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सोमवार, 6 अगस्त 2012

मेरा साथी भारतीयों के लिए ....

मेरा साथी भारतीयों के लिए ....

इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया. बौद्धिक इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी. उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरु देव रवीन्द्रनाथ टैगोर उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया .

शान्तिनिकेतन से बहार निकाल
े जाने के बाद इंदिरा अकेला हो गयी. राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और मां तपेदिक के स्विट्जरलैंड में मर रही थी. उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया. फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मेहेंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था. फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए. महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा. श्रीप्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि इंदिरा फिरोज खान के साथ अवैध संबंध रहा था. फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी. जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी. इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया. उनकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी. नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्युकी इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बन्ने की सम्भावना खतरे में आ गयी.

तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गांधी कर लो. परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना - देना नहीं था. यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था. और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह सरमा की तरह एक असंगत नाम है. दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था. जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था. इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला. नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं. जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले.

इंदिरा गांधी के दो बेटे राजीव गांधी और संजय गांधी थे . संजय का मूल नाम संजीव था क्युकी राजीव और संजीव सुनने में अच्छे लगते थे. संजीव ब्रिटेन में कार चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ और उसका पासपोर्ट जब्त किया गया. इंदिरा गांधी की दिशा निर्देश में, भारतीय राजदूत कृष्णा मेनन अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर संजीव से उसका नाम संजय करवा दिया और एक नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवा दिया.

यह एक ज्ञात तथ्य यह है कि राजीव के जन्म के बाद, इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी अलग - अलग रहते थे, लेकिन उन्होंने छवि ख़राब होने के कारण तलाक नहीं लिया. के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश" (10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों को सामने रखा गया है. उसमे यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है की संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था.

दिलचस्प बात यह है की एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था. यूनुस शादी से नाखुश था क्युकी वह अपनी बहू के रूप में अपनी पसंद की एक मुस्लिम लड़की के साथ उसकी शादी करना चाहता था. मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था. 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10: 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है की संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था.

यह एक तथ्य है कि संजय गांधी लगातार अपनी माँ इंदिरा को ब्लाच्क्मैल करते थे की वह उनको असली पिता के बारे में बताये. संजय का अपनी माँ पर एक गहरा भावनात्मक नियंत्रण था जिसका वह अक्सर दुरोपयोग करते थे. इंदिरा गांधी संजय के कुकर्मों की अनदेखी करती थी और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित करता था.

जब संजय गांधी की मृत्यु की खबर इंदिरा गांधी के पास पहुची तो इंदिरा का पहला सवाल था "संजय की चाभी और घडी कहाँ है ??". नेहरू - गांधी वंश के बारे में कुछ गहरे रहस्य उन चीजों में छुपे थे. विमान दुर्घटना का होना भी आज तक एक रहस्य ही है. यह एक नया विमान था जो गोता मारकर जमीन पर गिरा और उसमे तब तक कोई विस्फोट या आग नहीं थी जब तक वह जमीन पर नहीं गिरा. यह तब होता है जब विमान में ईंधन ख़त्म हो जाता है. लेकिन उड़ान रजिस्टर से पता चलता है कि ईंधन टैंक उड़ान से पहले फुल किया गया था. इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुचित प्रभाव का उपयोग कर इस दुर्घटना की जांच होने से रोक ली जो अपने आप में संदेहास्पद है.

कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है. यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था. बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्द हुई.
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and letters " (ISBN: 8129102358) में किया. यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी . नटवर सिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गए थे. दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था . कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही . अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी . यह एक सुनसान जगह थी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके कड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे . जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our brush with history ". यहाँ आपको यह बता दे की बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ. इतने सालो से भारतीय जनता इसी धोखे में है की नेहरु एक कश्मीरी पंडित था....जो की सरासर गलत तथ्य है.
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यह गिनती करना मुश्किल है आज कितने उच्च शिक्षा के संस्थानों कैसे राजीव गांधी के नाम पर चल रहे हैं लेकिन सच यह है की खुद राजीव गांधी कम क्षमता का एक व्यक्ति था. 1962 से 1965 तक, वह ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए नामांकित किया गया था. लेकिन, वह कैम्ब्रिज की डिग्री के बिना छोड़ दिया, क्योंकि वह परीक्षा पारित नहीं कर सका. अगले साल 1966 में, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन, गया लेकिन यहाँ भी डिग्री के बिना ही उनको जाना पड़ा.

