यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 7 जुलाई 2021

हिन्दु (सनातन) धर्म को बदनाम करने के लिए समय समय पर हिन्दु धर्म के वेद पुराणों में मिलावट की गई है


वेदों में " माँसाहार " और " बली " निषेध है
अक्सर ऐसी तस्वीरें और कुछ श्लौक दिखा कर 

हिन्दु ( सनातन ) धर्म  को बदनाम करने की कोशिश की जाती है जानें सत्य....

पहले मुगलों और फिर अंग्रेजों ने मैक्समूलर के द्वारा फिर भीमराव अंबेडकर ने वेद पुराणों का गलत अर्थ बताकर और ई.वी.पेरियार ने ट्रु रामायण नाम की पुस्तक लिखकर जिसका हिन्दी में सच्ची रामायण नाम से अनुवाद हुआ है ऐसे बहुत से नाम हैं ....

हिन्दु (सनातन) धर्म को बदनाम करने के लिए समय समय पर 
हिन्दु धर्म के वेद पुराणों में मिलावट की गई है और अाज भी मुस्लिम संगठन और ईसाई ,नवबौद्ध लगातार इंटरनैट पर ब्लौग लिखकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नकल के लिऐ भी अक्ल की जरूरत होती है एक ही धर्मग्रंथ में दो विपरीत श्लौक नहीं होते इतनी इन्हें अक्ल नहीं थी
और ऐसी तस्वीरें ज्यादातर जहाँ पर बौद्धों की जनसंख्या ज्यादा है वहाँ की हैं क्योंकि बौद्धों में तांत्रिक प्रक्रिया का प्रचलन है वहीं पर ऐसा किया जाता है हिन्दु धर्म ऐसा नहीं किया जाता है....

वेदों में मांसाहार निषेध

वेद में माँस भक्षण का स्पष्ट विरोध

ऋग्वेद ८.१०१.१५ – मैं समझदार मनुष्य को कहे देता हूँ की तू बेचारी बेकसूर गाय की हत्या मत कर, वह अदिति हैं अर्थात काटने- चीरने योग्य नहीं हैं.

ऋग्वेद ८.१०१.१६ – मनुष्य अल्पबुद्धि होकर गाय को मारे कांटे नहीं.

अथर्ववेद १०.१.२९ –तू हमारे गाय, घोरे और पुरुष को मत मार.

अथर्ववेद १२.४.३८ -जो(वृद्ध) गाय को घर में पकाता हैं उसके पुत्र मर जाते हैं.

अथर्ववेद ४.११.३- जो बैलो को नहीं खाता वह कष्ट में नहीं पड़ता हैं

ऋग्वेद ६.२८.४ –गोए वधालय में न जाये

अथर्ववेद ८.३.२४ –जो गोहत्या करके गाय के दूध से लोगो को वंचित करे , तलवार से उसका सर काट दो

यजुर्वेद १३.४३ –गाय का वध मत कर , जो अखंडनिय हैं

अथर्ववेद ७.५.५ –वे लोग मूढ़ हैं जो कुत्ते से या गाय के अंगों से यज्ञ करते हैं

यजुर्वेद ३०.१८-गोहत्यारे को प्राण दंड दो

मनुस्मृती में मांसाहार निषेध

स्वामी दयानंद के अनुसार मनु स्मृति में वही ग्रहण करने योग्य हैं जो वेदानुकुल हैं और वह त्याग करने योग्य हैं जो की वेद विरुद्ध हैं।

महाभारत में मनु स्मृति के प्रक्षिप्त होने की बात का समर्थन इस प्रकार किया हैं:-

महात्मा मनु ने सब कर्मों में अहिंसा बतलाई हैं, लोग अपनी इच्छा के वशीभूत होकर वेदी पर शास्त्र विरुद्ध हिंसा करते हैं। शराब, माँस,द्विजातियों का बली, ये बातें धूर्तों ने फैलाई हैं, वेद में यह नहीं कहा गया हैं। . शांति पर्व मोक्ष धर्म अध्याय २६६

मनुस्मृती में मांसाहार निषेध

माँस खाने के विरुद्ध मनु स्मृति की साक्षी 

जिसकी सम्मति से मारते हो और जो अंगों को काट काट कर अलग करता हैं। मारने वाला तथा क्रय करने वाला,विक्रय करनेवाला,पकानेवाला, परोसने वाला तथा खाने वाला ये ८ सब घातक हैं। जो दूसरों के माँस से अपना माँस बढ़ाने की इच्छा रखता हैं, पितरों,देवताओं और विद्वानों की माँस भक्षण निषेधाज्ञा का भंग रूप अनादर करता हैं उससे बढ़कर कोई भी पाप करने वाला नहीं हैं।

मनु स्मृति ५/५१,५२

मद्य, माँस आदि यक्ष,राक्षस और पिशाचों का भोजन हैं। देवताओं की हवि खाने वाले ब्राह्मणों को इसे कदापि न खाना चाहिए।

मनु स्मृति ११/७५ 

जिस द्विज ने मोह वश मदिरा पी लिया हो उसे चाहिए की आग के समान गर्म की हुई मदिरा पीवे ताकि उससे उसका शरीर जले और वह मद्यपान के पाप से बचे। मनुस्मृति ११/९०

