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गुरुवार, 11 नवंबर 2021

उत्सव के बाद का नीरव सन्नाटा हमें गहरे तक परेशान करता है।


 उत्सव के बाद का नीरव सन्नाटा हमें गहरे तक परेशान करता है।
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        हम भारतीय उत्सव को मनाते नहीं, उत्सव में सराबोर होते हैं। उत्सव हमारे मन में छिपी गुदगुदी होती है जिसे हम बड़ी मासूमियत से साल भर अपने अंदर संजोकर रखते हैं.....हमारे अपनों के लिए, हमारे प्रिय, हमारे परिजन, हमारे दोस्तों के लिए। उत्सव मौका होता है हम सब के लिए इकट्ठा होने का, मिलने का, स्मृतियों को जीने का, नई स्मृतियों को रचने का। आज जो कुछ लिख रहा हूँ वो अपने परिवार, अपने ऑफिस, अपने काम या अपने काम से जुडी किसी योजना से जुड़ी बात नहीं है। बात हम हर आम भारतीय की है, उसके अंदर गहरे तक रचे-बसे इमोशन की है। अब जबकि दीपावली की रौनक और उल्लास खत्म हो चुकी है तो मैं इस उत्सव के बाद के नीरव सन्नाटे के बारे में सोच रहा हूँ, इस नीरवता को भीतर तक महसूस कर रहा हूँ। छुट्टियां खत्म हुई है और अब किसी का बेटा, किसी की बिटिया, किसी का भाई, किसी की बहिन, किसी की बहू, पोते-पोतियां वापिस वहां जाने की तैयारी में होंगे, शायद किसी के तो जा भी चुके होंगे। जाना वहाँ, जहां वो काम करते है, पढ़ाई करते हैं। उल्लास के बाद का ये विरह सोचिये। घर से लौटकर अब ये सभी वापिस किराए और शेयरिंग के बोझिल मकान, खाली फ्लैट, पराये हॉस्टल में जाएंगे। पीछे अपने घर को मकान बनाकर और अब अपने नये मकां को घर बनाने की फिराक में।
दुनिया में कोई एजेंसी ऐसी नहीं है जो उत्सव के बाद के इस विरह, नीरवता, माँ-बाप की अपने बेटे-बेटियों के सकुशल यात्रा की चिंता, उनके कन्सर्न, इमोशन, बच्चों की खुद के भविष्य की चिंता, असुरक्षा का डाटा तैयार कर सके। आज बस-स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर कितने आंसू निकले होंगे, कितने दिल बोझिल हुए होंगे, कितनो ने अपनी भावनायें छिपाकर नकली मजबूती दिखाते हुए पूछा होगा- इस बार लंबी छुट्टी लेकर आना, कोई नही जानता। भारतीय माँ और पिता की वही हमेशा वाली बाते हुई होंगी- बेटा, पानी ले लिया ना। छुट्टे पैसे तो होंगे ना। खाना खा लेना टाइम पर। मिठाई खुद भी खाना, हमेशा जैसे दोस्तों में बाँट मत देना। टैक्सी कर लेना, तंग मत होना। एक दादी अपने पोते को ट्रेन से रवाना होने से पहले तक अपनी बहू को नही देती। उन हाथों को मस्क को रूह तक उतारना है उसे। उसकी अपनी बहू से लाख तरह की नौक-झौंक और शिकायत होगी पर उसे भी मालूम है कि यही खट्टा-मीठा रिश्ता शायद हर घर की रौनक होती है जिसकी कमी उसको खलेगी। ट्रेन की सीटी बजती है और पोते को दादी के हाथों से लेकर बहु पैर छूती है। नर्म हाथों से छुए बूढ़े पैरो में सिहरन है, आँखों में नमी और दिल में बोझ। इस उम्र में अपना शहर छोड़ जा नहीं सकने की मजबूरी और अपनों के बिन भी रह पाने की कमजोरी।
हम और हमारे इमोशन। गुडबाय से पहले के इमोशन। अगले कुछ दिन, कुछ महीनों, कुछ साल के लिए होने वाले इस गुडबाय में सारा प्यार, अफेक्शन और चिंता इन अंतिम 20 मिनिट में सिमट कर क्यों आ जाती है। क्यों रवाना होने से पहले का ये गुडबाय बोलना जरूरी होता है। घर से ही गुडबाय क्यों नहीं होता। घर वाला गुडबाय स्टेशन, बस-स्टैंड और एयरपोर्ट जैसी यांत्रिक और निर्जीव जगह पर ही क्यों निकलता है। इतनी पवित्र भावनाओ का मशीनी जगह पर आना भी कम कमाल नहीं है। मशीनों के बीच मानव मन। ट्रैन, बस और एयरोप्लैन धीरे धीरे आगे बढ़ जाते हैं। अपने पीछे कुछ छोड़ कर, कुछ अंदर तक तोड़ कर।
*कहीं से लौट आने और कहीं से लौट जाने के बीच एक पूरी दुनिया होती है।☺🌹

हनुमानजी के पंचमुखी रूप की कथा


 आज हम आपको हनुमानजी के पंचमुखी रूप की कथा विस्तार से बतायेगें!!!!!!





 लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया। रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया।

रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई। रावण को याद आया कि यह दोनों तो उसके बचपन के मित्र रहे हैं।

लंका का राजा बनने के बाद उनकी सुध ही नहीं रही थी। रावण यह भली प्रकार जानता था कि अहिरावण व महिरावण तंत्र-मंत्र के महा पंडित, जादू टोने के धनी और मां कामाक्षी के परम भक्त हैं।

रावण ने उन्हें बुला भेजा और कहा कि वह अपने छल बल, कौशल से श्री राम व लक्ष्मण का सफाया कर दे। यह बात दूतों के जरिए विभीषण को पता लग गयी। युद्ध में अहिरावण व महिरावण जैसे परम मायावी के शामिल होने से विभीषण चिंता में पड़ गए।

विभीषण को लगा कि भगवान श्री राम और लक्ष्मण की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी करनी पड़ेगी. इसके लिए उन्हें सबसे बेहतर लगा कि इसका जिम्मा परम वीर हनुमान जी को सौंप दिया जाए।

राम-लक्ष्मण की कुटिया लंका में सुवेल पर्वत पर बनी थी। हनुमान जी ने भगवान श्री राम की कुटिया के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा खींच दिया। कोई जादू टोना तंत्र-मंत्र का असर या मायावी राक्षस इसके भीतर नहीं घुस सकता था।

अहिरावण और महिरावण श्री राम और लक्ष्मण को मारने उनकी कुटिया तक पहुंचे पर इस सुरक्षा घेरे के आगे उनकी एक न चली, असफल रहे। ऐसे में उन्होंने एक चाल चली। महिरावण विभीषण का रूप धर के कुटिया में घुस गया।

राम व लक्ष्मण पत्थर की सपाट शिलाओं पर गहरी नींद सो रहे थे। दोनों राक्षसों ने बिना आहट के शिला समेत दोनो भाइयों को उठा लिया और अपने निवास पाताल की और लेकर चल दिए।

विभीषण लगातार सतर्क थे। उन्हें कुछ देर में ही पता चल गया कि कोई अनहोनी घट चुकी है. विभीषण को महिरावण पर शक था, उन्हें राम-लक्ष्मण की जान की चिंता सताने लगी।

विभीषण ने हनुमान जी को महिरावण के बारे में बताते हुए कहा कि वे उसका पीछा करें। लंका में अपने रूप में घूमना राम भक्त हनुमान के लिए ठीक न था सो उन्होंने पक्षी का रूप धारण कर लिया और पक्षी का रूप में ही निकुंभला नगर पहुंच गये।

निकुंभला नगरी में पक्षी रूप धरे हनुमान जी ने कबूतर और कबूतरी को आपस में बतियाते सुना। कबूतर, कबूतरी से कह रहा था कि अब रावण की जीत पक्की है। अहिरावण व महिरावण राम-लक्ष्मण को बलि चढा देंगे। बस सारा युद्ध समाप्त।

कबूतर की बातों से ही बजरंग बली को पता चला कि दोनों राक्षस राम लक्ष्मण को सोते में ही उठाकर कामाक्षी देवी को बलि चढाने पाताल लोक ले गये हैं। हनुमान जी वायु वेग से रसातल की और बढे और तुरंत वहां पहुंचे।

हनुमान जी को रसातल के प्रवेश द्वार पर एक अद्भुत पहरेदार मिला। इसका आधा शरीर वानर का और आधा मछली का था। उसने हनुमान जी को पाताल में प्रवेश से रोक दिया।

द्वारपाल हनुमान जी से बोला कि मुझ को परास्त किए बिना तुम्हारा भीतर जाना असंभव है। दोनों में लड़ाई ठन गयी। हनुमान जी की आशा के विपरीत यह बड़ा ही बलशाली और कुशल योद्धा निकला।

दोनों ही बड़े बलशाली थे। दोनों में बहुत भयंकर युद्ध हुआ परंतु वह बजरंग बली के आगे न टिक सका। आखिर कार हनुमान जी ने उसे हरा तो दिया पर उस द्वारपाल की प्रशंसा करने से नहीं रह सके।

हनुमान जी ने उस वीर से पूछा कि हे वीर तुम अपना परिचय दो। तुम्हारा स्वरूप भी कुछ ऐसा है कि उससे कौतुहल हो रहा है। उस वीर ने उत्तर दिया- मैं हनुमान का पुत्र हूं और एक मछली से पैदा हुआ हूं। मेरा नाम है मकरध्वज।

