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रविवार, 3 मार्च 2019

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी

महाशिवरात्रि पर करें ये उपाय, हर संकट से मिलेगी मुक्ति, घर में साक्षात होगा लक्ष्मी जी का वास, बनेगा सौभाग्य....

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है।
इस बार सोमवार के दिन सिद्धियोग श्रवण नक्षत्र में मनाया जायेगा जो इस बार 4 मार्च 2019 को है।

इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व भोले बाबा के प्रिय वार यानी सोमवार को मनाया जाएगा।
शिव का प्रिय दिन तो वैसे भी सोमवार ही है। इस दिन दुर्लभ सिद्धियोग का संयोग श्रद्घालुओं के लिए विशेष फलकारी है। कई वर्षों के बाद यह योग लोगों के जीवन में शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक रहेगा।

इस दिन रात्रि में व्रत किए जाने के कारण इस व्रत का नाम शिवरात्रि होना सार्थक हो जाता है।
स्कन्दपुराण के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव पूजन, जागरण और उपवास करने वाले को प्रारब्ध के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन रात्रि के समय स्वयं शिव पार्वती जी भ्रमण करते हैं, अत: इस समय में पूजन करने से मनुष्यों के पाप दूर हो जाते हैं।

1- महाशिवरात्रि के दिन कम से कम किसी एक गाय, बैल अथवा सांड को हरा चारा, गुड़ आदि अवश्य खिलाना चाहिए, इससे आपके ऊपर आया बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है।

2- महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में 9 बजे के बाद किसी निर्जन स्थान पर बने हुए शिव मंदिर में जाएं तथा वहां साफ-सफाई कर पूजा-अर्चना करें, दीपक जलाएं। इससे आप पर आई बड़ी से बड़ी समस्या भी दूर हो जाएगी।

3- महाशिवरात्रि की रात को शिवलिंग पर "ॐ जूं सः"  ये महामृत्युंजय का बीज हे इस मंत्र का जाप करते हुए दूध मिश्रित जल चढ़ाएं तथा बील पत्र अर्पण करें। इससे स्वयं की तथा परिवार की स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएं तुरंत ही भाग जाएंगी।

4- महाशिवरात्रि पर एक छोटा सा पारद शिवलिंग घर में लाकर उसकी विधिवत स्थापना करें तथा प्रतिदिन धूप बत्ती, पुष्प आदि चढ़ा पूजा करें। इस उपाय से घर में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है।

5- यदि दाम्पत्य जीवन में समस्याएं हो तो किसी सुहागन स्त्री को सुहाग का सामग्री तथा लाल साड़ी, चूड़ियां, कुमकुम आदि उपहार में दें। गृहस्थ जीवन सुखमय हो जाएगा।

6- महाशिवरात्रि पर योग्यपात्र को कुछ न कुछ दान अवश्य करें। यदि किसी अनाथ आश्रम में भोजन दान दे सकें तो दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाएगा।

7- महाशिवरात्रि पर किसी शिव मंदिर में जाकर श्रद्धा से ॐ नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। इससे कुंडली में चल रहे ख़राब ग्रह भी अनुकूल बन जाते हैं तथा आपके बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं।

8- शिवपुराण के अनुसार इस दिन बिल्व पत्र के वृक्ष की पूजा करने के बाद शिवलिंग के पर जल चढ़ाना चाहिए। इससे मनावांछित इच्छा पूरी होती है।

महाशिवरात्रि पर इस बार शिवजी की पूजा करने से भक्तों को कई गुणा अधिक फल प्राप्त होगा।

महाशिवरात्रि पर शिवजी को जलाभिषेक व पूजा-पाठ करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। धार्मिक कार्यों की दृष्टि से यह विशेष माना गया है।

महाशिवरात्रि पर इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
इस दिन व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिव पंचाक्षर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें।

महाशिवरात्रि पर इस बार भगवान शंकर के पूजन से सुख-समृद्धि मिलेगी...