ऊपर में के.एन. राव ने कहा कि पुस्तक का आरोप है कि राजीव गांधी एक कैथोलिक बन गए सानिया माइनो शादी करने के लिए. राजीव रॉबर्टो बन गया. उनके बेटे का नाम Raul और बेटी का नाम Bianca है. काफी चतुराई से एक ही नाम राहुल और प्रियंका के रूप में भारत के लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

व्यक्तिगत आचरण में राजीव हमेशा ही एक मुगल राजा की तरह था. वह 15 अगस्त 1988 को लाल किले की प्राचीर से गरज कर बोला था : "हमारा प्रयास भारत को 250-300 साल पहले वाली ऊंचाई तक ले जाने के लिए होना चाहिए". यह तो औरंगजेब और उसके जेज़िया गुरु का शाशन काल था जो की नंबर एक का मंदिर विध्वंसक था. "
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद लन्दन में उनका पत्रकार सम्मेलन बहुत जानकारीपूर्ण था. इस पत्रकार सम्मेलन में राजीव दावा है कि वह एक पारसी है और हिन्दू नहीं है . फिरोज खान के पिता और राजीव गांधी के पैतृक दादा गुजरात के जूनागढ़ क्षेत्र से एक मुस्लिम सज्जन था. नवाब खान के नाम से यह मुस्लिम पंसारीने एक पारसी महिला को मुस्लिम बनाकर उससे शादी की थी. इस स्रोत से पता चलता है की वोह अपने आप को पारसी क्यों कहते थे. ध्यान रहे कि उनका कोई पारसी पूर्वज नहीं था . उनकी दादी ने पारसी धर्म को त्याग दिया और नवाब खान शादी के बाद मुस्लिम बन गयी थी . हैरानी की बात है, पारसी राजीव गांधी का वैदिक संस्कार के अनुसार भारतीय जनता का पूरा ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार किया गया था.

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डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं कि सोनिया गांधी के नाम एंटोनिया माइनो था. उसके पिता एक मेसन था. वह कुख्यात इटली के फासिस्ट शासन के एक कार्यकर्ता था और वह रूस में पांच साल की कैद की सेवा की. वास्तव में सोनिया गांधी ने कभी पांचवी कक्षा के ऊपर अध्ययन नहीं किया है. वह एक अंग्रेजी शिक्षण कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय परिसर में लेनोक्स स्कूल नाम की दुकान से कुछ अंग्रेजी सीखी है. इस तथ्य से वह प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का दावा करती थी परन्तु जब डॉक्टर स्वामी ने उनके इस झूठ पर प्रश्न किये, तो सोनिया ने चुप्पी साध ली और बाद में कह दिया की उनके द्वारा cambridge university में डिग्री की बात एक "प्रिंटिंग मिस्टेक" है. उसके बाद सोनिया ने कभी cambridge university में पढने की बात नहीं स्वीकारी. सत्य यह है की कुछ अंग्रेजी सीखने के बाद, वह कैम्ब्रिज शहर में एक रेस्तरां में एक वेट्रेस थी .

सोनिया गांधी ब्रिटेन में जिस रेस्तरां में एक वेट्रेस थी वहां माधवराव सिंधिया अक्सर आते थे क्युकी वह उस समय cambridge में शिक्षा ले रहे थे. माधवराव सिंधिया से सोनिया के गर्म रिश्ते थे जो उसकी शादी के बाद भी जारी रहे . 1982 की एक रात 2 बजे आईआईटी दिल्ली मुख्य गेट के पास एक दुर्घटना हुई थी, जिसमे पुलीस ने श्री सिंधिया के साथ सोनिया को नशे की हालत में कार से बाहर निकाला था.

जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब प्रधानमंत्री के सुरक्षा कर्मी नई दिल्ली और चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों में प्राचीन मंदिर की मूर्तियां, और अन्य प्राचीन वस्तुओं को भारतीय खजाने के बक्सों में इटली भेजने जाते थे. मुख्यमंत्री और बाद में संस्कृति प्रभारी मंत्री के रूप में अर्जुन सिंह इस लूट का आयोजन करते थे. सीमा से अनियंत्रित, वे इटली में पहुंचा दिए जाते थे जहाँ उन्हें Etnica और Ganpati नाम के दो शो रूम्स में बेचा जाता था. ये दोनों शो रूम्स सोनिया गांधी की बहन Alessandra माइनो विंची के नाम पर हैं.

