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सोमवार, 22 अगस्त 2011

श्रीनाथजी का सप्तस्वरूप वर्णन

श्रीनाथजी के श्रृंगार स्वरुप का वर्णन इस प्रकार है जिन्हें मन्मथ, मोहन, नटवर, गोकुलपति आदि नामों से भी पुकारा जाता है-
श्रीगोवर्धननाथ पाद युगलं हैयंगवीनप्रियम्‌,
नित्यं श्रीमथुराधिंप सुखकरं श्रीविट्ठलेश मुदा ।
श्रीमद्वारवतीश गोकुलपति श्रीगोकुलेन्दुं विभुम्‌,
श्रीमन्मन्मथ मोहनं नटवरं श्रीबालकृष्णं भजे ॥
आचार्य चरण, प्रभुचरण सहित सप्त आचार्य वर्णन-
श्रीमद्वल्लभविट्ठलौ गिरिधरं गोविंदरायाभिधम्‌,
श्रीमद् बालकृष्ण गोकुलपतिनाथ रघूणां तथा
एवं श्रीयदुनायकं किल घनश्यामं च तद्वंशजान्‌,
कालिन्दीं स्वगुरुं गिरिं गुरुविभूं स्वीयंप्रभुंश्च स्मरेत्‌ ॥
पुष्टि मार्ग में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है जिसमें उन्होंने बाएँ हाथ से गोवर्धन पर्वत उठा रखा है और उनका दायाँ हाथ कमर पर है।
श्रीनाथ जी का बायाँ हाथ 1410 में गोवर्धन पर्वत पर प्रकट हुआ। उनका मुख तब प्रकट हुआ जब श्री वल्लभाचार्यजी का जन्म 1479 में हुआ। अर्थात्‌ कमल के समान मुख का प्राकट्य हुआ।

1493
में श्रीवल्लभाचार्य को अर्धरात्रि में भगवान श्रीनाथ जी के दर्शन हुए।
साधू पांडे जो गोवर्धन पर्वत की तलहटी में रहते थे उनकी एक गाय थी। एक दिन गाय ने श्रीनाथ जी को दूध चढ़ाया। शाम को दुहने पर दूध न मिला तो दूसरे दिन साधू पांडे गाय के पीछे गया और पर्वत पर श्रीनाथजी के दर्शन पाकर धन्य हो गया।
दूसरी सुबह सब लोग पर्वत पर गए तो देखा कि वहाँ दैवीय बालक भाग रहा था। वल्लभाचार्य को उन्होंने आदेश दिया कि मुझे एक स्थल पर विराजित कर नित्य प्रति मेरी सेवा करो।
तभी से श्रीनाथ जी की सेवा मानव दिनचर्या के अनुरूप की जाती है। इसलिए इनके मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, आरती, भोग, शयन के दर्शन होते हैं।

रविवार, 21 अगस्त 2011

श्रीराम के दरबार में कुत्ता

श्रीराम के दरबार में कुत्ता

एक दिन एक कुत्ता श्रीराम के दरबार में आया और उसने प्रभु से शिकायत की – “राजन, कितने दुख की बात है कि जिस राज्य की कीर्ति चहुंओर रामराज्य के रूप में फैली हुई है वहीं लोग हिंसा और अन्याय का सहारा लेते हैं. मैं आपके महल के पास ही एक गली में लेटा हुआ था जब एक साधू आया और उसने मुझे पत्थर मारकर घायल कर दिया. देखिए मेरे सिर पर लगे घाव से अभी भी रक्त बह रहा है. वह साधू अभी भी गली में ही होगा. कृपया मेरे साथ न्याय कीजिए और अन्यायी को उसके दुष्कर्म का दंड दीजिए.”

श्रीराम के आदेश पर साधु को दरबार में लिवा लाया गया. साधू ने कहा – “यह कुत्ता गली में पूरा मार्ग रोककर लेटा हुआ था. मैंने इसे उठाने के लिए आवाज़ें दीं और ताली बजाई लेकिन यह नहीं उठा. मुझे गली के पार जाना था इसलिए मैंने इसे एक पत्थर मारकर भगा दिया.”

श्रीराम ने साधु से कहा – “एक साधू होने के नाते तो तुम्हें किंचित भी हिंसा नहीं करनी चाहिए थी. तुमने गंभीर अपराध किया है और इसके लिए दंड के भागी हो.” श्रीराम ने साधू को दंड देने के विषय पर दरबारियों से चर्चा की. दरबारियों ने एकमत होकर निर्णय लिया – “चूंकि इस बुद्धिमान कुत्ते ने यह वाद प्रस्तुत किया है अतएव दंड के विषय पर भी इसका मत ले लिया जाए.”

