यह साधारण सा दिखने वाला पौधा औषधीय गुणों से भरा है!यह एक प्रकार का छोटा सा पौधा होता है! जो वारिस के मौसम में कही भी आसानी से देखने को मिल जाता है! इस का वानस्पतिक नाम : Physalis peruviana है! इस के फलों के ऊपर एक पतला सा आवरण होता है। इस आवरण के अंदर गोल नारंगी रंग के या काले हरे रंग के फल निकलते हैं! फल आवरण के अंदर मौजूद होने के कारण इस को केप गुसबेरी भी कहा जाता है! कहीं - कहीं इसे 'मकोय' भी कहा जाता है। जब कि 'मकोय' का पौधा इस पौधे से काफी भिन्न है! छत्तीसगढ़ में इसे 'चिरपोटी'व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पटपोटनी भी कहते हैं। * इसके फलों को खाया जाता है।इस के फल उत्तर प्रदेश के मथुरा वृंदावन में फलों की दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं! वहां के लोग इस के फलों को खूब पसंद करते हैं! इस के पौधे की मुख्य रूप से दो प्रजाति पाई जाती है! एक काले हरे रंग के फल वाली और दूसरी नारंगी रंग के फल वाली, किन्तु वर्तमान में इस की कई बड़े फल वाली हाइब्रिड किस्में भी तैयार कर ली गई हैं! जिस की अब व्यावसायिक स्तर पर खेती भी होने लगी है! इस के फल स्वाद में खट्टे मीठे होते हैं! एवं बहुत ही पौष्टिक होते हैं! इस के 100 ग्राम फलों में 53 केलोरी ऊर्जा होती है! इस के फल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है! पांचन तंत्र ठीक रहता है!हड्डियां मजबूत होती है! *** शुगर के मरीजों को यह फल सेहत में सुधार करने वाले होते हैं! इस के फलों में मौजूद तत्व हाई ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करता है! इस के फलों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन A पाया जाता है! जो आँखों के लिए विशेष फायदेमंद होता है! इस के फलों का सेवन काफी हद तक कोलेस्ट्रोल के लेवल को भी नियंत्रित करता है! इस के फल रस से भरे होने के कारण इस को ''रसभरी'' कहते हैं!
इस का पौधा किसानो के लिये सिरदर्द माना जाता है। जब यह खर पतवार की तरह उगता है तो फसलों के लिये मुश्किल पैदा कर देता है।
#औषधीय_गुण:रसभरी का फल और पंचांग (फल, फूल, पत्ती, तना, मूल) उदर रोगों (और मुख्यतः यकृत) के लिए लाभकारी है। इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से पाचन अच्छा होता है साथ ही भूख भी बढ़ती है। यह लीवर को उत्तेजित कर पित्त निकालता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा शरीर के भीतर की सूजन को दूर करता है। सूजन के ऊपर इसका पेस्ट लगाने से सूजन दूर होती है। रसभरी की पत्तियों में कैल्सियम, फास्फोरस, लोहा, विटामिन-ए, विटामिन-सी पाये जाते हैं। इसके अलावा कैटोरिन नामक तत्त्व भी पाया जाता है जो ऐण्टी-आक्सीडैंट का काम करता है। बाबासीर में इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से लाभ होता है। संधिवात में पत्तियों का लेप तथा पत्तियों के रस का काढ़ा पीने से लाभ होता है। खांसी, हिचकी, श्वांस रोग में इसके फल का चूर्ण लाभकारी है। बाजार में अर्क-रसभरी मिलता है जो पेट के लिए उपयोगी है। सफेद दाग में पत्तियों का लेप लाभकारी है।* * यदि आप के पास भी इस पौधे के बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी हो तो हमे अवश्य बताएं!
रसभरी के फायदों और नुकसान..
रसभरी जिसे आमतौर पर लोग बहुत पसंद करते है और यह फल हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है रसभरी दक्षिड़ अमरीका और यूरोप सहित दुनिया के कई देशो से उत्पत्र होता है यह छोटे टमाटर जैसे दिखाई देते है क्या आप सभी को इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी नहीं होगी आइये जानते हैं इसके कुछ फायदे और नुक़सान
रसभरी के फ़ायदे:
यह गठिया के लिए बहुत लाभदायक हैं.
रसभरी मधुमेह के लिए तो बहुत अच्छा फल हैं इसके सेवन से मधुमेह नियंत्रित रखता है रोज सुबह खली पेट उबालकर पिए. यह फायदेमंद हैं.
रसभरी में पॉलीफिनॉल केरिटिनॉयड्स पाया जाता हैं जो कैंसर से लड़ने में मदद करता हैं.
यह कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता हैं.
यह आँखों सम्बन्धी सब बीमारियों को ठीक करता हैं रसभाई में काफी मात्रा में विटामिन ए पाया जाता हैं जो हमारे शरीर के साथ-साथ आँखों को भी ठीक रखता हैं.
इसका सेवन हाईब्लड प्रेशर को काम करता हैं.
इसमें फाईटोकैमिक्ले पाया जाता हैं जो हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुआ हैं और वह हार्ट सम्बन्धी सभी बीमारियों से भी लड़ता हैं.
रसभरी के नुक़सान:
बिना पकी रसभरी को ना खए क्युकी यह जहरीला भी हो सकता हैं.
जंगली रसभरी को खाना भी हानिकारक हो सकता हैं.
अगर आपको बेरीज खाने से ऐलर्जी होती हैं तो आपको रसभरी खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कर ले .
स्तनपान करने वाली और गर्भवती को यह खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह कार ले यह खतरनाक भी हो सकता हैं.
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#रसभरी
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