एक बार की बात है एक संत एक गांव मै प्रवचन कर रहे थे ,तब एक बनिया भी उनके प्रवचन सुनने वह आया .और शांत भाव से प्रवचन सुनने लगा जब प्रवचन समाप्त हुआ तब वह संत के पास गया और हाथ जोड़ कर कहने लगा गुरूजी मुझे आप की बातो ने बहुत ही प्रभावित किया है मै चाहता हूँ आप मुझे कुछ ज्ञान का उपदेश करे .तब संत कहने लगे कि आजकल हर इंसान ज्यादा व्यस्त हो गया है उसके पास नियम धयान का समय नहीं है पर मै समझता हूँ तुम्हे एक नियम जीवन मै जरूर
करना चाहिये.तब बनिया कहने लगा आप मुझे आज्ञा करो .तब संत कहने लगे तुम आज से ये नियम लो कि तुम कभी झुट नहीं बोलोगे .तब बनिया कहने लगा गुरूजी मुझे नियम लेने मै
कोई आपत्ति नहीं है पर यदि मै ये नियम लेता हू तो मेरा व्यापार ही चौपट हो जायेगा क्युकि एक तो मै बनिया और दूसरा व्यापारी और व्यापार मै झूठ सच लगा ही रहता है वर्ना धंधा ही चोपट हो जायेगा और मेरा परिवार का पोषण कैसे होगा तो संत कहने लगे तो ऐसा करो ये नियम लो कि बिना भगवान के दर्शन किये तुम कुछ काम नहीं करोगे ,तब बनिया कहने लगा यदि ये नियम लेता हू तो हो सकता है ये भी पूरा न हो क्युकि मै
व्यापारी हू मुझे व्यापार के लिये देश परदेश की यात्रा करनी पड़ती है तो एक मंदिर दर्शन का नियम भी नहीं बना सकता हा ये हो सकता है मेरे घर के सामने एक कुम्हार रहता है मै उसे देखे बिना अपने दिन की शुरुआत नहीं करूँगा .तब संत ने कहा ठीक है पर नियम निष्ठा से करना .तब वह बनिया अपने घर आ गया.और सावधानी से रोज नियम का पालन करने लगा.वो रोज कुम्हार के घर जाता उसे देखता तब ही काम पर जाता.एक दिन
बनिया कुम्हार के घर गया वो उसे नहीं मिला.अब व्यापारी बड़ा परेशान होने लगा तब उसने उसके घर मै पूछा किवो कहा है तब उसकी पत्नी कहने लगी वो तो मिट्टी लेने सुबह तडके ही निकल गये तब व्यापारी ने सोचा यदि इन्तजार करूँगा तो व्यापार करने मै देरी हो जायेगी इससे तो मै वही जाकर उसे देख आऊ
और वो बनिया वहाँ पहुच गया जहा वो कुम्हार मिट्टी लेने गया था .उस दिन कुम्हार का भाग्य अच्छा था मिट्टी खोदते समय उसे सोने से भरा एक कलश मिला वो उसे निकाल रहा था
तबही बनिया वहाँ पहुच गया वो कुम्हार को देखकर कहने लगा “चलो मैंने देख ही लिया” और ये कहकर वो वहाँ से चला गया ,वास्तव मै उसने वो कलश नहीं देखा था पर कुम्हार ने ये सुना “चलो मैंने देख लिया” ये सुन लिया था अब उसे ये भय सताने लगा इस बनिया ने मुझे देख लिया है तो हो सकता है
ये राजा को मेरी चुगलीकर दे और भाग्य वश मुझे मिला सारा धन राजकोष मै चला जायेगा और राजा मुझे न बताने के कारण दंड भी दे.इस डर से वो घर मै आकर सोचने लगा की क्या
किया जाये जो ये धन मेरे पास ही रहे तब उसने आधा धन बनिया को देने का निर्णय लिया और बनिया को आधा धन देकर राजा से न कहने का वादा लिया बनिया मान गया ,अब वो वहा से संत के पास गया और सारी बात कह सुनायी और सारा धन संत को दे दिया और कहा की आप ने मुझे जो ज्ञान दिया मेरे लिये अब वो ही अनमोल है और अब मै अपना सारा जीवन प्रभु भक्ति मै ही लगाऊंगा....