कुत्ते ने कहा – “राजन, इस नगरी से पचास योजन दूर एक अत्यंत समृद्ध और संपन्न मठ है जिसके महंत की दो वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी है. कृपया इस साधू को उस मठ का महंत नियुक्त कर दें.”

श्रीराम और सभी दरबारियों को ऐसा विचित्र दंड सुनकर बड़ी हैरानी हुई. उन्होंने कुत्ते से ऐसा दंड सुनाने का कारण पूछा.

कुत्ते ने कहा – “मैं ही दो वर्ष पूर्व उस मठ का महंत था. ऐसा कोई सुख, प्रमाद, या दुर्गुण नहीं है जो मैंने वहां रहते हुए नहीं भोगा हो. इसी कारण इस जन्म में मैं कुत्ता बनकर पैदा हुआ हूं. अब शायद आप मेरे दंड का भेद जान गए होंगे.”

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आया है नया जमाना

मैं अंग्रेजी पढ़ कर आज, न रक्खूं लाज, खुले मुंह है जाना, आया है नया जमाना

मैं अंग्रेजी पढ़कर आई, एम्. बी ए. का सर्टिफिकेट ल्याई |
फ्रेंच हिंदी सब पढ़ी नही है नाक कटाना, आया है नया जमाना
सोडा बिस्कुट लेमन लिम्बू, बिना चाय न घंटे भर जीवु
अजी दाल भात और रोटी वोटी, दिल ने नहीं है माना, आया है नया जमाना
मैं चूल्हे को सिल्गाऊ ना, फूं फूं कर आँख सुजाऊ ना |
अजी रख के एक दो सर्वेंट घर का काम करवाना, आया है नया जमाना
खुले बाल को सेट करा, जींस के ऊपर टीशर्ट पहनकर
रे ऊँची एडी बूंट पहन कर, मेमसाब कहलाना, आया है नया जमाना
चश्मा व घडी छड़ी लेकर, छोटा सा छटा हो सर पर
कहे लोग मेमसाब तो खुश हो जाना, आया है नया जमाना
देवर नन्दल सुसरे सांसु , सब देख मुझे डाले आंसू |
कुछ भी हिस्सा बाँट, अलग हो जाना, आया है नया जमाना
अपनी पांती लड़कर लुंगी, मैं बंगला अलग बना लुंगी |
लगा के सोफा सेट, टी.वी. से मन बहलाना, आया है नया जमाना
बनकर बिलकुल लेडी फेशन, हो जाऊं कड़ी कोर्ट सेशन
पति की गलती पर हिन्दू कोड लगाना, आया है नया जमाना
दावा कर देऊ अदालत में, फैसला होवे जिस हालत में
दे तलाक इसको दूजा पति बनाना, आया है नया जमाना
कन्या को घर पर पढवाना, सब सीता के गुण सिखलाना
कोलेजों में ना पढ़ा व्याभिचार बढ़ाना, आया है नया जमाना
पश्चिमी सभ्यता को ठुकरावो, 'अक्षय' तभी आनंद पावो
दमयंती और दुर्गा का सम्मान बढ़ाना, आया है नया जमाना

जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है
इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है - २
तन मन और प्राण है
जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

इसकी गोद में हजारो गंगा यमुना झूमती - २
इसके पर्वतों की चोटियाँ गगन को चूमती -२
भूमि ये महान है, निराली इसकी शान है - २
इसकी जय पताका पे स्वयं विजय निशान है
जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है

इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है
कि अभी लहू में भारत के वो आग पुरानी जिंदा है ,
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है


कि कश्मीर है आन हमारी कश्मीर है शान हमारी
भारत माँ कि पेशानी पुरखो का ये सम्मान है
मत मुट्ठी भर जयचंदों से मिल देशभक्ति को ललकारो
कि अभी देश में शिव प्रताप और लक्ष्मी रानी जिंदा है
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है
इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है


कि मत उठाओ ऊँगली तुम भारत माता के भाल पर
और कुल्हाड़ी मत चलाओ बेठे और जिस दाल पर
वर्ना नोचेंगे कुत्ते और गीदड़ जश्न मनाएंगे
आस्तीन के सांप हम तुमको जिंदा कफ़न पहनाएंगे
कि कायर हो जो छिप छिप कर हथियारों का व्यापार कर रहे,
दूर हो गया पोरुष सारा दुर्योधन कि चाल चल रहे
अरे खुले आम ललकारो नपुंसकों
क्यों छिप छिप कर सीमा पार कर रहे
बच्चा बच्चा राम यहाँ का हर लड़की में भवानी जिंदा है
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है
इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है

