सभी स्वजनो को सादर वंदन !
जैसा की हम सभी जानते और मानते भी है की आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी कृषि प्रधान भारत देश का मुख्य आधार किसान आज भी सम्मानजनक जीवनयापन हेतु संघर्षरत है, देश की जीडीपी में कृषि का योगदान मात्र १७ प्रतिशत हो पा रहा है | किसानो की आय दुगुना करने के वादों के साथ हर बार सरकारे बनी है और बदलती भी गयी लेकिन आज भी ग्रामीण युवाओं को आजीविका हेतु शहरों, महानगरो का रुख ही करना पड़ रहा है |
ऐसा नहीं है की सभी सरकारों ने इस विषय पर ध्यान नहीं दिया अथवा कोई कार्य नहीं किया | विविध सरकारों ने हजारों बेहतरीन योजनाये बनाई, उनके क्रियान्वयन की भरपूर कोशिश भी की लेकिन आज भी धरातल पर देश के कर्णधार, अन्नदाता किसानो की स्थिति में बहुत अच्छा परिवर्तन नहीं हुवा है | क्या कारण रहा होगा की हजारो योजनाये बनने के बावजूद धरातल पर परिणाम नगण्य रहा ?
क्या कारण है की *जिस कृषि कार्य को शास्त्रों में सर्वोत्तम कर्म माना गया, व्यवसाय को उसके बाद, और नौकरी को सबसे निम्न स्तर का कार्य माना जाता था, आज उलटा हो गया है |* स्वाभीमान तो जैसे ख़त्म ही होता जा रहा है | हर आम आदमी जीविकोपर्जन के लिए *स्वयं को लाचार मानकर सरकार की और आशा भरी दृष्टी से देख रहा है | किसी को बेरोजगारी भत्ता चाहिए तो किसी को पेंशन, किसी को सरकारी सब्सीडी चाहिए तो किसी को हजम कर जाने हेतु अनेकानेक योजनाओं के तहत सरकारी ऋण, किसी को आम जनता के ही पैसों से कर्ज माफी, बिल माफी चाहिए, तो किसी को मुफ्त अनाज !*
*कहां गया भारत भूमी का स्वाभीमान, कहां गयी आत्मनिर्भरता जिसे हमने सिर्फ किताबो में ही पढ़ा है ?*
*किस स्वाभीमान को दर्शाने के लिए हम आज भी महाराणा प्रताप या झांसी की रानी को याद करते है |*
क्या कारण है की जिस देशी गाय की महिमा हमारे संत महात्मा गाते गाते नहीं थकते, जो समस्त मानव जाति की माता मानी जाती रही है और शास्त्रों के अनुसार जो समस्त विश्व का पालन-पोषण करने में सक्षम है, आज उस गौ माता को लोग सड़को पर ही मरने के लिए छोड़ रहे है | सरकारे सहस्त्रो योजनाये बना बना कर थक चुकी है पर दशा बदल नहीं रही है | *कही न कही तो कुछ गलत हो ही रहा है |*
हाल ही में आये कोरोना संकट ने वैश्विक स्तर पर बहुत से विषयों को स्पष्ट भी किया है और समाधान की राह भी दिखाई है |
मुख्य रूप से बड़े महानगरो, विकसित देशो में जो स्थितिया उत्पन्न हुयी है उसके कारण पूरा विश्व एक बार फिर भारत की और आशा भरी नजरो से देख रहा है | भारत में स्वास्थ्य सम्बन्धी आधुनिक सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होते हुवे भी बेहतर रिकवरी रेट और वर्तमान परिस्थितियों के ग्रामीण भारत पर कोरोना के बहुत कम असर को देखकर एक बार फिर से हर आदमी आधूनिकता की चकाचौंध की और बढ़ते कदमो को रोककर सोचने पर मजबूर हुवा है | *एक छोटे से वायरस के कारण तहस नहस होती अर्थव्यवस्था के कारण एक बार फिर से मानव जीवन की सीमित आवश्यकताओ, व्यक्तिगत इम्युनिटी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु जैविक खेती, देशी