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शनिवार, 17 नवंबर 2012

छुहारा और खजूर :: इसकी उपयोगिता

छुहारा और खजूर ::

छुहारा और खजूर एक ही पेड़ की देन है। इन दोनों की तासीर गर्म होती है और ये दोनों शरीर को स्वस्थ रखने, मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्म तासीर होने के कारण सर्दियों में तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। आइए, इस बार जानें छुहारा और खजूर के फायदे के बारे में-

-खजूर में छुहारे से ज्यादा पौष्टिकता होती है। खजूर मिलता भी सर्दी में ही है। अगर पाचन शक्ति अच्छी हो तो खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद है। छुहारे का सेवन तो सालभर किया जा सकता है, क्योंकि यह सूखा फल बाजार में सालभर मिलता है।

- छुहारा यानी सूखा हुआ खजूर आमाशय को बल प्रदान करता है।

- छुहारे की तासीर गर्म होने से ठंड के दिनों में इसका सेवन नाड़ी के दर्द में भी आराम देता है।

- छुहारा खुश्क फलों में गिना जाता है, जिसके प्रयोग से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। शरीर को शक्ति देने के लिए मेवों के साथ छुहारे का प्रयोग खासतौर पर किया जाता है।

- छुहारे व खजूर दिल को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शरीर में रक्त वृद्धि करते हैं।

- साइटिका रोग से पीड़ित लोगों को इससे विशेष लाभ होता है।

- खजूर के सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है।

-लकवा और सीने के दर्द की शिकायत को दूर करने में भी खजूर सहायता करता है।

-भूख बढ़ाने के लिए छुहारे का गूदा निकाल कर दूध में पकाएं। उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है।

-प्रदर रोग स्त्रियों की बड़ी बीमारी है। छुआरे की गुठलियों को कूट कर घी में तल कर, गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दूर हो जाता है।

-छुहारे को पानी में भिगो दें। गल जाने पर इन्हें हाथ से मसल दें। इस पानी का कुछ दिन प्रयोग करें, शारीरिक जलन दूर होगी।

-अगर आप पतले हैं और थोड़ा मोटा होना चाहते हैं तो छुहारा आपके लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें।

-जुकाम से परेशान रहते हैं तो एक गिलास दूध में पांच दाने खजूर डालें। पांच दाने काली मिर्च, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डाल कर रात में पी लें। सर्दी-जुकाम बिल्कुल ठीक हो जाएगा।

-दमा की शिकायत है तो दो-दो छुहारे सुबह-शाम चबा-चबा कर खाएं। इससे कफ व सर्दी से मुक्ति मिलती है।

-घाव है तो छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर घिस कर उसका लेप घाव पर लगाएं,घाव तुरंत भर जाएगा।

-अगर शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं तो तीन महीने तक छुहारे का सेवन आपको समस्या से मुक्ति दिला देगा। इसके लिए प्रात: खाली पेट दो छुहारे टोपी समेत दो सप्ताह तक खूब चबा-चबाकर खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन छुहारे खाएं और चौथे सप्ताह से 12वें सप्ताह तक चार-चार छुहारों का रोज सेवन करें। इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी (विभा मित्तल,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.11)।
खजूर की चटनी
विधि :
खजूर के बीच में से गुठली निकाल दें, धोकर इसमें एक कप पानी डाल दें। 2 घंटे के लिए भीगने दें।

5 मिनट के लिए पकाये और ब्लेंडर में बारीक पीस लें। अब इसमें लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें, खजूर की चटनी तैयार है।

सामग्री :
200 ग्राम खजूर, 100 ग्राम इमली, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, 1/2 टी स्पून भुना जीरा पाउडर, 1/4 टी स्पून काला नमक, नमक स्वादानुसार।

कितने लोगों के लिए : 6
अति लाभकारी है खजूर
शीतकाल में खजूर सबसे अधिक लोकप्रिय मेवा माना जाता है। घर घर में प्रयोग किया जाने वाला यह खाद्य फल है, जिसे अमीरगरीब ब़डे चाव से खाते हैं। होली के पर्व पर इसकी खूब मनुहार चलती है। खजूर रेगिस्तानी सूखे प्रदेश का फल है। प्रकृति की यह अनुपम देन खास ऐसे प्रदेशों के लिए ही है, जहां जिन्दगी ब़डी कठिन होती है और जहां बरसात या पीने के पानी की कमी होती है। इसके प़ेड हमें जीवन से ल़डना सिखाते हैं, इसीलिए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रेगिस्तानी इलाकों में ही होता है। सूखे खजूर को छुहारा या खारकी कहते हैं। पिंड खजूर भी इसका दूसरा नाम है।

खजूर ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदेशों में आम की तरह खजूर भी रस भरे होते हैं, पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं। सूखे किस्म की खजूर को पूरा सुखाया जाता है। इसके टुक़डों को मुखवास व खटाई में पचाकर तथा साग बनाकर भी खाया जाता है। अरब लोगों के लिए खजूर लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है और वे रोज इसे थ़ोडा बहुत खाते ही हैं।

