ऐसी बात नहीं है .डिस्क ब्रेक- अगले और पिछले दोनों पहियों में मिछ्ले 44 सालों से प्रयोग हो रहा है .
हौंडा CB750 मॉडल में 1975 से दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक का प्रयोग हो रहा है .
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भारत में भी महंगी बाइक में दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक आम हो गया है - जैसे रॉयल enfield का थंडरबर्ड 500 ( 2.1 लाख ) और सुजुकी gixxer ( 1.3 लाख )
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आम तौर पर मोटर साइकिल में ड्रम ब्रेक का प्रयोग होता है , जिसमें ब्रेक ड्रम - अन्दर बंद रहता है . नीचे चित्र देखें
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ड्रम के भीतर - ब्रेक शू होते हैं जो , फ़ैल कर - ड्रम पर घर्षण पैदा करते हैं
अन्दर अवस्थित होने के कारण - यह जल्दी गर्म हो जाता है और ब्रेक शक्ति में कमी आती है , जिसके निराकारण के लिए - डिस्क ब्रेक की खोज हुई , जो नीचे चित्र में देख सकते हैं बाहर अवस्थित होने के कारण ज्यादा गर्म नहीं होता है ( हवा से ठंडा होता रहता है ) और आकार में ड्रम से बड़ा होता है , सो ज्यादा ब्रेक शक्ति उत्पन्न कर सकता है ; यह ऐसा दिखता है
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सबसे पहला डिस्क ब्रेक 1962 में लम्ब्रेटा स्कूटर TV175 - में प्रयोग हुआ . जिसके केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक था और पिछले पहिये में - ड्रम ब्रेक .
लेकिन डिस्क ब्रेक के फायदों को देखते हुए 1975 से दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक का प्रयोग होने लगा .
डिस्क ब्रेक में फायदे तो बहुत हैं - पर एक घाटा यह है कि इसमें - ज्यादा ब्रेक शक्ति लगने के कारण - ब्रेक लॉक हो जाता है - यानि - पहिये घूमने बंद हो जाते हैं - और घिसटने लगते हैं - जिससे स्टीयरिंग कंट्रोल ख़त्म हो जाता है . इसके निराकरण हेतु - ABS ( एंटी लॉक ब्रेक सिस्टम ) की खोज हुई और 1988 में प्रसिद्द BMW कंपनी द्वारा BMW K100 LT मोटर साइकिल में इसका प्रयोग हुआ . तबसे मोटर साइकिल में दोनों पहियों में - डिस्क ब्रेक का धडल्ले से प्रयोग हो रहा है ABS के साथ .
डिस्क ब्रेक महंगा होता है - ड्रम ब्रेक के अपेक्षा और ABS का खर्च ऊपर से . इसी कारण भारत में बहुत से मोटर साइकिल निर्माता - केवल अगले पहिये में ही डिस्क ब्रेक लगाते हैं .
इसके अतिरिक्त - 180 -200 किलोमीटर / घंटा की रफ़्तार तक दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक की जरुरत नहीं है .
ये तो हुआ खर्च और रफ़्तार के हिसाब से - केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक लगाने की बात .
अब अगर यह सवाल करें कि - दोनों पहियों में से किसी एक में ही डिस्क ब्रेक लगाना हो तो अगला ही क्यों ?????????
इसका जवाब है - न्यूटन साहब का पहला नियम - जिसके कारण - चलती कार में अचानक ब्रेक लगे तो , आप सामने की ओर झुक जाते हैं और अचानक एक्सलरेट हो तो - पीछे की ओर .
मोटर साइकिल में भी जब ब्रेक मारते हैं तो अगले पहियों पर ज्यादा जोर पड़ता है . जिस कारण ज्यादा ब्रेक शक्ति की जरुरत होती है
इसी नियम का प्रयोग कर - मोटर साइकिल में ऐसे स्टंट दिखाए जाते हैं
स्पीड में चल रही मोटर साइकिल में अचानक ब्रेक मारिये और पिछला पहिया - जमीन से उठ जायेगा - आसमान की तरफ - हवा हवाई
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इसे - रिवर्स व्हीली ( reverse wheelie ) कहते हैं .
तो , केवल अगले पहिये में डिस्क ब्रेक लगाने के तीन कारण उभर के सामने आये
- पैसा . डिस्क ब्रेक महंगा होता है ABS के साथ ,
- रफ़्तार . 180–200 किलोमीटर / घंटा के नीचे दोनों पहियों में डिस्क ब्रेक की जरुरत नहीं है
- जोर - अगले पहिये पर ब्रैकिंग में ज्यादा जोर लगता है
चलते चलते ….
कार में भी रिवर्स व्हीली ( reverse wheelie ) होता है
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और एक मशवरा :
बिना ABS के डिस्क ब्रेक वाली मोटर साइकिल या कार कभी भी नहीं खरीदें . कभी भी नहीं .
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