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गुरुवार, 22 जुलाई 2021

भारतीय रेलवे के पास इतना इंटरनेट कहाँ से आता है कि वह फ्री में बाँटता है?


भारतीय रेलवे सभी रेलवे स्टेशन पर मुफ्त इंटरनेट कैसे देता है ? इसे जानने से पहले यह जानते है कि रेलवे कैसे सफ़र करने वालों को फ्री में इंटरनेट की सुविधा देता है ?

इंटरनेट कैसे काम करता है ?

आप अपने मोबाइल में इंटरनेट कैसे इस्तेमाल करते है ? आपका जवाब होगा टावर के माध्यम से या फिर सेटलाइट के माध्यम से लेकिन आप अपने अनुसार तो सही है लेकिन आपका जवाब बिलकुल गलत है और आप उस तथ्य को नहीं जानते है कि आखिर यह इंटरनेट कहाँ से आता है ?

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि पूरी दुनिया का 99 प्रतिशत इंटरनेट केबल ऑप्टिकल फाइबर वायर के माध्यम से चलती है और दुनिया के सभी देशों को उसी वायर के माध्यम से जोड़ दिया गया है जिसे सबमरीन केबल कहा जाता है और इस वायर को समुद्र के रास्ते सभी देशों को जोड़ा गया है।

इन सबमरीन केबल को बिछाने का काम बड़ी बड़ी कंपनियों द्वारा किया जाता है, जिसे टायर वन कंपनी कहा जाता है और यह वायर सभी देशों के समुद्र तट इलाको के महत्वपूर्ण शहरों तक लाया गया है ।

इसके बाद उन्ही समुद्र तटीय इलाको के महत्वपूर्ण शहरों से भारत के विभिन्न शहरों तक यह वायर बिछाया गया है। जिसे बीएसएनएल , जिओ , एयरटेल इत्यादि ने बिछाया है। और इसे टायर टू कंपनी कहा जाता है और भारत के इन्हीं संचार कंपनियों ने अपना वायर बिछा कर सबमरीन केबल से जोड़ दिया है।

भारतीय रेलवे मुफ्त इंटरनेट सेवा कैसे देती है ?

अब आते है अपने टॉपिक के महत्वपूर्ण बिंदु पर कि भारतीय रेलवे मुफ्त इंटरनेट सेवा कैसे देती है और इसका एक उदाहरण देता हूँ मान लीजिये आपके पास दो कंप्यूटर है और दोनों कंप्यूटर से फाइल या फिल्म का आदान प्रदान करना हो तो कैसे करेंगे ? ब्लूटूथ या wifi से आपको घंटो लग जायेंगे लेकिन दोनों कंप्यूटर को वायर या केबल के माध्यम से जोड़ दिया जाये तो आप कुछ ही मिनटों में फाइल ट्रान्सफर कर सकेंगे ।

आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि दुनिया के किसी भी सर्वर का डाटा फ्री में भेजा या लाया जाता है । इसका मतलब है कि इंटरनेट को कोई भी पैसा नहीं लगता है । यह पूरी तरह से फ्री होता है ।

तो आपके मन में सवाल आएगा कि इंटरनेट फ्री है तो हमसे पैसे क्यों लिया जाता है तो इसका जवाब है कि टायर वन कंपनी जिसने अपना पैसा लगा कर सबमरीन केबल को समुद्र में बिछाया है और वह पैसा टायर टू कंपनी बीएसएनएल , जिओ , एयरटेल इत्यादि हमसे लेकर और कुछ प्रतिशत रख कर दे दिया जाता है।

अब कुछ कुछ बातें आपको समझ में आ गयी होंगी आपको बता दूँ कि भारतीय रेलवे अपने शुरुआत के दिनों में इंटरनेट के लिए बीएसएनएल पर आश्रित था बाद में भारतीय रेलवे ने अपनी पहुँच को बढ़ने के लिए सितम्बर 2000 में रेलटेल नामक एक सरकारी PSU कंपनी की शुरुआत की ।

जिसके द्वारा पुरे भारत में हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर वायर बिछाया गया वर्तमान में यह हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर वायर लगभग 45 हज़ार किलोमीटर तक फैला हुआ है । और लगभग 5 हजार रेलवे स्टेशन से जुड़ा हुआ है जिससे फ्री में इन रेलवे स्टेशन को हाई स्पीड इन्टरनेट से जोड़ दिया गया है। फिर कुछ समय बाद रेलवे ने यह निर्णय लिया कि यह सुविधा आम लोगो को भी दिया जाये क्योंकि भारतीय रेलवे के पास खुद का हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर बिछा हुआ था तो पैसे केवल टायर वन कंपनी को ही देने थे तो इसके लिए रेलवे ने Google से एक समझौता किया और गूगल ने अपनी उच्च तकनीक लगाकर एक सुरक्षित wifi हॉटस्पॉट बनाया जिसका रेंज सिर्फ रेलवे स्टेशन तक रखा गया।

अब आपको समझ में आ गया होगा कि भारतीय रेलवे के पास इतना सारा इंटरनेट कहाँ से आता है कि वह फ्री में बाँटता है।

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फुटनोट

 

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