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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार ::

एसिडिटी का आयुर्वेदिक उपचार ::

एसिडिटी क्या होती है?

हम जो खाना खाते हैं, उसका सही तरह से पचना बहुत ज़रूरी होता है। पाचन की प्रक्रिया में हमारा पेट एक ऐसे एसिड को स्रावित करता है जो पाचन के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। पर कई बार यह एसिड आवश्यकता से अधिक मात्रा में निर्मित होता है, जिसके परिणामस्वरूप सीने में जलन और फैरिंक्स और पेट के बीच के पथ में पीड़ा और परेशानी का एहसास होता है। इस हालत को एसिड
टी या एसिड पेप्टिक रोग के नाम से जाना जाता है ।

एसिडिटी होने के कारण

एसिडिटी के आम कारण होते हैं, खान पान में अनियमितता, खाने को ठीक तरह से नहीं चबाना, और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इत्यादि। मसालेदार और जंक फ़ूड आहार का सेवन करना भी एसिडिटी के अन्य कारण होते हैं। इसके अलावा हड़बड़ी में खाना और तनावग्रस्त होकर खाना और धूम्रपान और मदिरापान भी एसिडिटी के कारण होते हैं। भारी खाने के सेवन करने से भी एसिडिटी की परेशानी बढ़ जाती है। और सुबह सुबह अल्पाहार न करना और लंबे समय तक भूखे रहने से भी एसिडिटी आपको परेशान कर सकती है।

एसिडिटी के लक्षण
• पेट में जलन का एहसास
• सीने में जलन
• मतली का एहसास
• डीसपेपसिया
• डकार आना
• खाने पीने में कम दिलचस्पी
• पेट में जलन का एहसास

एसिडिटी के आयुर्वेदिक उपचार
• अदरक का रस: नींबू और शहद में अदरक का रस मिलाकर पीने से, पेट की जलन शांत होती है।
• अश्वगंधा: भूख की समस्या और पेट की जलन संबधित रोगों के उपचार में अश्वगंधा सहायक सिद्ध होती है।
• बबूना: यह तनाव से संबधित पेट की जलन को कम करता है।
• चन्दन: एसिडिटी के उपचार के लिए चन्दन द्वारा चिकित्सा युगों से चली आ रही चिकित्सा प्रणाली है। चन्दन गैस से संबधित परेशानियों को ठंडक प्रदान करता है।
• चिरायता: चिरायता के प्रयोग से पेट की जलन और दस्त जैसी पेट की गड़बड़ियों को ठीक करने में सहायता मिलती है।
• इलायची: सीने की जलन को ठीक करने के लिए इलायची का प्रयोग सहायक सिद्ध होता है।
• हरड: यह पेट की एसिडिटी और सीने की जलन को ठीक करता है ।
• लहसुन: पेट की सभी बीमारियों के उपचार के लिए लहसून रामबाण का काम करता है।
• मेथी: मेथी के पत्ते पेट की जलन दिस्पेप्सिया के उपचार में सहायक सिद्ध होते हैं।
• सौंफ:सौंफ भी पेट की जलन को ठीक करने में सहायक सिद्ध होती है। यह एक तरह की सौम्य रेचक होती है और शिशुओं और बच्चों की पाचन और एसिडिटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए भी मदद करती है।

आयुर्वेद की अन्य औषधियां

अविपत्तिकर चूर्ण, वृहत पिप्पली खंड, खंडकुष्माण्ड अवलेह, शुन्ठिखंड, सर्वतोभद्र लौह, सूतशेखर रस, त्रिफला मंडूर, लीलाविलास रस, अम्लपित्तान्तक रस, पंचानन गुटिका, अम्लपित्तान्तक लौह जैसी आयुर्वेदिक औषधीयाँ एसिडिटी कम करने में उपयोगी होती हैं लेकिन इनका प्रयोग निर्देशानुसार करें I

