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रविवार, 19 अक्टूबर 2014

काले घोड़े की नाल के चमत्कार

वास्तुदोष दूर कर आपकी किस्मत भी चमका सकती है----काले घोड़े की नाल के चमत्कार सुनकर चोंक जायेंगे आप भी
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काले घोडे की नाल शनि को लोहा प्रिय है, किन्तु शनिवार को लोहा घर में नहीं लाया जाता। जिस धातु को शनि सर्वाधिक पसंद करते हैं, उसी धातु का घर में शनिवार को आना पीडादायक और कलहकारक सिद्घ होता है। ऎसा तभी होता है जबकि निजी उपयोग के लिए शनिवार को लोहा (किसी भी रूप में) खरीदा जाये या घर में लाया जाये, लेकिन पूजा करने हेतु अथवा विधिपूर्वक धारण करने हेतु लोहा प्राप्त किया जाये तो शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार को लोहे के दान से भी शनि की प्रसन्नता होती है। शनिदेव के अशुभ प्रभावों की शांति हेतु लोहा धारण किया जाता है किन्तु यह लौह मुद्रिका सामान्य लोहे की नहीं बनाई जाती। काले घोडे की नाल (घोडे के पैरों खुरों में लोहे की अर्धचन्द्राकार वस्तु पहनाई जाती है, जो घोडे के खुरों को मजबूत बनाये रखती है, घिसने नहीं देती, वही नाल होती है), जो नाल स्वत: ही घोडे के पैरों से निकल गयी हो, उस नाल को शनिवार को सिद्घ योग ( शनिवार और पुष्य, रोहिणी, श्रवण नक्षत्र हो अथवा चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि हो) में प्राप्त की जाती है और फिर इसका उपयोग विविध प्रकार से किया जाता है।

