यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 23 नवंबर 2024

विवाह संस्कार को एक त्योंहार की तरह मनाए न कि इवेंट की तरह

https://youtu.be/VeoiEqdkKAk?si=V8eVfisbgwO5UsOT

आजकल के विवाह की परंपरा एक इवेंट के रूप में सेलिब्रेट करने लगे है 
जबकि विवाह एक परंपरा है एक त्योंहार है जो जीवन में एक बार आता है 
लोग विवाह में अपनी उपस्थिति दिखाने भी जाते है और आशीर्वाद देने भी 
विवाह को इवेंट मैनेजर द्वारा प्लान किया जाने लगा है जबकि विवाह एक संस्कार है ये होटलों में करने की बजाय घर पर किया जाना चाहिए

आप को अपने पूरे परिवार की सभी पीढी के सदस्यों को एकत्र करना हो और आप बुलाएंगे तो सभी आए ये जरूरी नहीं 
पर जब आप उन्हें विवाह के उपलक्ष्य में निमंत्रित करेंगे तो सभी आयेंगे 

जब विवाह में आने वाले सभी वर वधु को एक सा आशीर्वाद देते है तो उनके सीखें या बधाई में अंतर क्यों रखते है 


विवाह की रस्मों को मुहूर्त के अनुसार ही किया जाना चाहिए 
जबकि आजकल  इवेंट मैनेजमेंट की नौटंकियों के चक्कर में सारे मुहूर्त के बिना ही हो रहे है 
विवाह में वर व वधु को आशीर्वाद देने सभी अतिथि उपस्थित होते है इसके बाद वैवाहिक जीवन की शुरुआत उत्सुकता उल्लास और शर्म लिहाज के साथ शुरू होती है 
जबकि pre-wedding की नौटंकी में वर वधु पहले से ही विवाह के पूर्व प्री वेडिंग डेस्टिनेशन पर एक दूसरे के साथ फोटो खिंचवाने के चक्कर में परंपराओं की धज्जियां उड़ा रहे है 


ओर भी बहुत कुछ है विवाह संस्कार में जो साउथ की इस फिल्म श्रीनिवास कल्याणम में दिखाया है 

कृपया समय निकाल कर ये फिल्म भी देखें और 
विवाह संस्कार को एक त्योंहार की तरह मनाए न कि इवेंट की तरह

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya