकी पूजा जीवन में मंगल लेकर आती हैं।

केसरी तथा माता अंजना के पुत्र श्री हनुमान को महावीर, बजरंगबली, मारुती, पवनपुत्र, अंजनीपुत्र तथा केसरीनन्दन के नाम से भी जाना जाता है। पवनपुत्र हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार माना गया है, अतः प्रत्येक हनुमान मंदिर में शिवलिंग स्थापित अवश्य किया जाता है।

हनुमानजी की प्रतिमा पर लगा केसरी सिन्दूर अत्यन्त पवित्र माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि हनुमान को केसरी सिन्दूर अत्यन्त प्रिय है। भक्तगण प्रायः इस सिन्दूर को देसी घी में मिलाकर भगवान की प्रतिमा पर लगाते हैं और प्रसादस्वरूप उसी का टीका तिलक के रुप में अपने मस्तक पर लगाते हैं। ऐसा माना जाता है, कि इस तिलक के माध्यम से भक्त श्री हनुमानजी की कृपा से उन्हीं की तरह शक्तिशाली, ऊर्जावान तथा संयमित हो जाते हैं।

बुढ़वा मंगल का इतिहास और प्रचलित कथायें:
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वैसे तो बुढ़वा मंगल के बारे में कई कथायें प्रचलित हैं जिसका वर्णन मिलता है यहाँ पर कुछ ऐसी ही किवद्नतियां हैं जो सदियों से चली आ रही हैं । 

पुरानी मान्यताओं के अनुसार एक कथा यह है कि महाभारत काल में हजारों हाथियों के बल को धारण किए भीम को अपने शक्तिशाली होने पर बड़ा अभिमान और घमंड हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए रूद्र अवतार भगवान हनुमान ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड चूर-चूर किया। आगे चलकर यही दिन बुढ़वा मंगल कहलाने लगा।

दूसरी कथा
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एक अन्य मत के अनुसार रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में जब लंका पहुंचने पर हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी तो हनुमान जी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंका को जलाकर रावण का घमंड चूर किया। 

मंत्र
ॐ हनु हनुमते नमो नमः, श्री हनुमते नमो नमः।
उत्सव व पूजा विधि
-हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था इसलिए बुढ़वा मंगल के दिन ब्रहम मुहूर्त में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
- हनुमान जी का उपवास रखें नमक का प्रयोग न करें। 
-हनुमान जी को प्रिय चीज़ों का भोग जैसे लड्डू,केला ,अंगूर व शुद्ध चावल की खीर चढ़ायें।

-बुढ़वा मंगल पर 101 बार हनुमान चालीसा,सुंदरकांड का पाठ,बजरंग बाण का -पाठ करना शुभ होता है सारे कष्ट संकटमोचन दूर कर देते हैं। 
-श्री हनुमंत लाल पर सिंदूर चढ़ाएँ, हनुमंत ध्वजा, प्रार्थना, भजन / कीर्तन करें।
-रामचरित मानस का पाठ कराना भी शुभ व अत्यन्त लाभकारी होता है।
-हनुमान मंदिर का दर्शन कर घर के मंदिर में करें पूजा।

धन और व्यापार से जुड़ी परेशानी दूर करने के लिए करें ये उपाय:
बुढ़वा मंगल के दिन कुछ उपाय करने से धन और व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है। बुढ़वा मंगल के दिन शुभ मुहूर्त में हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक जलाएं, इसके साथ ही इस दिन हनुमान जी को चोला और ध्वजा चढ़ाएं। हनुमान जी चोला चढ़ाने से भगवान विशेष प्रसन्न होते हैं।

मंत्र का ध्यान 
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मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।। 

अर्थात : जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवनपुत्र वानरों में प्रमुख श्रीरामदूत की मैं शरण लेता हूं। कलियुग में हनुमानजी की भक्ति से बढ़कर किसी अन्य की भक्ति में शक्ति नहीं है। रामरक्षा स्तोत्र से लिए गए हनुमानजी के प्रति शरणागत होने के लिए इस श्लोक या मंत्र का जप करने से हनुमानजी तुरंत ही साधक की याचना सुन लेते हैं और वे उनको अपनी शरण में ले लेते हैं।   

जो व्यक्ति हनुमानजी का प्रतिदिन ध्यान करते रहते हैं, हनुमानजी उनकी बुद्धि से क्रोध को हटाकर बल का संचार कर देते हैं। हनुमान भक्त शांत चित्त, निर्भीक और समझदार बन जाता है।

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई...