एसिडिटी के घरेलू उपचार:
• विटामिन बी और ई युक्त सब्जियों का अधिक सेवन करें।
• व्यायाम और शारीरिक गतिविधियाँ करते रहें।
• खाना खाने के बाद किसी भी तरह के पेय का सेवन ना करें।
• बादाम का सेवन आपके सीने की जलन कम करने में मदद करता है।
• खीरा, ककड़ी और तरबूज का अधिक सेवन करें।
• पानी में नींबू मिलाकर पियें, इससे भी सीने की जलन कम होती है।
• नियमित रूप से पुदीने के रस का सेवन करें ।
• तुलसी के पत्ते एसिडिटी और मतली से काफी हद तक राहत दिलाते हैं।
• नारियल पानी का सेवन अधिक करें

पेट के कृमि: एक आम समस्या

पेट के कृमि: एक आम समस्या
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बच्चों से ले कर बूढ़ो तक की आंतों में ये कृमि पाये जाते हैं। इन कृमियों के कारण सैकड़ों लोग प्रतिवर्ष मौत का शिकार होते हैं और सैकड़ों ही अन्य रोगों की गिरफ्त में आ जाते हैं।
- पेट में कीड़ें होने के प्रमुख कारण है स्वच्छ पीने के पानी का अभाव, दूषित एवं अशुद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन तथा शारीरिक स्वच्छता के प्रति उदासीनता।

- पेट में कीड़े होने से बुखार, शरीर का पीला पड़ जाना, पेट में दर्द, दिल में धक-धक होना, चक्कर आना, खाना अच्छा न लगना तथा यदा-कदा दस्त होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

- पेट के कीड़े कई प्रकार के होते हैं। लेकिन मुख्यतः ये दो प्रकार की श्रेणियों में बंटे हैं- गोल कृमि, या ‘राउंड वर्म’ और फीता कृमि, या ‘टेप वर्म’।

- आयुर्वेदिक उपचार:

- वायबिडंग, सौंठ, पीपल और काली मिर्च, समान भाग में ले कर, चूर्ण बना लें और गर्म पानी के साथ कुछ दिन खाने से पेट के कीड़ों का नाश होता है।

- अजवायन के चूर्ण को गुड़ में मिला कर गोली बना लें। दिन में 3 बार खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। सुबह खाली पेट गुड़ खा कर 15-20 मिनट बाद अजवायन का चूर्ण पानी के साथ लें। इससे आंतों के सभी प्रकार के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

- पीपल का चूर्ण, नींबू के रस के साथ थोड़ा शहद मिला कर, चाटें।

- नीम की कोमल पत्तियां, पुदीना, करेले के पत्ते, लहसुन, इन सबको मिला कर रस निकालें और प्रतिदिन 2 चम्मच पीएं।

- पलाश के बीज का काढ़ा शहद में मिला कर पीने और इसके बीज की चटनी बना कर शहद में मिला कर चाटने से भी आंत के कीड़े नष्ट होते हैं।

- धतूरे के पत्ते, अरंड के पत्ते, मेंहदी के पत्ते, प्याज, इन्हें पीस कर गुदा पर लेप करें।

- सोंठ, पीपर, पीपरामूल, चव्य, चिजक, तालीस पत्र, दालचीनी, जीरा, सौंठ, अम्लवेत, अनारदाना, पांचों नमक, बराबर मात्रा में चूर्ण कर, भोजन के बाद 2 माशे लें।

- 2, या 3 लाल टमाटर को काट कर सेंधा नमक और काली मिर्च मिला कर, खाली पेट शाम के वक्त कुछ दिन खाएं। याद रखें, इसे खाने के 2 घंटे पहले और 2 घंटे बाद कुछ और न खाएं।

- इमली की पत्तियाँ भी पेट के कीड़ों का नाश करती हैं।

- गाजर में आँतों के हानिकारक जंतुओं को नष्ट करने का अदभुत गुण पाया जाता है।

- नीम पत्र के चूर्ण में एक ग्राम अजवाइन डाल कर ले .

