धनतेरस को, जानिए क्यों करते हैं इस दिन दीपदान
धनतेरस पर भगवान यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि
जो धनतेरस के दिन दीपदान करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। इस
मान्यता के पीछे पुराणों में वर्णित एक कथा है, जो इस प्रकार है-
एक
समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण
का हरण करते समय किसी पर दयाभाव भी आया है, तो वे संकोच में पड़कर बोले-
नहीं महाराज! यमराज ने उनसे दोबारा पूछा तो उन्होंने संकोच छोड़कर बताया कि
एक बार एक ऐसी घटना घटी थी, जिससे हमारा हृदय कांप उठा था। हेम नामक राजा
की पत्नी ने जब एक पुत्र को जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके
बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही मर जाएगा। यह
जानकर उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मïचारी के रूप में
रखकर बड़ा किया। एक दिन जब महाराजा हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही
थी तो उस ब्रह्मïचारी युवक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। चौथा
दिन पूरा होते ही वह राजकुमार मर गया। अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी
बिलख-बिलखकर रोने लगी। उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी
कांप उठा। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे।
तभी एक यमदूत ने पूछा -क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?
यमराज बोले- हां एक उपाय है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति
को धनतेरस के दिन पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए। जहां यह पूजन होता
है, वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। कहते हैं कि तभी से धनतेरस के दिन
यमराज के पूजन के पश्चात दीपदान करने की परंपरा प्रचलित हुई।