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शनिवार, 8 जून 2024

जिसके माथे पर तिलक ना दिखे, उसका सर धड़ से अलग कर दो ------ पुष्यमित्र शुंग

जिसके माथे पर तिलक ना दिखे, उसका सर धड़ से अलग कर दो ------ पुष्यमित्र शुंग
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एक महान क्रांतिकारी हिन्दू राजा -------- 

यह बात आज से 2100 साल पहले की है। एक किसान ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया, नाम रखा गया पुष्यमित्र...........

पूरा नाम पुष्यमित्र शुंग...........

और वो बना एक महान हिन्दू सम्राट जिसने भारत को बुद्ध देश बनने से बचाया। अगर ऐसा कोई राजा कम्बोडिया, मलेशिया या इंडोनेशिया में जन्म लेता तो आज भी यह देश हिन्दू होते।
जब सिकन्दर ब्राह्मण राजा पोरस से मार खाकर अपना विश्व विजय का सपना तोड़ कर उत्तर भारत से शर्मिंदा होकर मगध की और गया था उसके साथ आये बहुत से यवन वहां बस गए। अशोक सम्राट के बुद्ध धर्म अपना लेने के बाद उनके वंशजों ने भारत में बुद्ध धर्म लागू करवा दिया। ब्राह्मणों के द्वारा इस बात का सबसे अधिक विरोध होने पर उनका सबसे अधिक कत्लेआम हुआ। हज़ारों मन्दिर गिरा दिए गए। इसी दौरान पुष्यमित्र के माता पिता को धर्म परिवर्तन से मना करने के कारण उनके पुत्र की आँखों के सामने काट दिया गया। बालक चिल्लाता रहा मेरे माता पिता को छोड़ दो। पर किसी ने नही सुनी। माँ बाप को मरा देखकर पुष्यमित्र की आँखों में रक्त उतर आया। उसे गाँव वालों की संवेदना से नफरत हो गयी। उसने कसम खाई की वो इसका बदला बौद्धों से जरूर लेगा और जंगल की तरफ भाग गया।

एक दिन मौर्य नरेश बृहद्रथ जंगल में घूमने को निकला। अचानक वहां उसके सामने शेर आ गया। शेर सम्राट की तरफ झपटा। शेर सम्राट तक पहुंचने ही वाला था की अचानक एक लम्बा चौड़ा बलशाली भीमसेन जैसा बलवान युवा शेर के सामने आ गया। उसने अपनी मजबूत भुजाओं में उस मौत को जकड़ लिया। शेर को बीच में से फाड़ दिया और सम्राट को कहा की अब आप सुरक्षित हैं। अशोक के बाद मगध साम्राज्य कायर हो चुका था। यवन लगातार मगध पर आक्रमण कर रहे थे। सम्राट ने ऐसा बहादुर जीवन में ना देखा था। सम्राट ने पूछा 

” कौन हो तुम”। 

जवाब आया ” ब्राह्मण हूँ महाराज”। 

सम्राट ने कहा “सेनापति बनोगे”?

 पुष्यमित्र ने आकाश की तरफ देखा, माथे पर रक्त तिलक करते हुए बोला “मातृभूमि को जीवन समर्पित है”। उसी वक्त सम्राट ने उसे मगध का उपसेनापति घोषित कर दिया।

जल्दी ही अपने शौर्य और बहादुरी के बल पर वो सेनापति बन गया। शांति का पाठ अधिक पढ़ने के कारण मगध साम्राज्य कायर ही चूका था। पुष्यमित्र के अंदर की ज्वाला अभी भी जल रही थी। वो रक्त से स्नान करने और तलवार से बात करने में यकीन रखता था। पुष्यमित्र एक निष्ठावान हिन्दू था और भारत को फिर से हिन्दू देश बनाना उसका स्वपन था।

आखिर वो दिन भी आ गया। यवनों की लाखों की फ़ौज ने मगध पर आक्रमण कर दिया। पुष्यमित्र समझ गया की अब मगध विदेशी गुलाम बनने जा रहा है। बौद्ध राजा युद्ध के पक्ष में नही था। पर पुष्यमित्र ने बिना सम्राट की आज्ञा लिए सेना को जंग के लिए तैयारी करने का आदेश दिया। उसने कहा की इससे पहले दुश्मन के पाँव हमारी मातृभूमि पर पड़ें हम उसका शीश उड़ा देंगे। यह नीति तत्कालीन मौर्य साम्राज्य के धार्मिक विचारों के खिलाफ थी। सम्राट पुष्यमित्र के पास गया। गुस्से से बोला ” यह किसके आदेश से सेना को तैयार कर रहे हो”। पुष्यमित्र का पारा चढ़ गया। उसका हाथ उसके तलवार की मुठ पर था। तलवार निकालते ही बिजली की गति से सम्राट बृहद्रथ का सर धड़ से अलग कर दिया और बोला ” 

"ब्राह्मण किसी की आज्ञा नही लेता”।

हज़ारों की सेना सब देख रही थी। 

पुष्यमित्र ने लाल आँखों से सम्राट के रक्त से तिलक किया और सेना की तरफ देखा और बोला 

“ना बृहद्रथ महत्वपूर्ण था, ना पुष्यमित्र, महत्वपूर्ण है तो मगध, महत्वपूर्ण है तो मातृभूमि, क्या तुम रक्त बहाने को तैयार हो??”...........