कि सड़ जाए जो अंग उसे हम काट अलग कर देते है
और नाली के गंदे पानी को कब ? गंगा जल के संग धरते है
माना क्षमा है धर्म और शांति अहिंसा की पूजक है
पर माँ पर जालिम आँख उठे वो आँख फोड़ दिया करते है
कि स्वतंत्रता संग्राम की खुनी खानी जिंदा है
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है
इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है


कि चुप कर जा ऐ पकिस्तान ये जुबा काट ली जाएगी,
और विश्व के नक़्शे से तस्वीर हटा ली जाएगी,
कि अब शकुनी चालों से मत भारत को मजबूर करो,
वर्ना पाकिस्तानी मूर्खों तुम्हारी धज्जियां उड़ा दी जाएगी,
कि अभी सन 71 की शेष कहानी जिंदा है
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है
इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है


कि भूल हुई है एक बार अब भूल नहीं दोहराएँगे
ये पाकिस्तानी कोवे अब यहाँ कांव कांव नहीं गायेंगे,
अखंडता पर चोट करना अपराध है,
सबसे बड़े देश के गद्दार अब जिंदे जलाये जायेंगे
कि हर नोजवान की आँख में अब भी पानी जिंदा है
पाकिस्तानी मूर्खों सुनलो आज जवानी जिंदा है
इतिहास गवाह है भारत ने शीश नहीं झुकाया है
स्वाभिमानी भारत कभी अन्याय नहीं सह पाया है

दहेज़ प्रथा एक अभिशाप

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया

धन के लोभी कीड़ों ने -२ मानवता से मुख मोड़ लिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


एक पिता अपनी पुत्री का जब भी ब्याह रचाता है

अपनी हस्ती से बढ़ चढ़कर दौलत खूब लुटाता है

सुखी रहेगी मेरी लाडली सपने खूब सजाता है

अपने चमन की कली तोड़कर तेरे हवाले छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


सपने सजाये लाखों दिल में दुल्हन घर में आती है

भूल के अपने मात पिता को पति पे जान लुटाती है

असली चेहरा हुआ उजागर मन में वो घबराती है

अपने जीवन की नैया को भाग्य भरोसे छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


पिया भेष में जब भी कसाई अपनी मांग सुनाता है

जुल्म अनेको लगा ढहाने रोटी को तरसाता है

मांग में लाली भरने वाला उसका खून बहाता है

अपने हाथो उसे उठाकर जलती चिता में छोड़ दिया

चाँदी की दीवार ना तोड़ी जिगर का टुकड़ा तोड़ दिया


जागो ऐ भारत की बहनों जुल्म तुमको सहना है

कसम है तुमको उस राखी की निर्भय होकर रहना है

झाँसी वाली रानी बनकर इनसे लोहा लेना है

कलम उठा कर 'अक्षय' ने इनका भांडा फोड़ दिया

बुधवार, 10 अगस्त 2011

भारतीय संस्कृति

भूख लगे और खाना खाए वो प्रकृति है
भूख ना लगे तो भी खाना खाए वो विकृति है

और

खुद भूखा रहकर भी भूखों को खिलाये ये भारतीय  संस्कृति है

life का सबसे बड़ा और कड़वा सच

life  का सबसे बड़ा और कड़वा सच
हजार गलती के बाद भी आप अपने आप से प्यार करते हो
तो फिर किसी की एक गलती पर उससे इतनी नफरत क्यों करते हों

Filmi name inspired by our life step

1.bachpan------- yaadein

2.principal ------ Jaani Dushman

3.classes ------- kabhi kabhi

4.canteen------- kabhi alvida na kehna

5.course -------- godzilla

6.exams -------- kalyug

7.examination hall---- chamber of secret

8.exam-time ---------- qayamat se qayamt tak

9. question paper --------- paheli

10.answer paper ---------- kora kagaz

11.cheating ---------- aksar/chupke chupke

12.examiner ------------- the killer

13.last exam ----------- independence day

14.paper correction --------- andha kanoon

15.marks ----------- assambhav

16.result ----------- murder

17.pass ------------ ajjoba/ chamatkar

18. fail ----------- devdas

19.supplementary ------- aakhri raasta

mujhse dosti karogi?

mujhse dosti karogi?
aap soch rahi hongi ki aap to mujhe

janti bhi nahin hain phir mujhse dosti

kaise karengi?
Koi baat nahin , jab hum is duniya

mein aate hain to kisi ko nahin jante,

par jaise jaise bade hote hain waise

waise naye naye rishte aur dost bante

jate hain, hai na mam, am i right?
aur jab tak kisi se dosti nahi karogi tab

tak use janoge kaise?

Dosti karogi na?
Is it possible or Impossible?

Dont say impossible bcause the wrd

impossible says itself that

I M POSSIBLE
WAITIN 4 UR REPLY

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