हनुमान जी ने यह सुना तो आश्चर्य में पड़ गए। वह वीर की बात सुनने लगे। मकरध्वज ने कहा- लंका दहन के बाद हनुमान जी समुद्र में अपनी अग्नि शांत करने पहुंचे। उनके शरीर से पसीने के रूप में तेज गिरा।

उस समय मेरी मां ने आहार के लिए मुख खोला था। वह तेज मेरी माता ने अपने मुख में ले लिया और गर्भवती हो गई। उसी से मेरा जन्म हुआ है। हनुमान जी ने जब यह सुना तो मकरध्वज को बताया कि वह ही हनुमान हैं।

मकरध्वज ने हनुमान जी के चरण स्पर्श किए और हनुमान जी ने भी अपने बेटे को गले लगा लिया और वहां आने का पूरा कारण बताया। उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि अपने पिता के स्वामी की रक्षा में सहायता करो

मकरध्वज ने हनुमान जी को बताया कि कुछ ही देर में राक्षस बलि के लिए आने वाले हैं। बेहतर होगा कि आप रूप बदल कर कामाक्षी कें मंदिर में जा कर बैठ जाएं। उनको सारी पूजा झरोखे से करने को कहें।

हनुमान जी ने पहले तो मधु मक्खी का वेश धरा और मां कामाक्षी के मंदिर में घुस गये। हनुमान जी ने मां कामाक्षी को नमस्कार कर सफलता की कामना की और फिर पूछा- हे मां क्या आप वास्तव में श्री राम जी और लक्ष्मण जी की बलि चाहती हैं ?

हनुमान जी के इस प्रश्न पर मां कामाक्षी ने उत्तर दिया कि नहीं। मैं तो दुष्ट अहिरावण व महिरावण की बलि चाहती हूं। यह दोनों मेरे भक्त तो हैं पर अधर्मी और अत्याचारी भी हैं। आप अपने प्रयत्न करो, सफल रहोगे।

मंदिर में पांच दीप जल रहे थे। अलग-अलग दिशाओं और स्थान पर मां ने कहा यह दीप अहिरावण ने मेरी प्रसन्नता के लिए जलाये हैं जिस दिन ये एक साथ बुझा दिए जा सकेंगे, उसका अंत सुनिश्चित हो सकेगा।

इस बीच गाजे-बाजे का शोर सुनाई पड़ने लगा। अहिरावण, महिरावण बलि चढाने के लिए आ रहे थे। हनुमान जी ने अब मां कामाक्षी का रूप धरा। जब अहिरावण और महिरावण मंदिर में प्रवेश करने ही वाले थे कि हनुमान जी का महिला स्वर गूंजा।

हनुमान जी बोले- मैं कामाक्षी देवी हूं और आज मेरी पूजा झरोखे से करो। झरोखे से पूजा आरंभ हुई ढेर सारा चढावा मां कामाक्षी को झरोखे से चढाया जाने लगा। अंत में बंधक बलि के रूप में राम लक्ष्मण को भी उसी से डाला गया। दोनों बंधन में बेहोश थे।

हनुमान जी ने तुरंत उन्हें बंधन मुक्त किया। अब पाताल लोक से निकलने की बारी थी पर उससे पहले मां कामाक्षी के सामने अहिरावण महिरावण की बलि देकर उनकी इच्छा पूरी करना और दोनों राक्षसों को उनके किए की सज़ा देना शेष था।

अब हनुमान जी ने मकरध्वज को कहा कि वह अचेत अवस्था में लेटे हुए भगवान राम और लक्ष्मण का खास ख्याल रखे और उसके साथ मिलकर दोनों राक्षसों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

पर यह युद्ध आसान न था। अहिरावण और महिरावण बडी मुश्किल से मरते तो फिर पाँच पाँच के रूप में जिदां हो जाते। इस विकट स्थिति में मकरध्वज ने बताया कि अहिरावण की एक पत्नी नागकन्या है।

अहिरावण उसे बलात हर लाया है। वह उसे पसंद नहीं करती पर मन मार के उसके साथ है, वह अहिरावण के राज जानती होगी। उससे उसकी मौत का उपाय पूछा जाये। आप उसके पास जाएं और सहायता मांगे।

मकरध्वज ने राक्षसों को युद्ध में उलझाये रखा और उधर हनुमान अहिरावण की पत्नी के पास पहुंचे। नागकन्या से उन्होंने कहा कि यदि तुम अहिरावण के मृत्यु का भेद बता दो तो हम उसे मारकर तुम्हें उसके चंगुल से मुक्ति दिला देंगे।

अहिरावण की पत्नी ने कहा- मेरा नाम चित्रसेना है। मैं भगवान विष्णु की भक्त हूं। मेरे रूप पर अहिरावण मर मिटा और मेरा अपहरण कर यहां कैद किये हुए है, पर मैं उसे नहीं चाहती। लेकिन मैं अहिरावण का भेद तभी बताउंगी जब मेरी इच्छा पूरी की जायेगी।

हनुमान जी ने अहिरावण की पत्नी नागकन्या चित्रसेना से पूछा कि आप अहिरावण की मृत्यु का रहस्य बताने के बदले में क्या चाहती हैं ? आप मुझसे अपनी शर्त बताएं, मैं उसे जरूर मानूंगा।

चित्रसेना ने कहा- दुर्भाग्य से अहिरावण जैसा असुर मुझे हर लाया. इससे मेरा जीवन खराब हो गया. मैं अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलना चाहती हूं। आप अगर मेरा विवाह श्री राम से कराने का वचन दें तो मैं अहिरावण के वध का रहस्य बताऊंगी।

हनुमान जी सोच में पड़ गए. भगवान श्री राम तो एक पत्नी निष्ठ हैं। अपनी धर्म पत्नी देवी सीता को मुक्त कराने के लिए असुरों से युद्ध कर रहे हैं। वह किसी और से विवाह की बात तो कभी न स्वीकारेंगे। मैं कैसे वचन दे सकता हूं ?

फिर सोचने लगे कि यदि समय पर उचित निर्णय न लिया तो स्वामी के प्राण ही संकट में हैं. असमंजस की स्थिति में बेचैन हनुमानजी ने ऐसी राह निकाली कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।

हनुमान जी बोले- तुम्हारी शर्त स्वीकार है पर हमारी भी एक शर्त है. यह विवाह तभी होगा जब तुम्हारे साथ भगवान राम जिस पलंग पर आसीन होंगे वह सही सलामत रहना चाहिए। यदि वह टूटा तो इसे अपशकुन मांगकर वचन से पीछे हट जाऊंगा।

जब महाकाय अहिरावण के बैठने से पलंग नहीं टूटता तो भला श्रीराम के बैठने से कैसे टूटेगा ! यह सोच कर चित्रसेना तैयार हो गयी। उसने अहिरावण समेत सभी राक्षसों के अंत का सारा भेद बता दिया.

चित्रसेना ने कहा- दोनों राक्षसों के बचपन की बात है. इन दोनों के कुछ शरारती राक्षस मित्रों ने कहीं से एक भ्रामरी को पकड़ लिया। मनोरंज के लिए वे उसे भ्रामरी को बार-बार काटों से छेड रहे थे।

भ्रामरी साधारण भ्रामरी न थी। वह भी बहुत मायावी थी किंतु किसी कारण वश वह पकड़ में आ गई थी। भ्रामरी की पीड़ा सुनकर अहिरावण और महिरावण को दया आ गई और अपने मित्रों से लड़ कर उसे छुड़ा दिया।

मायावी भ्रामरी का पति भी अपनी पत्नी की पीड़ा सुनकर आया था। अपनी पत्नी की मुक्ति से प्रसन्न होकर उस भौंरे ने वचन दिया था कि तुम्हारे उपकार का बदला हम सभी भ्रमर जाति मिलकर चुकाएंगे।

ये भौंरे अधिकतर उसके शयन कक्ष के पास रहते हैं। ये सब बड़ी भारी संख्या में हैं। दोनों राक्षसों को जब भी मारने का प्रयास हुआ है और ये मरने को हो जाते हैं तब भ्रमर उनके मुख में एक बूंद अमृत का डाल देते हैं।

उस अमृत के कारण ये दोनों राक्षस मरकर भी जिंदा हो जाते हैं। इनके कई-कई रूप उसी अमृत के कारण हैं। इन्हें जितनी बार फिर से जीवन दिया गया उनके उतने नए रूप बन गए हैं. इस लिए आपको पहले इन भंवरों को मारना होगा।

हनुमान जी रहस्य जानकर लौटे। मकरध्वज ने अहिरावण को युद्ध में उलझा रखा था। तो हनुमान जी ने भंवरों का खात्मा शुरू किया। वे आखिर हनुमान जी के सामने कहां तक टिकते।

जब सारे भ्रमर खत्म हो गए और केवल एक बचा तो वह हनुमान जी के चरणों में लोट गया। उसने हनुमान जी से प्राण रक्षा की याचना की। हनुमान जी पसीज गए। उन्होंने उसे क्षमा करते हुए एक काम सौंपा।

हनुमान जी बोले- मैं तुम्हें प्राण दान देता हूं पर इस शर्त पर कि तुम यहां से तुरंत चले जाओगे और अहिरावण की पत्नी के पलंग की पाटी में घुसकर जल्दी से जल्दी उसे पूरी तरह खोखला बना दोगे।

भंवरा तत्काल चित्रसेना के पलंग की पाटी में घुसने के लिए प्रस्थान कर गया। इधर अहिरावण और महिरावण को अपने चमत्कार के लुप्त होने से बहुत अचरज हुआ पर उन्होंने मायावी युद्ध जारी रखा।

