जय श्री कृष्णा साथियों
लेख थोड़ा बड़ा है लेकिन फुर्सत में जरूर पढ़ना
आजकल जैसे जैसे हम अपना विकास कर रहे है और रोजमर्रा की ज़िन्दगी में डिजिटल और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे है जिसमे ईमेल बैंक अकाउंट, स्मार्ट फ़ोन, फिंगरप्रिंट पासवर्ड, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, wifi कनेक्टिविटी, सोशल मीडिया शेयरिंग, जैसे काम हम डेली कर रहे है और कुछ अपडेट रहने के लिए भी करना पड़ रहा है, कुछ लोग इसका इस्तेमाल ज़िन्दगी को सरल बनाने में करते है कुछ स्मार्ट बनाने में और कुछ लोग टाइम पास के लिए भी सोशल मीडिया का उपयोग करते है
विज्ञानं ने ज़िन्दगी को जितना एडवांस, सरल और समय की बचत के लिए उन्नत बनाया है उतना ही असामाजिक तत्वों ने इसके दुरुपयोग से मानव जीवन में बाधा उत्पन्न करने के तरीके खोज लिए है सामान्य आदमी की जरा सी चूक उसकी ज़िन्दगी भर की कमाई को डिजिटल फ्रॉड या धोखाधड़ी करके हड़प लेता है जिसे आज की भाषा में साइबर क्राइम कहते है |
साइबर क्राइम पर अंकुश लगाना नामुमकिन है यदि आप सतर्क न रहे तो
इस पर हम रोजाना टीवी में अखबारों में पढ़ते है
- एटीएम पिन पूछ कर अकाउंट से पैसे निकले
- कोई डाउनलोड करते है अकाउंट से पैसे निकले
- लिंक पर क्लीक करते ही बैंक अकाउंट खली
और भी कई खबरे आती है रोजाना
फिर भी हम आज तक गलतियों पर गलती करते आये है
जिसका फायदा हैकर्स आसानी से उठा लेता है और इसकी क्षतिपूर्ति कोई नहीं कर सकता
इस तरह के हैकर्स के बारे में एक फिल्म आयी थी https://www.youtube.com/watch?v=REdVA3_ORk0
जिसके बारे में मेने पूर्व की पोस्ट में बताया था अभी फिर से लिंक दे रहा हूँ
ऊपर एक यूट्यूब पर मूवी का लिंक दिया हुआ है जो आज के युग में होने वाले मोबाइल इंटरनेट सोशल मीडिया एवं डिजिटल युग में किए जा रहे फ्रॉड - लोन देने वाली स्कीम क्रेडिट कार्ड के लिए करने वाले फ्रॉड कॉल्स करने वाले हैकर्स के बारे में है
सभी कोई मूवी देखनी चाहिए एवं समझना चाहिए कि हम दैनिक जीवन में कितनी गलतियां करते हैं जिससे हैकर्स आपका डाटा चुराकर आपका पैसा चुरा लेता है इस मूवी से कुछ सीख कर अपने पर्सनल डाटा दूसरों को ना बताएं क्रेडिट कार्ड लॉटरी या बैंक से संबंधित कॉल पर
बिना सोचे समझे एक्शन लेने की जरूरत नहीं है इसके अलावा आधार कार्ड की जानकारी पैन कार्ड मोबाइल नंबर एवं स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते समय पूर्ण सावधानी बरतें
स्मार्ट फोन में कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले परमिशन पर allow, allow allow करने से पहले सोच समझ कर क्लिक करें यह सारे परमिशन आपके फोन को हैकर्स के लिए आसान बनाती है SMS. में आए फ्री टीशर्ट फ्री मोबाइल या किसी फ्री की स्कीम के लिंक पर क्लिक करके अपनी जानकारी हैकर्स को ना भेजें
ईमानदारी एवं परिश्रम की कमाई ही घर में सुख शांति ला सकती है सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता
https://www.youtube.com/watch?v=REdVA3_ORk0 कैसे आपकी भावनाओं से खेलकर की जाती है ऑनलाइन ठगी?
जनहित में जारी by https://sanwariyaa.blogspot.com
बुजुर्ग भी इन दिनों इंटरनेट का खूब इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह की एक बुजुर्ग महिला से मेरा परिचय है. इंटरनेट उन्हें बहुत रोमांचित करता है. लेकिन, अनगिनत जंक ईमेल, रोबोकॉल और ऑनलाइन रिक्वेस्ट से वह परेशान हो जाती हैं. उन्हें यह समझाना आसान है कि कैसे वह हर भेजे जाने वाले लिंक और र्इमेलों को क्लिक न करें. न ही किसी अज्ञात नंबर से कॉल रिसीव करें. वह टेक्नोलॉजी सीख सकती हैं. लेकिन, जालसाज उन्हें भावुक कर अपना शिकार बना सकते हैं.