व्यापार वृद्घि : व्यापार वृद्घि के लिए घोडे की नाल को शनिवार को प्राप्त कर, उसका शुद्घिकरण करके, धूप-दीप दिखाकर व थोडा सिंदूर लगाकर, व्यापारिक प्रतिष्ठान में ऎसी जगह लगाया जाता है, जहाँ से प्रत्येक ग्राहक को वह स्पष्ट दिखाई देेवे। नाल को इस प्रकार लगाया जाता है कि उसका खुला भाग ऊपर की ओर रहे। प्रतिदिन इस नाल पर धूप का आघ्राप किया जाता है। आगे जब कभी शनिवार को सिद्घि योग पडे तो उस दिन इस नाल पर तिल्ली के तेल में सिंदूर मिलाकर लेप किया जाता है।
स्वास्थ्य वृद्घि व अनिष्ट शाति : घोडे की नाल प्राप्त करके, उस नाल को कटवाकर, उसकी गोल छल्लेनुमा अंगूठी बना ली जाती है। इस अंगूठी को गंगाजल और गोमूत्र से धोकर, थोडा सिंदूर लगाकर, शनिदेव के मंत्र का, कम से कम 108 बार जाप करके, धूप-दीप दिखाकर शनिवार को ही सीधे हाथ की मघ्यमा (बीच की बडी) अंगुली में पहन लिया जाता है। इस अंगूठी के धारण करने से शनिदेव जनित अनिष्ट कम हो जाते हैं और स्वास्थ्य में वृद्घि होती है, आय में वृद्घि होती है, मानसिक उद्वेग शांत हो जाता है।
काले घोड़े की नाल:-
शत्रु एवं शनि पीड़ित लोग काले घोड़े की नाल के छल्ले का प्रयोग करें तो उत्तम लाभ होता है। यह छल्ला दाहिने हाथ की बीच की (मध्यमा) उंगुली में धारण करना चाहिए। लोगों की बुरी नजर से बचने का अत्यन्त सटीक उपाय है ध्यान रखेंना चाहिए वह छल्ला एकदम शुद्व एवं प्रमाणिक होना चाहिए। तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है घर तथा कार्य स्थान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अन्दर की ओर u के आकार में लगाई गई काले घोड़े के नाल उस स्थान की सभी प्रकार तांत्रिक प्रभाव जादू-टोने, नजर आदि से रक्षा करती है। तंत्र क्रियाओं में अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। काले घोड़े की नाल भी उन्हीं में से एक है। ऐसा मानते हैं कि तंत्र प्रयोग में यदि काले घोड़े की नाल का प्रयोग किया जाए तो असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार वैसे तो किसी भी घोड़े की नाल बहुत प्रभावशाली होती है लेकिन यदि काले घोड़े के अगले दाहिने पांव की पुरानी नाल हो तो यह कई गुना अधिक प्रभावशाली हो जाती है।काले घोड़े की नाल एक ऐसी वास्तु है जो शनि समबधित किसी भी पीड़ा जैसे शनि की अशुभ दशा, ढैया, साढ़ेसाती शनि का कोई अशुभ योग आदि..हर पीड़ा में सामान रूप से चमत्कारी है बशर्ते यह पूर्ण रूपेण सिद्ध हो....यहाँ सिद्ध से आशय पहले काले घोड़े के प्रयोग में हो फिर शुभ महूर्त में शनि मंत्रो से व वैदिक प्रक्रिया द्वारा प्रतिष्ठित की गई हो | सिद्ध या उर्जावान काले घोड़े की नाल को परखने का एक बहुत ही प्रमाणिक तरीका है | उसे आप कुछ घंटो (कम से कम ५ से ८ घंटे) के लिए मक्के में रख दिया जाये और फिर जब कुछ समय बाद देखा जाये तो सही सिद्ध घोड़े की नाल उस मक्के को पका दे|
इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-
- यदि घर में क्लेश रहता हो, आर्थिक उन्नति नहीं हो रही हो या किसी ने तंत्र क्रिया की हो तो घर के मुख्य द्वार पर नाल को अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में लगा दें। कुछ ही दिनों में नाल के प्रभाव से सबकुछ ठीक हो जाएगा।
- यदि किसी कार्य में अड़चन आ रही हो तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को विधिपूर्वक दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। आपके बिगड़े काम बन जाएंगे और साथ ही धन लाभ भी होगा।
काले वस्त्र में लपेट कर अनाज में रख दो तो अनाज में वृद्धि हो |
- काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रख दो तो धन में वृद्धि हो |
- अंगूठी या छल्ला बनाकर धारण करे तो शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिले |
- द्वार पर सीधा लगाये तो दैवीय कृपा मिले |
- द्वार पर उल्टा लगाओ तो भूत, प्रेत, या किसी भी तंत्र मंत्र से बचाव हो |
- काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दे |
- काले घोड़े की नाल से एक कील बनाकर सवा किलो उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में प्रवाहित करे

1- काले वस्त्र में लपेट कर अनाज में रख दो तो अनाज में वृद्धि हो।
- काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रख दो तो धन में वृद्धि हो।

3- अंगूठी या छल्ला बनाकर धारण करे तो शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिले।
4- द्वार पर सीधा लगाये तो दैवीय कृपा मिले।
5- द्वार पर उल्टा लगाओ तो भूत, प्रेत, या किसी भी तंत्र मंत्र से बचाव हो।
6- शनि के प्रकोप से बचाव हेतु काले घोड़े की नाल से बना छल्ला सीधे हाथ में धारण करें।
7- काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दें।
8- काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के घर के चारो कोने पे लगायें।
9- काले घोड़े की नाल से एक कील बनाकर सवा किलो उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में प्रवाहित करे।
10- काले घोड़े की नाल से एक कील या छल्ला बनवा ले, शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर कर है छल्ला या कील दाल कर अपना मुख देखे और पीपल के पेड़ के नीचे रख दें।
बिगड़े काम बनाती है काले घोड़े की नाल==========
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तंत्र क्रियाओं में अनेक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। काले घोड़े की नाल भी उन्हीं में से एक है। ऐसा मानते हैं कि तंत्र प्रयोग में यदि काले घोड़े की नाल का प्रयोग किया जाए तो असंभव कार्य भी असंभव हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार वैसे तो किसी भी घोड़े की नाल बहुत प्रभावशाली होती है लेकिन यदि काले घोड़े के अगले दाहिने पांव की पुरानी नाल हो तो यह कई गुना अधिक प्रभावशाली हो जाती है। इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-

