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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022
एक दर्द पैदा करती पोस्ट- हमें बदलना होगा पीढ़ियों के लिये तुरंत
बुधवार, 23 फ़रवरी 2022
प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलित और कारगर विधियां
प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलित और कारगर विधियां
1 कटिस्नान –
इसे रीढ़ स्थान कटिस्नान, उदर स्नान तथा नाभि स्नान भी कह सकते हैं। कटिस्नान के लिए आवश्यक टब बाज़ार में खरीदने को मिलते हैं। टब में कटि तक पानी भर कर उसमें आराम कुर्सी में बैठने की तरह बैठना चाहिए | टब के बाहर लकड़ी का स्टूल रख कर उस पर पाँव रखें। छोटासा अंगोछा जल में भिगो कर उसे सिर पर डाल लेना चाहिए। जेबीरूमाल पानी में भिगो कर चार तहों में उसे मोड़ कर नाभि और उसके चारों और उससे गरमी पोछते रहना चाहिए। जोर से पोंछना नहीं चाहिए। हर दिन 10 मिनट से 30 मिनट तक कटिस्नान करते रहना चाहिए। नाभि के नीचे का भाग तथा कूल्हे जल में भीगे रहें, यह जरूरी है। ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए। कटि स्नान के बाद शरीर को अंगोछे से पोंछ लें। ठंड लगे तो कंबल ओढ़ लें। थोड़ी देर व्यायाम करें। इससे शरीर में गर्मी पैदा होगी। कटि स्नान के आंधे घंटे के बाद स्नान करें। एक घंटे तक कुछ भी न खावें।
कटि स्नान के लाभ –
कटिस्नान से ऑतों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा | अंदर की गर्मी कम होगी | मलशुद्धि अच्छी होगी | हृदय से संबंधित दर्द, अधिक रक्त चाप, जुकाम, नींद की कमी तथा नीरस आदि बीमारियाँ दूर होंगी।
स्त्रियों की व्याधियाँ दूर होंगी। मासिक ऋतुस्राव ठीक तरह से होगा। कटि स्नान, सबेरे और शाम दोनों समय कर सकते हैं। कटिस्नान के पहले प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञों की सलाह लें तो ठीक होगा।
2. मिट्टी की पड़ियाँ –
चिकनी मिट्टी या काली चिपकाऊ मिट्टी लगा कर कपड़े की पड़ी तैयार करें और पेट, ऑखें गाल, कान, गला, पाँव, पीठ तथा रीढ़ की हड़ी आदि अवयवों पर लगावें तो वहाँ के मालिन्य को वह चूस लेती है। अवयव में गर्मी हो तो उसे भी मिट्टी की वह पट्टी चूस लेती है। मिट्टी का चूर्ण बना कर उसे छान कर, पानी में डाल कर रख देना चाहिए। भीगी मिट्टी को कपड़े पर डाल कर चारों ओर से मोड़ कर उसकी पट्टी बनावें और आवश्यक जगह पर 30 मिनट तक उसे डाल कर रखें। इससे गैस एवं अजीर्ण आदि रोग दूर हो जाते हैं। मिट्टी के लेपन से मुँह पर की फुंसियाँ दूर होती हैं। फोडे पर लगावें तो वह फूट जाएगा। अंदर का मलिन रक्त बाहर निकल जाएगा। सारे शरीर पर चिकनी मिट्टी लगावें तो चर्म संबंधी रोग दूर हो जाएँगे। शरीर की कॉति बढ़ जाएगी। चूँकि मिट्टी में क्षारगुण अधिक रहता है, इसलिए मिट्टी की पट्टियों की सहायता से व्याधियाँ दूर की जा सकती हैं। गहरा गढा खोद कर उसमें गले तक मनुष्य को डाल कर मिट्टी से गढ़ा भर दें तो कई बीमारियाँ दूर होती हैं। सिर भूमि के बाहर हो रहेगा। यह पुरानी पद्धति ही है। प्राकृतिक चिकित्सकों का मार्गदर्शन लें ।
3. सूर्यस्नान –