इंदिरा गांधी की मृत्यु उसके दिल या दिमाग में गोलियों के कारण नहीं हुई बल्कि वह खून की कमी के कारण मरी थी. इंदिरा गाँधी को गोली लगने के बाद जब उनका काफी खून बह चूका था उस समय सोनिया ने अजीब जोर देकर कहा है कि खून बह रहा इंदिरा गांधी को डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ले जाया जाना चाहिए ना की एम्स में जो एक आपात प्रोटोकॉल के लिए और ठीक इस तरह की घटनाओं के इलाज के लिए उपयुक्त है. इस प्रकार 24 बहुमूल्य मिनट बर्बाद कर दिए गए . यह संदिग्ध है कि यह सोनिया गांधी की अपरिपक्वता या तेजी से सत्ता में उसके पति को लाने के लिए एक चाल थी.

राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया के प्रधानमंत्री के पद के लिए मजबूत दावेदार थे और वे सोनिया गांधी के सत्ता के लिए अपने रास्ते में पत्थर थे. उन दोनों के रहस्यमय दुर्घटनाओं में मृत्यु हो गई.

इस बात के प्रचुर तथ्य मौजूद हैं की मायिनो परिवार ने लिट्टे के साथ अनुबंध किया था जिससे उनकी राजीव हत्याकांड में भूमिका संदेहास्पद बनती है . आजकल, सोनिया गांधी काफी एमडीएमके, पीएमके और द्रमुक जैसे जो राजीव गांधी के हत्यारों की स्तुति के साथ राजनीतिक गठबंधन में अडिग है. कोई भारतीय विधवा कभी अपने पति के हत्यारों के साथ ऐसा नहीं कर सकती. ऐसी परिस्थितियों में कई हैं, और एक शक बढ़ा. राजीव की हत्या में सोनिया की भागीदारी में एक जांच आवश्यक है. (ISBN 81-220-0591-8) - तुम डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी पुस्तक "आशातीत प्रश्न और अनुत्तरित प्रश्न राजीव गांधी की हत्या पढ़ सकते हैं. यह इस तरह के षड्यंत्र का संकेत होता है.

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इटली के कानून के अनुसार राहुल और प्रियंका इटालियन नागरिक हैं क्युकी उन दोनों के जन्म के समय सोनिया गाँधी एक इटालियन नागरिक थी. 1992 में, सोनिया गांधी इतालवी नागरिकता कानून के अनुच्छेद 17 के तहत इटली की उसकी नागरिकता को पुनर्जीवित किया . राहुल गांधी के इतालवी उसकी हिन्दी की तुलना में बेहतर है. राहुल गांधी एक इतालवी नागरिक तथ्य यह है कि 27 सितंबर 2001 को वह एक इतालवी पासपोर्ट पर यात्रा करने के लिए बोस्टन हवाई अड्डे, संयुक्त राज्य अमेरिका में एफबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था से प्रासंगिक है. यदि भारत में एक कानून बना है कि कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर विदेशी मूल के एक व्यक्ति को नहीं लाया जा सकता तो राहुल गांधी को स्वचालित रूप से प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य हैं.

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स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद, राहुल गांधी नई दिल्ली में सेंट स्टीफंस कॉलेज में प्रवेश मिल गया, योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि राइफल शूटिंग के खेल कोटे पर. 1989-90 में कुछ दिन दिल्ली में रहने के बाद राहुल ने 1994 में रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा जो एक christianचैरिटी द्वारा चलाया जाने वाला सी ग्रेड का कॉलेज है , से बी.ए. किया. बस एक बीए करने के लिए अमेरिका जाने की ज़रूरत किसी को नहीं होती. इसलिए अगले ही वर्ष, 1995 में उसे एम. फिल मिला ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से . इस डिग्री की वास्तविकता आप इसी से समझ सकते हैं की उन्हें ये डिग्री बिना एमए किये हुवे मिल गयी. इसके पीछे Amaratya सेन की मदद का हाथ माना जाता है. आप में से कई मशहूर फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस " देख ही चुके हैं .

