#अग्रकुल_के_महासूर्य - जिन्होंने अपने तप से खुद को श्री राम जी का सच्चा वंशज सिद्ध किया..
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ताजमहल बनाने में दो प्रकार के पत्थरों का उपयोग हुआ है। एक तो बहुमूल्य संगमरमर, जिसका उपयोग गुम्बद में हुआ। दूसरा एक साधारण पत्थर, जिसका उपयोग नींव में किया गया है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं होता। आज के लालची गुम्बद के पत्थर बनने के लिए मरे जा रहे , चाहे वो धर्मगुरु हो या म्लेच्छ ।अरे उनका नाम तक नहीं ले रहे जिन्होंने सत्याग्रह , आन्दोलन यहां तक कि लाठियां तक खाई ।
इस राममंदिर निर्माण में एक नींव का पत्थर हमेशा अपने जेहन में रखियेगा - अशोक सिंघल । आज सब लम्बरदार बने हुए हैं,लेकिन न आप को भूला हूँ ....न भूलने दूंगा...
कमी खलेगी #अयोध्या_राममंदिर_आंदोलन का हनुमान जिसने आखरी सांस तक राम लला के लिए संघर्ष किया, मन्दिर तो बनेगा पर इस ऐतिहासिक पल में #अशोक_सिंघल_जी की कमी बहुत खलेगी। अयोध्या के संघर्ष का अग्रणी सेना पति जिसने राम लला के मन्दिर निर्माण के लिए अपने जीवन की आहुति मन्दिर की नींव में रखी। अशोक जी की कमी इस पल में भावुक कर देती है अशोक जी के संघर्ष पर हजार पोस्ट लिखूं तो भी कम है। बस यूं समझो ये हनुमान थे अयोध्या आंदोलन संघर्ष के। अशोक जी सिंघल के बिना अयोध्या के सारे अध्याय अधूरे, विश्व हिंदू परिषद ओर बाबूजी अयोध्या आंदोलन की रीढ़ थे आखरी सांस तक रामलला के मंदिर के लिए लड़ते रहे और भीषण संघर्ष की सफलता के कुछ वर्ष पूर्व ही राम जी ने अपने बजरंगी को अपने पास बुला लिया, अशोक जी शरीर से नही है पर उनकी आत्मा आज भी मन्दिर निर्माण के पत्थरों को साफ कर रही होगी सिलाओ को उठा उठाकर नीव के पास रख रही होगी, बिना मन्दिर निर्माण के अशोक सिंघल जी मर नही सकते वो आज भी डटे है मन्दिर निर्माण के पत्थरों की आवाज सुनलो, अशोक सिंघल जी आज भी हमारे साथ है।
आपके वो शब्द आज भी कानों में गूँजते हैं कि ; 2030 तक पूरा विश्व हिंदू ;हिंदी; हिन्दुस्तान का अनुसरण करेगा । ‘जो हिंदू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।’, ‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है।’
कोटि कोटि नमन इस इस महामानव के अयोध्या संघर्ष को।