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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान )

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियो का अनुसंधान )

■ क्रति = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुति = 1 लव ,
■ 1 लव = 1 क्षण
■ 30 क्षण = 1 विपल ,
■ 60 विपल = 1 पल
■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,
■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 76 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महाकाल = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )

सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है। जो हमारे देश भारत में बना। ये हमारा भारत जिस पर हमको गर्व है l
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।

तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।

चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
चार वाणी : ओम्कार्, अकार्, उकार, मकार्।
चार आश्रम : ब्रह्मचर्य, ग्राहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास।
चार भोज्य : खाद्य, पेय, लेह्य, चोष्य।
चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
चार वाद्य : तत्, सुषिर, अवनद्व, घन।

पाँच तत्व : पृथ्वी, आकाश, अग्नि, जल, वायु।
पाँच देवता : गणेश, दुर्गा, विष्णु, शंकर, सुर्य।
पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा।
पाँच कर्म : रस, रुप, गंध, स्पर्श, ध्वनि।
पाँच  उंगलियां : अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा।
पाँच पूजा उपचार : गंध, पुष्प, धुप, दीप, नैवेद्य।
पाँच अमृत : दूध, दही, घी, शहद, शक्कर।
पाँच प्रेत : भूत, पिशाच, वैताल, कुष्मांड, ब्रह्मराक्षस।
पाँच स्वाद : मीठा, चर्खा, खट्टा, खारा, कड़वा।
पाँच वायु : प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान।
पाँच इन्द्रियाँ : आँख, नाक, कान, जीभ, त्वचा, मन।
पाँच वटवृक्ष : सिद्धवट (उज्जैन), अक्षयवट (Prayagraj), बोधिवट (बोधगया), वंशीवट (वृंदावन), साक्षीवट (गया)।
पाँच पत्ते : आम, पीपल, बरगद, गुलर, अशोक।
पाँच कन्या : अहिल्या, तारा, मंदोदरी, कुंती, द्रौपदी।

छ: ॠतु : शीत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, बसंत, शिशिर।
छ: ज्ञान के अंग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष।
छ: कर्म : देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, दान।
छ: दोष : काम, क्रोध, मद (घमंड), लोभ (लालच),  मोह, आलस्य।

सात छंद : गायत्री, उष्णिक, अनुष्टुप, वृहती, पंक्ति, त्रिष्टुप, जगती।
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
सात सुर : षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद।
सात चक्र : सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मुलाधार।
सात वार : रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि।
सात मिट्टी : गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब।
सात महाद्वीप : जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप।
सात ॠषि : वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक।
सात ॠषि : वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज।
सात धातु (शारीरिक) : रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, वीर्य।
सात रंग : बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
सात पाताल : अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल।
सात पुरी : मथुरा, हरिद्वार, काशी, अयोध्या, उज्जैन, द्वारका, काञ्ची।
सात धान्य : उड़द, गेहूँ, चना, चांवल, जौ, मूँग, बाजरा।

आठ मातृका : ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा।
आठ लक्ष्मी : आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी।
आठ वसु : अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास।
आठ सिद्धि : अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व।
आठ धातु : सोना, चांदी, ताम्बा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा।

नवदुर्गा : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवग्रह : सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु।
नवरत्न : हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया।
नवनिधि : पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि।

दस महाविद्या : काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला।
दस दिशाएँ : पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे।
दस दिक्पाल : इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत।
दस अवतार (विष्णुजी) : मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि।
दस सति : सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती।

उक्त जानकारी शास्त्रोक्त 📚 आधार पर... हैं ।
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रविवार, 29 सितंबर 2019

