यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

Digital service provider in Jodhpur, RAJASTHAN

Digital service provider in Jodhpur,Rajsamand, Bhilwara

Contact us for Service available for

Bank BC, Mini ATM, Micro ATM, Bank Loan, Money Transfer, 


Recharge Portal, Fastag,


Pan Card Center, Aadhar UID Center, New Emitra Center


Govt. approved computer courses, 


Govt. Approved Yoga teacher courses


MSME consultant, 


Financial consultant, 


Govt loan Subsidy for your startup, 


All Govt. Scheme for your business,


Trade Mark, Copyright,

Income Tax Return, GST Return,

Digital Signature class II and class III


Social Media Marketing, 


Facebook post,


Whatsapp post, 


Instagram post, 


all Festival Digital photo and banner Post all year 

Multi Channel Digital Marketing,

Bulk SMS to your customer,
  
Bulk Whatsapp Marketing for your customers


Best Event management during #COVID19


Website development for your business,

Android App Development

mobile application of your website

SEO Marketing Blog Post,

News Agency,


Latest Gadgets,
Old Laptop and New Laptop Best deals in Jodhpur

Old Computer and New Computers Best Deals in Jodhpur 

Full HD Smart TV, CCTV Camera  in Jodhpur

Broadband Connection in Jodhpur by Headway Communication 




All Digital Problem Solution - P4

Follow us on Social Media
Our Facebook page   https://www.facebook.com/digitalambulance

our website https://www.p4.myownwebsite.in/

#digitalmarketing
#DigitalIndia
#GovTech
#PMJAY
#digitalservices
#Cyber
#Pradhanmantri
#facebookpost
#digitalambulance
#instagram
#google
#DigitalLocker
#fashion
#likeforfollow
#followforfollowback

please like our page & invite your friends
https://www.facebook.com/P4-100408818431406/

#DigitalIndia
#digital
#digitalmarketing
#insurance
#digitalambulance
#Pradhanmantri
#PMOIndia
#pmjky
#love
#instagood
#photooftheday
#fashion
#beautiful
#happy
#cute
#tbt
#like4like
#followme
#picoftheday
#follow
#me
#selfie
#summer
#art
#instadaily
#friends
#repost
#nature
#girl
#fun
#style
#smile
#food
#instalike
#likeforlike
#family
#travel
#fitness
#igers
#tagsforlikes
#follow4follow
#nofilter
#life
#beauty
#amazing
#instamood
#instagram
#photography
#Sanwariya
#india
#COVID
#coronavirus
#COVID19
#eMitra
#CSC
#mlm2020
#AatamNirbharBharat

समस्त डिजिटल समस्याओं का समाधान - P4


जय श्री कृष्णा दोस्तों
मैं आपको आज एक नए कार्यक्रम से परिचित करवाना चाहता हूं दोस्तों आपने देखा होगा आज मोदी जी ने जो डिजिटल इंडिया का सपना देखा था उस को साकार करने के लिए जिओ कंपनी जिसने पूरे भारत में डाटा सस्ता करके डिजिटल इंडिया को गांव गांव पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया है इसके साथ ही मोदी जी ने आमजन को डिजिटल साक्षर करने के लिए बहुत सारी योजनाएं बनाई थी एवं पूरे भारत में हर योजना को आधार कार्ड से जोड़ कर एवं आधार कार्ड से सभी आम जनता को सब्सिडी डायरेक्ट ट्रांसफर करने की प्रक्रिया निर्धारित की उससे आपने देखा होगा कि लोग डाउन में जिस समय सभी सरकारी दफ्तर बंद थे उसके बावजूद जनधन खातों में सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि बिना किसी अवरोध के पहुंच गई और इसके लिए किसी क्लर्क बाबू या किसी पंच के सामने गिड़गिड़ा ने की जरूरत नहीं पड़ी आम जनता को

इन सभी बातों का सारांश यह है कि आज आप सभी यह देख रहे होंगे कि हमारे जीवन में डिजिटल साक्षरता की कितनी ज्यादा आवश्यकता है लेकिन कुछ कारणों से सभी व्यक्ति डिजिटल साक्षर नहीं हो पाए और उन्हें मोबाइल पर ऑनलाइन काम करने में हिचकिचाहट होती है अथवा डर लगता है या वह नहीं कर पाते हैं

आज भारत सरकार इतनी योजनाएं बना रखी है हर वर्ग के व्यक्ति के लिए लेकिन सरकारी विभागों में तकनीकी ज्ञान की कमी के चलते इन योजनाओं का लाभ सभी तक नहीं पंहुच सका है
आपकी समस्त डिजिटल समस्याओं के समाधान एवं आपके लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही उपयोगी योजनाओं, प्रोत्साहन स्कीम, सब्सिडी सहायता, स्टार्टअप प्रोजेक्ट आदि को हर घर तक पंहुचने के लिए हम आपके लिए लाए है
सभी प्रकार के सरकारी कागजात बनवाने अथवा पंजीयन करने, व किसी भी प्रकार के सर्टिफकेट के आवेदन डिजिटल माध्यम से कर सकतें है
डिजिटल मित्र के रूप में ईमित्र जैसी समस्त सुविधाएं हेतु अपने गांव में शिविर लगवाकर एक साथ कई लोगो की कई समस्याओं का निराकरण करने हेतु P4 को आमंत्रित कर सकते है


