स्वास्थ्य के लिये टोटके..................................
1॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता
है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का
उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेक
र
श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से
स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी
पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित
रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें।
4॰ किसी
भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें।
रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात:
उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र
में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक
स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे।
5॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना
चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य
में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
6॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से बीमारियां, दु:स्वपन नहीं आते, पितृ दोष का नाश होता है एवं घर में शांति बनी रहती है।
7॰ पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाएं। ठंडी होने पर चन्द्रमा और अपने
पितरों को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कुत्तों को दे दें। वर्ष भर पूर्णिमा पर
ऐसा करते रहने से गृह क्लेश, बीमारी तथा व्यापार हानि से मुक्ति मिलती है।
8॰ रोग मुक्ति के लिए प्रतिदिन अपने भोजन का चौथाई हिस्सा गाय को तथा चौथाई हिस्सा कुत्ते को खिलाएं।
9॰ घर में कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद में चन्दन मिला कर चटाएं।
10॰ पुत्र बीमार हो तो कन्याओं को हलवा खिलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी सिरहाने रखें।
11॰ पत्नी बीमार हो तो गोदान करें। जिस घर में स्त्रीवर्ग को निरन्तर
स्वास्थ्य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर में तुलसी का पौधा लगाकर उसकी
श्रद्धापूर्वक देखशल करने से रोग पीड़ाएँ समाप्त होती है।
12॰ मंदिर में गुप्त दान करें।
13॰ रविवार के दिन बूंदी के सवा किलो लड्डू मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे।
14॰ सदैव पूर्व या दक्षिण दिषा की ओर सिर रख कर ही सोना चाहिए। दक्षिण
दिशा की ओर सिर कर के सोने वाले व्यक्ति में चुम्बकीय बल रेखाएं पैर से सिर
की ओर जाती हैं, जो अधिक से अधिक रक्त खींच कर सिर की ओर लायेंगी, जिससे
व्यक्ति विभिन्न रोंगो से मुक्त रहता है और अच्छी निद्रा प्राप्त करता है।
15॰ अगर परिवार में कोई परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि
सेवन के पश्चात् भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से
आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी
व्यक्ति के सिर के ऊपर से उबार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को
खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अन्दर व्यक्ति स्वस्थ महसूस करने लगेगा।
अगर टोटके की अवधि में रोगी ठीक हो जाता है, तो भी प्रयोग को पूरा करना
है, बीच में रोकना नहीं चाहिए।
16॰ अमावस्या को प्रात: मेंहदी का
दीपक पानी मिला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ
सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के
चित्र का पूजन कर, जला दें। महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव
स्तोत्र का पाठ कर रोग-शोक दूर करने की भगवान से प्रार्थना कर, घर के
दक्षिण की ओर दूर सूखे कुएं में नींबू सहित डाल दें। पीछे मुड़कर नहीं
देखें। उस दिन एक ब्राह्मण -ब्राह्मणी को भोजन करा कर वस्त्रादि का दान भी
कर दें। कुछ दिन तक पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा तथा दान-पुण्य भी
करते रहें। इससे घर की बीमारी, भूत बाधा, मानसिक अशांति निश्चय ही दूर होती
है।
17॰ किसी पुरानी मूर्ति के ऊपर घास उगी हो तो शनिवार को
मूर्ति का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया में सुखा लें। जिस
कमरे में रोगी सोता हो, उसमें इस घास में कुछ धूप मिला कर किसी भगवान के
चित्र के आगे अग्नि पर सांय, धूप की तरह जलाएं और मन्त्र विधि से ´´ ॐ
माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अच्युताय नम:।´´ मन्त्र की एक माला का जाप
करें। कुछ दिन में रोगी स्वस्थ हो जायेगा। दान-धर्म और दवा उपयोग अवश्य
करें। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।
18॰ अगर बीमार व्यक्ति
ज्यादा गम्भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा लें। उसमें साबुत काले
तिल मिला कर रोटी बनाएं। अच्छी तरह सेंके, जिससे वे कच्ची न रहें। फिर उस
पर थोड़ा सा तिल्ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा दें।
