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शुक्रवार, 13 मई 2022

क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???

क्या हम बिल्डर्स, इंटीरियर डिजाइनर्स, केटरर्स और डेकोरेटर्स के लिए कमा रहे हैं ???
*हम बड़े बड़े क़ीमती मकानों और बेहद खर्चीली शादियों से* किसे इम्प्रेस करना चाहते हैं ???

क्या आपको याद है कि, *दो दिन पहले किसी की शादी पर आपने क्या खाया था ???*

जीवन के प्रारंभिक वर्षों में *क्यों हम पशुओं की तरह काम में जुटे रहते हैं ???*

कितनी पीढ़ियों के *खान पान और लालन पालन की व्यवस्था करनी है हमें ???*

हम में से *अधिकाँश लोगों के दो बच्चे हैं। बहुतों का तो सिर्फ एक ही बच्चा है।*

हमारी जरूरत कितनी हैं और *हम पाना कितना चाहते हैं ???*
*इस बारे में सोचिए।*

क्या हमारी *अगली पीढ़ी कमाने में सक्षम नहीं है जो, हम उनके लिए ज्यादा से ज्यादा सेविंग कर देना चाहते हैं !?!*

क्या हम *सप्ताह में डेढ़ दिन अपने मित्रों, अपने परिवार और अपने लिए स्पेयर नहीं कर सकते ???*

क्या आप *अपनी मासिक आय का 5 % अपने आनंद के लिए, अपनी ख़ुशी के लिए खर्च करते हैं ???*
*सामान्यतः जवाब नहीं में ही होता है।*

*हम कमाने के साथ साथ आनंद भी क्यों नहीं प्राप्त कर सकते ???*

इससे पहले कि *आप स्लिप डिस्क्स का शिकार हो जाएँ, इससे पहले कि, कोलोस्ट्रोल आपके हार्ट को ब्लॉक कर दे, आनंद प्राप्ति के लिए समय निकालिए !!!*

*हम किसी प्रॉपर्टी के मालिक नहीं होते, सिर्फ कुछ कागजातों, कुछ दस्तावेजों पर अस्थाई रूप से हमारा नाम लिखा होता है।*

*ईश्वर भी व्यंग्यात्मक रूप से हँसेगा जब कोई उसे कहेगा कि, " मैं जमीन के इस टुकड़े का मालिक हूँ " !!*

किसी के बारे में, *उसके शानदार कपड़े और बढ़िया कार देखकर, राय कायम मत कीजिए।*

हमारे *महान गणित और विज्ञान के शिक्षक स्कूटर पर ही आया जाया करते थे !!*

धनवान होना गलत नहीं है *बल्कि सिर्फ धनवान होना गलत है।*

*आइए जिंदगी को पकड़ें, इससे पहले कि, जिंदगी हमें पकड़ ले...*

एक दिन *हम सब जुदा हो जाएँगे, तब अपनी बातें, अपने सपने हम बहुत मिस करेंगे।*

*दिन, महीने, साल गुजर जाएँगे, शायद कभी कोई संपर्क भी नहीं रहेगा। एक रोज हमारी बहुत पुरानी तस्वीर देखकर हमारे बच्चे हम से पूछेंगे कि, " तस्वीर में ये दुसरे लोग कौन हैं ?? "*

*तब हम मुस्कुराकर अपने अदृश्य आँसुओं के साथ बड़े फख्र से कहेंगे---" ये वो लोग हैं, जिनके साथ मैंने अपने जीवन के बेहतरीन दिन गुजारे हैं। " ...." जरा सोचिये"

🙏🌹🙏🌼🌼🌺🌺🌷🌷🌸🌸🙏🌹🙏

गुरुवार, 12 मई 2022

इस सच्चाई से आंख कैसे मोड़ेंगे आने वाली संतानों के भविष्य की सोचिए


*इस post  में भी कुछ तो सच लगता है..............*

इस सच्चाई से आंख कैसे मोड़ेंगे आने वाली संतानों के भविष्य की सोचिए.. ...                                   