आप अपने गांव में डिजिटल समस्या जैसे अटल पेंशन योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, सौर ऊर्जा संयत्र, पशुपालन योजना, कृषि संबंधी योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा, जैविक कृषि, हरित गृह खेती, गौबर गैस प्लांट, कामधेनु योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ ले सकते है
सभी प्रकार के सरकारी कागजात बनवाने अथवा पंजीयन करने, व किसी भी प्रकार के सर्टिफकेट के आवेदन डिजिटल माध्यम से कर सकतें है

please like our FACEBOOK page & invite your friends

OUR WEBSITE 

#tbt
#like4like
#followme
#picoftheday
#follow
#me
#selfie
#summer
#art
#instadaily
#friends
#repost
#nature
#girl
#fun
#style
#smile
#food
#instalike
#likeforlike
#family
#travel
#fitness
#igers
#tagsforlikes
#follow4follow
#nofilter
#life
#beauty
#amazing
#instamood
#instagram
#photography
#Sanwariya
#india
#COVID
#coronavirus
#COVID19
#eMitra
#CSC
#mlm2020
#AatamNirbharBharat

शनिवार, 1 अगस्त 2020

एशिया का सबसे बडा सिनेमाहाल राजमन्दिर

*एशिया का सबसे बडा  सिनेमाहाल राजमन्दिर*
*गोलछा परिवार का बेतहरीन तोहफा देश की पिंक सिटी जयपुर को*
*राजस्थान की राजधानी जयपुर में  स्थित इस हाल में सिनेमा देखने वाले भी इसकी खुबियों  के हो जाते है मुरीद*

विश्वभर में एक से बढ़कर एक सिनेमा हॉल तो है,लेकिन राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित राजमन्दिर सिनेमा हॉल एक ऐसा है जो एशिया में भी अपनी छाप छोड़े हुए है।गौरतलब है कि खूबसूरत शहरों में शुमार राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने पर्यटन स्थल और विविध शाही इतिहास के बारे में जाना जाता है। यहां स्थापत्यकला, संस्कृति और आधुनिकता का अनूठा संगम है। जयपुर शहर में सिनेमा हॉल तो कई है लेकिन उनमें से एक ऐसा है जो एशिया में भी अपनी छाप छोड़े हुए है। 
मल्टीप्लेक्स के दौर में भी जयपुर शहर की शान माने जाने वाले इस सिनेमा हॉल का नाम है ‘राजमंदिर‘।
राज मंदिर सिनेमा हॉल अपनी पुरातन वास्तुकला के लिए जाना जाता है और जयपुर का गौरव है। इसकी शानदार वास्तुकला के चलते इसे ‘प्राइड ऑफ एशिया‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया है। इस हॉल में अब तक हजारों लोग पुरानी क्लासिक फिल्मों का मजा ले चुके हैं।
*अंदर ओर बाहर है बारीक नक्काशी*
 इसमें अंदर और बाहर दोनों ओर बारीक नक्काशी की गई है। इसमें बना हॉल किसी शाही महल से कम नहीं है जिसमें बड़े-बड़े झूमर लगे हैं। इसका लाइटिंग सिस्टम भी लोगों के लिए आकर्षण है।
*नवग्रह के प्रतीक नो सितारे थे आकर्षण*
बाहर से सिनेमा हॉल को देखने पर नौ सितारे चमकते दिखाई देते हैं जो नौ रत्नों के प्रतीक हैं। अंदर की दीवारों पर भी एक घूमने वाली पैनल लगी हुई है साथ ही दीवारों पर कलात्मक काम किया हुआ है।
*एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल था राजमन्दिर*
राजमंदिर में बैठक क्षमता 1300 लोगों की है जिसकी वजह से यह एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल है। इसकी बैठक को चार भागों में बांटा गया है, जिनके नाम भी बड़ी खूबसूरती से रखे गए हैं- पर्ल, रुबी, एम्राल्ड, और डायमंड। हॉल में लगे मखमल के परदे इसके शाही प्रभाव को दर्शाते हैं।
*गजब का रहा है इतिहास...#*
एशिया के इस सबसे बड़े सिनेमा हॉल का इतिहास भी शानदार रहा है। कई सफल फिल्मों ने इस प्रतिष्ठित हॉल में सिल्वर जुबली की है। राजमंदिर का उद्घाटन 1 जून 1976 को हरिदेवजोशी ने किया था जो उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। यहां प्रदर्शित पहली फिल्म ‘चरस‘ थी। जिसमें धर्मेंद और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में थे। इसका डिजाइन श्री डब्ल्यू एम नामजोशी ने बनाया। राजमंदिर की नींव 1966 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाडिय़ा ने रखी थी। इस शाही हॉल को बनने में दस साल का समय लगा।
*मेहताब गोलछा का था ड्रीम प्रोजेक्ट*
जयपुर का लोकप्रिय आकर्षण केंद्र राज मंदिर सिनेमा की अवधारणा 1960 के दशक के अंत में मेहताब चंद्र गोलछा द्वारा की गई थी। जो उनका एक उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था जिसे वह एक स्टाइलिश और सुरुचिपूर्ण सिनेमा हॉल के रूप में निर्माण करना चाहते थे। इमारत की राजसी वास्तुकला में एक कलात्मक गुण शामिल है जो रहस्य और भ्रम की भावना देता है जो आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षक लगता है।
*जयपुर ही नहीं,देश का था प्राइड*
राज मंदिर सिनेमा अपनी शानदार वास्तुकला के लिए “प्राइड ऑफ एशिया” का हकदार है,और जो वर्तमान में महाद्वीप के सबसे बड़े हॉलों में से एक है। आपको बता दे कि राज मंदिर सिनेमा पारंपरिक सिनेमा की सीमा को पार करने और फिल्मों के साथ एक पूरा अनुभव प्रदान करने के इरादे से बनाया गया था। जो जयपुर में घूमने के लिए सबसे आकर्षक जगहों में से एक माना जाता है।
*44 साल पहले लगी पहली फ़िल्म लगी चरस*
 जिसमे सबसे पहली 1976, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित चरस नामक एक हिंदी एक्शन मूवी दिखाई गई थी।
*राजसी वैभव की लॉबी के दीवाने थे दर्शक*
 राज मंदिर सिनेमा को प्रसिद्ध वास्तुकार डब्ल्यू एम नामजोशी द्वारा डिजाइन किया गया है जिसकी राजसी वास्तुकला में एक कलात्मक गुण शामिल है जो रहस्य और भ्रम की भावना देता है जहा राज मंदिर सिनेमा का स्थापत्य बाहर से एक शानदार मृग के आकार जैसा दिखता है। जो आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षक लगता है। सिनेमा प्रवेश द्वार सामने की ओर बिस्तृत पार्किंग स्थान है जो गोलाकार लॉबी की ओर जाता है,जो कालीन वाली फर्श से सुसज्जित है।और एक अर्ध-गोलाकार सीढ़ीयां मूवी हॉल तक जाती है। दर्शक शो का इंतजार करते हैं तो उनके आराम करने के लिए लॉबी में कुछ बैठने की व्यवस्था भी है। इसके सिनेमा हॉल में शाही मखमली पर्दे के साथ एक विशाल स्क्रीन है। और अंदरूनी हिस्सों में एक केंद्रीय एयर कंडीशनिंग प्रणाली, मूड लाइट और एयर फ्रेशनर लगे हुए हैं।
*बड़े झूमर व लाइटिंग थे आकर्षण*
 सिनेमा का इसका हाल आपको किसी शाही महल की याद दिलाता है जिसमें बड़े बड़े झूमर लगे हों। इसका लाइटिंग सिस्टम भी अपने आप में एक आकर्षण है और हर शो से पहले लाॅबी में उत्तम प्रकाश व्यवस्था की जाती है।