2008 में राहुल गांधी ने कानपुर में चन्द्र शेखर आजाद विश्वविद्यालय के छात्रों की रैली के लिए एक सभागार का उपयोग करने से रोका गया था. बाद में, विश्वविद्यालय के कुलपति वी.के. सूरी, को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा अपदस्थ किया गया था. 26/11 के दौरान जब पूरे देश के बारे में कैसे मुंबई आतंक से निपटने के लिए तनाव में था, राहुल गांधी आराम से प्रातः 5 बजे तक अपने दोस्तों के साथ जश्न मना रहा था . राहुल गांधी कांग्रेस के सदस्यों के लिए तपस्या की सलाह है. वे कहते हैं, यह सभी नेताओं का कर्तव्य है तपस्या हो. दूसरी ओर वह एक पूरी तरह सुसज्जित जिम वाले एक मंत्री वाले बंगला में रहते हैं . इसके अलावा वह दिल्ली के दो सबसे मेहेंगे ५ स्टार जिम के नियमित सदस्य भी हैं, राहुल गांधी की चेन्नई यात्रा 2009 में तपस्या के लिए अभियान के लिए पार्टी के 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये . इस तरह की विसंगतियों से पता चलता है कि राहुल गांधी द्वारा की गई पहलों का कितना महत्व है.
2007 उत्तर प्रदेश में चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि "अगर नेहरू - गांधी परिवार का कोई भी सदस्य उस समय सक्रिय होता तो बाबरी मस्जिद कभी न गिरती."
इस कथन से उनका अपने पूर्वजों के लिए एक वफादारी के रूप में अपने मुसलमान संबद्धता का पता चलता है.
31 दिसंबर, 2004 को जॉन एम., itty, केरल के अलाप्पुझा जिले में एक सेवानिवृत्त कॉलेज के प्रोफेसर, दलील देते है कि केरल में एक रिसॉर्ट में तीन दिनों के लिए एक साथ रहने के लिए राहुल गांधी और उसकी प्रेमिका Juvenitta उर्फ वेरोनिका के खिलाफ कार्रवाई लिया जाना चाहिए. यह अनैतिक तस्करी अधिनियम के तहत एक आपराधिक अपमान के रूप में वे शादी नहीं कर रहे. वैसे भी, एक और विदेशी बहू के सहिष्णु भारतीयों पर राज कर रही है.

स्विस पत्रिका Schweizer है Illustrierte 11 वीं नवम्बर 1991 अंक से पता चला है कि राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी द्वारा नियंत्रित अमेरिकी 2 अरब डॉलर के लायक खातों के लाभार्थी था. 2006 में स्विस बैंकिंग एसोसिएशन से एक रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय नागरिकों की संयुक्त जमा के रूप में अभी तक किसी भी अन्य देश, 1.4 खरब अमरीकी डॉलर का एक कुल, एक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से अधिक का आंकड़ा अधिक से अधिक कर रहे हैं. इस राजवंश ने भारत के आधे से अधिक नियम. केंद्र की उपेक्षा कर, बाहर के 28 राज्यों और 7 संघ शासित प्रदेशों की, उनमें से आधे से अधिक समय के किसी भी बिंदु पर कांग्रेस सरकार है. तक राजीव गांधी ने भारत में मुगल शासन के साथ सोनिया गांधी, रोम भारत पर शासन करना शुरू कर दिया था.

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इस लेख लिखने के पीछे उद्देश्य भारतीय नागरिको को उनके प्रिय नेताओ के बारे में जागरूक करना है और यह बताना है की किस तरह एक परिवार सदियों से इस देश को खोकला करता आ रहा है और हम भारतीय चुपचाप उनकी गुलामी करते जा रहे हैं. सबूत के समर्थन की कमी की वजह से इस लेख में कई अन्य चौंकाने वाला तथ्य नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं.
इन सभी तथ्यों की पुष्टि के लिए आप डॉक्टर सुभ्रमनियम स्वामी की पुस्तकों या उनकी वेबसाइट देख सकते हैं.

रविवार, 5 अगस्त 2012

04.08.2012 को कजली तृतीया - हरितालिका तीज व्रत.......

04.08.2012 को कजली तृतीया - हरितालिका तीज व्रत.......

हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीय को हस्त नक्षत्र के दिन होता है l इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती महिला गौरी शंकर की पूजा करती है l यह तीज हरियाली और देश के पूर्वी इलाकों में इसे कजली तीज के रूप में भी मनायी जाती है l यह त्यौहार मुख्यत: महिलाओं का त्यौहार है जिसमें महिलाएं उपवास और व्रत रखती हैं और मां गौरी की पूजा करती हैं l अप
ने वैवाहिक जीवन की लम्बी आयु की कामना के लिये यह व्रत किया जाता है l इस व्रत को विशेष रुप से विवाहित स्त्रियों के द्वारा किया जाता है l इस दिन उपवास कर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है l सुंदर वस्त्र धारण किये जाते है तथा कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है l इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है l इस व्रत को करने वालि स्त्रियों को पार्वती के समान सुख प्राप्त होता है l

इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं। चारों ओर मनमोहक वातावरण की सुंदर छ्ठा फैल जाती है l इस समय वर्षा ऋतु की बौछारें प्रकृति को पूर्ण रूप से भिगो देती हैं l प्रकृति में हर तरफ हरियाली की चादर सी बिछी होती है और इसी कारण से इस त्यौहार को हरियाली तीज कहा जाता है l इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं l

हरितालिका व्रत विधि....

