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गुरुवार, 1 जून 2023

बस मेरी एक इच्छा पूरी करो”

……….इच्छा ……………..

 

पति मुस्कुराता हुआ अपने मोबाइल पर फटाफट उँगलियां दौड़ा रहा था! उसकी पत्नी बहुत देर से उसके पास बैठी खामोशी से देख रही थी, जो उसकी रोज़ की आदत हो गई थी और जब भी कोई बात अपने पति से करती तो जवाब ‘हाँ’ ‘हूँ’ में ही होता या नपे-तुले शब्दों में!

“किससे चैटिंग कर रहे हो?”

“फेसबुक फ्रेंड से।”

“मिले हो कभी अपने इस फ़्रेण्ड से?”

“नहीं”

“फिर भी इतने मुस्कुराते हुए चैटिंग करते हो?”

“और क्या करूँ बताओ?”

“कुछ नहीं, फेसबुक पे आपकी महिला मित्र भी बहुत -सी होंगी ना?”

“हूँ”

उँगलियों को हल्का -सा विराम दे मुस्कुराते हुए पति ने हुंकार भरी!

“उनसे भी यूहीं मुस्कुराते हुए चैटिंग करते हो, क्या आप सभी को भली-भांति जानते हो?”

पत्नी ने मासूमियत भरा प्रश्न पर प्रश्न किया!

“भली-भांति तो नहीं मगर रोजाना चैटिंग होते-होते बहुत कुछ हम आपस में एक दूसरे को जानने लगते हैं और बातें ऐसी होने लगती हैं कि मानो बरसों से जानते हो और मुस्कुराहट होठों पे आ ही जाती है, अपने -से लगने लग जाते हैं फिर ये!”

“हूँ और पास बैठे पराये -से!” पत्नी हुंकार सी भरने के बाद बुदबुदाई!

“अभी मजे़दार टॉपिक चल रहा है हमारे ग्रुप में! अरे, अभी तुमने क्या कहा था, ध्यान नहीं दे पाया! बोलो ना फिर से, अरे, यार किस सोच डूब गईं।”

पति मुस्कुराता हुआ तेज़ी से मोबाइल पर अपनी उँगलियाँ चलाता। हुआ एक नज़र पत्नी पे डाल बोला!

“किसी सोच में नहीं! सुनो, बस मेरी एक इच्छा पूरी करोगो?”

पत्नी टकटकी लगाए बोली!

“क्या अब तक तुम्हारी कोई अधूरी इच्छा रखी है मैंने? खैर, बोलो क्या चाहिए?”

“मेरा मतलब ये नहीं था, मेरी हर इच्छाएँ आपने पूरी की हैं मगर ये बहुत ही अहम है!”

“ऐसी बात तो बोलो क्या इच्छा?”

“एंड्रॉयड मोबाइल”

“मोबाइल! बस इनती- सी बात, ओके डन! मगर क्या करोगी बताना चाहोगी?” पति चौकता बोला!

पत्नी ने भीगी पलकों से प्रत्युत्तर दिया! “और कुछ नहीं, चैटिंग के ज़रिये आप मुझसे भी खुलकर बातें तो करोगे!”

ये पोस्ट का मेन मक़सद ये है की आज के युग Digital युग मे इंसान इतना मसगुल होग्या है की वो अपनी निजी ज़िंदगी को भी टाइम नही देता है सो ये पोस्ट के माध्यम से ये कहना चाहता हूँ की पहले आप अपने को टाइम दो क्यूँकि डिजिटल जैसे मोबाइल बेग़ैरह से जादा importanta आपका परिवार है शुक्रिया!

बहुत सी औरते अपनी लाइफ मे अपने इसलिए अकेली महसूस करती है क्युकी उनके पति के पास उनके लिए वक्त ही नहीं होता है ,शायद इसलिए वो एक साथी कि तलाश करती है जो उनके अकेलेपन को समझें उनसे बात करें खुलकर कि वो क्या चाहती है !उनकी इक्षाये को समझें बिना कहे सब कुछ जान जाँए उनकी मन कि बाते और उन्हें खुद मे समेट ले लेकिंन अफ़सोस ऐसा होता नी है शायद इसलिए एक औरत मजबूर होती है !और बहुत से इंसान इसे गलत कहते है लेकिन मै मानता हु हर औरत का होता है अपनी लाइफ को खुल के जीने का 🙏🙂

देर रात को 6 मिस्ड कॉल प्राप्त करने के बाद एक व्यवसायी 1.86 करोड़ कैसे खो सकता है? क्या है सिम कार्ड घोटाला?

 

यह घटना क्यू और कैसे हुई जानने के लिए पूरा पढे-

OTP के बिना ट्रांसेक्शन हो नही सकता (अंतर्राष्ट्रीय डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा की गयी लेन देन को छोड़कर). पर इस घटना में किसी कार्ड से लेनदेन नही हुआ था बल्कि उस व्यापारी के खाते से अलग अलग खातों में ट्रांसफर किया गया था और ट्रांसफर के लिए भी OTP जरूरी है।

तो सवाल उठता है OPT इन ठगों को मिला कैसे जबकि सिम कार्ड व्यापारी के पास था? और उस व्यापारी ने OTP किसी को नही बताया था। बताएगा भी कैसे क्योंकि उसके मोबाइल में OTP आया ही नही था।

जवाब यह है की इन ठगों ने SIM Swap की थी।



  • SIM Swap क्या होता है?