गुरुवार, 30 जुलाई 2020

उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है


उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन वालों को उद्यम रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है

कंपनी खोलना एक जुलाई से बहुत आसान हो गया है. घर बैठे सिर्फ आधार के जरिये कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया जा सकेगा. सरकार ने सेल्फ डिक्लरेशन (स्व-घोषणा) के आधार पर कंपनी के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए नए दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं. नये दिशानिर्देश एक जुलाई 2020 से प्रभावी होंगे. अभी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कई तरह के दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि यह इनकम टैक्स और जीएसटी की प्रणालियों के साथ उद्यम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को जोड़ने से संभव हो पाया है. उन्होंने कहा कि जो भी जानकारियां प्रदान की जायेंगी, उनका सत्यापन स्थायी खाता संख्या (पैन संख्या) और जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) से किया जा सकता है.


एक आधिकारिक बयान में कहा गया, "आधार नंबर के आधार पर किसी उद्यम को पंजीकृत किया जा सकता है. अन्य विवरण किसी भी कागज को अपलोड करने या जमा करने की आवश्यकता के बिना स्व-घोषणा के आधार पर दिये जा सकते हैं. इस तरह से अब किसी भी डॉक्यूमेंट को अपलोड करने की जरूरत नहीं होगी.’’ अधिसूचना में यह भी कहा गया कि अब लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) इकाइयों को उद्यम के नाम से जाना जायेगा. यह शब्द उपक्रम शब्द के अधिक करीब है. इसी तरह पंजीकरण प्रक्रिया को अब ‘उद्यम पंजीकरण’ कहा जायेगा.

जैसा कि पहले घोषित किया गया था, ‘प्लांट, मशीनरी अथवा उपकरण’ में निवेश और 'कारोबार' अब एमएसएमई के वर्गीकरण के लिये बुनियादी मानदंड हैं. अब किसी भी उद्यम के टर्नओवर की गणना करते समय वस्तुओं या सेवाओं या दोनों के निर्यात को उनके टर्नओवर की गणना से बाहर रखा जायेगा, भले ही संबंधित उपक्रम सूक्ष्म हो या लघु हो या मध्यम.

बयान में कहा गया, "पंजीकरण की प्रक्रिया पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन की जा सकती है. पोर्टल की जानकारी एक जुलाई 2020 से पहले सार्वजनिक कर दी जायेगी.’’ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एक जून 2020 को निवेश एवं कारोबार के आधार पर एमएसएमई के वर्गीकरण के नये मानदंडों की अधिसूचना जारी की थी. नये मानदंड एक जुलाई 2020 से प्रभावी होने वाले हैं.

एमएसएमई मंत्रालय ने उसी के आधार पर शुक्रवार को एक विस्तृत अधिसूचना जारी की. एमएसएमई मंत्रालय ने जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर सिंगल विन्डो सिस्टम के रूप में एमएसएमई के लिये एक मजबूत सुविधा तंत्र भी स्थापित किया है. बयान में कहा गया, "यह उन उद्यमियों की मदद करेगा, जो किसी भी कारण से उद्यम पंजीकरण दर्ज करने में सक्षम नहीं हैं. जिला स्तर पर, जिला उद्योग केंद्रों को उद्यमियों की सुविधा के लिये जिम्मेदार बनाया गया है."

