सेंधा नमक खाए और स्वस्थ रहिए::
सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –
प्रसिद्धा वैज्ञानिक और समाज सेवी राजीव भाई दीक्षित का कहना है की
समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर
उसे और जहरीला बना दिया जाता है ,आयोडिन की शरीर मे मे अधिक मात्र जाने से
नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है
प्रकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया
किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे ,
पर यह एक हकीकत है ।
नमक विशेषज्ञ एन के भारद्वाज का कहना है कि
भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक
और जहर के समान है ।उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है ।
प्रख्यात वैद्य मुकेश पानेरी कहते है कि आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे
सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक
से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है । इसके
विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी
शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को
'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के
इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को
'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से
होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले
कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार
मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी
प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया
जा रहा है
सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी
नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल
जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है।
यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य
अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है ।
दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
आपने श्री राजीव दीक्षित जी के बारे में कई बार सुना होगा पर क्या आप उनके
कार्यों के बारे में भी जानते है ?? अगर आपके ह्रदय में अपने देश के लिए थोडा
सा भी प्रेम है तो कृपया थोडा सा समय निकाल कर एक बार श्री राजीव दीक्षित जी
के बारे में अवश्य जाने। यहाँ श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा किये गए कुछ
कार्यो के बारे में एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया है। नीचे लिखे
गए किसी भी कार्य के बारे में पूरी जानकारी के लिए उनके व्याख्यान सुने। www.rajivdixit.com*
भोपाल गैस हत्याकांड की गुनाहगार कंपनी (UNION CARBIDE - एक अमेरिकी कंपनी)
जिसकी वजह से २२,००० लोगो की जान गयी, उस कंपनी को हमारी सरकार ने माफ़
कर दिया था लेकिन श्री राजीव दीक्षित जी को यह बात नहीं जमी और उन्होंने इस
२२,००० बेगुनाह भारतीयों की हत्या करने वाली कंपनी को इस देश से भगाया।* श्री
राजीव दीक्षित जी ने १९९१ में डंकल प्रस्ताव के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति
की और रैलियाँ निकालीं।* उन्होंने विदेशी कंपनियों द्वारा हो रही भारतकी
लूट, खासकर कोका कोला और पेप्सी जैसे प्राण हर लेने वाले, जहरीले कोल्ड