प्रात:कालीन सूर्य रश्मि में पीठ के बल या पेट के बल लेट कर, सौम्य सूर्यकिरणों की गर्मी शरीर में भरना सूर्य स्नान कहलाता है। सभी लोग सूर्य स्नान कर सकते हैं। लंगोटी या कट ड्रायर पुरुष पहनें और स्त्रियाँ कम कपड़े पहनें और सूर्य स्नान करें तो ठीक होगा। सूर्य स्नान के पहले सिर को पानी में भिगोना चाहिए। इसके बाद लेट कर सिर पर पानी से भीगा वस्त्र ढक लें। धूप में खुली जमीन या चटाई पर लेट सकते हैं। सूर्य की तरफ पाँव रख कर इस प्रकार लेटें कि सूर्य किरणें शरीर को सीधे लग सकें। इस तरह 30 मिनट सूर्य स्नान कर सकते हैं। खाली पेट सूर्योदय के समय सूर्य स्नान करना चाहिए। सूर्यस्नान से शरीर को नूतन शक्ति और स्फूर्ति मिलेगी । डी-विटमिन की प्राप्ति होगी। रिकेट्स रोग, तथा चर्म संबंधी रोग दूर होंगे। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार, रंगीन शीशों के बीच भी सूर्य स्नान कराते हैं। केले के पत्तों से सिर से पैर तक शरीर ढक कर भी सूर्य स्नान 10-15 मिनट करें | इससे दीर्घ कालीन रोग दूर होते हैं। निष्णातों की सलाह लें ।
4. भीगे कपड़े की पट्टी –
छोटा जेबी रूमाल या खादी कपड़ा ठंडे फ्रिज के पानी में भिगोवें, उसे निचोड़ कर मुख या नाभि या जहाँ आवश्यक समझे वहां डाल कर थोड़ी देर इस प्रकार रखें, जिससे वह कपड़ा अपने आप सूख जाये। पेट पर डालें तो गैस कम होगा। मुख पर डालें तो ज्वर की तीव्रता कम होगी। चोट लगे या कहीं कटे तो उस पर शीतल पट्टी डाल दें तो रक्त स्त्राव कम हो जाएगा |
5. गरम पानी से पाद-स्नान –
कुर्सी पर बैठे | बकेट में गरम जल भर दें। हलके गरम पानी में दोनों तलुवे रख दें। जब इस पानी की गर्मी कम होगी तब उसमें 3 या 4 बार गरम पानी मिलाते रहें। बकेट के साथ सारे शरीर को कंबल या ब्लॉकेट से ढकना चाहिए। सिर पर निचौडा हुआ भीगा कपड़ा डालना चाहिए। 15 मिनट तक वैसा रखें तो सारे शरीर में पसीना आ जाएगा। पादस्नान के पूर्व एक गिलास पानी पीना चाहिए। 20 मिनट तक पाद स्नान कर, पसीना अंगोछे से पोंछ कर, दुपट्टा ओढ़ कर सो जाना चाहिए। गरम पानी के इस स्नान से पाँवों का दर्द दूर होगा। वात, जोड़ों का दर्द तथा बदन दर्द दूर होंगे। जिन्हें नींद नहीं आती उनके लिए पादस्नान सचमुच रामबाण सा काम करता है| इससे गाढ़ी नींद आ जाएगी।
विशेष सावधानिया
उच्च रक्तचाप रोगी हदय रोगी तथा छाती दर्दवाले व्यक्तियों को गरम पानी से पाद स्नान नहीं करना चाहिए।
न रहे बेरोजगार ,कार वाशिंग का शुरू करे व्यापार, कम पूंजी में भी 50000 तक कमा सकते है आप
न रहे बेरोजगार ,कार वाशिंग का शुरू करे व्यापार,
कम पूंजी में भी 50000 तक कमा सकते है आप
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद देशभर में लगभग सभी राज्यों में लॉकडाउन लगा था. और अब स्थिति फिर सामान्य हो गई है. ऐसे में जो लोग नया बिजनेस शुरू करना चाहते हैं लेकिन उनके पास पूंजी कम है तो आज हम आपको ऐसे ही बिजनेस के बारे में बता रहे हैं जिसे आप महज 25 हजार रुपये लगाकर शुरू कर सकते हैं और उसके बदले में आपको हर महीने में करीब 50 हजार रुपये की आमदनी हो सकती है. बात हो रही है कार वॉशिंग बिजनेस की. आइए जानते हैं कि इसे आप कैसे शुरू कर सकते हैं.