उसकी शेर सी गरजती आवाज़ से सेना जोश में आ गयी। सेनानायक आगे बढ़ कर बोला “हाँ सम्राट पुष्यमित्र । हम तैयार हैं”। पुष्यमित्र ने कहा” आज मैं सेनापति ही हूँ।चलो काट दो यवनों को।”।

जो यवन मगध पर अपनी पताका फहराने का सपना पाले थे वो युद्ध में गाजर मूली की तरह काट दिए गए। एक सेना जो कल तक दबी रहती थी आज युद्ध में जय महाकाल के नारों से दुश्मन को थर्रा रही है। मगध तो दूर यवनों ने अपना राज्य भी खो दिया। पुष्यमित्र ने हर यवन को कह दिया की अब तुम्हे भारत भूमि से वफादारी करनी होगी नही तो काट दिए जाओगे।

इसके बाद पुष्यमित्र का राज्यभिषेक हुआ। उसने सम्राट बनने के बाद घोषणा की अब कोई मगध में बुद्ध धर्म को नही मानेगा। हिन्दू ही राज धर्म होगा। उसने साथ ही कहा 

“जिसके माथे पर तिलक ना दिखा वो सर धड़ से अलग कर दिया जायेगा”। 

उसके बाद पुष्यमित्र ने वो किया जिससे आज भारत कम्बोडिया नही है। उसने लाखों बौद्धों को मरवा दिया। बुद्ध मन्दिर जो हिन्दू मन्दिर गिरा कर बनाये गए थे उन्हें ध्वस्त कर दिया। बुद्ध मठों को तबाह कर दिया। चाणक्य काल की वापसी की घोषणा हुई और तक्षिला विश्विद्यालय का सनातन शौर्य फिर से बहाल हुआ।

शुंग वंशवली ने कई सदियों तक भारत पर हुकूमत की। पुष्यमित्र ने उनका साम्राज्य पंजाब तक फैला लिया।
इनके पुत्र सम्राट अग्निमित्र शुंग ने अपना साम्राज्य तिब्बत तक फैला लिया और तिब्बत भारत का अंग बन गया। वो बौद्धों को भगाता चीन तक ले गया। वहां चीन के सम्राट ने अपनी बेटी की शादी अग्निमित्र से करके सन्धि की। उनके वंशज आज भी चीन में “शुंग” उपनाम ही लिखते हैं।

पंजाब- अफ़ग़ानिस्तान-सिंध की शाही ब्राह्मण वंशवली के बाद शुंग शायद सबसे बेहतरीन ब्राह्मण साम्राज्य था। शायद पेशवा से भी महान।

गर्व करे अपने पूर्वजों पर जिन्होंने अपने बलिदान कर हमे आज सर उठा कर जीने का अधिकार दिलाया।
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पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों ?

पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों ?
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शास्त्र में कहा है-'पापकर्मेति दशधा।' अर्थात् पाप कर्म दस प्रकार के होते हैं। हिंसा (हत्या), स्तेय (चोरी), व्यभिचार-ये शरीर से किए जाने वाले पाप हैं। झूठ बोलना (अनृत), कठोर वचन कहना ( परुष) और चुगली करना-ये वाणी के पाप हैं। परपीड़न और हिंसा आदि का संकल्प करना, दूसरों के गुणों में भी अवगुणों को देखना और निर्दोष जनों के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टि (कुदृष्टि) रखना, ये मानस पापकर्म कहलाते हैं। इन कर्मों को करने से अपने को और दूसरे को कष्ट ही होता है। अतः ये कर्म हर हालत में दुखदायी ही हैं।

स्कंदपुराण में कहा गया है कि

अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥ -स्कंदपुराण केदारखंड ।

अर्थात अठारह पुराणों में व्यासजी की दो ही बातें प्रधान हैं-परोपकार पुण्य है और दूसरों को पीड़ा पहुंचाना पाप है। यही पुराणों का सार है। प्रत्येक व्यक्ति को इसका मर्म समझकर आचरण करना चाहिए। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई। कहकर तुलसीदास ने इसी तथ्य को सरलता से समझाया है।

मार्कण्डेयपुराण (कर्मफल) 14/25 में कहा गया है कि पैर में कांटा लगने पर तो एक जगह पीड़ा होती है, पर पाप-कर्मों के फल से तो शरीर और मन में निरंतर शूल उत्पन्न होते रहते हैं।

पाराशरस्मृति में कहा गया है कि पाप कर्म बन पड़ने पर छिपाना नहीं चाहिए। छिपाने से वह बहुत बढ़ता है। यहां तक कि मनुष्य सात जन्मों तक कोढ़ी, दुखी, नपुंसक होता है पाप छोटा हो या बड़ा, उसे किसी धर्मज्ञ से प्रकट अवश्य कर देना चाहिए। इस प्रकार उसे प्रकट कर देने से पाप उसी तरह नष्ट हो जाते हैं, जैसे चिकित्सा करा लेने पर रोग नष्ट हो जाते हैं।

