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रविवार, 4 सितंबर 2011

कान्हा की लीला .......................

एक बार जब इंद्र ने गोकुल में बहुत वर्षा की तो मेरे गोविन्द ने गिरिराज रूप में उनकी
रक्षा की तो इंद्र ने सोचा की इतना पानी गया कहा तो देखा की एक तरफ सुदर्शन चक्र पानी सुख रहा है और दूसरी और अगस्त्य ऋषि जी पानी पि रहे है तो यहा १ कथा आती है  रामजी लंका जितने के बाद अयोध्या आये तो सीताजी  ब्राह्मणों को भोजन करा रही थी सभी थोडा थोडा भोजन कर जाने लगे तो माँ राम  जी बोली प्रभु केसे ब्राह्मण बुलाते है जो भोजन ही नहीं करते है तो रामजी ने कहा की सीता जी आपने अभी ब्राह्मण देखे कहा है! अब रामजी योग से अगस्त्य ऋषि के ध्यान में गये उन्हे बुलवाया ऋषि आ गए तो रामजी ने कहा की भोजन कर लेवे, तो अगस्त्य ऋषि ने कहा की नहीं अभी भूख जरा सी है फिर भी खा लेते है तो सीता जी बोलो ये तो दुबले पतले है में तो हाथ से बना कर खिला दूंगी तो
अगस्त्य ऋषि को भोजन पर बैठाया तो राम जी को अगस्त्य ऋषि ने इशारा किया शुरू करु प्रभु तो रामजी ने कहा आज जरा भोजन अच्छे से करे ,अब माताजी भोजन बनाने लगि तो सुबह से शाम हो गई अगस्त्य ऋषि भोजन ही कर रहे है सीता जी थक गई तो उन्होंने रिध्दी सिध्दी का आव्हान किया कहा की अगस्त्य ऋषि भोजन कर रहे है कोई कमी ना हो अगला दिन हो गया माँ ने श्री गणेश जी को बुलाया अब गणेश जी रसोइया बन गये पर ऋषि भोजन ही कर रहे है तो सीता जी परेशान हो गई १/२/५/१०/११/१३/१५ दिन हो गये कहा की महाराज जी आधा भोजन हो जाये तो पानी पि लीजिये तो अगस्त्य ऋषि बोले माँ अभी तो शुरू किया है आधा होगा तो पि लेंगे अब १६ /१७ दिन माँ राम जी से बोली प्रभु ये केसे ऋषि है जो १७ दिन से खाए जा रहे है और कहते है आधा भी नहीं खाया , प्रभु श्रद्धा की भी टांग तोड़ दी तो रामजी ने कहा देवी आप ही तो कहती थी की अच्छे ब्राह्मण बुलाया करो तो राम जी ने धीरे से इशारा किया तो अगस्त्य ऋषि ने डकार ली कहा पानी लाओ तो माताजी राम जी को बोली पानी नहीं है १ मटका तो पियेंगे नहीं इतना पानी नहीं है हमारे पास भोजन इतना किया तो पानी कितना पियेंगे तो राम जी ने अगस्त्य ऋषि को कहा की प्रभु अभी पानी की इतनी व्यवस्था नहीं है तो आप पानी बाद में पि लेना इस युग में भोजन अगले युग में पानी पि लेना अगस्त्य ऋषि बोले ठीक है मेरी तो एक समाधी में युग बदल जायेगा तो राम जी अगले जन्म में कान्हा का अवतार लिया और गोकुल के गाव वालो को वर्षा से बचाने हेतु अगस्त्य ऋषि का आव्हान किया आप जहा भी हो आये
और पानी ग्रहण करे!
इसी है मेरे कान्हा की लीला .......................

शनिवार, 3 सितंबर 2011

कौन हे आपका असली हीरो.....

कोन हे आपका असली हीरो.....
क्या! ये है वे लोग ?


फ़िल्म व क्रिकेट टीम बनाकर देश का करोड़ों रुपये ...लेने को बेताब .......


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चाहे वो आमिर खान हों..........


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नवाब सैफ अली खान.........

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नॉट अ गुड आइडिया सरजी ...

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$$$$$कौन बनेगा करोड़पति $$$$$$$

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विख्यात किंगफिशर कंपनी के मालिक विजय माल्या...

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क्रिकेट  के बादशाह.....

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खेल के लिए कम लेकिन अपनी सुंदरता के लिए ज़्यादा मशहूर सानिया मिर्ज़ा........

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कॉमनवेल्थ गेम्स में करोड़ रुपये सिर्फ एक गाने के लेने वाले
ए आर रहमान
और.......देश के नवनिर्माण के सपने दिखने वाले राहुल गाँधी........
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लेकिन अब....कहा  है ये सब ......????????



सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इन्हें देश से


इतना ही प्यार है


तो आखिर क्यों नहीं  कर रहे ये लोकपाल विधेयक पर अन्ना हजारे


के अनशन का समर्थन

 क्योंकि इन्हें तो सिर्फ़ पब्लिसिटी चाहिए
आपको यह सुनकर थोडा अजीब लगे 

लेकिन अब...........

लेकिन अब...........

लेकिन अब...........

सबके असली हीरो....है

भ्रष्टाचार के खिलाफ देशभर में मुहिम छेड़ने वाले समाजिक कार्यकर्ता  

अन्ना हजारे

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और उनके समर्थन में है ......हौसलों से उड़ान भरने वाली 
किरण बेदी 
भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है।


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आओ हम एक साथ मिलकर इस...लोकपाल विधेयक पर अन्ना हजारे के अनशन का समर्थन कर इस  काम को अंजाम दे.......

Please forward this mail to all  as much you can

सोमवार, 22 अगस्त 2011

श्रीनाथजी का सप्तस्वरूप वर्णन

श्रीनाथजी के श्रृंगार स्वरुप का वर्णन इस प्रकार है जिन्हें मन्मथ, मोहन, नटवर, गोकुलपति आदि नामों से भी पुकारा जाता है-
श्रीगोवर्धननाथ पाद युगलं हैयंगवीनप्रियम्‌,
नित्यं श्रीमथुराधिंप सुखकरं श्रीविट्ठलेश मुदा ।
श्रीमद्वारवतीश गोकुलपति श्रीगोकुलेन्दुं विभुम्‌,
श्रीमन्मन्मथ मोहनं नटवरं श्रीबालकृष्णं भजे ॥
आचार्य चरण, प्रभुचरण सहित सप्त आचार्य वर्णन-
श्रीमद्वल्लभविट्ठलौ गिरिधरं गोविंदरायाभिधम्‌,
श्रीमद् बालकृष्ण गोकुलपतिनाथ रघूणां तथा
एवं श्रीयदुनायकं किल घनश्यामं च तद्वंशजान्‌,
कालिन्दीं स्वगुरुं गिरिं गुरुविभूं स्वीयंप्रभुंश्च स्मरेत्‌ ॥
पुष्टि मार्ग में भगवान कृष्ण के उस स्वरूप की आराधना की जाती है जिसमें उन्होंने बाएँ हाथ से गोवर्धन पर्वत उठा रखा है और उनका दायाँ हाथ कमर पर है।
श्रीनाथ जी का बायाँ हाथ 1410 में गोवर्धन पर्वत पर प्रकट हुआ। उनका मुख तब प्रकट हुआ जब श्री वल्लभाचार्यजी का जन्म 1479 में हुआ। अर्थात्‌ कमल के समान मुख का प्राकट्य हुआ।

1493
में श्रीवल्लभाचार्य को अर्धरात्रि में भगवान श्रीनाथ जी के दर्शन हुए।
साधू पांडे जो गोवर्धन पर्वत की तलहटी में रहते थे उनकी एक गाय थी। एक दिन गाय ने श्रीनाथ जी को दूध चढ़ाया। शाम को दुहने पर दूध न मिला तो दूसरे दिन साधू पांडे गाय के पीछे गया और पर्वत पर श्रीनाथजी के दर्शन पाकर धन्य हो गया।
दूसरी सुबह सब लोग पर्वत पर गए तो देखा कि वहाँ दैवीय बालक भाग रहा था। वल्लभाचार्य को उन्होंने आदेश दिया कि मुझे एक स्थल पर विराजित कर नित्य प्रति मेरी सेवा करो।
तभी से श्रीनाथ जी की सेवा मानव दिनचर्या के अनुरूप की जाती है। इसलिए इनके मंगला, श्रृंगार, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, आरती, भोग, शयन के दर्शन होते हैं।

रविवार, 21 अगस्त 2011

श्रीराम के दरबार में कुत्ता

श्रीराम के दरबार में कुत्ता

एक दिन एक कुत्ता श्रीराम के दरबार में आया और उसने प्रभु से शिकायत की – “राजन, कितने दुख की बात है कि जिस राज्य की कीर्ति चहुंओर रामराज्य के रूप में फैली हुई है वहीं लोग हिंसा और अन्याय का सहारा लेते हैं. मैं आपके महल के पास ही एक गली में लेटा हुआ था जब एक साधू आया और उसने मुझे पत्थर मारकर घायल कर दिया. देखिए मेरे सिर पर लगे घाव से अभी भी रक्त बह रहा है. वह साधू अभी भी गली में ही होगा. कृपया मेरे साथ न्याय कीजिए और अन्यायी को उसके दुष्कर्म का दंड दीजिए.”