हरितालिका व्रत करने के लिये स्त्रियों को व्रत के दिन प्रात: शीघ्र उठना चाहिए l इस दिन से पूर्व संन्ध्या में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए l प्रात: स्नान आदि करने के बाद, व्रत का संकल्प लिया जाता है और भगवान शंकर व माता पार्वती जी की पूजा की जाती है l इस व्रत को निर्जल रहकर किया जाता है l व्रत के दिन माता का पूजन धूप, दीप व फूलों से करना चाहिए l अंत में व्रत की कथा सुनी जाती है और घर के बडों से आशिर्वाद प्राप्त किया जाता है l

हरितालिका व्रत कथा....

कहते हैं कि इस व्रत के माहात्म्य की कथा भगवान् शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण करवाने के उद्देश्य से इस प्रकार से कही थी -

“हे गौरी ! पर्वतराज हिमालय पर गंगा के तट पर तुमने अपनी बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर घोर तप किया था l इस अवधि में तुमने अन्न ना खाकर केवल हवा का ही सेवन के साथ तुमने सूखे पत्ते चबाकर काटी थी l माघ की शीतलता में तुमने निरंतर जल में प्रवेश कर तप किया था l वैशाख की जला देने वाली गर्मी में पंचाग्नी से शरीर को तपाया l श्रावण की मुसलाधार वर्षा में खुले आसमान के नीचे बिना अन्न जल ग्रहन किये व्यतीत किया l तुम्हारी इस कष्टदायक तपस्या को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ होते थे l तब एक दिन तुम्हारी तपस्या और पिता की नाराज़गी को देखकर नारदजी तुम्हारे घर पधारे l तुम्हारे पिता द्वारा आने का कारण पूछने पर नारदजी बोले – ‘हे गिरिराज ! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहाँ आया हूँ l आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं l इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ l’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले - ‘श्रीमान ! यदि स्वंय विष्णुजी मेरी कन्या का वरण करना चाहते हैं तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है l वे तो साक्षात ब्रह्म हैं l यह तो हर पिता की इच्छा होती है कि उसकी पुत्री सुख-सम्पदा से युक्त पति के घर कि लक्ष्मी बने l’

नारदजी तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर विष्णुजी के पास गए और उन्हें विवाह तय होने का समाचार सुनाया l परंतु जब तुम्हे इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हारे दुःख का ठिकाना ना रहा l तुम्हे इस प्रकार से दुःखी देखकर, तुम्हारी एक सहेली ने तुम्हारे दुःख का कारण पूछने पर तुमने बताया कि – ‘मैंने सच्चे मन से भगवान् शिव का वरण किया है, किन्तु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी के साथ तय कर दिया है l मैं विचित्र धर्मसंकट में हूँ l अब मेरे पास प्राण त्याग देने के अलावा कोई और उपाय नहीं बचा l’ तुम्हारी सखी बहुत ही समझदार थी l उसने कहा – ‘प्राण छोड़ने का यहाँ कारण ही क्या है ? संकट के समय धैर्य से काम लेना चाहिये l भारतीय नारी के जीवन की सार्थकता इसी में है कि जिसे मन से पति रूप में एक बार वरण कर लिया, जीवनपर्यन्त उसी से निर्वाह करे l सच्ची आस्था और एकनिष्ठा के समक्ष तो भगवान् भी असहाय हैं l मैं तुम्हे घनघोर वन में ले चलती हूँ जो साधना थल भी है और जहाँ तुम्हारे पिता तुम्हे खोज भी नहीं पायेंगे l मुझे पूर्ण विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे l’