जब एक बांग्लादेशी मुस्लिम भारत पहुँचता है और अंबाला जिले में कहीं भटक जाता है, तो उसके पास न पैसे होते हैं और ना ही वो किसी को जनता है।

वो किसी प्रकार सबसे नज़दीकी मस्जिद में पहुँचता है और वहाँ उसे 100% शरण मिल जाती है, मुसलमान होने के कारण।

*हर जिले में एक शाही मस्जिद होती है जिससे शहर की हर मस्जिद जुड़ी रहती है।*

तत्पश्चात वो बांग्लादेशी अंबाला जिले की शाही मस्जिद में भेज दिया जाता है, जहाँ उसे चोरी छुपे शरण मिल जाती है।

*हर जिले की शाही मस्जिद दिल्ली की जामा मस्जिद से जुड़ी रहती है।* 
*दिल्ली की जामा मस्जिद के पास उत्तर भारत के इस्लामीकरण की ज़िम्मेदारी है।*  
 उसके पास उत्तर भारत के हर लोक सभा क्षेत्र का और उसमें रहने वाली मुस्लिम आबादी का रिकार्ड होता है- 100% खरा रिकॉर्ड।

अब वो बांग्लादेशी दिल्ली पहुँच कर जामा मस्जिद में शरण लेता है। जामा मस्जिद यह चैक करती है कि उत्तर भारत के किस लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी कम है। मान लीजिए उत्तर प्रदेश के झाँसी में मुस्लिम आबादी कम है।

 *अब असली खेल शुरु..!!*

जामा मस्जिद उस बांग्लादेशी को झाँसी जिले की शाही मस्जिद में भेज देती है। झाँसी की शाही मस्जिद के इमाम वक़्फ बोर्ड की सहायता से उस बांग्लादेशी के रहने का प्रबंध करते हैं और उसके रोजगार का भी प्रबंध करते हैं। 

*वो बांग्लादेशी लोकल मुस्लिम और भ्रष्ट हिन्दू नेताओं  और अफसरों की सहायता से भारतीय पासपोर्ट बनवा लेता है।*

*समाजवादी पार्टी जैसी भ्रष्ट सरकारें वक़्फ बोर्ड को वोट के बदले ज़मीन दे देती है, नगरपालिका के भ्रष्ट अफ़सर रिश्वत लेकर बर्थ सर्टिफिकट बना देते हैं।*

*पुलिस और ख़ुफ़िया विभाग के अफसर रिश्वत लेकर पासपोर्ट की फाइल बिना किसी वेरिफिकेशन के आगे बढ़ा देते हैं, और दूसरे जरूरी कागजात भी तैय्यार करवा लेता हैं, जैसे कि आधार कार्ड।*

 *अर्थात जो बांग्लादेशी कुछ दिन पहले अंबाला शहर में बिना किसी पैसे और जान पहचान के भटक रहा था, वो झाँसी जिले में रहने वाला एक भारतीय नागरिक बन चुका है।*

ये तो एक बांग्लादेशी की कहानी है… देश में रोज बड़ी संख्या में बाग्लादेशी और पाकिस्तानी कबायली बंजारा आते हैं और *वक़्फ बोर्ड की सहायता से भारतीय नागरिक बन जाते है।*

भारत के अनेक जिलों का, खास कर *उत्तर प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल का धार्मिक समीकरण* बिल्कुल बदल चुका है। 2021-22 की जनगणना में इन जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हो सकते हैं।

 वर्तमान भारतीय सरकार को देश हित के कार्यों में विपक्ष का असहयोग क्यों किया जा रहा है 
उसकी असली वजह समझने के लिए 
खुद पढ़े 
और समझे 
और 
अपने हिन्दू बंधुओ को समझाए....