श्रीराम के आदेश पर साधु को दरबार में लिवा लाया गया. साधू ने कहा – “यह कुत्ता गली में पूरा मार्ग रोककर लेटा हुआ था. मैंने इसे उठाने के लिए आवाज़ें दीं और ताली बजाई लेकिन यह नहीं उठा. मुझे गली के पार जाना था इसलिए मैंने इसे एक पत्थर मारकर भगा दिया.”

श्रीराम ने साधु से कहा – “एक साधू होने के नाते तो तुम्हें किंचित भी हिंसा नहीं करनी चाहिए थी. तुमने गंभीर अपराध किया है और इसके लिए दंड के भागी हो.” श्रीराम ने साधू को दंड देने के विषय पर दरबारियों से चर्चा की. दरबारियों ने एकमत होकर निर्णय लिया – “चूंकि इस बुद्धिमान कुत्ते ने यह वाद प्रस्तुत किया है अतएव दंड के विषय पर भी इसका मत ले लिया जाए.”

कुत्ते ने कहा – “राजन, इस नगरी से पचास योजन दूर एक अत्यंत समृद्ध और संपन्न मठ है जिसके महंत की दो वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी है. कृपया इस साधू को उस मठ का महंत नियुक्त कर दें.”

श्रीराम और सभी दरबारियों को ऐसा विचित्र दंड सुनकर बड़ी हैरानी हुई. उन्होंने कुत्ते से ऐसा दंड सुनाने का कारण पूछा.

कुत्ते ने कहा – “मैं ही दो वर्ष पूर्व उस मठ का महंत था. ऐसा कोई सुख, प्रमाद, या दुर्गुण नहीं है जो मैंने वहां रहते हुए नहीं भोगा हो. इसी कारण इस जन्म में मैं कुत्ता बनकर पैदा हुआ हूं. अब शायद आप मेरे दंड का भेद जान गए होंगे.”

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आया है नया जमाना

मैं अंग्रेजी पढ़ कर आज, न रक्खूं लाज, खुले मुंह है जाना, आया है नया जमाना

मैं अंग्रेजी पढ़कर आई, एम्. बी ए. का सर्टिफिकेट ल्याई |
फ्रेंच हिंदी सब पढ़ी नही है नाक कटाना, आया है नया जमाना
सोडा बिस्कुट लेमन लिम्बू, बिना चाय न घंटे भर जीवु
अजी दाल भात और रोटी वोटी, दिल ने नहीं है माना, आया है नया जमाना
मैं चूल्हे को सिल्गाऊ ना, फूं फूं कर आँख सुजाऊ ना |
अजी रख के एक दो सर्वेंट घर का काम करवाना, आया है नया जमाना
खुले बाल को सेट करा, जींस के ऊपर टीशर्ट पहनकर
रे ऊँची एडी बूंट पहन कर, मेमसाब कहलाना, आया है नया जमाना
चश्मा व घडी छड़ी लेकर, छोटा सा छटा हो सर पर
कहे लोग मेमसाब तो खुश हो जाना, आया है नया जमाना
देवर नन्दल सुसरे सांसु , सब देख मुझे डाले आंसू |
कुछ भी हिस्सा बाँट, अलग हो जाना, आया है नया जमाना
अपनी पांती लड़कर लुंगी, मैं बंगला अलग बना लुंगी |
लगा के सोफा सेट, टी.वी. से मन बहलाना, आया है नया जमाना
बनकर बिलकुल लेडी फेशन, हो जाऊं कड़ी कोर्ट सेशन
पति की गलती पर हिन्दू कोड लगाना, आया है नया जमाना
दावा कर देऊ अदालत में, फैसला होवे जिस हालत में
दे तलाक इसको दूजा पति बनाना, आया है नया जमाना
कन्या को घर पर पढवाना, सब सीता के गुण सिखलाना
कोलेजों में ना पढ़ा व्याभिचार बढ़ाना, आया है नया जमाना
पश्चिमी सभ्यता को ठुकरावो, 'अक्षय' तभी आनंद पावो
दमयंती और दुर्गा का सम्मान बढ़ाना, आया है नया जमाना

जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है
इसके वास्ते ये तन है मन है और प्राण है - २
तन मन और प्राण है
जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

इसकी गोद में हजारो गंगा यमुना झूमती - २
इसके पर्वतों की चोटियाँ गगन को चूमती -२
भूमि ये महान है, निराली इसकी शान है - २
इसकी जय पताका पे स्वयं विजय निशान है
जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है

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