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बुधवार, 19 अक्टूबर 2022

कैसे पैरों को दर्द पहुँचाने वाले शूज को ठीक करें

 

कैसे पैरों को दर्द पहुँचाने वाले शूज को ठीक करें (Fix Painful Shoes)

कुछ शूज को पहनना दर्दभरा हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि आप उन्हें हमेशा ही आपको चोट पहुँचाने दें। इससे पहले कि आप अपने आप को इस दर्द के टॉर्चर, पैरों के जकड़ने और पैरों में छालों का शिकार बनाएँ, इस आर्टिकल में दी हुई कुछ टिप्स और ट्रिक्स को ट्राई करके देखें। हालांकि, एक बात का ध्यान रखें कि कुछ शूज की बनावट ही खराब हो सकती है और वो शायद अच्छी तरह से फिक्स भी न हो पाते हों। अपने दर्द देने वाले जूतों को एकदम बिना दर्द के पहनने के लिए या उन्हें पहनने के लायक बनाने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें।

विधि1
मोलस्किन, इन्सर्ट्स और इनसोल्स का यूज करना (Using Moleskin, Inserts, and Insoles)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 1
    1
    शूज के अंदर मोलस्किन के पीस लगाकर, ब्लिस्टर्स (छाले), पैरों के जकड़ने और कटने को रोकना: शू स्टोर (या जूते रिपेयर करके देने वाली जगह) से कुछ मोलस्किन खरीद लें और एक शीट निकाल लें। इस शीट को उस परेशान करने वाली स्ट्रेप या हील के पीछे लगाएँ और फिर उसे पेंसिल से ट्रेस कर दें। एक पेयर सीजर्स का यूज करते हुए शेप काट लें और बैकिंग को निकाल दें। स्ट्रेप या हील पर मोलस्किन लगा दें।
    • ये पैरों में जकड़न देने वाले दूसरे एरिया पर भी काम करेगा। अगर वो एरिया आपके शूज के अंदर है, उस जकड़न पैदा करने वाले एरिया से हल्का सा छोटा सर्कल या ओवल काट लें। बैकिंग को निकाल लें और फिर उस एरिया पर मोलस्किन चिपका दें।
    • आप चाहें तो सीधे अपने पैरों पर भी मोलस्किन फिट कर सकते हैं और फिर दिनभर के बाद उसे निकाल सकते हैं।
  2. 2
    अपने पैरों पर एक एंटी-फ्रिक्शन स्टिक लगाकर, फ्रिक्शन (घर्षण) और ब्लिस्टर्स (छाले) को रोकें: आप इसे मेडिकल स्टोर्स पर से भी खरीद सकते हैं। आप बाम को सीधे अपनी स्किन पर, जहां पर जकड़न और छाले हुआ करते हैं, पर लगा सकते हैं।
    • आपको इसे अपने पहले से मौजूद छाले पर नहीं लगाना है। इसकी जगह, किसी ब्लिस्टर ट्रीटमेंट्स को खरीद लें। ये ओवल बैंड-एड्स की तरह दिखते हैं और आपके ब्लिस्टर के ऊपर जाते हैं। ये ब्लिस्टर को कुशन देने में मदद करते हैं और उसे साफ भी रखते हैं, ताकि उस पर इन्फेक्शन न होने पाए।
  3. 3
    पसीना को रोकने के लिए एक एंटीपर्स्पिरेंट स्टिक यूज करने का सोचें: जकड़न की वजह से पैदा होने वाला पसीना और नमी आपको छाले दे सकते हैं या उनको और भी बदतर बना सकते हैं। एंटीपर्स्पिरेंट नमी को कम करता है, जो छाले बनने को कम करता है।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 4
    4
    अपने पैर को जगह पर रखें और फिर एक इनसोल (insole) की मदद से जकड़न और छिलने को रोकें: जब आपके पैर साइड से साइड स्लिप हुआ करते हैं, तब इसके साथ-साथ आपके पैर के सामने और पीछे के हिस्से पर, जहां पर मटेरियल आपकी स्किन के साथ घिसता है, छाले बनते जाते हैं। अगर आप आपके पैरों को एक वेज हील या इसी तरह की स्टाइल में मूव होता हुआ पाते हैं, तो इस मूवमेंट को रोकने के लिए, अपने शूज के अंदर जेल या पैड वाले इनसोल को लगा सकते हैं।
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    कुछ बॉल-ऑफ-फूट (ball-of-foot) कुशन्स की मदद से अपने पैरों की बॉल के दर्द को कम करें: अगर दिन गुजरने के बाद, आपके पैर की बॉल में दर्द होता है, तो शायद आपके शूज बहुत हार्ड हो सकते हैं; ये खासकर हाइ हील्स में बहुत कॉमन है। बॉल-ऑफ-फूट कुशन्स का एक सेट खरीद लें और उन्हें अपने शूज के सामने, ठीक उस जगह पर जहां आपके पैर की बॉल आती है, लगा लें। ये आमतौर पर ओवल्स या एग्ज के जैसे शेप में हुआ करते हैं।
    • अगर आपके पास सैंडल्स के ऐसे पेयर हैं, जिनमें टो (अंगूठे) के पास में एक स्ट्रेप है, तो फिर एक हार्ट-शेप्ड कुशन लेने के बारे में सोचें। हार्ट का राउंड वाला पार्ट, आपके टो स्ट्रेप के किसी भी हिस्से में फिट होगा।[३]
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 6
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    छोटे एरिया में मौजूद बहुत ज्यादा प्रैशर को कम करने के लिए कुछ सिलिकॉन जेल डॉट्स यूज करें: इन दोनों को ही शू स्टोर या मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है। सिलिकॉन जेल डॉट्स एकदम क्लियर होते हैं और इन्हें आसानी से छिपाया जा सकता है, लेकिन फ़ोम टेप को आसानी से एकदम सही शेप और साइज में काटा जा सकता है।[४]
  7. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 7
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    दर्द देने वाली हील्स को आराम देने के लिए सिलिकॉन हील कप्स या आर्क-सपोर्टिंग इनसोल्स यूज करें: अगर आपके हील्स में दर्द हो रहा है, तो ऐसा शायद इसलिए हो सकता है, क्योंकि शायद आपके जूते का पिछला/हील वाला एरिया हार्ड हो। ऐसा शायद आपके शूज के द्वारा आपके पैरों को भरपूर आर्क सपोर्ट नहीं देने की वजह से भी हो सकता है। एक सिलिकॉन हील कप या एक आर्क सपोर्ट लगाकर देखें। इन दोनों को ही सही साइज में काटा जा सकता है और दोनों पर पीछे अधेसिव होता है, ताकि ये और किसी जगह पर न खिसकने पाएँ।[५]
    • वैसे तो आर्क सपोर्टिंग इनसोल्स आमतौर पर लेबल किए गए होते हैं; अगर आपको इन्हें पाने में मुश्किल जा रही है, तो फिर ऐसी किसी चीज की तलाश करें, जो आपके इनसोल पर बीच में—ठीक उस जगह, जहां आपके पैर का आर्क होता है, मोटा हो।
    • इनसोल को किसी टाइट शू में रखना शायद आपके पैरो को और ज्यादा कस सकता है और अनकम्फ़र्टेबल भी हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो फिर एक पतले इनसोल को ट्राई करके देखें।
  8. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 8
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    किसी मोची से अपने शूज की हील्स को कम कराकर, अंगूठे के दबने को रोकें: कभी-कभी, हील और पैर की बॉल के बीच का एंगल बहुत ज्यादा होता है, जो आपके पैर को आगे की ओर धकेल देता है और आपके अंगूठे को शूज के सामने के हिस्से पर दबा देता है। हील की हाइट कम करने से शायद ये प्रॉब्लम ठीक हो सकती है। हालांकि, इसे खुद से करने की कोशिश मत करें; एक मोची की तलाश करें, जो आपके लिए ऐसा करके दे सके। ज़्यादातर हाइ हील्स को, मोची के द्वारा करीब 1 इंच (2.54 centimeters) तक कम किया जा सकता है।[६]