बिना पूंजी लगाए भी घर घर जाकर कार सफाई का कार्य कर सकते है, कमाई होगी 30000 प्रति माह
ये तो प्रारम्भिक कार्य है स्थान विशेष पर इसे बड़ा रूप भी दिया जा सकता है
शुरूआत छोटी मशीन से करें
देखा जाए तो कार वॉशिंग की प्रोफेशनल या कर्मशियल मशीनें एक लाख रुपये तक भी आती हैं. लेकिन जब तक यह पता नहीं चले कि आपके यहां उतनी कारें आ भी रही है या नहीं जिससे उसकी लागत निकल सके उस पर नहीं जाना चाहिए. मार्केट में कर्मशियल मशीनें 12 हजार रुपये से भी शुरू हो जाती है. इनमें आप दो हॉर्स पावर की मोटर लगवा लें तो करीब 14 हजार रुपये तक पड़ जाएगी जिसमें पाइप से लेकर नोजल सब कुछ शामिल है. इसके अलावा आपको 30 लीटर का वैक्यूम क्लीनर लेना होगा जो करीब 9 से दस हजार रुपये तक मिल जाएगा. वॉशिंग का सामान जिसमें शैंपू, ग्लब्ज, टायर पॉलिश और डेशबोर्ड पॉलिश की पांच लीटर की केन लेंगे तो सब मिलाकर करीब 1700 रुपये का आ जाएगा.
स्थान का चयन
शॉप की लोकेशन के लिए इस बात का रखें ध्यानकार वॉशिंग सेंटर खोलने के लिए सबसे पहले आपको एक अच्छी लोकेशन देखनी होगी जहां सोसायटी हो या फिर कार से जुड़ी चीजों का मार्केट. ऐसा इसलिए क्योंकि वहां लोगों की आवाजाही ज्यादा रहती है. पर शॉप ऐसी जगह लें जहां पर पार्किंग स्पेस हो या गाड़ियां आसानी से आ जा सके. यदि दुकान आपकी हो तो और बेहतर वर्ना आप किसी मैकेनिक की शॉप के साथ उसे आधा किराया देकर भी अपना वॉशिंग का काम शुरू कर सकते हैं. इससे पैसे भी बचेंगे और आप देख पाएंगे कि उस इलाके में कैसा रिस्पांस है.
