https://youtu.be/VeoiEqdkKAk?si=V8eVfisbgwO5UsOT
आजकल के विवाह की परंपरा एक इवेंट के रूप में सेलिब्रेट करने लगे है
जबकि विवाह एक परंपरा है एक त्योंहार है जो जीवन में एक बार आता है
लोग विवाह में अपनी उपस्थिति दिखाने भी जाते है और आशीर्वाद देने भी
विवाह को इवेंट मैनेजर द्वारा प्लान किया जाने लगा है जबकि विवाह एक संस्कार है ये होटलों में करने की बजाय घर पर किया जाना चाहिए
आप को अपने पूरे परिवार की सभी पीढी के सदस्यों को एकत्र करना हो और आप बुलाएंगे तो सभी आए ये जरूरी नहीं
पर जब आप उन्हें विवाह के उपलक्ष्य में निमंत्रित करेंगे तो सभी आयेंगे
जब विवाह में आने वाले सभी वर वधु को एक सा आशीर्वाद देते है तो उनके सीखें या बधाई में अंतर क्यों रखते है
विवाह की रस्मों को मुहूर्त के अनुसार ही किया जाना चाहिए
जबकि आजकल इवेंट मैनेजमेंट की नौटंकियों के चक्कर में सारे मुहूर्त के बिना ही हो रहे है
विवाह में वर व वधु को आशीर्वाद देने सभी अतिथि उपस्थित होते है इसके बाद वैवाहिक जीवन की शुरुआत उत्सुकता उल्लास और शर्म लिहाज के साथ शुरू होती है
जबकि pre-wedding की नौटंकी में वर वधु पहले से ही विवाह के पूर्व प्री वेडिंग डेस्टिनेशन पर एक दूसरे के साथ फोटो खिंचवाने के चक्कर में परंपराओं की धज्जियां उड़ा रहे है
ओर भी बहुत कुछ है विवाह संस्कार में जो साउथ की इस फिल्म श्रीनिवास कल्याणम में दिखाया है
कृपया समय निकाल कर ये फिल्म भी देखें और
विवाह संस्कार को एक त्योंहार की तरह मनाए न कि इवेंट की तरह
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