विधि2
साइज फिक्स करना (Fixing the Size)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 9
    1
    जानें, किस तरह से एक गलत साइज आपके पैर को दर्द पहुँचा सकता है और इसे किस तरह से ठीक किया जा सकता है: बहुत ज्यादा बड़े शूज भी ठीक उसी तरह से नुकसान पहुँचा सकते हैं, जैसे कोई बहुत छोटा शूज पहुँचाता है। बड़े शूज आपको भरपूर सपोर्ट नहीं दे सकते हैं और आपके पैर को बहुत ज्यादा इधर-उधर मूव कर सकते हैं, जो पैरों और अंगूठे को दबा देता है। बहुत ज्यादा छोटे शूज दिन के आखिर में आपके पैरों को जकड़ा हुआ और दर्द महसूस करा सकता है। अच्छी बात ये है, कि जूतों को हल्का सा स्ट्रेच करना मुमकिन है; इसके साथ ही जूतों को छोटा करने के लिए उन्हें भरना भी मुमकिन है।
    • एक बात याद रखें, कि कुछ मटेरियल्स को, दूसरों के मुक़ाबले आसानी से स्ट्रेच किया जा सकता है।
  2. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 10
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    अगर आपके शूज बहुत ज्यादा बड़े हैं, तो उसमें एक इनसोल रखकर देखें: ये आपके शूज के अंदर एक्सट्रा कुशन प्रोवाइड करते हैं और उन्हें बहुत ज्यादा यहाँ-वहाँ हिलने से रोकता है।
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    अगर आपके शूज बहुत बड़े हैं और आपके पैर आगे की ओर बहुत ज्यादा खिसक रहे हैं, तो हील ग्रिप यूज करें: हील ग्रिप एक ओवल शेप्ड कुशन होता है, जिसमें एक साइड पर अधेसिव होता है। इसे मोलस्किन से कवर किए हुए जेल या फ़ोम से बनाया जा सकता है। बस हील ग्रिप की बैकिंग को निकाल लें और इसे अपने शूज के अंदर, ठीक उसी जगह, जहां पर हील होती है, चिपका लें। ये शूज के पीछे एक एक्सट्रा कुशनिंग एड करेगा, जो आपकी हील को घिस-घिस कर चोट खाने से रोकेगा और आपके पैरों को जगह पर बनाए रखेगा।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 12
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    लैंब (भेड़) की ऊन के साथ लार्ज टो बॉक्सेस भरें: अगर आपके लोफार्स (loafers) नए हैं या फिर आपके मौजूदा शूज बहुत बड़े हैं और आपका अंगूठा आगे की ओर खिसकते जा रहा है और दब रहा है, तो फिर अंगूठे वाले एरिया को जरा से लैंब वूल से भर लें। ये साँस लेने लायक, हवादार मटेरियल ज्यादा कम्फ़र्टेबल होता है और टिशू की तरह इसके गुच्छा बनने की संभावना भी कम होती है।[७] आप चाहें तो कुछ कॉटन बॉल्स भी यूज कर सकते हैं।
  5. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 13
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    एक शू ट्री से अपने शूज को स्ट्रेच करें: एक शू ट्री, आपके पास मौजूद ट्री की लेंथ और विड्थ के हिसाब से या तो आपके शूज के शेप को मेंटेन रखता है या फिर उसे स्ट्रेच कर देता है। पहनते वक़्त अपने शूज के बीच में शू ट्री इन्सर्ट करें। ये टेक्निक लैदर और स्वैड (suede) के ऊपर अच्छी तरह से काम करता है, लेकिन ये रबर या प्लास्टिक पर काम नहीं करता।
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 14
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    शू स्ट्रेचर यूज करते हुए अपने शूज स्ट्रेच करें: अपने शू पर शू स्ट्रेचिंग स्प्रे से स्प्रे कर दें, फिर स्ट्रेचर को अपने शू में दबा दें। सारे शू स्ट्रेचर्स थोड़ा-बहुत अलग होने वाले हैं, लेकिन ज़्यादातर में एक हैंडल और एक नोब होती है। नोब लेंथ को एडजस्ट करेगा और हैंडल विड्थ को एडजस्ट करेगा। शू मटेरियल के छोटे होने तक हैंडल और नोब को टर्न करते रहें, फिर छह से आठ घंटे के लिए स्ट्रेचर को शूज में रहने दें। एक बार जैसे ही ये टाइम पूरा हो जाए, हैंडल और नोब को दूसरी तरफ (शू स्ट्रेचर को छोटा करने के लिए) टर्न कर दें और स्ट्रेचर को शूज में से बाहर खींच लें। ये बहुत ज्यादा बड़े लोफार्स और वर्क शूज के लिए अच्छा ऑप्शन होता है।
    • कई तरह के अलग-अलग शू स्ट्रेचर मौजूद हैं, जिनमें एक हाइ हील्स के लिए भी शामिल है। एक टू-वे स्ट्रेचर क्योंकि विड्थ और लेंथ दोनों को ही स्ट्रेच करता है, इसलिए ये शायद ज्यादा मददगार हो सकता है।
    • कुछ शू स्ट्रेच में बनियन्स (गोखरू) जैसी बीमारी के लिए अटेचमेंट्स भी होते हैं। शू स्ट्रेचर यूज करने से पहले इन अटेचमेंट्स को इन्सर्ट करें।
    • शू स्ट्रेचर सिर्फ शूज के अंदर जाती है और उन्हें लूज कर देते हैं, ताकि फिर वो जरा भी जकड़े हुए या टाइट न महसूस हों; ये आपके शू के पूरे साइज को बड़ा नहीं कर सकता है।
    • शू स्ट्रेचर लैदर और स्वेड जैसे नेचुरल मटेरियल्स पर अच्छी तरह से काम करते हैं। ये शायद कुछ खास तरह के फ़ैब्रिक पर भी काम कर सकते हैं, लेकिन ये सिंथेटिक्स और प्लास्टिक्स के ऊपर ज्यादा इफेक्टिव नहीं रहेंगे।
  7. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 15
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    एक मोची से आपके लिए आपके शूज को स्ट्रेच करने का कहें: ऐसा करने से आपके अंगूठे के लिए और ज्यादा जगह मिल जाएगी, जो आपके पूरे पैर के दबने और दर्द में कमी कर देगा। हालांकि स्ट्रेचिंग केवल लैदर और स्वेड से बने हुए शूज पर ही काम करती है। अगर आपके पास में एक ऐसे महंगे शूज की पेयर है, जिसे आप खुद से स्ट्रेच करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते, तो फिर ये एक अच्छा आल्टर्नेटिव होगा।
  8. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 16
    8
    टो एरिया पर बहुत ज्यादा कसे हुए शू को स्ट्रेच करने के लिए आइस यूज करें: आप पानी के साथ दो जिप्लोक (Ziploc) बैग को भरकर और फिर उन्हें टाइटली सील करके, ताकि बैग्स के अंदर जरा सी भी हवा न रह जाए और पानी बाहर न गिरे, ऐसा कर सकते हैं। हर एक बैग को शूज के अंगूठे वाले हिस्से पर डाल दें और दोनों शूज को फ्रीजर में रख दें। आइस जमने तक शूज को वहीं रहने दें। बैग्स को शूज में से बाहर निकाल लें, फिर शूज को पहन लें। आपके जूते गरम होते ही आपके पैर के शेप में ढल जाएंगे।[८]
    • क्योंकि पानी फ्रीज़ होने पर बढ़ता है, इसलिए ये शूज को कुछ हद तक स्ट्रेच करने में मदद करता है।
    • ये केवल लैदर, स्वेड और फ़ैब्रिक जैसे नेचुरल मटेरियल्स पर ही काम करता है। प्लास्टिक्स और प्लेथर (pleather) पर इसका ज्यादा असर नहीं होता है।
    • एक बात याद रखें, अगर आपके लैदर या स्वेड शूज गीले हो जाते हैं, तो आपको कुछ धब्बे नजर आ सकते हैं। अपने शूज को प्रोटेक्ट करने के लिए, उसे टॉवल से लपेटने के बारे में सोचें।