*नया आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए!*

*उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए !*

*तीन करोड़ (30000000 ) से जायदा फ़र्ज़ी एलपीजी कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए !*

*मदरसों से वज़ीफ़ा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए!*

*डेढ़ करोड़ (15000000 ) से ऊपर फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारी गायब हो गए!*

*ये सब क्यों और कहाँ गायब होते जा रहे हैं !*

*चोरो का सारा काला चिटठा खुलने वाला है …इसीलिए  सारे चोर ने मिलकर माननीय सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी कि आधार लिंक हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है ! चोरों  को  प्राइवेसी का कैसा अधिकार!*

*1) कंपनी के MD :मोदी ने फर्जी 3 लाख से ज्यादा कम्पनियां  बन्द कर दी है!*

*2) राशऩ डीलर नाराज़ हो गये!*

*3) Property Dealer नाराज़ हो गये!*

*4)ऑनलाइन सिस्टम बनने से दलाल नाराज़ हो गये है!*

*5) 40,000 फर्जी NGO बन्द हो गये है, इसलिए इन  NGO के मालिक भी नाराज़ हो गये !*

*6) No 2 की Income से Property खरीद ने वाले नाराज़ हो गये!*

*7) E-Tender  होने से कुछ ठेकेदार भी नाराज़ हो गये!*

*8) गैस कंपनी वाले नाराज़ हो गये!*

*9) अब तक जो 12 करोड लोग  Income टैक्स के दायरे मै आ चुके हैं वह लोग नाराज़ हो गये!*
*10) GST सिस्टम लागू होने से ब्यापारी लोग नाराज़ हो गये, क्योकि वो लोग Automatic सिस्टम मै आ गये है!*

*11) वो 2 नम्बर  के काम बाले लोग फलना फूलना बन्द हो गये है!*

*13) Black को White करने का सिस्टम एक दम से लुंज सा हो गया है।*

*14) आलसी सरकरी अधिकारी नाराज हो गये, क्योकि समय पर जाकर काम करना पड रहा हैं!*

*15) वो लोग नाराज हो गये, जो समय पर काम नही करते थे और रिश्वत देकर काम करने मे विश्वास  करते है।*
16) 10 रुपये महीना  का कमरा और 300 रु महीना मै खाना खाने वाला 7 साल तक मुफ्त की रोटी तोड़ने वाला JNU का छात्र भी परेशान है मोदी से😀😀

*दुख होना लाज़मी है देश बदलाव की कहानी लिखी जा रही है, 
 जिसे समझ आ रही है बदल रहा है जिसे नही आ रही है वो मंदबुध्दि युवराज के #मानसिक_गुलाम हमे अंधभक्त कह कह कर छाती कूट रहे है!*

*" वन्दे मातरम *"

भाईयों इस लेख को आप एक बेहद ही संवेदनशील आंख खोलने वाली जानकारी समझ सभी तक पहुंचाये 🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम🚩🚩🚩🚩🚩🙏🏻
www.sanwariyaa.blogspot.com

सोमवार, 9 मई 2022

रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।

एक  महिला हैं, वो जयपुर में एक PG ( *पेइंग गेस्ट* ) रखती हैं। 
उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10 - 12 कमरे हैं। 
उन्हीं कमरों में *हर एक मे 3 bed लगा रखे हैं।* 




उनके PG में *भोजन* भी मिलता है। 
खाने खिलाने की शौकीन हैं। *बड़े मन से बनाती खिलाती हैं।* 

उनके यहां इतना शानदार भोजन मिलता है कि अच्छे से अच्छा Chef नही बना सकता। 
आपकी माँ भी इतने *प्यार से* नही खिलाएगी जितना वो खिलाती हैं।

उनके PG में ज़्यादातर नौकरी पेशा लोग और छात्र रहते हैं।

सुबह Breakfast और रात का भोजन तो सब लोग करते ही हैं। 
जिसे आवश्यकता हो उसे दोपहर का भोजन pack करके भी देती हैं।

पर उनके यहां एक बड़ा *अजीबोगरीब नियम है,* 
हर महीने में सिर्फ *28 दिन* ही भोजन पकेगा।

शेष 2 या 3 दिन होटल में खाओ, 
ये भी नही कि PG की रसोई में बना लो।

 *रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।* 

हर महीने के आखिरी तीन दिन *Mess बंद।* 
Hotel में खाओ, चाय भी बाहर जा के पी के आओ।

मैंने उनसे पूछा कि ये क्यों? ये क्या अजीबोगरीब नियम है। 
आपकी kitchen सिर्फ 28 दिन ही क्यों चलती है ?

