नींबू के लाभ --------
नींबू बेहद फायदेमंद और गुणकारी हैं। नींबू के प्रयोग से आप न सिर्फ अपना
सौंदर्य निखार सकते हैं, बल्कि यह आपको फिट और स्वस्थ रखने के लिए भी
लाभकारी है। जानिये इसके फायदे:-
नींबू का प्रयोग सलाद में या फिर सब्जियों का टेस्ट बढ़ाने के लिए किया
जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं। नींबू बेहद फायदेमंद और गुणकारी हैं।
नींबू के प्रयोग से आप न सिर्फ अपना सौंदर्य निखार सकते हैं, बल्कि यह
आपको फिट और स्वस्थ रखने के लिए भी लाभकारी है। यानी नींबू एक, लाभ अनेक।
आइए जानें नींबू से होने वाले लाभों के बारे में।
नीबू के
जूस से शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती है लेकिन इससे मोटापा नहीं
बढ़ता है। इसके सेवन से आप बिना कमजोरी के वजन घटा लेंगे। यह न सिर्फ पतला
करने बल्कि मोटापा बढ़ाने में भी लाभकारी है। वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो
रोज नीबू में एक चम्मच शक्कर मिलाकर उसका जूस पीयें।
नींबू बालों के लिए भी काफी अच्छा होता है, बालों में लगाने पर बालों पर ऱूसी का असर नहीं होता है।
नींबू में साइट्रिक एसिड होता है, और इसमें में विटामिन सी पाया जाता है, जो हडि़डयों को मजबूती देने के लिए किफायती है।
सौंदर्य निखारने यानी चेहरे पर कच्चे दूध में नीबू का रस मिला कर लगाने से चेहरे के सारे दाग मिट जाते हैं।
कोहनी पर नींबू के छिलके से सफ़ाई करने से वो काले नहीं होते।
अगर आपके चेहरे पर किसी प्रकार के दाग धब्बे हैं, तो आप फ़े स पैक मे नींबू का रस मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं।
गुनगुने पानी मे नींबू का रस डालकर उससे एडियाँ साफ़ करे,एडियाँ साफ़ हो जायेंगी।
पेट की परेशानी को दूर करने के लिए शहद में नींबू का रस नियमित रूप से
सुबह लें है। इससे कब्ज संबंधी समस्या को भी दूर किया जा सकाता है।
आपको बहुत देर से हिचकी आ रही है, तो नींबू के रस में 2 छोटे चम्मच काला नमक ,शहद का 1 छोटा चम्मच मिलाकर पीयें।
अगर आपकी त्वचा तैलीय है, तो नींबू के रस मे बराबर मात्रा मे पानी मिलाकर चेहरा साफ़ करें।
मसूड़े फूलने पर नींबू को पानी में निचोड़ कर कुल्ला करने से अत्यधिक लाभ
होगा। इतना ही नहीं नींबू से दांतों के दर्द को भी दूर किया जा सकता है।
नींबू में फिटकरी का चूर्ण भरकर खुजली वाले स्थान पर रगड़ने से खुजली दूर हो जाती है।
जोड़ो के दर्द में नींबू के रस को दर्द वाले स्थान पर मलने से दर्द व सूजन कम हो जाती है।
यदि गर्भधारण के चौथे माह से प्रसवकाल तक स्त्री एक नींबू की शिकंजी नित्य पीए तो प्रसव बिना कष्ट संभव हो सकता है।
इसके अलावा हैजे को दूर करना, पानी की कमी को दूर करना,ब्लड प्रेशर सामान्य करना, मिर्गी के दौरों को रोकना में भी नींबू उपयोगी है।
अजवाइन के स्वास्थ्य लाभ ------
भारतीय खानपान में अजवाइन का प्रयोग सदियों से होता आया है। आयुर्वेद के
अनुसार अजवाइन पाचन को दुरुस्त रखती है। यह कफ, पेट तथा छाती का दर्द और
कृमि रोग में फायदेमंद होती है। साथ ही हिचकी, जी मचलाना, डकार, बदहजमी,
मूत्र का रुकना और पथरी आदि बीमारी में भी लाभप्रद होती है।
सामान्य परिचय : अजवायन का पौधा आमतौर पर सारे भारतवर्ष में पाया जाता है,
लेकिन पश्चिम बंगाल, दक्षिणी प्रदेश और पंजाब में अधिकता से पैदा होता है।
अजवायन के पौधे दो-तीन फुट ऊंचे और पत्ते छोटे आकार में कुछ कंटीले होते
हैं। डालियों पर सफेद फूल गुच्छे के रूप में लगते हैं, जो पककर एवं सूख
जाने पर अजवाइन के दानों में परिवर्तित हो जाते हैं। ये दाने ही हमारे घरों
में मसाले के रूप में और औषधियों में उपयोग किए जाते हैं।
रंग : अजवाइन का रंग भूरा काला मिला हुआ होता है।
स्वाद : इसका स्वाद तेज और चरपरा होता है।
स्वरूप : अजवाइन एक प्रकार का बीज है जो अजमोद के समान होता है।
स्वभाव : यह गर्म व खुष्क प्रकृति की होती है।
हानिकारक : 1. अजवाइन पित्त प्रकृति वालों में सिर दर्द पैदा करती है और दूध कम करती है।
2. अजवाइन ताजी ही लेनी चाहिए क्योंकि पुरानी हो जाने पर इसका तैलीय अंश
नष्ट हो जाता है जिससे यह वीर्यहीन हो जाती है। काढ़े के स्थान पर रस या
फांट का प्रयोग बेहतर है।
3. अजवाइन का अधिक सेवन सिर में दर्द उत्पन्न करता है।
मात्रा (खुराक) : अजवाइन 2 से 5 ग्राम, तेल 1 से 3 बूंद तक ले सकते हैं।
गुण :अजवाइन की प्रशंसा में आयुर्वेद में कहा गया है-“एका यमानी शतमन्न
पाचिका” अर्थात इसमें सौ प्रकार के अन्न पचाने की ताकत होती है।
आयुर्वेदिक मतानुसार- अजवाइन पाचक, तीखी, रुचिकारक (इच्छा को बढ़ाने वाली),