भ्रमरों को हनुमान जी ने समाप्त कर दिया फिर भी हनुमान जी और मकरध्वज के हाथों अहिरावण और महिरावण का अंत नहीं हो पा रहा था। यह देखकर हनुमान जी कुछ चिंतित हुए।

फिर उन्हें कामाक्षी देवी का वचन याद आया। देवी ने बताया था कि अहिरावण की सिद्धि है कि जब पांचो दीपकों एक साथ बुझेंगे तभी वे नए-नए रूप धारण करने में असमर्थ होंगे और उनका वध हो सकेगा।

हनुमान जी ने तत्काल पंचमुखी रूप धारण कर लिया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख।

उसके बाद हनुमान जी ने अपने पांचों मुख द्वारा एक साथ पांचों दीपक बुझा दिए। अब उनके बार बार पैदा होने और लंबे समय तक जिंदा रहने की सारी आशंकायें समाप्त हो गयीं थी। हनुमान जी और मकरध्वज के हाथों शीघ्र ही दोनों राक्षस मारे गये।

इसके बाद उन्होंने श्री राम और लक्ष्मण जी की मूर्च्छा दूर करने के उपाय किए। दोनो भाई होश में आ गए। चित्रसेना भी वहां आ गई थी। हनुमान जी ने कहा- प्रभो ! अब आप अहिरावण और महिरावण के छल और बंधन से मुक्त हुए।

पर इसके लिए हमें इस नागकन्या की सहायता लेनी पड़ी थी। अहिरावण इसे बल पूर्वक उठा लाया था। वह आपसे विवाह करना चाहती है। कृपया उससे विवाह कर अपने साथ ले चलें। इससे उसे भी मुक्ति मिलेगी।

श्री राम हनुमान जी की बात सुनकर चकराए। इससे पहले कि वह कुछ कह पाते हनुमान जी ने ही कह दिया- भगवन आप तो मुक्तिदाता हैं। अहिरावण को मारने का भेद इसी ने बताया है। इसके बिना हम उसे मारकर आपको बचाने में सफल न हो पाते।

कृपा निधान इसे भी मुक्ति मिलनी चाहिए। परंतु आप चिंता न करें। हम सबका जीवन बचाने वाले के प्रति बस इतना कीजिए कि आप बस इस पलंग पर बैठिए बाकी का काम मैं संपन्न करवाता हूं।

हनुमान जी इतनी तेजी से सारे कार्य करते जा रहे थे कि इससे श्री राम जी और लक्ष्मण जी दोनों चिंता में पड़ गये। वह कोई कदम उठाते कि तब तक हनुमान जी ने भगवान राम की बांह पकड़ ली।

हनुमान जी ने भावा वेश में प्रभु श्री राम की बांह पकड़कर चित्रसेना के उस सजे-धजे विशाल पलंग पर बिठा दिया। श्री राम कुछ समझ पाते कि तभी पलंग की खोखली पाटी चरमरा कर टूट गयी।

पलंग धराशायी हो गया। चित्रसेना भी जमीन पर आ गिरी। हनुमान जी हंस पड़े और फिर चित्रसेना से बोले- अब तुम्हारी शर्त तो पूरी हुई नहीं, इसलिए यह विवाह नहीं हो सकता। तुम मुक्त हो और हम तुम्हें तुम्हारे लोक भेजने का प्रबंध करते हैं।

चित्रसेना समझ गयी कि उसके साथ छल हुआ है। उसने कहा कि उसके साथ छल हुआ है। मर्यादा पुरुषोत्तम के सेवक उनके सामने किसी के साथ छल करें यह तो बहुत अनुचित है। मैं हनुमान को श्राप दूंगी।

चित्रसेना हनुमान जी को श्राप देने ही जा हे रही थी कि श्री राम का सम्मोहन भंग हुआ। वह इस पूरे नाटक को समझ गये। उन्होंने चित्रसेना को समझाया- मैंने एक पत्नी धर्म से बंधे होने का संकल्प लिया है। इस लिए हनुमान जी को यह करना पड़ा। उन्हें क्षमा कर दो।

क्रुद्ध चित्रसेना तो उनसे विवाह की जिद पकड़े बैठी थी। श्री राम ने कहा- मैं जब द्वापर में श्री कृष्ण अवतार लूंगा तब तुम्हें सत्यभामा के रूप में अपनी पटरानी बनाउंगा। इससे वह मान गयी।

हनुमान जी ने चित्रसेना को उसके पिता के पास पहुंचा दिया. चित्रसेना को प्रभु ने अगले जन्म में पत्नी बनाने का वरदान दिया था। भगवान विष्णु की पत्नी बनने की चाह में उसने स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया।

श्री राम और लक्ष्मण, मकरध्वज और हनुमान जी सहित वापस लंका में सुवेल पर्वत पर लौट आये। (स्कंद पुराण और आनंद रामायण के सारकांड की कथा)

बुधवार, 10 नवंबर 2021

कद्दू का रस पीने के फायदे और बनाने की विधि


कद्दू का रस पीने के फायदे और बनाने की विधि

कद्दू का रस छोटे-छोटे मीठे कद्दू के गूदे से बनाया जाता है, जिसका कद्दू के मौसम में खूब लुफ्त उठाया जा सकता है। यह एक बहुत ही गुणकारी और स्वादिष्ट पेय है। कद्दू का रस स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन गुणों की खान है।
यह रस आपके हृदय की रक्षा करने, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पाचन प्रक्रिया में सुधार, अनिंद्रा में मदद, मतली को रोकने, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, त्वचा को स्वस्थ रखने और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

कद्दू के रस के फायदे - 
कद्दू का जूस या रस विटामिन सी, विटामिन ई, पोटेशियम, बायोटिन, एमिनो एसिड, बीटा कैरोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह और प्राकृतिक शर्करा से भरपूर होता है। इसके अलावा कद्दू के रस में विटामिन बी 1, विटामिन बी 2, विटामिन बी 6 जैसे विटामिन भी पाए जाते हैं।

कद्दू के रस में पाए जाने वाले विभिन्न औषधीय और चिकित्सकीय गुणों के कारण नियमित रूप से इसका सेवन करना चाहिए। तो आइये जानते हैं कद्दू के रस के लाभों के बारे में:


कद्दू का जूस पीने के फायदे रखें हार्ट को स्वस्थ - 
कद्दू जूस के फायदे बनाएं पाचन को बेहतर - 
पम्पकिन जूस के फायदे बढ़ाएं इम्यूनिटी - 
कद्दू के जूस का सेवन करे अनिंद्रा में - 
कद्दू का जूस के फायदे करे सूजन दूर - 
कद्दू के जूस का उपयोग है त्वचा के लिए लाभकारी - 
कद्दू का जूस है प्रेगनेंसी में फायदेमंद - 
कद्दू का रस पीने के फायदे रखें लिवर को स्वस्थ - 
कद्दू का जूस पीने के लाभ करें बालों का विकास - 
कद्दू का जूस पीने के फायदे रखें हार्ट को स्वस्थ - 
कद्दू के रस में पॉली फेनोलिक यौगिक और बीटा कैरोटीन जैसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को जमा होने से रोकने और धमनी को सख्त होने से बचाने में मदद कर सकते हैं। कद्दू का रस ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है।

इसके अलावा कद्दू का रस पीने से आपको दिल के दौरे, स्ट्रोक और हृदय रोग के जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।


कद्दू जूस के फायदे बनाएं पाचन को बेहतर - 
कद्दू के रस में भरपूर मात्रा में आहार फाइबर होता है, जो आपके पाचन तंत्र को बेहतर रखने में मददगार होता है। फाइबर मल को बढ़ाने और पेरिस्टाल्टिक गति (पेट में पाचक रस के बनने की गति) को बढ़ाने मदद कर सकता है। इससे आपको कब्ज, सूजन और पेट में ऐंठन से छुटकारा मिल सकता है। इसलिए अगर आप अपने पाचन तंत्र के स्वस्थ को बेहतर रखना चाहते हैं तो आज से कद्दू के जूस का सेवन शुरू कर सकते हैं।


पम्पकिन जूस के फायदे बढ़ाएं इम्यूनिटी - 

कद्दू के रस में विटामिन सी की काफी अधिक मात्रा पाई जाती है। विटामिन सी एस्कॉर्बिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है। यह उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है, जो अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाना चाहते हैं।

इसके अलावा विटामिन सी सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करता है। यह शरीर में एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद मिलती है।


कद्दू के जूस का सेवन करे अनिंद्रा में - 
कद्दू के रस में दर्द को दूर करने वाले गुण होते हैं। कद्दू के रस में मैग्नीशियम और ट्रिप्टोफेन (एक प्रकार का एमिनो एसिड) जैसे कुछ सक्रिय तत्व भी मौजूद होते हैं जो शरीर में न्यूरोट्रांसमीटर को रिलीज करते हैं जिससे आपको अच्छी तथा गहरी नींद आने में मदद मिलती है।

इसके अलावा यह रस अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसलिए अगर आपको नियमित रूप से नींद में कोई परेशानी होती है तो आप बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं।


कद्दू का जूस के फायदे करे सूजन दूर - 

कद्दू के रस में पाए जाने वाले कुछ सक्रिय तत्व एंटी-अर्थराइटिक प्रकृति के होते हैं। इसका मतलब है कि यह रस गठिया से जुड़ी इंफ्लमैशन, सूजन और दर्द को कम कर सकता है, इससे गठिया को दूर करने में मदद मिल सकती है।