कितनी होगी कमाई
शहरों के हिसाब से होगा वॉशिंग का चार्ज
कार वॉशिंग का चार्ज शहरों पर भी निर्भर करता है. छोटे शहरों में जहां 150 रुपये में छोटी कारें मसलन ऑल्टो, वैगनआर, क्वीड कारों की वॉशिंग हो जाती है तो वहीं बड़े शहरों में इन्हीं कारों का 250 रुपये तक चार्ज करते हैं जबकि इससे इससे बड़ी कारों जैसे स्विफ्ट डिजायर, हुंडई वर्ना जैसी कारों के 350 और एसयूवी के 450 रुपये तक चार्ज लिए जाते हैं. प्रतिदिन 5 से 6 वाशिंग होने पर प्रतिमाह 50000 के लगभग प्राप्ति का अनुमान है।
न रहे बेरोजगार ,कार वाशिंग का शुरू करे व्यापार, कम पूंजी में भी 50000 तक कमा सकते है आप
मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022
मखाना सीधे से खेत नहीं निकलता इसके पीछे पूरी कहानी है।
भारत का अधिकांश मखाना उत्पादन उत्तर बिहार में होता है। मखाना सीधे से खेत नहीं निकलता इसके पीछे पूरी कहानी है।
मखाने की खेती बहुत आसान है पर ज्यादातर किसान जानकारी के अभाव में इसकी खेती नहीं कर पाते। इसके लिए उष्ण-कटिबंधीय मौसम वेटलैंड ठीक रहता है। खेत में लगभग हर वक्त डेढ़ से दो फिट पानी की आवश्यकता रहती है। साल में दो फसल ले लिया जा सकता है।
सबसे पहले शुरुआत होती है इसके बीजो से या पौधा आप सीधे सीधे नर्सरी भी खरीद सकते है।
एक हेक्टेयर खेती के लिए जितना पौधा चहिये उसके लिए नर्सरी 500 मीटर स्क्वायर के स्पेस में बन जायेगा। इतने के लिए लगभग 20 किलो बीज की आवश्यकता होगी जो राज्य सरकार के कृषि संस्थानों में 100-120 रूपये प्रति किलो के रेट में उपलबध करवाया जाता है।
मध्य नवंबर में इसके बीज रोपा जाता है जो मार्च में नर्सरी बन जाती है। नर्सरी को फिर अलग अलग खेत में शिफ्ट कर दिया जाता है। मई महीने में पौधों से हलके गुलाबी फूल आते है।
इस फुल में बीज आते है। जैसे जैसे बीज मैच्योर होता है फुल भारी होता जाता है और लटकते लटकते पानी में चला जाता है। इसका वजन 300 तक ग्राम तक भी हो जाता है। कुछ दिन पश्चात फूल फट जाता है और इसके बीज बिखर कर पानी के निचे मिटटी की सतह पर चला जाता है।
श्रमिक फिर उसे जालीदार डोंगे की मदद से सतह से इक्क्ठा करते है।
बीज को नहला धुला कर मस्त साफ करने के बाद धूप में सूखाते है।
फिर साइज़ के अनुसार ग्रेडिंग की जाती है।
इसके बाद बीजों को कास्ट आयरन के कड़ाही में 200-250 डिग्री तापमान पर 5-6 मिनट के लिए रोस्ट किया जाता है ताकि बीजों में मौजूद नमी दूर हो जाय और बाद में बीज का कवर अलग करने में आसानी रहे। इसे फिर 72 घंटे के लिए रूम टेम्पेरेचर पर छोड़ दिया जाता है।
अगले चरण में उन बीजों को अब चार अलग-अलग तापमान लेवल पर रोस्ट किया जाता है।
रोस्टिंग के बाद बैठा होता है फोडिया जो रोस्टेड बीजों को फोड़ने का काम करता है, बीज फटने के बाद इसमें से पॉपकॉर्न जैसा मखाना निकलता है।
अंत में पैक और GI टैग लग कर आता है आपके शहर।
फिर जो जैसा वैसा इस्तेमाल करता है। दारु वाले चखना बनाते है, धार्मिक लोग पूजा में, खाने के शौक़ीन लोग सब्जी और खीर में और विदेशी कहलाने के शौक रखने वाले बनाते है रोस्टेड कैरामलाईज़ेड मखाना ! हमारे यहाँ शादियों की रीती रिवाज में मखाना मस्ट है।
बोनस तो ये है की उसी तालाब/खेत में थोड़ा सेपरेट स्पेस का इंतजाम किया जाय तो हाई डिमांड वाली मछलियों का भी पालन किया जा सकता है।
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