बोली , *हमारा Rule है।* 
हम भोजन के पैसे ही 28 दिन के लेते हैं। 
इसलिये kitchen सिर्फ 28 दिन चलती है।

मैंने कहा ये क्या अजीबोगरीब नियम है ? 
और ये नियम भी कोई भगवान का बनाया तो है नही आखिर आदमी का बनाया ही तो है बदल दीजिये इस नियम को।

उन्होंने कहा , नहीं ! नियम तो नियम है 

खैर साहब अब नियम है तो है।
उनसे अक्सर मुलाक़ात होती थी।
एक दिन मैंने बस यूं ही फिर *छेड़ दिया उनको* , 
उस 28 दिन वाले अजीबोगरीब नियम पर

उस दिन वो खुल कर बोलीं, तुम नही समझोगे डॉक्टर साहब, 
शुरू में ये नियम नही था 
मैं इसी तरह, इतने ही प्यार से बनाती खिलाती थी। 
पर इनकी *शिकायतें* खत्म ही न होती थीं 
कभी ये कमी, कभी वो कमी *हमेशा चिर असंतुष्ट रहते थे*
सो तंग आकर ये 28 दिन वाला नियम बना दिया।

28 दिन प्यार से खिलाओ और बाकी 2 - 3 दिन बोल दो कि जाओ, *बाहर खाओ।* 

 *उन 3 दिनो में नानी याद आ जाती है।* 
आटे दाल का भाव पता चल जाता है। 
ये पता चल जाता है कि बाहर *कितना महंगा और कितना घटिया खाना मिलता है।* 
दो *घूंट चाय* भी 15 - 20 रु की मिलती है।

मेरी *Value* ही उनको इन 3 दिन में पता चलती है 
सो बाकी 28 दिन बहुत *कायदे* में रहते हैं।

 *अत्यधिक सुख सुविधा की आदत व्यक्ति को असंतुष्ट और आलसी बना देती है।*

*👆🏼 बहुत बढ़िया, बिलकुल सही*

*घर पर भी अगर ग्रहिणी ऐसा करे तो उसके द्वारा किये कि कीमत
( VALUE ) का सही आंकलन होगा कभी तिरस्कार नही होगा*

रविवार, 8 मई 2022

हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगज़ेब

हनुमान मंदिर जहां डर कर बेहोश हो गया था औरंगज़ेब



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आज से करीब 1000 साल पहले 12वीं शताब्दी  के लगभग काकतीय वंश के राजा प्रताप रुद्र द्वितीय अपने राज्य से बहुत दूर घने जंगल में शिकार खेलने गए और शिकार खेलते खेलते ही अँधेरा हो गया। जब वह बहुत थक गए तो उन्हें उन्होंने सोचा ईसी जंगल में रात बिताई जाए। रात में राजा वही एक पेड़ के नीचे सो गए अचानक आधी रात को उनकी नींद खुली और उन्हें सुनाई पड़ा कि जैसे कोई भगवान श्री राम के नाम का जप कर रहा है।

 इस घटना से राजा अत्यंत विस्मित हुए उन्होंने उठकर आसपास देखा और थोड़ी दूर में ढूंढने पर पाया कि वहां पर एक हनुमान जी की मूर्ति ध्यान मुद्रा में बैठी हुई है उस मूर्ति में अवर्णनीय आकर्षण था ध्यान से देखने पर पता चला कि श्री राम नाम का जप उसी मूर्ति की तरफ से आ रहा था।

 राजा और भी अधिक आश्चर्यचकित हो गया और सोचने लगा कि कैसे एक मूर्ति भगवान के नाम का जप कर सकती है?

