चना चबाये ; सेहत बनाए -
-चने रोज खाने वाले का शरीर बहुत स्वस्थ और ताकतवर बना रहता है।
- चने के सेवन से सुंदरता बढ़ती है साथ ही दिमाग भी तेज हो जाता है।
- मोटापा घटाने के लिये नाश्ते में चना लें।
- अंकुरित चना 3 वर्ष तक खाते रहने से कुष्ट रोग में लाभ होता है। 250
ग्राम चने को एक किलो पानी में रात को भिगो दें। चांदनी रात हो तो इन्हें
चांदनी में रखें। प्रात: इनको इतना उबालें कि चौथाई पानी रह जाए। इस पानी
को पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। प्रात: अंकुरित चने का नाश्ता प्रत्येक
परिवार को करना चाहिये।
- गुर्दे या मुत्राशय में पथरी हो तो रात को चने की दाल एक मुट्ठी भिगो दें, सुबह इस दाल में शहद मिलाकर खाएं।
- केवल चने की रोटी दस दिन तक खाते रहने से पेशाब में शक्कर आना बन्द हो जाता है।
- गर्भवती को उल्टी हो तो भुने हुए चने का सत्तू पिलाएं।
- चना पाचन शक्ति को संतुलित और दिमागी शक्ति को भी बढ़ाता है।
- चने से खून साफ होता है जिससे त्वचा निखरती है।
- चने का गरीबों का बादाम कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी
सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों की लडऩे की क्षमता है।
- चने से बालों का गिरना भी रूकता है क्योंकि इसमें उपस्थित प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करता है।
आभूषण व धन के वास्तु नियमों में दिशाएं है महत्वपूर्ण
भवन निमार्ण के साथ साथ घर के रखरखाव में भी वास्तुशास्त्र का विशेष महत्व
है। सामान्यतः हर व्यक्ति पैसे, आभूषण, मूल्यवान वस्तुएँ, कागजात रखने के
लिए तिजोरी, अलमारी, कैशबॉक्स इत्यादि का उपयोग करता है। वास्तुशास्त के
नियम यह बताते हैं कि घर में इन्हे कैसे रखे। जो जीवन में समृद्धी में
सहायक हो सकें।
दिशाओं का महत्तव
उतर दिशाः घर की उतर दिशा में कैश व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह
अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना
चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए
पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
ईशान कोण : यहाँ
पैसा, धन और आभूषण रखे जाएँ तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है
और यदि यह उत्तर ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या संतान और यदि पूर्व
ईशान में रखे हों तो एक पुत्र संतान बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध है।
पूर्व दिशा : यहाँ घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है।
आग्नेय कोण : यहां धन रखने से बचना चाहिए। यहाँ धन रखने से धन घटता है,
क्योंकि घर के मुखिया की आमदनी घर के खर्चे से कम होने के कारण कर्ज की
स्थिति बनी रहती है।
दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है।
नैऋत्य कोण : यहाँ धन, महँगा सामान और आभूषण रखे जाएँ तो वह टिकते जरूर
है, किंतु एक बात अवश्य रहती है कि यह धन और सामान गलत ढंग से कमाया हुआ
होता है।
पश्चिम दिशा : यहाँ धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएँ तो
साधारण लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष मित्रों का
सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है।
वायव्य
कोण : यहाँ धन रखा हो तो खर्च जितनी आमदनी जुटा पाना मुश्किल होता है। ऐसे
व्यक्ति का बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है और कर्जदारों से सताया जाता है।
यह जरूर करें : घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर
जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी
वाले कमरे का रंग क्रीम या आफ व्हाइट रखना चाहिए।
चित्र: आभूषण व धन के वास्तु नियमों में दिशाएं है महत्वपूर्ण ======================================
भवन निमार्ण के साथ साथ घर के रखरखाव में भी वास्तुशास्त्र का विशेष महत्व
है। सामान्यतः हर व्यक्ति पैसे, आभूषण, मूल्यवान वस्तुएँ, कागजात रखने के
लिए तिजोरी, अलमारी, कैशबॉक्स इत्यादि का उपयोग करता है। वास्तुशास्त के
नियम यह बताते हैं कि घर में इन्हे कैसे रखे। जो जीवन में समृद्धी में
सहायक हो सकें। दिशाओं का महत्तव उतर दिशाः घर की उतर दिशा में कैश व आभूषण
जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण
की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर
खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी। ईशान
कोण : यहाँ पैसा, धन और आभूषण रखे जाएँ तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया
बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या संतान और
यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो एक पुत्र संतान बहुत बुद्धिमान और प्रसिद्ध
है। पूर्व दिशा : यहाँ घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और
उसमें बढ़ोतरी होती रहती है। आग्नेय कोण : यहां धन रखने से बचना चाहिए।
