*लेख जरा लम्बा है*
*जब समय हो, तब पूरा पढ़िएगा*
लोग समझ रहे हैं कि 370 का प्रभाव सिर्फ भारत पर पङेगा मगर सच ये है कि इसका प्रभाव पूरे *दक्षिण एशिया* की कूटनीति पर पङेगा।
इससे सबसे ज्यादा पाक और चीन प्रभावित होंगे और हो भी रहे हैं। 90% लोग शायद नहीं जानते कि चीन आज किन समस्याओं से घिरा है।
मेरी नज़र में South Asia का सबसे अशांत इलाका आज चीन ही है मगर दौलत की चमक में उसकी अंदरूनी घबराहट या तो छुप जाती है या आम आदमी देख नहीं पा रहा है। मगर सच ये है कि शी जिंग पिंग की ऊँगली थाम कर चीन एक ऐसे रास्ते पर चल निकला है जिसका बर्बाद होना लगभग तय है।
मोदीजी के बिछाये जाल में चीन ऐसा फँसा है कि उसकी चाँय चू भी ढंग से नहीं निकल पा रही है। इस भाग में यही रणनीति समझने की कोशिश करते हैं।
*1* जिंगपिंग ने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये *CPEC* की नींव लगभग 7-8 साल पहले ये सोचकर डाली कि Gulf countries में U.S. को तगड़ी चुनौती देकर उसका दबदबा खत्म या कम कर देगा। उस कमाई के चंद टुकड़े वो पाक को भी डालता रहेगा।
धीरे धीरे जैसे उसने हाँगकाँग और आसपास के छोटे छोटे देशों को निगला उसी तरह वो पाक को भी आसानी से निगल लेगा। अब बचते हैं भूटान, नेपाल जैसे देश जिन्हें मसलना उसके लिये मामूलो बात है।
भारत में यू भी *गद्दारों और फट्टुओं (खान्ग्रेस) की सरकार* का ही दबदबा रहता है। अतः जितना हो सकेगा उसका भी हिस्सा दबा लेंगे। जैसे कभी *डरपोक नेहरू* ने कैलाश मानसरोवर का हिस्सा अपने बाप का माल समझकर चीन को दे दिया था। खान्ग्रेस के शासन काल में चीन अरूणाचल पर अपना कब्जा बताता रहता था और फट्टू खान्ग्रेस वहाँ कभी सङक तक नहीं बना पाई थी। जबकि भारतीय शेर ने चीन की सीमा से मात्र 10 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट बनवा दिया और चीन देखता रह गया।
*असल में पासा तब पलट गया जब 2014 में मोदीजी की सरकार आ गयी*। चीन ने भूटान पर जब नज़र गड़ाई तो बड़े भाई की भूमिका में भारत आगे आ गया और डोकलाम में बिना एक भी गोली चलाये चीन की सारी हेकड़ी निकाल दी। *तब चीन ने बिकाऊ खान्ग्रेस को खरीदा*।
आपको याद होगा कि *पप्पू चोरी चोरी चुपके-चुपके पिंकी और आनंद शर्मा के साथ* चीनी राजदूत से मिलने गये थे। पहले तो झूठ बोला, मगर जब फोटो सामने आये तो बोले हम तो डोकलाम पर स्थिति पता लगाने गये थे। जैसे मोदीजी के पास जाते तो वो दरवाजे पर से ही भगा देते।
घर में जब अम्मीजान को उल्टियाँ हो रहो हों और कुछ खट्टा खाने का भी मन हो रहा हो तो सपूत पहला संपर्क अपने पिताश्री से करता है और कपूत पङोसी से। *जो पप्पू और पिंकी ने चीन से करके अपने Character का certificate स्वयं दे दिया*।
उसके बाद राफेल का खेल चला ताकि जनता पप्पू n पिंकी की बातों में आ जाये और 2004 वाली गल्ती दोहरा दे, ताकि चीन को फिर खुला मैदान मिल जाये भारत की ज़मीन हङपने का। *मगर इस बार भारत की जनता ने बाल बराबर भी गल्ती नहीं की*। पप्पू और पिंकी के साथ चीन के सारे षङयंत्रों पर पानी फेर दिया।