विधि3
दूसरी प्रॉब्लम्स ठीक करना (Fixing Other Problems)

  1. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 17
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    कुछ खास किस्म के सॉक्स (मोजे) खरीद लें: कभी-कभी, अपने जूतों की वजह से होने वाले दर्द को रोकने के लिए, बस आपको जूतों के साथ सही तरह के सॉक्स पहनने की जरूरत पड़ती है। इस तरह के सॉक्स आपके पैरों को सपोर्ट देते हैं, नमी को सोख लेते हैं और पैरों के खिसकने और छाले होने से रोकते हैं। यहाँ पर कुछ खास तरह के सॉक्स और वो आपके लिए क्या कर सकते हैं, दिए हुए हैं, जिन्हें आप शायद आसानी से पा सकेंगे:[९] [१०]
    • एथलेटिक सॉक्स (Athletic socks) आर्क एरिया में ज्यादा टाइट होते हैं। ये आर्क सपोर्ट देने में मदद करते हैं और उन्हें एथलेटिक और रनिंग शूज के लिए सबसे अच्छा बना देता है।
    • मॉइस्चर विकिंग (Moisture wicking) सॉक्स आपके पैरों के पसीने को निकालने में मदद करते हैं। ये आपके पैरों को सूखा रखने में मदद करते हैं और छालों को होने से रोकते हैं।
    • रनिंग सॉक्स (Running socks) में अंदर की तरफ एक्सट्रा पैडिंग होती है, ये आपके द्वारा दौड़ने पर, आपके पैरों पर पड़ने वाले असर को एब्जोर्ब कर लेते हैं।
    • टो सॉक्स (Toe socks) ग्लव्स के जैसे होते हैं, लेकिन ये आपके पैरों के लिए होते हैं। ये हर एक उंगली को अलग से कवर करते हैं और ये उँगलियों के बीच में होने वाले छालों को भी रोक सकते हैं।
    • मटेरियल के बारे में सोचें: कुछ मटेरियल, जैसे कि कॉटन बहुत आसानी से पसीने को सोख लेते हैं, जो कि छाले पैदा कर सकते हैं। एक्रिलिक (Acrylic), पॉलियस्टर (polyester) और पॉलीप्रोपिलीन (polypropylene) आपके पैरों को सूखा रखकर, पसीना हटाने में मदद करते हैं।
  2. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 18
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    फ्लिप-फ्लॉप्स के थोंग (thong) पार्ट को कुशन लगाकर, उन से होने वाले दर्द को रोकें: फ्लिप-फ्लॉप्स बहुत कम्फ़र्टेबल और आसानी से पहनी जाने लायक हो सकती हैं। जब आपकी थोंग आपकी उँगलियों के बीच में घिसना शुरू हो जाती हैं, तब वो दर्दभरी हो सकती हैं। यहाँ पर ऐसी कुछ ट्रिक्स दी हुई हैं, जिनसे आप आपकी फ्लिप-फ्लॉप्स को कम पेनफुल बना सकते हैं:
    • सिलिकॉन फ्लिप-फ्लॉप इन्सर्ट्स यूज करें। ये बॉल-ऑफ-फूट कुशन्स के शेप जैसे होते हैं, बस इनमें एक छोटा सा सिलिन्डर होता है, जो सामने की तरफ लगा होता है। इन्सर्ट को अपने फ्लिप-फ्लॉप के सामने के हिस्से पर रखें, फिर थोंग पार्ट को सिलिन्डर में खिसका दें। सिलिन्डर थोंग को आपकी उँगलियों के बीच में घिसने से रोक देगा।
    • थोंग एरिया को कुछ अधेसिव मोलस्किन से लपेट दें। ये खासकर प्लास्टिक या रबर फ्लिप-फ्लॉप्स पर असरदार होगा। ये आपके पैरों को कुशन देने में और किसी भी शार्प एज (तीखे किनारों) को सॉफ्ट करने में मदद करेगा।
    • थोंग के चारों तरफ कुछ फ़ैब्रिक लपेट दें। आप चाहें तो एक कलरफुल, पर्सनल टच पाने के लिए स्ट्रेप्स के चारों तरफ फ़ैब्रिक भी लपेटना जारी रख सकते हैं। शू ग्लू की एक ड्रॉप के साथ फेब्रिक के दोनों एन्ड्स को शू से जोड़ दें।
  3. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 19
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    दर्दभरे-बदबूदार जूतों को ट्रीट करने के बारे में जानें: आप चाहें तो बदबू पैदा करने वाले पसीने को सोखने के लिए माइक्रो-स्वेड इनसोल्स यूज कर सकते हैं या फिर जब आप शूज न पहन रहे हों, तब शूज के अंदर कुछ टी बैग्स लगा सकते हैं। टी बैग्स बदबू को सोख लेंगी। अगले दिन टी बैग्स को निकाल दें।
  4. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 20
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    स्किन-कलर के मेडिकल टेप की मदद से अपनी तीसरी और चौथी उंगली को एक-साथ जोड़कर देखें: ये बॉल ऑफ फूट के दर्द को कम करने में मदद करती है। इसके काम करने के पीछे की वजह ये है, कि इन उँगलियों के बीच में एक नर्व होती है। वो नर्व आपके हील पहनने पर अलग हो जाती है और उस पर प्रैशर डालती है। उन उँगलियों को एक-साथ टेप करने से कुछ स्ट्रेन कम हो सकता है।[११]
  5. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 21
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    अपने कड़क शूज को कुछ देर के लिए पहनकर ठीक करना: अगर आपके नए शूज बहुत ज्यादा कड़क होने की वजह से आपको दर्द पहुँचा रहे हैं, तो आप उन्हें अपने घर में पहनकर सॉफ्ट कर सकते हैं। बार-बार ब्रेक्स लेना मत भूलें और जब आपके शूज बहुत ज्यादा दर्दभरे बन जाएँ, तब उन्हें निकाल दें। वक़्त के साथ-साथ, शूज लूज हो जाएंगे और पहनने में और ज्यादा कम्फ़र्टेबल बन जाते हैं।
  6. इमेज का टाइटल Fix Painful Shoes Step 22
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    कड़क शूज को स्ट्रेच करने और पहनने के लिए हेयरड्रायर यूज करें: हेयरड्रायर को उसकी लोवेस्ट सेटिंग पर ऑन करें और नोजल को शूज में पॉइंट करें। शूज को अंदर से कुछ मिनट्स के लिए गरम करें, फिर हेयरड्रायर को बंद कर दें। जैसे ही शूज वापस ठंडे होंगे, ये आपके पैरों के शेप में आ जाएंगे। ये मेथड नेचुरल मटेरियल से बने हुए शूज के लिए बेस्ट होती है; इसे प्लास्टिक्स और दूसरे सिंथेटिक मटेरियल के ऊपर यूज करे जाने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि ये उन्हें डैमेज कर सकती है।[१२]