महाभारत वनपर्व 207/51 में कहा गया है कि जो मनुष्य पाप कर्म बन जाने पर सच्चे हृदय से पश्चाताप करता है, वह उस पाप से छूट जाता है तथा 'फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा ऐसा दृढ़ निश्चय कर लेने पर वह भविष्य में होने वाले दूसरे पाप से भी बच जाता है।

शिवपुराण 1/3/5 में कहा गया है कि पश्चाताप ही पापों की परम निष्कृति है। विद्वानों ने पश्चाताप से सब प्रकार के पापों की शुद्धि होना बताया है। पश्चाताप करने से जिसके पापों का शोधन न हो, उसके लिए प्रायश्चित्त करना चाहिए।

पापों का प्रायश्चित्त न करने वाले मनुष्य नरक तो जाते ही हैं, अगले जन्मों में उनके शरीरों में उन पापों के लक्षण आदि भी प्रकट होते हैं। अतः पाप का निवारण करने को प्रायश्चित्त अवश्य कर लेना चाहिए। स्वर्ग के द्वार पर भीड़ लगी थी। धर्मराज को छंटनी करनी थी कि किसे प्रवेश दें और किसे न दें। परीक्षा के लिए उन्होंने सभी को दो कागज दिए और एक में अपने पाप और दूसरे में पुण्य लिखने को कहा। अधिकांश लोगों ने अपने पुण्य तो बढ़ा-चढ़ा कर लिखे, पर पाप छिपा लिए। कुछ आत्माएं ऐसी थीं,

जिन्होंने अपने पापों को विस्तार से लिखा और प्रायश्चित्त पूछा । धर्मराज ने अंतःकरणों की क्षुद्रता और महानता
जांची और पाप लिखने वालों को स्वर्ग में प्रवेश दे दिया।

पुण्य के अच्छे फल की मान्यता क्यों ?
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जिन कर्मों से व्यक्ति और समाज की उन्नति होती है, उन्हें पुण्य कर्म कहते हैं। सभी शास्त्रों और गोस्वामी तुलसीदास ने परोपकार को सबसे बड़े धर्म के रूप में माना है-परहित सरिस धर्म नहिं भाई। अर्थात् परोपकार के समान महान् धर्म कोई अन्य नहीं है।

द्रौपदी जमुना में स्नान कर रही थी। उसने एक साधु को स्नान करते देखा। हवा में उसकी पुरानी लंगोटी उड़कर पानी में बह गई। ऐसे में वह बाहर निकलकर घर कैसे जाए, सो झाड़ी में छिप गया। द्रौपदी स्थिति को समझ गई और उसने झाड़ी के पास जाकर अपनी साड़ी का एक तिहाई टुकड़ा फाड़कर लंगोट

बनाने के लिए साधु को दे दिया। साधु ने कृतज्ञतापूर्वक अनुदान स्वीकार किया। दुर्योधन की सभा में जब द्रौपदी की लाज उतारी जा रही थी। तब उसने भगवान् को पुकारा। भगवान् ने देखा कि द्रौपदी के हिस्से में एक पुण्य जमा है। साधु की लंगोटी वाला कपड़ा व्याज समेत अनेक गुना हो गया है भगवान् ने उसी को द्रौपदी तक पहुंचाकर उसकी लाज बचाई।
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गुरुवार, 6 जून 2024

सरकार गिरनी चाहिए.. हां ये सरकार गिरनी चाहिए...

 

सरकार गिरनी चाहिए..

हां ये सरकार गिरनी चाहिए...

और कांग्रेस की सरकार बननी

चाहिए..

फिर चुनाव खत्म हो जाने

चाहिए भारत में सदा सदा

के लिए,

वोटिंग का अधिकार

समाप्त हो जाना चाहिए...

कांग्रेस को ही ये देश

डिजर्व करता है..

इस देश को जिस हालातों

में कांग्रेस ने 70 साल रखा,

ये देश वही डिजर्व करता है,

इसे डेवलपमेंट पसंद नहीं,

इसे सुरक्षा पसंद नहीं,

इसे वैश्विक पटल पर एक

सशक्त भारत पसंद नहीं,

इसे पसंद है कांग्रेस,सपा

और भारत विरोधी पार्टियां,

तो वही सही..

तुम सबकी इच्छा पूर्ण हो जाए..🙌🏻

भारत नाम के राष्ट्र के अंत

तक कांग्रेस जैसी पार्टियों

का ही शासन रह जाए,

भारत जो अखंड होना था,

वो खंड खंड हो जाए..

तुम्हें संतुष्टि तब ही तो मिलेगी..

जब जातियों के नाम पर राज्य

मिल जाए..

और उन राज्यों को जेहादी तुमसे

हथिया लें तुम्हें संतुष्टि तब ही तो

मिलेगी..

तुम्हारी अयोध्या,तुम्हारी मथुरा

नगरी,तुम्हारी काशी तुमसे सदा

सदा के लिए छिन जाए..

तुम्हें संतुष्टि तभी तो मिलेगी..