ड्रिंक्स आदि के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की।* १९९१-९२ में
राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कम्पनी (जो हर दिन चार करोड़ लीटर दारू
बनाने वाली थी) के शराब-कारखानों को बन्द करवाने में श्री राजीव भाई जी ने
बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।* १९९५-९६ में टिहरी बाँध के
खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में उन्होंने बहुत संघर्ष किया और वहाँ पर हुए पुलिस
लाठी चार्ज में उन्हें काफी चोटें भी आई। इसी प्रकार श्री राजीव दीक्षित जी
ने CARGILL, DU PONT, केडिया जैसी कई बड़ी विदेशी कंपनियों को भगाया जो इस
देशको बड़े पैमाने पर लूटने की नियत से इस देश में अपना डेरा जमाना चाहती
थी।उसके बाद १९९७ में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात् इतिहासकार प्रो०
धर्मपाल के साथ अँग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके
समूचे देशको संगठित और आन्दोलित करने का काम किया। अपने व्याख्यानों से देश
के स्वाभिमान को जगाने, देश को संगठित करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान
निभाया। राजीव भाई ने स्वदेशी आंदोलन तथा आजादी बचाओ आंदोलन की शुरुआत की तथा
इनके प्रवक्ता बने। मजबूत तथ्यों और दमदार आवाज के साथ उनके व्याख्यानों में
इतनी सच्चाई और चुम्बक-जैसा आकर्षण होता था कि सभी लोग उन्हें सुनने के लिए
खींचे चले आते थे। उनके दिमाग में ५,००० से भी अधिक वर्षो का ज्ञान
समाहित था। उन्हें चलता फिरता "एनसाइक्लोपेडिया" कहा जाता है। श्री राजीव जी के
हृदय में अत्यंत तीव्र ज्वाला थी, इस भ्रष्ट तंत्र, भ्रष्ट व्यवस्था
के प्रति। इस देश कि गरीबी को देखकर उनकी आखो से आंसु निकल पड़ते थे। बिना
मीडिया की सहायता के उन्होंने पूरे देश को जगाया। राजीव दीक्षित जी के अन्दर
एक महान वैज्ञानिक, एक महान विचारक, एक महान इतिहासकार, एक महान वैद्य, एक
महान वक्ता,एक महान शोधकर्ता, एक महापुरुष के सभी गुण विद्यमान थे। उन्होंने
बिना दवाईयों के पूरा जीवन स्वस्थ रहने के अत्यंत सरल सिद्धांत बताये, जिनसे
आज लाखो लोग लाभान्वित हो रहे हैं। राजीव भाई ने 1857 के स्वतंत्रता
संग्राम की 150 वीं जयंती की शाम को कोलकाता में आयोजित किये गए कार्यक्रम का
नेतृत्व किया,जो कि विभिन्न संगठनों व प्रख्यात व्यक्तियों द्वारा
प्रोत्साहित व प्रचारित किया गया था और पूरे देश में मनाया गया था। उन्होंने
नयी दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के नेतृत्व में 50,000 लोगों को संबोधित
किया। हमारे देश का धन विदेशी बेंको में काले धन के रूप में जमा पड़ा है, इस
बात की जानकारी सबसे पहले पूरे देश की जनता को भाई राजीव दीक्षित जी ने ही
बताई थी। जनलोकपाल जेसे कानूनों के बारे में सर्व प्रथम इस देश को श्री राजीव
दीक्षित जी ने ही बताया। राइट टू रिजेक्ट और राइट तो रिकॉल जैसे कई मजबूत
कानूनों के बारे में पूरे देश को जानकारी दी। भारत को पुनः विश्वगुरु कैसे
बनाया जाये, इसका बहुत ही सरल और प्रमाणिक उपाय श्री राजीव दीक्षित जी ने ही
बताये। हमारे देश के हजारों- लाखों साल पुराने स्वर्णिम अतीत को कई वर्षो तक
अध्ययन कर पूरे देश को इस बारे में बताया और हमारे गौरव से अवगत करवाया।