सलाह

  • एक बात याद रखें, कि पैरों का साइज बदलता रहता है। गर्मी में ये जरा ज्यादा सूजे हुए हो जाते हैं और ठंड के मौसम में ये पतले हो जाते हैं। साथ ही, उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनका साइज भी बढ़ जाता है। बीच-बीच में अक्सर किसी शू स्टोर पर जाकर, किसी स्पेशलिस्ट से अपने पैरों का माप लेना एक अच्छा आइडिया हो सकता है।
  • अपने शूज को दिनभर में बदल-बदल कर देखें। अगर आप काम पर या किसी इवैंट पर जा रहे हैं, तो कुछ कम्फ़र्टेबल शूज पहनें। एक बार जब आप ऑफिस या इवैंट में पहुँच जाएँ, फिर अपने शूज को बदल लें।
  • अपने शूज को उतारने के बाद, अपने हर्ट हुए पैरों को गरम पानी में सोख लें। गर्माहट दर्द से आराम पहुँचाएगी और आपके पैरों को और भी बेहतर बना सकती है।
  • अगर आपको छाले हुए हैं, तो अपने पैरों को 10 मिनट्स के लिए गरम ग्रीन टी में सोखने दें: एस्ट्रिंजेंट टी बैक्टीरिया को खत्म करती है, बदबू को कम करती है और इन्फेक्शन फैलने के आपके चांस को कम करती है। इसकी गर्माहट भी दर्द से राहत देने में मदद करेगी।
  • अगर आप बनियन्स (गोखरू) से जूझ रहे हैं, तो ऐसे शूज की तलाश करें, जिन पर "wide" लिखा हुआ हो। कुछ शूज सँकरे, नॉर्मल/रेगुलर और चौड़े (wide) साइज में आया करते हैं।
  • अपने नए शूज को बाहर पहनने से पहले, अपने घर में पहनकर घूमें। ऐसा करके आपको उनसे हो सकने वाली किसी भी प्रॉब्लम के बारे में, उसके बहुत बड़ा बनने से पहले ही मालूम हो जाएगा।
  • जब भी आपके किसी ऊँची-नीची जगह पर चलने की उम्मीद हो, तब अपनी स्किनी हील्स में बॉटम पर एक क्लियर या ब्लैक हील प्रोटेक्टर लगा लें। हील प्रोटेक्टर और ज्यादा सरफेस एरिया बना देते हैं, जो आपकी हील के अटकने की संभावना को कम कर देता है।

चेतावनी

  • कभी-कभी, दर्द पहुँचा रहे शूज को ठीक कर पाना मुमकिन नहीं होता है, फिर या तो ऐसा शूज के स्ट्रक्चर, साइज की वजह से होता हो या फिर उसकी क्वालिटी की वजह से। ऐसे मामले में, आपको एक शायद शूज के अलग पेयर खरीदने के बारे में सोचना चाहिए।

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2022

एक अद्भुत कथा "पंचमुखी क्यो हुए हनुमान"


 एक अद्भुत कथा
"पंचमुखी क्यो हुए हनुमान"