खाने के अलावा अन्य मिष्ठान्न व बेकरी में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका मुरब्बा, अचार व साग भी बनता है। खजूर से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और यह शहद दस्त, कफ मिटाकर कई शारीरिक प़ीडाआें को दूर करता है। श्वास की बीमारी में इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है। इससे पाचन शक्ति ब़ढती है तथा यह ठंडे या शीत गुणधर्म वाला फल माना जाता है।

सौ ग्राम खजूर में ०४ ग्राम चर्बी, १ २ ग्राम प्रोटीन, ३३८ ग्राम कार्बोदित पदार्थ, २२ मिली ग्राम कैल्शियम, ३८ मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होती है। विटामिन ए बी सी, प्रोटीन, लौह तत्व, पोटेशियम और सोडियम जैसे तत्व मौजूद रहते हैं। बच्चों से लेकर ब़ूढे, बीमार और स्वस्थ सभी इसे खा सकते है।

खजूर खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, क्योंकि प़ेड पर खुले में पकते हैं तथा बाजार में रेहडी वाले बिना ढके बेचते हैं, जिस पर मक्खी मच्छर बैठने का अंदेशा रहता है। आजकल खजूर छोटी पैकिंगों में भी मिलते हैं। वे दुकानदार स्वयं पोलीथीन में पैक कर अपनी दुकान का नाम लगा देते हैं। वे इतने साफ नहीं होते। वैज्ञानिक ढंग से पैक किए खजूर ही खाने चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार १०० ग्राम से अधिक खजूर नहीं खाने चाहिए। इससे पाचन शक्ति खराब होने का भय रहता है। अगर कोई बहुत ही दुबला पतला हो, तो खजूर खाकर दूध पीने से उसका वजन भी ब़ढ जाता है। यद्यपि खजूर हर प्रकार से गुणकारक है, परन्तु इसमें विरोधाभास भी पाया जाता है। शीतकाल में जो इसे खाते हैं, वे इसे गरम मानते हैं। आयुर्वेद ग्रंथों में इसे शीतल गुण वाला माना है, इसलिए गरम तासीर वालों को यह खूब उपयोगी व माफिक आता है। ठंडा आहार जिनके शरीर के अनुरूप नहीं होता, उन्हें खजूर नहीं खाना चाहिए।

कुछ लोग घी में रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं। ये अति ठंडा होता है। जिन्हें खजूर न पचता हो, उन्हें नहीं खाना चाहिए। यह वायु प्रकोप को मिटाता है, पित्तनाशक है। पित्त वालों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है। यह मीठा स्निग्ध होने से थ़ोडे प्रमाण में पित्त करता है, परन्तु ग़ुड, शक्कर, केले व अन्य मिठाइयों से कम पित्त करता है। कफ के रोगी को चने के दलिये (भुने हुए चने) के साथ खाना चाहिए। धनिए के साथ खाने से कफ का नाश होता है।

यह औषधि का काम तो करता ही है, व्रण, लौह विकार, मूर्च्छा, नशा च़ढना, क्षय रोग, वार्धक्य, कमजोरी, गरमी वगैरह के साथ कमजोर मस्तिष्क वालों के लिए भी यह दवा का काम करता है। खजूर मांसवर्धक होने के कारण शाकाहारी लोगों की अच्छी खुराक माना जाता है। यह भी माना जाता है कि खजूर को दूध में उबाल कर उस दूध को पीने से नुकसानदायक होता है, इसलिए खजूर खाने व दूध पीने के बीच २३ घंटों का अंतर रखना चाहिए।

बच्चों को पूरा खजूर न देकर उसकी गुठली निकाल टुक़डे कर खिलाना चाहिए। खजूर एक तरह से अमृत के समान है। यह आंखों की ज्योति व याददाश्त भी ब़ढाता है। दांतों से लहू निकले या मसूडे खराब हों, तो यह दवा का काम करता है। इसके खाने से बाल कम झ़डते हैं। खजूर व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपम देने हैं, इसलिए खूब खाएं व खूब खिलाएं।-गुलाब चन्द कोट़डया, Swatantra Vaartha Tue, 21 Sep 2010, IST, अति लाभकारी है खजूर

ख़ास-उल-ख़ास खजूर
क्या आप जानते हैं?

