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शनिवार, 1 सितंबर 2012

विभिन्न प्रकार के रोगों में आप निम्बू के रस की सहायता

निम्बू का सेवन प्रत्येक मौसम में किया जा सकता है|निम्बू का मुख्य कार्य शरीर में एकत्रित विषों को नष्ट कर शरीर से बाहर निकलना है|उबलते हुए पानी में निम्बू निचोड़ कर पिने से पूरे शरीर में नई शक्ति-स्फूर्ति अनुभव होती है|इस से आँखों कि रौशनी भी तेज होती है तथा मानसिक दुर्बलता,सिरदर्द बंद हो जाता है| निम्बू में विटामिन 'सी' का प्रचुर भण्डार है|
रक्त क्षीणता :
जिनके शरीर में रक्त कि कमी हो अथवा शरीर दिन ब दिन गिरता जाये तो ऐसे लोगों को टमाटर के रस के साथ निम्बू के रस का सेवन करना चाहिए|
उदर रोग:
एक गिलास गर्म पानी में निम्बू का रस मिलकर बार बार पिने से संपूर्ण पाचन तंत्र और शरीर कि धुलाई हो जाती है|इससे शरीर में तथा रक्त में जमा सभी विषेले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते है|यकृत के समस्त रोगों में निम्बू लाभदायक है|अपच होने पे निम्बू को काटकर उस पर नमक डालकर गर्म करके चूसने से खाना आसानी से पच जाता है|
पेट-दर्द
१२ ग्राम निम्बू का रस,६ ग्राम अदरक का रस तथा इतना ही शहद,मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है|निम्बू कि फांक में काला नमक नमक ,काली मिर्च एवं जीरा भर कर गर्म करके चूसने से भी पेट दर्द ठीक हो जाता है|भूख न लगने पर निम्बू और अदरक कि चटनी का सेवन करें,इस से हरा धनिया भी मिला सकते हैं|
कब्ज:
निम्बू का रस गर्म पानी में डालकर रात में लें तो सुबह खुलकर पेट साफ़ हो जाता है|निम्बू का रस और शक्कर १२ ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर सब को पिने से कुछ दिनों में पुराने से पुराना कब्ज ठीक हो जाता है|
दस्त:
दूध में नीबू निचोडकर पीने से दस्त में लाभ होता है|एक निम्बू का रस एक चम्मच पानी,जरा सा नमक और शक्कर मिलकर पांच बार नित्य पीने से दस्त बंद हो जाते हैं|
अम्ल पित्त:
निम्बू अम्ल का नाश करने वाला है|निम्बू का रस गर्म पानी में डालकर सायंकाल में पीने से अम्लपित्त नष्ट हो जाता है|एक कप गर्म पानी में एक चम्मच निम्बू का रस एक एक घंटे में तीन बार लें|
सर दर्द:
निम्बू चाय में निचोड़ कर पीने से लाभ होता है|निम्बू कि पत्तियों को कूट कर रस निकालकर सूंघने से भी सर दर्द ठीक हो जाता है|दिल घबराने,छाती में जलन होने पर ठन्डे पानी में निम्बू निचोडकर पीने से लाभ होता है|चक्कर आने पर एक कप गरमपानी में डेढ़ चम्मच निम्बू का रस डालकर पीने से लाभ होता है|
ज्वर:
जिसमे रोगी को बार बार प्यास लगती हो तो ऐसे में उबलते पानी में निम्बू निचोडकर पिलाने से ज्वर का तापमान गिर जाता है|मात्रा पानी एक कप निम्बू का रस दो चम्मच|

• दो निम्बू काटकर २५० ग्राम पानी में डालकर उबालें|जब पानी आधा रह जाये तो उतार कर छान लें|इसमें दो ग्राम सेंध नामक सेंक कर मिला लें और पि लें|यह एक खुराक है एवं ऐसे दिन में दो तीन बार लें|भोजन न करें|
• पानी में निम्बू निचोडकर स्वादानुसार शक्कर मिलकर पीने से मलेरिया ठीक होने में मदद मिलती है|फ्लू में भी गर्म पानी में निम्बू मिलकर पीने से इस रोग से बचा जा सकता है|

