जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 8 जुलाई 2021
अर्ध नग्न महिलाओं को देख कर 90℅ कौन मजे लेता है?
100% ऑर्गेनिक, हर्बल ओर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स उपलब्ध
कोरोना की वजह से नौकरियां चली गई मुझसे संपर्क करिए
कान्वेंट शब्द पर गर्व न करें...सच समझें।
बुधवार, 7 जुलाई 2021
हिन्दु (सनातन) धर्म को बदनाम करने के लिए समय समय पर हिन्दु धर्म के वेद पुराणों में मिलावट की गई है
जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए।
सोमवार, 5 जुलाई 2021
बॉलीवुड फिल्मों के कुछ नो-लॉजिक सीन
यह दृश्य याद है?
इस सीन में चतुर
अपने Samsung Omnia SCH i910 स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए फरहान और राजू
को उस दिन की तारीख याद दिला रहे हैं
। इस फोन को नवंबर 2008 में लॉन्च किया गया था।
तो, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि राजू और फरहान चतुर से 5 सितंबर, 2009 को मिले थे।
अब, कुछ गणित में आते हैं । ( क्षमा करें, पीयूष जी!)
ऊपर बताई गई तारीख उस कुख्यात ' चमत्कार
' घटना के ठीक 10 साल बाद
की थी।
तो, राजू , फरहान और रैंचो 1999 के आसपास कॉलेज में थे।
इस फिल्म के क्लाइमेक्स में कटौती करें।
रैंचो ने अपने दोस्तों की मदद से निर्देशक की बेटी की डिलीवरी खुद करने का फैसला किया।
तो, पिया ने रैंचो को ( एक वीडियो कॉल पर )
दिखाया
कि कैसे Youtube ट्यूटोरियल का उपयोग करके बच्चे को जन्म देना है ।
तथ्य यह है कि, Youtube का आविष्कार फरवरी, 2005 में हुआ था।
इसके अलावा ,
इस सीन में जहां फरहान ने अपना परिचय दिया, उन्होंने बताया कि उनका जन्म 1978 में हुआ था।
इंजीनियरिंग में स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश करने में 18 साल (काफी) लगते हैं।
फरहान ने लिया[गणित] १९९९-१९७८= २१[/गणित]वर्षों।
( क्षमा करें, पीयूष जी )
फरहान 94% अंकों के साथ एक बहुत ही कमजोर छात्र था ( उसके पिता ने एक दृश्य में इसका उल्लेख किया जहां रैंचो फरहान के पिता से पहली बार मिलता है ) , जो तीन बार असफल रहा और अपने करियर के तीन साल बर्बाद कर दिया।
पढ़ने के लिए धन्यवाद ।
योगिनी एकादशी : 05 जुलाई
🌹 योगिनी एकादशी : 05 जुलाई
🌹 युधिष्ठिर ने पूछा : वासुदेव ! आषाढ़ के कृष्णपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? कृपया उसका वर्णन कीजिये ।
🌹 भगवान श्रीकृष्ण बोले : नृपश्रेष्ठ ! आषाढ़ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार ज्येष्ठ ) के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘योगिनी’ है। यह बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। संसारसागर में डूबे हुए प्राणियों के लिए यह सनातन नौका के समान है ।
🌹 अलकापुरी के राजाधिराज कुबेर सदा भगवान शिव की भक्ति में तत्पर रहनेवाले हैं । उनका ‘हेममाली’ नामक एक यक्ष सेवक था, जो पूजा के लिए फूल लाया करता था । हेममाली की पत्नी का नाम ‘विशालाक्षी’ था । वह यक्ष कामपाश में आबद्ध होकर सदा अपनी पत्नी में आसक्त रहता था । एक दिन हेममाली मानसरोवर से फूल लाकर अपने घर में ही ठहर गया और पत्नी के प्रेमपाश में खोया रह गया, अत: कुबेर के भवन में न जा सका । इधर कुबेर मन्दिर में बैठकर शिव का पूजन कर रहे थे । उन्होंने दोपहर तक फूल आने की प्रतीक्षा की । जब पूजा का समय व्यतीत हो गया तो यक्षराज ने कुपित होकर सेवकों से कहा : ‘यक्षों ! दुरात्मा हेममाली क्यों नहीं आ रहा है ?’