नवदुर्गा की नौ औषधियां वनस्पतियां

नवदुर्गा की नौ औषधियां वनस्पतियां              
सम्पूर्ण प्रकृति में  जगत जननी माँ आदि शक्ति भवानी दुर्गा का ही वास है वह प्रत्येक चर-अचर, जीव - जंतु, प्रकृति की समस्त वनस्पतियों और प्रकृति के हर कण कण में माँ का ही वास है!इस लिए के अनुपम सुंदर को बचाना होगा! क्यों कि प्रकृति ही हमारे जीवन के लिए एक रक्षा कवच है! इस लिए धरती मां के शृंगार अर्थात पेड़ पौधों और वनस्पतियों को मिटने से बचाना होगा!
#नवदुर्गा इन 9 प्रकार की औषधियों में विराजती है!
मां दुर्गा नौ रूपों में अपने भक्तों का कल्याण कर उनके सारे संकट हर लेती हैं। इस बात का जीता जागता प्रमाण है, संसार में उपलब्ध वे औषधियां,  जिन्हें मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के रूप में जाना जाता है।
नवदुर्गा के नौ औषधि स्वरूपों को सर्वप्रथम मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में दर्शाया गया और चिकित्सा प्रणाली के इस रहस्य को ब्रह्माजी द्वारा उपदेश में दुर्गाकवच कहा गया है।
ऐसा माना जाता है कि यह औषधियां समस्त प्राणियों के रोगों को हरने वाली और और उनसे बचा कर रखने के लिए एक कवच का कार्य करती हैं, इसलिए इसे दुर्गाकवच भी कहा गया है । इनके प्रयोग से मनुष्य अकाल मृत्यु से बचकर सौ वर्ष तक जीवन जी सकता है।
आइए जानते हैं दिव्य गुणों वाली नौ औषधियों को जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है।
1. प्रथम शैलपुत्री यानि हरड़ -
नवदुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है। कई प्रकार की समस्याओं में काम आने वाली औषधि हरड़, हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है, जो सात प्रकार की होती है। इसमें हरीतिका (हरी) भय को हरने वाली है।
पथया - जो हित करने वाली है।
कायस्थ - जो शरीर को बनाए रखने वाली है।
अमृता - अमृत के समान
हेमवती - हिमालय पर होने वाली।
चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली है।
श्रेयसी (यशदाता)- शिवा कल्याण करने वाली।
2. द्वितीय ब्रह्मचारिणी यानि ब्राह्मी -
ब्राह्मी, नवदुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है। यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली, रूधिर विकारों का नाश करने वालीऔर स्वर को मधुर करने वाली है। इसलिए ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। यह मन एवं मस्तिष्क में शक्ति प्रदान करती है और गैस व मूत्र संबंधी रोगों की प्रमुख दवा है। यह मूत्र द्वारा रक्त विकारों को बाहर निकालने में समर्थ औषधि है। अत: इन रोगों से पीड़ित व्यक्ति को ब्रह्मचारिणी कीआराधना करना चाहिए।
3. तृतीय चंद्रघंटा यानि चन्दुसूर
नवदुर्गा का तीसरा रूप है चंद्रघंटा, इसे चन्दुसूर या चमसूर कहा गया है। यह एक ऐसा पौधा है जो धनिये के समान है। इस पौधे की पत्तियों की सब्जी बनाई जाती है, जो लाभदायक होती है।
यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है, इसलिए इसे चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति को बढ़ाने वाली, हृदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है।
अत: इस बीमारी से संबंधित रोगी को चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए।
4. चतुर्थ कुष्माण्डा यानि पेठा  
नवदुर्गा का चौथा रूप कुष्माण्डा है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है, इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो पुष्टिकारक, वीर्यवर्धक व रक्त के विकार को ठीक कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिकरूप से कमजोर व्यक्ति के लिए यह अमृत समान है। यह शरीर के समस्त दोषों को दूर कर हृदय रोग को ठीक करता है।
कुम्हड़ा रक्त पित्त एवं गैस को दूर करता है। इन बीमारी से पीड़ितव्यक्ति को पेठा का उपयोग के साथ कुष्माण्डादेवी की आराधना करना चाहिए।
5. पंचम स्कंदमाता यानि अलसी
नवदुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता है जिन्हें पार्वती एवं उमा भी कहते हैं। यह औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त, कफ, रोगों की नाशक  औषधि है।
अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।
अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।
उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति ने स्कंदमाउता की आराधना करना चाहिए।
6. षष्ठम कात्यायनी यानि मोइया -
नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है।
इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की आराधना करना चाहिए।
सप्तमं कालरात्री ति महागौरीति चाष्टम।
7.सप्तम कालरात्रि यानि नागदौन-
दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है जिसे
महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है।
इस पौधे को व्यक्ति अपने घर में लगाने पर घर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली एवं सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए।
8.अष्टम महागौरी यानि तुलसी -
नवदुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है क्योंकि इसका औषधि नाम तुलसी है जो प्रत्येक घर में लगाई जाती है। तुलसी सात प्रकार की होती है- सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये सभी प्रकार की तुलसी रक्त को साफ करती है एवं हृदय रोग का नाश करती है।
तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।
अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुन्दुभि:
तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् ।
मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।
इस देवी की आराधना हर सामान्य एवं रोगी व्यक्ति को करना चाहिए।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता
9. नवम सिद्धिदात्री यानि शतावरी -
नवदुर्गा का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिसे
नारायणी याशतावरी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है। सिद्धिदात्री का जो मनुष्य नियमपूर्वक सेवन करता है। उसके सभी कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिद्धिदात्री देवी की आराधना करना चाहिए।
इस प्रकार प्रत्येक देवी आयुर्वेद की भाषा में मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधि के रूप में मनुष्य की प्रत्येक बीमारी को ठीक कर रक्त का संचालन
उचित एवं साफ कर मनुष्य को स्वस्थ करती है।
अत: मनुष्य को इनकी आराधना एवं सेवन करना चाहिए।
सेवा, आराधना और समर्पण का यह पर्व आप सब के लिए मंगलमय हो।        
                              