शोध से पता चलता है कि ऑनलाइन घोटालों का बड़ा उद्योग है. इसे पकड़ना भी मुश्किल है. धोखाधड़ी के शिकार इतना शर्मसार हो जाते हैं कि ज्यादातर मामलों में अपराध दर्ज ही नहीं कराया जाता है. सच तो यह है कि ज्यादातर बार रिपोर्ट दर्ज कराने का भी फायदा नहीं होता है. कारण है कि ठग नकली पहचान का उपयोग करते हैं.टेक्नोलॉजी ने ग्रुप ईमेलिंग तकनीक के जरिए लोगों तक पहुंचना आसान बना दिया है. जालसाज इस तकनीक के बूते न केवल पहचान छुपाकर नकली ईमेल और वेबसाइट बना लेते हैं, बल्कि पूरी दुनिया में बहुत कम खर्च में बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच जाते हैं.
इन ठगों की सफलता के पीछे अकेले टेक्नोलॉजी जिम्मेदार नहीं है. इसमें हमारा भी दोष है. हममें से कर्इ भावनाओं में बहकर फैसले लेते हैं. खुद पर अंकुश नहीं लगाते हैं. धोखेबाज इन्हीं भावनाओं से खेलते हैं.
अक्सर ठगों का शिकार स्मार्ट और टेक्नोलॉजी के जानकार बनते हैं. उन्हें लगता है कि वे हर चाल को समझने के लिए तैयार हैं. थोड़ा जोखिम लेने में क्या बुरार्इ है. एक बार जैसे ही हम ठगों से जुड़ना शुरू कर देते हैं, तो शिकंजा कसता जाता है. हम यह मानने से इनकार करते हैं कि हम धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं.
घोटाले को महसूस करने के बाद भी हम नुकसान की आशंका को नजरअंदाज करते हैं. हम अपनी गलती को मान नहीं पाते हैं. इसलिए घोटालेबाज से इस उम्मीद में बात करते रहते हैं कि शायद कुछ हाथ लग जाए.
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ठगों को बखूबी पता होता है कि वे क्या कर रहे हैं. वे खूब जानते हैं कि हम बगैर सोचे-समझे कैसे फैसले कर लेते हैं. इसी का फायदा वे उठाते हैं. उदाहरण के लिए जालसाजों को पता होता है कि डर पैदा करने के लिए 'अथॉरिटी' से मेल भेजना चाहिए. इसके लिए वे पुलिस, सरकार, टैक्स अधिकारी का मुखौटा लगा लेते हैं.
दहशत पैदा करने के लिए चेतावनी दी जाती है कि आपका बैंक खाता बंद किया जा रहा है. या फिर डेबिट कार्ड ब्लॉक किया जा रहा है. इससे तुरंत आपका ध्यान चला जाता है. अथॉरिटी का नाम, पद और हस्ताक्षर इस्तेमाल करके आपको र्इमेल खोलने के लिए फंसाया जाता है. यहीं से आपके फंसने की शुरुआत हो जाती है.
फर्जी कॉल करके आपको कम खर्च पर मोटा मुनाफा बनाने का लालच दिया जाता है. जब आपको फोन कॉल पर बताया जाता है कि आपने पुरस्कार जीता है या आपको इसके लिए चुना गया है तो जाने लें कि आपके लिए जाल बिछाया जा रहा है.
आप भी खुश होकर कॉलर से जुड़े रहते हैं. इससे ठगों को आपको बार-बार कॉल करने का मौका मिलता है. फिर आपको उससे न कहने में हिचक महसूस होने लगती है. आप दो-टूक नहीं कह पाते हैं कि आप आगे बात नहीं करना चाहते हैं. इस तरह से जाल मजबूत होता जाता है.
एक चाल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसमें जालसाज अर्जेंसी पैदा करते हैं. आपको तुरंत कोर्इ काम करने के लिए राजी किया जाता है. उदाहरण के लिए आपको एक कॉल आती है. इसमें वेकेशन मनाने के लिए आकर्षक डील की पेशकश की जाती है. शर्त रखी जाती है कि यह डील कुछ समय में ही खत्म हो जाएगी. सो, तेजी से फायदा उठा लें. नहीं तो मौका गंवा देंगे. डेटिंग साइट पर ठगी के किस्से भी कम नहीं हैं.