*2.*। पाक की चटनी रोटी 90% इमदाद (भीख) के दम पर हो चलती है। P.M. बनने के कुछ समय बाद मोदीजी ने पहले तो बराक ओबामा को शीशे में उतारा और इमदाद में कटौतियाँ करवाते चले गये। यूं भी ओसामा के मारे जाने के बाद U.S. को भिखारियों (पाक) की जरूरत भी नहीं रह गयो थी अतः उसने धीरे धीरे हाथ खींचना शुरू कर दिया।
फिर मोदीजी ने Gulf countries का रूख किया और *ईरान, कुवैत, सउदो अरब आदि को शीशे में उतारा* और पाक के आतंकवाद के सारे कच्चे चिट्ठे खोलना शुरू कर दिये। यू भी जनवरी 19 में ईरान पर जब एक आतंकी गुट ने हमला कर ईरान के कुछ सैनिकों की हत्या की और ईरानी जाँच में पाकिस्तानी लिंक सामने आया तो ईरान वैसे ही पाक से खार खा गया था। बची हुई कसर मोदीजी ने पाक के कुकर्म सामने रखकर जलती आग में शुद्ध घी के कनस्तर उङेल कर पूरी कर दी, तो आग ऐसी भङकी कि *OPEC के सारे देशों ने पाक को दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया*।
इस तरह बड़ी चतुराई से मोदीजी ने *भूखा नंगा पाक या नाग चीन के गले में डाल दिया*।
चीन ने पहले तो इसे अपने लिये Golden chance समझा और पाक को खूब पैसा दे देकर पाक पर अपनी पड़ मजबूत करना शुरू कर दी और सैंकड़ों करोड़ों खिला दिये। मगर बाद में चीन को ऐहसास हुआ कि वो *पाक में नहीं बल्कि किसी black hole में घुस गया है* जिसका कोई छोर ही नज़र नहीं आ रहा।
तब चीन ने back gear डाला और भारत से बिगड़े रिश्ते सुधारने की कोशिश की। सुना है कि अगले महीने मोदीजी चीन जा ही रहे हैं।
*(3)*
370 हटने से पाक तो सकते में आ ही गया क्योंकि वो जिस कश्मीर को हथियाने के लिये *साँपों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह और खान्ग्रेस) को* दूध पिला रहा था, मोदीजी ने 370 हटाकर उनके दाँत ही उखड़ दिये। मगर पाक के दिल में दहशत हमारे प्यारे मोटाभाईजी ने संसद में ये कहकर भर दी कि *जब मैं जम्मू कश्मीर कहता हू तो POK और अक्साई चीन भी उसमें शामिल हो जाता है*। तब से पाकी हुक्मरानों के साथ सेना के होश फाक्ता हैं कि हम तो मोदी को ही खतरनाक समझते थे मगर ये मोटाभाई तो उनसे भी ज्यादा खतरनाक हैं।
पाक को उम्मीद अमेरिका व खाड़ी देशों से थी। *जबरन अपनी बेइज्जती कराते कराते और मैट्रो में ठोकर खाते खाते* जनाब बापजी (ट्रंप) की ड्योढ़ी पर तो पहुंच गये मगर ये क्या हुआ.... बापजी ने तो सबके सामने ये कहकर इमरान का पोपट ही बना दिया कि *मोदीजी ने मुझसे पिछले महीने कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा था*।
इमरान खुशी के मारे उछलते कूदते पाकिस्तान तो पहुंच गये मगर मोटाभाई जी ने ऐसा ऐटम बम गिराया कि पूरा पाक अभी तक सदमे में गा रहा है कि~
*दिल के अरमा आँसुओं में बह गये*,
*हम सपोलों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह आदि) को खिला खिला के बर्बाद हो गये*
उधर फारूक, उसका चौसा आम, मेहबूबा, हुर्रियत आदि जेलों में गुनगुना रहे हैं कि~
*चुपके चुपके आँसू बहाना याद है*,
*हम को अब तक दामादगिरी का वो ज़माना याद हैं*