सिम स्वाप मतलब अगर आपको अपने पुराने सिम कार्ड को बदलकर उसी नंबर से नया कार्ड लेना हो तो इस प्रक्रिया को सिम स्वाप कहते है।

सिम स्वाप एक सामान्य प्रक्रिया है जिसकी जरूरत मोबाईल धारकों को कभी न कभी पड़ती ही है जैसे —

  1. जब आपका मोबाईल चोरी या गुम हो जाता है तब उसी नंबर की दूसरी सिम लेने के लिए।
  2. जब सिम कार्ड टूट फुट या कट कर खराब हो जाता है।
  3. जब एक सर्विस प्रवाइडर से दूसरे सर्विस प्रवाइडर मे port करना चाहते है। उदाहरण के लिए एयरटेल से जिओ या जिओ से एयरटेल।

पर ठग इसी सिम स्वाप का गलत फायदा उठा सकते है । इसमे किसी व्यक्ति को टारगेट किया जाता है और उसकी तमाम निजी जानकारिया जुटाई जाती है फिर इस जानकारी की सहायता से उपउक्त व्यक्ति के सिम कार्ड को बंद करवा कर अपने पास स्थित एक खाली सिम मे उस नंबर को चालू करवा लिया जाता है।

सिम स्वाप के लिए ठगों ने उस व्यापारी के मोबाइल को हैक करके तमाम निजी जानकारी जैसे नाम पता, आधार कार्ड, ID नंबर, बैंकिंग जानकारिया इत्यादि जान ली थी। पर किसी का भी फ़ोन ऐसे ही हैक नही हो जाता। उस व्यापारी ने कभी किसी इनसिक्योर (असुरक्षित) वेबसाइट, संक्रमित ऍप, SMS या ईमेल के संक्रमित लिंक या फिसिंग वेबसाइट पर गए होंगे और अपनी बैंकिंग व अन्य डिटेल्स डाल दी होगी। जिससे तमाम निजी एवं गुप्त जानकारी ठगों के पास पहुच गयी होगी। सारी जानकारी के बाद ठगों को सिर्फ OTP की जरूरत थी उसके लिए उन्होंने सिम स्वापिंग का सहारा लिया।

ये सब जानकारी जब ठगों के हाथ मे आ जाती है तो वे कस्टमर केयर को उस नंबर का मालिक बनकर फोन लगते है। यहाँ काम आती है तमाम निजी जानकारी जो ठगों ने जुटाई थी। इन निजी जानकारियों को लेकर ठग कस्टमर केयर वालों को यह विश्वास दिला देते है की इस नंबर का मालिक ही फोन कर रहा है और उसका मोबाईल गुम हो गया है । इसलिए वे पुराने सिम को बंद कर देते है और ठगों के पास जो खाली सिम रहता है उसे उसी नंबर से चालू कर देते है।

अब नंबर खुद ठगों के पास आ जाता है तो वे आसानी से OTP प्राप्त कर ठगी को अंजाम देते है।

पीड़ित को ठगी होने का पता तब चलता है जब वह अपना मोबाईल देखता है। चूंकि उसका सिम बंद हो चुका होता है इसलिए मोबाईल मे नेटवर्क नहीं आएगा। नेटवर्क नहीं आता देखकर भी आदमी इसे नेटवर्क की खराबी समझकर कुछ समय ऐसे ही जाने देता है। जब तक कारण पता लगता है तब तक देर हो चुकी होती है।

सिम स्वैप करने के बाद ठग उस व्यापारी के नंबर पर बार बार इसलिए कॉल कर रहे थे ताकि ये कन्फर्म हो जाए की उस व्यापारी के पास जो सिम है वह बंद हुआ की नही और ठगों के पास जो उसी नंबर का सिम था वह चालू हुआ या नही। क्योंकि मोबाइल नेटवर्क में कभी भी 1 नंबर के 2 सिम एकसाथ चालू नही रह सकते।



  • कैसे बचे सिम स्वाप फ्रॉड से ?
  1. हमेशा नेट बैंकिंग अपने खुदके मोबाईल/कंप्युटर मे करे। नेट कैफै के कंप्युटर मे ना करें।
  2. गलती से भी पब्लिक वाईफाई जैसे रैलवे स्टेशन, बस स्टैन्ड, पब्लिक वाईफाई हॉटस्पॉट, बिना पासवर्ड के वाईफाई आदि मे नेट बैंकिंग का उपयोग नहीं करना।
  3. बैंक या किसी भी वेबसाईट के URL (वेबसाईट का अड्रेस) मे "https" जरूर होना चाहिए। अगर सिर्फ "http" है ( p के बाद s नहीं है) तो इन वेबसाईट मे ना जाएं। क्यूंकी ये वेबसाईट Encrypted नहीं होती और आप जो भी डिटेल्स वेबसाईट मे डालते है उसे हैकर आसानी से देख सकता है।
  4. बैंक के वेबसाईट का URL सही से डाले कोई स्पेलिंग मिस्टैक ना हो। क्यूंकी मिलते जुलते या स्पेलिंग मिस्टैक वाले URL फिसिंग वेबसाईट हो सकते है। फिसिंग वेबसाईट किसी मूल वेबसाईट जैसे किसी बैंक की वेबसाईट की हूबहू नकल होती है। इसमे जाने पर आपको लगेगा की आप अपने बैंक की वेबसाईट पर है पर यह नकली वेबसाईट होती है और इसमे आपके लॉगिन आइडी पासवर्ड डालते ही यह इस नकली वेबसाईट के मालिक के पास चल जाता है।
  5. URL type करके ही डाले। किसी SMS, ईमेल या अन्य वेबसाईट मे दिए गए URL पे क्लिक करके बैंक के वेबसाईट मे ना जाए।
  6. अपने मोबाईल मे प्ले स्टोर से ही एप डाउनलोड करे किसी अन्य वेबसाईट से ना करे। और कंप्युटर मे Cracked, Moded सॉफ्टवेयर इंस्टॉल ना करे।
  7. मोबाईल और कंप्युटर मे Antivirus इंस्टॉल करे।
  8. जहां जरूरी ना हो उस वेबसाईट मे निजी जानकारी ना दे।
  9. निजी जानकारी वाले ID Card जैसे आधार कार्ड आदि की फोटोकापी कराते समय सुनिश्चित करे की फोटोकापी दुकान मे ना छोड़े।
  10. अपना फेसबूक, इंस्टाग्राम, आदि की प्रोफाइल पब्लिक ना रखे और किसी अनजान को फ्रेंड नहीं बनाए।
  11. अपना मोबाईल नंबर पब्लिक प्लेस मे शेयर ना करे इसे छुपा कर रखे।
  12. 2 स्टेप वेरीफिकेशन का उपयोग करें जैसे गूगल Authenticator।
  13. सिम कार्ड मे लिखा हुआ नंबर किसी को ना बताएं।
  14. बैंक ट्रैन्सैक्शन अलर्ट के लिए SMS के साथ साथ ईमेल अलर्ट भी रखे।
  15. OTP कभी भी किसी को ना बताएं। फोन पर बैंक मैनेजर बनकर आपकी निजी जानकारी जैसे आधार, नाम, पता, डेबिट/क्रेडिट कार्ड नंबर, CVV, अकाउंट नंबर, आइडी पासवर्ड, OTP आदि मांगने वालों से दूर रहे। फोनपर बैंक कभी भी कोई भी निजी जानकारी नहीं मांगते।
  16. मोबाईल मे नेटवर्क ज्यादा देर तक गायब रहे तो सर्विस प्रवाइडर को फोन कर सुनिश्चित करें क्या समस्या है। अगर किसी ने सिम स्वाप की रीक्वेस्ट की होगी तो सही समय मे पता लगने पर नंबर ब्लॉक करा कर फ्रॉड से बच सकते है।