- यदि दुकान ठीक से नहीं चल रही हो या किसी ने दुकान पर तंत्र प्रयोग कर उसे बांध दिया हो तो दुकान के मुख्य द्वार की चौखट पर नाल को अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में लगा दें। आपकी दुकान में ग्राहकों की संख्या बढऩे लगेगी और परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी।

- यदि घर में क्लेश रहता हो, आर्थिक उन्नति नहीं हो रही हो या किसी ने तंत्र क्रिया की हो तो घर के मुख्य द्वार पर नाल को अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में लगा दें। कुछ ही दिनों में नाल के प्रभाव से सबकुछ ठीक हो जाएगा।

- यदि किसी कार्य में अड़चन आ रही हो तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को विधिपूर्वक दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। आपके बिगड़े काम बन जाएंगे और साथ ही धन लाभ भी होगा।

आपके दुर्भाग्य को भगाए घोड़े की नाल======
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घोड़े की नाल घोड़े की गति बढ़ाने में तो खास भूमिका निभाती ही है, वास्तुदोष दूर कर आपकी किस्मत भी चमका सकती है।
घोड़े की नाल को सामान्यत: धातु से निर्मित किया जाता है। कभी-कभी इसे आधुनिक सिंथेटिक साम्रगी से भी बनाया जाता है। इसे घोड़े की खुर की रक्षा करने के लिए लगाया जाता है। अलबत्ता घोड़े की नाल का उपयोग महज इतना ही नहीं है। लोहे से बनी यह सामान्य सी वस्तु बेहद चमत्कारी है। इसे स्थापित करने से बीमारी और दुर्भाग्य दूर रहता है। माना यह भी जाता है कि घोड़े की नाल जादू-टोने व बुरी नजर से भी रक्षा करती है।
यह लोहे से निर्मित होती है, जो धातु तत्व का प्रतीक है। इसे बनाने के लिए आग का प्रयोग किया जाता है, जिसे वास्तु और फेंग्शुई के पांच महत्वपूर्ण तत्वों में से एक अहम तत्व माना जाता है। घोड़े को भी भाग्यशाली जानवर माना गया है। यही वजह है कि घोड़े की नाल वास्तु गैजेट के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
घोड़े की नाल से जुड़ा एक और पहलू है। अर्ध चन्द्रमा रूपी इसके आकार के कारण इसे चन्द्र देव का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि घोड़े की नाल को स्थापित करने से चन्द्रमा मजबूत होता है। फलस्वरूप घर में बेहतर स्वास्थ्य, शांति और खुशहाली का माहौल बनता है। दिलचस्प तथ्य यह है कि घोड़े की नाल को एक गैजेट के रूप में विदेशों में भी लोकप्रियता प्राप्त है। घोड़े की नाल को मुख्य प्रवेश द्वार पर अथवा लिविंग रूम के प्रवेश द्वार पर ऊपर व बाहर की ओर लगाना चाहिए।
आप-धापी के इस युग में मनुष्य को एक और समयभाव हैं वहीं दूसरी और अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु वह विभिन्न टोटकों एवं कुकर्मों का सहारा लेता है। किसी का अगर थोड़ा सा भी कारोबार अच्छा चला, वहीं ईर्ष्या रखेंने वाले लोग अनेक प्रकार के घृणित टोटकों का सहारा लेकर कारोबार को नष्ट प्रायः कर देते है। ऐसे लोगों की बुरी नजर से बचने का अत्यन्त सटीक उपाय है घोड़े की नाल का छल्ला। ध्यान रखेंना चाहिए वह छल्ला एकदम शुद्व एवं प्रमाणिक होना चाहिए। तभी इसका पूर्ण लाभ मिलता है घर तथा कार्य स्थान के मुख्य दरवाजे के ऊपर अन्दर की ओर ‘यू’ के आकार में लगाई गई काले घोड़े के नाल उस स्थान की सभी प्रकार तांत्रिक प्रभाव जादू-टोने, नजर आदि से रक्षा करती है।

