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रविवार, 25 नवंबर 2012

तुलसी विवाह

 तुलसी विवाह


आज देवोत्थान एकादशी के दिन मनाया जाने वाला तुलसी विवाह विशुद्ध मांगलिक और आध्यात्मिक प्रसंग है। देवता जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। तुलसी विवाह का सीधा अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान का आहावान। कार्तिक, शुक्ल पक्ष, एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव मनाया जाता है। वैसे तो तुलसी विवाह के लिए कार्तिक, शुक्ल पक्ष, नवमी की तिथि ठीक है, परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन कर पाँचवें दिन तुलसी विवाह करते हैं। आयोजन बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसे हिन्दू रीति-रिवाज से सामान्य वर-वधु का विवाह किया जाता है।
मंडप, वर पूजा, कन्यादान, हवन और फिर प्रीतिभोज, सब कुछ पारम्परिक रीति-रिवाजों के साथ निभाया जाता है। इस विवाह में शालिग्राम वर और तुलसी कन्या की भूमिका में होती है। यह सारा आयोजन यजमान सपत्नीक मिलकर करते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे को यानी लड़की को लाल चुनरी-ओढ़नी ओढ़ाई जाती है। तुलसी विवाह में सोलह श्रृंगार के सभी सामान चढ़ावे के लिए रखे जाते हैं। शालिग्राम को दोनों हाथों में लेकर यजमान लड़के के रूप में यानी भगवान विष्णु के रूप में और यजमान की पत्नी तुलसी के पौधे को दोनों हाथों में लेकर अग्नि के फेरे लेते हैं। विवाह के पश्चात प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है। कार्तिक मास में स्नान करने वाले स्त्रियाँ भी कार्तिक शुक्ल एकादशी को शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती है। समस्त विधि विधान पूर्वक गाजे बाजे के साथ एक सुन्दर मण्डप के नीचे यह कार्य सम्पन्न होता है विवाह के स्त्रियाँ गीत तथा भजन गाती है ।
मगन भई तुलसी राम गुन गाइके मगन भई तुलसी।
सब कोऊ चली डोली पालकी रथ जुडवाये के।।
साधु चले पाँय पैया, चीटी सो बचाई के।
मगन भई तुलसी राम गुन गाइके।।

कैसे करें तुलसी विवाह::
कई दंपतियों को अपने जीवनसाथी को हर जन्म में पति-पत्नी के रूप में पाने की ललक होती है और उनकी यह इच्छा पूरी हो सकती है, यदि वे कार्तिक मास में पूरे मन से तुलसी विवाह करवाएं। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी का सोलह श्रृंगार कर भगवान सालिग्राम के साथ परिणय सूत्र में बांधने की परंपरा है। जिसे तुलसी विवाह के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण में वर्णित है कि जो दंपति पूरे मन से तुलसी विवाह को संपन्न करवाते हैं, वे कई जन्मों तक जीवनसाथी बनते हैं।

तुलसी विवाह कथा::
प्राचीन काल में जालंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ़ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर तथा पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह सर्वजंयी बना हुआ था। जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गये तथा रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया। उधर, उसका पति जालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया। जब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, 'जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भी अपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्म लोगे।' यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। जिस जगह वह सती हुई वहाँ तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। विष्णु बोले, 'हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा।' बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है

आज की पीढी कैसी निर्लज्ज है ., जो अपनी जन्म देने वाली माँ तक को सहारा नहीं दे सकती ...??? By - Arvind Kumar Gupta

By - Arvind Kumar Gupta
बात दुर्ग के रेलवे स्टेशन की है.., कल रात .,मैं ट्रेन के इंतज़ार में रेल्वे - प्लेटफार्म पर टहल रहा था .,

एक वृद्ध महिला , जिनकी उम्र लगभग 60 - 65 वर्ष के लगभग रही होगी ., वो मेरे पास आयी और मुझसे खाने के लिए पैसे माँगने लगी ....
उनके कपडे फटे ., पूरे तार - तार थे., उनकी दयनीय हालत देख कर ऐसा लग रहा था की पिछले कई दिनों से भोजन भी ना किया हो ..
मुझे उनकी दशा पर बहुत तरस आया तो मैंने अपना पर्स टटोला ., कुछ तीस रुपये के आसपास छुट्टे पैसे और एकहरा " गांधी " मेरे पर्स में था .,
मैंने वो पूरे छुट्टे उन्हें दे दिए...
मैंने पैसे उन्हें दिए ही थे ., कि इतने में एक महिला ., एक छोटे से रोते - बिलखते., दूधमुहे बच्चे के साथ टपक पड़ी ., और छोटे दूधमुहे बच्चे का वास्ता देकर वो भी मुझसेपैसे माँगने लगी ... मैं उस दूसरी महिला को कोई ज़वाब दे पाता की उन वृद्ध माताजी ने वो सारे पैसे उस दूसरी महिला को दे दिए ., जो मैंने उन्हें दिए थे .... पैसे लेकर वो महिला तो चलती बनी... लेकिन मैं सोचमें पड़ गया ... मैंने उनसे पूछा की-" आपने वो पैसे उस महिला को दे दिए ..??? "
उनका ज़वाब आया -" उस महिला के साथउसका छोटा सा दूधमुहा बच्चा भी तोथा ., मैं भूखे रह लूंगी लेकिन वो छोटा बच्चा बगैर दूध के कैसे रह पायेगा ... ??? भूख के मारे रो भी रहा था ..."