इसी अध्याय में मनु जी ने श्लोक ७१ से ७४ तक मद्य पान के प्रायश्चित बताये हैं। 

जय जय श्रीराम

जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए।


#खुश_कैसे_रहें_?
•••••••••••••••••••••
बहुत दिनो से pleasure scooty का उपयोग नही होने से, वह पड़ी पड़ी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। 
विचार आया olx पे बेच दें।
Ad डाली... कीमत Rs. 30000/-

बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। 
मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 हजार भी देगा।
एक का 29000/- का प्रस्ताव आया। 
उसे भी waiting में रखा।
एक सुबह काल आया, उसने कहा -
साहब नमस्कार, आपकी स्कूटी का Ad देखा। पसंद भी आयी है। परंतु  30 हजार कमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 हजार ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी स्कूटी से ही जाये। आप कृपया  pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी स्कूटी दुगनी कीमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोड़ा समय दीजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, pleasure मुझे ही दिजीएगा।

मैने औपचारिकता में मात्र ok बोलकर फोन रख दिया। 

कुछ विचार मन में आये। 
वापस काल बैक किया और कहा आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार  लेकर आईए, गाड़ी आप  ही ले जाईए,  वह भी मात्र 24 हज़ार में ही।

मेरे पास 29 हज़ार का प्रस्ताव होने पर भी 24 हजार में किसी अपरिचित व्यक्ति को मैं pleasure स्कूटी देने जा रहा था। 

सोचा.. उस परिवार में आज कितने pleasure यानि आनंद का निर्माण हुआ होगा। कल उनके घर pleasure जाएगी और मुझे ज्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था। ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बड़ा धन शायद किसी जरूरतमंद की जरूरत पूरी हो जाये। परमात्मा इन्हें खुश रखे।

अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया । साहब कितने बजे आऊँ, आपका समय तो नही खराब होगा। पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊँ। पर साहब pleasure गाड़ी किसी और को नही दिजीएगा। 

वह 2000, 500, 200, 100, 50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहां कहां से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है।  

बेटा एकदम आतुरता और कृतज्ञता से स्कूटी pleasure को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाड़ी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकाल कर पोछ रहा था। 

उसनें पैसे गिनने को कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये हैं, कोई दिक्कत नहीं।

जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते हुए कहा, घर जाते समय मिठाई लेते जाइएगा। सोच यह थी कि कहीं तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। 

आँखों  में कृतज्ञता के आंसू लिये उन्होंने हमसे विदा ली और अपनी pleasure ले गए। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।

परंतु आज pleasure बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में  pleasure (आनन्द) होता क्या है। 

हम लोग सहज भाव में कहते हैं - it's my pleasure(ये मेरा आनन्द है)
जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। 

अपने माध्यम से किसी को क्या सच में कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है।
 
करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही,
किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। 
आज किसी के साथ खुशी बांटकर देखिएगा, वही pleasure(आनन्द) न आये तो कहना।

हरि ॐ🙏🙏

सोमवार, 5 जुलाई 2021

बॉलीवुड फिल्मों के कुछ नो-लॉजिक सीन

यह दृश्य याद है?

इस सीन में चतुर

अपने Samsung Omnia SCH i910 स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए फरहान और राजू

को उस दिन की तारीख याद दिला रहे हैं

। इस फोन को नवंबर 2008 में लॉन्च किया गया था।

तो, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राजू और फरहान चतुर से 5 सितंबर, 2009 को मिले थे।

अब, कुछ गणित में आते हैं । ( क्षमा करें, पीयूष जी!)

ऊपर बताई गई तारीख उस कुख्यात ' चमत्कार

' घटना के ठीक 10 साल बाद

की थी।

तो, राजू , फरहान और रैंचो 1999 के आसपास कॉलेज में थे।

इस फिल्म के क्लाइमेक्स में कटौती करें।

रैंचो ने अपने दोस्तों की मदद से निर्देशक की बेटी की डिलीवरी खुद करने का फैसला किया।

तो, पिया ने रैंचो को ( एक वीडियो कॉल पर )

दिखाया

कि कैसे Youtube ट्यूटोरियल का उपयोग करके बच्चे को जन्म देना है

तथ्य यह है कि, Youtube का आविष्कार फरवरी, 2005 में हुआ था।

इसके अलावा ,

इस सीन में जहां फरहान ने अपना परिचय दिया, उन्होंने बताया कि उनका जन्म 1978 में हुआ था।

इंजीनियरिंग में स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश करने में 18 साल (काफी) लगते हैं।

फरहान ने लिया[गणित] १९९९-१९७८= २१[/गणित]वर्षों।
(
क्षमा करें, पीयूष जी )

फरहान 94% अंकों के साथ एक बहुत ही कमजोर छात्र था ( उसके पिता ने एक दृश्य में इसका उल्लेख किया जहां रैंचो फरहान के पिता से पहली बार मिलता है ) , जो तीन बार असफल रहा और अपने करियर के तीन साल बर्बाद कर दिया।