महाशिवरात्रि के दिन राशिनुसार करें इन शिव मंत्रों का जाप

महाशिवरात्रि के दिन राशिनुसार करें इन शिव मंत्रों का जाप

महाशिवरात्रि के दिन करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, आपकी दिनों-दिन तरक्की होगी और आपकी सभी समस्याओं का हल निकलेगा। जानिए विभिन्न राशि वालों को आज के दिन किस विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त
इस बार शिवरात्रि 3 मार्च की रात 12:43 बजे से शुरू हो जाएगा जो मुहूर्त 4 मार्च को रात 1:54 तक रहेगा श्रवण नक्षत्र 4 मार्च की सुबह शुरू होगा, ऐसे में इसी दिन शिवरात्रि मनाना शुभ होगा।

महाशिवरात्रि के दिन करने उपवास और शिव पूजन करने से आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी, आपकी तरक्की होगी और आपकी सभी समस्याओं का हल निकलेगा।

जानिए राशि अनुसार इस दिन किस विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए जो आपको सफलता प्रदान करेगा।

मेष राशि
आज महाशिवरात्रि के दिन आप शिवजी के अघोर मंत्र का जाप करें। मंत्र है-
'ॐ अघोरेभ्यो अथघोरेभ्यो, घोर घोर तरेभ्यः। सर्वेभ्यो सर्व शर्वेभ्यो, नमस्ते अस्तु रूद्ररूपेभ्यः'।।

वृष राशि
आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
'ॐ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ॐ नमः'।।

मिथुन राशि
आपको इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
'ॐ शिवाय नमः ॐ'।।

कर्क राशि
आप इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं शिवाय शं ॐ नमः'।।

सिंह राशि
महाशिवरात्रि के दिन आप इस मंत्र का जाप करें-
'नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं'।।

कन्या राशि
आपको इस दिन शिव जी के त्र्यम्बक मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र है
'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥'

तुला राशि
आप इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं भवोद्भवाय शं ॐ नमः'।।

वृश्चिक राशि
आप आज के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाश माकाश वासं भजेऽहं'।।

धनु राशि
आप इस दिन इन विशेष मंत्रों का जाप करें-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं आं शं शंकराय मम सकल जन्मांतरार्जित पाप विध्वंसनाय श्रीमते आयुःप्रदाय, धनदाय,
पुत्रदारादि सौख्य प्रदाय महेश्वराय ते नमः।1

कष्टं घोर भयं वारय वारय पूर्णायुः वितर वितर मध्ये मा खण्डितं कुरु कुरु सर्वान् कामान् पूरय पूरय शं आं क्लीं ह्रीं ऐं ॐसम संख्याम सावित्रीम् जपेत् ।2
ॐ तत्पुरुषाय च विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात ।।3

मकर राशि
आप आज महाशिवरात्रि के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ॐ।।

कुंभ राशि
इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ॐ नमः शिवाय'।।

मीन राशि
आप आज के दिन इस मंत्र का जाप करें-
'ॐ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ॐ'।।

