1. कई साल से हम लोग इंपोर्टेड दाल खा रहे थे। 2 साल पहले मोदी जी ने इस पर रोक लगानी शुरू कर दी और अब पूरी तरह से बंद कर दिया। कृषि बिल तो बहाना था असली किस्सा कुछ यूं है। 2007 में मनमोहन सिंह ने नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से समझौता कर दाल आयात करना शुरू कर दिया था। कनाडा ने अपने यहां लेंटील दाल के बड़े-बड़े फार्म स्थापित किए जिसकी जिम्मेदारी वहां रह रहे पंजाबी सिखों के हवाले किया।
कनाडा से भारत में बड़े पैमाने पर दाल आयात होने लगा। बड़े आयातकों में अमरिंदर, कमलनाथ जैसे कांग्रेसी भी थे और बादल भी थे ।
जैसे ही मोदी ने आयात पर रोक लगाई इनका खेल शुरू हुआ। इनके कनाडा के फार्म सूखने लगे। खालिस्तानियों की नौकरी जाने लगी इसीलिए जस्टिन ट्रुडो ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था। अब धमकी दी जा रही है कनाडा के खालिस्तानी सिखों को पंजाब वापस भेजा जाएगा। वैसे भी खालिस्तानी कांग्रेसियों की ही देन है। कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध विदेशी ताकते और खालिस्तानी सिख कर रहे है।
अब भारत का किसान अमीर होगा तो इन्हें तो कष्ट होगा ही, मोदी जी ने भारत को विकसित करने का बीडा उठाया है और जनता भी साथ दे रही है, जल्द ही भारत की आर्थिक हालत विश्व मे सबसे अच्छी होगी क्योंकि जिस देश में अन्न बाहर से खरीदना नहीं पड़ता वही देश सबसे जल्द् विकसित होते है!
2. अदानी और अंबानी ने जो भी व्यापार शुरू किया वहां मोनोपली का खात्मा करते हुए भारतीय ग्राहकों को जबरदस्त फायदा कराते हुए मुनाफा कमाया है। अब सोचिए कि पहले कितनी लूट मची हुई थी...??
उदाहरण:- जियो नहीं था तब आपका बिल कितना आता था ? कितनी लूट चलती थी... अब हर कंपनी दाम घटाने पर मजबूर है ।
अदानी एग्रो प्रगति कर रही है तो विरोध हो रहा है... अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है...? जब अपने देश में पेप्सिको, वॉलमार्ट, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईटीसी जैसी विदेशी कंपनियों ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में बड़े-बड़े गोडाउन खड़े कर लिए तब कोई विरोध नहीं हुआ... तो अब अदानी का ही विरोध क्यों???
रिलायंस रिटेल, रिलायंस डिजिटल अब सारे देश में पहुंच रहे हैं, तो अमेज़न और फ्लिपकार्ट को तकलीफ़ होना स्वाभाविक है... स्वदेशी पतंजलि के आने से हिन्दुस्तान यूनीलीवर (कोलगेट, लक्स, पाँड्स) का एकाधिकार समाप्त हो गया, तो उन्हें तकलीफ़ तो होनी ही थी... चीन दुनिया भर के साथ भारत में भी 5G तकनीक बेचने को उतावला हो रहा है, ऐसे में जियो की संपूर्ण स्वदेशी 5G तकनीक से उसे तकलीफ़ होगी ही... अदानी पोर्ट्स और अदानी एंटरप्राइज़ के कारण सबकी मोनोपली बंद हो गई है।
अब जब अपने देश के उद्योगपति आगे बढ़ रहे हैं, देश को फायदा पहुंचा रहे हैं, तो अपने ही देश के कतिपय लोग उनका विरोध क्यों कर रहे हैं?
क्या अदानी, अंबानी या पतंजलि आपको जबरदस्ती अपना सामान बेच रहे हैं, या आपसे कुछ ले रहे हैं...?
खेल समझिए:
अब पंजाब के किसान नेता उनके विरोध में आ गए हैं... अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है...?? हमारी ज़मीन हड़प लेगा... आदि-आदि...