खजूर का पेड़ विश्व के सबसे सुन्दर सजावटी पेड़ों में से एक माना जाता है और इसे सड़कों राजमार्गो और मुख्य रास्तों पर शोभा के लिए भी लगाया जाता है।

अरबी देशों में खजूर की व्यवस्थित रूप से खेती के प्रमाण ईसा से ३००० वर्ष पूर्व के हैं।

चार खजूरों में लगभग २३० कैलोरी, २ ग्राम प्रोटीन, ६२ ग्राम कार्बोहाइड्रेट, ५७० मिली ग्राम पोटेशियम और ६ खाद्य रेशे होते हैं साथ ही इसमें कोलेस्ट्राल और वसा की मात्रा बिलकुल नहीं होती इस कारण यह एक आदर्श फल माना जाता है।

खजूर विश्व के सबसे पौष्टिक फलों में से एक है। सदियों से यह मध्यपूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानी इलाकों का प्रमुख भोजन बना हुआ है क्योंकि वहाँ इसके सिवा और कुछ उत्पन्न नहीं होता। यह ताज़ा और सूखा, दोनों तरह के फलों में गिना जा सकता है। पेड़ पर पके खजूर ज़्यादा स्वादिष्ट होते हैं। लेकिन जल्दी खराब हो जाने की वजह से इसे धूप में सुखाया जाता है। सूखे हुए खजूर का वजन करीब ३५ प्रतिशत कम हो जाता है। ताज़े खजूर के मुकाबले सूखे खजूर में रेशों की मात्रा अधिक होती है।

खजूर में पौष्टिक तत्व काफी मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के रूप में नैसर्गिक शक्कर हमारे शरीर को मिलती है। इस तरह की शक्कर शरीर में शोषण के लिए तैयार रहती है, इसलिए यह आम शक्कर से अच्छी होती है। रमज़ान के पवित्र महिने में खजूर खा कर ही उपवास की समाप्ति की जाती है।

खजूर अपने आप में एक टॉनिक भी है। खजूर के साथ उबला हुआ दूध पीने से ताकत मिलती है। खजूर को रात भर पानी में भीगो कर रखिये। फिर इसी में थोड़ा मसल कर उसका बीज निकाल दीजिए। यह हफ्ते में कम से कम दो बार सुबह लेने से अपने दिल को मजबूती मिलती है। यदि कब्ज की शिकायत है तो रात भर भीगाया हुआ खजूर सुबह महीन पीस कर लेने से यह शिकायत दूर हो सकती है। बकरी के दूध में खजूर को रात भर भीगो कर रखिए। सुबह इसी में पीस कर थोड़ी दालचिनी पावडर और शहद मिलाइए। इसके सेवन से बांझपन दूर हो सकता है।

खजूर के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है। इसकी पत्तियाँ और तना घर के लिए लकड़ी बाड़ और कपड़े बनाने के काम आते हैं। पत्तियों से रस्सी, सूत और धागे बनाए जाते हैं जिनके प्रयोग से सुंदर टोकरियों और फर्नीचरों का निर्माण होता है। फल की डंडियों और पत्तियों के मूल हिस्से इंधन के काम आते हैं।

खजूर से अनेक खाद्यपदार्थों का निर्माण होता है जिनमें सिरका, तरह-तरह की मीठी चटनियाँ और अचार प्रमुख हैं। अनेक प्रकार के बेकरी उत्पादों के लिए इसके गूदे का प्रयोग होता है। अरबी व्यंजन कानुआ और भुने हुए खजूर के बीज सारे अरबी समाज में लोकप्रिय हैं। यहाँ तक कि इसकी कोपलों को शाकाहारी सलाद में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक समझा जाता है।

विश्व भोजन एवम कृषि संस्थान के अनुसार विश्व में लगभग ९ करोड़ खजूर के वृक्ष हैं। हर खजूर का जीवन एक सौ सालों से अधिक होता है। इनमें से साढ़े छे करोड़ खजूर के वृक्ष केवल अरब देशों में हैं जिनसे प्रतिवर्ष २ करोड़ टन खजूर के फल हमें प्राप्त होते है। खजूर का फल चार-पाँच साल में फलना प्रारंभ हो जाता है और दस बारह सार में पूरी उत्पादन क्षमता पा लेता है।

खजूर की ऊपरी सतह चिकनी होने से धूल मिट्टी बैठने की संभावना होती है। इसलिए खजूर खरीदते समय सही पैकिंग वाला ही खरीदना चाहिए और प्रयोग में लाने से पहले साफ़ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।

सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ
सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ : खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है। वात-पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है। यह मल व मूत्र को साफ लाता है। खजूर में कार्बोहाईड्रेटस, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पौटैशियम, लौह, मैग्नेशियम, फास्फोरस आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।

खजूर के उपयोग : मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।

मलावरोधः रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।

कृशताः खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।

रक्ताल्पताः खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।

शुक्राल्पता : खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।

नशे का जहर : किसी को नशा करने से शरीर में हानी हो गयी है ... नशे का जहर शरीर मै है...हॉस्पिटल मै भर्ती होने की नौबत आ रही हो ...ऐसे लोग भी खजूर के द्वारा जहर कों भगा कर स्वास्थ्य पा सकते है

5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगोकर सुबह खायें। बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त हैं। दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है।

होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।


पोषक तत्वों से भरपूर खजूर::
प्रकृति ने मनुष्य को यूं तो बहुत कुछ दिया है पर हम प्रकृति की दी हुई इस अनमोल सम्पदा को ठीक प्रकार से उपयोग करना नहीं जानते। सर्दियों की मेवा के रूप में प्रकृति ने हमें बहुत सी चीजें दी हैं, जिनमें खजूर की मिठास का भी प्रमुख स्थान रहा है। यह दिल, दिमाग, कमर दर्द तथा आंखों की कमजोरी के लिए बहुत गुणकारी है। खजूर खाने से शरीर की आवश्यक धातुओं को बल मिलता है। यह छाती में एकत्रित कफ को निकालता है।

खजूर में 60 से 70 प्रतिशत तक शर्करा होती है, जो गन्ने की चीनी की अपेक्षा बहुत पौष्टिक व गुणकारी वस्तु है। खाने में तो खजूर बहुत स्वादिष्ट होती ही है, सेहत की दृष्टि से भी यह बहुत गुणकारी है। इसके अलावा विभिन्न बीमारियों में भी खजूर का सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है। डालते हैं, खजूर के गुणों पर एक नजर :

कमजोरी : खजूर 200 ग्राम, चिलगोजा गिरी 60 ग्राम, बादाम गिरी 60 ग्राम, काले चनों का चूर्ण 240 ग्राम, गाय का घी 500 ग्राम, दूध दो लीटर और चीनी या गुड़ 500 ग्राम। इन सबका पाक बनाकर 50 ग्राम प्रतिदिन गाय के दूध के साथ खाने से हर प्रकार की शारीरिक वं मानसिक कमजोरी दूर होती है।

बिस्तर पर पेशाब : छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से लाभ होगा। छुहारे वाला दूध भी लाभकारी है। यदि बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं। यह मसानों को शक्ति पहुंचाते हैं।

मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।

दांतों का गलना : छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।

रक्तचाप : कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।

कब्ज : सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।

मधुमेह : मधुनेह के रोगी जिनके लिए मिठाई, चीनी इत्यादि वर्जित है, सीमित मात्रा में खजूर का इस्तेमाल कर सकते हैं। खजूर में वह अवगुण नहीं है, जो गन्ने वाली चीनी में पाए जाते हैं।

पुराने घाव : पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।

आंखों के रोग : खजूर की गुठली का सुरमा आंखों में डालने से आंखों के रोग दूर होते हैं।

खांसी : छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी और बलगम में राहत मिलती है।

जुएं : खजूर की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं।
छुहारा और खजूर ::

छुहारा और खजूर एक ही पेड़ की देन है। इन दोनों की तासीर गर्म होती है और ये दोनों शरीर को स्वस्थ रखने, मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्म तासीर होने के कारण सर्दियों में तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। आइए, इस बार जानें छुहारा और खजूर के फायदे के बारे में-

-खजूर में छुहारे से ज्यादा पौष्टिकता होती है। खजूर मिलता भी सर्दी में ही है। अगर पाचन शक्ति अच्छी हो तो खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद है। छुहारे का सेवन तो सालभर किया जा सकता है, क्योंकि यह सूखा फल बाजार में सालभर मिलता है।

- छुहारा यानी सूखा हुआ खजूर आमाशय को बल प्रदान करता है। 

- छुहारे की तासीर गर्म होने से ठंड के दिनों में इसका सेवन नाड़ी के दर्द में भी आराम देता है। 

- छुहारा खुश्क फलों में गिना जाता है, जिसके प्रयोग से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। शरीर को शक्ति देने के लिए मेवों के साथ छुहारे का प्रयोग खासतौर पर किया जाता है। 

- छुहारे व खजूर दिल को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शरीर में रक्त वृद्धि करते हैं। 

- साइटिका रोग से पीड़ित लोगों को इससे विशेष लाभ होता है। 

- खजूर के सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है। 

-लकवा और सीने के दर्द की शिकायत को दूर करने में भी खजूर सहायता करता है। 

-भूख बढ़ाने के लिए छुहारे का गूदा निकाल कर दूध में पकाएं। उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है। 

-प्रदर रोग स्त्रियों की बड़ी बीमारी है। छुआरे की गुठलियों को कूट कर घी में तल कर, गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दूर हो जाता है। 

-छुहारे को पानी में भिगो दें। गल जाने पर इन्हें हाथ से मसल दें। इस पानी का कुछ दिन प्रयोग करें, शारीरिक जलन दूर होगी। 

-अगर आप पतले हैं और थोड़ा मोटा होना चाहते हैं तो छुहारा आपके लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें। 

-जुकाम से परेशान रहते हैं तो एक गिलास दूध में पांच दाने खजूर डालें। पांच दाने काली मिर्च, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डाल कर रात में पी लें। सर्दी-जुकाम बिल्कुल ठीक हो जाएगा। 