अंग्रेजी भाषा की सच्चाई के बारे में पूरे देश को बताया। संस्कृत भाषा की
वैज्ञानिकता के बारे में गहन अध्ययन कर देश को बताया। देश में पहली
बार विदेशी कंपनियों के षड्यन्त्र के बारे में बहुत बड़े स्तर लोगो पर बताया।
स्वदेशी के स्वीकार और विदेशी के बहिष्कार की बात देश को पूरी प्रमाणिकता के
साथ बताया। भारत की विश्व को क्या क्या देन रही, इस बारे में अति महत्वपूर्ण
जानकारियां बताई। श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें बताया की सबसे पहले प्लेन
का आविष्कार भारत के श्री बापू जी तलपडे ने किया था वो भी राइट बंधुओ से सात
साल पहले। जन गन मन और वन्देमातरम की सच्चाई के बारे में पहली बार पूरे
देश को उन्होंने ही बताया। पहली बार इस देश में श्री राम कथा को एक नए
देशभक्ति सन्दर्भ में प्रस्तुत करने वाले भी श्री राजीव दीक्षित जी ही
है। उदारीकरण और वैश्वीकरण की सच्चाई को पूरे देश के सामने रखा और इसके कई
दुष्प्रभावों से देश को बचाने के लिए अपनी अंतिम स्वांस तक प्रयास करते
रहे। हमारे देश के गाँव गाँव में जाकर इस देश की हर एक समस्या को देखा, समझा
तथा उसके निवारण के लिए प्रभावशाली उपाय बताये और किये। वो होमियोपेथी और
आयुर्वेद के महान विद्वान रहे है। महर्षि वाघभट्ट जी के "अष्टांगहृदयं" नामक
ग्रन्थ को कई वर्षी तक अध्ययन कर उसे आज की जलवायु एवं परिस्थितियों
के हिसाब से पुनर्रचित किया तथा बहुत ही सरल तरीकों से उसे आम जनता के बीच
बताया जिससे हम बिना किसी दवाई के, बस खाने-पीने आदि के समय और सही तरीके
मात्र से स्वस्थ रहने के उपाय बताये। श्री राजीव दीक्षित ने लाखोँ लोगो के
दिलो-दिमाग में प्रत्यक्ष रूप से देशभक्ति की ज्वाला नहीं अपितु धधकता लावा
प्रज्वलित किया। इस देश को कैसे महाशक्ति बनाया जा सकता है, इसके लिए बहुत ही
सरल उपाय बताये जिन उपायों पर आज बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं।ग्लोबल
वार्मिंग को रोकने के लिए बहुत ही जबरदस्त उपाय बताये। ग्लोबल वार्मिंग
एवं वैश्विक भुखमरी को एक साथ ख़त्म करने के लिए पूरे प्रमाणों के साथ सिद्ध
किया की अगर मांसाहारी खाना खाना बंद कर दिया जाये तो दोनों समस्याओं से एक
साथ छुटकारा पाया जा सकता है। विदेशी षणयंत्रों से पहली बार पूरे देश को अवगत
करवाया। उनके पास हर एक समस्या का समाधान बहुत ही सरलता और प्रमाणिकता के
साथ उपलब्ध रहता था। पेट्रोल, डीजल आदि की समस्या का छुटकारा पाने के लिए
कुछ साथियों के साथ मिलकर उन्होंने गोबर गैस से व्हिकल चलाने के सफल प्रयोग
किये जिसमें नाममात्र का खर्चा आता है।श्री राजीव दीक्षित जी ने ही पेप्सी
और कोका-कोला जैसे खतरनाक जहर के बारे में पहली बार पूरे देश को बताया तथा
लोगो को बहुत बड़े स्तर पर जागृत किया।हमारे देश की बिजली उत्पादन से
सम्बंधित समस्या के प्रमाणिक उपाय बताये। उनके द्वारा बताये गए सभी उपाय
इतने असरदार, दमदार और सरल है की उन्हें जिस दिन लागू किया जाये उसी दिन
उस समस्या का समाधान हो जाये। उनके ह्रदय में स्वदेश के प्रति इतनी तड़पथी की
वो रात दिन अपने अंतिम स्वांस तक बसस्वदेश और स्वदेशी के लिए ही कार्य करते
रहे।उन्होंने पूरे देश में १५,००० से अधिक प्रत्यक्ष व्याख्यान दिए और अगर