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

पैठि पताल तोरि जाग कारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर संहारे ।
दाईं भुजा सब संत उबारें ॥

सुर नर मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कचंन थाल कपूर की बाती ।
आरती करत अंजनी माई ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥
श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा, जो कि स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी के रामचरितमानस की सबसे प्रसिद्ध रचना है।
हनुमान चालीसा
॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०॥

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥
बजरंग बाण 
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते,
बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ,
सिद्ध करैं हनुमान॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥

जै हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा ॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।
राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग-बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥

यह बजरंग बाण जो जापैं ।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥

॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै,
पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर,
करैं सब काम सफल हनुमान ॥

बड़ा मंगल 2023 की तिथियां
ज्येष्ठ महीने पहला बड़ा मंगल- 28 मई 2024
ज्येष्ठ महीने दूसरा बड़ा मंगल- 04 जून 
ज्येष्ठ महीने तीसरा बड़ा मंगल- 11 जून 
ज्येष्ठ महीने चौथा बड़ा मंगल- 18 जून 
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मंगलवार, 28 मई 2024

पंचर जिहाद षड्यंत्र - एक्सीडेंट में मरने वाले सबसे ज्यादा ज्यादा हिंदु परिवार

*एक्सीडेंट में मरने वाले सबसे ज्यादा ज्यादा हिंदु परिवार 🛑*
जिंदा रहना चाहते हो तो मैसेज को ध्यानपूर्वक आखिरी तक पढ़े…!! 👇

👉🏻 *"केवल ₹450 से ₹1500 खर्चा करके अपनी गाड़ी में 12V का पोर्टेबल टायर एयर पंप हमेशा गाड़ी में रखो।"*

टायर में हवा 30PSI से 35PSI होनी चाहिए। जि'हादी 60PSI से 65PSI हवा भरते है…!!

*👺 पंचर जिहाद षड्यंत्र 👺*

🛑 सावधान 🛑

एक ऐसा षड्यंत्र जो कोई भी समझ नहीं पाया बस शिकार हो गया। भाइयों क्या आप ने कभी सोचा है कि हाईवे पर चलती हुई गाड़ी अचानक कैसे पेड़ से टकरा जाती है…?

कैसे पूरे परिवार से भरी हुई गाड़ी चलते-चलते पलटी खा जाती है, या किसी गाड़ी से टकराकर दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है और पूरा परिवार हमेशा के लिए मौत की नींद सो जाता है…?

क्या ड्राइवर को गाड़ी चलानी नहीं आती थी, क्या वो नया चालक था…? नहीं…!!

आज आप कोई सा भी पेपर उठाकर पढ़ लो वहाँ पर कार में इतने मरे, वहाँ उसकी टक्कर में 3 मरे, रोज की 10 खबरें इन्हीं घटनाओं से संबंधित आती हैं।

क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों हुआ और क्यों हो रहा है…?

100 में से 95% मरने वाले हिन्दू धर्म के लोग ही होते हैं। कोई बर्थडे पार्टी मनाने जा रहा था, कोई कही दर्शन करने जा रहा था तो कोई दुल्हन लेने जा रहा था। एक पल में खुशी का माहौल गम में बदल जाता है, आखिर कैसे…?

आइए मैं आपको बताता हूँ, आप जो अपनी गाड़ी में जो कि रोड़ पर स्थित "पंचरपुत्र" की दुकान से अपनी गाड़ी में आप हवा डलवाते हैं वो आपको गाड़ी से उतरने भी नहीं देता है और आप भी जल्दबाजी में उस पर भरोसा करके 20-30 लाख की गाड़ी में हवा भरवा लेते हो। *आपकी गाड़ी के टायर में हवा आती है (30PSI से 35PSI) जो कि पंचरपुत्र भरते हैं (60PSI से 65PSI)* अब आप रईसी बताते हुए अपनी दो उंगली के बीच में नोट फंसा के पूछते हो कितने हुए। वो भी बड़े प्रेम से बोलता है साहब ₹20 आप ने भी अपनी पर्स में से निकालकर खुशी-खुशी उसे पैसे दिए और चल दिए। भाई साहब उसने हवा के साथ-साथ आपका ऊपर जाने का टिकट काट दिया।