-दमा की शिकायत है तो दो-दो छुहारे सुबह-शाम चबा-चबा कर खाएं। इससे कफ व सर्दी से मुक्ति मिलती है। 

-घाव है तो छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर घिस कर उसका लेप घाव पर लगाएं,घाव तुरंत भर जाएगा। 

-अगर शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं तो तीन महीने तक छुहारे का सेवन आपको समस्या से मुक्ति दिला देगा। इसके लिए प्रात: खाली पेट दो छुहारे टोपी समेत दो सप्ताह तक खूब चबा-चबाकर खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन छुहारे खाएं और चौथे सप्ताह से 12वें सप्ताह तक चार-चार छुहारों का रोज सेवन करें। इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी (विभा मित्तल,हिंदुस्तान,दिल्ली,23.11.11)।
खजूर की चटनी
विधि :
खजूर के बीच में से गुठली निकाल दें, धोकर इसमें एक कप पानी डाल दें। 2 घंटे के लिए भीगने दें।

5 मिनट के लिए पकाये और ब्लेंडर में बारीक पीस लें। अब इसमें लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें, खजूर की चटनी तैयार है।

सामग्री :
200 ग्राम खजूर, 100 ग्राम इमली, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, 1/2 टी स्पून भुना जीरा पाउडर, 1/4 टी स्पून काला नमक, नमक स्वादानुसार।

कितने लोगों के लिए : 6
अति लाभकारी है खजूर
शीतकाल में खजूर सबसे अधिक लोकप्रिय मेवा माना जाता है। घर घर में प्रयोग किया जाने वाला यह खाद्य फल है, जिसे अमीरगरीब ब़डे चाव से खाते हैं। होली के पर्व पर इसकी खूब मनुहार चलती है। खजूर रेगिस्तानी सूखे प्रदेश का फल है। प्रकृति की यह अनुपम देन खास ऐसे प्रदेशों के लिए ही है, जहां जिन्दगी ब़डी कठिन होती है और जहां बरसात या पीने के पानी की कमी होती है। इसके प़ेड हमें जीवन से ल़डना सिखाते हैं, इसीलिए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रेगिस्तानी इलाकों में ही होता है। सूखे खजूर को छुहारा या खारकी कहते हैं। पिंड खजूर भी इसका दूसरा नाम है।

खजूर ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदेशों में आम की तरह खजूर भी रस भरे होते हैं, पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं। सूखे किस्म की खजूर को पूरा सुखाया जाता है। इसके टुक़डों को मुखवास व खटाई में पचाकर तथा साग बनाकर भी खाया जाता है। अरब लोगों के लिए खजूर लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है और वे रोज इसे थ़ोडा बहुत खाते ही हैं।

खाने के अलावा अन्य मिष्ठान्न व बेकरी में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका मुरब्बा, अचार व साग भी बनता है। खजूर से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और यह शहद दस्त, कफ मिटाकर कई शारीरिक प़ीडाआें को दूर करता है। श्वास की बीमारी में इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है। इससे पाचन शक्ति ब़ढती है तथा यह ठंडे या शीत गुणधर्म वाला फल माना जाता है।

सौ ग्राम खजूर में ०४ ग्राम चर्बी, १ २ ग्राम प्रोटीन, ३३८ ग्राम कार्बोदित पदार्थ, २२ मिली ग्राम कैल्शियम, ३८ मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होती है। विटामिन ए बी सी, प्रोटीन, लौह तत्व, पोटेशियम और सोडियम जैसे तत्व मौजूद रहते हैं। बच्चों से लेकर ब़ूढे, बीमार और स्वस्थ सभी इसे खा सकते है।

खजूर खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, क्योंकि प़ेड पर खुले में पकते हैं तथा बाजार में रेहडी वाले बिना ढके बेचते हैं, जिस पर मक्खी मच्छर बैठने का अंदेशा रहता है। आजकल खजूर छोटी पैकिंगों में भी मिलते हैं। वे दुकानदार स्वयं पोलीथीन में पैक कर अपनी दुकान का नाम लगा देते हैं। वे इतने साफ नहीं होते। वैज्ञानिक ढंग से पैक किए खजूर ही खाने चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार १०० ग्राम से अधिक खजूर नहीं खाने चाहिए। इससे पाचन शक्ति खराब होने का भय रहता है। अगर कोई बहुत ही दुबला पतला हो, तो खजूर खाकर दूध पीने से उसका वजन भी ब़ढ जाता है। यद्यपि खजूर हर प्रकार से गुणकारक है, परन्तु इसमें विरोधाभास भी पाया जाता है। शीतकाल में जो इसे खाते हैं, वे इसे गरम मानते हैं। आयुर्वेद ग्रंथों में इसे शीतल गुण वाला माना है, इसलिए गरम तासीर वालों को यह खूब उपयोगी व माफिक आता है। ठंडा आहार जिनके शरीर के अनुरूप नहीं होता, उन्हें खजूर नहीं खाना चाहिए।