पढ़ने के लिए धन्यवाद

योगिनी एकादशी : 05 जुलाई


 🌹 योगिनी एकादशी : 05 जुलाई


🌹 युधिष्ठिर ने पूछा : वासुदेव ! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये ।
 
🌹 भगवान श्रीकृष्ण बोले : नृपश्रेष्ठ ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है ।
 
🌹 अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहनेवाले हैं । उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था । हेममाली की पत्नी का नाम ‘विशालाक्षी’ था । वह यक्ष कामपाश में आबद्ध होकर सदा अपनी पत्नी में आसक्त रहता था । एक दिन हेममाली मानसरोवर से फूल लाकर अपने घर में ही ठहर गया और पत्नी के प्रेमपाश में खोया रह गया, अत: कुबेर के भवन में न जा सका । इधर कुबेर मन्दिर में बैठकर शिव का पूजन कर रहे थे । उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की । जब पूजा का समय व्यतीत हो गया तो यक्षराज ने कुपित होकर सेवकों से कहा : ‘यक्षों ! दुरात्मा हेममाली क्यों नहीं आ रहा है ?’
 
🌹 यक्षों ने कहा: राजन् ! वह तो पत्नी की कामना में आसक्त हो घर में ही रमण कर रहा है । यह सुनकर कुबेर क्रोध से भर गये और तुरन्त ही हेममाली को बुलवाया । वह आकर कुबेर के सामने खड़ा हो गया । उसे देखकर कुबेर बोले : ‘ओ पापी ! अरे दुष्ट ! ओ दुराचारी ! तूने भगवान की अवहेलना की है, अत: कोढ़ से युक्त और अपनी उस प्रियतमा से वियुक्त होकर इस स्थान से भ्रष्ट होकर अन्यत्र चला जा ।’
 
🌹 कुबेर के ऐसा कहने पर वह उस स्थान से नीचे गिर गया । कोढ़ से सारा शरीर पीड़ित था परन्तु शिव पूजा के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुई । तदनन्तर वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरुगिरि के शिखर पर गया । वहाँ पर मुनिवर मार्कण्डेयजी का उसे दर्शन हुआ । पापकर्मा यक्ष ने मुनि के चरणों में प्रणाम किया । मुनिवर मार्कण्डेय ने उसे भय से काँपते देख कहा : ‘तुझे कोढ़ के रोग ने कैसे दबा लिया ?’
 
🌹 यक्ष बोला : मुने ! मैं कुबेर का अनुचर हेममाली हूँ । मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था । एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा, अत: राजाधिराज कुबेर ने कुपित होकर मुझे शाप दे दिया, जिससे मैं कोढ़ से आक्रान्त होकर अपनी प्रियतमा से बिछुड़ गया । मुनिश्रेष्ठ ! संतों का चित्त स्वभावत: परोपकार में लगा रहता है, यह जानकर मुझ अपराधी को कर्त्तव्य का उपदेश दीजिये ।
 
🌹 मार्कण्डेयजी ने कहा: तुमने यहाँ सच्ची बात कही है, इसलिए मैं तुम्हें कल्याणप्रद व्रत का उपदेश करता हूँ । तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करो । इस व्रत के पुण्य से तुम्हारा कोढ़ निश्चय ही दूर हो जायेगा ।
 
🌹 भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन् ! मार्कण्डेयजी के उपदेश से उसने ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत किया, जिससे उसके शरीर को कोढ़ दूर हो गया । उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया ।
 
🌹 नृपश्रेष्ठ ! यह ‘योगिनी’ का व्रत ऐसा पुण्यशाली है कि अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल मिलता है, वही फल ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करनेवाले मनुष्य को मिलता है । ‘योगिनी’ महान पापों को शान्त करनेवाली और महान पुण्य फल देनेवाली है । इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।

🌹 व्रत खोलने की विधि :   द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए

सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का लाइसेंस.....!!


"हर भारतीय के लिए चुनौती "

सन् 1836 में लार्ड मैकाले अपने पिता को लिखे एक पत्र में कहता है:
"अगर हम इसी प्रकार अंग्रेजी नीतिया चलाते रहे और भारत इसे अपनाता रहा तो आने वाले कुछ सालों में 1 दिन ऐसा आएगा की यहाँ कोई सच्चा भारतीय नहीं बचेगा.....!!"
(सच्चे भारतीय से मतलब......चरित्र में ऊँचा, नैतिकता में ऊँचा, धार्मिक विचारों वाला, धर्मं के रस्ते पर चलने वाला)
भारत को जय करने के लिए, चरित्र गिराने के लिए, अंग्रेजो ने 1758 में कलकत्ता में पहला शराबखाना खोला, जहाँ पहले साल वहाँ सिर्फ अंग्रेज जाते थे। आज पूरा भारत जाता है।
सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का लाइसेंस.....!!

सन् 2009-10 में लगभग 25,400 दुकानों को मौत का व्यापार करने की इजाजत।

चरित्र से निर्बल बनाने के लिए सन् 1760 में भारत में पहला वेश्याघर कलकत्ता में सोनागाछी में अंग्रेजों ने खोला और लगभग 200 स्त्रियों को जबरदस्ती इस काम में लगाया गया।

अंग्रेजों के जाने के बाद जहाँ इनकी संख्या में कमी होनी चाहिए थी वहीं इनकी संख्या में दिन दुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है !!

