सास बहू संबंध
कन्या दान के बाद अधिकार जमाना अनुचित है
अस कहि पग परि पेम अति सिय हित बिनय सुनाइ।
सिय समेत सियमातु तब चली सुआयसु पाइ।।
जरा विचार करें कि जिनकी सुकोमल पुत्री एक राजकुमार से विवाह के बाद वन - वन भटक रही है, कंद -मूल-फल भोजन कर रही है लेकिन कोई आपत्ति नहीं है।
विदेह राज जनक जी दहेज कम दिए थे कि उनकी पुत्री अयोग्य थी???
किसी से सुंदरता कम था क्या???
क्या सीता जी से भी ज्यादा कोई कष्ट करेंगी??
लेकिन उनके माता पिता कोई आपत्ति करते हैं??
अधिकार जमाते हैं????
किसी को दोष देते हैं????
अपनी प्रिय पुत्री के पति, सास, ससुर के प्रति गलत व्यवहार है???=
उनकी प्रिय पुत्री चित्रकूट में कुटिया में हैं लेकिन जब सुनयना जी को पुत्री सीता जी को अपने संग कुछ घड़ी के लिए अपने शिविर में ले जाना है तो वे पुत्री के सासु माँ से आदेश लेती हैं।
वे यह मान रही हैं कि कन्या दान के बाद अधिकार जमाना दान के महत्ता कम करना है।
मेरी प्यारी पुत्री अब जिनकी बहू है उनसे आदेश लेकर ही पुत्री को ले जाना उचित है।
वे अपनी प्रिय पुत्री के सासु माँ को चरण वंदन करती हैं और विनती करती हैं कि - सीता को अपने बचपन के सखियों , माताओं, स्वजनों से मिलने के लिए मेरे साथ जाने की आज्ञा दें। इसे स्वजनों से मिलने के बाद आपके सेवा में उपस्थित करूँगी।
वहाँ जाने पर कोई सीता जी के ससुराल को दोष नहीं देते बल्कि पिता को अपनी प्रिय पुत्री के आचरण पर गर्व होता है...
कोई आधुनिक युग जैसे ये कहने वाला नहीं है कि दहेज व्यर्थ गया
बड़े नालायक के यहाँ विवाह किए....आदि आदि
पिता गर्व से कहते हैं-
पुत्री! पवित्र किए कुल दोऊ। सुजस धवल जगु कह सब कोऊ।।
मेरी प्यारी बिटिया! मुझे तुम पर गर्व है।
तुमने ससुर कुल के साथ साथ पिता कुल भी गौरवान्वित कर दी। केवल मैं ही नहीं बल्कि सभी तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं।
तुम जैसी महान बिटिया के पिता होने का मुझे गर्व है।
जिति सुरसरि कीरति सरि तोरी। गवनु कीन्ह बिधि अंड करोरी।।
गंगा जी जो त्रपथगामिनी हैं तो भूलोक के कुछ क्षेत्र में ही गमन की हैं । मात्र तीन लोक को पवित्र करने की क्षमता है लेकिन तुम्हारे कीर्ति रूपी निर्मल गंगा करोड़ों ब्रह्मांड में गमन कर पवित्र कर रही है।
मैं तुम्हारे पिता बन कर परम धन्य हूँ सीते ! मैं परम धन्य हूँ!!!!
वे अपनी प्रिय पुत्री के ससुराल का आदर करते हैं।
पुत्री के सास ससुर पर दोषारोपण नहीं करते।
उन्हें पुत्री के पति से भी कोई शिकायत नहीं है
बस यही कारण है कि...महान त्यागी विदेह वंश की कन्या महान आदर्श प्रस्तुत कर सकीं...
सती सिरोमनि सिय गुन गाथा।सोइ गुन अमल अनूपम पाथा।।
सीता जैसी महान बिटिया के माता पिता को शत् शत् नमन
सीताराम जय सीताराम
सीताराम जय सीताराम