कुछ लोग घी में रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं। ये अति ठंडा होता है। जिन्हें खजूर न पचता हो, उन्हें नहीं खाना चाहिए। यह वायु प्रकोप को मिटाता है, पित्तनाशक है। पित्त वालों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है। यह मीठा स्निग्ध होने से थ़ोडे प्रमाण में पित्त करता है, परन्तु ग़ुड, शक्कर, केले व अन्य मिठाइयों से कम पित्त करता है। कफ के रोगी को चने के दलिये (भुने हुए चने) के साथ खाना चाहिए। धनिए के साथ खाने से कफ का नाश होता है।

यह औषधि का काम तो करता ही है, व्रण, लौह विकार, मूर्च्छा, नशा च़ढना, क्षय रोग, वार्धक्य, कमजोरी, गरमी वगैरह के साथ कमजोर मस्तिष्क वालों के लिए भी यह दवा का काम करता है। खजूर मांसवर्धक होने के कारण शाकाहारी लोगों की अच्छी खुराक माना जाता है। यह भी माना जाता है कि खजूर को दूध में उबाल कर उस दूध को पीने से नुकसानदायक होता है, इसलिए खजूर खाने व दूध पीने के बीच २३ घंटों का अंतर रखना चाहिए।

बच्चों को पूरा खजूर न देकर उसकी गुठली निकाल टुक़डे कर खिलाना चाहिए। खजूर एक तरह से अमृत के समान है। यह आंखों की ज्योति व याददाश्त भी ब़ढाता है। दांतों से लहू निकले या मसूडे खराब हों, तो यह दवा का काम करता है। इसके खाने से बाल कम झ़डते हैं। खजूर व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपम देने हैं, इसलिए खूब खाएं व खूब खिलाएं।-गुलाब चन्द कोट़डया, Swatantra Vaartha Tue, 21 Sep 2010, IST, अति लाभकारी है खजूर

ख़ास-उल-ख़ास खजूर
क्या आप जानते हैं?

खजूर का पेड़ विश्व के सबसे सुन्दर सजावटी पेड़ों में से एक माना जाता है और इसे सड़कों राजमार्गो और मुख्य रास्तों पर शोभा के लिए भी लगाया जाता है।

अरबी देशों में खजूर की व्यवस्थित रूप से खेती के प्रमाण ईसा से ३००० वर्ष पूर्व के हैं।

चार खजूरों में लगभग २३० कैलोरी, २ ग्राम प्रोटीन, ६२ ग्राम कार्बोहाइड्रेट, ५७० मिली ग्राम पोटेशियम और ६ खाद्य रेशे होते हैं साथ ही इसमें कोलेस्ट्राल और वसा की मात्रा बिलकुल नहीं होती इस कारण यह एक आदर्श फल माना जाता है।

खजूर विश्व के सबसे पौष्टिक फलों में से एक है। सदियों से यह मध्यपूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानी इलाकों का प्रमुख भोजन बना हुआ है क्योंकि वहाँ इसके सिवा और कुछ उत्पन्न नहीं होता। यह ताज़ा और सूखा, दोनों तरह के फलों में गिना जा सकता है। पेड़ पर पके खजूर ज़्यादा स्वादिष्ट होते हैं। लेकिन जल्दी खराब हो जाने की वजह से इसे धूप में सुखाया जाता है। सूखे हुए खजूर का वजन करीब ३५ प्रतिशत कम हो जाता है। ताज़े खजूर के मुकाबले सूखे खजूर में रेशों की मात्रा अधिक होती है।

खजूर में पौष्टिक तत्व काफी मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के रूप में नैसर्गिक शक्कर हमारे शरीर को मिलती है। इस तरह की शक्कर शरीर में शोषण के लिए तैयार रहती है, इसलिए यह आम शक्कर से अच्छी होती है। रमज़ान के पवित्र महिने में खजूर खा कर ही उपवास की समाप्ति की जाती है।

खजूर अपने आप में एक टॉनिक भी है। खजूर के साथ उबला हुआ दूध पीने से ताकत मिलती है। खजूर को रात भर पानी में भीगो कर रखिये। फिर इसी में थोड़ा मसल कर उसका बीज निकाल दीजिए। यह हफ्ते में कम से कम दो बार सुबह लेने से अपने दिल को मजबूती मिलती है। यदि कब्ज की शिकायत है तो रात भर भीगाया हुआ खजूर सुबह महीन पीस कर लेने से यह शिकायत दूर हो सकती है। बकरी के दूध में खजूर को रात भर भीगो कर रखिए। सुबह इसी में पीस कर थोड़ी दालचिनी पावडर और शहद मिलाइए। इसके सेवन से बांझपन दूर हो सकता है।