गर्म, कड़वी, शुक्राणुओं के दोषों को दूर करने वाली, वीर्यजनक (धातु को
बढ़ाने वाला), हृदय के लिए हितकारी, कफ को हरने वाली, गर्भाशय को उत्तेजना
देने वाली, बुखारनाशक, सूजननाशक, मूत्रकारक (पेशाब को लाने वाला), कृमिनाशक
(कीड़ों को नष्ट करने वाला), वमन (उल्टी), शूल, पेट के रोग, जोड़ों के दर्द
में, वादी बवासीर (अर्श), प्लीहा (तिल्ली) के रोगों का नाश करने वाली गर्म
प्रकृति की औषधि है।
यूनानी मतानुसार : अजवाइन आमाशय, यकृत, वृक्क को
ऊष्णता और शक्ति देने वाली, आर्द्रतानाशक, वातनाशक, कामोद्वीपक (संभोग
शक्ति को बढ़ाने वाली), कब्ज दूर करने वाली, पसीना, मूत्र, दुग्धवर्द्धक,
मासिक धर्म लाने वाली, तीसरे दर्जे की गर्म और रूक्ष होती है।
वैज्ञानिक मतानुसार : अजवाइन की रासायनिक संरचना में आर्द्रता (नमी) 7.4
प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट 24.6, वसा 21.8, प्रोटीन 17.1, खनिज 7.9 प्रतिशत,
कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, पोटैशियम, सोडियम, रिबोफ्लेविन, थायमिन,
निकोटिनिक एसिड अल्प मात्रा में, आंशिक रूप से आयोडीन, शर्करा, सेपोनिन,
टेनिन, केरोटिन और स्थिर तेल 14.8 प्रतिशत पाया जाता है। इसमें मिलने वाला
सुगंधित तेल 2 से 4 प्रतिशत होता है, जिसमें 35 से 60 प्रतिशत मुख्य घटक
थाइमोल पाया जाता है। मानक रूप से अजवाइन के तेल में थाइमोल 40 प्रतिशत
होना चाहिए।
विभिन्न रोगों में अजवाइन से उपचार:-
1 पेट
में कृमि (पेट के कीड़े) होने पर ::- *अजवाइन के लगभग आधा ग्राम चूर्ण में
इसी के बराबर मात्रा में कालानमक मिलाकर सोते समय गर्म पानी से बच्चों को
देना चाहिए। इससे बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। कृमिरोग में पत्तों
का 5 मिलीलीटर अजवाइन का रस भी लाभकारी है।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त हुए चूर्ण की 1 से 2 ग्राम को खुराक के रूप में छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन के बारीक चूर्ण 4 ग्राम को 1 गिलास छाछ के साथ पीने या अजवाइन के तेल की लगभग 7 बूंदों को प्रयोग करने से लाभ होता है।
*अजवाइन को पीसकर प्राप्त रस की 4 से 5 बूंदों को पानी में डालकर सेवन करने आराम मिलता है।
*आधे से एक ग्राम अजवाइन का बारीक चूर्ण करके गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी
गोलियां बना लें। इसे दिन में 3 बार खिलाने से छोटे बच्चों (3 से लेकर 5
साल तक) के पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन का आधा
ग्राम बारीक चूर्ण और चुटकी भर कालानमक मिलाकर सोने से पहले 2 गाम की
मात्रा में पिलाने से पेट में मौजूद कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*अजवाइन
का चूर्ण आधा ग्राम, 60 ग्राम छाछ के साथ और बड़ों को 2 ग्राम चूर्ण और 125
मिलीलीटर छाछ में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। अजवाइन का तेल 3 से 7 बूंद
तक देने से हैजा तथा पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
*25 ग्राम पिसी
हुई अजवाइन आधा किलो पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह इसे उबालें। जब
चौथाई पानी रह जाये तब उतार कर छान लें। ठंडा होने पर पिलायें। यह बड़ों के
लिए एक खुराक है। बच्चों को इसकी दो खुराक बना दें। इस तरह सुबह, शाम दो
बार पीते रहने से पेट के छोटे-छोटे कृमि मर जाते हैं।
*अजवाइन के 2
ग्राम चूर्ण को बराबर मात्रा में नमक के साथ सुबह-सुबह सेवन करने से अजीर्ण
(पुरानी कब्ज), जोड़ों के दर्द तथा पेट के कीड़ों के कारण उत्पन्न विभिन्न
रोग, आध्मान (पेट का फूलना और पेट में दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
*पेट में जो हुकवर्म नामक कीडे़ होते हैं, उनका नाश करने के लिए अजवाइन का
बारीक चूर्ण लगभग आधा ग्राम तक खाली पेट 1-1 घंटे के अंतर से 3 बार देने से
और मामूली जुलाब (अरंडी तैल नही दें) देने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
यह प्रयोग, पीलिया के रोगी और निर्बल पर नहीं करना चाहिए।"
"2 गठिया (जोड़ों का दर्द) : :- *जोड़ों के दर्द में पीड़ित स्थानों पर अजवाइन के तेल की मालिश करने से राहत मिलेगी।
*गठिया के रोगी को अजवाइन के चूर्ण की पोटली बनाकर सेंकने से रोगी को दर्द में आराम पहुंचता है।
*जंगली अजावयन को अरंड के तेल के साथ पीसकर लगाने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
*अजवाइन का रस आधा कप में पानी मिलाकर आधा चम्मच पिसी सोंठ लेकर ऊपर से इसे पीलें। इससे गठिया का रोग ठीक हो जाता है।