🌹 यक्षों ने कहा: राजन् ! वह तो पत्नी की कामना में आसक्त हो घर में ही रमण कर रहा है । यह सुनकर कुबेर क्रोध से भर गये और तुरन्त ही हेममाली को बुलवाया । वह आकर कुबेर के सामने खड़ा हो गया । उसे देखकर कुबेर बोले : ‘ओ पापी ! अरे दुष्ट ! ओ दुराचारी ! तूने भगवान की अवहेलना की है, अत: कोढ़ से युक्त और अपनी उस प्रियतमा से वियुक्त होकर इस स्थान से भ्रष्ट होकर अन्यत्र चला जा ।’
🌹 कुबेर के ऐसा कहने पर वह उस स्थान से नीचे गिर गया । कोढ़ से सारा शरीर पीड़ित था परन्तु शिव पूजा के प्रभाव से उसकी स्मरणशक्ति लुप्त नहीं हुई । तदनन्तर वह पर्वतों में श्रेष्ठ मेरुगिरि के शिखर पर गया । वहाँ पर मुनिवर मार्कण्डेयजी का उसे दर्शन हुआ । पापकर्मा यक्ष ने मुनि के चरणों में प्रणाम किया । मुनिवर मार्कण्डेय ने उसे भय से काँपते देख कहा : ‘तुझे कोढ़ के रोग ने कैसे दबा लिया ?’
🌹 यक्ष बोला : मुने ! मैं कुबेर का अनुचर हेममाली हूँ । मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था । एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा, अत: राजाधिराज कुबेर ने कुपित होकर मुझे शाप दे दिया, जिससे मैं कोढ़ से आक्रान्त होकर अपनी प्रियतमा से बिछुड़ गया । मुनिश्रेष्ठ ! संतों का चित्त स्वभावत: परोपकार में लगा रहता है, यह जानकर मुझ अपराधी को कर्त्तव्य का उपदेश दीजिये ।
🌹 मार्कण्डेयजी ने कहा: तुमने यहाँ सच्ची बात कही है, इसलिए मैं तुम्हें कल्याणप्रद व्रत का उपदेश करता हूँ । तुम आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करो । इस व्रत के पुण्य से तुम्हारा कोढ़ निश्चय ही दूर हो जायेगा ।
🌹 भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन् ! मार्कण्डेयजी के उपदेश से उसने ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत किया, जिससे उसके शरीर को कोढ़ दूर हो गया । उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान करने पर वह पूर्ण सुखी हो गया ।
🌹 नृपश्रेष्ठ ! यह ‘योगिनी’ का व्रत ऐसा पुण्यशाली है कि अठ्ठासी हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने से जो फल मिलता है, वही फल ‘योगिनी एकादशी’ का व्रत करनेवाले मनुष्य को मिलता है । ‘योगिनी’ महान पापों को शान्त करनेवाली और महान पुण्य फल देनेवाली है । इस माहात्म्य को पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।
🌹 व्रत खोलने की विधि : द्वादशी को सेवापूजा की जगह पर बैठकर भुने हुए सात चनों के चौदह टुकड़े करके अपने सिर के पीछे फेंकना चाहिए । ‘मेरे सात जन्मों के शारीरिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हुए’ - यह भावना करके सात अंजलि जल पीना और चने के सात दाने खाकर व्रत खोलना चाहिए
सन् 1947 में 3.5 हजार शराबखानो को सरकार का लाइसेंस.....!!
सन् 1836 में लार्ड मैकाले अपने पिता को लिखे एक पत्र में कहता है:
ईसाईयों द्वारा अपने ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द ""हमारे" हिन्दू धर्म से चोरी किया गया है
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