आज हमारे सामने पैसा चुनौती नहीं बल्कि भारत का चारित्रिक पतन चुनौती है।
इसकी रक्षा और इसको वापस लाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए !!!

ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""हमारे" हिन्दू धर्म से चोरी किया गया है


क्या आप जानते हैं कि.... ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""हमारे" हिन्दू धर्म से चोरी किया गया है....

और, GOD शब्द और कुछ नहीं... बल्कि, हमारे अराध्य त्रिदेव का ""अंग्रेजी एवं छोटा रूप"" है...!

दरअसल बात कुछ ऐसी है कि..... जब हमारा सनातन धर्म पूरे विश्व में विजय पताका फहरा रहा था...... और, हमारे यहाँ रेशमी वस्त्र बनाये एवं पहने जा रहे थे..... उस समय तक..... पश्चिमी और आज के आधुनिक कहे जाने वाले देशों के लोग....... जंगलों में नंग-धडंग रहा करते थे....... !
जब हमारे हिंदुस्तान के व्यापारियों ने ... व्यापार के सिलसिले में.... देशों की सीमाओं को लांघना शुरू किया ....... तब उन पश्चिमी लोगों को समाज की स्थापना और ईश्वर के बारे में पता चला....!

भारत के उन्नत समाज .... और, सर्वांगीण विकास को देख कर उनकी आँखें फटी रह गई....!

खोजबीन करने पर उन्हें ये मालूम चला कि..... भारत (हिन्दुओं) के इस उन्नत समाज और सर्वंगीन विकास का प्रमुख आधार उनका ""भगवान पर अटूट श्रद्धा और भक्ति"" है...!

ये राज की बात पता चलते ही .... पश्चिमी देशों के लोगों ने भी...... हमारे हिंदुस्तान के भगवान को आधार बना कर........ उन्होंने अपना एक नया ही भगवान खड़ा कर लिया (जिस प्रकार मुहम्मद ने इस्लाम को खड़ा किया).

इसके लिए उन्होंने ... जीजस अर्थात ...... ईशा मसीह की प्रेरणा ...... भगवान श्री कृष्ण से ली.......( क्योंकि भगवान राम की कॉपी करने पर उन्हें भी नया रावण और नए लंका का निर्माण करना पड़ जाता ... जो कि काफी दुश्कर कार्य होता)

शायद आपने कभी गौर नहीं किया है कि..... ईशा मसीह और भगवान कृष्ण में कितनी समानता है....!

1 . भगवान कृष्ण की ही तरह..... ईशा मसीह का भी....... जन्म रात में बताया गया है....!
2 . भगवान कृष्ण की ही तरह .... ईशा मसीह भी .......... भेड़ बकरियां चराया करते थे....!
3 . भगवान कृष्ण की ही तरह..... ईशा मसीह को भी...... दूसरी माँ ने पाला....!
4 . भगवान कृष्ण की ही तरह... ईशा मसीह के कथन को भी... बाईबल कहा गया...(भगवान कृष्ण के कथन को श्रीभगवत गीता कहा गया है)
5 . हमारे हिन्दू धर्म की ही तरह.... बाईबल में भी दुनिया में प्रलय ..... जलमग्न होकर होना.... बताया गया है...!

अब उन्होंने नया भगवान तो बना लिया ..... लेकिन उन्हें संबोधित करने का तरीका भी उन्हें नहीं आता था.....और, ईश्वर के लिए उतना लम्बा-चौड़ा परिचय लोगों के समझ से परे जाने लगा ..!

जिस कारण.... उन्होंने एक बार फिर.... हमारे हिन्दू धर्म की मुंह ताकना शुरू किया ..... और, यहाँ उन्हें उनका जबाब मिल गया..!

हमारे हिन्दू धर्म में तीन प्रमुख देवता हैं.....
१. रचयिता... अर्थात ....... ब्रह्मा ..!
२. पालनकर्ता .. अर्थात .. विष्णु ...! और ,
३. संहार कर्ता .. अर्थात ..... शिव...!

उन्होंने.... हमारी इस विचारधारा को ... पूरी तरह जस के तस कॉपी कर लिया....... और, उन्होंने अंग्रेजी में अपने ईश्वर को GOD बुलाना शुरू किया..!

GOD अर्थात....

G : Generator ..... (सृष्टि Generate करने वाला........अर्थात........ रचयिता )
O : Operator ...... ( सृष्टि को Operate करने वाला .... अर्थात ... पालनकर्ता )
D : Destroyer...... ( सृष्टि को destroy करने वाला ..... अर्थात... संहार कर्ता..)

सिर्फ इतना ही नहीं.... बल्कि, हमारे ""कृष्णनीति"' को वे ..... अपनी सभ्यता के हिसाब से ""क्रिस्चैनिटी"" ..... बुलाने लगे.... !

इन प्रमाणों से बात एक दम शीशे की तरह साफ है कि..... दुनिया में "हिन्दू सनातन धर्म" को छोड़ कर बाकी सारे धर्म या तो चोरी कर बनाये गए है..... या फिर... उनकी सिर्फ मान्यता है....!

