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खतरनाक हैं एल्युमिनियम के बर्तन ।
हमारे देश में एल्युमिनियम के बर्तन 100-200 साल पहले ही ही आये है । उससे
पहले धातुओं में पीतल, काँसा, चाँदी के बर्तन ही चला करते थे और बाकी
मिट्टी के बर्तन चलते थे । अंग्रेजो ने जेलों में कैदिओं के लिए एल्युमिनिय
के बर्तन शुरू किए क्योंकि उसमें से धीरे धीरे जहर हमारे शारीर में जाता
है । एल्युमिनिय के बर्तन के उपयोग से कई तरह के गंभीर रोग होते है । जैसे
अस्थमा, बात रोग, टी बी, शुगर, दमा आदि । पुराने समय में काँसा और पीतल के
बर्तन होते थे जो जो स्वास्थ के लिए अच्छे मने जाते है । यदि सम्भव हो तो
वही बर्तन फिर से ले कर आयें । हमारे पुराने वैज्ञानिकों को मालूम था की
एल्युमिनिय बोक्साईट से बनता है और भारत में इसकी भरपूर खदाने हैं, फिर भी
उन्होंने एल्युमिनियम के बर्तन नहीं बनाये क्योंकि यह भोजन बनाने और खाना
खाने के लिए सबसे घटिया धातु है । इससे अस्थमा, टी बी, दमा, बातरोग में
बढावा मिलता है । इसलिए एल्युमिनियम के बर्तनों का उपयोग बन्द करें ।
घर पर कैसे बनाएं देसी घी...
हमारे देश में पहले घर-घर घी बनाने की परंपरा थी, लेकिन अब कई कारणों से
ऐसा संभव नहीं रहा। रूटीन से थोड़ा हटते हुए घर पर बनाएंगे तब इसके गुणों के
आगे घी बनाने के सारे कष्ट भूल जाएंगे।
- एक लीटर गाय के दूध को उबालकर ठंडा होने दें।
- रूम टेम्परेचर पर इसमें एक चम्मच दही मिला दें।
- रातभर के लिए ढंककर रखा रहने दें।
- सुबह दही पर जमी मलाई की परत उतारकर अलग रख लें। मलाई फ्रिज में रखें।
- सात दिन तक दही की मलाई इकट्ठा करें।
- फ्रिज से निकालकर रखें, रूम टेम्परेचर पर आने का इंतजार करें।
- मथानी से 10-15 मिनट तक बिलोएं।
- बिलोने के दौरान दो कटोरी पानी मिलाएं।
- जब झाग निकलने लगे तब इसे किसी बारीक छन्नी से छान लें।
- छन्नी में शेष रहे मक्खन को 4- 5 पानी से धो लें।
- अब स्टेनलेस स्टील के भारी पेंदे वाले बर्तन में मक्खन रखें और मंद आंच
पर चढ़ा दें। मक्खन पिघलेगा और सफेद झाग के रूप में नजर आने लगेगा।
- अब इसे लगातार चलाएं, झाग पतला होने लगेगा और हल्के पी ले रंग का घी पेंदे में नजर आने लगेगा। सुनहरा होने तक आंच पर रखें।
- ठंडा होने पर पारदर्शी घी को फिल्टर से छानकर इस्तेमाल के लिए बरनी में रखें।
- कमरे के तापमान पर इसे तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।