*1 ग्राम दालचीनी पिसी हुई में 3 बूंद अजवाइन का तेल डालकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे दर्द ठीक होता है।"
3 मिट्टी या कोयला खाने की आदत : :- एक चम्मच अजवाइन का चूर्ण रात में
सोते समय नियमित रूप से 3 हफ्ते तक खिलाएं। इससे बच्चों की मिट्टी खाने की
आदत छूट जाती है।
4 पेट में दर्द ::- एक ग्राम काला नमक और 2 ग्राम अजवाइन गर्म पानी के साथ सेवन कराएं।
5 स्त्री रोगों में : :- प्रसूता (जो स्त्री बच्चे को जन्म दे चुकी हो) को
1 चम्मच अजवाइन और 2 चम्मच गुड़ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से कमर का
दर्द दूर हो जाता है और गर्भाशय की शुद्धि होती है। साथ ही साथ भूख लगती है
व शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है तथा मासिक धर्म की अनेक परेशानियां
इसी प्रयोग से दूर हो जाती हैं। नोट : प्रसूति (डिलीवरी) के पश्चात
योनिमार्ग में अजवाइन की पोटली रखने से गर्भाशय में जीवाणुओं का प्रवेश
नहीं हो पाता और जो जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं वे नष्ट हो जाते है।
जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए योनिमार्ग से अजवाइन का धुंआ भी दिया जाता है
तथा अजवाइन का तेल सूजन पर लगाया जाता है।
"6 खांसी : :- *एक चम्मच अजवाइन को अच्छी तरह चबाकर गर्म पानी का सेवन करने से लाभ होता है।
*रात में लगने वाली खांसी को दूर करने के लिए पान के पत्ते में आधा चम्मच
अजवाइन लपेटकर चबाने और चूस-चूसकर खाने से लाभ होगा। 1 ग्राम साफ की हुई
अजवाइन को लेकर रोजाना रात को सोते समय पान के बीडे़ में रखकर खाने से
खांसी में लाभ मिलता है।
*जंगली अजवाइन का रस, सिरका तथा शहद को एक साथ
मिलाकर रोगी को रोजाना दिन में 3 बार देने से पुरानी खांसी, श्वास, दमा
एवं कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) के रोग में लाभ होता है।
*अजवाइन के रस में एक चुटकी कालानमक मिलाकर सेवन करें। और ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे खांसी बंद हो जाती है।
*अजवाइन के चूर्ण की 2 से 3 ग्राम मात्रा को गर्म पानी या गर्म दूध के साथ
दिन में 2 या 3 बार लेने से भी जुकाम सिर दर्द, नजला, मस्तकशूल (माथे में
दर्द होना) और कृमि (कीड़ों) पर लाभ होता है।
*कफ अधिक गिरता हो,
बार-बार खांसी चलती हो, ऐसी दशा में अजवाइन का बारीक पिसा हुआ चूर्ण लगभग 1
ग्राम का चौथा भाग, घी 2 ग्राम और शहद 5 ग्राम में मिलाकर दिन में 3 बार
खाने से कफोत्पित्त कम होकर खांसी में लाभ होता है।
*खांसी तथा कफ ज्वर
यानि बुखार में अजवाइन 2 ग्राम और छोटी पिप्पली आधा ग्राम का काढ़ा बनाकर 5
से 10 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।
*1 ग्राम अजवाइन रात में सोते समय मुलेठी 2 ग्राम, चित्रकमूल 1 ग्राम से बने काढ़े को गर्म पानी के साथ सेवन करें।
*5 ग्राम अजवाइन को 250 मिलीलीटर पानी में पकायें, आधा शेष रहने पर, छानकर नमक मिलाकर रात को सोते समय पी लें।
*खांसी पुरानी हो गई हो, पीला दुर्गन्धमय कफ गिरता हो और पाचन क्रिया मन्द
पड़ गई हो तो अजवाइन का जूस दिन में 3 बार पिलाने से लाभ होता है।"
7 बिस्तर में पेशाब करना ::- सोने से पूर्व 1 ग्राम अजवाइन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाएं।
"8 बहुमू़त्र (बार-बार पेशाब आना) ::- *2 ग्राम अजवाइन को 2 ग्राम गुड़ के
साथ कूट-पीसकर, 4 गोली बना लें, 3-3 घंटे के अंतर से 1-1 गोली पानी से लें।
इससे बहुमूत्र रोग दूर होता है।
*अजवाइन और तिल मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है।
*गुड़ और पिसी हुई कच्ची अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच रोजाना 4 बार खायें। इससे गुर्दे का दर्द भी ठीक हो जाता है।
*जिन बच्चे को रात में पेशाब करने की आदत होती है उन्हें रात में लगभग आधा ग्राम अजवाइन खिलायें।"
9 मुंहासे ::- 2 चम्मच अजवाइन को 4 चम्मच दही में पीसकर रात में सोते समय
पूरे चेहरे पर मलकर लगाएं और सुबह गर्म पानी से साफ कर लें।
"10 दांत
दर्द ::- *पीड़ित दांत पर अजवाइन का तेल लगाएं। 1 घंटे बाद गर्म पानी में
1-1 चम्मच पिसी अजवाइन और नमक मिलाकर कुल्ला करने से लाभ मिलता है।
*अजवाइन और बच बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर लुगदी (पेस्ट) बना लें।
आधा ग्राम लुग्दी (पेस्ट) रात को सोते समय दाढ़ (जबड़े) के नीचे दबाकर सो
जाएं। इससे दांतों के कीड़े मर जाते हैं तथा दर्द खत्म हो जाता है।"
11 अपच, मंदाग्नि में (पाचन शक्ति में) ::- भोजन के बाद नियमित रूप से 1 चम्मच सिंकी हुई व सेंधानमक लगी अजवाइन चबाएं।