पंजाब में देशी-विदेशी कंपनियों के गोडाउन बरसों से मौजूद हैं, वह चलता है... अब अदानी बनवा रहा है तो कहा जा रहा है कि जमाखोरी होगी और कीमतें बढ़ेंगी...
हकीकत तो यह है कि अब तक जो लाखों टन अनाज, सब्ज़ियां और फल सड़ जाते थे, वे अब इनके गोडाउन में सही तरह से भंडारित हो सकेंगे। तकलीफ़ यह है कि अब महंगाई काबू में रहेगी और बिचौलियों को मिलने वाली मोटी मलाई बंद हो जाएगी।
महंगाई तो सालों से बढ़ती आ रही है, तो अब ही अफवाहें क्यों फैलाई जा रही हैं...? क्योंकि अदानी-अंबानी से कई विदेशी एजेंटों को तकलीफ़ हो रही है, और कई लोग तो कुछ भी जाने-समझे बगैर सिर्फ और सिर्फ मोदी-विरोध में ये अफवाहें फ़ैला रहे हैं और अपने साथ-साथ सबके पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं...!!
यह सच्चाई सब तक पहुंचाएं।
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जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 28 जनवरी 2021
बिचौलियों को मिलने वाली मोटी मलाई बंद हो जाएगी।
मुगलों का रक्तरंजित हवसभरा इतिहास-
मुगलों का रक्तरंजित हवसभरा इतिहास-
1. आठवीं सदी में मुहम्मद बिन क़ासिम का जिहादी जंगी जुनून, काफ़िर राजा दाहिर का कटा सर, इराक़ में हज्जाज इब्न यूसुफ़ के हरम में दाहिर की बेटियों के कुचले हुए जिस्म, लड़ाई के बाद सिंध में सड़कों पर सड़ती काफ़िरों की लाशें, अधमरे सैनिकों की दिल चीर देने वाली चिंघाड़, क़ासिम के जिहादियों के चंगुल में आयीं हज़ारों काफ़िर औरतें, उनकी बोटी बोटी नोचे जाने से उठी चीत्पुकार, १०-१० जिहादियों के नीचे फँसी उस माँ को जिसके दुधमुँहे बच्चे को अल्लाहु अकबर के नारे के साथ भाले की नोक पर घुसा कर हवा में उछाल दिया गया था, उस माँ को जो यह नहीं जान पा रही थी कि कौन सी तकलीफ़ ज़्यादा बड़ी है- एक साथ १० हैवानों के बीच अपने जिस्म को नुचवाना या अपने बच्चे को भाले की नोक पर लटके हुए देखना या उस जिगर के टुकड़े को आख़िरी आशीर्वाद भी नहीं दे पाना।
2. ग्यारहवीं सदी के पहले साल से ही महमूद ग़जनवी के जंगी दस्ते, १/२/३/१७ बार सोमनाथ मंदिर का विध्वंस, करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक ज्योतिर्लिंग जो अब टुकड़े टुकड़े होकर जिहादियों के क़दमों में पड़ा था, हज़ारों सर जो धड़ों से जुदा करके खेतों में फेंक दिए गए, पेशावर, मुल्तान, लाहौर, के वो जले हुए शहर, उनमें भुट्टों की तरह भून दिए गए बुतपरस्त काफ़िर।
3. बारहवीं सदी के वो गुरु चेले- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और मुहम्मद गौरी, राजा पृथ्वीराज के राज्य में उसी के टुकड़ों और दया पर पलने वाले चिश्ती के ख़्वाब में आए इस्लामी नबी, उसका हिन्दुस्तान पर हमला करके बुतपरस्त काफ़िरों को सबक़ सिखाने के लिए गौरी को चिट्ठी, पहली लड़ाई में पृथ्वीराज के सामने घुटनों पर आकर सिर झुकाने वाले गोरी का अगली बार फिर से झपटना, और अपनी जान बख़्शने वाले के सर को अपने मुल्क ले जाकर क़िले के दरवाज़े पर टाँग देना, उसके साथ हुआ अल्लाहु अकबर का अट्टाहस, हिन्दुस्तान में मूर्तिपूजकों के ख़ून से घुटनों तक दरया बहाने के गुरु चेलों के मंसूबे और कत्लेआम।