अयोध्या के व्यापारी और शहर वासी,

जो वोटिंग के दिन भी,

पैसा जोड़ने में व्यस्त थे..

उनके यहां जब कोई न जाए 😘

तभी उन्हें संतुष्टि मिलेगी..

सड़कें जो बन रहीं हैं

वो बीच में ही रुक जाएं

तभी संतुष्टि मिलेगी

एयरपोर्ट जो बनें हैं

सूनसान हो जाएं

तभी संतुष्टि मिलेगी ना?

रेलवे स्टेशन पर गंदगी ही चाहिए,

मल मूत्र की बदबू के बिना

तुम कहां वहां रह पाओगे,

साफ़ पाओगे तो विमल केसरी

गुटखा थूक आओगे..

भगवा को फिर से

लाल कर जाओगे..

तभी संतुष्टि मिलेगी..

तुमको मंदिर नहीं चाहिए,

तुमको स्वाभिमान नहीं चाहिए,

तुमको दंगे चाहिए,

तुमको चाहिए डर डर कर

जीना और पलायन करना,

तुमको उनसे भाई चारा

चाहिए और भाई का चारा

बनने का मौका चाहिए,

तभी तुम्हें संतुष्टि मिलेगी..

तुम दोषारोपण कितना भी दो

तुमको ये सब वापस से चाहिए..

ये ही तुम्हारा सत्य है !!

कांग्रेस तुम्हारी जननी है

कांग्रेस ही तुमको कब्र में भेजे..

चिता कहां मिलेगी तुम्हें,

क्योंकि तब तक तो तुम

खतना करवा चुके होगे,

तुम्हें संतुष्टि तब ही प्राप्त होगी..

तथास्तु🙌🏻

मिल जाए तुम्हें संतुष्टि..

ये ही प्रार्थना है मेरी आज🙏🏻

मेरे प्रभु से,जिन्हें तुमने पुनः ठगा है..

ये धरती अब कलि की है

यहां अब राम नहीं

कल्कि ही आयेंगे..

तुम सबको संतुष्टि दे जाएंगे..

यही तुम्हारी नियति है ..

यही तुम्हारी नियति..!

जन्मदिन की हार्दिक मंगलकामनाएं

MYogiAdityanath जी

आपको इस जन्मदिन पर उत्तरप्रदेश

की जनता की ओर से विश्वासघात

मिला है तोहफे में..

उपहार में हार मिली है,

कुबूल कीजिए...

यूपी त्याग दीजिए,

ये प्रदेश आपको

डिजर्व नहीं करता...

✒️ तत्वज्ञ देवस्य 🎉

ज्येष्ठ कृष्णा चतुर्दशी

योगी आदित्यनाथ जन्म दिवस

🌝 बुधवार,५ जून २०२४ 🎉

विक्रम संवत् २०८१ 🎉

@highlight



अब इस कोंग्रेसी गद्दारों ने एक और केजरीवाल पैदा किया नाम है सोनम वांगचुक ।

 

कांग्रेस ने पिछले 75 वर्ष में एक ऐसा ट्रेंड बना दिया कि हिन्दू विरोधी या देशद्रोह की बात करो और राजनीति में जगह बनाओ, इसलिए कांग्रेस मुक्त भारत जरुरी है

अब इस कोंग्रेसी गद्दारों ने एक और केजरीवाल पैदा किया नाम है सोनम वांगचुक ।

** सोनम वांग्चुक: पर्दे के पीछे कौन?

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हमारे देश में जब कोई अच्छा कार्य करता है , तो सरकार ही नहीं जनता भी उसे सम्मान देती है। उसके अच्छे कामों का विवरण समाचार पत्र और टीवी द्वारा भी दिया जाता है , तो जनता उसके समर्थन में एकजुट हो जाती है। जैसे सोनू सूद, केजरीवाल , अन्ना हज़ारे, गांधी, नेहरू, शिर्डी के साई बाबा, मदर टेरेसा, और कई अन्य हैं। बाद में पता चलता है की अरे ये तो कोंग्रेसी दलाल थे।

ऐसे ही सोनम वांग्चुक भी हैं। इन पर एनडीटीवी की विशेष कृपा बरसी। न केवल इनके काम दिखाए गए, अपितु भरपूर प्रसंशा भी हुई। और यही बात जनमानस को प्रभावित करती है। एक फिल्म आई थी थ्री ईडियट जो आमिर खान की थी और बाद में बताया गया कि यह सोनम वांग्चुक से प्रेरित होकर ही बनाई गई है।

सोचो काँग्रेस ने कई साल पहले ही बीज़ बो दिया था ।

इससे इनकी लोकप्रियता को उड़ान मिल गई , और जब विदेशी हमारे किसी देश वासी को पुरस्कार देते हैं, तो लॉर्ड मैकाले की मानसिक गुलामी से प्रभावित , हम लोग प्रसन्नता से बल्लियों उछल जाते हैं।

ऐसे लोगों पर विदेशी संस्थाओं की नजर रहती है, और वह दाना डालते हैं। सोनम वांग्चुक को राज्य सरकारों ने, अनेक भारतीय संस्थाओं ने भी पुरस्कार दिए, फिर फ्रांस, अमेरिका ने भी दिए और 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिला।

आजकल , सोनम फिर से चर्चा में हैं । उन्होंने अनेक दिन तक का सैकड़ों लोगों के साथ इस भयानक ठंड में उपवास किया।

क्या हैं उनकी मांगें?