 राजा लगातार उसी मूर्ति को देखे जा रहा था थोड़ी देर में उसे ऐसा दिखा जैसे खुद वहां मूर्ति नहीं बल्कि खुद हनुमान जी बैठे हुए हैं और अपने प्रभु श्रीराम का स्मरण कर रहे हैं।

जब राजा को यह एहसास हुआ कि यह मूर्ति नहीं स्वयं हनुमान जी है तब राजा प्रताप रुद्र ने तुरंत उस मूर्ति के आगे दंडवत प्रणाम किया और राजा बहुत देर तक श्रद्धापूर्वक उसी मूर्ति के आगे प्रार्थना की मुद्रा में बैठा रहा और फिर वापस सोने चला गया।

 जब राजा को गहरी नींद आई तो उसने स्वप्न देखा और उस स्वप्न में स्वयं हनुमान जी प्रकट हुए और राजा से कहा कि वह यहां पर उनका मंदिर बनाए।

 स्वप्न देखकर राजा की नींद खुल गई और वहां से तुरन्त अपने राज्य की ओर वापस चल पड़ा।

अपने राज्य में पहुंचकर राजा ने एक अपने समस्त मंत्रियों सलाहकारों और विद्वानों को बुलाकर एक विशेष आपातकालीन सभा बुलाई और उसमें अपने सपने के बारे में सबको बताया,

राजा द्वारा बताए हुए स्वप्न से आश्चर्यचकित सभी लोगों ने एक सुर में कहा - "हे राजेंद्र निश्चित रूप से यह आपके लिए बहुत ही शुभ स्वप्न है और इससे आपका कीर्तिवर्धन होगा और आपका राजू निरंतर उन्नति करेगा आपको तुरंत यहां पर एक मंदिर बनाना चाहिए ।"

शुभ मुहूर्त में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ ठीक उसी स्थान पर जहां राजा ने श्री हनुमान जी की मूर्ति को भगवान श्री राम का जप करते देखा था और राजा ने एक बहुत ही सुंदर मंदिर का निर्माण कर दिया।

श्रीराम का ध्यान करते हनुमान जी के इस मंदिर को नाम दिया गया " ध्यानञ्जनेय स्वामी" मन्दिर।

 धीरे-धीरे इस मंदिर की ख्याति चारों तरफ फैल गई और दूर दूर के राज्यों से लोग इस के दर्शन करने आने लगे।

इस दैवीय घटना के लगभग 500 वर्ष बाद अबुल मुजफ्फर मोहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब जिसे औरंगजेब के नाम से ही सर्वस्व ख्याति प्राप्त थी मुग़ल सल्तनत का बादशाह बना।

इस दुष्ट, लालची और क्रूर औरंगजेब का एक और नाम था आलमगीर जिसका मतलब होता है विश्व विजेता। इस आलमगीर औरंगजेब के सिर्फ दो ही मकसद थे।

1. सबसे पहले पूरे भारतीय महाद्वीप पर अपना मुगल सामराज्य फैलाना ।

2.इस्लाम की स्थापना करना और हिंदू मंदिरों को तोड़ना इस दुनिया से हिंदू धर्म का समापन और सभी जगह इस्लाम का विस्तार वाद।

  सूफी फकीर सरमद कासनी और माँ भारती के सिंह सपूत  गुरु तेग बहादुर जी ने औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ बड़ी मुहिम खड़ी कर दी थी जिससे उसकी सल्तनत हिल गई थी ।

औरंगजेब ने उनसे बदला लेने के लिए जहां सूफी संत का सिर कलम करवा दिया था वही जबरन मुसलमान बनाए जाने के विरोध जब गुरु गोविंद गुरु तेग बहादुर जी ने किया और जबरन उसका इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं किया तो औरंगजेब ने उन्हें भी मरवा दिया ।

इतिहासकारों के अनुसार

औरंगज़ेब ने हिंदुओं के 15 मुख्य मंदिर तोड़े और तोड़ने का प्रयास किया। जिसमें काशी विश्वनाथ, सोमनाथ और केशव देव मंदिर भी हैं।

औरंगज़ेब समेत मुग़ल काल में 60 हजार से भी अधिक मंदिर ध्वस्त कर दिए गए थे, जिनमें सबसे अधिक् हानि औरंगज़ेब के समय ही हुई।

अपने मुगल साम्राज्य और इस्लाम के विस्तारवाद के ध्येय से उत्तर भारत के राज्यों को जीत कर और यहां के मंदिरों को लूट और तोड़ कर ज़ालिम औरँगजेब ने दक्खन की तरफ रुख किया।