4. तेरहवीं सदी में बख़्तियार ख़िलजी का हमला। नालंदा और विक्रमशिला के महीनों तक धूँ धूँ करके जलते भवन, तकबीर के नारों और फ़तह के जश्न के शोर के बीच मौत के आग़ोश में समा गए हज़ारों आचार्य, शिक्षक, शिष्य, मर्द, औरत, बच्चे।
5. चौदहवीं सदी में महारानी पद्मिनी को पाने के लिए अलाउद्दीन ख़िलजी का चित्तौड़ का हमला, शादीशुदा माँ समान रानी को अपने बिस्तर में देखने के जिहादी मंसूबे, हज़ारों महारानियों, रानियों, राजकुमारियों, और साथी स्त्रियों की सामूहिक पूजा, पूरा शृंगार करके आरती अर्चना, भीमकाय क़िले के बीचोंबीच हज़ारों मन लकड़ियों को इकट्ठा करते शाही हाथी, अहाते के चारों तरफ़ उन लकड़ियों को जमता देखती कन्याओं की टोली, प्रचण्ड आग में कूदने के पहले एक दूसरे से आख़िरी गले मिलना, धर्म की विजय की कामना करते हुए महारानी पद्मिनी का अग्निकुण्ड में प्रवेश, एक पल में लकड़ी को कोयला कर देने वाली दहकती आग में माँ समान कोमल महारानी और हज़ारों स्त्रियों का अंतिम प्रयाण, मर कर भी किसी जिहादी के हाथ ना आने का अतुल्य संतोष, मर कर भी सम्मान नहीं मरने देने का सुख, आने वाली पीढ़ी के वीर पुत्र अपनी जलती माताओं का प्रतिशोध ज़रूर लेंगे, इस संदेश के साथ उस ऊँची उठती आग में धुआँ हो जाने वाली राजमाताएँ और पुत्रियाँ।
इसी सदी में काफ़िरों के कटे सरों की मीनारें बनाने वाला तैमूर, दिल्ली शहर का वो कत्लेआम, दहाईयों तक इंसानी वजूद से ख़ाली हो जाने वाले शहर, गिद्ध, चील, भेड़ियों और जानवरों के शोर में ढके हुए शहर, क़रीब २ करोड़ इंसानों के क़ातिल का दिल्ली की गलियों में बेख़ौफ़ घूमना, पूरी दुनिया की इंसानी आबादी के ५% हिस्से को अपनी तलवार से ख़त्म करने वाले उस लंगड़े के चेहरे के भद्दे चेचकी दाग़।
6. सोलहवीं सदी के मुग़ल बाबर के हाथों से काटे गए हज़ारों सरों की मीनारों के जुलूस, मीनारों के ख़ौफ़ से पूरे के पूरे शहरों का इस्लाम क़ुबूल करना, बाजौड़ की औरतों की दर्दनाक दास्ताँ, बाबर के हरम से हर रात निकलने वाली कमसिन बच्चों की चीख़ें, अफ़ीम के नशे में सर काटने की प्रतियोगिता। करोड़ों हिंदुओं के भगवान राम के मंदिर का ज़मीन में दफ़न किया जाना।
इसी सदी में बाबर के पोते अकबर का अपने उस्ताद बैरम खाँ को फ़ारिग़ करके माँ समान उसकी बीवी से निकाह, चित्तौड़ के क़ब्ज़े के दिन ३०,००० बेगुनाह औरतों, बच्चों, बूढ़ों और जवानों का अपने हाथों से कत्लेआम, सैंकड़ों राजस्त्रियों का जौहर की आग में फिर से पलायन, ५,००० काफ़िर औरतों और बच्चों से भरा हुआ हरम, रिश्ते में बेटी, पोती और बहू लगने वाली औरतों/बच्चों की दर्दनाक चीख़ों से भरी हुई हरम की रातें।