इसका सार ये है की हम जीवन मै बहुत चाहे कितना भीकरना चाहिये.तब बनिया कहने लगा आप मुझे आज्ञा करो .तब संत कहने लगे तुम आज से ये नियम लो कि तुम कभी झुट नहीं बोलोगे .तब बनिया कहने लगा गुरूजी मुझे नियम लेने मै
कोई आपत्ति नहीं है पर यदि मै ये नियम लेता हू तो मेरा व्यापार ही चौपट हो जायेगा क्युकि एक तो मै बनिया और दूसरा व्यापारी और व्यापार मै झूठ सच लगा ही रहता है वर्ना धंधा ही चोपट हो जायेगा और मेरा परिवार का पोषण कैसे होगा तो संत कहने लगे तो ऐसा करो ये नियम लो कि बिना भगवान के दर्शन किये तुम कुछ काम नहीं करोगे ,तब बनिया कहने लगा यदि ये नियम लेता हू तो हो सकता है ये भी पूरा न हो क्युकि मै
व्यापारी हू मुझे व्यापार के लिये देश परदेश की यात्रा करनी पड़ती है तो एक मंदिर दर्शन का नियम भी नहीं बना सकता हा ये हो सकता है मेरे घर के सामने एक कुम्हार रहता है मै उसे देखे बिना अपने दिन की शुरुआत नहीं करूँगा .तब संत ने कहा ठीक है पर नियम निष्ठा से करना .तब वह बनिया अपने घर आ गया.और सावधानी से रोज नियम का पालन करने लगा.वो रोज कुम्हार के घर जाता उसे देखता तब ही काम पर जाता.एक दिन
बनिया कुम्हार के घर गया वो उसे नहीं मिला.अब व्यापारी बड़ा परेशान होने लगा तब उसने उसके घर मै पूछा किवो कहा है तब उसकी पत्नी कहने लगी वो तो मिट्टी लेने सुबह तडके ही निकल गये तब व्यापारी ने सोचा यदि इन्तजार करूँगा तो व्यापार करने मै देरी हो जायेगी इससे तो मै वही जाकर उसे देख आऊ
और वो बनिया वहाँ पहुच गया जहा वो कुम्हार मिट्टी लेने गया था .उस दिन कुम्हार का भाग्य अच्छा था मिट्टी खोदते समय उसे सोने से भरा एक कलश मिला वो उसे निकाल रहा था
तबही बनिया वहाँ पहुच गया वो कुम्हार को देखकर कहने लगा “चलो मैंने देख ही लिया” और ये कहकर वो वहाँ से चला गया ,वास्तव मै उसने वो कलश नहीं देखा था पर कुम्हार ने ये सुना “चलो मैंने देख लिया” ये सुन लिया था अब उसे ये भय सताने लगा इस बनिया ने मुझे देख लिया है तो हो सकता है
ये राजा को मेरी चुगलीकर दे और भाग्य वश मुझे मिला सारा धन राजकोष मै चला जायेगा और राजा मुझे न बताने के कारण दंड भी दे.इस डर से वो घर मै आकर सोचने लगा की क्या
किया जाये जो ये धन मेरे पास ही रहे तब उसने आधा धन बनिया को देने का निर्णय लिया और बनिया को आधा धन देकर राजा से न कहने का वादा लिया बनिया मान गया ,अब वो वहा से संत के पास गया और सारी बात कह सुनायी और सारा धन संत को दे दिया और कहा की आप ने मुझे जो ज्ञान दिया मेरे लिये अब वो ही अनमोल है और अब मै अपना सारा जीवन प्रभु भक्ति मै ही लगाऊंगा....
व्यस्त रहे मगर जीवन मै एक नियम ऐसा बनाये जो कभी न टूटे चाहे सुख मिले या दुःख. प्रभु की कभी न कभी कृपा हम पर भी बरसेगी वो नियम यदि प्रभु दर्शन का हो तो जीवन
ही सँवर जाये