फिर उस रोटी को बीमार व्यक्ति के ऊपर से 7 बार वार कर किसी भैंसे को खिला
दें। पीछे मुड़ कर न देखें और न कोई आवाज लगाए। भैंसा कहाँ मिलेगा, इसका
पता पहले ही मालूम कर के रखें। भैंस को रोटी नहीं खिलानी है, केवल भैंसे को
ही श्रेष्ठ रहती है। शनि और मंगलवार को ही यह कार्य करें।
19॰
पीपल के वृक्ष को प्रात: 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें
और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7
दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।
20॰ किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं।
अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति
शीघ्र अच्छा हो जायेगा।
21॰ किसी तालाब, कूप या समुद्र में जहां
मछलियाँ हों, उनको शुक्रवार से शुक्रवार तक आटे की गोलियां, शक्कर मिला कर,
चुगावें। प्रतिदिन लगभग 125 ग्राम गोलियां होनी चाहिए। रोगी ठीक होता चला
जायेगा।
22॰ शुक्रवार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने भिगोयें।
शनिवार की शाम काले कपड़े में उन्हें बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का
टुकड़ा रखें। इस पोटली को किसी तालाब या कुएं में फेंक दें। फेंकने से
पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार दें। ऐसा 3 शनिवार करें। बीमार व्यक्ति
शीघ्र अच्छा हो जायेगा।
23॰ सवा सेर (1॰25 सेर) गुलगुले बाजार से
खरीदें। उनको रोगी पर से 7 बार वार कर चीलों को खिलाएं। अगर चीलें सारे
गुलगुले, या आधे से ज्यादा खा लें तो रोगी ठीक हो जायेगा। यह कार्य शनि या
मंगलवार को ही शाम को 4 और 6 के मध्य में करें। गुलगुले ले जाने वाले
व्यक्ति को कोई टोके नहीं और न ही वह पीछे मुड़ कर देखे।
24॰ यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डाल कर नहाएं।
25॰ प्रतिदिन या शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा
लगनी शुरू हो जाती है और उसे धीरे-धीरे आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा। यदि
प्रतिदिन सींचें तो 1 माह तक और केवल शनिवार को सींचें तो 7 शनिवार तक यह
कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।
26॰ हर मंगल और शनिवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कुत्तों को
खिलाने से धीरे-धीरे आराम मिलता है। यह कार्य कम से कम 7 सप्ताह करना
चाहिये। बीच में रूकावट न हो, अन्यथा वापस शुरू करना होगा।
27॰
साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और ज्वार चारों बराबर-बराबर ले कर साफ कर के
मिला दें। कुल वजन 1 किलो हो। इसको रोगी के ऊपर से 7 बार वार कर उनको एक
साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसमें तेल-गुड़ मिला कर,
किसी मिट्टी के दीये में डाल कर दोपहर को, किसी चौराहे पर रख दें। उसके साथ
मिट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके
चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़ कर न देखें। घर आकर पांव धो लें। रोगी
ठीक होना शुरू हो जायेगा।
28॰ गाय के गोबर का कण्डा और जली हुई
लकड़ी की राख को पानी में गूंद कर एक गोला बनाएं। इसमें एक कील तथा एक
सिक्का भी खोंस दें। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 निशान लगाएं। इस गोले को
एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुर्यास्त के समय मौन रह कर
चौराहे पर रखें। पीछे मुड़ कर न देखें।
29॰ शनिवार के दिन दोपहर
को 2॰25 (सवा दो) किलो बाजरे का दलिया पकाएं और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिला
कर एक मिट्टी की हांडी में रखें। सूर्यास्त के समय उस हांडी को रोगी के
शरीर पर बायें से दांये 7 बार फिराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं।
आते-जाते समय पीछे मुड़ कर न देखें और न ही किसी से बातें करें।
30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके सिरहाने रखें।
31॰ सरसों के तेल को गरम कर इसमें एक चमड़े का टुकड़ा डालें, पुन: गर्म कर
इसमें नींबू, फिटकरी, कील और काली कांच की चूड़ी डाल कर मिट्टी के बर्तन
में रख कर, रोगी के सिर पर फिराएं। इस बर्तन को जंगल में एकांत में गाड़
दें।
32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, किसी का रोग शांत
नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी में पिरो कर रोगी के
पलंग के पाये पर बांधने से आश्चर्यजनक परिणाम मिलता है। उस दिन से रोग
समाप्त होना शुरू हो जाता है।
33॰ यदि पर्याप्त उपचार करने पर भी
रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीड़ित
कर रहा हो तथा उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे व्यक्ति को अपने वजन
के बराबर गेहू¡ का दान रविवार के दिन करना चाहिए। गेहूँ का दान जरूरतमंद
एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों को ही करना चाहिए।