12 जूं, लीख ::- 1 चम्मच फिटकिरी और 2 चम्मच अजवाइन को पीसकर 1 कप छाछ में
मिलाकर बालों की जड़ों में सोते समय लगाएं और सुबह धोयें। इससे सिर में
होने वाली जूं और लीखें मरकर बाहर निकल जाती हैं।
13 पुराना बुखार,
मन्द ज्वर ::- 15 ग्राम की मात्रा में अजवाइन लेकर सुबह के समय मिट्टी के
बर्तन में 1 कप पानी में भिगो दें। इस बर्तन को दिन में मकान में और रात को
खुले आसमान के नीचे ओस में रखें। दूसरे दिन इसको सुबह के समय छानकर इस
पानी को पी लें। यह प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करें। यदि बुखार पूरी तरह से
न उतरे तो यह प्रयोग कुछ दिनों तक और भी चालू रखा जा सकता है। इस उपचार से
पुराना मन्द ज्वर ठीक हो जाता है और यदि यकृत और तिल्ली बढ़ी हुई हो तो वह
भी ठीक हो जाते हैं साथ ही साथ भूख खुलकर लगने लगती है।
14 बांझपन
(गर्भाशय के न ठहरने) पर ::- मासिक-धर्म के आठवें दिन से नित्य अजवाइन और
मिश्री 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर 125 ग्राम पानी में रात्रि के समय
एक मिट्टी के बर्तन में भिगों दें तथा प्रात:काल के समय ठंडाई की भांति
घोंट-पीसकर सेवन करें। भोजन में मूंग की दाल और रोटी बिना नमक की लें। इस
प्रयोग से गर्भ धारण होगा।
15 खटमल : :- चारपाई के चारों पायों पर अजवाइन की 4 पोटली बांधने से खटमल भाग जाते हैं।
16 मच्छर ::- अजवाइन पीसकर बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर
उसमें गत्ते के टुकड़ों को तर (भिगो) करके कमरे में चारों कोनों में लटका
देने से मच्छर कमरे से भाग जाते हैं।
17 भोज्य पदार्थों के लिए ::-
पूरी, परांठे आदि कोई भी पकवान हो, उसको अजवाइन डालकर बनाएं। इस प्रकार के
भोजन को खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है और खाई गई चीजें आसानी से पच जाती हैं।
पेट के पाचन सम्बन्धी रोगों में अजवाइन लाभदायक है।
18 पाचक चूर्ण ::-
अजवाइन और हर्र को बराबर मात्रा में लेकर हींग और सेंधानमक स्वादानुसार
मिलाकर अच्छी तरह से पीसकर सुरक्षित रख लें। भोजन के पश्चात् 1-1 चम्मच
गर्म पानी से लें।
"19 सिर में दर्द होने पर ::- *200 से 250 ग्राम
अजवाइन को गर्म कर मलमल के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर तवे पर गर्म करके
सूंघने से छींके आकर जुकाम व सिर का दर्द कम होता है।
*अजवाइन को साफ
कर महीन चूर्ण बना लें, इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम की मात्रा में नस्वार की
तरह सूंघने से जुकाम, सिर का दर्द, कफ का नासिका में रुक जाना एवं मस्तिष्क
के कीड़ों में लाभ होता है। अजवाइन और अरंड की जड़ को पीसकर माथे पर लेप
करने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
*अजवाइन के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।"
20 कर्णशूल (कान दर्द) ::- 10 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर तिल के तेल में
पकाकर सहने योग्य गर्म तेल को 2-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द मिट
जाता है।
"21 पेट में पानी की अधिकता होना (जलोदर) ::- *गाय के 1 लीटर
पेशाब में अजवाइन लगभग 200 ग्राम को भिगोकर सुखा लें, इसको थोड़ी-थोड़ी
मात्रा में गौमूत्र के साथ खाने से जलोदर मिटता है। यही अजवाइन जल के साथ
खाने से पेट की गुड़गुड़ाहट और खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
*अजवाइन को बारीक पीसकर उसमें थोड़ी मात्रा में हींग मिलाकर लेप बनाकर पेट पर लगाने से जलोदर एवं पेट के अफारे में लाभ होता है।
*अजवाइन, सेंधानमक, जीरा, चीता और हाऊबेर को बराबर मात्रा में मिलाकर छाछ पीने से जलोदर में लाभ होता है।
*अजवाइन, हाऊबेर, त्रिफला, सोंफ, कालाजीरा, पीपरामूल, बनतुलसी, कचूर,
सोया, बच, जीरा, त्रिकुटा, चोक, चीता, जवाखार, सज्जी, पोहकरमूल, कूठ,
पांचों नमक और बायबिण्डग को 10-10 ग्राम की बराबर मात्रा में, दन्ती 30
ग्राम, निशोथ और इन्द्रायण 20-20 ग्राम और सातला 40 ग्राम को मिलाकर अच्छी
तरह बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर बनाकर रख लें। यह चूर्ण सभी प्रकार के पेट की
बीमारियों में जैसे अजीर्ण, मल, गुल्म (पेट में वायु का रुकना), वातरोग,
संग्रहणी (पेचिश), मंदाग्नि, ज्वर (बुखार) और सभी प्रकार के जहरों की
बीमारियों को समाप्त करती है। इस बने चूर्ण को 3 से 4 गर्म की मात्रा में
निम्न रोगों में इस प्रकार से लें, जैसे- पेट की बीमारियों में- छाछ के
साथ, मल की बीमारी में- दही के साथ, गुल्म की बीमारियों में- बेर के काढ़े
के साथ, अजीर्ण और पेट के फूलने पर- गर्म पानी के साथ तथा बवासीर में- अनार