शनिवार, 2 मार्च 2019

महाशिवरात्रि 4 मार्च 2019

🌷 *महाशिवरात्रि* 🌷

🙏🏻 *सोमवार, 04 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन की गई शिव पूजा से पिछले समय से चली आ रही परेशानियां खत्म हो सकती हैं और धन लाभ भी मिल सकता है। यहां जानिए शास्त्रों में बताए उपाए...*
👉🏻 *शिवरात्रि पर करें इन 8 में से कोई 1 उपाय, दूर हो सकती है परेशानी*
🔥 *महाशिवरात्रि पर रात में किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं । शिव पुराण के अनुसार कुबेर देव ने पूर्व जन्म में रात के समय शिवलिंग के पास रोशनी की थी इसी वजह से अगले जन्म में वे देवताओं के कोषाध्यक्ष बने।*
🙏🏻 *महाशिवरात्रि पर छोटा सा पारद (पारा) शिवलिंग लेकर आएं और धर के मंदिर में इसे स्थापित करें। शिवरात्रि से शुरू करके रोज इसकी पूजा करें । इस उपाय से धर की दरिद्रता दुर होती है और लक्ष्मी कुपा बनी रहती है।*
🙏🏻 *यदि आप चाहें तो शिवरात्रि पर स्फटिक के शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं। धर के मंदिर में जल, दूध, दही, धी, शहद, और शकर से इस शिवलिंग को स्नान कराएं । मंत्र - ॐ नम: शिवाय ।  मंत्र जप कम से कम 108 बार करें।*
🙏🏻 *हनुमानजी भगवान शिव के ही अंशावतार माने गए हैं। शिवरात्रि पर हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमानजी और शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इनकी कृपा से भक्त की सभी परेशानियां दूर हो सकती हैं।*
👩🏻 *कसी सुहागिन को सुहाग का सामान उपहार में दें । जो लोग यह उपाय करते है, उनके वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर हो सकती हैं। सुहाग का सामान जैसे - लाल साड़ी, लाल चुडियां, कुमकुम आदि।*
💰 *महाशिवरात्रि पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति को अनाज और धन का दान करें। शास्त्रों में बताया गया है कि गरिबों को दान करने से पुराने सभी पापों का असर खत्म हो सकता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।*
🍚 *जो लोग शिवरात्रि पर किसी बिल्व वृक्ष के नीचे खड़े होकर खीर और धी का दान करते हैं, उन्हें महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसे लोग जीवनभर सुख-सुविधाएं प्राप्त करते हैं और कार्यों में सफल होते हैं।*
🌳 *शिव पुराण के अनुसार बिल्व वृक्ष महादेव का रुप है। इसलिए इसकी पूजा करें।फूल, कुमकुम, प्रसाद आदि चीजें विशेष रुप से चढ़ाएं । इसकी पूजा से जल्दी शुभ फल मिलते हैं। शिवरात्रि पर बिल्व के पास दीपक जलाएं ।*
            🌞 *~  हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *महाशिवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *भगवान शिव बहुत भोले हैं, यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से उन्हें सिर्फ एक लोटा पानी भी अर्पित करे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि (04 मार्च, सोमवार) पर शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय करते हैं।*
*कुछ ऐसे ही छोटे और अचूक उपायों के बारे शिवपुराण में भी लिखा है। ये उपाय इतने सरल हैं कि इन्हें बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है। हर समस्या के समाधान के लिए शिवपुराण में एक अलग उपाय बताया गया है। ये उपाय इस प्रकार हैं-*
👉🏻 *महाशिवरात्रि पर करें ये आसान उपाय, प्रसन्न होंगे भोलेनाथ*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से क्या फल मिलता है-*
👨‍👩‍👧‍👦  *1. बुखार होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जल द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।*
😇  *2. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिला दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।*
😃 *3. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।*
🙏🏻 *4. शिव को गंगा जल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।*
😩 *5. शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी रोग में आराम मिलता है।*
🚶🏻 *6. यदि शारीरिक रूप से कमजोर कोई व्यक्ति भगवान शिव का अभिषेक गाय के शुद्ध घी से करे तो उसकी कमजोरी दूर हो सकती है।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार, जानिए भगवान शिव को कौन-सा फूल चढ़ाने से क्या फल मिलता है-*
🌷 *1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।*
🌷 *2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।*
🌷 *3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने पर मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।*
🌷 *4. शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।*
🌷 *5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।*
🌷 *6. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।*
🌷 *7. कनेर के फूलों से भगवान शिव का पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।*
🌷 *8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।*
🌷 *9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।*
🌷 *10. लाल डंठलवाला धतूरा शिव पूजन में शुभ माना गया है।*
🌷 *11. दूर्वा से भगवान शिव का पूजन करने पर आयु बढ़ती है।*
💰 *आमदनी बढ़ाने के लिए*
*महाशिवरात्रि पर घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी पूजा करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जाप करें-*
*ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं*
*प्रत्येक मंत्र के साथ बिल्वपत्र पारद शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्वपत्र के तीनों दलों पर लाल चंदन से क्रमश: ऐं, ह्री, श्रीं लिखें। अंतिम 108 वां बिल्वपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद निकाल लें तथा उसे अपने पूजन स्थान पर रखकर प्रतिदिन उसकी पूजा करें। माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की आमदानी में इजाफा होता है।*
👪 *संतान प्राप्ति के लिए उपाय*
*महाशिवरात्रि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें। इसके बाद गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं। अब प्रत्येक शिवलिंग का शिव महिम्न स्त्रोत से जलाभिषेक करें। इस प्रकार 11 बार जलाभिषेक करें। उस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।*
*यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।*
😩 *बीमारी ठीक करने के लिए उपाय*
*महाशिवरात्रि पर पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें*
🙏🏻 *इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। इस उपाय से बीमारी ठीक होने में लाभ मिलता है।*