- पके हुए पपीते में भुना हुआ जीरा पीस कर तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक डाल कर ले .रोगी की आंतों में कीड़ों के अण्डे मल के साथ बाहर निकलते हैं।

- 10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से कीड़ों का विनाश होता है।

- दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

- कच्चे पपीते के छिलके छीलकर उसका रस निकाल लें। चार चम्मच रस सुबह और छः चम्मच रस शाम को पिलाएं। यह रस बच्चों के जिगर को भी ठीक करता है।

- एक चम्मच करेले का रस तथा आधा कप पपीते का रस—दोनों को मिलाकर रात को सोते समय रोगी को पिलाएं।

- पपीते का गूदा 200 ग्राम लेकर उसमें 20 ग्राम पुदीना तथा 10 दाने काली मिर्च की चटनी बनाकर मिला लें। इस अवलेह का नित्य सुबह-शाम रोगी को सेवन कराएं।

- एक कप पपीते का रस, आधा कप गाजर का रस तथा चार दाने काली मिर्च का चूर्ण तीनों को मिलाकर चार खुराक करें। फिर उसे बिना कुछ खाए दिन भर में चार बार सेवन करें। पेट के कृमि जड़-मूल से नष्ट हो जाएंगे।-

- लहसुन खाने से गोल कृमि का खात्मा होता है .

- कद्दू के बीज का पावडर किसी ज्यूस में लेने से फीता कृमि और गोल कृमि नष्ट होते है और आंत की सफाई होती है .

- रोजाना अनानास खाए .

- एक हफ्ते तक दिन में २-३ बार छाछ में भुना हुआ जीरा , सेंधा नमक और काली मिर्च डाल कर ले .

- एक बड़ा चम्मच कसा हुआ नारियल ले . is पर ४० मि.ली. एरंड का तेल ले . फिर करीब तीन घंटे बाद एक ग्लास दूध ले .

- पीच का ज्यूस भी वर्म्स को हटाता है .

- सुबह खाली पेट गरम पानी में एक चम्मच सेंधा नमक और चुटकी भर हल्दी डाल कर ले . ताज़ी हल्दी का एक चम्मच रस भी डाला जा सकता है

क्या आप ये जानते हैं की ये वर्क कैसे बनता है ?...

जिसको चाँदी का वर्क बोला जाता है लेकिन क्या आप ये जानते हैं की ये वर्क कैसे बनता है ?...
आप को जब ये पता चले गा तो आप लोग ये वर्क कभी भी इस्तेमाल हुई मिठाई नही खाऊगे
खाना तो दूर की बात आप इसको देखना भी पसंद नहीं करोगे
ये बनाया जाता है गऊ माता की आंत से
आप को ये बताना चाहता हूँ की जब गऊ माता को मारा जाता है तो गऊ माता के पेट से जो आंत निकलती है सिर्फ उससे ही वर्क बन सकता है
और किसी भी पशु की आंत से या किसी और वस्तु से ये नहीं बन सकता.
जब आंत को काट कर उसके अंदर वर्क का बड़ा टुकड़ा दाल दिया जाता है और उसकी लकड़ी के हतोड़े से पिटाई की जाती है जिससे आंत फ़ैल जाती है क्यों की गऊ की आंत कभी नहीं फटती वर्क जो आसानी से पिटाई के दोरान फ़ैल जाता है और पूरी आंत वर्क में बदल जाती है
लेकिन हम इतने शर्म निर्पेक्स हैं की हम सब कुछ पता होते हुए भी हम ये पाप कर रहे हैं

जागो हिन्दू जागो
भाई राजीव दीक्षित की आवाज में आप लिंक खोलकर सूने
http://www.youtube.com/watch?v=Ze1syyZYLYg&sns=fb

एक नम्र निवेदन : सभी गौ रक्षक मित्रो से ....
आएये और कसम खाये की हमारे घर पर चाँदी के वर्क लगी मिठाई या कोई अन्य खाने की वस्तु को
ना हम आपने घर पर लायेगे और ना ही किसी को उपहार में देंगे
हमें चाँदी के वर्क लगी मिठाई ना हम खयेगे और ना ही आपने परिवार और मित्रो को खाने देगे ....
जिस दिन से हम ये करने लगेगे आप देख लेना ५०% बुचर खाने बंद हो जाये गे ......
इस तस्वीर को देखो और इतना शेयर करो की हर भारतवासी के पास ये सन्देश जाये..... —

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