के साथ ले सकते हैं।"
22 सर्दी-जुकाम : :- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम,
अजवाइन 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी
प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन
जायेगी। इसकी 3-4 बूंद रूमाल में डालकर सूंघने से या 8-10 बूंद गर्म पानी
में डालकर भाप लेने से तुरंत लाभ होता है।
23 उल्टी-दस्त ::- पुदीने का
चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को
एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर
में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 4-5 बूंदें बताशे में या गर्म
पानी में डालकर आवश्यकतानुसार देने से तुरंत लाभ होता है। एक बार में लाभ न
हो तो थोड़ी-थोड़ी देर में दो-तीन बार दे सकते हैं।
24 अतिसार ::-
पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम
तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी प्रकार से डॉट लगाकर धूप में रखें।
थोड़ी देर में तीनों चीज गलकर पानी बन जायेंगी। इसकी 5 से 7 बूंद बताशे में
देने से मरोड़, पेट में दर्द, श्वास, गोला, उल्टी आदि बीमारियों में तुरंत
लाभ होता है।
25 कीट दंश ::- पुदीने का चूर्ण 10 ग्राम, अजवाइन का
चूर्ण 10 ग्राम, देशी कपूर 10 ग्राम तीनों को एक साफ शीशी में डालकर अच्छी
प्रकार से डाट लगाकर धूप में रखें। थोड़ी देर में तीनों चीजें गलकर पानी बन
जायेंगी। इसको बिच्छू, ततैया, भंवरी, मधुमक्खी इत्यादि जहरीले कीटों के दंश
पर भी लगाने से शांति मिलती है।
"26 पेट की गड़बड़, पेट में दर्द,
मंदाग्नि, अम्लपित्त ::- *3 ग्राम अजवाइन में आधा ग्राम कालानमक मिलाकर
गर्म पानी के साथ फंकी लेने से पेट की गैस, पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
*अजवायन, सेंधानमक, हरड़ और सोंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर
एकत्र कर लें। इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ सेवन करने
से पेट का दर्द नष्ट होता है। इस चूर्ण के साथ वचा, सोंठ, कालीमिर्च,
पिप्पली का काढ़ा गर्म-गर्म ही रात में पीने से कफ व गुल्म नष्ट होता है।
*प्रसूता स्त्रियों (बच्चे को जन्म देने वाली महिला) को अजवाइन के लड्डू
और भोजन के बाद अजवाइन 2 ग्राम की फंकी देनी चाहिए, इससे आंतों के कीड़े
मरते हैं। पाचन होता है और भूख अच्छी लगती है एवं प्रसूत रोगों से बचाव
होता है।
*भोजन के बाद यदि छाती में जलन हो तो एक ग्राम अजवाइन और बादाम की 1 गिरी दोनों को खूब चबा-चबाकर या कूट-पीस कर खायें।
*अजवाइन के रस की 2-2 बूंदे पान के बीड़े में लगाकर खायें।
*अजवाइन 10 ग्राम, कालीमिर्च और सेंधानमक 5-5 ग्राम गर्म पानी के साथ 3-4 ग्राम तक सुबह-शाम सेवन करें।
*अजवाइन 80 ग्राम, सेंधानमक 40 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, कालानमक 40
ग्राम, जवाखार 40 ग्राम, कच्चे पपीते का दूध (पापेन) 10 ग्राम, इन सबको
महीन पीसकर कांच के बरतन में भरकर 1 किलो नींबू का रस डालकर धूप में रख दें
और बीच-बीच में हिलाते रहें। 1 महीने बाद जब बिल्कुल सूख जाये, तो सूखे
चूर्ण को 2 से 4 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मंदाग्नि
शीघ्र दूर होती है। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है तथा अजीर्ण (अपच), संग्रहणी,
अम्लपित्त इत्यादि रोगों में लाभ होता है।
*शिशु के पेट में यदि दर्द
हो और सफर (यात्रा) में हो तो बारीक स्वच्छ कपड़े के अंदर अजवाइन को रखकर,
शिशु की मां यदि उसके मुंह में चटायें तो शिशु का पेट दर्द तुरंत मिट जाता
है।"
"27 दस्त::- *जब मूत्र बंद होकर पतले-पतले दस्त हो, तब अजवाइन तीन
ग्राम और नमक लगभग 500 मिलीलीटर ताजे पानी के साथ फंकी लेने से तुरंत लाभ
होता है। अगर एक बार में आराम न हो तो 15-15 मिनट के अंतर पर 2-3 बार लें।
*अजवाइन को पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा
ग्राम की मात्रा में लेकर मां के दूध के साथ पिलाने से उल्टी और दस्त का
आना बंद हो जाता है।
*अजवाइन, कालीमिर्च, सेंधानमक, सूखा पुदीना और बड़ी
इलायची आदि को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसे एक चम्मच के रूप में पानी के
साथ लेने से खाना खाने के ठीक से न पचने के कारण होने वाले दस्त यानी पतले
ट्टटी को बंद हो जाता है।"
"28 पेट के रोगों पर::- *एक किलोग्राम
अजवाइन में एक लीटर नींबू का रस तथा पांचों नमक 50-50 ग्राम, कांच के बरतन
में भरकर रख दें, व दिन में धूप में रख दिया करें, जब रस सूख जाये तब दिन
में सुबह और शाम 1 से 4 ग्राम तक सेवन करने से पेट सम्बन्धी सब विकार दूर