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2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, और लद्दाख वासी पहले से ही अपने को कश्मीर से अलग करने की मांग करते रहे हैं। वह तो पूरी हो गई ।

अब सोनम वांग्चुक एक नई मांग लेकर आते हैं कि,

इसे 6ठी अनुसूची के अंतर्गत लाया जाय। इसमें स्थानीय संस्कृति, भाषा, व्ययसाय को देश की दूसरी संस्कृतियों से अप्रभावित रखने के लिये प्रावधान है।

क्या यह मांग गैर संवैधानिक है? तो उत्तर है -- नहीं ।

अनुचित है ? तो उत्तर है नहीं।

स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण

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अब यह केंद्र शासित प्रदेश बन गया है । यह तो पहले कहना था, जब कश्मीर राज्य में आता था। अब तो अलग होने से कर्मचारी तो स्थानीय ही भर्ती होगा। अधिकारी के लिए कहीं भी किसी भी राज्य में इस प्रकार का घोषित आरक्षण, मेरी जानकारी में नहीं है।

पर्यावरण की रक्षा ?

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क्योंकि उद्योग से पर्यावरण दूषित होता है, इस पर सरकार पहले ही कह चुकी है कि, पर्यावरण को कम से कम हानि हो यह ध्यान रखा जाएगा।

तो समस्या कहाँ है?

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जब देश में आम चुनाव होने की घोषणा होने ही वाली होती है, तभी यह (वांगचुक) अनशन पर बैठता है। यह दो लोकसभा सीट हो कहता है, जबकि 2026 में परिसीमन होना ही है। और अंतिम समय पर नहीं हो सकता। बस विवाद खड़ा करना है।

पूर्ण राज्य का दर्जा

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इस पर मुझे संदेह है। क्योंकि यह अति संवेदनशील क्षेत्र है। चीन और पाकिस्तान दोनों से सीमा मिलती है , तथा जनसंख्या मात्र 3 लाख।

चलो , दो लोकसभा सीट दे भी दी , तो यह फिर 3 के लिए आंदोलन करेगा।

लेकिन इससे भी बड़ी कहानी तो अलग ही है।

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जरा दो घटनाक्रमों पर ध्यान दीजिए ।

इसे भी सीएनएन, एनडीटीवी आदि सारा मीडिया प्रमोट करता है , और केजरीवाल को भी। दोनों प्रारम्भ में अपने अच्छे उद्देश्य बताते हैं , और मीडिया उछालता है। इन्हें जननायक बनाता है ! इसमें 15 वर्ष के लगभग लगते हैं दोनों के । फिर दोनों को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलता है। केजरी को 2006 में और 2011-12 में पूरा अवतरित होता है।

इसे भी 2018 में यही पुरस्कार मिलता है , और यह भी 5 वर्ष बाद अवतरित हुआ है।

लालू , जयललिता से लेकर हेमंत सोरेन तक की गिरफ्तारी पर , कोई विदेशी हस्तक्षेप नहीं। लेकिन मेयर जैसे मु. मंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी, अमेरिका और सन्युक्त राष्ट्र संघ क्यों बौखला गए? इसी प्रकार सोनम को भी विदेशी मीडिया खूब उछाल रहा है।

अब इससे भयानक बात

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चीन के विश्व में आर्थिक व्यापार की जड़ उसका माइकों चिप और सेमी कंडकटर का व्यापार है। चिप बनाने के लिए रेत और शुद्ध जल की आवश्यकता होती है , जो कि हिमालय के ग्लेशियर की नदियों से ही मिल सकती है। क्योंकि , मैदानी नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं , और इसीलिए चीन ने 1963 में पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए उत्तरी लद्दाख में भूमि , पाकिस्तान से ले ली थी जिसमें 252 हिम ग्लेशियर हैं। वहाँ से शुद्ध पानी लेता है ,और उसकी चिप वहीं बनती हैं।

भारत ने इसे समझ लिया है, और लद्दाख में चिप बनाने की फैक्टरी लगाना चाहती है , और वह भी चीन के धुर विरोधी ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया के सहयोग से।

इसी का विरोध यह गद्दार,देशद्रोही सोनम वांग्चुक कर रहा है । बाकी अम्बानी अडानी की रट तो दिखाने के लिए लगा रहा है।

#गद्दार

#देशद्रोही

#सोनम_वांगचुक



पाकिस्तानी मूल की एक लड़की आफिया सिद्दीकी पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट थी

 

पाकिस्तानी मूल की एक लड़की आफिया सिद्दीकी पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट थी

आगा खान ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने यूरोप के प्रतिष्ठित विद्यालय से न्यूक्लियर साइंटिस्ट में मास्टर्स डिग्री लिया और फिर आगा खां ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने अमेरिका में ही न्यूरो न्यूक्लियर साइंटिस्ट में पीएचडी किया

वह आतंकवादियों को परमाणु बम बनाने की ट्रेनिंग देने के फिराक में थी और उसने अपने घर पर इतना युरेनियम जमा कर लिया था जिससे एक छोटा मोटा परमाणु बम बनाया जा सके

इतना ही नहीं वह 9/11 के प्रमुख आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के संपर्क में भी थी और उसने तीन आतंकवादियों को अपने घर पर पनाह भी दिया था वह इतनी ज्यादा कट्टरपंथी हो गई थी कि अपने वैज्ञानिक पति को तलाक देकर उसने आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के आतंकी भतीजे से दूसरा निकाह कर लिया जबकि वह 5 बच्चों की मां थी

और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से डिग्री ली.