गौवंश, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था, गुरुकुल शिक्षा आदि की चर्चाओं ने एक बार फिर से जोर पकड़ा है |* देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन ऐसे विषयों को लेकर लगातार विषय विशेषज्ञ ऑनलाइन माध्यमों से अर्थव्यवस्था के बेहतरीन मॉडल हेतु चिंतन कर रहे है | अधिकाँश चिन्तनो में यह बात तो स्पष्ट हुयी ही है की *भारत के लिए ग्राम आधारित, पर्यावरण पूरक, स्वाभिमानी (मुफ्त से मुक्त), स्वावलंबी अर्थव्यवस्था ही बेहतर विकल्प हो सकता है* | इनमे कृषि, पशुपालन आधारित ग्राम स्वरोजगार, रसायन मुक्त जैविक खेती, गौवंश, सौर ऊर्जा, बायो इंधन आदि आधारित अर्थव्यवस्था अत्यधिक महत्त्व के बिंदु बनकर उभरे है | कोरोना संकट के चलते अधिकांश महानगरो से युवा अपने अपने गावो की और लौट गये है तथा वही पर रोजगार की तलाश में भी है | ऐसे में व्यवस्था परिवर्तन हेतु समय अत्यधिक अनुकूल हो गया है | बस आवश्यकता केवल जनजागरण और सामूहिक प्रयास की है |
विगत ३ माह में लॉक डाउन के चलते भारत सरकार से सेवानिवृत पूर्व शासन सचिव डॉक्टर कमल टावरी जी के प्रयासों से ऐसे कई सफल प्रयोगधर्मियो को एक मंच पर लाने का प्रयास किया गया जिसके माध्यम से समग्र ग्राम विकास के विभिन्न छोटे छोटे सफल प्रयासों को सम्पूर्ण भारतभर में फैलाने हेतु *मा-बाप (Mass Awakener - Block Adoption & Adaptation Programmer)* नाम से योजना बनाकर *स्थानीय भागीदारी व जिम्मेदारी के साथ अ-सरकारी व असरकारी, स्वाभीमानी तरीके से वर्तमान में कार्य कर रहे विविध संगठनो, जन प्रतिनिधियों, किसानो, पशुपालको, युवा कार्यकर्ताओं के माध्यम से देशभर के 6500 विकास खंडो (Blocks) में इन सभी प्रयोगों को धरातल पर उतारने का संकल्प किया गया है |*
इसी क्रम में स्वाभीमान की पहचान मेवाड़ धरा को आत्मनिर्भर बनाकर पुनः गौरवशाली बनाने का एक संकल्प लिया है मेवाड़ के ही कुछ युवाओं ने, जिसे नाम दिया गया है - *आत्मनिर्भर मेवाड़ संकल्प*
आप *यदि किसान है* तो इस संकल्प से जुड़ कर अपने पास उपलब्ध भूमी पर ही गौ आधारित जैविक खेती प्रकल्प से जुड़कर अपनी आय में वृद्धि कर स्वयं आत्मनिर्भर बन औरो को रोजगार भी दे सकते है |
यदि *आप गौपालक है* तो इस संकल्प से जुड़ कर जैविक खेती हेतु प्रयुक्त जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, पंचगव्य, त्रीसगव्य आदि के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर स्वयं आत्मनिर्भर बन औरो को रोजगार भी दे सकते है |
यदि *आप जन प्रतिनिधि है* अपने क्षेत्र के किसानो, पशुपालको, युवाओं को ग्राम आधारित रोजगार, जैविक खेती, गौपालन आदि हेतु प्रेरित कर, किसानो के समूह बनाकर, सरकारी योजनाओं के लाभ किसानो तक पहुंचाकर, उनकी हर संभव सहयोग के माध्यम से अपने क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के पथ पर अग्रसर कर सकते है जिसका प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष लाभ आप स्वयं को भी होना ही है और एक जन प्रतिनिधि होने के नाते यह आपका परम कर्तव्य भी है |