चीन की हवा इसलिये ज्यादा Tight है क्योंकि *CPEC का पहला द्वार अक्साई चीन से होता हुआ वाया POK और बलोचिस्तान से जाता है*।
बलोच नेता सालों से आजाद होने के लिये उत्पात मचाये हैं। अब उन्हें मोदीजी का भी साथ मिल गया है तो उनके हौंसले बुलंद हैं।
चीन ने करीब छः लाख करोङ का Investment CPEC पर कर रखा है, फिर भी अभी तक वो चालू नहीं हुआ है। मतलब *कमाई नहीं चवन्नी की भी और दाँव पर लगे हैं घर के बर्तन तक*।
इधर मोदीजी और मोटाभाई ने ऐसा बखेङा खड़ा कर दिया है कि चीन की समझ नहीं आ रहा कि पहले *अपना घर (अक्साई चीन) बचाऊँ या अपनी रखैल (पाक) का*।
उधर शिंजियाँग प्रांत में चीन की दमनकारी नीतियों के कारण लावा अलग उबल रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 10 लाख के आसपास कट्टरपंथी मुल्ले भड़ बकरियों से भी बद्तर हालत में शिंजियाँग की जेलों में ठुसे पड़े हैं। अगर वो फट पड़े तो एक और नई मुसीबत खङी है।
दूसरी तरफ हाँगकाँग चीन की दमनकारी नीतियों के कारण पिछले 11 हफ्तों से उबल रहा है। हाँगकाँग में हो रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे।
इधर ट्रँप ने भी दबे शब्दों में जिंगपिंग को धमका दिया है कि अगर हाँगकाँग में 89 जैसा खेल खेलने की कोशिश की गयी तो व्यापार पर बहुत बुरा असर पङेगा।
चीन ने उत्तर कोरिया का तानाशाह *किम जोंग उन* अलग पाल रखा है जिससे आमदनी नहीं है एक रूपये की उल्टा खिलाना अलग पङ रहा है। क्योंकि वो चीन के इशारे पर आए दिन मिसाइल और परमाणु बमों का परीक्षण करता रहता था। आज उसके कब्जे में चीनी हथियारों का ज़खीरा है। चीन ने जरा भी आँख दिखाई और किम जोंग उन का दिमाग घूमा।
यू भी वो सनकी soldier के नाम से पूरे विश्व में कुख्यात है। आम आदमी जरा खुद ये सोचे कि जिस उ. कोरिया पर सालों से भारी आर्थिक प्रतिबंध हैं, जिसकी जनता भूखों मर रही है उसके पास इतना पैसा और तकनोक आ कहाँ से रही है कि वो आए दिन परमाणु परीक्षण करता रहता है?? मतलब साफ है कि चीन किम जोंग उन के कंधे पर बंदूक रखकर हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहा है ताकि विश्व की सबसे बड़ी महाशक्ति बन सके।
*(5)*
भूखा नंगा पाक गले में पड़ा कहता है बापजी (ट्रंप) ने तो टुकड़े डालने बंद कर दिये हैं। खाङी देशों से भी इमदाद कम हो गयी है। मोदी बार्डर पर सब कुछ भेज रहे हैं मगर 200% की ड्यूटी लगाकर अतः 30-40 रूपये किलो बिकने वाला टमाटर पाक में आकर 300-350 रूपये किलो बिक रहा है, जनता भयंकर गालियाँ दे रही है। कभी पाकी न्यूज चैनलों को देखिये कैसी कैसी गंदो गालियाँ मिल रही हैं इमरान को अतः चचा (चीन) अब तुम खिलाओ हमको, वर्ना CPEC भूल जाओ।
*चचाजान (चीन) मजबूरी में कभी मसूद अज़हर को बचाते हैं, कभी Back door से पाक को खुश करने के लिये UNO में रूस, फ्रांस, जर्मनी के हाथों अपनी पतलून उतरवाते हैं और खाना भी खिलाते हैं वर्ना भुक्खङों का क्या भरोसा, ये किसी भो दिन अब्दुल या मोहम्मद से कहेंगे...छू.... और वो चीनी दूतावास या कैंप में जाकर फट जायेगा और चीनियों की सारी चाँय चू निकल जायेगी*।