दक्खन में उसका सबसे बड़ा निशाना था गोलकुंडा का किला क्योंकि बेहद बेशकीमती हिरे जवाहरातों से भरे खजानो से वो दुनिया के सबसे अमीर किलों और राज्यों में से एक था और वहां कुतुबशाही वंश का राज्य कायम था।

अपनी विशाल क्रूर सेना के साथ औरंगजेब के लिए कोई मुश्किल काम नहीं था और सन 1687 में उसने गोलकुंडा के किले पर अपना कब्जा जमा लिया। गोलकुंडा का किला धन से भले ही सबसे अमीर था पर वहां के सुल्तान की शक्ति और सैन्यबल मुग़ल आक्रांता के सामने बेहद क्षीण थी।

किले पर कब्जे के बाद उसने वहां के मंदिरों को ध्वस्त करने का अभियान शुरू किया और इसी क्रम मे उसका वो हैदराबाद के बाहरी इलाके में बसे एक हनुमान मंदिर में पहुंचा और अपीने सेनापति को इस मंदिर को गिराने का आदेश देकर चला गया।
औरँगगज़ेब का दुर्भाग्य था कि ये वही ध्यानञ्जनेय स्वामी का मंदिर था।

मंदिर के बाहर आलमगीर के सेनापति ने कहा कि मंदिर के भीतर से सभी पुजारी, कर्मचारी और भक्त बाहर निकल आये वरना सबको मौत की नींद सुला दिया जायेगा।

मृत्यु के भय से थर थर कांपते मंदिर के अंदर मौजूद सभी पुजारी एवं अन्य लोग भगवान श्रीराम के ध्यान में लीन श्री हनुमान जी को प्रणाम कर इस विपदा को रोकने की प्रार्थना करते हुए बाहर निकल आये।

अपने इष्टदेव का मंदिर टूटते देखनेका साहस किसी में नहीं था इसलिए सबने इस दुर्दांत दृश्य के प्रति अपनी आंखें बंद कर लीं और मन ही मन हनुमान जी का स्मरण करने लगे।

मुग़ल सेनापति ने उन्हें एक तरफ खड़े हो जाने को कहा और अपनी सेना को हुक्म दिया की मंदिर तोड़ दो। सैनिक मंदिर की तरफ बढ़ने लगे।

तभी मंदिर के प्रमुख पुजारी सेनापति के पास आये और बोले - हे सेनापति मुझे आपके हाथों मृत्यु होने का कोई भय नहीं है, मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूँ कृपया कुछ क्षण के लिए मेरी बात सुन लीजिये।

अपने काम के बीच में आने से गुस्से से भरा सेनापति बोला - जल्दी कहो ब्राह्मण

पुजारी जी बोले-

    ये श्रीराम के ध्यान में लीन श्री हनुमान जी का मंदिर है। हनुमान जी सभी देवताओं में सबसे बलशाली है, उन्होंने अकेले ही रावण की पूरी लंका को जला कर राख कर दी थी। कृपया उनका ध्यान भंग न करें और मंदिर न तोड़िये अन्यथा वो शांत नहीं बैठेंगे। मैं आपके ही भले के लिए कह रहा हूँ, मेरी बात मानिये और ये काम मत कीजिये, हनुमान जी बहुत दयालु हैं आपको माफ़ कर देंगे।

क्रूर सेनापति इससे अधिक नहीं सुन सकता था। उसे तो इस्लाम का झंडा फहराने की जल्दी थी।

बोला- ऐ ब्राह्मण ... अपना मुंह बंद करो और यहां से दूर हट जाओ वरना मैं पहले तुम्हे मारूँगा और फिर इस मंदिर को तोडूंगा।

देखते हैं कैसे तुम्हारे ताकतवर हनुमान हमारे हाथों से इस मंदिर को टूटने से बचाते हैं? जिन्होंने पहले भी इससे कहिं ज्यादा बड़े मंदिर तोड़े हैं।

सेनापति अपनी सेना की तरफ मुड़ा और उसे मंदिर तोड़ने का आदेश दिया।

अगले कुछ क्षणों में क्या होने वाला है..??