उनका ज़वाब सुनकर मैं स्तब्ध रह गया .... सच ... भूखे पेट भी कितनी बड़ी मानवता की बात उनके ज़ेहन में बसी थी ....
उनकी सोच से मैं प्रभावित हुआ ., तो उनसे यूं ही पूछ लिया की यूं दर -बदर की ठोकरे खाने के पीछे आखिर कारण क्या है ...???

उनका ज़वाब आया की उनके दोनों बेटो ने शादी के बाद उन्हें साथ रखने से इनकार कर दिया ., पति भी चल बसे .., आखिर में कोई चारा न बसा ...
बेटो ने तो दुत्कार दिया ., लेकिन वो भी हर बच्चे में अपने दोनों बेटो को ही देखती है ., इतना कहकर उनकी आँखों में आंसू आ गए ...

मैं भी भावुक हो गया .,मैंने पास की एक कैंटीन से उन्हें खाने का सामान ला दिया ... मैं भी वहा से फिर साईड हट गया ...
लेकिन बार-बार ज़ेहन में यही बात आ रही थी ., की आज की पीढी कैसी निर्लज्ज है ., जो अपनी जन्म देने वाली माँ तक को सहारा नहीं दे सकती ...??? लानत है ऐसी संतान पर .... और दूसरी तरफ वो " माँ " ., जिसे हर बच्चे में अपने " बेटे " दिखाई देते है ....
धन्य है " मातृत्व-प्रेम

By - Arvind Kumar Gupta

शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

यदि कोई व्यक्ति आपके सवाल के जबाब में आपका अपेक्षित उत्तर नहीं देता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गलत है..

कक्षा दूसरी में पढन वाले अतुल से कक्षा शिक्षिका ने गणित का एक सवाल पूछा "" अतुल, यदि में तुमको एक सेव, एवं एक सेव एवं एक सेव दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जावेगें ?

अतुल "" मेडम जी... चार सेव ""

मेडम को लगा कि अतुल ने सवाल को ठीक से समझा नहीं है..उसने फिर से सवाल को दोहराया "" अतुल , घ्यान से सुनो..यदि में तुमको एक सेव दूं ..फिर एक सेव दूं...फिर एक सेव दूं ..तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जाय...ेगे.

छोटे अतुल ने अपनी उंगलियों पर केलकुलेट किया... उत्तर दिया "" चार सेव ""

मेडम झुझंला गई..उन्होने अपनी झुझलाहट को कंट्रोल किया एवं सोचा कि शायद छोटे अतुल को सेव पंसद नहीं है इसलिये वह सवाल पर घ्यान ही नहीं दे रहा है..उन्हे याद आया कि अतुल आम बहुत पंसद करता है... उन्होने फिर अपना सवाल दोहराया ...
बेटा अतुल..घ्यान से सुनो...यदि में तुमको एक आम फिर एक आम एवं फिर एक आम दूं तो ..तुम्हारे पास कितने आम हो जावेगें ?

छोटे अतुल ने कांउट किया "" मेडम जी तीन आम ""

मेडम का चेहरा..खुशी से दमक उठा...चेहरे पर मुस्काराहट आ गई..उन्हे अपने प्रयास पर गर्व महसूस हुआ...कि चलो छात्र की समझ में गणित आ या तो.

उन्होने फिर से अतुल से पूछा अच्छा अब बोलो ""यदि में तुमको एक सेव दूं ..फिर एक सेव दूं...फिर एक सेव दूं ..तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जायेगे""

अतुल ने सहम कर उत्तर दिया "" मेडम जी चार ""

मेडम झल्ला गई....उन्होने ने झल्लाकर कहा "" कैसे अतुल..कैसे ""

मासूम अतुल सहम गया...उसने अपना हाथ सहमते हुये अपने स्कूल बेग में डाला..उसके हाथ में एक सेव था ..उसने मेडम को दिखाते हुये कहा सहम कर कहा "" एक सेव मेरे पास पहले से है ""

।।यदि कोई व्यक्ति आपके सवाल के जबाब में आपका अपेक्षित उत्तर नहीं देता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गलत है..उसे पूर्ण् रूप से गलत घोषित करने से पूर्व उसका नजरिया जान लेना जरूरी है ।।

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