हर सुबह एक गिलास कद्दू के रस का सेवन रूमेटोइड गठिया से ग्रस्त लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छा उपाय हो सकता है।


कद्दू के जूस का उपयोग है त्वचा के लिए लाभकारी - 
कद्दू के रस में पाए जाने वाले विटामिन सी और ई दोनों एंटीऑक्सीडेंट तत्व हैं। ये तत्व ऑक्सीडेटिव तनाव या बाहरी रोगाणुओं के कारण होने वाली त्वचा की जलन या सूजन को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

इसके अलावा इसमें बीटा कैरोटीन भी पाया जाता है जो त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में मदद करता है। कद्दू के रस में सभी विटामिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।


कद्दू का जूस है प्रेगनेंसी में फायदेमंद - 

गर्भवती महिलाओं के लिए कद्दू का रस लाभकारी साबित हो सकता है। इसमें मतली को दूर करने वाले प्रभाव होते हैं। मॉर्निंग सिकनेस लगभग सभी गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है, लेकिन कद्दू का रस जल्दी से पेट को पहले जैसी स्थिति में ले आता है।

कद्दू के जूस का सेवन एसिड के स्तर को फिर से संतुलित करने, चिंता मिटाने और नसों को शांत करने में सहायक हो सकता है। यह सब इसमें मौजूद दर्द को कम करने वाले गुणों के कारण होता है।  


कद्दू का रस पीने के फायदे रखें लिवर को स्वस्थ - 
कद्दू का रस आपके लिवर और किडनी के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। किडनी की पथरी और गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) की समस्याओं से पीड़ित लोगों को केवल दस दिनों के लिए दिन में तीन बार आधा गिलास कद्दू के रस का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें काफी फायदा महसूस होगा।


कद्दू का जूस पीने के लाभ करें बालों का विकास - 
हमारे बालों के लिए कद्दू के रस के लाभकारी गुणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं, कद्दू का रस विटामिन ए का एक बहुत ही अच्छा स्रोत है जो आपके सिर की त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

इसके अलावा, इसमें पोटेशियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है। यह एक पोषक तत्व है जो बालों के विकास को बढ़ाने में मदद करता है। यह बालों के झड़ने से रोकने के लिए एक लाभकारी उपाय होता है।


कद्दू का जूस बनाने की विधि - 
सामग्री :

1 छोटा मीठा कद्दू
4 आइस क्यूब्स
स्वाद के लिए विभिन्न मसाले (दालचीनी, जायफल, लौंग आदि)
बनाने की तैयारी :

सबसे पहले कद्दू को अच्छी तरह धो लें।
फिर एक पिलर या चाकू का उपयोग करके, कद्दू के छिलके को निकालें।
कद्दू को तीन टुकड़ों में काटें और बीज तथा लुगदी को बाहर निकालें।
इसके बाद बचे हुए कद्दू के टुकड़ों को छोटे छोटे स्लाइस में काटें और एक जूसर में डालें।
अब इसका रस निकाले और स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य मसालें मिक्स करें।
कद्दू का जूस पीने के लिए तैयार है, इसे ग्लास में डाल कर सेवन करें।


कद्दू के जूस के नुकसान -
कद्दू का जूस पीने से नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे:

कुछ लोगों को कद्दू के रस का सेवन करने से पेट में परेशानी हो सकती है। जिसमें मतली, दस्त, सूजन और ऐंठन जैसी समस्या हो सकती है। 
कुछ लोगों को कद्दू के सेवन से एलर्जी हो सकती है। इसलिए कद्दू के रस का मुंह से सेवन पेट की जलन, होंठ, जीभ और मसूड़ों की सूजन का कारण बन सकता है।
यह खून के थक्के को बनाने से रोकने में मदद कर सकता है। लेकिन जब इसका सेवन खून के थक्के बनने से रोकने वाली दवाओं के साथ सेवन किया जाता है तो यह ब्लीडिंग डिसऑर्डर को बढ़ा सकता है। इसलिए किसी भी ऑपरेशन से पहले इसका सेवन नहीं करना चाहिए

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370, राम मंदिर, तीन तलाक पर प्रतिरोध न होना, सबकुछ शांति से निपट जाने पर विपक्ष काफी चकित था, उसे इस तरह का निष्कंटक राज पसंद नहीं आ रहा था।

छूपा एजेंडा उजागर हुआ -                

देश को ये जानना बहुत जरूरी है कि जो मुसलमान ट्रिपल तलाक पर शांत रहा,धारा 370 पर शांत रहा,राम मंदिर पर शांत रहा वो नागरिक संशोधन बिल पर एकाएक आक्रमक क्यो हो गया ? असल मे इसकी वजह जानने के लिये हमें कुछ सालों पीछे जाना पड़ेगा। 
कुछ साल पहले *फ्रांस के राष्ट्रपति ने भारत को चेतावनी जारी करी थी कि आई एस ने भारत मे जिहाद फैलाने की साजिश रची है।*
इसके कुछ समय बाद *रशियन राष्ट्रपति पुतिन ने भी भारत को इस्लामिक जिहाद से सावधान रहने को कहा।*
इसी प्रकार *अमेरिकन इंटेलिजेंस एजंसियों ने भी भारत को सावधान किया था* कि इस्लामिक जिहादी भारत मे सक्रिय होकर कोई बहुत बड़ी कारवाई कर सकते है। *तमाम विश्व की खुफिया एजेंसियों की एक ही रिर्पोट थी कि भारत इस्लामिक जिहादियो के निशाने पर है।* 
उस समय के *यूनाइटेड नेशन के भूतपूर्व महासचिव मान की मून ने भी भारत को सावधान किया था*,लेकिन उस समय की *काँग्रेस सरकार ने मुस्लिम तुस्टीकरण की वजह से कोई कार्यवाही नही की।* लेकिन जैसे ही मोदी सरकार सत्ता में आयी तो इन लोगो ने इस्लामिक कट्टरपंथियों की साजिश पकड़ ली। Ngo और मानवाधिकार संगठनों की आड़ में इस्लामिक जिहादियो को संरक्षण दिया जा रहा था।भारत मे हिन्दू आबादी को खत्म करने के लिए घुसपैठ और धर्मान्तरण का सहारा लिया जा रहा था। जिसमे कांग्रेस,वामपंथियो के कद्दावर नेता तक शामिल थे। मोदी सरकार ने सबसे पहले इन Ngo और मानवाधिकार संगठनों को प्रतिबंधित किया और नोटबन्दी के माध्यम से इनको दिवालिया कर दिया। अब जैसे ही CAB पारित हुआ, वैसे ही इनके जहरीले मनसूबे ध्वस्त हो गए, ये लोग तिलमिला गए। अपनी पोल खुलने पर ये लोग आज बुरी तरह से तिलमिला गए है और हिंसा पर उतारू हो कर CAB का विरोध कर रहे है। इनके मनसूबे को देशहित और अपनी आनेवाली पीढ़ी के लिए जानना और समझना बहुत जरूरी है l

CAA मामला उतना सीधा भी नहीं जितना बताया जा रहा
कैब ( सीएबी ) यानी अब सीएए पर संसद में बहस सुन रहा था, दोनों पक्ष सरकार और प्रतिपक्ष जितनी सरल शब्दों में इसकी व्याख्या कर रहे थे असल में मामला उतना सीधा है नहीं। असल बात दोनों पक्षों ने छिपा ली। सरकार ने अपना दूरगामी लक्ष्य छिपा लिया और विपक्ष ने अपनी हार की तिलमिलाहट छिपाने के लिए संविधान की आड़ ले ली। कुछ बिंदुवार समझने की कोशिश करते हैं। 
 
"क्या हैं इसके दूरगामी परिणाम" 
-  सीएए के माध्यम से सरकार ने *पाकिस्तान और बांग्लादेश* की कमजोर नस पर ऐसा प्रहार किया है जिससे ये तिलमिला तो गए हैं , लेकिन अपना दर्द नहीं बयां कर पा रहे हैं। सरकार ने ये बिल लाकर बिना इनका नाम लिए बिना पूरी दुनिया को बता दिया , कि *इन देशों में अल्पसंख्यकों का उत्पीडऩ हो रहा है।* 
-  बिल पास होते ही बांग्लादेश को दुनिया के सामने अपनी इज्जत बचाने के लिए कहना पड़ा ,कि वह अपने सभी नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है। उसने स्वीकार भी किया कि उसके यहां अल्पसंख्यकों का उत्पीडऩ हुआ है। 
-  कश्मीर में उत्पीडऩ का आरोप लगाने वाले पाकिस्तान ने ऊल-जुलूल बयान दिया लेकिन यूएन की रिपोर्ट ने उसकी पोल खोल दी।
- इस बिल के आने से *पाकिस्तान और बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यकों का उत्पीडऩ हो रहा था वह अब एक दस्तावेजी रिकॉर्ड बन गया है,* जुबानी जमा खर्च नहीं है। भारत में जितने लोगों को यहां नागरिकता दी जाएगी ये दोनों देश उतने ही एक्सपोज होंगे। 
- *इस बिल के पास होने के बाद ही बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं को वापस लेने के लिए म्यांमार पर दबाव बना शुरू कर दिया है।* 
- इस बिल के आने के बाद भारत में रह रहे तमाम अल्पसंख्यक पीडि़त खुलकर बता सकेंगे कि वे किस देश से आए हैं, इससे इन देशों की और पोल खुलेगी। इसके चलते इनको अपने यहां उन कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा, जिनका उपयोग ये दोनों देश  भारत को ब्लैकमेल करने के लिए करते हैं। 