हमारा हिन्दू सनातन धर्म ही ...... ""सभी धर्मों की जननी है"" और, ....... ""अनादि.... अनंत... निरंतर""..... है...!

जय महाकाल...!!!

कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान (हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है…?


कभी सोचा है लार्ड (अँग्रेज़ी शब्द) और भगवान (हिन्दी शब्द) में क्या अंतर है…?
कभी सोचा है आखिर अग्रेजों ने हिन्दू धर्म के देवताओं के नाम के आगे भगवान के बाजय लार्ड अँग्रेज़ी शब्द (Lord English Word) को प्रयोग क्यों किया…?

हिन्दी शब्द भगवान का अर्थ:
भ – भूमि,
ग- गगन,
व- वायु,
आ- अग्नि,
न-नीर

मैकाले की संस्कार विहीन शिक्षापद्दती देश के विकास में बाधक है। शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों का अभाव तथा इतिहास को तोड़-
मरोड़कर पेश करने के कारण ही देश का युवा अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान से विमुख होकर पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण को विवश है।

अंग्रेज़ चले गये पर उनके मानसपुत्रों की कमी नहीं है। भारत में, भारतीय संसद के सभी सदस्यों के लिए, चाहे वे लोकसभा के सदस्य हों या राज्यसभा के, सांसद शब्द का प्रयोग किया जाता है।

यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), हाउस ऑफ़ लार्ड्स के सदस्य ‘लार्ड्स ऑफ़ पार्लियामेंट’ कहे जाते हैं। इंग्लैंड सरकार की ओर से लॉर्ड एक उपाधि है ॥ लॉर्ड की उपाधि प्राप्त India के वाइसरॉय एवं गवर्नर जनरल ::::::

• लॉर्ड विलियम बैन्टिक, India के गवर्नर जनरल
(1833–1858)
• लॉर्ड ऑकलैंड
• लॉर्ड ऐलनबरो
• लॉर्ड डलहौज़ी
• लॉर्ड कैनिंग, India के वाइसरॉय एवं गवर्नर-
जनरल (1858–1947)
• लॉर्ड कैनिंग
• लॉर्ड मेयो
• लॉर्ड नैपियर
• लॉर्ड नॉर्थब्रूक
• लॉर्ड लिट्टन
• लॉर्ड रिप्पन
• लॉर्ड डफरिन
• लॉर्ड लैंस्डाउन
• लॉर्ड कर्जन
• लॉर्ड ऐम्प्थिल
• लॉर्ड मिंटो
• लॉर्ड हार्डिंग
• लॉर्ड चेम्स्फोर्ड
• लॉर्ड रीडिंग
• लॉर्ड इर्विन
• लॉर्ड विलिंग्डन
• लॉर्ड माउंटबैटन
इनको अभी भी हमारे इतिहास में लॉर्ड नाम से ही पढ़ाया जाता है।

और लॉर्ड शब्द का इस्तेमाल देवताओं के नाम आगे भी किया जाता है।
• लार्ड कृष्णा (Lord Krishna)
• लार्ड रामा (Lord Rama)
• लार्ड गणेशा (Lord Ganesha)
• लार्ड शिवा (Lord Shiva)
• लार्ड ब्रह्मा (Lord Brahma)
• लार्ड विष्णु (Lord Vishnu)
अब क्या देवताओं के नाम के आगे लॉर्ड लगाना न्यायोचित है…??

जहाँ एक ओर भारतीय संस्कृति का पूरे विश्व मैं बोल बाला था और इसके लिए भारत की पूरी दुनिया मैं एक अलग पहचान है,
वहीँ कुछ गैर ज़िम्मेदार लोग इस संस्कृति को धूमिल करने पर तुले हुए हैं:
जागो भारतीय जागो !! जय हिन्द, जय भारत !

क्या होता है लाख, जिसके उद्यम से कमाए आप भी लाख, महिलाओं के लिए खास, रोजगार देगा बिंदास


 क्या होता है लाख, जिसके उद्यम से कमाए आप भी लाख, महिलाओं के लिए खास, रोजगार देगा बिंदास_


लाख, या लाह संस्कृत के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था।

लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृत का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा. रंगीन लाख तथा 14 हजार 4 सौ लाख के कीड़े एक किग्रा. कुसुमी लाख पैदा करते हैं

लाख एक बहुपयोगी राल है, जो एक सूक्ष्म कीट का दैहिक स्राव है। लाख के उत्पादन करने के लिए पोषक वृक्षों जैसे कुसूम,पलास व बेर अथवा झाड़ीदार पौधों जैसे भालिया की आवश्यकता पड़ती है। हमारे देश में पैदा होने वाली लाख का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा झारखण्ड राज्य से प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल, अन्य प्रमुख लाख उत्पादन राज्य हैं। महाराष्ट्र, उड़ीसा मध्यप्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों में भी लाख की खेती की जाती है।