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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2019

#शास्त्रों* में मिलावट या दूषण क्रिया

*#शास्त्रों* में मिलावट या दूषण क्रिया।
यह निश्चित है कि यदि संस्कृत का अध्ययन और व्याकरण का अभ्यास नहीं किया गया तो वेद-पुराण-शास्त्र आदि का मूल रूप लुप्त हो जायेगा और म्लेच्छ लोग कुतर्कों से श्रद्धावान जन को मानसिक तथा शारीरिक रूप से सर्वथा पतन के गर्भ में झोंक देगें।
यद्यपि मैंने पहले भी यह बात बतायी है. और विविध अवसरों पर इनका उल्लेख भी किया है. मैं पुनः एक उदाहरण वायुपुराण से दे रहा हूँ. वायुपुराण के द्वितीय अध्याय "द्वादशवार्षिकसत्र निरूपण" में बताया गया है कि ---
*#उर्वशी चकमे यं च देवहूतिप्रणोदिता।*
आजहार च तत्सत्रं स्व *#र्वेश्यासहसंगतः।---16.*
इस श्लोक में उर्वशी को स्पष्ट शब्दों में *#वैश्या* कहा गया है. यही नहीं माता देवहूति ने प्रेरित कर उसका विवाह भी राजा पुरुरवा से करवा दिया। यह सर्व विदित है कि उर्वशी, रम्भा, मेनका, तिलोत्तमा आदि स्वर्ग की अप्शरायें थीं. तथा विविध दैवी कार्यक्रमों में अपना शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर स्वरबोध कराती थीं. उन्होंने सदा अपने गर्भ से विभूतियों को ही जन्म दिया है. मेनका-दुष्यंत के पुत्र भरत इसका बहुप्रचलित उदाहरण है. उर्वशी ने विदम्भ, रम्भा ने कृतिवर्ह और तिलोत्तमा ने अजवाह नामक देवअंशी ऋषियों को अपने गर्भ से जन्म दिया। और उसे वैश्या कहा गया है. यही नहीं विवाह की प्रेरणा भी देवहूति द्वारा दी गयी.
क्या कोई एक ऐसा उदाहरण है जिसमें यह बताया गया हो कि कोई भी अप्सरा स्वयं या कामपीड़ित होकर किसी राजा का वरण किया हो?
जब भी इनका सम्बन्ध किसी सांसारिक मनुष्य से हुआ है तो इसके पीछे उस सांसारिक मनुष्य का ही हाथ, भय या दण्ड रहा है. किसी अप्सरा का नहीं। फिर किस आधार पर इन्हें वैश्या शब्द से सम्बोधित किया गया है?
यही नहीं, इसके आगे वाला श्लोक देखें-         
*#तस्मिन्नरपतौ* सत्रं नैमिषेयाः प्रचक्रिरे।
यं गर्भे सुषुवे गङ्गा पावकाद्दीप्ततेजसम।----17
अर्थात सर्वप्रथम तो यह कि देवमाता ने जानबूझकर उर्वसी से व्यभिचार करवाया। क्योंकि वेश्या से व्यभिचार ही अपेक्षित है. उसके बाद देवमाता की यही आकांक्षा थी कि नैमिष ऋषियों का द्वादश वर्षीय सत्र भङ्ग हो जाय. सोचने की बात है, ऋषिपत्नी देवहूति ने अत्यंत पवित्र कार्य द्वादश वर्षीय सत्र को भङ्ग करना चाहा, सहारा किसका लिया--एक वेश्या (????) का, दूषित किसे किया- एक नृपति को.
इसके बाद श्लोक की अगली पंक्ति देखें। उसमें बताया गया है कि पावक अर्थात अग्नि के उद्दीप्त तेज से गङ्गा ने गर्भ धारण किया। और गर्भ के उस भ्रूण-उल्व को पर्वत पर रख दिया गया जो स्वर्ण बन गया.
---तदुल्वं पर्वते न्यस्तँ हिरण्यं प्रत्यपद्यत।
हिरण्मयं ततश्चक्रे यज्ञवाटं महात्मनाम।     
स्वयं देखें, इस श्लोक का इसके आगे या पीछे के श्लोक या प्रसङ्ग से कोई सम्बन्ध नहीं है. क्योंकि पहले कहा गया है कि देवहूति ने पुरुरवा का व्याह वेश्या उर्वसी के साथ हुआ. चलिये यह तो प्रसङ्ग चल ही रहा है. फिर यह गङ्गा के गर्भ धारण, तथा उसके उल्व को पर्वत पर रख देने का क्या तात्पर्य? इसका इस कथन से या प्रसङ्ग से क्या लेना लेना देना? क्योंकि आगे की कथा पुनः पुरुरवा और उर्वसी के सम्बन्ध से उत्पन्न संतान पर आ जाती है. और इनकी यही संतान नहुष के महात्मा पिता के रूप में प्रसिद्ध हुई.
ध्यान दें, यहां पर भी संतान महात्मा हुई. फिर भी उर्वसी को वेश्या सम्बोधन मिला है.