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

घट स्थापना मुहूर्त

घट स्थापना मुहूर्त
इस वर्ष नवरात्रि की में 6 श्रेष्ठ मुहूर्त आ रहे हैं जिसके साथ में सलवार से भी अमृत सिद्धि योग जैसे विशेष 6 योग मिले हैं
इस वर्ष विक्रम संवत 2076 अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रविवार हस्त नक्षत्र ब्रह्मा योग से नवरात्रि घट स्थापन आरंभ हो रहा है जिस वर्ष 9 दिन पुण  होते हैं उस वर्ष सम्मत अच्छा निकलता है सभी की मनोकामना पूर्ण होती है
घटस्थापना के मुहूर्त अपने-अपने परंपराओं के अनुसार घट स्थापना करनी चाहिए
घट स्थापना का प्रातकाल 6:54 से 12:21 तक घट स्थापना की से श्रेष्ठ मुहूर्त रहेंगे उसके बाद दोपहर 1:50 से 2:19 तक श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा प्रदोष काल शाम को जिनको स्थापना करनी हो उनके लिए 6:17 से 10:54 तक श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा
इन समय आप अपने अपने हिसाब से अपने घर पर घटस्थापना करें अखंड दीपक जलाएं या अपनी परंपराओं के अनुसार 9 दिन तक माता जी की पूजन करें
जैसा कि आपको पता है कई व्यक्ति दीपदान के लिए आप को गुमराह करते हैं आप नवरात्रि में घी का दीपक जलाने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है तिल्ली का तेल सोयाबीन कपास मूंगफली के तेल से दीपक जलाने से शक्ति प्राप्त होती है
कई व्यक्ति हनुमान जी के यहां पीपल के यहां या किसी के द्वारा बताए जाने पर जैसे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं पहले सोच समझ कर के ही जलाएं क्योंकि सरसों के तेल के दीपक जलाने से दीपक जलाने वाले व्यक्ति के ही एक्सीडेंट घर की लक्ष्मी घर में कलेश पैदा होना क्या लक्ष्मी नष्ट होना इसलिए सरसों के तेल से कभी भी दीपक नहीं जला में अपने शत्रुओं को भी नहीं जलाने के लिए कहा जाए
नवरात्रि के अंदर आप दुर्गा सप्तशती के पाठ जैसे दुर्गा की 32 नामावली 108 नाम कुंजिका पाठ कवच अर्गला किलक देवी अथर्वशीर्ष के साथ नवाणन्यास सप्तशती न्यास एवं दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय का पाठ करें देवी रात्रि सुक्त देवी तंत्रोक्त सुक्त तीनों रहस्य के पाठ करना चाहिए
इसके अलावा कोई गायत्री के जप महामृत्युंजय अनुष्ठान  या श्री सूक्त के पाठ श्री सूक्त का पाठ उसी व्यक्ति को करना चाहिए जिस व्यक्ति के इमानदारी का पैसा आता हो हराम का पैसा नहीं आता हो जिस व्यक्ति के पास हराम का पैसा आता हो या रिश्वत जैसे पैसे आते हो या किसी को गुमराह करके पैसा निकलता हो तो श्री सूक्त के पाठ करने से उसकी सारी संपत्ति नष्ट हो सकती है सोच समझकर के श्री सूक्त का पाठ करें या फिर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करते रहें जिन व्यक्तियों को रिश्वत के पैसे आते हो या किसी को गुमराह करके पैसा निकालता हो उसे कनकधारा स्त्रोत का पाठ ही करना चाहिए जैसे कि उसकी लक्ष्मी बढ़ती रहे नष्ट नहीं हो
इस वर्ष मंगलवार को विजयादशमी पर्व रहेगा जो श्रवण नक्षत्र युक्त रहेगा जिस वर्ष मंगलवार को श्रवण नक्षत्र युक्त विजयादशमी रहती है सभी लोग खुशहाल रहते हैं राजा की विजय होती है इस वर्ष मंगलवार को दशहरा रहने के कारण भारत देश की खेती देश विदेशों में बढ़ती रहेगी एवं विजयादशमी मंगलवारी होने के कारण सभी शत्रु प्राप्त होते रहेंगे
विजयादशमी के दिन शमी  की पूजन की जाती है या अपने घर पर शम्मी का वृक्ष लगाने से लक्ष्मी की प्राप्ति रहेगी एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती रहेगी।

ये लड़कियाँ बथुआ की तरह उगी थीं!