*लाख से कौन-कौन सी चीज़े बनाई जाती है तथा लाख कौन-कौन से देशों में इस्तेमाल होता है?*
वैसे तो लाख के उपयोग बहुत से है लेकिन लाख से चौरी बनाना, चूड़ियाँ बनाना, लाख की सजावटी वस्तुए पेन , हार, डिब्बे, डिबिया, झुमकी या और गहने बनाना, मोहर लगाने की लाख यानी सीलिंग वैक्स तथा कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां बनाने तथा लकड़ी व मिट्टी के बर्तनों पर लेप के लिए वार्निश बनाना इत्यादि ऐसे कई उपयोग हैं। चीन में चमड़ा बनाने के काम मे भी लाख का उपयोग किया जा रहा है। लाख का उद्योग राजस्थान में बहुतायत से किया जाता है। लाख नेपाल, बांग्लादेश, चीन , पाकिस्तान श्रीलंका सहित अनेक देशों में निर्यात की जा रही है।

*लाख का उत्पादन और पूंजी*
लाख की खेती करना बहुत आसान है। यदि आपके पास वृक्ष हैं तो बहुत कम पैसों से ही शुरू किया जा सकता है। इसी प्रकार लाख आधारित कुटीर उद्योग लगाने के लिए भी अधिक पूँजी की आवश्यकता नहीं पड़ती।

*लाख से आमदनी और रोजगार*
लाख की खेती से होने वाली आय, पोषक वृक्षों की संख्या और उनके प्रकार पर निर्भर करती है। दुसरे शब्दों में यदि आपके पास पलास के 100 पोषक वृक्ष उपलब्ध हैं तो लगभग 12000 रूपए सालाना की आय ली जा सकती है। इसी पारकर 100 बेर के वृक्षों से 20,000 रूपए की वार्षिक आमदनी तथा 100 कुसूम के वृक्षों से एक लाख रूपए से भी ज्यादा आमदनी हो सकती है। साथ ही साथ उपलब्ध वृक्षों प्रकारानूसार प्रतिवर्ष 40 से 228 श्रम दिवसों का सृजन भी होता है। यदि लाख प्रसंस्करण और उद्योग में मिलने वाले अवसर भी जोडें तों यह संख्या की और अधिक हो जाएगी। लाख आधारित उद्योगों में सालाना लगभग दस लाख श्रम दिवस सृजित होते हैं।

*लाख की कृषि*
लाख की खेती इतनी आसान है। वृक्षों को कलम करना, फसल काटना तथा कीटनाशक दवा का छिड़काव करना, वे सब कार्य जिसमें बारीकी, धैर्य, तल्लीनता और समय की आश्यकता होती है, जैसे बण्डल बनाना, लाख छीलना इत्यादि महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा अच्छे ढंग से करती है। 

*लाख उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी*
लाख की खेती में की जाने वाली प्रक्रियाओं में सबसे पहले वृक्षों की काट-छांट करनी होती है। चूंकि इसके लिए वृक्षों पर चढ़ना पड़ता है इसलिए यह कार्य ज्यादातर पुरूष करते हैं। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो महिलाएँ इतनी कुशल हैं कि वे स्वयं भी पेड़ों पर चढ़ जाती हैं।परन्तु कीट संचारण के लिए बिहनलाख के बंडल बनाना, इन्हें नाईलान जाली की थैली में भरना, फूंकी लाख को छीलना इत्यादि कार्य महिलाएँ करती है। इसी प्रकार फसल कटाई के बाद लाख लगी डालियों को इकट्ठा करने, अच्छे बीहनलाख को चुनना तथा फिर टहनी से लाख को छुड़ाने का काम भी महिलाओं द्वारा ही किया प्रतिशत काम महिलाएं ही करती हैं या कर सकती हैं।

*लाख प्रसंस्करण उद्योग में महिलाओं की भूमिका*
लाख की फसल होने के उपरांत कारख़ानों में इसका शुद्धिकरण किया जाता है। इसके लिए छिली हुई लाख की धुलाई के पश्चात चौरी को सुखाना, सूप से साफ करना, छलनी से छानना तथा चपड़े के टुकड़े कर उसका भण्डारण जैसे कार्य महिलाओं द्वारा ही किये जाते हैं। इन कामों को महिलाएं, पुरूषों के मुकाबले बेहतर ढंग से कर सकती हैं। महिलाएँ चाहें तो बेहतर आमदनी की लिये गांवों में ही लाख आधारित कुटीर उद्योग भी लगा सकती हैं।

*लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण*
लाख की खेती करने या उद्योग लगाने से पहले यदि प्रशिक्षण ले लिया जाए तो इस कार्य को अच्छे ढंग से किया जा सकता है। भारतीय लाख अनूसंधान संस्थान में प्रशिक्षण की अच्छी व्यवस्था है। 

*लाख उद्योग के लिए संपर्क*
लाख की खेती करने अथवा लाख आधारित उद्योग लगाने या प्रशिक्षण संबंधी और अधिक जानकारी के लिए नामकुम स्थित भारतीय लाख अनूसंधान संस्थान से सम्पर्क करें। 

भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान
(पूर्व भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान)
नामकुम, रांची - 834 010
http://ilri.ernet.in/~hindi/aboutus.html

🇮🇳 🇮🇳

करे उपवास पाए ये फायदे खास, जानिए एक दिन भूखे रहने पर शरीर को क्या मिलता है चमत्कारी लाभ