होते हैं।
*1 ग्राम अजवाइन को इन्द्रायण के फलों में भरकर रख दें, जब
वह सूख जाये तब उसे बारीक पीसकर इच्छानुसार काला नमक मिलाकर रख लें, इसे
गर्म पानी से सेवन करने से लाभ मिलता हैं।
*अजवाइन चूर्ण तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी से लें।
*1.5 लीटर पानी को आंच पर रखें, जब वह खूब उबलकर 1 लीटर रह जाये तब नीचे
उतारकर आधा किलोग्राम पिसी हुई अजवाइन डालकर ढक्कन बंद कर दें। जब ठंडा हो
जाये तो छानकर बोतल में भरकर रख लें। इसे 50-50 ग्राम दिन में सुबह, दोपहर
और शाम को सेवन करें।
*पेट में वायु गैस बनने की अवस्था में भोजन के
बाद 125 मिलीलीटर मट्ठे में 2 ग्राम अजवाइन और आधा ग्राम कालानमक मिलाकर
आवश्यकतानुसार सेवन करें।"
"29 बवासीर (अर्श) ::- *अजवाइन देशी, अजवाइन
जंगली और अजवाइन खुरासानी को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें और मक्खन
में मिलाकर मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से कुछ दिनों में ही मस्से सूख
जाते हैं।
*अजवाइन और पुराना गुड़ कूटकर 4 ग्राम रोज सुबह गर्म पानी के
साथ लें। अजवाइन के चूर्ण में सेंधानमक और छाछ (मट्ठा) मिलाकर पीने से
कोष्ठबद्धकता (कब्ज) दूर होती है।
*दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ
में डेढ़ ग्राम (चौथाई चम्मच) पिसी हुई अजवाइन और एक ग्राम सैंधानमक मिलाकर
पीने से बवासीर के मस्से दोबारा नहीं होते हैं।"
30 प्रमेह (वीर्य
विकार) ::- अजवाइन 3 ग्राम को 10 मिलीलीटर तिल के तेल के साथ दिन में सुबह,
दोपहर और शाम सेवन करने से लाभ होता है।
31 गुर्दे का दर्द ::- 3 ग्राम अजवाइन का चूर्ण सुबह-शाम गर्म दूध के साथ लेने से गुर्दे के दर्द में लाभ होता है।
"32 दाद, खाज-खुजली ::- *त्वचा के रोगों और घावों पर इसका गाढ़ा लेप करने
से दाद, खुजली, कीडे़युक्त घाव एवं जले हुए स्थान में लाभ होता है।
*अजवाइन को उबलते हुए पानी में डालकर घावों को धोने से दाद, फुन्सी, गीली खुजली आदि त्वचा के रोगों में लाभ होता है।"
"33 मासिक-धर्म सम्बंधी विकार : :- *अजवाइन 10 ग्राम और पुराना गुड़ 50
ग्राम को 200 मिलीलीटर पानी में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय का मल
साफ होता है और रुका हुआ मासिक-धर्म फिर से जारी हो जाता है।
*अजवाइन,
पोदीना, इलायची व सौंफ इन चारों का रस समान मात्रा में लेकर लगभग 50
मिलीलीटर की मात्रा में मासिक-धर्म के समय पीने से आर्तव (माहवारी) की पीड़ा
नष्ट हो जाती है।
*3 ग्राम अजवाइन चूर्ण को सुबह-शाम गर्म दूध के साथ सेवन करने से मासिक धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिकस्राव खुलकर आता है।"
34 नपुंसकता (नामर्दी) ::- 3 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के 10 मिलीलीटर
रस में तीन बार 10-10 ग्राम शक्कर मिलाकर सेवन करें। 21 दिन में पूर्ण लाभ
होता है। इस प्रयोग से नपुंसकता, शीघ्रपतन व शुक्राणु की कमी के रोग में भी
लाभ होता है।
35 सुजाक (गिनोरिया) के रोग में ::- अजवाइन के तेल की 3
बूंदे 5 ग्राम शक्कर में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करते रहने से तथा नियमपूर्वक
रहने से सुजाक में लाभ होता है।
"36 शराब की आदत ::- *शराबियों को जब शराब पीने की इच्छा हो तथा रहा न जाये तब अजवाइन 10-10 ग्राम की मात्रा में 2 या 3 बार चबायें।
*आधा किलो अजवाइन 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, जब आधा से भी कम शेष रहे
तब छानकर शीशी में भरकर फ्रिज में रखें, भोजन से पहले एक कप काढ़े को शराबी
को पिलायें जो शराब छोड़ना चाहते हैं और छोड़ नहीं पाते, उनके लिए यह प्रयोग
एक वरदान के समान है।"
"37 मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट) होना ::- *3 से 6 ग्राम अजवाइन की फंकी गर्म पानी के साथ लेने से मूत्र की रुकावट मिटती है।
*10 ग्राम अजवाइन को पीसकर लेप बनाकर पेडू पर लगाने से अफारा मिटता है, शोथ कम होता है तथा खुलकर पेशाब होता है।"
"38 बुखार ::- *अजीर्ण की वजह से उत्पन्न हुए बुखार में 10 ग्राम अजवाइन,
रात को 125 मिलीलीटर पानी में भिगों दें, प्रात:काल मसल-छानकर पिलाने से
बुखार आना बंद हो जाता है।
*शीतज्वर में 2 ग्राम अजवाइन सुबह-शाम खिलायें।
*बुखार की दशा में यदि पसीना अधिक निकले तब 100 से 200 ग्राम अजवाइन को भूनकर और महीन पीसकर पूरे शरीर पर लगायें।
*अजवाइन को भूनकर बारीक पीसकर शरीर पर मलने से अधिक पसीना आकर बुखार में बहुत लाभ मिलता है।
*10 ग्राम अजवाइन रात को 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर पानी को छानकर पीने से बुखार मिटता जाता है।