ये  लड़कियाँ बथुआ की तरह उगी थीं!
जैसे गेहूँ के साथ बथुआ 
बिन रोपे ही उग आता है!
ठीक इसीतरह  कुछ घरों में बेटियाँ
बेटों की चाह में अनचाहे ही आ जाती हैं!
पीर से जड़ी सुधियों की माला
पहन कर ये बिहसती रहीं!
खुद को खरपतवार मान , ये साध से गिनाती रही कि
भाई के जन्म पर क्या - क्या उछाह हुआ!
और गर्व से बताती कि कितने नाज नखरे से पला है
हम जलखुम्भीयों के बीच में ये स्वर्णकमल!
बिना किसी डाह के ये प्रसन्न रही
अपने परिजनों की इस दक्षता पर कि
कैसे एक ही कोख से ..एक ही रक्त-माँस से
और एक ही
चेहरे -मोहरे के बच्चों के पालन में
दिन रात का अंतर रखा गया!
समाज के शब्दकोश में दुःख के कुछ स्पस्ट पर्यायवाची थे!
जिनमें सिर्फ सटीक दुखों को रखा गया
इस दुःख को पितृसत्तात्मक वेत्ताओं ने ठोस नहीं माना!
बल्कि जिस बेटी के पीठ पर बेटा जन्मा
उस पीठ को घी से पोत दिया गया
इस तरह  उस बेटी  को भाग्यमानी कहकर मान दे दिया!
लल्ला को दुलारती दादी और माँ ने
लल्ला की कटोरी में बचा दूध बताशा इसे ही थमाती!
जैसे गेहूँ के साथ बथुआ भी अनायास सींच दिया जाता है !प्यास गेहूँ की ही देखी जाती है!
पर  अपने भाग्य पर इतराती
ये लड़कियाँ कभी देख ही नहीं पायीं कि
भूख हमेशा लल्ला की ही मिटायी गयी!
तुम बथुए की तरह उनके लल्ला के पास ही उगती रही
तो तुम्हें तुरंत कहाँ उखाड़ कर फेंका जाता !?
इसलिए दबी ही रहना ज्यादा छतनार होकर
बाढ़ न मार देना ! उनके दुलरुआ का!
जो ढेरों मनौतियों और देवी -देवता के अथक आशीष का फल है !