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लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.
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रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण की मां कैकसी ने उसके पाताल में बसे दो भाइयों अहिरावण और महिरावण की याद दिलाई. रावण को याद आया कि यह दोनों तो उसके बचपन के मित्र रहे हैं.
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लंका का राजा बनने के बाद उनकी सुध ही नहीं रही थी. रावण यह भली प्रकार जानता था कि अहिरावण व महिरावण तंत्र-मंत्र के महा पंडित, जादू टोने के धनी और मां कामाक्षी के परम भक्त हैं.
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रावण ने उन्हें बुला भेजा और कहा कि वह अपने छल बल, कौशल से श्री राम व लक्ष्मण का सफाया कर दे. यह बात दूतों के जरिए विभीषण को पता लग गयी. युद्ध में अहिरावण व महिरावण जैसे परम मायावी के शामिल होने से विभीषण चिंता में पड़ गए.
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विभीषण को लगा कि भगवान श्री राम और लक्ष्मण की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी करनी पड़ेगी. इसके लिए उन्हें सबसे बेहतर लगा कि इसका जिम्मा परम वीर हनुमान जी को राम-लक्ष्मण को सौंप दिया जाए. साथ ही वे अपने भी निगरानी में लगे थे.
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राम-लक्ष्मण की कुटिया लंका में सुवेल पर्वत पर बनी थी. हनुमान जी ने भगवान श्री राम की कुटिया के चारों ओर एक सुरक्षा घेरा खींच दिया. कोई जादू टोना तंत्र-मंत्र का असर या मायावी राक्षस इसके भीतर नहीं घुस सकता था.
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अहिरावण और महिरावण श्री राम और लक्ष्मण को मारने उनकी कुटिया तक पहुंचे पर इस सुरक्षा घेरे के आगे उनकी एक न चली, असफल रहे. ऐसे में उन्होंने एक चाल चली. महिरावण विभीषण का रूप धर के कुटिया में घुस गया.
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राम व लक्ष्मण पत्थर की सपाट शिलाओं पर गहरी नींद सो रहे थे. दोनों राक्षसों ने बिना आहट के शिला समेत दोनो भाइयों को उठा लिया और अपने निवास पाताल की और लेकर चल दिए.
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विभीषण लगातार सतर्क थे. उन्हें कुछ देर में ही पता चल गया कि कोई अनहोनी घट चुकी है. विभीषण को महिरावण पर शक था, उन्हें राम-लक्ष्मण की जान की चिंता सताने लगी.
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विभीषण ने हनुमान जी को महिरावण के बारे में बताते हुए कहा कि वे उसका पीछा करें. लंका में अपने रूप में घूमना राम भक्त हनुमान के लिए ठीक न था सो उन्होंने पक्षी का रूप धारण कर लिया और पक्षी का रूप में ही निकुंभला नगर पहुंच गये.
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निकुंभला नगरी में पक्षी रूप धरे हनुमान जी ने कबूतर और कबूतरी को आपस में बतियाते सुना. कबूतर, कबूतरी से कह रहा था कि अब रावण की जीत पक्की है. अहिरावण व महिरावण राम-लक्ष्मण को बलि चढा देंगे. बस सारा युद्ध समाप्त.
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कबूतर की बातों से ही बजरंग बली को पता चला कि दोनों राक्षस राम लक्ष्मण को सोते में ही उठाकर कामाक्षी देवी को बलि चढाने पाताल लोक ले गये हैं. हनुमान जी वायु वेग से रसातल की और बढे और तुरंत वहां पहुंचे.
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हनुमान जी को रसातल के प्रवेश द्वार पर एक अद्भुत पहरेदार मिला. इसका आधा शरीर वानर का और आधा मछली का था. उसने हनुमान जी को पाताल में प्रवेश से रोक दिया.
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द्वारपाल हनुमान जी से बोला कि मुझ को परास्त किए बिना तुम्हारा भीतर जाना असंभव है. दोनों में लड़ाई ठन गयी. हनुमान जी की आशा के विपरीत यह बड़ा ही बलशाली और कुशल योद्धा निकला.
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दोनों ही बड़े बलशाली थे. दोनों में बहुत भयंकर युद्ध हुआ परंतु वह बजरंग बली के आगे न टिक सका. आखिर कार हनुमान जी ने उसे हरा तो दिया पर उस द्वारपाल की प्रशंसा करने से नहीं रह सके.
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हनुमान जी ने उस वीर से पूछा कि हे वीर तुम अपना परिचय दो. तुम्हारा स्वरूप भी कुछ ऐसा है कि उससे कौतुहल हो रहा है. उस वीर ने उत्तर दिया- मैं हनुमान का पुत्र हूं और एक मछली से पैदा हुआ हूं. मेरा नाम है मकरध्वज.
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हनुमान जी ने यह सुना तो आश्चर्य में पड़ गए. वह वीर की बात सुनने लगे. मकरध्वज ने कहा- लंका दहन के बाद हनुमान जी समुद्र में अपनी अग्नि शांत करने पहुंचे. उनके शरीर से पसीने के रूप में तेज गिरा.
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उस समय मेरी मां ने आहार के लिए मुख खोला था. वह तेज मेरी माता ने अपने मुख में ले लिया और गर्भवती हो गई. उसी से मेरा जन्म हुआ है. हनुमान जी ने जब यह सुना तो मकरध्वज को बताया कि वह ही हनुमान हैं.
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मकरध्वज ने हनुमान जी के चरण स्पर्श किए और हनुमान जी ने भी अपने बेटे को गले लगा लिया और वहां आने का पूरा कारण बताया. उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि अपने पिता के स्वामी की रक्षा में सहायता करो.
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मकरध्वज ने हनुमान जी को बताया कि कुछ ही देर में राक्षस बलि के लिए आने वाले हैं. बेहतर होगा कि आप रूप बदल कर कामाक्षी कें मंदिर में जा कर बैठ जाएं. उनको सारी पूजा झरोखे से करने को कहें.
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हनुमान जी ने पहले तो मधु मक्खी का वेश धरा और मां कामाक्षी के मंदिर में घुस गये. हनुमान जी ने मां कामाक्षी को नमस्कार कर सफलता की कामना की और फिर पूछा- हे मां क्या आप वास्तव में श्री राम जी और लक्ष्मण जी की बलि चाहती हैं ?
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हनुमान जी के इस प्रश्न पर मां कामाक्षी ने उत्तर दिया कि नहीं. मैं तो दुष्ट अहिरावण व महिरावण की बलि चाहती हूं.यह दोनों मेरे भक्त तो हैं पर अधर्मी और अत्याचारी भी हैं. आप अपने प्रयत्न करो. सफल रहोगे.
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मंदिर में पांच दीप जल रहे थे. अलग-अलग दिशाओं और स्थान पर मां ने कहा यह दीप अहिरावण ने मेरी प्रसन्नता के लिए जलाये हैं जिस दिन ये एक साथ बुझा दिए जा सकेंगे, उसका अंत सुनिश्चित हो सकेगा.
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इस बीच गाजे-बाजे का शोर सुनाई पड़ने लगा. अहिरावण, महिरावण बलि चढाने के लिए आ रहे थे. हनुमान जी ने अब मां कामाक्षी का रूप धरा. जब अहिरावण और महिरावण मंदिर में प्रवेश करने ही वाले थे कि हनुमान जी का महिला स्वर गूंजा.
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हनुमान जी बोले- मैं कामाक्षी देवी हूं और आज मेरी पूजा झरोखे से करो. झरोखे से पूजा आरंभ हुई ढेर सारा चढावा मां कामाक्षी को झरोखे से चढाया जाने लगा. अंत में बंधक बलि के रूप में राम लक्ष्मण को भी उसी से डाला गया. दोनों बंधन में बेहोश थे.
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हनुमान जी ने तुरंत उन्हें बंधन मुक्त किया. अब पाताल लोक से निकलने की बारी थी पर उससे पहले मां कामाक्षी के सामने अहिरावण महिरावण की बलि देकर उनकी इच्छा पूरी करना और दोनों राक्षसों को उनके किए की सज़ा देना शेष था.
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अब हनुमान जी ने मकरध्वज को कहा कि वह अचेत अवस्था में लेटे हुए भगवान राम और लक्ष्मण का खास ख्याल रखे और उसके साथ मिलकर दोनों राक्षसों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया.
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पर यह युद्ध आसान न था. अहिरावण और महिरावण बडी मुश्किल से मरते तो फिर पाँच पाँच के रूप में जिदां हो जाते. इस विकट स्थिति में मकरध्वज ने बताया कि अहिरावण की एक पत्नी नागकन्या है.
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अहिरावण उसे बलात हर लाया है. वह उसे पसंद नहीं करती पर मन मार के उसके साथ है, वह अहिरावण के राज जानती होगी. उससे उसकी मौत का उपाय पूछा जाये. आप उसके पास जाएं और सहायता मांगे.
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मकरध्वज ने राक्षसों को युद्ध में उलझाये रखा और उधर हनुमान अहिरावण की पत्नी के पास पहुंचे. नागकन्या से उन्होंने कहा कि यदि तुम अहिरावण के मृत्यु का भेद बता दो तो हम उसे मारकर तुम्हें उसके चंगुल से मुक्ति दिला देंगे.
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अहिरावण की पत्नी ने कहा- मेरा नाम चित्रसेना है. मैं भगवान विष्णु की भक्त हूं. मेरे रूप पर अहिरावण मर मिटा और मेरा अपहरण कर यहां कैद किये हुए है, पर मैं उसे नहीं चाहती. लेकिन मैं अहिरावण का भेद तभी बताउंगी जब मेरी इच्छा पूरी की जायेगी.
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हनुमान जी ने अहिरावण की पत्नी नागकन्या चित्रसेना से पूछा कि आप अहिरावण की मृत्यु का रहस्य बताने के बदले में क्या चाहती हैं ? आप मुझसे अपनी शर्त बताएं, मैं उसे जरूर मानूंगा.
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चित्रसेना ने कहा- दुर्भाग्य से अहिरावण जैसा असुर मुझे हर लाया. इससे मेरा जीवन खराब हो गया. मैं अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलना चाहती हूं. आप अगर मेरा विवाह श्री राम से कराने का वचन दें तो मैं अहिरावण के वध का रहस्य बताऊंगी.
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हनुमान जी सोच में पड़ गए. भगवान श्री राम तो एक पत्नी निष्ठ हैं. अपनी धर्म पत्नी देवी सीता को मुक्त कराने के लिए असुरों से युद्ध कर रहे हैं. वह किसी और से विवाह की बात तो कभी न स्वीकारेंगे. मैं कैसे वचन दे सकता हूं ?
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फिर सोचने लगे कि यदि समय पर उचित निर्णय न लिया तो स्वामी के प्राण ही संकट में हैं. असमंजस की स्थिति में बेचैन हनुमानजी ने ऐसी राह निकाली कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.
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हनुमान जी बोले- तुम्हारी शर्त स्वीकार है पर हमारी भी एक शर्त है. यह विवाह तभी होगा जब तुम्हारे साथ भगवान राम जिस पलंग पर आसीन होंगे वह सही सलामत रहना चाहिए. यदि वह टूटा तो इसे अपशकुन मांगकर वचन से पीछे हट जाऊंगा.
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जब महाकाय अहिरावण के बैठने से पलंग नहीं टूटता तो भला श्रीराम के बैठने से कैसे टूटेगा ! यह सोच कर चित्रसेना तैयार हो गयी. उसने अहिरावण समेत सभी राक्षसों के अंत का सारा भेद बता दिया.
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चित्रसेना ने कहा- दोनों राक्षसों के बचपन की बात है. इन दोनों के कुछ शरारती राक्षस मित्रों ने कहीं से एक भ्रामरी को पकड़ लिया. मनोरंजन के लिए वे उसे भ्रामरी को बार-बार काटों से छेड रहे थे.
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भ्रामरी साधारण भ्रामरी न थी. वह भी बहुत मायावी थी किंतु किसी कारण वश वह पकड़ में आ गई थी. भ्रामरी की पीड़ा सुनकर अहिरावण और महिरावण को दया आ गई और अपने मित्रों से लड़ कर उसे छुड़ा दिया.
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मायावी भ्रामरी का पति भी अपनी पत्नी की पीड़ा सुनकर आया था. अपनी पत्नी की मुक्ति से प्रसन्न होकर उस भौंरे ने वचन दिया थ कि तुम्हारे उपकार का बदला हम सभी भ्रमर जाति मिलकर चुकाएंगे.
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ये भौंरे अधिकतर उसके शयन कक्ष के पास रहते हैं. ये सब बड़ी भारी संख्या में हैं. दोनों राक्षसों को जब भी मारने का प्रयास हुआ है और ये मरने को हो जाते हैं तब भ्रमर उनके मुख में एक बूंद अमृत का डाल देते हैं.
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उस अमृत के कारण ये दोनों राक्षस मरकर भी जिंदा हो जाते हैं. इनके कई-कई रूप उसी अमृत के कारण हैं. इन्हें जितनी बार फिर से जीवन दिया गया उनके उतने नए रूप बन गए हैं. इस लिए आपको पहले इन भंवरों को मारना होगा.
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हनुमान जी रहस्य जानकर लौटे. मकरध्वज ने अहिरावण को युद्ध में उलझा रखा था. तो हनुमान जी ने भंवरों का खात्मा शुरू किया. वे आखिर हनुमान जी के सामने कहां तक टिकते.
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जब सारे भ्रमर खत्म हो गए और केवल एक बचा तो वह हनुमान जी के चरणों में लोट गया. उसने हनुमान जी से प्राण रक्षा की याचना की. हनुमान जी पसीज गए. उन्होंने उसे क्षमा करते हुए एक काम सौंपा.
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हनुमान जी बोले- मैं तुम्हें प्राण दान देता हूं पर इस शर्त पर कि तुम यहां से तुरंत चले जाओगे और अहिरावण की पत्नी के पलंग की पाटी में घुसकर जल्दी से जल्दी उसे पूरी तरह खोखला बना दोगे.
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भंवरा तत्काल चित्रसेना के पलंग की पाटी में घुसने के लिए प्रस्थान कर गया. इधर अहिरावण और महिरावण को अपने चमत्कार के लुप्त होने से बहुत अचरज हुआ पर उन्होंने मायावी युद्ध जारी रखा.
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भ्रमरों को हनुमान जी ने समाप्त कर दिया फिर भी हनुमान जी और मकरध्वज के हाथों अहिरावण और महिरावण का अंत नहीं हो पा रहा था. यह देखकर हनुमान जी कुछ चिंतित हुए.
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फिर उन्हें कामाक्षी देवी का वचन याद आया. देवी ने बताया था कि अहिरावण की सिद्धि है कि जब पांचो दीपकों एक साथ बुझेंगे तभी वे नए-नए रूप धारण करने में असमर्थ होंगे और उनका वध हो सकेगा.
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हनुमान जी ने तत्काल पंचमुखी रूप धारण कर लिया. उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख.
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उसके बाद हनुमान जी ने अपने पांचों मुख द्वारा एक साथ पांचों दीपक बुझा दिए. अब उनके बार बार पैदा होने और लंबे समय तक जिंदा रहने की सारी आशंकायें समाप्त हो गयीं थी. हनुमान जी और मकरध्वज के हाथों शीघ्र ही दोनों राक्षस मारे गये.
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इसके बाद उन्होंने श्री राम और लक्ष्मण जी की मूर्च्छा दूर करने के उपाय किए. दोनो भाई होश में आ गए. चित्रसेना भी वहां आ गई थी. हनुमान जी ने कहा- प्रभो ! अब आप अहिरावण और महिरावण के छल और बंधन से मुक्त हुए.
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पर इसके लिए हमें इस नागकन्या की सहायता लेनी पड़ी थी. अहिरावण इसे बल पूर्वक उठा लाया था. वह आपसे विवाह करना चाहती है. कृपया उससे विवाह कर अपने साथ ले चलें. इससे उसे भी मुक्ति मिलेगी.
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श्री राम हनुमान जी की बात सुनकर चकराए. इससे पहले कि वह कुछ कह पाते हनुमान जी ने ही कह दिया- भगवन आप तो मुक्तिदाता हैं. अहिरावण को मारने का भेद इसी ने बताया है. इसके बिना हम उसे मारकर आपको बचाने में सफल न हो पाते.
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कृपा निधान इसे भी मुक्ति मिलनी चाहिए. परंतु आप चिंता न करें. हम सबका जीवन बचाने वाले के प्रति बस इतना कीजिए कि आप बस इस पलंग पर बैठिए बाकी का काम मैं संपन्न करवाता हूं.
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हनुमान जी इतनी तेजी से सारे कार्य करते जा रहे थे कि इससे श्री राम जी और लक्ष्मण जी दोनों चिंता में पड़ गये. वह कोई कदम उठाते कि तब तक हनुमान जी ने भगवान राम की बांह पकड़ ली.
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हनुमान जी ने भावा वेश में प्रभु श्री राम की बांह पकड़कर चित्रसेना के उस सजे-धजे विशाल पलंग पर बिठा दिया. श्री राम कुछ समझ पाते कि तभी पलंग की खोखली पाटी चरमरा कर टूट गयी.
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पलंग धराशायी हो गया. चित्रसेना भी जमीन पर आ गिरी. हनुमान जी हंस पड़े और फिर चित्रसेना से बोले- अब तुम्हारी शर्त तो पूरी हुई नहीं, इसलिए यह विवाह नहीं हो सकता. तुम मुक्त हो और हम तुम्हें तुम्हारे लोक भेजने का प्रबंध करते हैं.
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चित्रसेना समझ गयी कि उसके साथ छल हुआ है. उसने कहा कि उसके साथ छल हुआ है. मर्यादा पुरुषोत्तम के सेवक उनके सामने किसी के साथ छल करें यह तो बहुत अनुचित है. मैं हनुमान को श्राप दूंगी.
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चित्रसेना हनुमान जी को श्राप देने ही जा हे रही थी कि श्री राम का सम्मोहन भंग हुआ. वह इस पूरे नाटक को समझ गये. उन्होंने चित्रसेना को समझाया- मैंने एक पत्नी धर्म से बंधे होने का संकल्प लिया है. इस लिए हनुमान जी को यह करना पड़ा. उन्हें क्षमा कर दो.
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क्रुद्ध चित्रसेना तो उनसे विवाह की जिद पकड़े बैठी थी. श्री राम ने कहा- मैं जब द्वापर में श्री कृष्ण अवतार लूंगा तब तुम्हें सत्यभामा के रूप में अपनी पटरानी बनाउंगा. इससे वह मान गयी.
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हनुमान जी ने चित्रसेना को उसके पिता के पास पहुंचा दिया. चित्रसेना को प्रभु ने अगले जन्म में पत्नी बनाने का वरदान दिया था. भगवान विष्णु की पत्नी बनने की चाह में उसने स्वयं को अग्नि में भस्म कर लिया.
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श्री राम और लक्ष्मण, मकरध्वज और हनुमान जी सहित वापस लंका में सुवेल पर्वत पर लौट आये.!

