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बुधवार, 19 सितंबर 2012

आइए जानें गणेश की विशिष्टता के बारे में-

भगवान गणेश का व्यक्तित्व बेहद आकर्षक माना गया है। उनका मस्तक हाथी का है और वाहन मूषक है। उनकी दो पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि हैं। सभी गणों के स्वामी होने के कारण इनका नाम गणोश है। परंपरा में हर कार्य के प्रारंभ में इनका स्मरण
आवश्यक है। उन्हें विघ्नहर्ता कहते हैं। गणेश में ऐसी क्या विशेषताएं हैं कि उनकी पूजा 33 कोटि देवी-देवताओं में सर्वप्रथम होती है। आइए जानें गणेश की विशिष्टता के बारे में-

ऋग्वेद में लिखा है ‘न ऋते त्वम क्रियते किं चनारे’ अर्थात हे गणेश, तु
म्हारे बिना कोई भी कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता है। तुम्हें वैदिक देवता की उपाधि दी गयी है। ú के उच्चारण से वेद पाठ प्रारंभ होता है। गणेश आदिदेव है। वैदिक ऋचाओं में उनका अस्तित्व हमेशा रहा है। गणेश पुराण में ब्रहा, विष्णु एवं शिव के द्वारा उनकी पूजा किए जाने का तक उल्लेख मिलता है।

वाहन चूहा क्यों:-

भगवान गणेश की शारीरिक बनावट के मुकाबले उनका वाहन चूहा काफी छोटा है। चूहे का काम किसी चीज को कुतर डालना है। वह चीर-फाड़ कर उसके प्रत्येक अंग-प्रत्यंग का विश्लेषण करता है। गणेश बुद्धि और विद्या के अधिष्ठाता हैं। तर्क-वितर्क में वे बेजोड़ हैं। इसी प्रकार मूषक भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं हैं। काट छांट में उसका कोई सानी नहीं है। मूषक के इन्हीं गुणों को देखकर उन्होंने इसे वाहन चुना है।

गणोशजी की सूंड:-

गजानन की सूंड हमेशा हिलती डुलती रहती है जो उनके सचेत होने का संकेत है। इसके संचालन से दु:ख-दारिद्रय समाप्त हो जाते हैं। अनिष्टकारी शक्तियां डरकर भाग जाती हैं। यह सूंड जहां बड़े-बड़े दिग्पालों को भयभीत करती है, वहीं देवताओं का मनोरजंन भी करती है। इस सूंड से गणोश, ब्रहाजी पर पानी एवं फूल बरसाते है। सूंड के दायीं और बायीं ओर होने का अपना महत्व है। मान्यता है कि सुख-समृद्वि हेतु उनकी दायीं ओर मुड़ी सूंड की पूजा करनी चाहिए, वहीं शत्रु को परास्त करने या ऐश्वर्य पाने के लिए बायीं ओर मुड़ी सूंड की पूजा करनी चाहिए।

बड़ा उदर:-

गणेश जी का पेट बहुत बड़ा है। इसी कारण उन्हें लंबोदर भी कहा जाता है। लंबोदर होने का कारण यह है कि वे हर अच्छी और बुरी बात को पचा जाते हैं और किसी भी बात का निर्णय सूझबूझ के साथ लेते हैं। वे संपूर्ण वेदों के ज्ञाता है। संगीत और नृत्य आदि विभिन्न कलाओं के भी जानकार हैं। ऐसा माना जाता है कि उनका पेट विभिन्न विद्याओं का कोष है।

लंबे कान:-

श्री गणेश लंबे कान वाले हैं। इसलिए उन्हें गजकर्ण भी कहा जाता है। लंबे कान वाले भाग्यशाली होते हैं। लंबे कानों का एक रहस्य यह भी है कि वह सबकी सुनते हैं और अपनी बुद्धि और विवेक से ही किसी कार्य का क्रियान्वयन करते हैं। बड़े कान हमेशा चौकन्ना रहने के भी संकेत देते हैं।

मोदक बेहद पसंद -

बड़े पेट वालों को मीठा बेहद पसंद होता है। भगवान गणेश एक ही दांत होने के कारण चबाने वाली चीजें नहीं खा पाते होंगे और लडडू खाने में उन्हें आसानी होती होगी। इसीलिए मोदक उन्हें प्रिय है क्योंकि वह आनंद का भी प्रतीक है। वह ब्रrाशक्ति का प्रतीक है क्योंकि मोदक बन जाने के बाद उसके भीतर क्या है, दिखाई नही देता। मोदक की गोल आकृति गोल और महाशून्य का प्रतीक है। शून्य से ही सब उत्पन्न होता है और शून्य में सब विलीन हो जाता है।

गणेश जी का दांत:-

भगवान परशुराम से युद्ध में उनका एक दांत टूट गया था। उन्होंने अपने टूटे दांत की लेखनी बना कर महाभारत का ग्रंथ लिखा।

पाश:-

उनके हाथ में पाश है। यह राग, मोह और तमोगुण का प्रतीक है। इसी पाश से वे पाप समूहों और संपूर्ण प्रारब्ध को आकर्षित कर अंकुश से इनका नाश कर देते हैं।

