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रविवार, 21 मई 2023

“औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़” Berberis aristata benefits

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में बताने वाले हैं यदि आप जानना चाहते है उत्तराखंड में पाया जाने वाला “औषधीय गुणों वाला किलमोड़ा का पेड़”  Berberis aristata benefits के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े|

kilmoda

किलमोड़ा देवभूमि का औषधीय प्रजाति-

किलमोड़ा उत्तराखंड के 1400 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला एक औषधीय प्रजाति है। इसका बॉटनिकल नाम ‘बरबरिस अरिस्टाटा’ है। यह प्रजाति दारु हल्दी या दारु हरिद्रा के नाम से भी जानी जाती है। पर्वतीय क्षेत्र में उगने वाले किल्मोड़े से अब एंटी डायबिटिक दवा तैयार होगी।

किलमोड़ा पौधा दो से तीन मीटर ऊंचा होता है। पहाड़ में पायी जाने वाली कंटीली झाड़ी किनगोड़ आमतौर पर खेतों की बाड़ के लिए प्रयोग होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है। कुमाऊं विवि बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग ने इस दवा के सफल प्रयोग के बाद अमेरिका के इंटरनेशनल पेटेंट सेंटर से पेटेंट भी हासिल कर लिया है। विवि की स्थापना के बाद अब तक यह पहला पेटेंट है

वनस्पति विज्ञान में ब्रेवरीज एरिस्टाटा को पहाड़ में किलमोड़ा के नाम से जाना जाता है। इसकी करीब 450 प्रजातियां दुनियाभर में पाई जाती हैं। भारत, नेपाल, भूटान और दक्षिण-पश्चिम चीन सहित अमेरिका में भी इसकी प्रजातियां हैं।
किलमोड़े के फल में पाए जाने वाले एंटी बैक्टीरियल तत्व शरीर को कई बींमारियों से लड़ने में मदद देते हैं। दाद, खाज, फोड़े, फुंसी का इलाज तो इसकी पत्तियों में ही है। डॉक्टर्स कहते हैं कि अगर आप दिनभर में करीब 5 से 10 किलमोड़े के फल खाते रहें, तो शुगर के लेवल को बहुत ही जल्दी कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा खास बात ये है कि किलमोड़ा के फल और पत्तियां एंटी ऑक्सिडेंट कही जाती हैं। एंटी ऑक्सीडेंट यानी कैंसर की मारक दवा। किलमोडा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों और पर्यवरण प्रेमियों ने इसके खत्म होते अस्तित्व को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ किलमोड़े के तेल से जो दवाएं तैयार हो रही हैं, उनका इस्तेमाल शुगर, बीपी, वजन कम करने, अवसाद, दिल की बीमारियों की रोक-थाम करने में किया जा रहा है। इसके पौधे कंटीली झाड़ियों वाले होते हैं और एक खास मौसम में इस पर बैंगनी फल आते हैं।

किल्मोडा पौधे के औषधीय गुण 

  • किल्मोडा की ताज़ा जड़ों का उपयोग मधुमेह और पीलिया के इलाज के लिए किया जाता है। जड़ों में कुल क्षारीय सामग्री 4% और उपजी में है, 1.95%, जिनमें से बेरबेरिन क्रमशः 09 और 1.29% है।
  • किल्मोडा (बर्बेरिस एशियाटिक) अर्क ने शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को दिखाया जो स्वस्थ दवा और खाद्य उद्योग दोनों में लागू होता है।
  • यह गठिया के इलाज में भी उपयोगी होता हैं|
  • किल्मोड़ा के फलों के रस और पत्तियों के रस का इस्तेमाल कैंसर की दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
  • इस पौधे में एंटी डायबिटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ट्यूमर, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। डायबिटीज के इलाज में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
  • इस पौधे की जडो का रस  पेट दर्द में तुरंत आराम देती है|
किलमोड़ा का उपयोग कैसे करते हैं kilmora ka upyog kese kare?