करे उपवास पाए ये फायदे खास, जानिए एक दिन भूखे रहने पर शरीर को क्या मिलता है चमत्कारी लाभ

 क्या आपको पता हैं एक दिन भूखे रहने से होते है ये 7सेहत लाभ, जरूर जानें
 
आइए जानते है हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से क्या फायदे होते है।

1 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर का आंतरिक शुद्ध‍िकरण होता है। इससे शरीर में मौजूद विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और शरीर स्वस्थ होता है।

2 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से अपच, गैस, कब्ज, डायरिया, एसिडिटी, जलन आदि में फायदेमंद है। इस दौरान आप फलों का सेवन जरूर कर सकते हैं।

3 हफ्ते में एक दिन भूखे रहने से शरीर में ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है, जिससे इनसे जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स में लाभ होता है।

4 हफ्ते में एक दिन भूखे रहना दिल के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है जो हार्ट संबंधी परेशानियों का प्रमुख कारण है।

5 आपका पाचन तंत्र बेहतर काम करे इसलिए भी आपको एक दिन का भोजन छोड़ देना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 1 दिन भोजन से दूरी बनाने से
पाचन तंत्र को राहत मिलती है और वह बेहतर कार्य करने के लिए तैयार होता है। 

6 रिसर्च बताती है कि कैंसर के कीटाणु परजीवी होते है और अगर उनको 8 घंटे से ज्यादा समय तक भोजन नहीं मिले तो नष्ट होना शुरू हो जाते है अर्थात यदि आप उपवास करेंगे तो कैंसर को भी खत्म करेंगे

7 आपके 1दिन का उपवास करेगा परोपकार और 1व्यक्ति को खाना देगा उसे भूखा नहीं सोने देगा 

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

बवासीर, भगंदर से है परेशान तो ये उपाय अवश्य आजमाएं बीमारी होगी दूर


बवासीर, भगंदर से है परेशान तो ये उपाय अवश्य आजमाएं बीमारी होगी दूर

बवासीर के घरेलू इलाज

पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें

20ग्राम कालीमिर्च 10ग्राम जीरा 15ग्राम शर्करा या मिश्री को पीसकर चूर्ण बना लें और सुबह v रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करे

10ग्राम अनार के छिलकों को पीसकर पाउडर बना कर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करे

मुनक्का के १५ दाने साफ पानी में रात भर भिगोकर रखे और सुबह उनके बीज निकाल कर खूब चबाचबा कर खाए

आवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।

बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।

सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छा
न लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।

आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।

आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

सब्जी - पत्ता गोबी सुरण चिरायता

लेप लगाए - हिंग का लेप

जूस पिए - मुली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नागर मोथा, नारियल पानी।

दूध में उबालकर छुवारो का प्रतिदिन सेवन करे

खाली पेट पपीता सेवन बवासीर दूर करता है

तुलसी अर्क का सेवन बवासीर में लाभप्रद है

त्रिफला कुटक और ढाक का प्रयोग बवासीर में लाभ प्रदान करता है 

रटिंहया व नाइट्रिक एसिड का भी उपयोग बवासीर में फायदेमंद होता है

*मस्से वाली बवासीर ( पाइल्स ) - होम्योपैथिक दवा*

1) Calcarea Flour 6X
   4-4 गोली चूसना है, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले लें ।

2) Acid Nitricum 30
   2-2 बूंद जीभ पर, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले लें ।

- दोनों दवा के बीच में कम से कम 10 मिनट का अंतर रखें ।

*बवासीर ( Piles ) - होम्योपैथिक दवा*

1) Hamamelis Virginica Q
2) Paeonia Officinalis Q
3) Aesculus Hippocastanum Q
    
तीनों दवा 30ml का सील पैक लें, 100ml के खाली बोतल में तीनों दवा को अच्छे से मिलाकर रख लें ।
20 बूंद आधा कप पानी में मिलाकर पिए, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले ।

4) Bio Combination 17
 4-4 गोली चूसना है, दिन में तीन बार, खाने से आधा घंटा पहले ।
  
 - दोनों दवा के बीच में कम से कम 10 मिनट का अंतर रखें ।

- दवा और 100ml का खाली बोतल होम्योपैथिक दुकान पर मिलेगा ।

*भगन्दर : पस्त होने की जरूरत नहीं क्षार चिकित्सा पद्धति द्वारा भगन्दर का इलाज*

भगन्दर गुदा क्षेत्र में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा द्वार के आस पास एक फुंसी या फोड़ा जैसा बन जाता है जो एक पाइपनुमा रास्ता बनाता हुआ गुदामार्ग या मलाशय में खुलता है। शल्य चिकित्सा के प्राचीन भारत के आचार्य सुश्रुत ने भगन्दर रोग की गणना आठ ऐसे रोगों में की है जिन्हें कठिनाई से ठीक किया जा सकता है। इन आठ रोगों को उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ सुश्रुत संहिता में 'अष्ठ महागदÓ कहा है।