शनिवार, 15 अक्टूबर 2022

दुनिया का सबसे अनोखा पेड़ - मंचीनील, जिसका मतलब होता है -'मौत का सेब'।

 

मंचीनील,जिसका मतलब होता है -'मौत का सेब'

मंचीनील दुनिया का सबसे जहरीला पौधा है। इसकी पत्तियां इतनी जहरीली होती हैं कि अगर आप बारिश के दौरान इसके नीचे खड़े होते हैं, तो आपकी त्वचा पर छाले पड़ जाएंगे, क्योंकि बारिश की बूंदें पत्तियों के संपर्क से विषाक्त हो जाती हैं।

स्पेनिश खोजकर्ता और उपनिवेशवादी जुआन पोंस डी लियोन की मौत मंचीनील के जहरीले रस लगे तीर से ही हुई थी। यह रस इतना असरदार है कि यह कार के पेंट को आसानी से गला सकता है। इस पौधे में कई असाधारण विष होते हैं, जिनमें से कुछ की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है।

मंचीनील के पेड़ को छूने, और यहां तक कि इसके आसपास सांस लेने तक की इजाजत नहीं दी जाती है।

फ्लोरिडा में ये पेड़ जहां उगते हैं, इस बारे में पेड़ो पर स्पष्ट चेतावनी लिखी होती है।

प्रायः जहरीले फल कड़वे होते हैं, जो कि कुतरने वाले प्राणियों के लिए एक तरह का चेतावनी होती है, जबकि मंचीनील के मामले में ऐसा नहीं है। इसका स्वाद शुरू में मीठा और स्वादिष्ट होता है। उसके बाद यह तीखी मिर्च जैसा स्वाद देने लगता है। तब शरीर मे जलन शुरू हो जाती है और सांस नली बंद होने लगती है। फल खाने से जठरांत्र शोथ हो जाता है और साथ ही आंतों में रक्तस्राव होने लगता है। इसके अलावा नसों की झनझनाहट, बैक्टीरियल सुपरिनफेक्शन, एडिमा आदि हो जाता है, जो श्वसन प्रणाली को पूर्णतः बंद कर देता है।