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

रात को 2 इलायची खाकर पी लें 1 गिलास गर्म पानी, फिर देखें कमाल

रात को 2 इलायची खाकर पी लें 1 गिलास गर्म पानी, फिर देखें कमाल

RAJIV DIXIT JI

इलायची दिखने में जितनी छोटी होती है उससे कही गुना ज्यादा बड़ी वो अपने गुणों में होती है l इलायची न केवल खाने को स्वाद बनाने के काम आती बल्कि ये एक औषधि के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है l इलायची हर भारतीय के घर पर मिल जाती है l इलायची के स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे फायदे होते हैं  छोटी इलायची को खुशबू व स्वाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है  आज हम आपको छोटी इलायची खाकर गर्म पानी पीने का फायदा बता रहे हैं
अगर हम रात को सोने से पहले दो इलायची को गर्म पानी के साथ खाते हैं तो जानिए हमे क्या-क्या लाभ होते हैं और इसके इस्तेमाल के दौरान हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए l सबसे पहले बात करते हैं छोटी इलायची के फायदों कीl
गुण (Property) – छोटी इलायची कफ, खांसी, श्वास, बवासीर और मूत्रकृच्छ नाशक है। यह मन को प्रसन्न करती है। घाव को शुद्ध करती है। हृदय और गले की मलीनता को दूर करती है। हृदय को बलवान बनाती है। मानसिक उन्माद, उल्टी और जीमिचलाना को दूर करती है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर करके सुगन्धित करती है और पथरी को तोड़ती है। बड़ी इलायची के गुण भी छोटी इलायची के गुण के समान होते हैं। पीलिया, बदहजमी, मूत्रविकार, सीने में जलन, पेट दर्द, उबकाई, हिचकी, दमा, पथरी और जोड़ों के दर्द में इलायची का सेवन लाभकारी होता है।
अगर हम दो इलायची खाकर गर्म पानी पीते हैं तो हमें कब्ज़ नहीं रहती l ऐसा करने से हमारी पाचन शक्ति ठीक होती है और पाचन क्रिया ठीक होने के कारण पुरानी से पुरानी कब्ज़ की समस्या भी ठीक हो जाती है l अगर आप भी कब्ज़ से परेशान हैं तो रोज रात को दो इलायची गर्म पानी के साथ जरुर खाएं l
छोटी इलायची खाने से वीर्य गढ़ा होता है l रात को सोने से पहले दो इलायची गर्म पानी के साथ खाने से जिस व्यक्ति का वीर्य पतला होता है उसका वीर्य पुष्ट होकर गढ़ा हो जाता है और सभी तरह के वीर्य विकार नष्ट हो जाते हैं l किल मुहासोंको ठीक करने के लिए भी ये नुस्खा बहुत ही लाभदायक है l बालों के झड़ने की समस्या को भी कम करता है ये नुस्खा l जिन लोगों के बाल झाड़ते हैं वो लोग इस नुस्खे को अपना सकते हैं l
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
स्वप्नदोष: आंवले के रस में इलायची के दाने और ईसबगोल को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
आंखों में जलन होने अथवा धुंधला दिखने पर : इलायची के दाने और शक्कर बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसके 4 ग्राम चूर्ण में एरंड का चूर्ण डालकर सेवन करें। इससे मस्तिष्क और आंखों को ठण्डक मिलती है तथा आंखों की रोशनी तेज होती है।
रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि :
इलायची के दाने, केसर, जायफल, वंशलोचन, नागकेसर और शंखजीरे को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम गाय का घी और तीन ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इसे रोजाना सुबह और शाम लगभग चौदह दिनों तक सेवन करना चाहिए। रात के समय इसे खाकर आधा किलो गाय के दूध में चीनी डालकर गर्म कर लें और पीकर सो जाएं। इससे रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि (खूनी बवासीर) और रक्तमेह में आराम होगा। ध्यान रहे कि तब तक गुड़, गिरी आदि गर्म चीजें न खाएं।
कफ: इलायची के दाने, सेंधानमक, घी और शहद को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
वीर्यपुष्टि: इलायची के दाने, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करने से वीर्य मजबूत होता है।
मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): इलायची के दानों का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में लाभ मिलता है।
उदावर्त (मलबंध) रोग पर: थोड़ी सी इलायची लेकर घी के दिये पर सेंकने के बाद उसको पीसकर बने चूर्ण में शहद को मिलाकर चाटने से उदावर्त रोग में लाभ मिलता है।
मुंह के रोग पर: इलायची के दानों के चूर्ण और सिंकी हुई फिटकरी के चूर्ण को मिलाकर मुंह में रखकर लार को गिरा देते हैं। इसके बाद साफ पानी से मुंह को धो लेते हैं। रोजाना दिन में 4-5 बार करने से मुंह के रोग में आराम मिलता है।
सभी प्रकार के दर्द: इलायची के दाने, हींग, इन्द्रजव और सेंधानमक का काढ़ा बना करके एरंड के तेल में मिलाकर देना चाहिए। इससे कमर, हृदय, पेट, नाभि, पीठ, कोख (बेली), मस्तक, कान और आंखों में उठता हुआ दर्द तुरन्त ही मिट जाता है |
सभी प्रकार के बुखार: इलायची के दाने, बेल और विषखपरा को दूध और पानी में मिलाकर तक तक उबालें जब तक कि केवल दूध शेष न रह जाए। ठण्डा होने पर इसे छानकर पीने से सभी प्रकार के बुखार दूर हो जाते हैं।
कफ-मूत्रकृच्छ: गाय का पेशाब, शहद या केले के पत्ते का रस, इन तीनों में से किसी भी एक चीज में इलायची का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
उल्टी:
इलायची के छिलकों को जलाकर, उसकी राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी में लाभ मिलता है।
चौथाई चम्मच इलायची के चूर्ण को अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से उल्टी तुरन्त रुक जाती है।
4 चुटकी इलायची के चूर्ण को आधे कप अनार के रस में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
हैजा:
5-10 बूंद इलायची का रस उल्टी, हैजा, अतिसार (दस्त) की दशा में लाभकारी है।
10 ग्राम इलायची को एक किलो पानी में डालकर पकायें, जब 250 मिलीलीटर पानी रह जाए तो उसे उतारकर ठण्डा कर लेते हैं। इस पानी को घूंट-2 करके थोड़ी-2 से देर में पीने से हैजे के दुष्प्रभाव, प्यास तथा मूत्रावरोध आदि रोग दूर हो जाते हैं।
जमालघोटा का विष: इलायची के दानों को दही में पीसकर देने से लाभ मिलता है।
पेट हो जाएगा अंदर
अगर आपका पेट निकला हुआ है और आप इसे अंदर करना चाहते हैं तो रात को 2 इलायची खाकर गर्म पानी पी लीजिए। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, बिटामिन B1, B6 और बिटामिन C बॉडी की अतिरिक्त चर्बी को पिघला देते हैं। और इसमें मौजूद फाइबर और कैल्शियम वजन को भी कंट्रोल करते हैं। इसलिए इलायची खाकर गर्म पानी पीना न भूलें।
बाल झड़ना हो जाते हैं बंद
रात को 2 इलायची खाकर पानी पीने से बालों की जड़ें मजबूत होती है। बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और ये काले भी बने रहते हैं। इससे बालों का डेंड्रफ भी दूर होता है।
स्पर्म काउंट बढ़ता है
अगर आपका स्पर्म काउंट कम है तो ये नुस्खा उसके लिए भी कारगार है। इलायची और ऊपर से गर्म पानी पीने से स्पर्म काउंट बढ़ जाता है।
ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है
अगर आप दो इलायची खाकर एक गिलास गर्म पानी पी लेते हैं तो ब्लड सर्कुलेशन ठीक होने के साथ ही आपका ब्लड भी प्यूरीफाई हो जाता है। जिससे आपकी स्किन भी अच्छी हो जाती है।
डाइजेशन हो जाएगा स्ट्रॉन्ग
अगर आप इलायची खाकर गर्म पानी पी लेते हैं तो आपका डाइजेशन सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो जाता है। इससे आंतों और किडनी की सफाई होती है। इससे कब्ज की परेशानी भी दूर हो जाती है।