सामान्य रूप में किलमोड़ा के नीले रंग के फल को खाया जाता है। इसके साथ ही इसकी जड़ों का प्रयोग भी औषधि के रूप में किया जाता है। 

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग 
Sugar me kilmora ki jadho ka prayog:

मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा एक नायाब औषधि है। इसके लिए किलमोड़ा की ताजा जड़ों को उबाल कर इसका अर्क तैयार किया जाता है। यह अर्क गाढ़ा पीले रंग का होता है, शुगर से ग्रसित व्यक्ति को यह अर्क दैनिक रूप से 15 से 20 ml दिन में 3 बार तक लिया जा सकता है। इसके नियमित उपयोग से रक्त में शर्करा के स्तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

ध्यान रहे अधिक मात्रा में किलमोड़ा के जड़ का अर्क लेना शरीर में रक्तचाप तथा गुर्दे की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर चिकित्ससककता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इस लिए किलमोड़ा के अर्क का प्रयोग प्रारम्भ करने से पूर्व चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

इसकी जड़ों में कुल 4 प्रतिशत क्षारीय तत्व तथा तने में तने में 1.95 प्रतिशत क्षारीय तत्व पाये जाते हैं। इसमें बेरबेरीन नामक तत्व क्रमशः 2.09 प्रतिशत व 1.29 प्रतिशत पाया जाता है।

एक शोध के अनुसार किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग कैंसर रोधी गतिविधि के लिए औषधि के रूप में किया जा सकता है।

मधुमेह अथवा शुगर में किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग Sugar me kilmora ke falon ttha fal se teyaar juice ka prayog:
मधुमेह अथवा शुगर से ग्रसित लोगों के लिए किलमोड़ा के फलों तथा फल से तैयार जूस का प्रयोग भी काफी फायदेमंद रहा है। अनुसंधान से ज्ञात हुआ है कि दैनिक रूप में किलमोड़ा के 8 से 10 फल खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में सहायता मिलती है।

पीलिया में किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग
 piliya me kilmora ki jadho ka prayog:
किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग पीलिया की दवा बनाने में भी किया जाता है। पीलिया रोगी को बिना विशेषज्ञ की सलाह के किलमोड़ा की जड़ों का प्रयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है।

गठिया के उपचार में किलमोड़ा के तने का प्रयोग 
Gathiya me kilmora ke tane ka prayog:
एक अनुसंधान के अनुसार किलमोड़ा के तने से निकाले गये तेल की मालिस करने से गठिया रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही किलमोड़ा के फल तथा फलों से तैयार जूस का सेवन करने से गठिया के कारण होने वाली सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है।

किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी के फायदे 
Kilmora ke falon ttha sabji ke fayde:
किलमोड़ा के फलों तथा सब्जी का सेवन शरीर में कई प्रकार के ऑक्सीडेटिव तनाव के जोखिम को कम करने के लिए जाना जाता है। किलमोड़ा का प्रयोग हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर के खतरे से बचाने तथा तनाव को कम करने में भी सहायक है।

यह सभी स्वास्थ्य लाभ किलमोड़ा में पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स, कैरोटीनॉयड और विटामिन-सी जैसे फाइटोकेमिकल्स की उपस्थिति के कारण होते हैं। इन फाइटोकेमिकल्स में पॉलीफेनोल्स को एंटीइफ्लामेंट्री, एंटीवायरल, एंटीवेक्टिरियल तथा एंटीऑक्सिडेंट तत्व के रूप में पहचाना जाता है।

उक्त तथ्यों से पता चलता है कि, पारंपरिक फलों के अतिरिक्त किलमोड़ा जैसे जंगली फलों में उच्च फेनोलिक्स पाया जाता है। यही तत्व लिपोप्रोटीन के ऑक्सीकरण को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा खपत के बाद प्लाज्मा में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा में वृद्धि भी करता है।

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