यहाँ धन रखने से धन घटता है, क्योंकि घर के मुखिया की आमदनी घर के खर्चे से
कम होने के कारण कर्ज की स्थिति बनी रहती है। दक्षिण दिशा : इस दिशा में
धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी
विशेष नहीं होती है। नैऋत्य कोण : यहाँ धन, महँगा सामान और आभूषण रखे जाएँ
तो वह टिकते जरूर है, किंतु एक बात अवश्य रहती है कि यह धन और सामान गलत
ढंग से कमाया हुआ होता है। पश्चिम दिशा : यहाँ धन-संपत्ति और आभूषण रखे
जाएँ तो साधारण लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष
मित्रों का सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है।
वायव्य कोण : यहाँ धन रखा हो तो खर्च जितनी आमदनी जुटा पाना मुश्किल होता
है। ऐसे व्यक्ति का बजट हमेशा गड़बड़ाया रहता है और कर्जदारों से सताया
जाता है। यह जरूर करें : घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की
तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है।
तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या आफ व्हाइट रखना चाहिए।
नस्य
प्रतिदिन नाक में २ -२ बूँद गाय के घी या तिल या सरसों के तेल की डालना हमें बहुत सारे लाभ देता है .तेल
या घी को लेट कर नाक में डाले और हल्का सा खिंच ले . 5 मिण्ट लेते रहे .इसे प्रतिमर्श नस्य कहा जाता है .आयुर्वेद में इसे लेने के १४ समय बताये गए है - सुबह उठने पर ,दंत धावन, व्यायाम, शरीरसंबंध, मलमूत्र
त्याग, भोजन ,वमन , के बाद दिन में सो के उठने पर ,और शाम को . बाहर जाते समय नस्य लेने से प्रदुषण का असर नहीं होगा .
- रात में सोते समय नस्य लेने से वात रोगों में लाभ मिलता है ; विशेषकर तब जब हम तेज़ पंखे या एसी में सोये .
- थायरोइड
-स्मरण शक्ति ; इसलिए विद्यार्थियों के लिए लाभकारी
-बाल झडना और असमय सफ़ेद होना
-दांत के रोगों में जैसे दर्द ,सेंसिटिविटी , मसूड़ों की समस्या
- बेहतर केल्शियम एब्ज़ोर्प्शन
- लम्बाई बढाता है
- नाक की समस्याएँ पोलिप्स , छींकें आना , नाक बंद होना , सर्दी ज़ुकाम
- गला खराब होने पर - कान की समस्याएँ
- स्नायु शिथिलता
- स्टेमिना बढाता है .
- अच्छी नींद
- सिरदर्द
- मानसिक तनाव - नाक के माध्यम से दी गई दवाई का डेढ़ मिं में असर होता है . ये ब्रेन पर तुरंत असर करता है क्योंकि यहाँ ब्लड ब्रेन बेरियर नहीं होता .नाक ही ब्रेन का प्रवेश द्वार है .
- हिमोग्लोबिन बढ़ता है .
- रोगप्रतिरोधक शक्ति बढती है .
- हकलाहट में लाभ - होर्मोनल असंतुलन को ठीक करता है .
- फेशियल पेरेलिसिस
- आँख फड़कना
- चोट जल्द भरना
- विद्यार्थियों में दिमागी शक्ति बढाने के लिए केसर, ज्येष्ठी मधु ,अश्वगंधा ,ब्राम्ही ,शंखपुष्पी , शतावरी जैसी दवाइयों का अर्क अगर गाय के घी से दिया जाए तो कान और आँखों की शक्ति बढती है ;
दिमाग की ग्राह्य क्षमता बढती है
- एक शोध में वेखंड ,जटामासी ,वाला आदि जड़ी बूटी युक्त अगरबत्ती जब रात्री में जलाई गयी तो स्मरण शक्ति में सुधार देखा गया .
- गर्दन में दर्द
- टोंसिल्स
- .कुछ विशेष परिस्थितियों में जैसे स्म्रुतिनाश या फिट्स के लिए वैद्य की सलाह से नस्य ले .
- नस्य ना लेने का समय ---- वर्षा ऋतू में जब सूर्य ना हो ;
गर्भवती या प्रसव के बाद ;बाल धोने के बाद ; भूक या प्यास लगने पर , बीमार पड़ने पर ;अजीर्ण होने पर ; आघात होने पर या बहुत थका हुआ होने पर ; अनुवासन बस्ती या विरेचन के बाद .
जायफल
रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.
आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है।
आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते हैं। इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।
- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये। यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।
- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए, दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी गयी है।
- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।
- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है। पेट भी ठीक रहता है।
- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है, तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।
- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
- यह शक्ति भी बढाता है।
- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है। - जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।
- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर
लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।
- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।
- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है,
चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।
- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है। - दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।