बुधवार, 25 सितंबर 2019

उड़ता तीर कैसे लिया

बरसो पहले जब में रामायण या महाभारत जैसे सिरियल्स देखता था तो उसमें युद्ध के दृश्य देखकर बड़ी हँसी आती थी। मैं देखता था की कैसे एक योद्धा धनुष पर बाण चढाकर आँख बंद कर दो चार मंत्र बुदबुदाता था और तीर छोड़ देता था। इससे कभी उस तीर के आगे बिजली लग जाती थी, तो कभी आग जल उठती थी। और दोनों पक्षों के तीर बराबर एक दुसरे से आकर टकराते थे। यहां तक तो मैं झेल लेता था, लेकिन वह जो कभी कभी छोड़ा गया एक तीर दस तीरों में बदल जाता था उसे मैं कभी पचा नहीं पाता था।
हमेशा लगा की यह क्या बकैती है?
लेकिन फिर वह दिन आया जब मोदी जी ने धनुष पर धारा 370 वाला तीर चढाया, मंत्र फुका, और तीर छोड़ दिया।
मैं क्या देखता हूँ? वह छोड़ा गया तीर अचानक से एक से बदलकर हजार तीरों में बँट गया।
एक तीर जाकर कांग्रेसीयों को लगा...
कुछ तीर पाकिस्तान गये, इमरान खान, बाजवा साहेब सबने उसे उचित स्थान दिया...
कुछ तीर NDTV की ओर गये...
कुछ JNU में...
एक तीर यूपी जा रहा था उसे बीच में केजरीवाल जी ने लपक लिया...
एक तीर ट्रंप जी को भी लगा... बिलकुल मध्य में.. ताकी मध्यस्तता वाला कीड़ा मर जाये...
कुछ तीर अपनों को भी लगे... जैसे मोदी को मौलाना बोलने वालों को... मोदी को भिकास भिकास करने वाला बोलने वालों को... रंगा बिल्ला कहने वालों को... मोदी कुछ नहीं कर सकता बोलने वालों को... नोटा नोटा करने वालों को...
कोई तीर कोलकाता गया... तो कोई कहीं ओर...
हर तीर खाने वाला सहलाते हुये पाया गया...
यह देख मुझे विश्वास हो गया कि रामायण, महाभारत में दिखाये जाने वाले युद्ध के दृश्य झुठे नहीं है। एक तीर से कई निशाने लगाये जा सकते हैं।
एक हल्का फुल्का तीर एक अल्प-समय के लिये नोटाधारी बने भक्त को ढूँढता हुआ दिल्ली जा रहा था... 