*भगन्दर कैसे बनता है?*
गुदा-नलिका जो कि एक व्यस्क मानव में लगभग 4 से.मी. लम्बी होती है, के अन्दर कुछ ग्रंथियां होती हैं व इन्ही के पास कुछ सूक्ष्म गड्ढे जैसे होते है जिन्हें एनल क्रिप्ट कहते हैं; ऐसा माना जाता है कि इन क्रिप्ट में स्थानीय संक्रमण के कारण स्थानिक शोथ हो जाता है जो धीरे धीरे बढ़कर एक फुंसी या फोड़े के रूप में गुदा द्वार के आस पास किसी भी जगह दिखाई देता है। यह अपने आप फूट जाता है। गुदा के पास की त्वचा के जिस बिंदु पर यह फूटता है, उसे भगन्दर की बाहरी ओपनिंग कहते हैं।

भगन्दर के बारे में विशेष बात यह है कि अधिकाँश लोग इसे एक साधारण फोड़ा या बालतोड़ समझकर टालते रहते हैं, परन्तु वास्तविकता यह है कि जहाँ साधारण फुंसी या बालतोड़ पसीने की ग्रंथियों के इन्फेक्शन के कारण होता है, जो कि त्वचा में स्थित होती हैं; वहीँ भगन्दर की शुरुआत गुदा के अन्दर से होती है तथा इसका इन्फेक्शन एक पाइपनुमा रास्ता बनाता हुआ बाहर की ओर खुलता है। कभी कभी भगन्दर का फोड़ा तो बनता है, परन्तु वो बाहर अपने आप नहीं फूटता है। ऐसी अवस्था में सूजन काफी होती है और दर्द भी काफी होता है।

*भगन्दर के लक्षण*
गुदा के आस पास एक फुंसी या फोड़े का निकलना जिससे रुक-रुक कर मवाद (पस) निकलता है

कभी कभी इस फुंसी/फोड़े से गैस या मल भी निकलता है।

प्रभावित क्षेत्र में दर्द का होना

प्रभावित क्षेत्र में व आस पास खुजली होना

पीडि़त रोगी के मवाद के कारण कपडे अक्सर गंदे हो जाते हैं।

*भगन्दर प्रकार*
आचार्य सुश्रुत ने भगन्दर पीडिका और रास्ते की आकृति व वात पित्त कफ़ दोषों के अनुसार भगन्दर के निम्न 5 भेद बताएं हैं;

शतपोनक
उष्ट्रग्रीव
परिस्रावी
शम्बुकावृत्त
उन्मार्गी

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार भी फिश्चुला का कई प्रकार से वर्गीकरण किया गया है परन्तु चिकित्सा की दृष्टि से दो प्रकार का वर्गीकरण उपयोगी है;

लो-एनल : चिकित्सा की द्रष्टि से सरल माना जाता है।
हाई-एनल : चिकित्सा की दृष्टि से कठिन माना जाता है।

*भगन्दर का निदान*
चिकित्सक स्थानिक परीक्षण द्वारा भगन्दर का चेक-अप करते हैं तथा एक विशेष यन्त्र एषनी के द्वारा भगन्दर के रास्ते का पता किया जाता है।

आजकल एक विशेष एक्स रे जिसे फिस्टुलोग्राम कहते है, की सहायता से भगन्दर के ट्रैक का पता किया जाता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी एमआरआइ की सलाह भी चिकित्सक देते हैं।

*आयुर्वेद क्षार सूत्र चिकित्सा*
आयुर्वेद में एक विशेष शल्य प्रक्रिया जिसे क्षार सूत्र चिकित्सा कहते हैं, के द्वारा भगन्दर पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है। इस विधि में एक औषधियुक्त सूत्र (धागे) को भगन्दर के ट्रैक में चिकित्सक द्वारा एक विशेष तकनीक से स्थापित कर दिया जाता है। क्षार सूत्र पर लगी औषधियां भगन्दर के ट्रैक को साफ़ करती हैं व एक नियंत्रित गति से इसे धीरे धीरे काटती हैं। इस विधि में चिकित्सक को प्रति सप्ताह पुराने सूत्र के स्थान पर नया सूत्र रखते है।

*कारण*
भगंदर होने के कई कारण हो सकते है। कुछ प्रमुख कारण निम्न प्रकार है-

गुदामार्ग की अस्वच्छता

लगातार लम्बे समय तक कब्ज बने रहना।

अत्यधिक साइकिल या घोड़े की सवारी करना।

बहुत अधिक समय तक कठोर, ठंडे गीले स्थान पर बैठना।

गुदामैथुन की प्रवृत्ति।

मलद्वार के पास उपस्थित कृमियों के उपद्रव के कारण।

गुदा में खुजली होने पर उसे नाखून आदि से खुरच देने के कारण बने घाव के फलस्वरूप।

गुदा में आघात लगने या कट - फट जाने पर।

गुदा मार्ग पर फोड़ा-फुंसी हों जाने पर।

गुदा मार्ग से किसी नुकीले वस्तु के प्रवेश कराने के उपरांत बने घाव से।

आयुर्वेदानुसार जब किसी भी कारण से वात और कफ प्रकुपित हो जाता है तो इस रोग के उत्पत्ति होती है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

function disabled

Old Post from Sanwariya