दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में
जा गिरा , इस बार फिर दयानंद
स्वामी उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने
फिर डंक मार दिया . चार बार
ऐसा ही हुआ, तब एक दोस्त से रहा न
गया तो उसने पूछा दयानंद आपका ये काम
हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है
और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने
बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये
बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से
क्यूँ बाज़ आऊं!!!
मनुष्य का कर्म ही है की प्राणीयोँ के साथ प्रेम से रहे।
जा गिरा , इस बार फिर दयानंद
स्वामी उसे बचने के लिए आगे बढे, पर उसने
फिर डंक मार दिया . चार बार
ऐसा ही हुआ, तब एक दोस्त से रहा न
गया तो उसने पूछा दयानंद आपका ये काम
हमारी समझ के बाहर है, ये डंक मार रहा है
और आप इसे बचने से बाज़ नहीं आते. उन्होंने
बहुत तकलीफ में मुस्कुराते हुए कहा कि जब ये
बुराई से बाज़ नहीं आता तो मैं अच्छाई से
क्यूँ बाज़ आऊं!!!
मनुष्य का कर्म ही है की प्राणीयोँ के साथ प्रेम से रहे।