सोमवार, 23 सितंबर 2019

सड़क किनारे धंधा करने वाले इन छोटे- छोटे लोगों से मोलभाव न करें

:::::::::::::: अपील :::::::::::::
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आप सभी से आग्रह करता हूँ कि दीपावली का समय है, सभी लोग खरीदारियों में जुटे हैं,
ऐसे समय सड़क किनारे धंधा करने वाले इन छोटे- छोटे लोगों से मोलभाव न करें…।
मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी जी के पाने, खील- बताशे, झाड़ू, रंगोली (सफ़ेद या रंगीन), रंगीन पन्नियाँ इत्यादि बेचने वालों से क्या मोलभाव करना??
जब हम टाटा-बिरला-अंबानी-भारती के किसी भी उत्पाद में मोलभाव नहीं करते
(कर ही नहीं सकते), तो दीपावली के समय चार पैसे कमाने की उम्मीद में बैठे इन रेहड़ी- खोमचे-ठेले वालों से "कठोर मोलभाव" करना एक प्रकार का अन्याय ही है..उसे यह बेचकर कोई शापिंग माल नही बनाना है सिर्फ अपने परिवार के लिए कुछ पैसे इकट्ठे करने है ताकि वो लोग भी दीपावली मना सकें
सहमत है तो शेयर ज़रूर करें,... !!
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शनिवार, 21 सितंबर 2019

सरकार द्वारा जनता के लिए चलाई जा रही कुछ योजनाओं की सामान्य जानकारी

सामान्य जानकारी
1.समाज में ऐसी महिला जिनकी आयु 55 वर्ष या जन्म तारीख 1/1/1964 है या इससे ज्यादा है और पुरूष जिनकी आयु 58 वर्ष या जन्म तारीख 1/1/1961 या इससे ज्यादा है वो ई मित्र पर भामाशाह कार्ड ले जाकर अपना पेंशन आवेदन  करावे ताकि उनको राज्य सरकार की तरफ़ से हर माह 750 पेंशन मिल सके ।
2.जो समाज की महिला विधवा है वो अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र और भामाशाह कार्ड ई मित्र पर ले जाकर पेंशननके लिए आवेदन कर सकते है
3.जिस किसी के पेंशन आ रही है वो अपने भामाशाह कार्ड में अपनी सही आयु दर्ज करावे ताकि उनकी पेंशन में नियमानुसार बढ़ोतरी होती रहे । 75 साल से ऊपर वृद्ध को 1000 रुपये 60 साल से ऊपर विधवा को 1000 रुपये ओर 75 साल से ऊपर विधवा को 1500 रुपये प्रति माह मिलेंगे
4.जो भाई विकलांग है चाहे वो किसी भी प्रकार से विकलांग है वो बन्धु ई मित्र पर जाकर अपना विकलांग पंजीकरण करावे ताकि उसका विकलांग प्रमाण पत्र बन सके और फिर वो भी प्रमाण पत्र बना कर पेंशन के लिए आवेदन कर सकते है
5.पेंशन लेने वाली विधवा महिला ,नाता जाने वाली माँ के बच्चे और विकलांग महिला पुरुष  के बच्चे अगर स्कूल जाते है तो उसके बच्चों को पालने के लिए सरकार 0 से5 साल तक 500 रुपये ओर 6 से18 साल तक के बच्चों को 1000 रुपये हर माह मिलते है ।
6.किसी भी महिला या पुरुष के नाम से कही पर भी जमीन है तो वो ई मित्र पर बैंक , भामाशाह और जमीन के दस्तावेज ले जाकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत आवेदन करवा कर हर साल किस्तो में 6000 रुपये ले सकता है।
7.किसी भी योग्य राशन कार्ड के धारक को 2 रुपये किलो वाले सरकारी गेंहू नही मिलते है तो वो ई मित्र पर जाकर खाद्य सुरक्षा फॉर्म भरा सकते है
8.जिन किसानों के जमीन है वो सोसायटी से अल्पकालीन ऋण आवेदन भी कर सकता है
9.मजदूर वर्ग के लोग श्रम हिताधिकारी कार्ड बनवा कर रखे उनको उसमें हिताधिकारी कार्ड की कई प्रकार की योजनाओं जैसे शुभ शक्ति योजना , छात्रवृति योजना , प्रसूति सहायता और हिताधिकरी कि असामयिक मृत्यु होने पर मृत्युदावा के अलावा बहुत से फायदे ले सकते है है
10.विधवा महिला और BPL महिला या पुरुष अपने दो बेटी की शादी के लिए सहयोग योजना के तहत आवेदन करके सरकारी फायदा ले सकते है
11.75% से अधिक अच्छे अंक प्राप्त करने वाली बालिका गार्गी पुरुस्कार ओर स्कूटी योजना का फॉर्म भर सकती है
12.बच्चों के लिए आवश्यक दस्तावेज  जैसे जाति प्रमाण पत्र , मूल निवास आय प्रमाण पत्र आदि समय पर बनाते रहे ताकि एन वक्त पर इनके लिए भागना नही पड़े
13.अपने बच्चों के 18 वर्ष पूर्ण होते ही Blo के पास तय दस्तावेज जमा करवा कर मतदान कार्ड बनावे ताकि वो भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सके
14.गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करने वाले परिवार के नाम मुख्यमंत्री आवास योजना में जुड़वाए ताकि उन्हें फायदा मिल सके।
15.जो बुड्ढे है और जिनके पेंशन आती है वो अपने पेंशन की राशि समय समय पर खाते से निकालते रहे पेंशन धारक की मृत्यु हो जाने पर उसके खाते में जमा हुई पेंशन वापिस सरकार में जमा करवानी पड़ती है वो पैसा कोई दूसरा नही उठा सकता और अगर कैसे भी करके उठाता भी है तो भविष्य में वापिस ब्याज सहित जमा करवाना होता है।
16.भामाशाह कार्ड में जिसके दो रुपये किलो गेंहू आते है उनको सरकार के द्वारा भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 300000 रुपये तक इलाज की निशुल्क सुविधा मिलती है
17.जिस किसी भाई के एटीएम है वो अपने एटीएम से नियमित अंतराल में ट्रांसेक्शन करता रहे ताकि उसमें दुर्घटना बीमा होता है वो दुर्घटना के समय क्लेम करने के लिए जरूरी होता है
18.जिनके बैंक में खाता है वो अपने खाते में प्रधानमंत्री दुर्घटना बीमा योजना का फॉर्म भर करके दे और 12 रुपये 330 रुपये ओर 500 रुपये प्रति वर्ष में एक अच्छा दुर्घटना बीमा ले सकते है
19.जिनके बेटियां है और उनका जन्म 2009 या उसके बाद में हुआ है वो अपने बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खुलवा कर एक तय राशि हर माह जमा करवा सकते है इसमे 14 वर्ष तक पैसे भर कर 21 वर्ष बाद पैसे मिलेंगे जो लड़की के काम आते है
20.जो म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने के इच्छुक है वो SBI ओर अन्य बैंकों से SIP (स्माल इन्वेस्टमेंट प्लान )ले सकते है
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गुरुवार, 19 सितंबर 2019