7. सत्रहवीं सदी में अकबर के बेटे जहांगीर का हिंदू-सिखों के गुरु अर्जन देव जी को इस्लाम क़ुबूल करने का हुक्म, गुरु का इनकार, गुरु की मौत का फ़रमान, जलते लोहे के तवे पर गुरु का बैठना, ऊपर से गरम रेत से बदन को छलनी करना, भालों से गुरु का माँस उतारना, बादशाह जहांगीर का आख़िरी बार इस्लाम क़ुबूल करने का हुक्म? गुरु का आख़िरी इनकारी जवाब, गुरु को उनकी गाय माता की खाल में सिल कर मारने का फ़रमान, इस पर गुरु का रावी नदी में स्नान के लिए जाना और फिर कभी वापस नहीं आना।
इसी सदी में अकबर महान के पड़पोते औरंगज़ेब के हाथों इस्लाम क़ुबूल नहीं करने पर लाखों हिंदुओं का कत्लेआम।हज़ारों मन्दिरों को ज़मींदोज़ करके मूर्तिपूजक हिंदुओं को असली खुदा की ताक़त का एहसास करवाना, हिंदू-सिखों के गुरु तेग़ बहादुर जी को इस्लाम क़ुबूल नहीं करने पर क़त्ल का फ़रमान, दिल्ली की धरती पर गुरु का उड़ता हुआ सर, भाई मति दास का आरे से चीरा गया बदन, भाई सती दास का रुई में लपेट कर जलाया गया जिस्म, भालों पर झूलते ७०० सिखों के कटे सर, दिल्ली में कटे सरों के जुलूस, छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे छत्रपति संभाजी की यातनाओं के २० दिन, इस्लाम नहीं क़ुबूल करने के लिए ख़ंजर से निकाली गयीं आँखें, अल्लाहु अकबर नहीं बोलने के लिए खींची गयी ज़बान, उँगलियों के खींचे गए नाख़ून, पत्थरों से कुचली गयीं उँगलियाँ, चिमटों से खींची गयी जिस्म की खाल, ख़ंजरों से काटी गयी बोटी बोटी, तलवार से कलम किया गया सर।
8. अठारहवीं सदी में हिंदू-सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी के ५ और ८ साल के छोटे छोटे बच्चों का अपहरण- उन्हें इस्लाम क़ुबूल करने का हुक्म, बच्चों का इनकार, दीवार में ज़िंदा चिनवाए गए बच्चे, अल्लाहु अकबर का शोर। बच्चों के बलिदान का बदला लेने वाले बंदा वैरागी का दिल्ली आना, शेर के पिंजरे में उसे क़ैद करके दिल्ली शहर में घुमाना, दुधमुँहे बच्चे का माँस ख़ंजर से निकाल के पिता बंदा के मुँह में ठूँसना, इस्लाम क़ुबूल नहीं करने पर बदन के टुकड़े टुकड़े दिल्ली की सड़कों पर। देवी के अपमान पर पैग़म्बर का अपमान करने के जुर्म में १४ साल के बालक हक़ीक़त राय का लाहौर में माँ की आँखों के सामने तन से जुदा सर। इतना सुनना था कि खाने की मेज़ पर रोटी के निवाले हलक में अटक गए। रूँधे हुए गले से रोटी नीचे नहीं उतरती थी। भाई, ये सब क्या था? अगर ये सब सच है तो हमने स्कूल में ये सब क्यों नहीं पढ़ा? १४ आँखों से आँसू लुढ़क रहे थे। कमरे में ख़ामोशी ही ख़ामोशी थी जो ७ लोगों के सुबकने से टूट रही थी।