पुनः यहां गङ्गा को भी अपमानजनक स्थिति के द्वारा प्रदर्शित किया गया है. वह भी बिना किसी प्रयोजन के. जिसका इस कथा से कोई सम्बन्ध नहीं बनता है. इस प्रकार विविध प्रक्षिप्त कथन इन पवित्र कथाओं को दूषित और हेय बनाते हैं.
अल्पज्ञता, स्वार्थपरता या पापपूर्ण लोभ और छद्मपांडित्य के कारण पुराणों को न समझ सकने से ये विद्वान विद्वान के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करने वाले विश्लेषक, व्याख्याकार आदि ने इन पुराणों का बहुत अपमान किया है.
उदाहरण---
कोई भी व्यक्ति अपनी संतान को लक्ष्मी सदृश गुणों के कारण उसका नाम लक्ष्मी रख देता है. वैसे तो आजकल प्रत्येक व्यक्ति कुछ और ही कर रहा है. जैसे अपनी काणी या भैंगी लड़की का नाम *#सुलोचना* रख दे रहा है. या अपने कुबड़े या काले कलूटे पुत्र का नाम भी #रुपेश रख दे रहा है. किन्तु पुराणकालीन नाम ऐसे नहीं होते थे. जैसा गुण होता था वैसा ही नाम रखा जाता था. जैसे--
*#विश्व भरण पोषण कर जोई.*
ताकर नाम भरत अस होई.
जेहि सुमिरत हो शत्रु विनाशा।
नाम शत्रुहन वेद प्रकाशा।----रामचरितमानस
अर्थात जो विश्व के भरण पोषण की शक्ति एवं इच्छा से भरा हो ऐसे इस बालक का नाम भरत विख्यात होगा। जिसके नाम स्मरण मात्र से शत्रुओं का विनाश हो जाय, ऐसे इस बालक का नाम शत्रुघ्न प्रसिद्ध होगा।
अब सम्बंधित प्रसङ्ग पर आते हैं. उर्वसी को उपर्युक्त कथा में वेश्या कहा गया है. जबकि इसका नामकरण वैदिक ऋचाओं के आधार पर है--
*#त्वमग्ने प्रथमं आयुं आयवे देवाः अकृण्वन।---ऋग्वेद 1/31/11*
अर्थात हे अग्नि पहले तुमने आयु को बनाया और उसके बाद अन्य देवताओं को.
ऊपर के वायुपुराण के कथन में यह बताया गया है कि नहुष के पिता एवं पुरुरवा-उर्वसी से उत्पन्न संतान का नाम आयु था. अर्थात नहुष पुरुरवा के पौत्र थे.
उर्वसी--और्वं सह ईक्षते (तत्प्रत्ययान्ते पदकृतं ईकारान्त) अर्थात सूर्य
पुरुरवा- पुरो वहति उत्सर्जति वा. अर्थात सूर्य के आगे आगे जो प्रवाहित होती है--किरण-रश्मि।
इन गुणों से संपन्न होने के कारण इस स्वर्ग की अप्सरा को उर्वसी जो सूर्य के सदृश थी, तथा पुरुरवा जो रश्मि की भाँती थे, नामकरण हुआ.
इसके उपरान्त भी पुरुरवा को व्यभिचारी-विलासी एवं परदारारत तथा उर्वसी को वैश्या बताया गया है.
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अतः आज उपलब्ध पुराण-शास्त्र आदि अपना मूल रूप खो चुके हैं.  
वेदव्यास द्वारा सम्पादित पुराण की कथाओं का प्रचार तात्कालिक सूतों द्वारा हुआ. सूत एक जाति या सम्प्रदाय था. जो वंश परम्परा के अनुसार घूम घूम कर कथाओं के द्वारा समाज का संशोधन एवं मनोरंजन करता था. विभिन्न सूतों के मुख से उद्गीर्ण पौराणिक कथाओं में कालक्रमानुसार पाठान्तर एवं प्रक्षेप का होना स्वतः सिद्ध है. कालान्तर में स्वार्थ निरत व्यासों और सूतों ने अपनी अपनी मान्यता का समावेश किया। धीरे धीरे पुराण तिल के ताड़ बनाये गये. उनकी शाखायें-प्रशाखायें उत्पन्न हुईं। साम्प्रदायिक घृणा और द्वेष की प्रवृत्तियाँ समाविष्ट हुईं। पाठान्तर और प्रेक्षप निरंतर बढ़ते गये. फिर भी अभ्यासी, चैतन्य, अध्येता एवं वेदपाठी कुशल आचार्यों ने इसकी मौलिकता बनाये रखी. जिससे यह नष्ट तो न हो पाया है और न होगा। किन्तु इसे वही जान सकता है जो भाषा विज्ञान, छंद, लय, यति तथा शब्द संहिता आदि का ज्ञान रखता हो. अन्यथा दुसरे लोग तो दूषित, अशुद्ध एवं भ्रामक पुराण आदि ही पढ़ेगें और उनका अनुकरण करेगें। जैसा आजकल लोग कर रहे हैं. आजकल तो *#नेटपुराण और #नेटकर्मकाण्ड* का बोलबाला है.
मातारानी रक्षा करें।

सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

भारत में रविवार की छुट्टी किस व्यक्ति ने दिलाई?

भारत में रविवार की छुट्टी किस व्यक्ति ने  दिलाई?
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रविवार की छुट्टी के पीछे उस महान व्यक्ति का क्या मकसद था? जानिए क्या है इसका इतिहास।

साथियों, जिस व्यक्ति की वजह से हमें ये छुट्टी हासिल हुयी है, उस महापुरुष का नाम है "नारायण मेघाजी लोखंडे". नारायण मेघाजी लोखंडे ये जोतीराव फुलेजी के सत्यशोधक आन्दोलन के कार्यकर्ता थे। और कामगार नेता भी थे। अंग्रेजो के समय में हफ्ते के सातो दिन मजदूरो को काम करना पड़ता था। लेकिन नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था की, हफ्ते में सात दिन हम अपने परिवार के लिए काम करते है। लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरिया मिली है, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी मिलनी चाहिए। उसके लिए उन्होंने अंग्रेजो के सामने 1881 में प्रस्ताव रखा। लेकिन अंग्रेज ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे। इसलिए आख़िरकार नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इस sunday की छुट्टी के लिए 1881 में आन्दोलन करना पड़ा। ये आन्दोलन दिन-ब-दिन बढ़ते गया। लगभग 8 साल ये आन्दोलन चला। आखिरकार 1889 में अंग्रेजो को sunday की छुट्टी का ऐलान करना पड़ा। ये है इतिहास।
क्या हम इसके बारे में जानते है?
अनपढ़ लोग छोड़ो लेकिन क्या पढ़े लिखे लोग भी इस बात को जानते है?
जहा तक हमारी जानकारी है, पढ़े लिखे लोग भी इस बात को नहीं जानते। अगर जानकारी होती तो sunday के दिन enjoy नहीं करते....समाज का काम करते....और अगर समाज का काम ईमानदारी से करते तो समाज में भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कार, गरीबी, लाचारी ये समस्या नहीं होती।
साथियों, इस sunday की छुट्टीपर हमारा हक़ नहीं है, इसपर "समाज" का हक़ है। कोई बात नहीं, आज तक हमें ये मालूम नहीं था लेकिन अगर आज हमें मालूम हुआ है तो आज से ही sunday का ये दिन सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करें.!!
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