जिन लोगों के पास वैध आधार नंबर नहीं है, वे इस सुविधा के लिये सिंगल विन्डो सिस्टम से संपर्क कर सकते हैं. आधार नामांकन अनुरोध या पहचान के साथ, बैंक फोटो पासबुक, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस और सिंगल विंडो सिस्टम उन्हें आधार संख्या प्राप्त करने के बाद पंजीकरण करने में सुविधा प्रदान करेगा. एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के वर्गीकरण, पंजीकरण और सुविधा की नयी प्रणाली एक अत्यंत सरल, तेज, सहज और पूरी दुनिया में सबसे आसान होगी. यह कारोबार सुगमता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम होगा.

1 जुलाई 2020 के बाद में जिन व्यक्तियों का उद्योग आधार या एमएसएमई रजिस्ट्रेशन किया हुआ है उन्हें उद्यम रजिस्ट्रेशन में कन्वर्ट करना जरूरी है अन्यथा वह एमएसएमई यूनिट lepsed माने जाएंगे और उन्हें MSME आधार पर जो सब्सिडी एवं सरकारी सहायता प्राप्त होती है उद्यम रजिस्ट्रेशन के बिना वे यूनिट इसके लिए eligible नहीं होगी

उद्यम रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में एक जुलाई 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक पैन कार्ड और जीएसटी नंबर अनिवार्य नहीं है इसके बाद पैन कार्ड एवं जीएसटी नंबर अनिवार्य रहेगा
www.sanwariya.org

गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है

*बेईमानी का पैसा*
 *पेट की एक-एक आंत*
 *फाड़कर निकलता है।*

        *एक सच्ची कहानी।*
रमेश चंद्र शर्मा, जो पंजाब के 'खन्ना' नामक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, 
उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया 
जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है 
और शायद उस पाप से, जिस में वह भागीदार बना, उस से भी बचा सकता है।
      मेडिकल स्टोर अपने स्थान के कारण, काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। 
लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि *धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है*
 और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई।

रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। 

अपनी कमाई से मैंने जमीन और कुछ प्लॉट खरीदे और अपने मेडिकल स्टोर के साथ एक क्लीनिकल लेबोरेटरी भी खोल ली।

 लेकिन मैं यहां झूठ नहीं बोलूंगा। मैं एक बहुत ही लालची किस्म का आदमी था, क्योंकि मेडिकल फील्ड में दोगुनी नहीं, बल्कि कई गुना कमाई होती है।

शायद ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे, कि मेडिकल प्रोफेशन में 10 रुपये में आने वाली दवा आराम से 70-80 रुपये में बिक जाती है।

 लेकिन अगर कोई मुझसे कभी दो रुपये भी कम करने को कहता तो मैं ग्राहक को मना कर देता। 
खैर, मैं हर किसी के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, सिर्फ अपनी बात कर रहा हूं।

वर्ष 2008 में, गर्मी के दिनों में एक बूढ़ा व्यक्ति मेरे स्टोर में आया। 
उसने मुझे डॉक्टर की पर्ची दी। मैंने दवा पढ़ी और उसे निकाल लिया। उस दवा का बिल 560 रुपये बन गया।

 लेकिन बूढ़ा सोच रहा था। उसने अपनी सारी जेब खाली कर दी लेकिन उसके पास कुल 180 रुपये थे। मैं उस समय बहुत गुस्से में था क्योंकि मुझे काफी समय लगा कर उस बूढ़े व्यक्ति की दवा निकालनी पड़ी थी और ऊपर से उसके पास पर्याप्त पैसे भी नहीं थे।

बूढ़ा दवा लेने से मना भी नहीं कर पा रहा था। शायद उसे दवा की सख्त जरूरत थी। 
फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा, "मेरी मदद करो। मेरे पास कम पैसे हैं और मेरी पत्नी बीमार है।
 हमारे बच्चे भी हमें पूछते नहीं हैं। मैं अपनी पत्नी को इस तरह वृद्धावस्था में मरते हुए नहीं देख सकता।"  

लेकिन मैंने उस समय उस बूढ़े व्यक्ति की बात नहीं सुनी और उसे दवा वापस छोड़ने के लिए कहा। 

यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि वास्तव में उस बूढ़े व्यक्ति की दवा की कुल राशि 120 रुपये ही बनती थी। अगर मैंने उससे 150 रुपये भी ले लिए होते तो भी मुझे 30 रुपये का मुनाफा ही होता। 
लेकिन मेरे लालच ने उस बूढ़े लाचार व्यक्ति को भी नहीं छोड़ा। 

फिर मेरी दुकान पर खड़े एक दूसरे ग्राहक ने अपनी जेब से पैसे निकाले और उस बूढ़े आदमी के लिए दवा खरीदी। 
लेकिन इसका भी मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। मैंने पैसे लिए और बूढ़े को दवाई दे दी।

वक्त बीतता चला.....
 वर्ष 2009 आ गया। मेरे इकलौते बेटे को ब्रेन ट्यूमर हो गया। 
पहले तो हमें पता ही नहीं चला। लेकिन जब पता चला तो बेटा मृत्यु के कगार पर था। 
पैसा बहता रहा और लड़के की बीमारी खराब होती गई।

 प्लॉट बिक गए, जमीन बिक गई और आखिरकार मेडिकल स्टोर भी बिक गया लेकिन मेरे बेटे की तबीयत बिल्कुल नहीं सुधरी। 
उसका ऑपरेशन भी हुआ और जब सब पैसा खत्म हो गया तो आखिरकार डॉक्टरों ने मुझे अपने बेटे को घर ले जाने और उसकी सेवा करने के लिए कहा।

 उसके पश्चात 2012 में मेरे बेटे का निधन हो गया। मैं जीवन भर कमाने के बाद भी उसे बचा नहीं सका।