तुमने ऐसा ही किया, तुम्हारे पिता तुम्हे घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए l वह सोचने लगे कि मैंने तो विष्णुजी से अपनी पुत्री का विवाह तय कर दिया है l यदि भगवान् विष्णु बारात लेकर आ गये और कन्या घर पर नहीं मिली तो बहुत अपमान होगा, ऐसा विचार कर पर्वतराज ने चारों ओर तुम्हारी खोज शुरू करवा दी l इधर तुम्हारी खोज होती रही उधर तुम अपनी सहेली के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन रहने लगीं l भाद्रपद तृतीय शुक्ल को हस्त नक्षत्र था l उस दिन तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण किया l रात भर मेरी स्तुति में गीत गाकर जागरण किया l तुम्हारी इस कठोर तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन हिल उठा और मैं शीघ्र ही तुम्हारे पास पहुँचा और तुमसे वर मांगने को कहा, तब अपनी तपस्या के फलीभूत मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा – मैं आपको सच्चे मन से पति के रूप में वरण कर चुकी हूँ l यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर यहाँ पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिये, तब ‘तथास्तु’ कहकर मैं कैलाश पर्वत पर लौट गया l

प्रातः होते ही तुमने पूजा की समस्त सामग्री नदी में प्रवाहित करके अपनी सखी सहित व्रत का वरण किया l उसी समय गिरिराज अपने बंधु – बांधवों के साथ तुम्हे खोजते हुए वहाँ पहुंचे l तुम्हारी दशा देखकर अत्यंत दुःखी हुए और तुम्हारी इस कठोर तपस्या का कारण पुछा l तब तुमने कहा – "पिताजी, मैंने अपने जीवन का अधिकांश वक़्त कठोर तपस्या में बिताया है l मेरी इस तपस्या के केवल उद्देश्य महादेवजी को पति के रूप में प्राप्त करना था l आज मैं अपनी तपस्या की कसौटी पर खरी उतर चुकी हूँ l चुंकि आप मेरा विवाह विष्णुजी से करने का निश्चय कर चुके थे, इसलिये मैं अपने आराध्य की तलाश में घर से चली गयी l अब मैं आपके साथ घर इसी शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह महादेवजी के साथ ही करेंगे l पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार करली और तुम्हे घर वापस ले गये l कुछ समय बाद उन्होने पूरे विधि–विधान के साथ हमारा विवाह किया l"

भगवान् शिव ने आगे कहा – “हे पार्वती ! भाद्रपद कि शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका l इस व्रत का महत्त्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूँ l” भगवान् शिव ने पार्वतीजी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा l

इस व्रत को ‘हरितालिका’ इसलिये कहा जाता है क्योंकि पार्वती कि सखी उन्हें पिता और प्रदेश से हर कर जंगल में ले गयी थी l ‘हरित’ अर्थात हरण करना और ‘तालिका’ अर्थात सखी l

सोमवार, 30 जुलाई 2012

सांवरिया द्वारा गरीब परिवारों को निशुल्क दवाइयां वितरण

जय श्री कृष्णा मित्रों

भगवन शंकर के सर्वाधिक प्रिय सावन के महीने में  "सांवरिया" अभियान के वृक्षारोपण अभियान के साथ ही सांवरिया के संस्थापक श्री कैलाश चन्द्र लढा एवं श्रीमती सोनू लढा द्वारा "सांवरिया" के अगले चरण के रूप में राजस्थान के ही विजयपुर ग्राम में जहाँ पर सरकार की निशुल्क दवाइयां वास्तविक निर्धन परिवारों तक नहीं पहुच पाती है वहां पर सांवरिया द्वारा गरीब परिवारों को
निशुल्क दवाइयां वितरण हेतु गाँव के क्षेत्रवासियों के लिए व्यवस्था शुरू की है  जिसमे गावं के निर्धन और बेसहारा व्यक्तियों से किसी प्रकार की दवाई का कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा |
"साँवरिया"  का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में गौमाता, गरीबों, दीन दुखियों, असहाय एवं निराश्रितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए यथाशक्ति प्रयास करना है
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साँवरिया"  के अनुसार यदि भारत का हर सक्षम व्यक्ति अपने बिना जरुरत की वस्तुएं/कपडे/किताबे/अन्य सामग्री और अपनी धार्मिक कार्यों के लिए की गयी बचत आदि से सिर्फ एक गरीब असहाय व्यक्ति की सहायतार्थ देना शुरू करे तो भारत से गरीबी, निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा |
 
भविष्य में "साँवरिया"  द्वारा गौमाता/निराश्रित/बेरोजगार/अनाथ/वृद्धजन/ महिलाओं के लिए यथाशक्ति गौशाला/अस्पताल/विद्यालय/अनाथालय/वृद्धाश्रम व उद्योगों की स्थापना भी की जाएगी |

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