आशा करता हूँ आपकी जानकारी बढ़ी होगी। टेक्नॉलजी के फायदे है तो नुकसान भी है। पर नुकसान से डरने की बजाए अपना टेक्नॉलजी ज्ञान बढ़ाएं और सतर्क रहे तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

बुधवार, 31 मई 2023

भारत में Salaried व्यक्तियों के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक Financial Planning की आवश्यकता है। - Ample Capital, Udaipur

 भारत में Salaried व्यक्तियों के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक Financial Planning की आवश्यकता है।


Money Control द्वारा रिपोर्ट किए गए Salaried कर्मचारियों के एक Survey से पता चला है कि अधिकांश भारतीय Financial Planning के लिए संघर्ष करते हैं। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि Salaried व्यक्ति अक्सर केवल Employer Benefit पर निर्भर होते हैं और अभी भी यह निर्धारित कर रहे हैं कि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सही Financial Decisions ले रहे हैं या नहीं।

रिपोर्ट में Financial Education कंपनी फिनसेफ इंडिया के एक सर्वेक्षण का हवाला दिया गया है। यह 1,364 Salaried कर्मचारियों के बीच आयोजित किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार, 48% Respondents ने माना कि Financial Goals के लिए योजना बनाना उनका सबसे महत्वपूर्ण Financial Challenge था। वहीं, 42% फीसदी ने कहा कि अगर वे बेरोजगार हो गए तो वे अपना खर्च नहीं उठा पाएंगे।

कई लोगों के लिए, क्रेडिट कार्ड Loan सहित, Loan चुकाने में असमर्थ होने की तुलना में, वृद्ध माता-पिता की देखभाल करना और Medical Expenses को कवर करना अधिक महत्वपूर्ण चिंताएं हैं।

Source: Ample Capital, Udaipur.
Website: amplecapital.in

मंगलवार, 23 मई 2023

क्या आप भारतीय संस्कृति के गौरव को समझते हैं...?

क्या आप भारतीय संस्कृति के गौरव को समझते हैं...? 
1. अंको का अविष्कार 307 ई. पूर्व भारत में हुआ। 

2. शून्य का अविष्कार भारत में आर्यभट्ट ने किया। 

3. अंकगणित का अविष्कार भास्कराचार्य प्रथम ने किया। 

4. बीज गणित का अविष्कार भारत में आर्यभट्ट ने किया। 

5. सर्वप्रथम ग्रहों की गणना आर्यभट्ट ने 499 ई. पूर्व में की। 

6. भारतीयों को त्रिकोणमिति व रेखागणित का 2,500 ई.पूर्व से ज्ञान था। 

7. समय और काल की गणना करने वाला विश्व का पहला कैलेण्डर र भारत में लतादेव ने 505 ई. पूर्व सूर्य सिद्धान्त नामक अपनी पुस्तक में वर्णित किया ।

8. न्यूटन से भी पहले गुरूत्वाकर्षण का सिद्धान्त भारत में भास्कराचार्य ने प्रतिपादित किया।

9. 3,000 ई. पूर्व लोहे के प्रयोग के प्रभाव वेदों में वर्षित है अशोक स्तम्भ इसका स्पष्ट प्रमाण है।

10. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस् के अनुसार 400 ई. पूर्व सुश्रूत (भारतीय चिकित्सक) द्वारा सर्वप्रथम प्लास्टिक सर्जरी का प्रयोग किया गया।

11. विश्व का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला के रूप में 700 ई. पूर्व भारत में स्थापित था जहाँ दुनिया भर के 10,500 विद्यार्थी 60 विषयों का अध्ययन करते थे।

12. बारुद की खोज 8,000 ई. पूर्व सर्वप्रथम भारत में हुयी। 

13. सूर्य से पृथ्वी पर पहुँचने वाले प्रकाश की गति की गणना सर्वप्रथम भास्कराचार्य ने की। 

14. यूरोपिय गणितज्ञों से पूर्व ही छठी शताब्दी में बोद्धायन ने पाई के मान की गणना की जो की पाइथोगोरस प्रमेय के रूप में जाना जाता है । हमारा ज्ञान-विज्ञान एवं इतिहास इतना गौरवशाली एवं समृद्ध है ।

15. दुनिया का पहला संवत्-"विक्रम संवत्" पूरे एशिया से शकों को परास्त करते हुये अवन्ति के चक्रवर्ती सम्राट "विक्रमादित्य महान" ने प्रवर्तित किया। जो ईसा पूर्व 56 से आरम्भ हुआ। इसका उल्लेख जूलियस सीज़र के रोम के ऐतिहासिक तिथिक्रम में भी है। सम्राट गदाफेरिज के लेख में भी विक्रम संवत् का उल्लेख ज्यू ग्रन्थ अनुसार मिलता है। इससे विक्रम संवत् की विश्व व्यापकता स्पष्ट होती है। 

16. महान वैज्ञानिक डां.जगदिशचन्द्र बसु ने ही पहला वायरलेस कम्युनिकेशन का अविष्कार किया जो बाद में विकसित होता चला और आज मोबाइल, इण्टरनेट आदि के रूप में विकसित हुआ।