यह अचरज वाली बात नहीं है कि मंचीनील एक संकटग्रस्त वनस्पति प्रजाति है। आखिर कौन ऐसे पौधे को अपने आसपास उगता देखना चाहेगा?! मंचीनील के पौधे को नष्ट करते समय बस एक बात का ध्यान रखना जरूरी है - इसे जलाने की कोशिश कभी भूल से भी न करें। आपने समझ गए होंगे, इसका धुआं भी जहरीला होता है।

स्रोत: Manchineel - Wikipedia

Do Not Eat, Touch, Or Even Inhale the Air Around the Manchineel Tree

This Tree Is So Toxic, You Can't Stand Under It When It Rains

इंद्रगोप कीड़ा - उपयोग आयुर्वेद में

 

दुनिया के सबसे खूबसूरत कीटों में से एक होता है इंद्रगोप कीड़ा। चमकीले गहरे सुर्ख रंग का मखमली आवरण वाले इस कीड़े को सबसे खूबसूरत कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी। ये किसानों के मित्र हैं क्योंकि ये जमीन की उर्वरता को बढ़ाते हैं तथा कृषि कर्म में हानिकारक कीटों के अंडों और की इल्लियों को खाते हैं। लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इनके औषधीय उपयोग के कारण इनकी प्रजाति संकटमय हो चली है।

"यहां मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि प्राणियों के उनके प्राकृतिक आवासों में शिकार के खिलाफ़ हूं फिर चाहे उपयोग खाने के लिए हो या औषधि के लिए। मेरा मानना है कि प्रकृति में हमारे लिए दूसरे और बेहतर विकल्प खुले रहते हैं।"

पहली बरसात के बाद जब मोर बोल रहे हों, बादल गरज रहे हों और मेंढकों की टर्र-टर्र चारों तरफ गूंज रही होती है तब बीर बहूटी जमीन पर इधर उधर रेंगती दिखाई देती है। संस्कृत शास्त्रों में इंद्रगोप या इन्द्रवधू के नाम से उल्लिखित यह बरसती कीड़ा अराक्नीडा अथवा अष्टपाद प्रजाति से सम्बन्धित है जिसमें मकड़ी, जूं/किलनी, बिच्छू आदि जीव वर्गीकृत हैं। इस कीड़े को हिन्दी, अवधी और फारसी भाषा में बीर बहूटी और अंग्रेजी में रेड वेल्वेट माइट (Red Velvet Mite) के नाम से जाना जाता है। लोक भाषाओं में कहीं इसे राजा बिलइया तो कहीं इसे राम की डुकरिया भी बुलाते हैं। जितनी जगहें उतने नाम होंगे इसके। आप बताइए आपके यहां क्या कहते हैं इस बेहद खूबसूरत कीड़े को!

"लोभ, ईर्ष्या, स्वार्थ और लापरवाही के स्नेहन (ग्रीस/चिकनाई) पर विकसित होती (फिसलती) मानव सभ्यता में अक्सर उपयोगी होना अभिशाप हो जाता है। यही कहानी बीर बहूटी की भी है।" आगे पढ़िए…

बीर बहूटी को पारम्परिक और लोक चिकित्साओं में अनेक स्वास्थ्य लाभों के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

  • आयुर्वेद औषधि उद्योग में बीर बहूटी का प्रयोग गठिया और लकवा के लिए औषधि निर्माण में किया जाता है।
  • होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में इसे ट्रॉमबिडियम (Trombidium) के नाम से जाना जाता है। होम्योपैथी मेटेरिया मेडिका के अनुसार यह दर्द निवारक और दाह शामक है, खासकर पेट के दर्द व घुटनों और कमर के जोड़ों के दर्द में। यह सिर, आंख, कान, पेट, गले और मुंह के अनेक विकारों में कार्य करती है और विभिन्न प्रकार की सूजन और दस्त में इसका उपयोग किया जाता है।
  • यूनानी चिकित्सा में स्तम्भन दोष और शीघ्र पतन के इलाज हेतु इसका प्रयोग किया जाता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में इसका उपयोग 50 से अधिक औषधियों को बनाने में किया जाता है।
  • लोक चिकित्साओं में खास कर मध्य भारत और दक्कन में इसका प्रयोग 40 से अधिक बीमारियों के इलाज़ में किया जाता है जिनमें गठिया, दस्त, लकवा, मधुमेह आदि कुछ नाम हैं।
    • विशेष: इनमें से कोई भी दावा वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित नहीं है। ध्यान रहे कि पूरा का पूरा आयुर्वेद या कोई अन्य पारम्परिक अथवा लोक चिकित्सा व मान्यताएं सम्पूर्ण रूप से कभी सही नहीं होती हैं। उन्हें प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता होती है। बीर बहूटी के मामले में ऐसा कोई दावा प्रमाणित नहीं है।

इन्हीं कारणों से इस नन्हे से नाजुक और दुर्लभ जीव की मांग घरेलू बाजारों से लेकर देसी औषधि उद्योग और विदेशी बाजारों तक है इसलिए यह काफी महंगा बिकता है। गांवों में गरीब इसे इकट्ठा कर बिचौलियों को बेचते हैं जो आगे इसे मंहगे दामों पर औषधि निर्माताओं को बेच देते हैं। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि राजा बिलाइया की प्रजाति अब खतरे में है।

तो मित्रों इससे ज्यादा क्या ही लिखूं? बस इतना कहूंगा कि किसी लालच में न आएं क्योंकि दूसरे बेहतर और पुख्ता विकल्प मौजूद हैं इसलिए इस अनमोल जीव से बने उत्पादों का प्रयोग न करें और जहां कहीं दिखे तो थोड़ा प्यार से देखें क्योंकि यह इतना कोमल होता है की सख़्त नजरों से भी घायल हो सकता है।

आज बस इतना ही। इति!

बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

करवा चौथ अक्टूबर 13, 2022 विशेष

करवा चौथ अक्टूबर 13, 2022 विशेष
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करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है। इस दिन पति की लम्बी उम्र के पत्नियां पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती  है। 

करवा चाैथ पर इस वर्ष सिद्धि योग रहेगा। यह योग मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करता है। साथ ही चंद्रमा शाम 06:40 के बाद पूरे समय रोहिणी नक्षत्र में रहेगा। इस नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन करना बेहद ही शुभ माना जाता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस समय शनि, बुध और गुरु अपनी स्वराशि में स्थित हैं। सूर्य और बुध भी एक साथ विराजमान हैं। जिससे बुधादित्य योग का भी निर्माण हो रहा है। वहीं लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण भी हो रहा है। इस योग के बनने से पति-पत्नी का आपसी संबंध और विश्वास मजबूत होगा। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे। जिससे की गई प्रार्थना शीघ्र स्वीकार होगी।

पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए इस वर्ष शुक्रास्त होने के कारण व्रत एवं पूजा पाठ ही कर सकेंगी ऐसे मे खरीददारी अथवा अन्य मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।

करवा चौथ महात्म्य
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छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।

सरगी का महत्त्व
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करवा चौथ में सरगी का काफी महत्व है। सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है। इसका सेवन महिलाएं करवाचौथ के दिन सूर्य निकलने से पहले तारों की छांव में करती हैं। सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं। सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है। सरगी के रूप में खाने की वस्तुओं को जैसे फल, मीठाई आदि को व्रती महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं। तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है। अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।

महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है।

चौथ की पूजन सामग्री और व्रत की विधि   
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करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री👇

कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे। सम्पूर्ण सामग्री को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लें। 

व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का  विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।