विपक्ष ने क्या छिपाया अपना दर्द
- *विपक्ष को पता है कि इसका भारत के नागरिकों पर असर नहीं पडऩे वाला लेकिन 370, राम मंदिर, तीन तलाक पर प्रतिरोध न होना, सबकुछ शांति से निपट जाने पर विपक्ष काफी चकित था, उसे इस तरह का निष्कंटक राज पसंद नहीं आ रहा था।*
- इसलिए उसने एनआरसी का डर दिखाकर लोगों को भड़काया, लेकिन देश में इतनी हिंसा हो गई इससे विपक्ष का ये पांसा भी उल्टा ही पड़ता दिखाई दे रहा है। 
- अमित शाह का ये कहना कि रोहिंग्या को हम रहने नहीं देंगे, एनआरसी तो हम लेकर ही आएंगे। भारत में पिछले 70 साल में इतनी स्पष्टता से संसद में किसी नेता ने भाषण नहीं दिया था। इस भाषण से देश के बहुत से स्वयंभू लोगों ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया, उनकी अकड़ को ठेस पहुंची। 
- *मौलाना, पर्सनल लॉ बोर्ड, फतवेबाजों के फफोले भी इस बिल के माध्यम से फूट पड़े* जो पिछले कई महीनों से इस सरकार की कारगुजारियों से कलेजे में पड़े हुए थे। *इन्हें अपनी भड़ास निकालने का मौका मिल गया।*

अब आगे क्या
- *मौलानाओं, धर्म के ठेकेदारों, पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी अवैध संस्थाओं को डर है कि ये सरकार कॉमन सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण कानून, एनआरसी पर बहुत तेजी से काम कर सकती है, इसलिए इसका एक ही उपाय है हिंसा।*
हिंसा फैलाकर देश-दुनिया का ध्यान खींचो, सरकार अपने आप कदम पीछे खींच लेगी। 
- सरकार इसको लिटमस टेस्ट भी मान सकती है क्योंकि 370, राम मंदिर, तीन तलाक पर जिस तरह से शांति रही थी, उससे सरकार मुगालते में आ गई थी, अब सरकार आगे की चीजों को करने से पहले अपनी जरूरी तैयारी करके रखेगी। 
- *अब शायद हिन्दू बोलते ही चीखने, हिंसा करने वालों को शायद समझ में आ जाए कि* एक तो चीखने का कोई फायदा नहीं, दूसरा आप लोग एक्सपोज हो चुके हो और तीसरा *इस देश के नागरिक हिन्दू भी हैं,  उनके लिए भी कुछ करने की जिम्मेदारी सरकार की है, सिर्फ एक ही समुदाय का तुष्टिकरण नहीं किया जा सकता।* 
- इस सख्ती का तात्कालिक फायदा ये होता दिख रहा है कि फिलहाल बाकी देशों से घुसपैठिए थोड़ा ठिठकेंगे, जो खिसक सकते हैं वे तुरंत यहां से खिसकेंगे।
- भारत को सराय समझने वाले यहां आने से पहले दस बार सोचेंगे। पड़ोसी सरकारें भी शायद हमारी सरकारों को गंभीरता से लेने लगेंगी, क्योंकि अब चीजें रिकॉर्ड पर आएंगी, हवाई किले बनाने के दिन लद गए।

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मंगलवार, 9 नवंबर 2021

कर्म-योग क्या है ?

*कर्म-योग क्या है ?*
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एक बार एक सात वर्ष का बालक रमन  महर्षि के पास आया! उन्हे प्रणाम कर उसने अपनी जिज्ञासा उनके समक्ष रखी! वह बोला- *'क्या आप मुझे बता सकते है कि कर्म-योग क्या है.? क्योंकि जब कभी भी मै यह प्रश्न अपने माता-पिता से पूछता हूँ, तो वे कहते है कि अभी तुम्हे इस विषय मे सोचने की आवश्यकता नही है! जब तुम बडे हो जाओगे, तो तुम्हे अपना आप समझ आ जाएगी!'*

बालक की बात सुनकर रमन-ऋषि बोले-*' मै तुम्हे इस प्रश्न का उतर दूँगा! पर अभी तुम यहाँ मेरे पास शांतिपूर्वक बैठ जाओ!'* बालक उनकी आज्ञा का पालन कर उनके पास जाकर बैठ गया! 

कुछ समय बाद, वहाँ एक व्यक्ति डोसे लेकर आया! उसने सभी डोसे रमन महर्षि के समक्ष रख दिए! किंतु महर्षि किसी भी वस्तु को अकेले ग्रहण नही करते थे! इसलिए महात्मा रमन ने डोसे का एक छोटा सा टुकडा अपने आगे रखा! फिर साथ बैठे उस बालक के पतल मे एक पूरा डोसा परोस दिया! उसके बाद वहाँ उपस्थित अन्य अनुयायियो मे शेष डोसे बाँटने का आदेश दिया! फिर उन्होने पास बैठे बालक से कहा- *'अब जब तक मै अँगुली उठाकर इशारा नही करता, तब तक तुम यह डोसा खाते रहोगे! हाँ..ध्यान रहे कि...मेरे इस सँकेत से पहले तुम्हारा डोसा खत्म नही होना चाहिए! पर जैसे ही मै अँगुली उठाकर सँकेत दूँ, तो पतल पर डोसे का एक भाग भी शेष नही रहना चाहिए! उसी क्षण डोसा खत्म हो जाना चाहिए!'*

*महर्षि के इन वचनो को सुनते ही बालक ने पूरी एकाग्रता से रमन-ऋषि पर दृष्टि टिका दी! उसका मुख बेशक ही डोसे के निवाले चबा रहा था, किंतु उसकी नजरे एकटक महात्मा रमन पर केन्द्रित थी! बालक ने शुरूआत मे बडे-बडे निवाले खाए! पर बाद मे, अधिक डोसा न बचने पर, उसने छोटे-छोटे निवाले खाने शुरू कर दिए! तभी अचानक उसे अपेक्षित संकेत मिला! इशारा मिलते ही बालक ने बचा हुआ डोसा एक ही निवाले मे मुख मे डाल दिया और निर्देशानुसार पतल पर कुछ शेष न रहा!*

बच्चे की इस प्रतिक्रिया को देखकर रमन-ऋषि बोले- *'अभी-अभी जो तुमने किया, वही वास्तविक मे कर्म-योग है!'* 

मह-ऋषि ने आगे समझाते हुए कहा- *'देखो! जब तुम डोसा खा रहे थे, तब तुम्हारा ध्यान केवल मुझ पर था! डोसे के निवाले मुख मे डालते हुए भी तुम हर क्षण मुझे ही देख रहे थे! ठीक इसी प्रकार संसार के सभी कार्य-व्यवहार करते हुए भी अपने मन-मस्तिष्क को ईश्वर (पूर्ण गुरू) पर केन्द्रित रखना! मतलब कि ईश्वर की याद में रह कर अपने सभी कर्तव्यो को पूर्ण करना! यही वास्तविक कर्म-योग है ।।*
             *।। जय सियाराम जी।।*
               *।। ॐ नमह शिवाय।।*

मुफ्त में मिलने वाला ओर हर कहीं पाये जाने वाले इस रसभरी के पोधे के फायदे...

यह साधारण सा दिखने वाला पौधा औषधीय गुणों से भरा है!यह एक प्रकार का छोटा सा पौधा होता है! जो वारिस के मौसम में कही भी आसानी से देखने को मिल जाता है! इस का वानस्पतिक नाम : Physalis peruviana है! इस के फलों के ऊपर एक पतला सा आवरण होता है। इस आवरण के अंदर गोल नारंगी रंग के या काले हरे रंग के फल निकलते हैं! फल आवरण के अंदर मौजूद होने के कारण इस को केप गुसबेरी भी कहा जाता है! कहीं - कहीं इसे 'मकोय' भी कहा जाता है। जब कि 'मकोय' का पौधा इस पौधे से काफी भिन्न है! छत्तीसगढ़ में इसे 'चिरपोटी'व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटपोटनी भी कहते हैं। * इसके फलों को खाया जाता है।इस के फल उत्तर प्रदेश के मथुरा वृंदावन में फलों की दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं! वहां के लोग इस के फलों को खूब पसंद करते हैं! इस के पौधे की मुख्य रूप से दो प्रजाति पाई जाती है! एक काले हरे रंग के फल वाली और दूसरी नारंगी रंग के फल वाली, किन्तु वर्तमान में इस की कई बड़े फल वाली हाइब्रिड किस्में भी तैयार कर ली गई हैं! जिस की अब व्यावसायिक स्तर पर खेती भी होने लगी है! इस के फल स्वाद में खट्टे मीठे होते हैं! एवं बहुत ही पौष्टिक होते हैं! इस के 100 ग्राम फलों में 53 केलोरी ऊर्जा होती है! इस के फल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है! पांचन तंत्र ठीक रहता है!हड्डियां मजबूत होती है! *** शुगर के मरीजों को यह फल सेहत में सुधार करने वाले होते हैं! इस के फलों में मौजूद तत्व हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है! इस के फलों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन A पाया जाता है! जो आँखों के लिए विशेष फायदेमंद होता है! इस के फलों का सेवन काफी हद तक कोलेस्ट्रोल के लेवल को भी नियंत्रित करता है! इस के फल रस से भरे होने के कारण इस को ''रसभरी'' कहते हैं!

इस का पौधा किसानो के लिये सिरदर्द माना जाता है। जब यह खर पतवार की तरह उगता है तो फसलों के लिये मुश्किल पैदा कर देता है।

#औषधीय_गुण:

रसभरी का फल और पंचांग (फल, फूल, पत्ती, तना, मूल) उदर रोगों (और मुख्यतः यकृत) के लिए लाभकारी है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है साथ ही भूख भी बढ़ती है। यह लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है। सूजन के ऊपर इसका पेस्ट लगाने से सूजन दूर होती है। रसभरी की पत्तियों में कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन-ए, विटामिन-सी पाये जाते हैं। इसके अलावा कैटोरिन नामक तत्त्व भी पाया जाता है जो ऐण्टी-आक्सीडैंट का काम करता है। बाबासीर में इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से लाभ होता है। संधिवात में पत्तियों का लेप तथा पत्तियों के रस का काढ़ा पीने से लाभ होता है। खांसी, हिचकी, श्वांस रोग में इसके फल का चूर्ण लाभकारी है। बाजार में अर्क-रसभरी मिलता है जो पेट के लिए उपयोगी है। सफेद दाग में पत्तियों का लेप लाभकारी है।* * यदि आप के पास भी इस पौधे के बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी हो तो हमे अवश्य बताएं!

रसभरी के फायदों और नुकसान..

रसभरी जिसे आमतौर पर लोग बहुत पसंद करते है और यह फल हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है रसभरी दक्षिड़ अमरीका और  यूरोप सहित  दुनिया के कई देशो से उत्पत्र  होता है  यह छोटे टमाटर जैसे दिखाई देते है क्या आप सभी को इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी नहीं होगी आइये जानते हैं इसके कुछ फायदे और नुक़सान

रसभरी के फ़ायदे:

 यह गठिया के लिए बहुत लाभदायक हैं.

रसभरी मधुमेह  के लिए तो बहुत अच्छा फल हैं इसके सेवन से मधुमेह  नियंत्रित रखता है रोज सुबह खली पेट उबालकर  पिए. यह फायदेमंद हैं. 

रसभरी में पॉलीफिनॉल केरिटिनॉयड्स पाया जाता हैं जो कैंसर से लड़ने में मदद करता हैं.

यह कॉलेस्ट्रॉल  को  नियंत्रित रखता  हैं.

यह आँखों सम्बन्धी सब बीमारियों को ठीक करता हैं रसभाई में काफी मात्रा में विटामिन ए पाया जाता हैं जो हमारे शरीर के साथ-साथ आँखों को भी ठीक रखता हैं.

इसका सेवन हाईब्लड प्रेशर को काम करता हैं.

इसमें फाईटोकैमिक्ले पाया जाता हैं जो हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ हैं और वह हार्ट सम्बन्धी सभी बीमारियों से भी लड़ता हैं. 

रसभरी के नुक़सान:

बिना पकी रसभरी को ना खए क्युकी यह जहरीला भी हो सकता हैं.

जंगली रसभरी को खाना भी हानिकारक हो सकता हैं.

अगर आपको बेरीज खाने से ऐलर्जी होती हैं तो आपको रसभरी खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह  कर ले .

स्तनपान करने वाली और गर्भवती को यह खाने से पहले अपने डॉक्टर  से सलाह कार ले  यह खतरनाक भी हो सकता हैं.







#रसभरी

सौंफ की चाय Fennel Tea के फायदे, नुकसान और बनाने की विधि

सौंफ की चाय  Fennel Tea के फायदे, नुकसान और बनाने की विधि 


क्‍या आप सौंफ की चाय पीने के फायदे जानते हैं। सौंफ के औषधीय गुणों को प्राप्‍त करने के लिए सौंफ के पानी की तरह सौंफ की चाय का भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है। माउथफ्रेशनर के रूप में उपयोग की जाने वाली सौंफ का उपयोग चाय के रूप में भी किया जा सकता है। सौंफ की चाय पीने के फायदे पाचन संबंधी समस्‍याओं को रोकने में सहायक होते हैं। सौंफ की चाय के औषधीय गुण मांसपेशियों की ऐंठन को रोकने, दस्‍त, अपच, पेट फूलना जैसी समस्‍याओं का इलाज करने में मदद करते हैं। सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने, वजन घटाने, श्वसन प्रणाली की रक्षा करने और शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को हटाने के लिए किया जा सकता है।



सौंफ की चाय क्‍या है


सौंफ की चाय एक आयुर्वेदिक पेय है जिसे सौंफ के बीजों से तैयार किया जाता है। सौंफ की चाय बनाने के लिए उबलते पानी में सौंफ के कुचले हुए बीजों को मिलाया जाता है। इस विशिष्‍ट स्‍वाद वाली सौंफ की चाय के फायदे हमें कई संभावित बीमारियों से बचा सकते हैं। अधिकांश आयुर्वेद चिकित्‍सक सौंफ के पानी पीने और सौंफ के बीज खाने की सलाह देते हैं। लेकिन सौंफ की चाय पीने के लाभ भी होते हैं जो आपकी पाचन समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं। अपनी ठंडी तासीर होने के कारण सौंफ की चाय शरीर को शीतलता दिलाने और पेट की जलन को शांत करने में प्रभावी मानी जाती है।


सौंफ की चाय के पोषक तत्‍व –

सौंफ के बीजों से बनने वाली चाय में विटामिन ए, विटामिन बी-कॉम्‍प्‍लेक्‍स, विटामिन सी और विटामिन डी की अच्‍छी मात्रा होती है। भोजन के बाद सौंफ का सेवन करना भारतीय घरों में एक आम प्रथा है। आपको देखने में लगता होगा कि सौंफ का उपयोग मुंह को साफ करने के लिए किया जाता है। हां यह सच है, लेकिन इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्‍व (Nutrients) जैसे कि कॉपर, पोटेशियम, कैल्शियम, जिंक, मैंगनीज, आयरन, सेलेनियम और मैग्‍नीशियम जैसे खनिजों की अच्‍छी मात्रा होती है। जो कि मुंह को साफ रखने से कहीं अधिक आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छे होते हैं। इनके अलावा भी सौंफ में फाइबर, फॉस्‍फोरस, फोलेट, पेंटोथेनिक एसिड (pantothenic acid), आयरन और नियासिन आदि भी मौजूद रहते हैं। आइए जाने इतने पोषक तत्‍वों की उपस्थिति के कारण सौंफ की चाय के फायदे हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए किस प्रकार हैं।

सौंफ की चाय पीने के फायदे –

आयुर्वेदिक सौंफ की चाय स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। इसमें विभिन्‍न प्रकार के एंटीऑक्‍सीडेंट और अन्‍य यौगिक होते हैं। जिनकी मौजूदगी हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने में सहायक होती है। वास्तव में सौंफ के बीज औषधीय गुणों के कारण इतने लोकप्रिय हैं कि इनका उपयोग कई दवाओं के निर्माण में किया जाता है। नियमित रूप से सौंफ की चाय पीने के फायदे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और सहनशक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं।

- सौंफ और सौंफ की चाय दोनों पेट के लिए रामबाण इलाज है। इसकी चाय पीने से गैस और सूजन को खत्म करने में मदद मिलेगी। पाचन तंत्र ठीक होगा।
- एसिडिटी, गैस, डायरिया, पेट दर्द में बहुत आराम मिलता है।
- पीरियड्स के दौरान सौंफ की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
- बॉडी का ब्लड प्यूरीफाई करने में भी मदद करता है।
- लिवर और किडनी को प्‍यूरी फाई करने में मदद करता है।
- बॉडी पर जमा एक्‍स्‍ट्रा वसा को कम करने में मदद करता है। इससे आपका वजन तेजी से कम होगा।
आइए विस्‍तार से जाने सौंफ की चाय पीना हमें किस प्रकार से लाभ पहुंचाता है।

सौंफ की चाय के फायदे वजन कम करे

सौंफ की चाय के फायदे वजन कम करे

जो लोग अपने मोटापे से परेशान हैं उनके लिए सौंफ की चाय पीना एक एक अच्‍छा घरेलू उपचार है। नियमित रूप से सौंफ के बीज खाना और इन बीजों को उबालकर इसके पानी को पीना फैट घटाने में मदद कर सकता है। सौंफ की चाय में मूत्र वर्धक गुण होते हैं जिसके कारण यह पेशाब को बढ़ावा दे सकती है। जिससे आपके शरीर में मौजूद विषाक्‍तता को आसानी से बाहर निकालने में मदद मिलती है। इसके अलावा सौंफ की चाय के गुण चयापचय को बढ़ावा देते हैं जिससे अतिरिक्‍त फैट और कैलोरी को जलाने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व आपकी भूख और भूख बढ़ाने वाले हार्मोन को भी नियंत्रित करते हैं। जिससे आपको अपना वजन कम करने में मदद मिल सकती है। 

सौंफ की चाय पीने के फायदे हार्टबर्न के लिए

फेनिल टी में फाइटोएस्‍ट्रोजन की अच्‍छी मात्रा होती है। जिसके कारण सौंफ की चाय पीना आपको हार्टबर्न जैसी समस्‍याओं से बचा सकता है। इस औषधीय पेय का सेवन करने से मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा जब भी आपको पाचन संबंधी समस्‍याओं या एसिड रिफ्लेस (acid reflux) का अनुभव हो तब भी आप सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस दौरान सौंफ की चाय का प्रयोग करना आपको पेट के दर्द और जलन से राहत दिला सकता है।