17. सूर्य किरण में सात रंग है यह डां. सी. व्ही. रमन ने पहली बार दुनिया को बताया 19 वीं सदी में यह दुनिया ने जाना और scattering of lights के सिध्दान्त पर उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लैकिन उससे भी गर्व और हैरानी की बात है कि "तैत्तिरीय संहिता" नामक प्राचीन ग्रन्थ को "सप्त-रश्मी" कहा गया है। यानी तैत्तिरीय संहिता के लेखक ऋषि वैज्ञानिक, सी. वी. रमन से पहले ही उनकी Theory समझ चुके थे और उस ज्ञान विज्ञान के ज्ञाता थे।

18. सबसे पहला अर्थशास्त्र भारत में लिखा गया। कौटिल्य दुनिया के पहले अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखने वाले आचार्य थे।

19. दुनिया का पहला संविधान भारत ने ही लिखा। राजा मनु इसके रचयिता थे और वेद आधार था। इसका नाम मनुस्मृति था। यह राजनितीशास्त्र का पहला महान ग्रन्थ है। अंग्रेज़ी षड्यन्त्र के तहत मैक्समूलर के हाथो इसे अंग्रेज़ों ने लिखवाकर इसमें तोडमरोड़ की और तथ्यों को बदल दिया।

20. नाव का अविष्कार और सोने के सिक्कों का चलन में प्रचलन आर्यावर्त की ही देन है।

21. पारा (mercury) बनाने की विधियाँ वैज्ञानिक नागार्जुन एवं महर्षि चरक ने सर्वप्रथम दुनिया को दी।

22. एक्यूप्रेशर चिकित्सा जो आज चीन में भी विकसित है, वह तक भारत की ही देन है।

23. बोधिवर्मन की मार्शल आर्ट प्रणाली भारत की ही प्राचीन देन है। स्वयं श्रीकृष्ण इसमें निष्णात और पारंगत योध्दा थे। उन्होंने इसी के प्रयोग द्वारा कंस के बलाढ्य पहलवान मार गिराये...!
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        जय सनातन धर्म 🙏🚩

रविवार, 21 मई 2023

#लोहागर्ल 🚩माहेश्वरी समाज #उत्पत्ति_स्थल ‼️⚜️

⚜️‼️ #लोहागर्ल 🚩माहेश्वरी समाज #उत्पत्ति_स्थल ‼️⚜️
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🚩#लोहार्गल जहां पानी से गल गए थे पांडवों के अश्त्र शस्त्र?
राजस्थान के शेखावटी इलाके के झुंझुनूं जिले से 70 कि. मी. दूर अरावली पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि.मी. की दूरी पर स्थित है लोहार्गल। *जिसका अर्थ होता है जहां लोहा गल जाए।*

यह राजस्थान का पुष्कर के बाद दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ है। इस तीर्थ का सम्बन्ध पांडवो, भगवन परशुराम, भगवान सूर्य और भगवान विष्णु एवं #माहेश्वरी_समाज से है।

यहाँ गले थे पांडवों के हथियार महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था, लेकिन जीत के बाद भी पांडव अपने परिजनों की हत्या के पाप से चिंतित थे। लाखों लोगों के पाप का दर्द देख श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि जिस तीर्थ स्थल के तालाब में तुम्हारे हथियार पानी में गल जायेंगे वहीं तुम्हारा मनोरथ पूर्ण होगा।

 घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुँचे तथा जैसे ही उन्होंने यहाँ के सूर्यकुण्ड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गये। इसके बाद शिव जी की आराधना कर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थ राज की उपाधि से विभूषित किया।

यहां प्राचीन काल से निर्मित सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। 

राजा ने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह लड़की मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया, क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है।

 हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई किंतु उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहाँ उत्पन्न हुई है। 

विद्वानों ने राजा से कहा, आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया।

 जिससे उनकी पुत्री का हाथ स्वतः ही ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया।

भगवान विष्णु ने लिया था मतस्य अवतार यह क्षेत्र पहले ब्रह्मक्षेत्र था। माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान विष्णु ने शंखासूर नामक दैत्य का संहार करने के लिए मत्स्य अवतार लिया था। शंखासूर का वध कर विष्णु ने वेदों को उसके चंगुल से छुड़ाया था। इसके बाद इस जगह का नाम ब्रह्मक्षेत्र रखा।

🚩परशुराम जी ने भी किया था यहां प्रायश्चित।

विष्णु के छठें अंशअवतार भगवान परशुराम ने क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था, लेकिन शान्त होने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। तब उन्होंने यहां आकर पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी।

यहाँ एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है। पहाड़ी पर सूर्य मंदिर के साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर है। कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढ़ियाँ चढने पर मालकेतु जी के दर्शन किए जा सकते हैं।

 श्रावण मास में भक्तजन यहाँ के सूर्यकुंड से जल से भर कर कांवड़ उठाते हैं। यहां प्रति वर्ष माघ मास की सप्तमी को सूर्यसप्तमी महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें सूर्य नारायण की शोभायात्रा के अलावा सत्संग प्रवचन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

मालकेतु बाबा की चौबीस कोसी परिक्रमा भाद्रपद मास में श्रीकृषण जन्माष्टमी से अमावस्या तक प्रत्येक वर्ष लोहार्गल के पहाडो में हज़ारों लाखों नर-नारी 24 कोस की पैदल परिक्रमा करते हैं जो मालकेतु बाबा की चौबीस कोसी परिक्रमा के नाम से प्रसिद्ध है। 

पुराणों में परिक्रमा का महात्म्य अनंत फलदायी बताया है। अब यह परिक्रमा और ज्यादा प्रासंगिक है। हरा-भरा वातावरण। औषधि गुणों से लबरेज पेड़-पौधों से आती शुद्ध-ताजा हवा और ट्रैकिंग का आनंद यहां है। और फिर खुशहाली की कामना से अनुष्ठान तो है ही। अमावस्या के दिन सूर्यकुण्ड में पवित्र स्नान के साथ यह परिक्रमा विधिवत संपन्न होती है।
     