पाक अब CPEC के द्वारा चीन को करेगा जमकर "ब्लैक मेल"। चीन पाक में सख्ती दिखा नहीं सकता वर्ना पाकी सेना आतंकियों के माध्यम से CPEC को इतना नुकसान पहुचायेंगे, जिसकी भरपाई चीन कभी नहीं कर पायेगा। चप्पे चप्पे पर चीन अपनी फौज खड़ी कर नहीं सकता। अतः पाक को पालने के अलावा और कोई रास्ता चीन के पास मुझे तो नज़र नहीं आता।
*(6)*
अमेरिका भी चीन के CPEC से परेशान है क्योंकि चीन का माल खाङी देशों में खपना शुरू हो गया तो U.S. की वर्षों से जमी जमाई धाक खतरे में पङ जायेगी या खाक में मिल जायेगा। सभी जानते हैं कि चीन और पाक की नाक में नकेल भारत ही डाल सकता है अतः वो सब पर्दे के पीछे से भारत का पूरा Support कर रहे हैं। तभी आप देखिये 370 हटाने के बाद पाक U.N. तक चला गया मगर सभी ने ये कहकर पल्ला झड़ दिया कि ये भारत का आन्तरिक मामला है।
पाक के चक्कर में या जिंगपिंग के over confidence के चक्कर में कहें या फिर CPEC के चक्कर में अंबानी रेंक का बंदा (जिंगपिंग) सरे बाज़ार जी बी रोड वाली (पाक) को ऊँगली पकड़ाकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जत हो रहा है
*और बेवकूफ हिन्दू कह रहे थे कि मोदी कर क्या रहा है! विदेश घूमते रहते हैं*। अरे महा-मूर्खों ये विदेश घूमने का ही परिणाम है कि इतना बड़ा निर्णय लेने के बाद भी विश्व समुदाय भारत के साथ खङा है।
*(7)*
तिब्बत का आन्दोलन वर्षों से चल ही रहा है। हाँगकाँग में तेजी से बिगङते हालात पर अगर चीन सैन्य कार्यवाही करता है तो विश्व समुदाय की एक बङी लाॅबी चीन की हालत खराब कर देगी। जिसमें U.S., भारत, फ्राँस, रूस, जापान.... आदि कुछ देश सबसे आगे होंगे क्योंकि चीन ने अपनी बहुत दबंगई दिखाई है। अगर चीन सैन्य कार्यवाही नहीं करता तो ये आन्दोलन कुछ ही दिनों या हफ्तों में विकराल रूप लेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
एक तरफ पाक, दूसरी तरफ हाँगकाँग, तीसरी तरफ शिंजियाँग, चौथी तरफ तिब्बत, पाँचवी तरफ चीन विरोधी लाॅबी और छटवी तरफ छा रही वैश्विक आर्थिक मंदी। हर तरफ से चीन अब घिर गया है। ये आज की कड़वी सच्चाई है।
अब सोचिये कि इस लेख की शुरूआत में मैंने जो कहा कि दक्षिण एशिया का सबसे अशांत इलाका चीन ही है तो क्या गलत है??
*(8)*
अमेरिका पिछले 2-3 सालों से अफगानिस्तान से निकलने के लिये बुरी तरह छटपटा रहा है मगर उसे एक भरोसेमंद साथो की तलाश है। पाक पर अमेरिका बाल बराबर भरोसा नहीं करेगा। ईरान से जबरदस्त पंगा चल रहा है। अब ऐसे में उम्मीद की किरण भारत पर ही आकर टिकती है क्योंकि भारत को आतंकवाद से निबटने का जबरदस्त अनुभव है। कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व भारत के पास मोदीजो के रूप में है। इसी की अमेरिका को सख्त जरूरत भी है ताकि वो अपने 15 हजार सैनिक अफगानिस्तान से निकाल सके।
चीन, पाक के हालात खराब हैं, जो मैं प्रामाणिकता के साथ साबित भी कर चुका हू। मतलब साफ है कि लोहा गरम है और इसी गरम लोहे पर मोदीजी व शाह की जोड़ी ने करारी चोट मारी है।