उनके अप्रत्यक्ष व्याख्यानों (T.V., CD, DVD, Internetetc) को शामिल किया
जायेतो गिनती करना असंभव हो जायेगा। श्री राजीव दीक्षित जी ने विभिन्न
विषयों पर अनेकों लेख व पुस्तकें लिखी हैं- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का
मकड़जाल, अष्टांग ह्रदयम्(स्वदेशी चिकित्सा), हिस्ट्री ऑफ द एमेन्सिस, भारत
और यूरोपीय संस्कृति, स्वदेशी : एक नया दर्शन, हिन्दुस्तान लिवर
के कारनामे आदि आदि। श्री राजीव दीक्षित ने पिछले ३० वर्षो तक हमारे देश के लिए
कई घातक कानूनों को बनने से रोका तथा कई अच्छे कानून बनवाने में उनका योगदान
रहा। भारतीय और पश्चिमी संस्कृति, सभ्यता आदि पर गहन अध्ययन कर पूरे देश के
सामने रखा। श्री धर्मपाल जी के साथ मिलकर हमारे पुराने गौरवशाली इतिहास को
पुनः एकत्रित किया और पूरे देश में प्रचारित किया। उन्होंने कई बार अपनी जान
पर खेलकर कई घातक कानूनों और खतरनाक विदेशी कम्पनियों को हमारे देश में आने
से रोका।देश की रक्षा करते हुए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन श्री
राजीव दीक्षितजी पीछे नहीं हटे। देश हित के कई कार्यो में कई बार उन्हें
और उनके साथियों को लाठियां-गोलियां खानी पड़ी लेकिन उन्होंने कभी अपने कदम
पीछे नहीं बढ़ाये। श्री राजीव दीक्षित ने भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के
लिए एक बहुत ही मजबूत आधार बनाकर हमें दिया है जिस पर इस देश को बहुत
जल्द महाशक्ति बनाया जा सकता है। श्री राजीव दीक्षित जी बिना मीडिया की सहायता
के ही पूरे देश के कोने कोने में जाकर रात-दिन व्याख्यान देते रहे। उनकी
आवाज जैसे भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आग उगलने वाली आवाज हो। उनके सीने में
देश के प्रति इतना प्रेम एवं तड़पथी की जेसे वो एक पल में ही इस देश को पुनः
विश्वगुरु बना दे और अगर आज ही उनके बताये गए उपायों को हमारे देश में लागू
कर दिया जाये तो सच में एक ही पल में ये देश पुनः विश्वगुरु बन सकता है। हमारे
देश की गरीबी, भूखमरी आदि विकट समस्याओं को देखकर उनका दिल भर आता था। श्री
राजीव दीक्षित ने हमें हमारे स्वर्णिम अतीत के बारे में बताकर हमारा
स्वाभिमान जगाया। 'भारत स्वाभिमान आन्दोलन' उनके दिमाग की ही देन है। स्वामी
रामदेव जी के संपर्क में आने के बाद ९जनवरी २००९ को स्वामीजी और
श्री राजीव दीक्षित जी ने भारत स्वाभिमान ट्रस्ट शुरू किया और इसका पूर्ण
दायित्व अपने कंधो पर संभाला और पूरे देश के गांव-गांव शहर शहर में घूम कर
स्वदेशी कि अलख जगाई। श्री राजीव दीक्षित जी ने पूर्ण निर्भीकता के
साथ विदेशी कंपनियों की पोल खोली तथा बहुत सारी विदेशी कंपनियों को हमारे देश
से खदेड़ा जो कि हमारे देश को बहुत बुरी तरह लूट रही थी/लुटने वाली थी।श्री
राजीव दीक्षित जी ने ही डंकल प्रस्ताव के खिलाफ पूरे देश में गाँव गाँव जाकर
जागृति फैलाई वरना आज हम अन्न के दाने दाने के लिए विवश हो जाते। श्री राजीव
दीक्षित जी लाखों युवाओ को देशभक्ति की राह पर लाये और उनके जीवन को दिव्य
बना दिया जो की पश्चिमी सभ्यता एवं मानसिक गुलामी में पूर्ण रूप से डूब चुके
थे। श्री राजीव दीक्षित जी अपनी हर एक बात प्रामाणिकता के साथ कहते थे उनके
पास हर एक बात के तथ्य, सबूत होता था। उनके दिमाग में कम्पूटर से भी तेज