परशु:-

इसे गणेश हाथ में धारण करते हैं। यह तेज धार का होता है और तर्कशास्त्र का प्रतीेक है। वरमुद्रा - गणपति प्राय: वरमुद्रा में ही दिखाई देते हैं। यह सत्वगुण का प्रतीक है। इसी से वे भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

इस प्रकार गणेश जी का सारा व्यक्तिव निराला है। उनके आंतरिक गुण भी उतने ही अनूठे हैं जितना उनका बाहरी व्यक्तित्व। गणेशजी के सभी प्रतीक सिखाते हैं कि हम अपनी बुद्धि को जाग्रत रखें, अच्छी-बुरी बातों को पचाएं, पापों के शमन के लिए सद्तर्को की धार रखें तथा तमोगुण पर विजय हासिल कर सत्वगुणों का विस्तार करें।

रविवार, 16 सितंबर 2012

आधुनिक भारत में हिन्दू समाज का सबसे बड़ा दुश्मन---

आधुनिक भारत में हिन्दू समाज का सबसे बड़ा दुश्मन---

एक बार एक वाल्मीकि बस्ती में मंदिर में गाँधी जी कुरान का पाठ करा रहे थे. तभी भीड़ में से एक औरत ने उठकर गाँधी से ऐसा करने को मना किया.
गाँधी ने पूछा .. क्यों?
तब उस औरत ने कहा कि ये हमारे धर्म के विरुद्ध है.
गाँधी ने कहा.... मै तो ऐसा नहीं मानता ,तो उस औरत ने जवाब दिया कि हम आपको धर्म में व्यवस्था देने योग्य नहीं मानते.
गाँधी ने कहा कि इसमें यहाँ उपस्थित लोगों का मत ले लिया जाय. औरत ने जवाब दिया कि क्या धर्म के विषय में वोटो से निर्णय लिया जा सकता है?? गाँधी बोला कि आप मेरे धर्म में बांधा डाल रही हैं. औरत ने जवाब दिया कि आप तो करोडो हिन्दुओ के धर्म में नाजायज दखल दे रहे हैं.
गाँधी बोला ..मै तो कुरान सुनुगा .
औरत बोली ...मै इसका विरोध करुँगी.
और तभी औरत के पक्ष में सैकड़ो वाल्मीकि नवयुवक खड़े हो गए.और कहने लगे कि मंदिर में कुरान पढवाने से पहले किसी मस्जिद में गीता और रामायण का पाठ करके दिखाओ तो जाने.
विरोध बढ़ते देखकर गाँधी ने पुलिस को बुला लिया. पुलिस आई और विरोध करने वालों को पकड़ कर ले गयी .और उनके विरुद्ध दफा १०७ का मुकदमा दर्ज करा दिया गया .
और इसके पश्चात गाँधी ने पुलिस सुरक्षा में उस मंदिर में कुरान पढ़ी.
`(पुस्तक विश्वासघात ........ लेखक -- गुरुदत्त )

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ये कोई नहीं रोक सकता है और ये सब होते रहेंगे और ऐसे ही चौराहे पे गला फाड़-फाड़ के चिल्लाते रहना गुस्सा आए तो कोई किसी को थप्पड़ मार लेना इससे भी उनका कुछ नहीं होगा l क्यों जनता खुद कहते हो कि इनसे अकेले नहीं लड़ सकते और खुद ही किसी एक पार्टी कि शरण में बैठ जाते हो तो कैसे रुकेगा l तब से आज तक बांटते हि तो आये हैं ये आपको समाजवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद और पार्टीवाद l उसके बाद और लूटपाट और खून बहेगा खूनखराबे से लहू लुहान कर देंगे ये नेता मिलकर इस देश को l बड़ा मजा आता है न किसी भी एक नेता के गुण गाने में उनके तलवे चाटने में चाटो l ये देश सबका है खुलकर रहने के लिए आजादी कि लडाई लड़ी गई थी न की घुट कर मरने के लिए l जिस मायाजाल में आपको फंसाया जा रहा है एक दिन ये पूरा देश लूटके सारे नेता मौज करेंगे और आप तो बने ही हो लड़ने के लिए लड़ते रहो l कटते रहोगे किसी हंगामें में , वो ब्लास्ट में मारेंगे, वो होटलों में घुसके आपको मारेंगे, कोई मोल नहीं होगा तुम्हारे किलकारियों का, कोई फर्क नहीं पड़ेगा तुम्हारे मरने से इन नेताओं को अगर किसी को फर्क पड़ेगा तो एक आम इंसानों को इन पैसों के भूखों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा lऔर जनता को समझाना भी तो कठिन है एकता बनाके रखो एकता का विकराल रूप दिखा दो सब मिलकर लड़ो लेकिन उसे अपनी धुन में ही जाना है गन्दगी में ही नहाना है l घोटालों के लिस्ट बनाते रहो और इन नेताओं के तलवे चाटते रहो अगर सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन ही चाहते हो तो उठो जागो और चलो एक कतार में बोलो एक आवाज में ..................
भारत माता कि जय
संतोष यादव

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