इस बात से अंजान मुगल सैनिक मंदिर तोड़ने के हथियार हथौड़े, सब्बल कुदाल आदि लेकर एक बहुत बड़ी बेवकूफी करने के लिए मंदिर की तरफ बढ़ने लगे।

फिर...

पहले सैनिक ने जैसे ही अपने हाथों में सब्बल लेकर मंदिर की दीवार पर प्रहार करने के लिए हाथ उठाया ...

वो मूर्तिवत खड़ा रह गया जैसे बर्फ में जम गया हो या पत्थर का हो गया हो। वो न अपने हाथ हिला पा रहा था और न ही औजार। भीषण भय से भरी नजरों से वो मंदिर की दीवार की तरफ देखे जा रहा था।

कुछ ऐसी ही स्थिति एक एक कर उन सभी सैनिकों की होती गयी जो मंदिर तोड़ने के लिए औजार लेकर हमला करने बढ़े थे।

सब के सब मूर्ति की तरह खड़े रह गए थे।

महान मुगल बादशाह के सैकड़ों मंदिर तोड़ चुके सेनापति के लिए ये अविश्वसनीय चमत्कार एक बहुत झटका था।

उसने तुरंत छिपी हुई नज़रों से मंदिर के प्रमुख पुजारी के चेहरे की तरफ देखा जिन्होंने कुछ पलों पहले उसे मंदिर तोड़ने से रोका था, और देखा की पुजारी जी शांत भाव से सेनापति को देख रहे थे।

उसने तुरंत पलटते हुए सेना को आदेश दिया की फौरन बादशाह सलामत के दरबार में हाज़िर हों।

सेनापति खुद औरंगज़ेब के सामने पहुँचा और बोला-

" जहाँपनाह, आपके हुक्म के मुताबिक हमने उस हनुमान मंदिर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन हम उसे तोड़ने के लिए एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाये।"

" जहाँपनाह, जरूर उस मंदिर में कोई रूहानी ताकत है... मंदिर के पुजारी ने भी कहा था कि हनुमान  हिन्दुओ के सब देवताओं में सबसे ताकतवर देवता है।

जहांपनाह की इजाज़त हो तो मेरी सलाह है कि हम अब उस मंदिर की तरफ नज़र भी न डालें।"

अपने सेनापति की नाकामी और बिन मांगी सलाह से गुस्से में भरा औरंगज़ेब चीखते हुए बोला-

"खामोश,  बेवकूफ, अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो हम अपनी तलवार से उसके टुकड़े कर देते। तुम पर इसलिये रहम कर रहे हैं क्योंकि तुमने बहुत सालों से हमारे वफादार हो।"

" सुनो... अब सेना की कमान मेरे हाथ रहेगी, मोर्चा मैं सम्हालूंगा। कल हम उस हनुमान मंदिर जायेंगे और मैं खुद औज़ार से उस मंदिर को तोडूंगा।

देखता हूँ कैसे वो हिन्दू देवता हनुमान मेरे फौलादी हाथों से अपने मंदिर को टूटने से बचाता है।

मैं ललकारता हूँ उस हनुमान को..."

अगले दिन सुबह

आलमगीर औरंगज़ेब एक बड़े से लश्कर के साथ उस हनुमान मंदिर को तोड़ने चल पड़ा।

हालाँकि उसके वो सैनिक पिछले दिन की घटना को याद कर मन में बेहद घबराये हुए थे पर अपने ज़ालिम बादशाह का हुक्म भी उन्हें मानना था वरना वो उन्हें मारकर गोलकुंडा के मुख्य चौक पर टांग देता।

मन ही मन हनुमान जी से क्षमा मांगते हुए वो सिपाही चुपचाप मंदिर की तरफ बढ़ने लगे।

मंदिर पहुंचकर औरंगज़ेब ने आदेश दिया की भीतर जो भी लोग हैं तुरन्त बाहर आ जाएं वरना जान से जायेंगे।