एक सवाल मन में कौंध रहा था, क्या कारण है कि जिस देश में पिछले १३ सदियों का एक एक साल ख़ून में डूबा हो, एक भी सदी बिना औरतों, बच्चों, माँओं की अगणित चीख़ पुकार सुने बिना नहीं बीती, जिस देश में आज भी उन १३०० सालों के हमलावरों, माओं को नंगा घुमाने वालों, उनको अरब की ग़ुलाम मंडियों में बेचने वालों, बलात्कार करने वालों, लाखों मंदिरों-मूर्तियों को तोड़ कर उन पर मस्जिद बनाने वालों, करोड़ों लोगों को तलवार के ज़ोर पर हिंदू से मुसलमान बनाने वालों को हीरो, वली और इस्लाम का ग़ाज़ी समझा जाता हो, ग़ज़नी, बाबर और औरंगज़ेब के नाम की मस्जिदें बनाकर उनमें बैठ कर करोड़ों हिंदुओं के ज़ख़्मों पर दिन में ५ बार, सप्ताह में ३५ बार, महीने में १५० बार और साल में १८२५ बार नमक मिर्च रगड़ा जाता हो, जिस देश में बलात्कारी बाबर के नाम की मस्जिद के लिए लाखों लोग सड़कों पर उतर आते हों, औरंगज़ेब के नाम की मस्जिद से दिल्ली में तकारीर की जाती हों, जिस देश को ७० साल पहले इन्हीं क़ातिल लुटेरों के मानने वालों ने दो टुकड़े कर के फेंक दिया
जिस देश के टुकड़े होने के बाद भी बचे खुचे पर शरीयत के काले क़ानून के साये हैं, जिस देश के २०% लोग देश का क़ानून मानने से इनकारी हों, मज़हब मुल्क से ऊपर है, इस बात का खुल्लम खुल्ला एलान करते घूमते हों, जिस देश में ६०० में से ८६ जिलों में ऐसे लोगों की संख्या २०% के पार हो चुकी हो, जिस देश में हिंदू को कश्मीर से साफ़ किया गया हो, राजधानी दिल्ली से १०० किलोमीटर दूर कैराना में हिंदुओं का पलायन किया जा चुका हो, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, सहारनपुर, बुलन्दशहर, रामपुर, मुरादाबाद आदि में पलायन की तैयारी हो चुकी हो, जिस देश में बचे खुचे हिंदू ८ राज्यों में अल्पसंख्यक बन चुके हों, जिस देश के स्कूलों में रमज़ान के दिनों में हिंदू बच्चों के लिए भी खाने पर पाबंदी लगनी शुरू हो गयी हो, जिस देश की राजधानी में हनुमान आरती को रमज़ान के महीने में रुकवा दिया गया हो क्योंकि मूर्तिपूजा से मोहल्ले के लाखों अल्पसंख्यक लोगों की धार्मिक भावनाएँ आहत हो जाती हैं, जिस देश में आपके लिए घेरा तंग से तंगतर होता जा रहा हो, उस देश के युवाओं की समस्या क्या हैं? भ्रष्टाचार, ग्लोबल वार्मिंग, गोरक्षक, पद्मावती फ़िल्म की आज़ादी?
- अग्निवीर की पुस्तक 'मुग़ल - हवस के सुल्तान' से उद्धृत
शुक्रवार, 22 जनवरी 2021
अब पता लगा ये ढाई अक्षर क्या है
गुरुवार, 14 जनवरी 2021
जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें
शुक्रवार, 8 जनवरी 2021
स्वतंत्रता के बाद पहला ऐसा सशक्त विपक्ष मिला है जिसने केन्द्र में एक भी घोटाला नही होने दिया है।
शनिवार, 2 जनवरी 2021
1 जनवरी से साल के अलावा और क्या क्या बदल रहा जानिये पूरी जानकारी
गुरुवार, 31 दिसंबर 2020
करें शुरू कुल्हड़ चाय का कारोबार बढ़ाये आमदनी और देवे औरो को भी रोजगार
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रविवार, 27 दिसंबर 2020
खाना खाने के बाद पेट मे खाना पचेगा या खाना सड़ेगा
शनिवार, 19 दिसंबर 2020
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