2015 में मुझे भी लकवा मार गया और मुझे चोट भी लग गई। 
आज जब मेरी दवा आती है तो उन दवाओं पर खर्च किया गया पैसा मुझे काटता है 
क्योंकि मैं उन दवाओं की वास्तविक कीमत को जानता हूं। 

एक दिन मैं कुछ दवाई लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गया और 100 रु का इंजेक्शन मुझे 700 रु में दिया गया। 
लेकिन उस समय मेरी जेब में 500 रुपये ही थे और इंजेक्शन के बिना ही मुझे मेडिकल स्टोर से वापस आना पड़ा। 
*उस समय मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की बहुत याद आई* और मैं घर चला गया।

मैं लोगों से कहना चाहता हूं, कि ठीक है कि हम सभी कमाने के लिए बैठे हैं
 क्योंकि हर किसी के पास एक पेट है। लेकिन वैध तरीके से कमाएं, ईमानदारी से कमाएं । 
गरीब लाचारों को लूट कर कमाई करना अच्छी बात नहीं है,
 क्योंकि *नरक और स्वर्ग केवल इस धरती पर ही हैं, कहीं और नहीं।* और आज मैं नरक भुगत रहा हूं। 

*पैसा हमेशा मदद नहीं करता। हमेशा ईश्वर के भय से चलो।*
 *उसका नियम अटल है क्योंकि*
 *कई बार एक छोटा सा लालच भी हमें बहुत बड़े दुख में धकेल सकता है।*
🙏🙏

34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव -नई शिक्षा नीति 2020

*✅  नई शिक्षा नीति 2020*

*✍️..10वीं बोर्ड खत्‍म, केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड, MPhil होगा बंद, अब कॉलेज की डिग्री 4 साल की!*
कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है. 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है.
👉नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा.
👉बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा.
👉अब सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा.
*👉9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा.*
*👉वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.*
👉3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स एक साल में MA कर सकेंगे, अब स्‍टूडेंट्स को  MPhil नहीं करना होगा. बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे!

*🔅नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिंदु*

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020
34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति आज हमारे सामने है|
भारत का स्वयं ‘विश्वगुरु’ एवं ‘आत्मनिर्भर’ बनने का सपना पूर्ण होने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है||
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने मंत्रालय के नाम में परिवर्तित करने का सुझाव दिया पहले इसे मानव संसाधन मंत्रालय के नाम से जाना जाता था अब इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा|
कुल 27 मुद्दे इस नीति में उठाये गए है जिनमे से 10 मुद्दे स्कूल शिक्षा से सम्बंधित, 10 उच्च शिक्षा से सम्बंधित और 7 अन्य महत्वपूर्ण शिक्षा से जुड़े विषय है|
शिक्षा नीति में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान अपर जोर दिया गया है|
गणित, विज्ञान, कला, खेल आदि सभी विषयो को समान रूप से सीखाने पर जोर दिया गया है|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति मूल्याङ्कन व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन की बात कटी है और इसमें स्वयं, शिक्षक और सहपाठी के भी भागीदारी की बात करती है|
समग्रता:
पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को एक व्यवस्था मानकर इस पर समग्र विचार हुआ है|
बहुभाषा और भारतीय भाषाओँ के शिक्षण पर जोर देने के साथ ही मातृभाषा में शिक्षण की आवश्यकता को समझते हुए इस पर जोर दिया गया है|
शिक्षा को संकाय (Faculty) के विभाजन से मुक्त करके, शिक्षा की समग्रता पर जोर दिया गया है|
सभी ज्ञानों की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने और सीखने के विभिन्न क्षेत्रों के बीच में हानिकारक पदानुक्रमों को खत्म करने और कला और विज्ञान के बीच, कला और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठिन अलगाव नहीं होगा।
इस प्रकार, यह सभी विषयों - विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, भाषा, खेल, गणित - स्कूल में व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के एकीकरण के साथ समान जोर सुनिश्चित करेगा।
कला, क्विज़, खेल और व्यावसायिक शिल्प से जुड़े विभिन्न प्रकार के संवर्धन गतिविधियों के लिए पूरे साल बस्ता रहित दिनों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति पर जोर:  कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, लेकिन अधिमानतः ग्रेड 8 और उसके बाद तक, घरेलू भाषा/मातृभाषा /स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा होगी।
व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार: प्रत्येक बच्चा कम से कम एक व्यवसाय सीखे और कई और बातों से अवगत हो। इससे श्रम की गरिमा पर और भारतीय कला और शिल्पकला से जुड़े विभिन्न व्यावसायिक कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षण-प्रशिक्षण के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम को विशेष महत्व

*उच्च शिक्षा*
3. गुणवत्ता की शर्तें और संकलन- भारत के नागरिक शिक्षा प्रणाली के लिए एक नया और आधुनिक दृष्टिकोण: 
एक व्यक्ति को एक या अधिक विशिष्ट क्षेत्रों का अध्ययन करने में सक्षम बनाना चाहिए गहन  स्तर पर रुचि, और चारित्रिक, नैतिक और संवैधानिक मूल्यों, बौद्धिक जिज्ञासा, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की भावना, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी, भाषा सहित विषयों की एक सीमा से परे साथ ही पेशेवर, तकनीकी और व्यावसायिक विषय को शामिल करते हुए  21 वीं सदी की क्षमताओं को विकसित करना  है। 
उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए व्यक्तिगत उपलब्धि और ज्ञान, रचनात्मक सार्वजनिक सहभागिता और समाजोपयोगी  योगदान को सक्षम करना चाहिए। 
4. इंस्टीट्यूशनल रिजल्ट और कंसॉलिडेशन
2040 तक, सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को  बहु-विषयक संस्थान बनना होगा, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य 3,000 या अधिक छात्र होंगे।
विकास सार्वजनिक और निजी दोनों संस्थानों में होगा, जिसमें बड़ी संख्या में उत्कृष्ट सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर जोर होगा