गणनाएँ कर पाने की अद्भुतक्षमता थी। श्री राजीव दीक्षित जी के पास बहुत बार
विदेशी कंपनियों और आसुरी ताकतों की धमकियां एवं ऑफर भी आते थे परन्तु श्री
राजीव दीक्षित ना तो कभी बिके और न ही कभी रुके। श्री राजीव दीक्षित जी पुरे
जीवन ब्रह्मचारी रहे तथा पूरा का पूरा जीवन देश हित के कार्यो में लगा दिया।
श्री राजीव दीक्षित जी ने ही हमें “पूर्ण स्वराज” की परिभाषा समझाई और
इसे प्राप्त करने के बहुत ही असरदार तरीके बताये। राजीव भाई जिनका निष्कलंक
जीवन सादगी,स्वदेशी, पवित्रता, भक्ति, श्रद्धा, विश्वास से भरा हुआ था। चाहे
लोगों ने उन्हें कितना भी कष्ट दिया हो उन्होंने उफ नहीं की।पूज्य स्वामी
रामदेव जी का राजीव भाई से पहला संवाद कनखल के आश्रम में हुआ था। राजीव भाई
लगभग दो ढाई दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे।राजीव भाई
भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थे, धरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह
कर भी पुन: निर्मित नहीं कर सकते। राजीव भाई के ह्रदय में एक ऐसी आग
थी,जिससे प्रतीत होता था कि वे अभी ही भ्रष्ट तंत्र को, भ्रष्टाचार को खत्म
कर देंगे। ‘भारत स्वाभिमान आंदोलन' के साथ आज पूरा देश उनके साथ खडा हुआ
है। हम सबको मिल करके भारत स्वाभिमान का जो संकल्प राजीव भाई ने लिया था,
उसे पूरा करना है और अब वो साकार रुप ले चुका है।जब भारत स्वाभिमान का
आंदोलन बहुत बड़े चरण पर है तो एक बहुत बडी क्षति हुई है जिसे शब्दों में
बयान नही किया जा सकता। ये ह्रदय की नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र की पीड़ा
है। व्यक्ति जब समिष्ट के संकल्प के साथ जीने लगता है तो वो सबका प्रिय हो
जाता है। वे अपने माता-पिता के लाल नही थे, बल्कि करोडों-करोडों लोगों के
दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे। एक मां की कोख धन्य होती है जब
ऐसे लाल पैदा होते है। राजीव भाई हमारे भाई ही नहीं बल्कि देश के
करोडों-करोडों लोगों के भाई थे। प्रतिभावान, विनम्र, निष्कलंक जीवन था राजीव
भाई का। राजीव भाई को 'इन्साइक्लोपीडिया' कहा जाता था। वे चलते-फिरते अथाह
ज्ञान के सागर थे। 5000 वर्षों का ज्ञान, असीम स्मृति वाले, अपरिमित क्षमता
वाले थे राजीव भाई। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से
लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता है। उनकी जिव्हा पर स्वयं माँ
सरस्वती जी विराजमान रहते थे। उनकी आवाज में इतना ओज है की जो भी उनको एक बार
सुन ले वो उनका भक्त हो जाये। मीडिया ने कभी भी श्री राजीव दीक्षित को
एवं उनके व्याख्यानों को नहीं दिखाया नहीं तो आज हमारा देश महाशक्ति बन चुका
होता लेकिन फिर भी उनके पुरुषार्थ की वजह से आज देश जाग रहा है तथा उनके
सपनों के भारत को बनाने के लिए लाखों करोडों लोग तैयार हो चुके है,तथा
दिन-रात कार्य कर रहे है। अब इस देश को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता
क्योकि इसकी नीव श्री राजीव दीक्षित के हाथो से स्थापित की गई है। श्री
राजीव दीक्षित के समर्थक उनके कार्यो को पूरा करने के लिए अपनी जान तक देने
को तैयार रहते है।बहुत ही जल्द एक नए भारत का उदय आप देखेंगे।एक श्री राजीव
दीक्षित जी के शरीर को तो मिटा दिया गया है पर अब इस देश में लाखो-करोडो