11 सितंबर 2001 के हमले के कुछ समय बाद आफिया अमेरिका के कानून प्रवर्तन की नजर में आईं. अमेरिका की एफबीआई और न्याय विभाग ने मई 2004 के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आफिया को अलकायदा का संचालक और सूत्रधार बताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने वाले महीनों में अल-कायदा द्वारा हमले की योजना की खुफिया जानकारी की चेतावनी भी दी गई.

आफिया सिद्दीकी अभी अमेरिका की एक जेल में बंद है वह पिछले कई सालों से जेल में है और अमेरिकी कानून ने उसे जब तक वह जिंदा रहेगी तब तक जेल में रखने का सजा सुनाया है

एक बार अमेरिका के टेक्सास शहर में एक हमलावर ने चार लोगों को बंधक बना लिया और पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉ. आफिया सिद्दीकी की रिहाई की मांग करने लगा. हालांकि, पुलिस ने हमलावर को ढेर कर दिया और सभी लोगों को बचा लिया गया

यहां तक कि उसके कारनामे सुनकर अमेरिका की उस जेल में बंद दूसरी महिला कैदी जो अमेरिकी थी उन्होंने उसकी जमकर कंबल पिटाई भी कर दिया था जेल में उसके ऊपर तीन बार हमले हुए इसीलिए उसे जेल के एक विशेष सेल में रखा गया है

मैंने पहले भी कहा है अभी भी कह रहा हूं जो शांतिदूत जितना ज्यादा पढ़ा लेता है वह उतना ही बड़ा आतंकवादी बनता है यह अगर टेंपो चलाएंगे पंचर लगाएंगे तो कम से कम आतंकवादी तो नहीं बनेंगे

ओहदे की कीमत

 ओहदे की कीमत

चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास।

नौकरी के लिए चौबे जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी।

ब्याह कर देना चाहिए।

        मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, मिश्रा जी भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।

      सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया।

पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।

      सयानों ने सौदा साढ़े तीन में तय करा दिया।

बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि पब्लिक सर्विस कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।

चौबे- साले, नीच, कमीने... हरामजादे हैं कमीशन वाले...!

पत्नि- लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?

चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी... यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।

पत्नि- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने... हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया...  मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वो समझदार आदमी हैं।

प्रिय मिश्रा जी,
   अत्रं कुशलं तत्रास्तु !
          आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।
      आप स्वयं समझदार हैं,  नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।


       मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-

प्रिय चौबे जी,
    आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
      आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है। कलेक्टर बन कर आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी।
       मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।

आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा अभी भी विकराल रूप में है।

इसलिए सभी:- "बेटी पढाओ,दहेज मिटाओ"

क्या नीतीश कुमार अपने सपनों का गला खुद ही घोटेंगे?

क्या नीतीश कुमार अपने सपनों का गला खुद ही घोटेंगे?


नीतीश कुमार जब इंडिया गठबंधन की बैठकें अटेंड कर रहे थे, तभी उन्हें समझ आ गया था कि वे इंडिया गठबंधन में रहकर पीएम नहीं बन पाएंगे. क्योंकि ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित कर दिया था. नीतीश कुमार को संरक्षक भी नहीं बनाया जा रहा था.

नीतीश जानते थे कि इंडिया अलायंस में रहकर सीटें जीत भी गए तो JDU की सीटों का 'उचित मूल्य' उन्हें नहीं मिलेगा. तब सब 'धान बाइस पसेरी के हिसाब' से खरीदा जाएगा.

आगे चलकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ जाने का विकल्प चुना. वे जानते थे कि नरेंद्र मोदी के साथ जाना कम से कम बिहार में उन्हें सीटें तो जीता ही सकता है. क्योंकि बीजेपी और जेडीयू का समीकरण, कांग्रेस और आरजेडी के समीकरण पर भारी पड़ेगा.

हिंदुत्व की सांप्रदायिक राजनीतिक में अगर सीटें जीत लीं, तो बाद में उसका 'उचित दाम' लिया जा सकता है. इसलिए बिना किसी शिकायत के नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया था. और आपने सुना था बिहार विधानसभा में तेजस्वी यादव को यह कहते हुए हैं कि 'आप एक बार हमसे कहते... हम कभी कुछ कहे...'