सौंफ की चाय के लाभ हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए

सौंफ की चाय के लाभ हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए

हार्ट से संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए सौंफ की चाय एक अच्‍छा उपाय है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि फेनिल टी में बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं। जो हृदय की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाए रखने में सहायक होते हैं। सौंफ की चाय में पोटेशियम की अच्‍छी मात्रा होती है जो वासोडिलेटर के रूप में कार्य करता है। इसका मतलब यह है कि सौंफ की चाय का सेवन करने से रक्‍त वाहिकाओं और धमनियों को स्‍वस्‍थ रखने में मदद मिलती है। जिससे स्‍वस्‍थ रक्‍त परिंसचरण को बढ़ावा मिलता है। सौंफ की चाय का प्रयोग करके आप एथेरोस्‍क्लेरोसिस (atherosclerosis) संबंधी समस्‍याओं से भी बच सकते हैं। जिससे दिल का दौरा, स्‍ट्रोक और हार्ट अटैक आदि की संभावना कम हो जाती है। आप भी अपने हृदय को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दैनिक आधार पर सौंफ की चाय का उपयोग कर सकते हैं।

सौंफ की चाय पीने के लाभ उच्‍च रक्‍तचाप के लिए

सौंफ की चाय पीने के लाभ उच्‍च रक्‍तचाप के लिए

उच्‍च रक्‍तचाप से ग्रसित रोगी को सौंफ की चाय पीने की सलाह दी जाती है। क्‍योंकि सौंफ की चाय पीने के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। सौंफ के बीजों में मौजूद पोटेशियम रक्‍त प्रवाह को नियंत्रित करने में अहम योगदान देते हैं। पोटेशियम संकुचित रक्‍त वाहिकाओं को फैलने में और उन्‍हें नरम रखने में मदद करता है। जिससे पूरे शरीर में उचित रक्‍त प्रवाह बना रहता है। यदि आप भी उच्‍च रक्‍तचाप संबंधी लक्षणों को कम करना चाहते हैं सौंफ की चाय आपके लिए एक प्राकृतिक उपाय साबित हो सकती है।


सौंफ की चाय के गुण कामेच्‍छा बढ़ाये

सौंफ की चाय के गुण कामेच्‍छा बढ़ाये

नियमित रूप से सौंफ की चाय पीना पुरुषों और महिलाओं में कामेच्‍छा को उत्‍तेजित करने में सहायक हो सकती है। सौंफ में मौजूद पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ शरीर की मांसपेशियों को आराम दिलाने, जननांगों में रक्‍त प्रवाह को बढ़ाने में सहायक होते हैं। जिससे यौन इच्‍छाओं को उत्‍तेजित करने में मदद मिलती है। नियमित रूप से सौंफ की चाय का सेवन पुरुषों के सेक्‍स टाइम को बढ़ाने का एक प्रभावी घरेलू नुस्‍खा हो सकता है।

सौंफ की चाय के औषधीय गुण नींद को बेहतर बनाएं

सौंफ की चाय के औषधीय गुण नींद को बेहतर बनाएं

रात में सोने से पहले सौंफ की चाय पीना आपकी नींद को बेहतर बना सकता है। यदि आप अनिद्रा या अन्‍य नींद से संबंधित परेशानियों का सामना कर रहे हैं तो सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। सौंफ की चाय में मौजूद मेलाटोनिन आपकी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है। रात के भोजन करने के तुरंत बाद सौंफ की चाय पीना सबसे अच्‍छा है। क्‍योंकि यह पाचन में सहायक होता है और शरीर को आराम दिलाने में मदद करता है। इसके अलावा यह शरीर में तनाव हार्मोन को भी नियंत्रित करता है जिससे आपको अच्‍छी नींद लेने में आसानी होती है।

सौंफ की चाय का उपयोग श्वसन तंत्र के लिए

अस्‍थमा और अन्‍य श्वसन समस्याओं के लिए सौंफ की चाय पीने का फायदा हो सकता है। नियमित रूप से सौंफ के बीजों को उबाल कर पीने से ब्रोंकाइटिस (bronchitis), खांसी और वायरस के संक्रमण आदि से छुटकारा पाया जा सकता है। श्वसन तंत्र में मौजूद कफ को दूर करने के लिए सौंफ की चाय सबसे अच्‍छे विकल्‍पों में से एक है। बलगम या कफ में संक्रामक रोगजनकों का विकास हो सकता है। इसके अलावा सौंफ की चाय में मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण गले की खराश और साइनस दबाव (sinus pressure) को रा‍हत देने में भी सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपनी श्वसन संबंधी समस्याओं का घरेलू उपचार करने के लिए सौंफ की चाय का प्रयोग कर सकते हैं।

सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल मुंह की बदबू दूर करे

सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल मुंह की बदबू दूर करे

सौंफ के बीज पाचन समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा सौंफ की चाय मुंह की बदबू का उपचार करने में भी फायदेमंद होती है। सौंफ की चाय में एंटीफंगल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं। जो मुंह में मौजूद बैक्‍टीरिया और अन्‍य रोग जनकों को नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। सौंफ की चाय का नियमित सेवन करने से मसूड़ों और दांतों को स्‍वस्‍थ रखने के साथ ही मुंह की बदबू से भी छुटकारा मिल सकता है।

सौंफ की चाय का प्रयोग स्‍वस्‍थ आंखों के लिए

सौंफ की चाय का प्रयोग स्‍वस्‍थ आंखों के लिए

दिन भर कम्‍प्‍यूटर पर काम करने के दौरान अक्‍सर आंखों में सूजन और अन्‍य प्रकार की समस्‍याएं हो सकती है। इस प्रकार की समस्‍यओं को दूर करने के लिए सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। सौंफ की चाय में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो आंखों की सूजन, जलन और सूखापन आदि स्थितियों का घरेलू इलाज करने में मदद करते हैं। आप सौंफ की चाय को पहले फ्रिज में ठंडा कर लें। फिर इस चाय में रूई को भिगोएं और अपनी आंखों की बंद पलकों में इसे रखें। सौंफ की चाय के जीवाणुरोधी और एंटीऑक्‍सीडेंट आंखों संबंधी अन्‍य समस्‍यओं को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद कर सकते हैं।

सौंफ की चाय का लाभ सूजन के लिए

सौंफ की चाय में आयुर्वेदिक और औषधीय गुण होते हैं। जिसके कारण सौंफ की हर्बल चाय का सेवन गठिया, गाउट और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं संबंधी दर्द और सूजन को कम कर सकती है। सौंफ की चाय के औषधीय गुण शरीर को डिटॉक्‍स करने और मांसपेशीय ऊतकों को स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। यदि आप भी गठिया के दर्द और सूजन का घरेलू उपचार ढूंढ रहे हैं तो सौंफ की चाय सबसे अच्‍छा उपाय है। नियमित रूप से सौंफ की चाय का सेवन आपको दर्द और सूजन से छुटकारा दिला सकता है।

सौंफ की चाय का सेवन हार्मोन संतुलित रखे

सौंफ की चाय का सेवन हार्मोन संतुलित रखे

हार्मोन असंतुलन संबंधी समस्‍याएं विशेष रूप से गर्भावस्‍था के दौरान महिलाओं को होती है। इस प्रकार की परेशानियों को दूर करने के लिए कुछ विशेष जड़ी बूटियों का इस्‍तेमाल किया जाता है जिनमें सौंफ भी शामिल है। सौंफ की चाय पीने के फायदे इसलिए होते हैं क्‍योंकि इसके यौगिकों में एस्‍ट्रोजेन (Estrogen) जैसे गुण होते हैं। जिससे महिलाओं को मासिक धर्म संबंधी समस्‍याओं को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा सौंफ की चाय के लाभ शरीर में अन्‍य हार्मोन के स्‍तर को संतुलित करने में भी सहायक होते हैं। जिससे कामेच्‍छा में वृद्धि और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध उत्‍पादन को उत्‍तेजित करना शामिल है। नियमित रूप से औषधीय सौंफ की चाय पीना महिलाओं को रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है।

फेनल टी के लाभ प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाये

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के सबसे अच्‍छे घरेलू उपाय में सौंफ की चाय को शामिल किया जा सकता है। सौंफ की चाय में शक्तिशाली जीवाणुरोधी, एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण होते हैं। जिसके कारण दैनिक आधार पर सौंफ की चाय पीना आपकी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ा सकता है। सौंफ की चाय का सेवन करने से सर्दी, खांसी और बुखार जैसी वायरल बीमारियों के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। आप इन सामान्‍य बीमारियों का घरेलू इलाज करने और इम्‍यूनिटी पावर को बढ़ाने के लिए सौंफ की चाय का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

फेनल टी फायदे शिशुओं के लिए

सौंफ की चाय पारंपरिक रूप से शिशुओं को दी जाती है जिससे उन्‍हें शांत किया जा सके और उन्‍हें पेट दर्द से आराम मिल सके। यह छोटे बच्‍चों में पेट की ऐंठन और पेट फूलना जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी माना जाता है।

छोटे बच्‍चों को सौंफ की चाय पिलाने से पहले इस बात का विशेष ध्‍यान रखें कि 4 माह से कम आयु वाले शिशुओं को सौंफ की चाय का सेवन नहीं कराना चाहिए। छोटे बच्‍चों को किसी भी प्रकार के हर्बल उत्‍पादों का सेवन कराने से पहले अपने चिकित्‍सक से सलाह लेना आवश्‍यक है।