खजूर के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है। इसकी पत्तियाँ और तना घर के लिए लकड़ी बाड़ और कपड़े बनाने के काम आते हैं। पत्तियों से रस्सी, सूत और धागे बनाए जाते हैं जिनके प्रयोग से सुंदर टोकरियों और फर्नीचरों का निर्माण होता है। फल की डंडियों और पत्तियों के मूल हिस्से इंधन के काम आते हैं।

खजूर से अनेक खाद्यपदार्थों का निर्माण होता है जिनमें सिरका, तरह-तरह की मीठी चटनियाँ और अचार प्रमुख हैं। अनेक प्रकार के बेकरी उत्पादों के लिए इसके गूदे का प्रयोग होता है। अरबी व्यंजन कानुआ और भुने हुए खजूर के बीज सारे अरबी समाज में लोकप्रिय हैं। यहाँ तक कि इसकी कोपलों को शाकाहारी सलाद में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक समझा जाता है।

विश्व भोजन एवम कृषि संस्थान के अनुसार विश्व में लगभग ९ करोड़ खजूर के वृक्ष हैं। हर खजूर का जीवन एक सौ सालों से अधिक होता है। इनमें से साढ़े छे करोड़ खजूर के वृक्ष केवल अरब देशों में हैं जिनसे प्रतिवर्ष २ करोड़ टन खजूर के फल हमें प्राप्त होते है। खजूर का फल चार-पाँच साल में फलना प्रारंभ हो जाता है और दस बारह सार में पूरी उत्पादन क्षमता पा लेता है।

खजूर की ऊपरी सतह चिकनी होने से धूल मिट्टी बैठने की संभावना होती है। इसलिए खजूर खरीदते समय सही पैकिंग वाला ही खरीदना चाहिए और प्रयोग में लाने से पहले साफ़ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।

सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ
सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ : खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है। वात-पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है। यह मल व मूत्र को साफ लाता है। खजूर में कार्बोहाईड्रेटस, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पौटैशियम, लौह, मैग्नेशियम, फास्फोरस आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।

खजूर के उपयोग : मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।

मलावरोधः रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।

कृशताः खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।

रक्ताल्पताः खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।

शुक्राल्पता : खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।

नशे का जहर : किसी को नशा करने से शरीर में हानी हो गयी है ... नशे का जहर शरीर मै है...हॉस्पिटल मै भर्ती होने की नौबत आ रही हो ...ऐसे लोग भी खजूर के द्वारा जहर कों भगा कर स्वास्थ्य पा सकते है

5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगोकर सुबह खायें। बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त हैं। दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है।

होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।


पोषक तत्वों से भरपूर खजूर::
प्रकृति ने मनुष्य को यूं तो बहुत कुछ दिया है पर हम प्रकृति की दी हुई इस अनमोल सम्पदा को ठीक प्रकार से उपयोग करना नहीं जानते। सर्दियों की मेवा के रूप में प्रकृति ने हमें बहुत सी चीजें दी हैं, जिनमें खजूर की मिठास का भी प्रमुख स्थान रहा है। यह दिल, दिमाग, कमर दर्द तथा आंखों की कमजोरी के लिए बहुत गुणकारी है। खजूर खाने से शरीर की आवश्यक धातुओं को बल मिलता है। यह छाती में एकत्रित कफ को निकालता है।

खजूर में 60 से 70 प्रतिशत तक शर्करा होती है, जो गन्ने की चीनी की अपेक्षा बहुत पौष्टिक व गुणकारी वस्तु है। खाने में तो खजूर बहुत स्वादिष्ट होती ही है, सेहत की दृष्टि से भी यह बहुत गुणकारी है। इसके अलावा विभिन्न बीमारियों में भी खजूर का सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है। डालते हैं, खजूर के गुणों पर एक नजर :

कमजोरी : खजूर 200 ग्राम, चिलगोजा गिरी 60 ग्राम, बादाम गिरी 60 ग्राम, काले चनों का चूर्ण 240 ग्राम, गाय का घी 500 ग्राम, दूध दो लीटर और चीनी या गुड़ 500 ग्राम। इन सबका पाक बनाकर 50 ग्राम प्रतिदिन गाय के दूध के साथ खाने से हर प्रकार की शारीरिक वं मानसिक कमजोरी दूर होती है।

बिस्तर पर पेशाब : छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से लाभ होगा। छुहारे वाला दूध भी लाभकारी है। यदि बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं। यह मसानों को शक्ति पहुंचाते हैं।

मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।

दांतों का गलना : छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।

रक्तचाप : कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।

कब्ज : सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।

मधुमेह : मधुनेह के रोगी जिनके लिए मिठाई, चीनी इत्यादि वर्जित है, सीमित मात्रा में खजूर का इस्तेमाल कर सकते हैं। खजूर में वह अवगुण नहीं है, जो गन्ने वाली चीनी में पाए जाते हैं।

पुराने घाव : पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।

आंखों के रोग : खजूर की गुठली का सुरमा आंखों में डालने से आंखों के रोग दूर होते हैं।

खांसी : छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी और बलगम में राहत मिलती है।

जुएं : खजूर की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं।

कच्ची हल्दी का अचार - Fresh Turmeric Pickle - Kachi Haldi Achar Recipe

कच्ची हल्दी का अचार - Fresh Turmeric Pickle - Kachi Haldi Achar Recipe

कच्ची हल्दी का अचार खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है इसमें अनेकों औषधीय गुण भी हैं. स्वाद में एकदम तीखा हल्दी का अचार की बस एक चौथाई चम्मच आपके खाने को एक नया स्वाद देगी.