मोबाइल री डब्बी 😁जदीऊं या मोबाइल री डब्बी दुनिया में आईगी,

  मोबाइल री डब्बी  
जदीऊं या मोबाइल री
डब्बी दुनिया में आईगी,
बाळपणों,जवानी और
बुढापों सब ने खाईगी !
रिया किदा करम अणी
'जीओ' वाळें पूरा किदा,
पकड़े तो खावें,छोड़े तो जावें     
जस्या हालात पैदा किदा !
छोटा मोटा सब अणी में
कई केउं अतरां वेण्डा वेरियांं,
साल भर का बाळक टाबर
अणीने देख न छाना रेरियां  !
गूगल बाबा में छोरा छोरी
सर्च करवां में अतरा रमग्या ,
क अणां री किताबां के
पड़ी पड़ी के धुळा जमग्या  !
हाँ, माना अणी डब्बी में
हर तरे को ज्ञान गणों है,
सदुपयोग करे तो ठीक
दुजूं ईंको नुकसान गणों है  !
सड़क पे एक्सिडेन्ट वेग्यों
घायल जोर सूं वारां मेळरियां,
दवाखाने कोई नी ले जावें
जो वें जोई फोटों खींचरीयां  !
सब घर में भड़े भड़े बैठ्या
कोई कणीऊं नी बोलरियां,
ठाई नी पड़े हुता क जागरियां
सब अणी डब्बी में लागरियां!
हुतां बैठा,खाता-पिता
मोबाइल  चलाईरियां,
हामें थाळी की रोटियां
कुत्तरां      लेजाईरियां  !
फेसबुक  पे  नवां  नवां
यार  दोस्त  कबाडरियां,
हागी का रिश्तेदार बापडां
रामा सामी की वाट नाळरियां  !
यों  अस्यों  कस्यो  राक्षस
धरती पर छाने-छाने आईग्यों,
घड़ी, रेडियो, टेप, टार्च,टीवी
सबने वनाई चबायां खाईग्यो !
जीनें देखें जोई कानडां में तार
गाल न,धुन में माथो हलारियां,
यूं लागे जाणे यें वेण्डा वेग्या 
क यें माख्योंमाळ उडाईरियां !
राम गोपाल केवें गणों राखो मती
मोबाइल रा डाब्बा सूं थां  हेत,
भणणों, कमाणों भूल जावोंलां
यों तो है  जीवतो जागतो प्रेत !!

मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?

*प्र0-मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?*
उ0-बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -
*अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।*
*देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।*
इस श्लोक का अर्थ है *अनायासेन मरणम्* अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।
*बिना देन्येन जीवनम्* अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।
*देहांते तव सानिध्यम* अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।
*देहि में परमेशवरम्* हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।
यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए । यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है।
हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।
जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर ले स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें । *मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना । बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं* और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें।

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