☀!! श्री हरि: शरणम् !!🙏 !!जय महेश !!☀
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गरुड़गंगा,जहां की शिला घर में रखने पर,हर बाधा हो जाती है दूर

गरुड़गंगा,जहां की शिला घर में रखने पर,हर बाधा हो जाती है दूर

गरुड़ गंगा, पीपलकोटी से श्री बदरीनाथ मार्ग में 3 किलोमीटर पर स्थित है, इस गांव को गरुड़गंगा या पाखी भी कहा जाता है। गरुड़ के पंख जैसा यह गांव इसके बीच अलकनंदा की और उतरती हुई गरुड़ गंगा प्रसिद्ध नदी है।


बदर्या दक्षिणे भागे गन्धमादन पर्वते।
गरूडस्तप आतेपे हरिवाहनकाम्यया।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 3)

स्कन्द पुराण के अनुसार गरुड़ जी ने श्री बदरीनाथ धाम के दक्षिण भाग में स्थित गंधमादन पर्वत पर 30,000 वर्षों तक दिव्य तपस्या की हैं,और भगवान विष्णु का वाहन होने का सौभाग्य प्राप्त किया।

त्रिंशद्वर्षसहस्त्राणि, हरिदर्शनलालसः।

ततस्तु भगवान्साक्षात् , पीतवासा निजायुधः।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 5)


आज भी यहाँ गरुड़ मंदिर विराजमान है और कहा जाता है कि इस गरुड़ गंगा के पत्थर को घर में रखने पर सर्प-बाधा दूर हो जाती हैं, यहाँ के लोग सर्पदंश पर पत्थर को दवा के रूप में प्रयोग करते हैं।

गरुड़ गंगा शिला भागो, यत्र तिष्ठति मत्प्रिये।

न तत्र सर्पज भयं,विष-व्याधिर्न जायते।।

बदरीं त्वं प्रयाहीती,नारदेन निषेविताम्।

स्नानं नारदतीर्थादावुपवासत्रयं शुचिः।।

कृत्वा मद्दर्शनं तत्र, सुलभं ते भविष्यति।।

(स्कंद पुराण, वैष्णव खण्ड, अध्याय 4, श्लोक 24)

गरुड़ जी वरदान प्राप्त करने के बाद श्री बदरीनाथ धाम पहुँचे और गरुड़ शिला नामक स्थान पर 3 दिन की तपस्या करने के बाद भगवान बदरीनाथ जी से गरुड़ जी का पुनः साक्षात्कार हुआ।

“औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़” Berberis aristata benefits

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में बताने वाले हैं यदि आप जानना चाहते है उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े|

kilmoda

किलमोड़ा देवभूमि का औषधीय प्रजाति-

किलमोड़ा उत्तराखंड के 1400 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला एक औषधीय प्रजाति है। इसका बॉटनिकल नाम ‘बरबरिस अरिस्टाटा’ है। यह प्रजाति दारु हल्दी या दारु हरिद्रा के नाम से भी जानी जाती है। पर्वतीय क्षेत्र में उगने वाले किल्मोड़े से अब एंटी डायबिटिक दवा तैयार होगी।

किलमोड़ा पौधा दो से तीन मीटर ऊंचा होता है। पहाड़ में पायी जाने वाली कंटीली झाड़ी किनगोड़ आमतौर पर खेतों की बाड़ के लिए प्रयोग होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। कुमाऊं विवि बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस दवा के सफल प्रयोग के बाद अमेरिका के इंटरनेशनल पेटेंट सेंटर से पेटेंट भी हासिल कर लिया है। विवि की स्थापना के बाद अब तक यह पहला पेटेंट है

वनस्पति विज्ञान में ब्रेवरीज एरिस्टाटा को पहाड़ में किलमोड़ा के नाम से जाना जाता है। इसकी करीब 450 प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती हैं। भारत, नेपाल, भूटान और दक्षिण-पश्चिम चीन सहित अमेरिका में भी इसकी प्रजातियां हैं।
किलमोड़े के फल में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व शरीर को कई बींमारियों से लड़ने में मदद देते हैं। दाद, खाज, फोड़े, फुंसी का इलाज तो इसकी पत्तियों में ही है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर आप दिनभर में करीब 5 से 10 किलमोड़े के फल खाते रहें, तो शुगर के लेवल को बहुत ही जल्दी कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा खास बात ये है कि किलमोड़ा के फल और पत्तियां एंटी ऑक्सिडेंट कही जाती हैं। एंटी ऑक्सीडेंट यानी कैंसर की मारक दवा। किलमोडा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों और पर्यवरण प्रेमियों ने इसके खत्म होते अस्तित्व को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ किलमोड़े के तेल से जो दवाएं तैयार हो रही हैं, उनका इस्तेमाल शुगर, बीपी, वजन कम करने, अवसाद, दिल की बीमारियों की रोक-थाम करने में किया जा रहा है। इसके पौधे कंटीली झाड़ियों वाले होते हैं और एक खास मौसम में इस पर बैंगनी फल आते हैं।

किल्मोडा पौधे के औषधीय गुण 

  • किल्मोडा की ताज़ा जड़ों का उपयोग मधुमेह और पीलिया के इलाज के लिए किया जाता है। जड़ों में कुल क्षारीय सामग्री 4% और उपजी में है, 1.95%, जिनमें से बेरबेरिन क्रमशः 09 और 1.29% है।
  • किल्मोडा (बर्बेरिस एशियाटिक) अर्क ने शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को दिखाया जो स्वस्थ दवा और खाद्य उद्योग दोनों में लागू होता है।
  • यह गठिया के इलाज में भी उपयोगी होता हैं|
  • किल्मोड़ा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
  • इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। डायबिटीज के इलाज में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस पौधे की जडो का रस  पेट दर्द में तुरंत आराम देती है|
किलमोड़ा का उपयोग कैसे करते हैं kilmora ka upyog kese kare?