"विनाश काले विपरीत बुद्धि" मन ही मन कहते हुए मंदिर के अंदर से सभी पुजारी और कर्मचारी बाहर आ गए।

उनकी तरफ अपनी अंगारो से भरी लाल ऑंखें तरेरता हुआ गुस्से से भरा औरंगजेब बोला-

" अगर किसी ने भी अपना मुंह खोला तो उसकी ज़बान के टुकड़े टुकड़े कर दूंगा, खामोश एक तरफ खड़े रहो और चुपचाप सब देखते रहो।"

(वो नहीं चाहता था कि पुजारी फिर से कुछ बोले या उसे टोके और उसका काम रुक जाए)

वहां खड़े सब लोग भय से भरे खड़े थे और औरंगज़ेब की बेवकूफी को देख रहे थे। औरंगज़ेब ने एक बड़ा सा सब्बल लिया और बादशाही अकड़ के साथ मंदिर की तरफ बढ़ने लगा।

उस समय जैसे हवा भी रुक गयी थी, एक महापाप होने जा रहा था, भयातुर दृष्टि से सब औरंगजेब की इस करतूत को देख रहे थे जो "पवनपुत्र " को हराने के लिए कदम बढ़ा रहा था।

अगले पलों में क्या होगा इस बात से अंजान और आस पास के माहौल से बेखबर, घमण्ड से भरा हुआ औरंगजेब मंदिर की मुख्य दीवार के पास पहुंचा और जैसे ही उसने दीवार तोड़ने के लिए सब्बल से प्रहार करने के लिए हाथ उठाया...

उसे मंदिर के भीतर से एक भीषण गर्जन सुनाई पड़ा, इतना तेज़ और भयंकर की कान के पर्दे फट जाएँ, जैसे हजारों बिजलियां आकाश में एक साथ गरज पड़ी हों....

यह गर्जन इतना भयंकर था कि हजारों मंदिर तोड़ने वाला और हिंदुस्तान के अधिकतर हिस्से पर कब्जा जमा चूका औरंगज़ेब भी डर के मारे मूर्तिवत स्तब्ध और जड़ हो गया,  और..

उसने अपने दोनों हाथों से अपने कान बन्द कर लिए।

वो भीषण गर्जन बढ़ता ही जा रहा था

औरंगज़ेब भौचक्का रह गया था...

औरंगज़ेब जड़ हो चूका था...

निशब्द हो चूका था...

काल को भी कंपा देने वाले उस भीषण गर्जन को सुनकर वो पागल होने वाला था

लेकिन अभी उसे और हैरान होना था

उस भीषण गर्जन के बाद मंदिर से आवाज़ आयी

..." अगर मंदिर तोडना चाहते हो राजन, तो कर मन घाट"

(यानि हे राजा अगर मंदिर तोडना चाहते हो तो पहले दिल मजबूत करो)

डर और हैरानी भरा हुआ औरंगज़ेब इतना सुनते ही बेहोश हो गया।

इसके बाद क्या हुआ उसे पता भी न चला।

मंदिर के भीतर से आते इस घनघोर गर्जन और आवाज़ को वहां खड़े पुजारी और भक्तगण समझ गए की ये उनके इष्ट देव श्री हनुमानजी की ही आवाज़ है

उन सभी ने वहीं से बजरँगबली को दण्डवत प्रणाम किया और उनकी स्तुति की।

उधर बेहोश हुए औरंगज़ेब को सम्हालने उसके सैनिक दौड़े और उसे मंदिर से निकाल कर वापस किले में ले गए।

हनुमान जी के शब्दों से ही उस मंदिर का नया नाम पड़ा जो आज तक उसी नाम से जाना जाता है-

" करमन घाट हनुमान मंदिर"

इस घटना के बाद लोगो में इस मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा हुई और इस मंदिर से जुड़े अनेकों चमत्कारिक अनुभव लोगों को हुए।

सन्तानहीन स्त्रियों को यहां आने से निश्चित ही सन्तान प्राप्त होती है और अनेक गम्भीर लाइलाज बीमारियों के मरीज यहाँ हनुमान जी की कृपा से स्वस्थ हो चुके हैं।

 ।।जय श्री राम।।

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