राजीव भाई पैदा हो गए है उन्हें मिटाना मुश्किल ही नहीं वरन असंभव भी है,
हम सब मिलकर स्वर्णिम भारत का निर्माण अवश्य करेंगे चाहे कुछ भी हो जाये।
श्री राजीव दीक्षितजी कोई व्यक्ति नहीं थे, अपितु वो एक “दिव्य-आत्मा”, एक
विचार, एक क्रांति का आगाज,एक स्वदेशी अलख थे। वो भारत मां के अनमोल रत्न
थे। जब वह बोलते थे तो घण्टों मन्त्र-मुग्धहोकर लोग उनको सुनते रहा करते
थे। राजीव भाई का मानना था कि उदारीकरण, निजीकरण,तथा वैश्वीकरण, ये तीन ऐसी
बुराइयां है,जो हमारे समाज को तथा देश की संस्कृति व विरासत को तोड़ रही
है।भारतीय न्यायपालिका तथा क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा
कि भारत अभी भी उन कानूनों तथा अधिनियमों में जकड़ा हुआ है जिनका निर्माण
ब्रिटिश राज में किया गया था और इससे देश लगातार गर्त में जाता जा रहा है।
राजीव दीक्षित जी स्वदेशी जनरल स्टोर्स कि एक श्रृंखला बनाने का समर्थन करते
थे, जहाँ पर सिर्फ भारत में बने उत्पाद ही बेंचे जाते हैं। इसके पीछे के
अवधारणा यह थी, कि उपभोक्ता सस्ते दामों पर उत्पाद तथा सेवाएं ले सकता है
और इससे निर्माता से लेकर उपभोक्ता,सभी को सामान फायदा मिलता है, अन्यथा
ज्यादातर धन निर्माता व आपूर्तिकर्ता कि झोली में चला जाता है। राजीव भाई ने
टैक्स व्यवस्था के विकेन्द्रीकरण की मांग की और कहा कि वर्तमान व्यवस्था
दफ्तरशाही में भ्रष्टाचार का मूल कारण है। उनका दावा था कि कि टैक्स का
80 प्रतिशत भाग राजनेताओं व अधिकारी वर्ग को भुगतान करने में ही चला जाता है,
और सिर्फ 20 प्रतिशत विकास कार्यों में लगता है। उन्होंने वर्तमान बजट
व्यवस्था की पहले कि ब्रिटिश बजट व्यवस्था से तुलना की और इन दोनों
व्यवस्थाओं को सामान बताते हुए आंकड़े पेश किये। राजीव भाई का स्पष्ठ मत था
कि आधुनिक विचारकों ने कृषि क्षेत्र को उपेक्षित कर दिया है। किसान का
अत्यधिक शोषण हो रहा है तथा वे आत्महत्या की कगार पर पहुँच चुके हैं। वो हर
बात तथ्यों, सबूतों,आकडो एवं दस्तावेजों के साथ कहते थे. जब वो भारत के
स्वर्णिम अतीत का गुण-गान करते अथवा विदेशियों के द्वारा की गई आर्थिक लूट के
आँकडे गिनवाना शुरू होते थे तो प्रतीत होता था जेसे उनका दिमाग कम्प्यूटर से
भी तेज चलता हो। उस “दिव्य-आत्मा” के दिमाग में ५,००० से भी ज्यादा वर्षों
का ज्ञान समाहित था। उन्हें चलता-फिरता सुपर कम्पुटरकहा जाता था। श्री राजीव
दीक्षित जी को अगर ज्ञात-अज्ञात इतिहास के सबसे महान स्वदेशी महापुरुष कहा
जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। श्री राजीव भाई जी का जीवन
सादगी,पवित्रता, समर्पण, उत्साह, जोश, स्वदेशी भाव से पूर्ण था। उन्होंने
पहले “आज़ादी बचाओ आंदोलन” और फिर “भारत स्वाभिमान” के तहत पुरे देश को
संगठित और आंदोलित किया। बारम्बार प्रणाम है ऐसे माता-पिता के चरणों
में जिन्होंने इस “दिव्य-आत्मा” को जन्म दिया। वो अपने माता-पिता के ही नहीं
अपितु सम्पूर्ण देश के प्यारे-दुलारे है. वो माँ भारती के लाल है। उपरोक्त
लिखी गयी इन सभी बातो के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए श्री राजीव
दीक्षित के व्याख्यान सुने। www.rajivdixit.com एक बार विकिपीडिया पर भी उनके
बारे में अवश्यपढ़े।...धन्यवाद..