सामान्य रूप में किलमोड़ा के नीले रंग के फल को खाया जाता है। इसके साथ ही इसकी जड़ों का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। 

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग 
Sugar me kilmora ki jadho ka prayog:

मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा एक नायाब औषधि है। इसके लिए किलमोड़ा की ताजा जड़ों को उबाल कर इसका अर्क तैयार किया जाता है। यह अर्क गाढ़ा पीले रंग का होता है, शुगर से ग्रसित व्यक्ति को यह अर्क दैनिक रूप से 15 से 20 ml दिन में 3 बार तक लिया जा सकता है। इसके नियमित उपयोग से रक्त में शर्करा के स्तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

ध्यान रहे अधिक मात्रा में किलमोड़ा के जड़ का अर्क लेना शरीर में रक्तचाप तथा गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर चिकित्ससककता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इस लिए किलमोड़ा के अर्क का प्रयोग प्रारम्भ करने से पूर्व चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

इसकी जड़ों में कुल 4 प्रतिशत क्षारीय तत्व तथा तने में तने में 1.95 प्रतिशत क्षारीय तत्व पाये जाते हैं। इसमें बेरबेरीन नामक तत्व क्रमशः 2.09 प्रतिशत व 1.29 प्रतिशत पाया जाता है।

एक शोध के अनुसार किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग कैंसर रोधी गतिविधि के लिए औषधि के रूप में किया जा सकता है।

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग Sugar me kilmora ke falon ttha fal se teyaar juice ka prayog:
मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग भी काफी फायदेमंद रहा है। अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि दैनिक रूप में किलमोड़ा के 8 से 10 फल खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में सहायता मिलती है।

पीलिया में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग
 piliya me kilmora ki jadho ka prayog:
किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग पीलिया की दवा बनाने में भी किया जाता है। पीलिया रोगी को बिना विशेषज्ञ की सलाह के किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है।

गठिया के उपचार में किलमोड़ा के तने का प्रयोग 
Gathiya me kilmora ke tane ka prayog:
एक अनुसंधान के अनुसार किलमोड़ा के तने से निकाले गये तेल की मालिस करने से गठिया रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही किलमोड़ा के फल तथा फलों से तैयार जूस का सेवन करने से गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।

किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी के फायदे 
Kilmora ke falon ttha sabji ke fayde:
किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी का सेवन शरीर में कई प्रकार के ऑक्सीडेटिव तनाव के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। किलमोड़ा का प्रयोग हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर के खतरे से बचाने तथा तनाव को कम करने में भी सहायक है।

यह सभी स्वास्थ्य लाभ किलमोड़ा में पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स, कैरोटीनॉयड और विटामिन-सी जैसे फाइटोकेमिकल्स की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन फाइटोकेमिकल्स में पॉलीफेनोल्स को एंटीइफ्लामेंट्री, एंटीवायरल, एंटीवेक्टिरियल तथा एंटीऑक्सिडेंट तत्व के रूप में पहचाना जाता है।

उक्त तथ्यों से पता चलता है कि, पारंपरिक फलों के अतिरिक्त किलमोड़ा जैसे जंगली फलों में उच्च फेनोलिक्स पाया जाता है। यही तत्व लिपोप्रोटीन के ऑक्सीकरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा खपत के बाद प्लाज्मा में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा में वृद्धि भी करता है।

गुरुवार, 18 मई 2023

तीसरी कक्षा का रजिस्टर

*तीसरी कक्षा का रजिस्टर*

डिप्रेशन ग्रस्त एक सज्जन जब 50+ के हुए  थे....तो उनकी पत्नी  ने काउंसलर का appointment  लिया जो ज्योतिषी भी था।
रूबरू बात में कहा कि ये भयंकर डिप्रेशन में हैं , कुंडली भी देखो इनकी...।  मन का हाल भी बता दिया... और कहा कि मैं भी ठीक नहीं हूँ ।।

ज्योतिषी ने कुंडली देखी, सब सही पाया । अब उसने काउंसलिंग शुरू की । फिर सज्जन की पत्नी को बाहर बैठने को कहा और कुछ पर्सनल बातें भी पूछीं।

सज्जन बोलते गए....
बहुत परेशान हूँ,,, चिंताओं  से दब गया हूँ,,  नौकरी का प्रेशर।।। बच्चों के एज्युकेशन  और जॉब की टेंशन।।। घर का लोन। कार का लोन।।। कुछ मन नहीं करता, 

दुनियाँ तोप समझती है.. पर मेरे पास कारतूस जितना सामान भी नहीं...!!!

मैं डिप्रेशन में हूँ ... कहते हुए पूरी जीवन किताब खोल दी।
तब
काउंसलर   ने  कुछ सोचा और  पूछा..... 
*तीसरी (class3)* में किस स्कूल में पढ़ते थे... ?

सज्जन ने उसे स्कूल का नाम बता दिया... 

काउंसलर ने कहा आपको  उस स्कूल जाना होगा ...

वहाँ आपकी  तीसरी क्लास के  सारे रजिस्टर लेकर आना होगा...  

सज्जन स्कूल गए... रजिस्टर लाए ।काउंसलर ने  कहा अपने साथियों का वर्तमान हालचाल की जानकारी लाने की कोशिश करो । उसे डायरी में लिख और एक माह बाद  मिलना।

कुल 4 रजिस्टर । जिसमें 200 नाम  थे ।
और महीना भर दिन रात घूमा...  और बमुश्किल 120 अपने सहपाठियों के बारे में जानकारी एकत्रित कर पाए।

आश्चर्य उसमें से 20% लोग मर चुके थे ।

7 % लड़कियाँ विधवा । और 13 % तलाकशुदा या सेपरेटेड  थी।। 15 % नशेड़ी निकले, जो बात करने लायक़ नहीं थे । 20 % का पता ही नहीं चला की अब वो कहाँ है  ??? 
5 % इतने ग़रीब निकले कि पूछो मत...,5 % इतने अमीर निकले कि उनसे पूछा ही नहीं गया ।।

कुछ कैंसर ग्रस्त।

6-7 % लकवा या डायबिटीज़, अस्थमा  या दिल के रोगी निकले, 3-4% का एक्सीडेंट्स में हाथ/पाँव या रीढ़ की हड्डी में चोट से बिस्तर पर थे।।

2 से 3% के बच्चे पागल..वेगाबॉण्ड... या निकम्मे  निकले!! 
1 जेल में था..  और।

1 अब 50 की उम्र  सैटल हुआ था इसलिए अब शादी करना चाहता था...