5. एक अधिक ऐतिहासिक और बहुभाषी शिक्षा कार्यक्रम: 
एक समग्र और बहुआयामी शिक्षा मानव के बौद्धिक, सौंदर्य, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तरीके से विकसित करने का लक्ष्य रखेगी। 
भाषा, साहित्य, संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, शिक्षा, गणित, सांख्यिकी, शुद्ध और अनुप्रयुक्त विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या आदि विभागों को सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में स्थापित और मजबूत किया जाएगा।
7. अंतर्राष्ट्रीयकरण
उच्च प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
11. शिक्षा में योग्यता और समावेश
उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में लैंगिक  संतुलन बढ़ाना 
सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उठाए जाने वाले कदम:
उच्च शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए अवसर लागत और शुल्क को कम करें|
लोक- विद्या(holistic and Multidisciplinary education) अर्थात, भारत में विकसित महत्वपूर्ण व्यावसायिक ज्ञान, व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों में एकीकरण के माध्यम से छात्रों के लिए सुलभ हो जाएगा।
भारतीय भाषाओं में और द्विभाषी रूप से पढ़ाए जाने वाले अधिक डिग्री पाठ्यक्रम विकसित करना
वंचित शैक्षिक पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए सेतु  पाठ्यक्रम विकसित करना
13. सभी नए क्षेत्रों में गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान
14. नियामक प्रणाली: नियामक प्रणाली में 4 संस्थाओं के निर्माण से सुसुत्रीकरण-स्वागत योग्य कदम है|
17. व्यावसायिक शिक्षा: 
केवल कृषि विश्वविद्यालयों, कानूनी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, तकनीकी विश्वविद्यालयों और अन्य क्षेत्रों में स्टैंड-अलोन संस्थानों का उद्देश्य समग्र और बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करने वाले बहु-विषयक संस्थान बनना होगा।
यह देखते हुए कि लोग स्वास्थ्य सेवा में बहुलवादी विकल्पों का उपयोग करते हैं, हमारी स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अर्थ होना चाहिए, ताकि एलोपैथिक चिकित्सा शिक्षा के सभी छात्रों को आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष)|
18. भारतीय भाषा, कला, और संस्कृति का प्रचार
भारतीय कला और संस्कृति का प्रचार न केवल राष्ट्र के लिए बल्कि व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है। सांस्कृतिक जागरूकता और अभिव्यक्ति बच्चों में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली प्रमुख दक्षताओं में से एक हैं, ताकि उन्हें विभिन्न  संस्कृतियों और पहचान प्रदान की जा सके।
बचपन से देखभाल और शिक्षा के साथ शुरू होने वाली सभी प्रकार की भारतीय कलाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर छात्रों के समक्ष प्रस्तुत  किया जाना चाहिए।
भारतीय भाषाओं के शिक्षण और सीखने को हर स्तर पर स्कूल और उच्च शिक्षा के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।भाषाओं के प्रासंगिक और जीवंत बने रहने के लिए, इन भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिकाओं, वीडियो, नाटकों, कविताओं, उपन्यासों, पत्रिकाओं, आदि सहित उच्च गुणवत्ता वाली सीखने और प्रिंट सामग्री की एक स्थिर धारा होनी चाहिए।
भाषाओं को व्यापक रूप से प्रसारित किए जाने वाले अपने शब्दकोषों और शब्दकोशों में लगातार आधिकारिक अपडेट होना चाहिए, ताकि इन भाषाओं में सबसे मौजूदा मुद्दों और अवधारणाओं पर प्रभावी ढंग से चर्चा की जा सके। 
स्कूली बच्चों में भाषा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई पहल- स्कूल के सभी स्तरों पर संगीत, कला और शिल्प पर अधिक जोर; बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए तीन-भाषा सूत्र का प्रारंभिक कार्यान्वयन; जहां संभव हो घर / स्थानीय भाषा में शिक्षण; अधिक अनुभवात्मक भाषा सीखने का संचालन करना; मास्टर प्रशिक्षकों के रूप में उत्कृष्ट स्थानीय कलाकारों, लेखकों, शिल्पकारों और अन्य विशेषज्ञों की भर्ती; मानविकी, विज्ञान, कला, शिल्प और स्पोर्ट्ससेट में आदिवासी और अन्य स्थानीय ज्ञान सहित पारंपरिक भारतीय ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करना।
भारतीय भाषाओं में मजबूत विभाग और कार्यक्रम, तुलनात्मक साहित्य, रचनात्मक लेखन, कला, संगीत, दर्शन, आदि देश भर में लॉन्च और विकसित किए जाएंगे, और 4 वर्षीय बी.एड. इन विषयों में दोहरी डिग्री विकसित की जाएगी।
उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम और अनुवाद और व्याख्या, कला और संग्रहालय प्रशासन, पुरातत्व, पुरातत्व संरक्षण, ग्राफिक डिजाइन और उच्च शिक्षा प्रणाली के भीतर वेब डिजाइन में डिग्री भी बनाई  जाएंगी । 
उच्च शैक्षणिक संस्थानों   (HEI) के छात्रों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करना, जो न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों की विविधता, संस्कृति, परंपराओं और ज्ञान की समझ और प्रशंसा का कारण बनेगा।
संस्कृत को स्कूल में मजबूत प्रस्ताव  के साथ मुख्यधारा में लाया जाएगा - जिसमें तीन-भाषा सूत्र में भाषा के विकल्पों में से एक के साथ-साथ उच्च शिक्षा भी शामिल है। संस्कृत विश्वविद्यालय भी उच्च शिक्षा के बड़े बहु-विषयक संस्थान बनने की ओर अग्रसर होंगे।
पूरे देश में संस्कृत और सभी भारतीय भाषा संस्थानों और विभागों को काफी मजबूत किया जाएगा
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित प्रत्येक भाषा के लिए, अकादमियों की स्थापना कुछ महान विद्वानों और मूल वक्ताओं से की जाएगी। आठवीं अनुसूची भाषाओं के लिए ये अकादमियां केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामर्श या सहयोग से स्थापित की जाएंगी। अन्य अत्यधिक बोली जाने व भारतीय भाषाओं के लिए अकादमियाँ भी इसी तरह केंद्र और / या राज्यों द्वारा स्थापित की जा सकती हैं।
भारत में सभी भाषाओं, और उनकी संबंधित कला और संस्कृति को एक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म / पोर्टल / विकी के माध्यम से प्रलेखित किया जाएगा, ताकि लुप्तप्राय और सभी भारतीय भाषाओं और उनके संबंधित समृद्ध स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित किया जा सके।
स्थानीय मास्टर्स और / या उच्च शिक्षा प्रणाली के साथ भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए सभी उम्र के लोगों के लिए छात्रवृत्ति की स्थापना की जाएगी
 🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆

सोमवार, 27 जुलाई 2020

वो ज़माना और था..

वो ज़माना और था.......

 दरवाजों पे ताला नहीं भरोसा लटकता था , खिड़कियों पे पर्दे भी आधे होते थे,  ताकि रिश्ते अंदर आ सकें।

पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे।
 पड़ोस के घर बेटी पीहर आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी , गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था 

वो ज़माना और था......
 जब छतों पर किसके पापड़ और आलू चिप्स सूख रहें है बताना मुश्किल था।

जब हर रोज़ दरवाजे पर लगा लेटर बॉक्स टटोला जाता था , डाकिये का अपने घर की तरफ रुख मन मे उत्सुकता भर देता था ।

वो ज़माना और था......
जब रिश्तेदारों का आना,
 घर को त्योहार सा कर जाता था , मौहल्ले के सारे बच्चे हर शाम हमारे घर ॐ जय जगदीश हरे गाते .....और फिर हम उनके घर णमोकार मंत्र गाते ।

 जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं बधाईयाँ गाती थीं....और बच्चा गले मे फूलों की माला लटकाए अपने को शहंशाह समझता था।

जब बुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे...और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे।

वो ज़माना और था ......
कि जब शादियों में स्कूल के लिए खरीदे काले नए चमचमाते जूते पहनना किसी शान से कम नहीं हुआ करता था , जब छुट्टियों में हिल स्टेशन नहीं मामा के घर जाया करते थे....और अगले साल तक के लिए यादों का पिटारा भर के लाते थे।

कि जब स्कूलों में शिक्षक हमारे गुण नहीं हमारी कमियां बताया करते थे।

वो ज़माना और था......
कि जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे , दिनों तक रोज़ नायन गीतों का बुलावा देने आया करती थी।

 बिना हाथ धोये मटकी छूने की इज़ाज़त नहीं थी।

वो ज़माना और था......
 गर्मियों की शामों को छतों पर छिड़काव करना जरूरी  था ,  सर्दियों की गुनगुनी धूप में स्वेटर बुने जाते थे और हर सलाई पर नया किस्सा सुनाया जाता था।

रात में नाख़ून काटना मना था.....जब संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था ।

वो ज़माना और था........
 बच्चे की आँख में काजल और माथे पे नज़र का टीका जरूरी था ,  रातों को दादी नानी की कहानी हुआ करती थी ,  कजिन नहीं सभी भाई बहन हुआ करते थे ।

वो ज़माना और था......
 जब डीजे नहीं , ढोलक पर थाप लगा करती थी.. गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे , शादी में एक दिन का महिला संगीत नहीं होता था आठ दस दिन तक गीत गाये जाते थे।

वो ज़माना और था......
कि जब कड़ी धूप में 10 पैसे का बर्फ का पानी.... गिलास के गिलास पी जाते थे मगर गला खराब नहीं होता था, 
जब पंगत में बैठे हुए रायते का दौना तुरंत  पी जाते..... ज्यों ही रायते वाले भैया को आते देखते थे।
जब बिना AC रेल का लंबा सफर पूड़ी, आलू और अचार के साथ बेहद सुहाना लगता था।

वो ज़माना और था.......
जब सबके घर अपने लगते थे......बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे ,  किसी भी छत पर अमचूर के लिए सूखते कैरी के टुकड़े उठा कर मुँह में रख लिया करते थे ,  अपने यहाँ जब पसंद की सब्ज़ी ना बनी हो तो पडौस के घर कटोरी थामे पहुँच जाते थे।

वो ज़माना और था.....
जब पेड़ों की शाखें हमारा बोझ उठाने को बैचेन हुआ करती थी , एक लकड़ी से पहिये को लंबी दूरी तक संतुलित करना विजयी मुस्कान देता था ,  गिल्ली डंडा, चंगा पो, सतोलिया और कंचे दोस्ती के पुल हुआ करते थे।