*5 ग्राम अजवाइन को 50 मिलीलीटर पानी में उबालकर, छानकर 25-25 ग्राम पानी 2
घण्टे के अतंराल से पीने पर बुखार और घबराहट भी कम होती है।"
"39
इन्फ्लुएन्जा : :- *10 ग्राम अजवाइन को 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में
पकाकर या फांट तैयार कर प्रत्येक 2 घंटे के बाद 25-25 मिलीलीटर पिलाने से
रोगी की बैचेनी शीघ्र दूर हो जाती है। 24 घंटे में ही लाभ हो जाता है।
*अजवाइन, दालचीनी की 2-2 ग्राम मात्रा को 50 मिलीलीटर पानी में उबालें। इसके बाद इसे ठंडाकर-छानकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
*12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, जब पानी आधा बच जायें तब ठंडा करके छान लें और रोजाना 4 बार पीने से लाभ होता है।"
40 चोट लगने से उत्पन्न सूजन ::- किसी भी प्रकार की चोट पर 50 ग्राम गर्म
अजवाइन को दोहरे कपड़े की पोटली में डालकर सेंक करने से आराम आ जाता है।
जरूरत हो तो जख्म पर कपड़ा डाल दें ताकि जले नहीं। किसी भी प्रकार की चोट पर
अजवाइन का सेंक बहुत ही लाभकारी होती है।
41 मलेरिया बुखार ::-
मलेरिया बुखार के बाद हल्का-हल्का बुखार रहने लगता है। इसके लिए 10 ग्राम
अजवाइन को रात में 100 मिलीलीटर पानी में भिगो दें और सुबह पानी गुनगुना कर
जरा सा नमक डालकर कुछ दिन तक सेवन करें।
42 बच्चों के पैरों में कांटा
चुभने पर ::- कांटा चुभने के स्थान पर पिघले हुए गुड़ में पिसी हुई अजवाइन
10 ग्राम मिलाकर थोड़ा गर्म कर बांध देने से कांटा अपने आप निकल जायेगा।
43 पित्ती उछलना : :- 50 ग्राम अजवाइन को 50 ग्राम गुड के साथ अच्छी
प्रकार कूटकर 5-6 ग्राम की गोली बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम ताजे पानी के
साथ लेने से 1 सप्ताह में ही तमाम शरीर पर फैली हुई पित्ती दूर हो जायेगी।
"44 फ्लू (जुकाम-बुखार) ::- *3 ग्राम अजवाइन और 3 ग्राम दालचीनी दोनों को उबालकर इनका पानी पिलायें।
*12 ग्राम अजवाइन 2 कप पानी में उबालें, आधा रहने पर ठंडा करके छानकर
पीयें। इसी प्रकार रोज 4 बार पीने से फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।"
"45
जुकाम ::- *अजवाइन की बीड़ी या सिगरेट बनाकर पीने से जुकाम में लाभ होता है।
अजवाइन को पीसकर एक पोटली बना लें, उसे दिन में कई बार सूंघे, इससे बंद
नाक खुल जाएगी।
*6 ग्राम अजवाइन पतले कपड़े में बांधकर हथेली पर रगड़कर बार-बार सूंघें। इससे जुकाम दूर हो जायेगा।
*एक चम्मच अजवाइन और इसका चौगुना गुड़ एक गिलास पानी में डालकर उबालें। आधा
पानी रहने पर छान लें तथा गर्म-गर्म पीकर ओढ़ कर सो जायें। जुकाम में लाभ
होगा।"
46 आमवात : :- अजवाइन का रस जोड़ों पर मालिश करने से दर्द दूर हो जाता है।
47 शक्तिवर्धक चूर्ण : :- अजवाइन, इलायची, कालीमिर्च और सौंठ समान मात्रा में पी लें। आधा चम्मच सुबह, शाम पानी के साथ फंकी लें।
48 हृदय (दिल) शूल ::- हृदय के दर्द में अजवाइन देने से दर्द बंद होकर हृदय उत्तेजित होता है।
49 फोडे़, फुन्सी की सूजन ::- अजवाइन को नींबू के रस में पीसकर फोड़े और फुन्सी की सूजन में लेप करने से लाभ मिलता है।
50 सभी प्रकार का दांत दर्द ::- हर प्रकार का दांत दर्द अजवाइन के प्रयोग
से ठीक होता है। आग पर अजवाइन डालकर दर्द करते हुए दांतों पर धूनी दें।
उबलते हुए पानी में नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवाइन डाल कर रख दें। पानी
जब गुनगुना रहें तो इस पानी को मुंह में लेकर कुछ देर रोके, फिर कुल्ला
करके थूक दें। इस प्रकार कुल्ले करें। अजवाइन की धुआं और कुल्ले करने के
बीच 2 घण्टे का अंतर रखें। इस प्रकार दिन में तीन बार करने से दांत दर्द
ठीक हो जाता है। गले में दर्द हो तो इसी प्रकार के पानी से गरारे करने लाभ
होता है।
"51 गर्भधारण कराना ::- *मासिक-धर्म के प्रारम्भ से 8 दिन तक
नित्य 25 ग्राम अजवाइन और 25 ग्राम मिश्री, 125 मिलीलीटर पानी में रात को
मिट्टी के बर्तन में भिगों दें। सुबह ठंडाई की तरह पीसकर पीयें। भोजन में
मूंग की दाल और रोटी (बिना नमक की) लें। इस प्रयोग के दौरान संभोग करने से
गर्भ धारण होगा।
*मासिक-धर्म खत्म होने के बाद 10 ग्राम अजवाइन पानी से 3-4 दिनों तक सेवन करने से गर्भ की स्थापना में लाभ मिलता है।"
52 आन्त्रवृद्धि ::- अजवाइन का रस 20 बूंद और पोदीने का रस 20 बूंद पानी में मिलाकर पीने से आन्त्रवृद्धि में लाभ होता है।
"53 श्वास या दमा रोग ::- *खुरासानी अजवाइन लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