आवश्यक सामग्री - Ingredients for Turmeric Pickle


कच्ची हल्दी - 250 ग्राम (कद्दूकस की हुई एक कप)
सरसों का तेल - 100 ग्राम (आधा कप)
नमक - 2 1/2 छोटी चम्मच
लाल मिर्च - आधा छोटी चम्मच
दाना मैथी - 2 1/2छोटी चम्मच दरदरी पिसी
सरसों पाउडर - 2 1/2 छोटी चम्मच
अदरक पाउडर - 1 छोटी चम्मच
हींग - 2-3 पिंच
नीबू - 250 ग्राम ( 1/2 कप का रस)

विधि - How to make haldi pickle
हल्दी को छीलिये और धोकर पानी सुखाने के लिये थोड़ी देर के लिये धूप में रख दीजिये या सूती कपड़े से पोंछ कर पानी हटा दीजिये.

अब इस छिली हल्दी को कद्दूकस कर लीजिये या बारीक काट लीजिये. चूंकि हल्दी का अचार एकदम कम मात्रा में खाया जाता है इसलिये छोटे टुकडों के अचार के बजाय कद्दूदक की गई हल्दी का अचार अधिक सुविधाजनक होता है.

सरसों का तेल कढ़ाई में डाल कर अच्छी तरह गरम करके, थोड़ा सा ठंडा कर लीजिये, तेल में हींग, मैथी और सारे मसाले और कद्दूकस की गई हल्दी डाल कर अच्छी तरह मिलाइये.

हल्दी के अचार को प्याले में निकालिये और अचार में नीबू का रस डालकर अच्छी तरह मिलाकर हल्दी के अचार को ढककर रख दीजिये. 4-5 घंटे बाद अचार चमचे से फिर से ऊपर नीचे करके मिला दीजिये.

हल्दी का अचार बन चुका है, हल्दी के अचार को एकदम सूखे कांच या चीनी मिट्टी के कन्टेनर में भर कर रख लीजिये, सम्भव हो तो अचार के कन्टेनर को 2 दिन धूप में रख दें, धूप में रखने से अचार की सैल्फ लाइफ बढ़ जाती है और अचार स्वादिष्ट भी हो जाते हैं.

हल्दी का अचार (Turmeric Pickle) यदि तेल में डुबा हुआ रखा हो तब यह अचार 6 महिने से भी ज्यादा अच्छा रहेगा.

सावधानी:
अचार को निकालते समय हमेशा साफ और सूखी चम्मच प्रयोग में लाइये.

भगवान भास्‍कर की उपासना का महापर्व है छठ।



भगवान भास्‍कर की उपासना का महापर्व है छठ। मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है।
छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं; उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुएमें हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा । तब उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया । लोकपरंपरा के अनुसार सूर्य देव और छठी मइया का संबंध भाई-बहन का ह
ै। लोक मातृ का षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी।
कैसे मनाते हैं छठ
यह त्‍योहार चार दिनों तक चलता है। भैयादूज के तीसरे दिन से इसकी शुरुआत होती है। पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दूकी सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। अगले दिन से उपवास की शुरुआत होती है। इस दिन रात में खीर बनायी जाती है। व्रतधारी रात में यह प्रसाद लेते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। इस पूजा में पवित्रता को काफी महत्‍ता दी जाती है। इन दिनों लहसून और प्याज का सेवन वर्जित है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं पूजा की तैयारी के लिए लोग मिलकर पूरे रास्ते की सफाई करते हैं।

छठ पर्व का उत्‍साह

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला महापर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान कई लोग 36 घंटे का कठिन व्रत रखते हैं और दौरान अन्‍न-जल भी ग्रहण नहीं करते।

नहाय खाय

पहला दिन कार्तिक शुक्ल चतुर्थी ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले घर की सफाई कर उसे पवित्र बना लिया जाता है। इसके पश्चात छठव्रती स्नान कर पवित्र तरीके से बने शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करते हैं। घर के सभी सदस्य व्रती के भोजनोपरांत ही भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन के रूप में कद्दू-दाल और चावल ग्रहण किया जाता है। यह दाल चने की होती है।

लोहंडा और खरना

दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिन भर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं। इसे ‘खरना’ कहा जाता है। खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है। प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।

शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नीयत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।

उषा अर्घ्य

चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। ब्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।

पुराणिक मान्‍यता

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

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