वो ज़माना और था.....
 हम डॉक्टर को दिखाने कम जाते थे डॉक्टर हमारे घर आते थे....डॉक्टर साहब का बैग उठाकर उन्हें छोड़ कर आना तहज़ीब हुआ करती थी 
 सबसे पसंदीदा विषय उद्योग हुआ करता था....भगवान की तस्वीर चमक से सजाते थे।
 इमली और कैरी खट्टी नहीं मीठी लगा करती थी।

वो ज़माना और था.....
जब बड़े भाई बहनों के छोटे हुए  कपड़े ख़ज़ाने से लगते थे , लू भरी दोपहरी में नंगे पाँव गालियां नापा करते थे।
 कुल्फी वाले की घंटी पर मीलों की दौड़ मंज़ूर थी ।

वो ज़माना और था......
जब मोबाइल नहीं धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता और कादम्बिनी के साथ दिन फिसलते जाते थे ,  TV नहीं प्रेमचंद के उपन्यास हमें कहानियाँ सुनाते थे।
 जब पुराने कपड़ों के बदले चमकते बर्तन लिए जाते थे।

वो ज़माना और था.......
स्वेटर की गर्माहट बाज़ार से नहीं खरीदी जाती थी। 
मुल्तानी मिट्टी से बालों को रेशमी बनाया जाता था 

वो ज़माना और था......
कि जब चौपड़ पत्थर के फर्श पे उकेरी जाती थी ,  पीतल के बर्तनों में दाल उबाली जाती थी , चटनी सिल पर पीसी जाती थी।

वो ज़माना और था.....
वो ज़माना वाकई कुछ और था।

हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,

बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे
          
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
फलों की ही बात ले लो...
 
 
आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती,
 
 
कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
 
 
सफलता के लिए बेलने पड़ते है कई पापड़,
आटे में नमक तो जाता है चल,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
 
 
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
 
 
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
 
 
शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
 
 
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आता है,
 
भाई साहब अब कुछ भी हो,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...
 
ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...
सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं...

हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है

*हिन्दू तो असली पाकिस्तान का है जो वहां रहकर भी अपने को हिन्दू बोलता है*

*अध्यापक : "सबसे अधिक हिन्दुओ वाला देश बताओ ?"*

*छात्र : "पाकिस्तान !"*

*अध्यापक  (चौंककर) : "तो सबसे कम हिन्दुओं वाला देश कौन सा है ?"*

*छात्र : "हिंदुस्तान !"*

*अध्यापक (घबराकर) : "कैसे ?"*

*छात्र : "सर यहाँ हिन्दू तो 'न' के बराबर ही समझिए, यहां तो सबसे ज्यादा 'सेक्यूलर' ही रहते हैं; और फिर जाट, गुर्जर, ठाकुर, ब्राह्मण, लाला, पटेल, कुर्मी, यादव, सोनार, लोहार, बढ़ई, प्रजापति, केवट, धुनिया, मल्लाह, कोरी, चमार, ढाढ़ी, पासी, पासवान...आदि... आदि रहते हैं !!"*

*"फिर हिंदू कहां रहते हैं ??"*

*"सर सोचिए !*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या अयोध्या में हिंदुओं के कातिल को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या रामसेतु को काल्पनिक बताने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवा आतंकी कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या कश्मीर में हिंदुओं को मौत के घाट उतारने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या दशहरा छोड़कर मोहर्रम मनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'मन्दिर में जाने वाले लड़की छेड़ते हैं !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या भगवान श्रीराम जी का प्रूफ मांगने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या 'इस देश के संसाधनों पे पहला हक़ मुसलमानों का है !' कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो,क्या बुरहान, याकूब, ओसामा को शहीद कहने वाले को सत्ता देते ??*

*यदि हिन्दू होते तो, क्या देश के दो टुकड़े (भारत-पाकिस्तान) करने वाले को सत्ता देते ??"*

*अध्यापक आंखों में आंसू लिए : "वाह बेटे बहुत सही कहा !"*

 जय श्री राम 
*वन्दे मातरम् !* 🇮🇳

कविता नही यह सीधे सीधे,रामभक्तो को निमन्त्रण है!

*पाँच अगस्त बस पांच नही,*
*यह पंचामृत कहलायेगा!*
*एक रामायण फिरसे अब,*
*राम मंदिर का लिखा जाएगा!!*

*जितना समझ रहे हो उतना,*
*भूमिपूजन आसान न था!*
*इसके खातिर जाने कितने,*
*माताओं का दीप बुझा!!*

*गुम्बज पर चढ़कर कोठारी,*
*बन्धुओं ने गोली खाई थी!*
*नाम सैकड़ो गुमनाम हैं,*
*जिन्होंने जान गवाई थी!!*

*इसी पांच अगस्त के खातिर,*
*पांचसौ वर्षो तक संघर्ष किया!*
*कई पीढ़ियाँ खपि तो खपि,*
*आगे भी जीवन उत्सर्ग किया!!*

*राम हमारे ही लिए नही बस,*
*उतने ही राम तुम्हारे हैं!*
*जो राम न समझसके वो,*
*सचमुच किस्मत के मारे हैं!!*

*एक गुजारिस है सबसे बस,*
*दीपक एक जला देना!*
*पाँच अगस्त के भूमिपूजन में,*
*अपना प्रकाश पहुँचा देना!!*

*नही जरूरत आने की कुछ,*
*इतनी ही हाजरी काफी है!*
*राम नाम का दीप जला तो,*
*कुछ चूक भी हो तो माफी है!!*

*कविता नही यह सीधे सीधे,*
*रामभक्तो को  निमन्त्रण है!*
*असल सनातनी कहलाने का,*
*समझो कविता आमंत्रण है!!*

*जय श्रीराम, जय जय श्रीराम💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐*

function disabled

Old Post from Sanwariya