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बुधवार, 30 जुलाई 2014

वर्षा ऋतु में कुछ खास प्रयोग

वर्षा ऋतु में कुछ खास प्रयोग


- ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल हुआ शरीर वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त करने लगता है।

- आर्द्र वातावरण जठराग्नि को मंद करता है।

- वर्षा ऋतु में वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है, अतः सुपाच्य, जठराग्नि प्रदीप्त करने वाला वात-पित्तनाशक आहार लेना चाहिए।

- वर्षाजन्य सर्दी, खाँसी, जुकाम, ज्वर आदि में अदरक व तुलसी के रस में शहद मिलाकर लेने से व उपवास रखने से आराम मिलता है। एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

- गर्मियों में शरीर के सभी अवयव शरीर शुद्धि का कार्य करते हैं, मगर चातुर्मास में शुद्धि का कार्य केवल आँतों, गुर्दों एवं फेफड़ों को ही करना होता है। इसलिए सुबह उठने पर, घूमते समय और सुबह-शाम नहाते समय गहरे श्वास लेने चाहिए।


  - चातुर्मास में दो बार स्नान करना बहुत ही हितकर है।

- इस ऋतु में रात्रि में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना बहुत आवश्यक है।

- भोजन में अदरक व नींबू का प्रयोग करें। नींबू वर्षाजन्य रोगों में बहुत लाभदायी है।


- गुनगुने पानी में शहद व नींबू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट लें। यह प्रयोग सप्ताह में 3-4 दिन करें।

- दिन में सोने से जठराग्नि मंद व त्रिदोष प्रकुपित हो जाते हैं। अतः दिन में न सोयें। रात को छत पर अथवा खुले आँगन में न सोयें।


- अति व्यायाम और परिश्रम, नदी में नहाना, बारिश में भीगना वर्जित है। कपड़े गीले हो गये हों तो तुरंत बदल दें।

- वर्षा ऋतु में दमे के रोगियों की साँस फूले तो 10-20 ग्राम तिल के तेल को गर्म करके पीने से राहत मिलती है। ऊपर से गर्म पानी पियें।

- साधारणतया चातुर्मास में पाचनशक्ति मंद रहती है। अतः आहार कम करना चाहिए। पन्द्रह दिन में एक दिन उपवास करना चाहिए।

- चातुर्मास में जामुन, कश्मीरी सेब आदि फल होते हैं। उनका यथोचित सेवन करें।


- हरी घास पर खूब चलें। इससे घास और पैरों की नसों के बीच विशेष प्रकार का आदान-प्रदान होता है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।


  - उबटन से स्नान, तेल की मालिश, हलका व्यायाम, स्वच्छ व हलके वस्त्र पहनना हितकारी है।

- वातारवरण में नमी और आर्द्रता के कारण उत्पन्न कीटाणुओं से सुरक्षा हेतु गौशाला में निर्मित धूप व हवन से वातावरण को शुद्ध तथा गौमूत्र युक्त फिनायल या गोमूत्र से घर को स्वच्छ रखें।


  - घर के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। मच्छरों से सुरक्षा के लिए घर में गेंदे के पौधों के गमले अथवा गेंदे के फूल रखें और नीम के पत्ते, गोबर के कंडे व गूगल आदि का धुआँ करें।


- 1 से 3 लौंग भूनकर तुलसी पत्तों के साथ चबाकर खाने से सभी प्रकार की खाँसी में लाभ होता है।

- देर से पचने वाले, भारी तले, तीखे पदार्थ न लें।

- जलेबी, बिस्कुट, डबलरोटी आदि मैदे की चीजें, बेकरी की चीजें, उड़द, अंकुरित अऩाज, ठंडे पेय पदार्थ व आइसक्रीम के सेवन से बचें।



- वर्षा ऋतु में दही पूर्णतः निषिद्ध है।

- नागरमोथा, बड़ी हरड़ और सोंठ तीनों को समान मात्रा में लेकर बारीक पीस के चूर्ण बना लें। इस चूर्ण से दुगनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर समान गोलियाँ बना लें।दिन में 4-5 बार 1-1 गोली चूसने से कफयुक्त खाँसी में राहत मिलती है।


- इस ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त करने वाले अदरक, लहसुन, नींबू, पुदीना, हरा धनिया, सोंठ, अजवायन, मेथी, जीरा, हींग, काली मिर्च, पीपरामूल का प्रयोग करें।

