वैलेंटाइन डे की कहानी::
यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता है
पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से
सम्बन्ध रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ। आपने
एक शब्द सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आजकल हमारे देश में भी
नव-अभिजात्य वर्ग में चल रहा है, इसका
मतलब होता है कि "बिना शादी के पती-पत्नी की तरह से रहना" तो उनके यहाँ,
मतलब यूरोप और अमेरिका में ये परंपरा आज भी चलती है। खुद प्लेटो (एक
यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो ने लिखा है कि
"मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है"। अरस्तु भी यही कहता है,
देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly
Impossible" तो वहां एक पत्नी जैसा कुछ होता नहीं और इन सभी महान
दार्शनिकों का तो कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री
तो मेज और कुर्सी के समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के
नया ले आये" तो बीच-बीच में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन
बातों का विरोध किया और इन रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की। उन
कुछ लोगों में से एक ऐसे ही यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल
पहले पैदा हुए, उनका नाम था - वैलेंटाइन और ये कहानी है 478 AD (after
death) की, यानि ईशा की मृत्यु के बाद।
उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष
का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों
की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग
(veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक पति-एक पत्नी के साथ रहो,
विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें
वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये सब सिखाते थे, बताते
थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम में घूम-घूम कर।
संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता
और दर्शन का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और
इसिलए मैं चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते
थे, तो जो लोग उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और
एक-दो नहीं उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी।
जिस समय वैलेंटाइन हुए,
उस समय रोम का राजा था क्लौडियस, क्लौडियस ने कहा कि "ये जो आदमी
है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम बिना शादी के
रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये शादियाँ
करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति को नष्ट
कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के लाओ ",
तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये। क्लौडियस ने वैलेंटाइन से कहा
कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधर्म फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला
रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि ये ठीक है", क्लौडियस ने
उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की सजा दे दी, आरोप क्या
था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना जुर्म था। क्लौडियस
ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने करवाई थी और उन सभी
के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईशवी को फाँसी दे दी गयी।
पता नहीं
आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईशवी तक खुले
मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी तो जिन बच्चों ने
वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन,
जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते फ़िरते थे, चूंकि राजा ने उनको फाँसी की सजा
दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है। ये था वैलेंटाइन डे
का इतिहास और इसके पीछे का आधार।
अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है
जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो
अद्भुत या अचरज लगे लेकिन यूरोप में शादी होना ही सबसे असामान्य बात है। अब
ये वैलेंटाइन डे हमारे स्कूलों में कॉलजों में आ गया है और बड़े धूम-धाम से
मनाया जा रहा है और हमारे यहाँ के लड़के-लड़कियां बिना सोचे-समझे एक दुसरे
को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं और जो कार्ड होता है उसमे लिखा होता
है " Would You Be My Valentine" जिसका मतलब होता है "क्या आप मुझसे शादी
करेंगे" मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं है, वो समझते हैं कि जिससे हम
प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड देना चाहिए तो वो इसी कार्ड को अपने
मम्मी-पापा को भी दे देते हैं, दादा-दादी को भी दे देते हैं और एक दो नहीं
दस-बीस लोगों को ये ही कार्ड वो दे देते हैं और इस धंधे में बड़ी-बड़ी
कंपिनयाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको गिफ्ट बेचना है, जिनको
चाकलेट बेचनी हैं और टेलीविजन चैनल वालों ने इसका धुआधार प्रचार कर दिया।
ये सब लिखने के पीछे का उद्देश्य यही है कि नक़ल आप करें तो उसमें अक्ल भी
लगा लिया करें। उनके यहाँ साधारणतया शादियाँ नहीं होती है और जो शादी करते
हैं वो वैलेंटाइन डे मनाते हैं लेकिन हम भारत में क्यों ??
जय हिंद,
जय राजीव दीक्षित
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