क्या होता है लाख, जिसके उद्यम से कमाए आप भी लाख, महिलाओं के लिए खास, रोजगार देगा बिंदास_
लाख, या लाह संस्कृत के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था।
लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृत का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा. रंगीन लाख तथा 14 हजार 4 सौ लाख के कीड़े एक किग्रा. कुसुमी लाख पैदा करते हैं
लाख एक बहुपयोगी राल है, जो एक सूक्ष्म कीट का दैहिक स्राव है। लाख के उत्पादन करने के लिए पोषक वृक्षों जैसे कुसूम,पलास व बेर अथवा झाड़ीदार पौधों जैसे भालिया की आवश्यकता पड़ती है। हमारे देश में पैदा होने वाली लाख का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा झारखण्ड राज्य से प्राप्त होता है। छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल, अन्य प्रमुख लाख उत्पादन राज्य हैं। महाराष्ट्र, उड़ीसा मध्यप्रदेश और असम के कुछ क्षेत्रों में भी लाख की खेती की जाती है।
*लाख से कौन-कौन सी चीज़े बनाई जाती है तथा लाख कौन-कौन से देशों में इस्तेमाल होता है?*
वैसे तो लाख के उपयोग बहुत से है लेकिन लाख से चौरी बनाना, चूड़ियाँ बनाना, लाख की सजावटी वस्तुए पेन , हार, डिब्बे, डिबिया, झुमकी या और गहने बनाना, मोहर लगाने की लाख यानी सीलिंग वैक्स तथा कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां बनाने तथा लकड़ी व मिट्टी के बर्तनों पर लेप के लिए वार्निश बनाना इत्यादि ऐसे कई उपयोग हैं। चीन में चमड़ा बनाने के काम मे भी लाख का उपयोग किया जा रहा है। लाख का उद्योग राजस्थान में बहुतायत से किया जाता है। लाख नेपाल, बांग्लादेश, चीन , पाकिस्तान श्रीलंका सहित अनेक देशों में निर्यात की जा रही है।
*लाख का उत्पादन और पूंजी*
लाख की खेती करना बहुत आसान है। यदि आपके पास वृक्ष हैं तो बहुत कम पैसों से ही शुरू किया जा सकता है। इसी प्रकार लाख आधारित कुटीर उद्योग लगाने के लिए भी अधिक पूँजी की आवश्यकता नहीं पड़ती।
*लाख से आमदनी और रोजगार*
लाख की खेती से होने वाली आय, पोषक वृक्षों की संख्या और उनके प्रकार पर निर्भर करती है। दुसरे शब्दों में यदि आपके पास पलास के 100 पोषक वृक्ष उपलब्ध हैं तो लगभग 12000 रूपए सालाना की आय ली जा सकती है। इसी पारकर 100 बेर के वृक्षों से 20,000 रूपए की वार्षिक आमदनी तथा 100 कुसूम के वृक्षों से एक लाख रूपए से भी ज्यादा आमदनी हो सकती है। साथ ही साथ उपलब्ध वृक्षों प्रकारानूसार प्रतिवर्ष 40 से 228 श्रम दिवसों का सृजन भी होता है। यदि लाख प्रसंस्करण और उद्योग में मिलने वाले अवसर भी जोडें तों यह संख्या की और अधिक हो जाएगी। लाख आधारित उद्योगों में सालाना लगभग दस लाख श्रम दिवस सृजित होते हैं।
*लाख की कृषि*
लाख की खेती इतनी आसान है। वृक्षों को कलम करना, फसल काटना तथा कीटनाशक दवा का छिड़काव करना, वे सब कार्य जिसमें बारीकी, धैर्य, तल्लीनता और समय की आश्यकता होती है, जैसे बण्डल बनाना, लाख छीलना इत्यादि महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा अच्छे ढंग से करती है।
*लाख उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी*
लाख की खेती में की जाने वाली प्रक्रियाओं में सबसे पहले वृक्षों की काट-छांट करनी होती है। चूंकि इसके लिए वृक्षों पर चढ़ना पड़ता है इसलिए यह कार्य ज्यादातर पुरूष करते हैं। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तो महिलाएँ इतनी कुशल हैं कि वे स्वयं भी पेड़ों पर चढ़ जाती हैं।परन्तु कीट संचारण के लिए बिहनलाख के बंडल बनाना, इन्हें नाईलान जाली की थैली में भरना, फूंकी लाख को छीलना इत्यादि कार्य महिलाएँ करती है। इसी प्रकार फसल कटाई के बाद लाख लगी डालियों को इकट्ठा करने, अच्छे बीहनलाख को चुनना तथा फिर टहनी से लाख को छुड़ाने का काम भी महिलाओं द्वारा ही किया प्रतिशत काम महिलाएं ही करती हैं या कर सकती हैं।
*लाख प्रसंस्करण उद्योग में महिलाओं की भूमिका*
लाख की फसल होने के उपरांत कारख़ानों में इसका शुद्धिकरण किया जाता है। इसके लिए छिली हुई लाख की धुलाई के पश्चात चौरी को सुखाना, सूप से साफ करना, छलनी से छानना तथा चपड़े के टुकड़े कर उसका भण्डारण जैसे कार्य महिलाओं द्वारा ही किये जाते हैं। इन कामों को महिलाएं, पुरूषों के मुकाबले बेहतर ढंग से कर सकती हैं। महिलाएँ चाहें तो बेहतर आमदनी की लिये गांवों में ही लाख आधारित कुटीर उद्योग भी लगा सकती हैं।
*लाख की खेती के लिए प्रशिक्षण*
लाख की खेती करने या उद्योग लगाने से पहले यदि प्रशिक्षण ले लिया जाए तो इस कार्य को अच्छे ढंग से किया जा सकता है। भारतीय लाख अनूसंधान संस्थान में प्रशिक्षण की अच्छी व्यवस्था है।
*लाख उद्योग के लिए संपर्क*
लाख की खेती करने अथवा लाख आधारित उद्योग लगाने या प्रशिक्षण संबंधी और अधिक जानकारी के लिए नामकुम स्थित भारतीय लाख अनूसंधान संस्थान से सम्पर्क करें।
भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान
(पूर्व भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान)
नामकुम, रांची - 834 010
http://ilri.ernet.in/~hindi/aboutus.html
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