निम्बू को संस्कृत में निम्बुक तथा हिंदी में निम्बू ही कहते है | बंगला में पालितेबू, मराठी में लिंमू, गुजरती में कागदी लिंमू,तमिल में एलूमिच्चे और अंग्रेजी में( द लेमन ऑफ़ इंडिया ) कहते है | इसका लैटिन नाम है "साइट्रस लाइमोन" |

निम्बू का सेवन स्वस्थ्य व्यक्ति करते है तो आरोग्य की प्राप्ति होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होती है | खट्टापन निम्बू का प्राकृतिक गुण है, हर निम्बू में खटास होती है, कोई अधिक तो कोई कुछ कम खट्टा होता है |

यह पाचक रसो को उत्तेजित करता है, मन्दाग्नि वालो की भूख जागृत करता है और पाचन क्रिया में सुधार लाता है | इसके रस से रोगोत्पादक कीटाणु नष्ट हो जाते है | यह रक्तपित-स्कर्वी रोग में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है | इसके नियमित सेवन से संक्रामक रोगों से बचाव होता है | निम्बू का सेवन खाली पेट करने से ज्यादा लाभ होता है |



इसके सेवन के विधि :- निम्बू का रस विशुद्ध रूप में न पिए, पानी में मिलाकर पिए ,शुद्ध रस में तेजाब होता है, जिससे दाँत के इनैमल को हानी पहुंचा सकती है |
दूसरी बात इनके रस का सेवन हमेशा खाली पेट करें, तभी वह पूर्ण उपयोगी सिद्ध होगा अन्यथा लाभ अवश्य करेगा पर कुछ कम |
अगर प्रातः काल खाली पेट एक- दो गिलास ठंढे पानी में निम्बू का रस शहद मिलाकर लेने से शरीर की अच्छी सफाई हो जाती है |

निम्बू में रासायनिक तत्व :-
रासायनिक दृष्टि से निम्बू में पानी ८५%,प्रोटीन १%, वसा ०.९%, कर्बोदित, ११.१% रेशे १.८%, कैल्सियम, .०.०७ फोस्फोरस ०.०३, लौह २.३ मिलीग्राम / १०० ग्राम और विटामिन सी , इन सबके आलावा निम्बू में थोड़ी मात्रा में विटामिन 'ए' भी होता है |


विभिन्न प्रकार के रोगों में आप निम्बू के रस की सहायता ले सकते है :-
अजीर्ण ( अपच ) :- इसकी शिकायत होने पर निम्बू, अदरक और सेंधा नमक मिलाकर भोजन से पहले खाना चाहिए, ऐसा करने से अपच नष्ट हो जाता है और वायु कब्ज़, कफ, आमवात ( गठिया ) का नाश होता है |
अम्लपित :- गर्म पानी में निम्बू का रस डालकर शाम को पिने से अम्ल्पति में राहत
उदरशूल :- निम्बू का रस १५ ग्राम, चुने का पानी १० ग्राम और मधु १० ग्राम तीनो मिलाकर २०-२० बूंद की मात्रा दिन में ३-४ बार लेने से उदरशूल में लाभकारी है |
अरुचि :- निम्बू के रस को गर्म कर उसमे शक्कर व इलायची चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होती है |
सर्दी जुकाम ,दस्त, पथरी ,कमर दर्द, जवारा ज्वर, विच्छु का ज्वर , लीवर विकार,जीभ के छाले, चला जाता है | रक्तस्त्राव मौसमी बुखार जैसे हैजा आदि में बहुत ही उपयोगी औषधि है

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

ये है ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल का 'आधा आना'.

ये है ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल का 'आधा आना'. आजसे १५० साल पहले जब हम अंग्रेजो के गुलाम थे तब के इस भारितीय चलन को देखिये ,इसपर ओम (ॐ) ,त्रिशूल,सूर्य और चंद्र आदि अंकित थे. जब हम अंग्रेजो के गुलाम थे तब भी हम में इतनी धार्मिक निष्ठां थी की अंग्रेजो को भी उसके आगे झुक कर हमारे धार्मिक अस्तित्व को प्रकाशित करना या होने देना पड़ता था.


जय महेश !!

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