सुबह-शाम सेवन करने से श्वास नलिकाओं का सिकुड़ना बंद हो जाता है और श्वास
लेने में कोई भी परेशानी नहीं होती है।
*अजवाइन का रस आधा कप इसमें इतना ही पानी मिलाकर दोनों समय (सुबह और शाम) भोजन के बाद लेने से दमा का रोग नष्ट हो जाता है।
*दमा होने पर अजवाइन की गर्म पुल्टिश से रोगी के सीने को सेंकना चाहिए।
*50 ग्राम अजवाइन तथा मोटी सौंफ 50 ग्राम की मात्रा में लेते हैं तथा
इसमें स्वादानुसार कालानमक मिलाकर नींबू के रस में भिगोकर आपस में चम्मच से
मिलाते हैं। फिर छाया में सुखाकर इसे तवे पर सेंक लेते हैं जब भी बीड़ी,
सिगरेट या जर्दा खाने की इच्छा हो तो इस चूर्ण की आधा चम्मच मात्रा का सेवन
(चबाना) करें। इससे धूम्रपान की आदत छूट जाती है। इसके साथ-साथ पेट की गैस
(वायु) नष्ट होती है, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा भूख भी बढ़ जाती है। पेट की
गैस, वायु निकालने के लिए यह बहुत ही सफल नुस्का (विधि, तरीका) है। "
54 वात-पित्त का बुखार ::- अजवाइन 6 ग्राम, छोटी पीपल 6 ग्राम, अडूसा 6
ग्राम और पोस्त का डोडा 6 ग्राम लेकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पीने से कफ
का बुखार, श्वास (दमा) और खांसी दूर हो जाती है।
55 जुकाम के साथ हल्का
बुखार ::- देशी अजवाइन 5 ग्राम, सतगिलोए 1 ग्राम को रात में 150 मिलीलीटर
पानी में भिगोकर, सुबह मसल-छान लें। फिर इसमें नमक मिलाकर दिन में 3 बार
पिलाने से लाभ मिलता है।
56 फेफड़ों की सूजन ::- लगभग आधा ग्राम से लगभग
1 ग्राम खुरासानी अजवायन का चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से
फेफड़ों के दर्द व सूजन में लाभ मिलता है।
57 काली खांसी (हूपिंग कफ)
::- जंगली अजवाइन का रस, सिरका और शहद तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर 1
चम्मच रोजाना 2-3 बार सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है।
58 अंजनहारी, गुहेरी ::- अजवाइन का रस पानी में घोलकर उस पानी से गुहैरी को धोने से गुहेरी जल्दी ठीक हो जाती है।
59 बालों को हटाना ::- खुरासानी अजवाइन और अफीम आधा-आधा ग्राम लेकर सिरके में घोट लें। इसे बालों में लगाने से बाल उड़ जाते हैं।
"60 वायु विकार ::- *5 ग्राम पिसी हुई अजवाइन को 20 ग्राम गुड़ में मिलाकर छाछ (मट्ठे) के साथ लेने से लाभ होता है।
*एक चम्मच अजवाइन और थोड़ा कालानमक एक साथ पीसकर इसमें छाछ मिलाकर पीने से पेट की गैस की शिकायत दूर होती है।"
61 खट्टी डकारें आना ::- अजवाइन, सेंधानमक, सेंचर नमक, यवाक्षार, हींग और
सूखे आंवले का चूर्ण आदि को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण
बना लें। इस चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम शहद के साथ चाटने
से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
62 आंखों की दृष्टि के लिए : :- आंखों की रोशनी तेज करने के लिए जंगली अजवाइन की चटनी बनाकर खाना चाहिए।
"63 कब्ज ::- *अजवाइन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को
बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम की
मात्रा में इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी
कब्ज समाप्त हो जाती है।
*5 ग्राम अजवाइन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम
पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250 मिलीलीटर
पानी के साथ पीने से वायु गोले का दर्द ठीक होता है।
*अजवाइन 20 ग्राम,
सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम आदि को पुदीना के लगभग 1 ग्राम का
चौथा भाग रस में कूट लें फिर छानकर 5-5 ग्राम सुबह और शाम खाना खाने के बाद
गर्म पानी के साथ लें।
*लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवाइन के बारीक चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज समाप्त होती जाती है।
*अजवाइन और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम देता है।"
64 मसूढ़ों का रोग ::- अजवाइन को भून व पीसकर मंजन बना लें। इससे मंजन करने से मसूढ़ों के रोग मिट जाते हैं।
65 अधिक भूख लगना(अतिझुधा)::- 20-20 ग्राम अजवाइन और सोंठ, 5 ग्राम नौसादर
एक साथ पीस-छानकर नींबू के रस में मटर की तरह गोली बनाकर छाया में सुखा
लें। 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ प्रयोग करें।
"66 पेट की गैस बनना ::- *अजवाइन और कालानमक को छाछ के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
*1 चम्मच अजवाइन, 2 लाल इलायची के दानों को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें।
इस काढ़े में कालानमक और हींग को डालकर पीने से लाभ होता है।