इसके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं :-

1. यदि घर में क्लेश रहता हो, आर्थिक उन्नति नहीं हो रही हो या किसी ने तंत्र क्रिया की हो तो घर के मुख्य द्वार पर नाल को अंग्रेजी के यू अक्षर के आकार में लगा दें। कुछ ही दिनों में नाल के प्रभाव से सब कुछ ठीक हो जाएगा।
2. यदि किसी कार्य में अड़चन आ रही हो तो शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल को विधिपूर्वक दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। आपके बिगड़े काम बन जाएंगे और साथ ही धन लाभ भी होगा।
काले वस्त्र में लपेट कर अनाज में रख दो तो अनाज में वृद्धि हो |
3. काले वस्त्र में लपेट कर तिजोरी में रख दो तो धन में वृद्धि हो |
4. अंगूठी या छल्ला बनाकर धारण करे तो शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिले |
5. द्वार पर सीधा लगाये तो दैवीय कृपा मिले |
6. द्वार पर उल्टा लगाओ तो भूत, प्रेत, या किसी भी तंत्र मंत्र से बचाव हो |
7. काले घोड़े की नाल से चार कील बनवाये और शनि पीड़ित व्यक्ति के बिस्तर में चारो पायो में लगा दे |
8. काले घोड़े की नाल से एक कील बनाकर सवा किलो उरद की दाल में रख कर एक नारियल के साथ जल में प्रवाहित करे |

धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तन

धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तन
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धनतेरस के दिन अवश्य खरीदे पीतल के वर्तनसुख.समृद्धि, यश और वैभव का पर्व धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता सुर्यपुत्र यमराज की पूजा का बड़ा महत्व है, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले इस महापर्व के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के वैद्य धनवंतरी ऋषि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे, जिस कारण इस दिन धनतेरस के साथ.साथ धनवंतरी जयंती भी मनाया जाता है। चूंकि पीतल भगवान धनवंतरी की धातु मानी जाती है, इसलिए इस दिन पीतल खरीदना भी शुभ माना जाता है,

नई चीजों के शुभ कदम के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना.चांदी खरीदने की परंपरा है, आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धनवंतरी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। इस दिन घरों को साफ़.सफाई, लीप.पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है। शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है

कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था। जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सांयकाल को यमदेव के निमित्त दीपदान किया जाता है, इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है,

मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है

पूजा के लिए दीपक कैसे तैयार करें?

पूजा के लिए दीपक कैसे तैयार करें?



देवी-देवताओं की पूजा में आरती सबसे महत्वपूर्ण कर्म है। आरती के साथ ही पूजा-अर्चना पूर्ण होती है। पूजा में आरती के महत्व को देखते हुए दीपक तैयार करते समय कई सावधानियां रखनी अनिवार्य है। विधि-विधान से तैयार किए गए दीपक से देवी-देवताओं की कृपा जल्दी ही

- देवताओं को घी का दीपक अपनी बायीं ओर तथा तेल का दीपक दायीं ओर लगाना चाहिए।
- देवी-देवताओं को लगाया गया दीपक पूजन कार्य के बीच बुझना नहीं चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें।
- दीपक हमेशा भगवान के सामने ही लगाएं।
- घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती लगाएं।
- तेल के दीपक के लिए लाल बत्ती का उपयोग किया जाना चाहिए।
- दीपक कहीं से खंडित या टूटा नहीं होना चाहिए।

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