नीतीश कुमार ने विधानसभा में कुछ नहीं कहा, लेकिन अब नीतीश कुमार के पास सीटें हैं, इंडिया गठबंधन को उनकी जरूरत भी है. लोग पलकें बिछाए उनका इंतजार कर रहे हैं. नीतीश को जो भाव आज मिल रहा है, वह इंडिया गठबंधन में रहते हुए नहीं मिल रहा था, नीतीश कुमार ने मोदी के खिलाफ पहले विपक्षी पार्टियों को एकजुट किया. और खुद अलग हो गए... मोदी के साथ मिलकर सीटें जीतीं और अब मोदी सोच रहे हैं कि बंदा पलटी न मार जाए...

लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान औरंगाबाद की रैली में जब नीतीश कुमार ने मंच पर मौजूद नरेंद्र मोदी की ओर देखते हुए कहा कि अब हम आप ही के साथ रहेंगे... कहीं नहीं जाएंगे... तो मोदी ने जोर का ठहाका लगाया. चिराग के चाचा पशुपति पारस भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे.

पटना में रोड शो के दौरान नीतीश कुमार को बीजेपी ने बेइज्जत किया. लेकिन नीतीश कुमार ये सब सहते रहे. ऐसा व्यवहार करते रहे जैसे मानसिक स्वास्थ्य पर उम्र का असर हो गया है... लेकिन 4 जून की दोपहर के बाद नीतीश कुमार का स्वास्थ्य एकदम ठीक हो गया है.

सत्ता का कंट्रोल अपने हाथ में रहे... ये एहसास किसी भी दवा से ज्यादा असर करता है. 4 जून की शाम को बीजेपी हेडक्वार्टर में मोदी का चेहरा देख आप इस बात को समझ सकते हैं.

पिछले दो साल में नीतीश कुमार ने जो भी किया है, वह सिर्फ पीएम बनने के लिए किया है. 2019 में आरसीपी सिंह को केंद्र में मंत्री बनवाकर वह हाथ जला चुके हैं... लिहाजा वह अब किसी और के लिए 'गृह मंत्रालय' नहीं मांगेंगे, क्योंकि इंडिया एलायंस में पीएम का पोस्ट खाली है.

नीतीश कुमार को समझ आ गया है, प्यार का इजहार अपने ही मुंह से करना होगा... किसी और के मुंह से कहलवाने का कोई फायदा नहीं है. इंडिया गठबंधन को पता है कि बंदे के पास तुरुप के इक्के हैं... जो मोदी को पीएम की कुर्सी से उतार सकते हैं. पांसे एकदम नीतीश कुमार के फेवर में पड़े हैं. 'मोदी के साथ रहना अपने ही हाथों अपने सपने का गला घोंटना होगा...'

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित कर सकता है, वह पृथ्वी पर कई वर्षों तक जीवित रह सकता है।

 

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित कर सकता है, वह पृथ्वी पर कई वर्षों तक जीवित रह सकता है। पुरुषों को यह नहीं पता कि उनकी कुछ असफलताएँ कई गर्लफ्रेंड के कारण होती हैं। सभी लड़कियों में अच्छी भावनाएँ नहीं होती हैं। कुछ शैतान होती हैं, तो कुछ के पैरों में जहर होता है। कुछ महिलाएँ भाग्य का नाश करने वाली होती हैं, सावधान रहें। ध्यान से देखें: 1. एक असली पुरुष के जीवन में केवल एक महिला होती है। 2. हर समय अपने इरेक्शन का पालन न करें। अधिकांश इरेक्शन आपको गुमराह करते हैं। यदि आप नहीं चाहते कि आपके पास पृथ्वी पर बहुत गरीबी के साथ कुछ दिन हों, तो अपने इरेक्शन को नियंत्रित करें। 3. किसी महिला के साथ डेट न करें क्योंकि उसके कर्व्स, स्तन और सेक्सी फिगर है। ये चीजें केवल भ्रामक हैं, ऐसी चीजों से बचें, सोशल मीडिया पर कही जाने वाली विडंबनाओं के झांसे में न आएं। 4. स्कर्ट के नीचे जो कुछ भी आप देखते हैं, उसे खाने के लिए आपको मेहनत नहीं करनी चाहिए, कुछ स्कर्ट में सांप होते हैं जो आपको काटते हैं और आपको असहज बनाते हैं। अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रित करें। अधिकांश मामलों में आत्म-नियंत्रण और संयम बहुत काम आता है। 5. किसी महिला से शादी करने का मतलब यह नहीं है कि वह आपकी मालिक है। उसके साथ सम्मान से पेश आएं उसे अपनी रानी बनाएं, प्यार करें, उसका सम्मान करें और उसे आपके साथ वैसा ही व्यवहार करने के कारण दें। 6. कई गर्लफ्रेंड होने से आप पुरुष नहीं बन जाते। यह आपको सिर्फ़ महिलाओं का लालची, धोखेबाज़ और लड़का बनाता है। 7. सिर्फ़ इसलिए कि आप बिस्तर में अच्छे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप पुरुष हैं। एक असली पुरुष वह होता है जो अपनी ज़िम्मेदारी से भागता नहीं बल्कि उसका सामना करता है। 8. किसी भी महिला का सम्मान करें जो आपसे प्यार करती है हाँ, एक महिला के लिए आप पर अपना प्यार लुटाना और आपके भविष्य का समर्थन करना आसान नहीं है। 9. दुनिया सफल पुरुषों का जश्न मनाती है कोई भी आपकी कई गर्लफ्रेंड होने की वजह से जश्न नहीं मनाएगा। तो फिर क्या मतलब है? ऊर्जा, पैसे और बर्बाद शुक्राणु की बर्बादी। याद रखें, ईमानदार, वफ़ादार और वफादार होना एक असली पुरुष की पहचान है। हमेशा याद रखें कि कॉपी किया गया


दुनिया के कुछ ऐसे तथ्य आप को यह जानकर हैरानी होगी ?