यदि *आप युवा है अथवा बेरोजगार है* तो यकीन मानिये, इस संकल्प के साथ जुड़कर स्वयं के स्वाभीमानी बेहतर श्रेष्ठतम जीवनयापन के लिए हेतु वांछित आय के साथ मानव जाति की इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती |
यदि *आप शिक्षक है* तो इस संकल्प से जुड़कर अपने छात्रो को शिक्षित बेरोजगारों की प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनाने की बजाय सदैव आत्मनिर्भर बनने, सरकारों से रोजगार माँगने की बजाय अधिकाधिक रोजगार देने वाला कार्य करने हेतु प्रेरित करे |
*याद रखिये !*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा आत्मनिर्भर बनेगा !*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा स्वयं इसका संकल्प करेगा !!*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जबकी आत्मनिर्भर भारत एक सरकारी योजना की बजाय एक जनांदोलन बनेगा !!*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा स्वाभीमानी बनेगा, सरकारों से अपेक्षाए रखना बंद करेगा !!*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जब की देश का किसान, और युवा सरकारों को सुझाव देने की बजाय खुद अपनी योजना बनाकर इस पर कार्य प्रारंभ करेगा !!*
*देश आत्मनिर्भर तभी बनेगा, जबकी केंद्र या राज्य सरकारों की योजनाओं अथवा नौकरियों पर आश्रित रहने की बजाय, धरातल पर कार्य कर रहा किसान और युवा स्वयं रोजगार देने के अवसर उत्पन्न करेगा !!*
यदि आप उक्त विचारों से सहमत है और राष्ट्र के प्रति स्वयं कुछ जिम्मेदारी का भाव रखते है तो *आइये, कदम से कदम मिलाये, स्वयं संकल्प लेकर इस संकल्प को एक अभियान और जनांदोलन बनाये |*
यदि आप वाकई सकारात्मक विचारो के साथ देश की दशा और दिशा बदलने के लिए सर्वप्रथम स्वयं मेवाड़ को आत्मनिर्भर बनाने के महत्ती संकल्प के साथ खडा करना चाहते है तो *नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करके अपनी जानकारी भरकर सबमिट करिए* ताकि आपके साथ मिलकर संकल्प को और दृढ़ किया जा सके |
https://forms.gle/DYQ1SuiesmMVUBxW7
निश्चिंत रहियेगा, इस संकल्प से जुड़ने के लिए *आपको ना तो बहुत अधिक समय देना है, ना ही कोई धन खर्च करना है, ना ही आपको कोई समाज सेवा करनी है, ना हमारी कोई नया संगठन बनाने की भावना है | आपको सिर्फ अपने ही स्थान पर भारतीय वैदिक चिंतन को आधार बनाकर, पर्यावरण पूरक व शुभलाभ हेतु स्वाभीमानी निजी व्यवसाय करते हुवे इस संकल्प में मानसिक समर्थन के साथ जुड़ना है | हम स्वाभीमानी, आत्मनिर्भर भारत के एक आदर्श स्वरुप के दर्शन मेवाड़ में करवाना चाहते है | जिसमे कोई एक योजना कार्य नहीं करेगी अपितु मेवाड़ का युवा, किसान अपने अपने तरीके से कार्य करते हुवे आत्मनिर्भर भारत के नए नए आदर्श प्रस्तुत करेगा | हम इस मंच के माध्यम से विशेषज्ञों को किसानों तक पहुँचाने का, किसानो के उत्पादन को सीधे आमजन तक पहुँचाने, युवाओं को स्वाभिमानी रोजगार हेतु प्रेरित करने आदि का कार्य करना चाहते है |*
हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से अब कोई गंगा निकलनी चाहिए ।
*कई बार जोखिम नहीं लेना ही , सबसे बड़ा जोखिम होता है।*
link for joining hands with us -
https://forms.gle/DYQ1SuiesmMVUBxW7