1 अभी भी सैटल नहीं था और दो तलाक़ के बावजूद तीसरी शादी की फ़िराक़ में था...

महीने भर में ... “तीसरी कक्षा के सारे रजिस्टर ” भाग्य की व्यथा ख़ुद ही सुना रहा था...

काउंसलर ने खुद पूछा । अब बताओ डिप्रेशन कैसा है ???

अब सज्जन को समझ आ गई कि उसे कोई बीमारी नहीं, वो भूखा नहीं मर रहा,  दिमाग एकदम सही है,  कचहरी पुलिस वकीलों  से उसका पाला नही पड़ा,,,उसके बीवी,बच्चे बहुत अच्छे हैं, स्वस्थ हैं, वो भी स्वस्थ है। डाक्टर, अस्पताल से पाला नही पड़ा।

उन्होंने रियलाइज़ किया कि दुनियाँ में वाक़ई बहुत दु:ख हैं..मै बहुत सुखी और भाग्यशाली हूँ... दो बात तय हुई आज कि...
धीरूभाई अम्बानी बनें या न बनें न सही..और भूखा नहीं मरे....बीमार बिस्तर पर न गुजारें,,, जेल में दिन न गिनना पड़े तो ऊपर वाले को धन्यवाद देना कि सब सर्वोत्तम है।

*क्या अब आपको भी ऐसा लगता है। कि आप डिप्रेशन में हैं ।।* 

*अगर आप को भी ऐसा लगता है  तो आप भी तीसरी कक्षा का रजिस्टर स्कूल जाकर ले आएं ।*

🙏🙏

*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*



*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*


  

शुक्रवार, 12 मई 2023

गरुड़ संजीवनी.

गरुड़ संजीवनी...
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गरुड़ काष्ठ वास्तव में गरुड़ नामक एक विशाल वृक्ष की फली होती है जो देखने में किसी सर्प के समान लगती है और १ मीटर तक हो सकती है। इसके ऊपर एक बहुत महीन पारदर्शी परत चढ़ी रहती है जो देखने में किसी साँप की केंचुली के समान लगती है। यह एक दुर्लभ वृक्ष है और बहुत ही कम स्थानों पर पाया जाता है। ये इस पृथ्वी पर उत्पन्न सबसे प्राचीन वृक्षों में से एक है जिसकी उत्पत्ति लगभग ३ अरब वर्ष पहले बताई गयी है।

इसकी उत्पत्ति के बारे में एक कथा आती है कि जब अपनी माता विनता को अपनी विमाता कुद्रू के दासत्व से मुक्त कराने के लिए जब गरुड़ स्वर्ग से अमृत लेकर वापस आ रहे थे तो उसकी कुछ बूँदें पृथ्वी पर गिर जाने के कारण एक वृक्ष की उत्पत्ति हुई। गरुड़ के नाम पर ही उस वृक्ष का नाम गरुड़ वृक्ष पड़ा। अमृत से जन्में होने के कारण इसके गुणों को भी अमृत के समान ही बताया गया है।

जैसा कि बताया गया है, गरुड़ वृक्ष और उसकी लकड़ी अद्भुत औषधीय गुणों से भरी होती है। जिस प्रकार गरुड़ नागों के शत्रु माने गए हैं, ये वृक्ष भी कुछ वैसा ही है।

कहा जाता है कि जिस स्थान पर गरुड़ वृक्ष लगा होता है वहाँ से १०० मीटर की परिधि में कोई नाग अथवा सर्प नहीं आ सकता। ऐसी मान्यता है कि यदि कोई सर्प इस वृक्ष के निकट जाएगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

गाँवों में लोग इस कारण भी इस वृक्ष को अपने घर के सामने लगाते हैं ताकि साँप और अन्य विषैले कीड़े मकोड़ों से उनकी सुरक्षा हो सके।

इस वृक्ष की पत्तियाँ भी बेलपत्र के समान ही तीन-तीन के समूहों में होती हैं। अपनी अद्वितीय औषधीय गुणों के कारण इसका एक नाम गरुड़ संजीवनी भी है। इसके वास्तु और ज्योतिष चमत्कार भी बताये गए हैं। कहते हैं जो कोई भी इसकी फली अपने शयनकक्ष में रखता है उसे सर्पों के दुःस्वप्न भी नहीं आते। इसे अपने पास रखने से मनुष्य को कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। इसकी फली पर कुमकुम लगा कर अपनी तिजोरी में रखने पर माता लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।

सर्पदंश में ये फली साक्षात् संजीवनी के समान बताई गयी है। यदि किसी व्यक्ति को किसी सर्प ने काट लिया हो तो उस फली को जल में डुबा कर उस जल को पीड़ित को पिलाने से उसका विष तत्क्षण उतर जाता है। इस जड़ी को पानी में रात भर डुबा कर रखने के बाद यदि उससे किसी व्यक्ति को स्नान करा दिया जाये तो भयंकर से भयंकर विष भी उतर जाता है।

हालाँकि इसके विषय में कुछ भ्रामक जानकारियाँ भी फैली है जिसे बता कर लोगों को ठगा भी जाता है। ऐसी ही एक भ्रामक जानकारी दी जाती है कि ये फली अपने आप जमीन में गड़े खजाने को ढूँढ़ लेती है, जो कि सच नहीं है।