 

दुनिया के कुछ ऐसे तथ्य आप को यह जानकर हैरानी होगी ?


1- क्या आप जानते है सूअरों के लिए आकाश की और देखना असंभव है और सूअर को शीशे में देखने से डर लगता है।

2- एक सामान्य मनुष्य के शरीर में जितनी शक्कर होती है जिससे 10 कप चाय मीठी की जा सकती है।

3-अगर एक चींटी का आकार आदमी जितना हो तो वो कार से दुगनी स्पीड में दौड़ेगी

4- लोग आपके बारे में अच्छा सुनने पर शक करते है पर बुरा सुनने पर तुरंत यकीन कर लेते हैं।

5- क्या आप जानते है हर रोज़ सोने की अंगूठी पहनने से 1 साल में करीब 6 मिलीग्राम सोना घट जाता है।

6- एक व्यक्ति बिना खाने के एक महीना रह सकता है पर बिना पानी के सिर्फ 7 दिन ही जी सकता है।

7-यदि चोंट पर चीनी लगा ली जाये तो दर्द कम हो जाता है।

8- अगर एक कमरे में 20 लोग हैं तो 50% संभावना है कि किन्हीं दो की जन्म तारीख समान होगी।

9- दुनिया की सबसे लम्बी गुफा वियतनाम में है। यह इतनी लम्बी है की इसमें एक जंगल, नदी और वातावरण है।

10- जब हिप्पो घबराता है तो उसका पसीना लाल हो जाता है।

11- ग्रीक और बुलगारिया में एक युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक कुत्ता उनका border पार कर गया था।

12- 64 प्रतिशत अमेरिकियों सेंस ऑफ़ ह्यूमर को संबंधों की सफलता में सबसे खास गुण समझते हैं।

13- आप जैसे दिखने वाले लोग दुनियां में कम से कम 6 लोग होते है और इनसे मिलने की गुंजाइश केवल 9% होती है।

14- आपने PUBG गेम का नाम तो जरूर सुना होगा। पर क्या आप जानते हैं PUBG गेम एक दिन में कितना कमाता है। सुपर-डेटा के अनुसार, PUBG गेम कंपनी ने वर्ष 2018 में $ 1 बिलियन या भारतीय रुपये में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की थी। और इस हिसाब से खेल की प्रतिदिन की कमाई लगभग 20 करोड़ रुपये है।

15- अमेरिका में हर सेकंड 100 पाउंड चॉकलेट खाई जाती है।

16- यदि आप पुदीना खाते वक्त अपनी नाक बंद कर लेंगे तो आपको उसका स्वाद नहीं आएगा।

17- टूथपेस्ट को कपडों पर लगाकर सूखने के बाद धो देने से दाग निकल जाते हैं।

18- क्या आप जानते हैं सिगरेट को हिंदी में धूम्रपान दंडिका कहते हैं हैं।

19- अमेरिका में सितंबर माह में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं।

20- किसी भी भाषा को लड़कियां, लड़कों की तुलना में जल्दी सीख जाती हैं और अधिक कठिन शब्दों का प्रयोग करती हैं।

21- दो केलों में 40 मिनट तक कड़े व्यायाम करने के लिए ऊर्जा होती है। केले को ख़ुशी देने वाला फल भी कहा जाता है।

22- दुनिया के 11 प्रतिशत लोग अपने बाएं हाथ का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।

23- बाएं हाथ से काम करने वाले लोग दाएं हाथ से काम करने वाले लोगों की तुलना में कंप्यूटर गेम्स और अन्य खेलों में ज्यादा तेज़ी से काम करते हैं।

24- यदि आप चाहते हैं की आपका ध्यान काम में लगा रहे तो बैकग्राउंड में हल्का म्यूजिक बजा दें।

25- यदि मकड़ी को जलाया जाये तो वो बारूद की तरह फट जाएगी

26- तेंदुआ अँधेरी रात में भी अच्छी तरह से देख सकता है।

27- कोई भी व्यक्ति लगातार 11 दिन तक जाग सकता है, इससे ज्यादा नहीं।

28- काक्रोच अपने 6 पैरों से एक सेकंड में लगभग 1 मीटर की दूरी तय कर लेता है।

29- ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति जल्दी निराश हो जाते हैं। वो भावनात्मक रूप में कमज़ोर होते हैं और अपने आप को अकेला महसूस करते हैं।

30- दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला पॉसवर्ड 111111, 101010 , 123456 है।

पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏

जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....

जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।
।।सीताराम।।

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