फेनल टी बेनिफिट्स फॉर स्किन

फेनल टी बेनिफिट्स फॉर स्किन

सौंफ के बीजों में कुछ आवश्‍यक तेल जैसे कि एनेथोल, माईकैन और लिमोनेन आदि होते हैं। ये सभी घटक त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने और मुंहासों का उपचार करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सौंफ की चाय में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी होते हैं जो मुंहासों और त्‍वचा की सूजन को कम करने में प्रभावी योगदान देते हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है कि सौंफ की चाय पीना त्‍वचा में मौजूद अतिरिक्‍त तेल को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। जिससे मुंहासे होने की संभावना कम हो सकती है।


सौंफ की चाय का सेवन दिलाए पाचन समस्या से छुटकारा

सौंफ की चाय का सेवन दिलाए पाचन समस्या से छुटकारा

आज अधिकांस लोग पाचन की समस्या से परेशान है, आपकी पाचन की समस्या से छुटकारा दिलाने में सौंफ की चाय मदद कर सकती हैं। नियमित रूप से सौंफ की चाय का सेवन कर आप कब्‍ज, अपच, एसिडिटी, पेट की ऐंठन और अन्‍य समस्‍याओं से छुटकारा पा सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर सौंफ हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती है। सौंप की चाय पीने के फायदे में सबसे प्रमुख पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करना है। सौंफ में एस्‍ट्रागोल (Estragole), फेनेकोन और एनेथोल (Fenchone and Anethole) आदि शामिल होते हैं। इन घटकों की मौजूदगी गैस्ट्रिक एंजाइम के उत्‍पादन को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। जिससे आपके पाचन तंत्र को तेज करने और स्‍वस्‍थ रखने में मदद मिलती है।


सौंफ चाय का सेवन दिलाए गठिया के दर्द से राहत

गठिया रोग को ठीक करने और उसके दर्द से राहत पाने के लिए सौंफ की चाय बहुत ही लाभदायक होती है। एक अध्ययन के अनुसार सौंफ में एंटी इंफ्लेमेटरी (Inflammatory) गुण होते है जो कि गठिया रोग से होने वाले दर्द को ठीक करने में मदद करता है। सौंफ की चाय में सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेस (superoxide dismutase) नामक एक एंटीऑक्सिडेंट होता है जो सूजन के कम करता है। सौंफ़ एक ऐसी जड़ी-बूटियों में से एक है जिसका उपयोग गठिया के लक्षणों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।


सौंफ की चाय के लाभ मासिक धर्म के लिए

कुछ अध्ययन के अनुसार मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द को कम करने के लिए सौंफ की चाय फायदेमंद होता है। सौंफ की चाय आपके थायरॉयड को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकती है जिससे आप पीरियड के समय एक स्वस्थ प्रवाह रख सकें। सौंफ की चाय का सेवन कर महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र की लंबाई को कम कर सकती हैं। इसके अलावा यह महिलाओं में मतली और चक्‍कर आना जैसी समस्‍याओं को भी कम कर सकती है। सौंफ की चाय का सेवन करने से शरीर में एस्‍ट्रोजेन (estrogen) की उ‍पस्थिति को बढ़ाया जा सकता है। महिलाएं सौंफ की चाय का सेवन कर मासिक धर्म के दर्द, ऐंठन और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर कर सकती हैं।

सौंफ टी का उपयोग मसूड़ों की सूजन के लिए

मसूड़ों की सूजन और उनसे होने वाली बिमारियों को ठीक करने के लिए भी सौंफ की चाय लाभदायक होती है। सौंफ़ एक बहुत ही अच्छा एंटीबैक्टीरियल एजेंट होने के कारण, गम (मसूड़ों) की सूजन के उपचार में सहायता करता है।


फेनल टी के लाभ करें आंत के कीड़े को नष्ट

सौंफ की चाय का सेवन आपके पेट की आंतों में होने वाले कीड़ों को भी नष्ट करने में सहायक होती है। सौंफ़ को एक वनस्पति ओसोमर (Dewormer) माना जाता है जो कि आंतों में होने वाले परजीवियों को खत्म करने का कार्य भी करता है। सौंफ एक प्राकृतिक लैक्सेटिव है जो आंतों की गति को बढ़ावा देते हैं और आपके सिस्टम से कीड़े को बाहर निकालने में मदद करता है।


सौंफ की चाय के गुण मां का दूध बढ़ाये

सौंफ की चाय के गुण मां का दूध बढ़ाये

फेनल टी उन महिलाओं के लिए अच्छी होटी है जो महिलाएं स्‍तनपान करा रहीं हैं। क्‍योंकि सौंफ की चाय में मौजूद एस्‍ट्रोजेन महिलाओं में प्रोलैक्टिन के स्‍तर को बढ़ाता है। जिससे महिलाओं में दूध उत्‍पादन की क्षमता में वृद्धि हो सकती है। इस तरह से महिलाएं अपने और अपने बच्‍चे के बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सौंफ की चाय का सेवन कर सकती हैं।

सौंफ की चाय के फायदे मुँहासे का इलाज करे

सौंफ की चाय के फायदे मुँहासे का इलाज करे

सौंफ़ में कुछ आवश्यक तेल जैसे एनेथोल, माईकैन और लिमोनेन होते है इन सभी तेलों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते है जो कि मुंहासे जैसे त्वचा की स्थिति का इलाज करने में सहायता करते हैं। आप अपने मुँहासे का इलाज सौंफ की चाय से भी कर सकते हैं, सौंफ़ की चाय का सेवन त्वचा से अतिरिक्त तरल पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है, जो मुँहासे में योगदान कर सकते हैं।


सौंफ की चाय के फायदे पुरुषों के लिए

सौंफ की चाय के फायदे पुरुषों के लिए

सौंफ़ को कामेच्छा बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। सौंफ के बीज की चाय का सेवन विशेष रूप से पुरुषों में यौन इच्छाओं में सुधार कर सकता है। यह मूत्राशय और प्रोस्टेट से संबंधित समस्याओं के साथ-साथ सेक्स से संबधित समस्याओं से भी छुटकारा दिला सकता है।


सौंफ की चाय कब पीना चाहिए –

सौंफ की चाय पीने का सबसे अच्‍छा समय भोजन करने के बाद का होता है। क्‍योंकि इसमें अद्भुद पाचन क्षमता होती है जो आपके पाचन तंत्र को उत्‍तेजित करने में सहायक होता है। अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त करने के लिए आप दिन में 2 से 3 कप सौंफ की चाय का सेवन कर सकते हैं। लेकिन इससे अधिक मात्रा में सौंफ की चाय पीना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।


सौंफ की चाय कितनी पीना चाहिए

सौंफ की चाय पीना सेहत के लिए एक अच्‍छा विकल्‍प है। सामान्‍य रूप से 1 कप सौंफ की चाय बनाने के लिए 5 से 7 ग्राम सौंफ के बीजों का उपयोग करना चाहिए। यदि आप सौंफ के बीजों और पानी को 1:2 के अनुपात में उपयोग करते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।


सौंफ की चाय कैसे बनाएं

घर पर सौंफ की चाय बनाना बहुत ही आसान है। हालांकि आप बाजार से भी फेनल टी को खरीद सकते हैं। लेकिन घर में बनी सौंफ की चाय अधिक फायदेमंद होती है।

सौंफ की चाय बनाने की विधि बहुत ही आसान है इसके लिए आपको चाहिए

  • ताजा सौंफ बीज का 1 टी वैग या 1 चम्‍मच सौंफ
  • 1 कप पानी
  • 1 चम्‍मच शहद


सौंफ की चाय बनाने का तरीका

आप 1 चम्‍मच सौंफ के बीजों को लें और इसे अच्‍छी तरह से कुचल लें। जिससे कि सौंफ के बीज भुरभुरे पाउडर के रूप में बन जाए। सौंफ के पाउडर को एक बर्तन में रखें और इसमें उबलता हुआ 1 कप पानी मिलाएं। इसके बाद इस मिश्रण को कुछ देर के लिए ढ़क कर रख दें। ध्‍यान रखें कि इस मिश्रण को उबालना नहीं है। क्‍योंकि उबालने से इसके अधिकांश पोषक तत्व नष्‍ट हो सकते हैं। कुछ ठंडा होने के बाद इस मिश्रण को कप में छान लें। अधिक पौष्टिक और स्‍वादिष्‍ट बनाने के लिए आप इस औषधीय और हर्बल चाय में शहद भी मिला सकते हैं।

आप सौंफ के बीजों के स्‍थान पर सौंफ की पत्तियों का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इनका उपयोग करने से पहले इन्‍हें अच्‍छी तरह से धो लें और छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर चाय बनाने की ऊपर बताई गई विधि का पालन करें।

सौंफ की चाय पीने के नुकसान –

सामान्‍य मात्रा में सौंफ की चाय का सेवन करना सुरक्षित होता है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने के नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जाने सौंफ की चाय पीने के साइड इफैक्‍ट्स क्‍या हैं।

  • जिन लोगों को गाजर या अजवाईन आदि से एलर्जी होती है उन्हें सौंफ की चाय का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उन्‍हें चक्‍कर आना या चाय पीने के बाद कुछ भी निगलने में परेशानी हो सकती है।
  • जो लोग रक्‍तचाप संबंधी दवाओं का सेवन कर रहे हैं उन्‍हें अधिक मात्रा में सौंफ की चाय नहीं पीना चाहिए।
  • जिन लोगों को स्‍तन या डिम्‍बग्रंथि के कैंसर की संभावना होती है उन्‍हें भी इस चाय का सेवन नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि इसमें एस्‍ट्रोजेन जैसे प्रभाव होते हैं जो समस्‍या को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

यदि आप किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के उपचार के लिए सौंफ की चाय का सेवन करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में पहले अपने चिकित्‍सक से सलाह लेना चाहिए।


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