इसकी फली की भी एक अद्भुत विशेषता होती है कि ये सदैव पानी की धार के विपरीत दिशा में चलती है। यहाँ तक कि यदि इसके ऊपर आप पानी गिराएंगे तो ये उसकी धार के साथ-साथ ऊपर आ जाएगी। इसके अतिरिक्त शायद ही कोई निर्जीव चीज इस प्रकार पानी की धार के विरुद्ध तैर सके। इसे देखना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है।
हालाँकि वैज्ञानिक इसे चमत्कार नहीं बल्कि वैज्ञानिक प्रक्रिया मानते हैं। उनके अनुसार चूँकि गरुड़ वृक्ष की डली घुमावदार होती है इसी कारण ये पानी के विपरीत दिशा में तैरती है। किन्तु इस प्रकार की घुमावदार चीजें कई हैं जैसे अन्य लकड़ी, प्लास्टिक इत्यादि, किन्तु इनमें से कोई भी चीज इस प्रकार पानी की धार से विपरीत दिशा में नहीं तैर सकती। इससे इस वृक्ष की विशेषता सिद्ध होती है।

वैसे तो शहरों के लिए ये लकड़ी नयी है किन्तु आज भी देश के जंगलों में रहने वाली जनजाति इसका उपयोग करती है। छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि राज्यों के आदिवासी लोग इस जड़ी का आज भी सर्पों से रक्षा के लिए उपयोग करते हैं।

गुरुवार, 11 मई 2023

कमाल की है ‘#मूंग_की_दाल’हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं..?

कमाल की है ‘#मूंग_की_दाल’
हम इसे बीमारियों में क्यों खाते हैं..?

सभी जानते हैं कि दालें प्रोटीन से भरपूर होती हैं, लेकिन दालों में सबसे उत्तम, #स्वास्थवर्द्धक तथा #शक्तिवर्द्धक #दाल_मूंग की होती है।

● मूंग की दाल की खास बात है कि यह #सुपाच्य होती है।

● इसके अतिरिक्त मूंग की दाल में #कार्बोहाइड्रेट, कई प्रकार के #विटामिन, #फॉस्फोरस और #खनिज तत्व पाए जाते हें, जो अनेक बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखते हैं।

● मूंग साबूत हो या धुली, पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

● अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों #कैल्शियम, #आयरन, #प्रोटीन, #कार्बोहाइड्रेट और #विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है।अंकुरित मूंग दाल में #मैग्नीशियम, #कॉपर, #फोलेट, #राइबोफ्लेविन, #विटामिन_सी, #फाइबर, #पोटेशियम, #फॉस्फोरस, #मैग्नीशियम, #आयरन, #विटामिन_बी_6, #नियासिन, #थायमिन और #प्रोटीन होता है।

● कुछ लोगों को लगता है कि मूंग दाल बीमारी में खाने के लिए होती है, जबकि मूंग दाल में इतने पौष्टिक तत्व होते है कि अपनी खुराक में उसे शामिल करना ही चाहिए।

● मात्र एक कटोरी पकी हुई मूंग की दाल में 100 से भी कम केलौरी होती है।

● इसे खाने के बाद लम्बे समय तक भूख नहीं लगती है।

● रात के खाने में रोटी के साथ एक कटोरी मूंग दाल खाने से भरपूर पोषण मिलता है और जल्द ही बढ़ा वजन कम होता है।

● इस तरह मोटापा घटने में मूंग दाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

● शोध बताते हैं कि मूंग दाल खाने से त्वचा कैंसर से सुरक्षा भी मिलती है।

● मूंग की मदद से आसानी से रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है, साथ ही मूंग कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करती है।

● ये सोडियम के प्रभाव को कम कर देती है, जिससे रक्तचाप बढ़ता नहीं है।

● मूंग आयरन की कमी को पूरा करने में सक्षम है।
आमतौर पर, शाकाहारी लोग अपने खाने में कम आयरन लेते हैं।

● अपनी खुराक में मूंग को शामिल करके आयरन की कमी दूर की जा सकती है, जिससे एनीमिया का जोखिम भी अपनी आप कम हो जाएगा।

● दाद, खाज-खुजली की समस्या में मूंग की दाल को छिलके सहित पीस कर लेप बनाकर उसे प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ होता है।

● टायफॉयड होने पर मूंग की दाल खाने से मरीज को बहुत आराम मिलता है।

● किसी भी बीमारी के बाद शरीर कमजोर हो जाता है।

● मूंग की दाल खाने से शरीर को ताकत मिलती है।

● मूंग की दाल के लेप से ज्यादा पसीना आना भी रुक जाता है।

● दाल को हल्का गर्म करके पीस लें। फिर इस पाउडर में कुछ मात्रा पानी की मिला कर लेप की तरह पूरे शरीर पर मालिश करें, ज्यादा पसीना आने की शिकायत दूर हो जाएगी।

● मूंग को अंकुरित करके भी उपयोग में लाया जा सकता है, यह बहुत ही गुणकारी और स्वास्थ्वर्द्धक है तथा इसके सेवन से अनेक रोगों से बचाव किया जा सकता है और मुक्ति पायी जा सकती है।

● अंकुरित मूंग का सेवन अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में आवश्यक तत्वों की कमी पूरी करती है और शरीर को मजबूत बनाती है।

● यह सुपाच्य भी है।

● इससे बेहतर शाकाहारी खाद्य सामग्री कोई नहीं होती है।

● अंकुरित मूंग में ग्लूकोज लेवल बहुत कम होता है इस वजह से मधुमेह रोगी इसे खा सकते हैं।

● अंकुरित मूंग के सेवन से पाचन क्रिया हमेशा सही बनी रहती है जिसके कारण पेट सम्बंधी समस्या नहीं होती है और जीवन खुशहाल रहता है।

● अंकुरित मूंग में शरीर के विषाक्त तत्वों को निकालने का गुण होता है।

● इसके सेवन से शरीर में विषाक्त तत्वों में कमी आती है और शरीर स्वस्थ तथा चुस्त रहता है।

● अंकुरित मूंग का नियमित सेवन करने से उम्र का असर जल्दी ही चेहरे पर दिखाई नहीं देता है।

● अंकुरित मूंग में पेप्टिसाइड होता है जो रक्तचाप को संतुलित रखता है और शरीर को स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनाए रखने में कारगर होता है।

● अंकुरित मूंग में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जिससे अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है तथा पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है।

● मूंग की दाल में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देते हैं और उसे बीमारियों से लड़ने की ताकत देते हैं।

अब मर्जी आपकी, आप मूंग की दाल खायें या कुछ और।

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