- *(1)* अब आप स्पीड में चले तो टर्निंग में आपकी गाड़ी स्लिप होगी अनबैलेंस होकर पलट जाएगी।

- *(2)* आप ने कही इमरजेंसी ब्रेक लगाई तो वो स्लिप होकर सामने वाले से (जैसे; जानवर, मोटरसाइकिल, बस, ट्रक, कार, पुलिया, पेड़ आदि) से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगी और हो सकता हैं आप बचो भी नहीं।

और कभी आप ने हवा ज्यादा भरते हुए पकड़ लिया तो सामने वाला कहेगा साहब हवा ज्यादा रखने से गाड़ी एवरेज अच्छा देती है और आप उसकी बातों में आ जाते हो।

आपके दिए हुए ₹20 आपकी 20 लाख की लू उतार देते हैं, आप बच गए तो हॉस्पिटल में और आपको गाड़ी ठीक करवानी है तो वो भी यही लोग ठीक करेंगे।

सोचो ₹20 में कितना बड़ा षड्यंत्र हो रहा है। ये लोग आपको हर रोड़ पर हर 5-10 किमी में मिल जाएंगे क्या वो पैसे कमा रहे हैं…? बिल्कुल नहीं…!!

हां, वो कमाई के साथ-साथ आपको भिखारी बनाकर मौत की नींद भी दे रहे हैं।

बचो हिंदु भाई बचो इस भयानक षड्यंत्र से…!!

👉🏻 अपनी गाड़ी में हमेशा 12V का पोर्टेबल टायर एयर पंप रखिए, जो जरूरत पड़ने पर 5 मिनट में ऑटोमेटिक हवा भर देगा। वो भी जितनी आपके टायर को चाहिए। आपकी गाड़ी का डिजिटल हवा का प्रेशर भी बताएगा और आपके टायर की लाइफ भी बढ़ाएगा।

अगर आप 5 लाख की गाड़ी खरीद सकते हो तो फिर ₹1500 का टायर प्रेशर पंप क्यों नहीं।

साथ में अगर आप ₹250 की पंचर किट भी रख लो तो फिर पंचर जेहादियों से आप हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाओगे।

अगर आप एक सच्चे सनातनी हैं तो कृपया इस मैसेज जानकारी को आपके पास जितने भी ग्रुप रिश्तेदार हैं उन सभी में ज्यादा से ज्यादा भेजें और भेजना भी उचित है ताकि सभी का जीवन बच सकें।

*नोट :-* ध्यान रहे… अभी गर्मी का मौसम चल रहा है और ज्यादा हवा होने की वजह से इसी मौसम में ज्यादा हादसे होते हैं।

*✍🏻 साभार*

*🚩 🙏⛳🚩*


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_यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी।_
_विभवे यस्य सन्तुष्टिस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।_

शनिवार, 25 मई 2024

शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा-

शुभ काम में क्यों बनाई गई नारियल फोड़ने की परंपरा-

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सनातन धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है। कोई भी व्यक्ति जब कोई नया काम शुरू करता है तो भगवान के सामने नारियल फोड़ता है। चाहे शादी हो, त्योहार हो या फिर कोई महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। नारियल को संस्कृत में श्रीफल के नाम से जाना जाता है।
विद्वानों के अनुसार यह फल बलि कर्म का प्रतीक है। बलि कर्म का अर्थ होता है उपहार या नैवेद्य की वस्तु। देवताओं को बलि देने का अर्थ है, उनके द्वारा की गई कृपा के प्रति आभार व्यक्त करना या उनकी कृपा का अंश के रूप मे देवता को अर्पित करना।
 एक समय सनातन धर्म में मनुष्य और जानवरों की बलि सामान्य बात थी। तभी आदि शंकराचार्य ने इस अमानवीय परंपरा को तोड़ा और मनुष्य के स्थान पर नारियल चढ़ाने की शुरुआत की। नारियल कई तरह से मनुष्य के मस्तिष्क से मेल खाता है। नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से और नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है। साथ ही, नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है।
नारियल फोड़ने का ये है महत्व- नारियल फोड़ने का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है, जिससे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।
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