लेकिन हमारा लालच ही हमें ले डूबता है
हम लोग व्हाट्सप्प, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन और प्रलोभनों के चक्कर में अपनी सारी पर्सनल डिटेल्स हैकर्स को खुद देते है और इससे हैकर्स को आपके लालची होने का अनुमान भी आसानी से हो जाता है
इसके अलावा कुछ लोग अपने को और ज्यादा स्मार्ट समझते है जो लोग नहीं समझते वो तो फ़ोन पर कोई जवाब नहीं दे पते और फ़ोन काट देते है और ऐसे फ्रॉड से बच भी जाते है लेकिन जो लोग समझदार होते है वे लोग ईमेल और दूसरे लिंक के माध्यम से ठगी का शिकार हो जाते है ऐसे कुछ इमेल्स के डिटेल्स दे रहा हूँ जिसमे एक ही व्यक्ति को अलग अलग तरह के ईमेल किये ताकि किसी न किसी ईमेल पर डर या लालच से क्लिक करे और उसका ईमेल हैक हो जाता है और ईमेल हैक होने के बाद उसकी सारी जानकारी हैकर्स के पास चली जाती है और वो अपनी जमा पूंजी गवा देतेहै
निचे कुछ ईमेल के सब्जेक्ट लाइन्स और ईमेल के तरीके बता रहा हूँ कृपया सतर्क रहे न डरे न लालच करे
Mr. name : ALERT! You will lose money in bank account इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया १० दिन बाद
Mr/Ms name : Notice on your Access Details! इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया
Dear name : Check your PF Transfer Details..! इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया
ITR-V/Ack.receipt :Mr. name : ITR e-filing 120 days to verify your return
अब इनकम टैक्स का ईमेल होता है तो ca को कॉल करके आप पूछोगे की आईटीआर वेरिफिकेशन करना पड़ेगा क्या तो वो हाँ ही बोलेंगे न
Traffic Police: Special Notice To the Vehicle With Huge Pending Fines अब आरटीओ के नाम से आया ट्रैफिक पुलिस को मेरा ईमेल आईडी किसने दिया
TDS Notice : Dear name : ,TDS notice on your this Month Salary
LPG Dealer : Dear name : ₹ 62.50 Added to your Subsidy Account चेक योर बैलेंस
Govt-ID : Hello name :- Mismatched Names on Aadhaar and PAN Cards?
Your Bill : Dear name :view Your Cable TV Bill..
Penalty Charges : Dear name : Your bank A/c Minimum Balance Charges..!
IRCTC : name : IRCTC Official Notification 2019 Check Interview dates.
Aadhaar Kendra : name :You have been Charged For Your Aadhaar Services
Electricity Dept. : name :Your meter is set to change.(Details inside).
Your ATM : name :Unblock Your ATM Card
Passport Seva : You may soon have e-passports with chip!
सवाल है कि हम क्या कर सकते हैं? सबसे पहली बात है कि हम अपने व्यवहार को बदलें. जिस तरह से हम प्रतिक्रिया करते हैं, उसमें बदलाव करें. अनुभवों के आधार पर हम कर्इ चीजें सीखते हैं. मसलन, हम सड़क पर चलते हुए होर्डिंग्स को देखने से परहेज करते हैं. अजनबी के लिए दरवाजा नहीं खोलते हैं. सह-यात्रियों से अपने रहने के स्थान को साझा नहीं करते हैं. ये बातें जेहन में इतना घुस चुकी हैं कि अपने-आप हमसे यह हो जाता है. ठगी से बचने के लिए भी हमें इसी तरह की ट्रेनिंग की जरूरत है.
जानें कि आपका बैंक, कार्ड प्रोवाइडर या टैक्स अथॉरिटी आपको फोन पर ब्योरा देने या मेल पर लिंक क्लिक करने के लिए कभी नहीं कहेंगे. इस तरह के ईमेल न खोलने की आदत बनाएं, फिर भले ये कितने भी प्रामाणिक दिखते हों. कोइ भी कदम उठाने से पहले इसके बारे में राय-मश्विरा जरूर करें.
कोइ डील कितनी भी सही क्यों न दिख रही हो, पेमेंट करने से पहले वेबसाइट की विश्वसनीयता जांच लें. फिजूल इमेल को ट्रैश में डालते रहें. अजनबियों के फोन डिस्कनेक्ट कर दें. जालसाज इस तरह के व्यवहार के लिए तैयार नहीं रहते हैं.
अंत में आप से यही निवेदन है की लालच में अपनी निजी जानकारी किसी फालतू गिफ्ट के फॉर्म में न भरे और नहीं की किसी लिंक पर क्लिक करे आपका बैंक आपको ईमेल से कोई जानकारी नहीं मांगता इसके लिए पहले अपने बैंक की स्थानीय शाखा में संपर्क करे और छुट्टी के दिन अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पीछे लिखे नम्बरो पर क्लिक करे
और हाँ एक और जानकारी
जब आप गूगल पर सर्च करके किसी बैंक या पेमेंट की वेबसाइट पर जाते है तो यह भी पता करे की वो बैंक की वेबसाइट है भी या नहीं आजकल बैंक और इंश्योरेंस प्रीमियम की ऑनलाइन पेमेंट की बिलकुल वैसी ही डुप्लीकेट साइट बानी हुई होती है हैकर की जो आपकी बैंक डिटेल्स चोरी कर लेते है
और एक बात
ये सरकारी योजनाओ के नाम पर डुप्लीकेट साइट बनाकर जो लोगो को बेवकूफ बनाते है
इसमें सरकार की किसी भी योजना की जानकारी या फॉर्म उनकी ओरिजनल साइट पर ही होती है वेबसाइट का डोमेन जिसमे _ लगा हुआ है या अन्य कोई साइट है तो फर्जी है सरकारी ऑफिसियल साइट का डोमेन - .gov.in और योजनाओ की वेबसाइट का डोमेन नाम - nic.in से समाप्त होता है for example - www.
इसके अलावा सभी साइट फर्जी होती है
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Thanks,
Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
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