- जौ, खीरा, लौकी, गिल्की, पेठा, तोरई, जामुन, पपीता, सूरन, गाय का घी, तिल का तेल तथा द्राक्ष आदि का सेवन करे ।


- ताजी छाछ में काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा, धनिया, पुदीना डालकर दोपहर भोजन के बाद ले सकते हैं। 
 
- उपवास और लघु भोजन हितकारी है। रात को देर से भोजन न करें

- बारिश की सर्दी लगने का अंदेशा हो तो एक लौंग मुंह में रख देना चाहिये और घर जाकर मत्था जल्दी पोंछ लेना चाहिये । बदन सूखा कर लेना चाहिये और बांये करवट थोड़ा लेट के दायाँ श्वास चालू रखना चाहिये । इससे बारिश में भीगने का असर नहीं होगा ।



- चातुर्मास के चार महीने भगवान् विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं ; इसलिए यह काल साधकों, भक्तों, उपासकों के लिए स्वर्णकाल माना गया है.इस काल में जो कोई व्रत, नियम पाला जाता है वह अक्षय फल देता है, इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति को यत्न पूर्वक चतुर्मास में कोई नियम लेना चाहिए .जिस प्रकार चीटियाँ आदि प्राणी वर्षाकाल हेतु अन्य दिनों में ही अपने लिए उपयोगी साधन-संचय कर लेते हैं, उसी प्रकार साधक-भक्त को भी इस समय मे शास्त्रोक्त नियमों, जप, होम, स्वाध्याय एवं व्रतों का अनुष्ठान कर सत्त्व की अभिवृद्धि एवं परमात्म-सुख प्राप्त करना चाहिए.











Jai Shree Krishna

Thanks,

Regards,


कैलाश चन्द्र  लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
sanwariyaa.blogspot.com 
Page: https://www.facebook.com/mastermindkailash

रविवार, 27 जुलाई 2014

वो दिन दूर नही कि कोई तुम्हारी बहनो के फोटो पर भी ऐसा कमेंट करता मिले.

एक आवश्यक बात आज मैं
चाहूँगा कि यदि मेरी बात आप को उचित लगे
तो समर्थन में कमेंट जरूर आयें और गलत लगे

तो विरोध करें शाम का समय था ! विजय अपने
दोस्त सौरभ और अन्य दोस्तों के साथ चौराहे में
चाय की दुकान में चाय पी रहा था . तभी एक
लड़की अपनी माँ के साथ वहाँ से निकली ..!
विजय का दोस्त सौरभ ऊँची आवाज में बोला -
"अरे वाह क्या आइटम है भाई अरसा बीत
गया इतना आइटम देखे हुए .."
विजय -"भाई शांत हो जा .. मत कर यार .."
पर सौरभ एक नहीं माना और दो चार गंदे कमेंट
और मार दिए ..विजय वहाँ से उठ कर घर
चला गया .. बाद में सौरभ को उसके दोस्त ने
बताया कि जिसे तू कमेंट कर रहा था ..वो विजय
की बहन थी और उसके साथ उसकी माँ थी !
.
दोस्तों मैं बहुत सारे लोगों को फेसबुक पे
देखता हूँ , वो लड़कियों की आईडी से चुरा कर
फोटो डाल के खूब मज़े से कमेंट मारते है वाह
क्या माल है वाह जुगाड़, है और भी बहुत कुछ
जो लिख नही सकता । मै उन लोगों को फ्री मे
एक सलाह देना चाहता हूँ कि अगर
ऐसा होता रहा तो वो दिन दूर नही कि कोई
तुम्हारी बहनो के फोटो पर भी ऐसा कमेंट
करता मिले.
और अपना जूता अपने सर लगे,कई लोग
तो नीचता की हद पार कर जाते हैं
ये लड़की की ही फेक आईडी बना के और
किसी की भी लड़की की आईडी का फोटो चुराकर
डालते हैं, और कहते है- मैं कैसी लग रही हूँ और नीचे
के कमेंट ऐसे होते हैं कि उसे पढ़ कर मुर्दा भी शर्म
खाये।। "दोस्तो आप से नम्र निवेदन हैं कि आप
कभी भी ऐसा ना करे ..
जो ऐसा करते हैं उन्हें
ऐसा करने से रोकें आखिर
वो भी तो किसी की बहन
या बेटी होगी जिनकी फोटो डालकर ये लोग
गंदे गंदे कमेंट करते ह
Sanwariya के बात से किसी को चोट पहुची है मुझे माफ
करना दोस्तो

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