करवा चौथ पूजन विधि
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प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।
व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है- 

'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'

अथवा👇
ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का, 
'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 
'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का तथा 
'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें।

शाम के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें।
सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रोदय के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खा कर व्रत खोले।

करवा चौथ प्रथम कथा 
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बहुत समय पहले की बात है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ जाती है।

वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।

उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।

एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।

इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।

अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।

करवाचौथ द्वितीय कथा 
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इस कथा का सार यह है कि शाकप्रस्थपुर वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ का व्रत किया था। नियमानुसार उसे चंद्रोदय के बाद भोजन करना था, परंतु उससे भूख नहीं सही गई और वह व्याकुल हो उठी। उसके भाइयों से अपनी बहन की व्याकुलता देखी नहीं गई और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिशबाजी का सुंदर प्रकाश फैलाकर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करा दिया।

परिणाम यह हुआ कि उसका पति तत्काल अदृश्य हो गया। अधीर वीरवती ने बारह महीने तक प्रत्येक चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चौथ के दिन उसकी तपस्या से उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।

करवा चौथ तृतीय कथा 
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एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गाँव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान करने गया। स्नान करते समय वहाँ एक मगर ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी करवा भागी चली आई और आकर मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगर को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से कहने लगी- हे भगवन! मगर ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगर को पैर पकड़ने के अपराध में आप अपने बल से नरक में ले जाओ।
यमराज बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी। सुनकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगर को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी। हे करवा माता! जैसे तुमने अपने पति की रक्षा की, वैसे सबके पतियों की रक्षा करना।

करवाचौथ चौथी कथा 
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एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी नामक पर्वत पर गए। इधर द्रोपदी बहुत परेशान थीं। उनकी कोई खबर न मिलने पर उन्होंने कृष्ण भगवान का ध्यान किया और अपनी चिंता व्यक्त की। कृष्ण भगवान ने कहा- बहना, इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने शंकरजी से किया था।

पूजन कर चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर फिर भोजन ग्रहण किया जाता है। सोने, चाँदी या मिट्टी के करवे का आपस में आदान-प्रदान किया जाता है, जो आपसी प्रेम-भाव को बढ़ाता है। पूजन करने के बाद महिलाएँ अपने सास-ससुर एवं बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेती हैं।
तब शंकरजी ने माता पार्वती को करवा चौथ का व्रत बतलाया। इस व्रत को करने से स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा हर आने वाले संकट से वैसे ही कर सकती हैं जैसे एक ब्राह्मण ने की थी। प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण था। उसके चार लड़के एवं एक गुणवती लड़की थी।

एक बार लड़की मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। कुछ खाया-पीया नहीं, पर उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी, पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।
भाइयों से न रहा गया, उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल की पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी उत्पन्न कर दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण करो। बहन ने भोजन ग्रहण किया।
भोजन ग्रहण करते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी, तभी वहाँ से रानी इंद्राणी निकल रही थीं। उनसे उसका दुःख न देखा गया। ब्राह्मण कन्या ने उनके पैर पकड़ लिए और अपने दुःख का कारण पूछा, तब इंद्राणी ने बताया- तूने बिना चंद्र दर्शन किए करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसलिए यह कष्ट मिला। अब तू वर्ष भर की चौथ का व्रत नियमपूर्वक करना तो तेरा पति जीवित हो जाएगा। उसने इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ व्रत किया तो पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। तभी से हिन्दू महिलाएँ अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ व्रत करती हैं। सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें। पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।

पूजा एवं चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त
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कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (करवाचौथ) 13 अक्टूबर को करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायं 05:47 से 07:01 बजे तक।

चंद्रोदय- 20:02 मिनट पर।

चतुर्थी तिथि आरंभ 12 अक्टूबर रात्रि 01:59 पर।

चतुर्थी तिथि समाप्त 13 अक्टूबर रात्रि 03:08 पर।

13 घंटे 44 मिनट का समय व्रत के लिए है। ऐसे में महिलाओं को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से शाम 08 बजकर 02 मिनट तक करवा चौथ का व्रत रखना होगा।

करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 8:11 बजे से 8:55 तक है।

करवाचौथ के दिन भारत के कुछ प्रमुख नगरों का चंद्रोदय समय 
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दिल्ली- 08 बजकर 09 मिनट पर

नोएडा- 08 बजकर 08 मिनट पर

मुंबई- 08 बजकर 48 मिनट पर

जयपुर- 08 बजकर 18 मिनट पर

देहरादून- 08 बजकर 02 मिनट पर

लखनऊ- 07 बजकर 59 मिनट पर

शिमला- 08 बजकर 03 मिनट पर

गांधीनगर- 08 बजकर 51 मिनट पर

अहमदाबाद- 08 बजकर 41 मिनट पर

कोलकाता- 07 बजकर 37 मिनट पर

पटना- 07 बजकर 44 मिनट पर

प्रयागराज- 07 बजकर 57 मिनट पर

कानपुर- 08 बजकर 02 मिनट पर

चंडीगढ़- 08 बजकर 06 मिनट पर

लुधियाना- 08 बजकर 10 मिनट पर

जम्मू- 08 बजकर 08 मिनट पर

बंगलूरू- 08 बजकर 40 मिनट पर

गुरुग्राम- 08 बजकर 21 मिनट पर

असम - 07 बजकर 11 मिनट पर

 इन शहरों के लगभग 200 किलोमीटर के आसपास तक चंद्रोदय के समय मे 1 से 3 मिनट का अंतर आ सकता है।

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। 

चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जप अवश्य  करना चाहिए। अर्घ्य देते समय इस मंत्र के जप करने से घर में सुख व शांति आती है।

"गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥"

इसका अर्थ है कि सागर समान आकाश के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रिय व श्री गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव मेरा अर्घ्य स्वीकार करें।

सुख सौभाग्य के लिये राशि अनुसार उपाय
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मेष राशि👉  मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ की पूजा अगर लाल और गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर करती हैं तो आने वाला समय बेहद शुभ रहेगा।  

वृषभ राशि👉 वृषभ राशि की महिलाओं को इस करवा चौथ सिल्वर और लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से आने वाले समय में पति-पत्नी के बीच प्यार में कभी कमी नहीं आएगी। 

मिथुन राशि👉 इस राशि की महिलाओं के लिए हरा रंग इस करवा चौथ बेहद शुभ रहने वाला है। इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ के दिन हरे रंग की साड़ी के साथ हरी और लाल रंग की चूड़ियां पहनकर चांद की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके पति की आयु निश्चित लंबी होगी।  

कर्क राशि👉 कर्क राशि की महिलाओं को करवा चौथ की पूजा विशेषकर लाल-सफेद रंग के कॉम्बिनेशन वाली साड़ी के साथ रंग-बिरंगी चूडि़यां पहनकर पूजा करनी चाहिए। याद रखें इस राशि की महिलाओं को व्रत खोलते समय चांद को सफेद बर्फी का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपके पति का प्यार आपके लिए कभी कम नहीं होगा। 

सिंह राशि👉 करवा चौथ की साड़ी चुनने के लिए इस राशि की महिलाओं के पास कई विकल्प मौजूद हैं। इस राशि की महिलाएं लाल, संतरी, गुलाबी और गोल्डन रंग चुन सकती है। इस रंग के कपड़े पहनकर पूजा करने से शादीशुदा जोड़े के वैवाहिक जीवन में हमेशा प्यार बना रहता है। 

कन्या राशि👉 कन्या राशि वाली महिलाओं को इस करवा चौथ लाल-हरी या फिर गोल्डन कलर की साड़ी पहनकर पूजा करने से लाभ मिलेगा। ऐसा करने से दोनों के वैवाहिक जीवन में मधुरता बढ़ जाएगी।

तुला राशि👉 इस राशि की महिलाओं को पूजा करते समय लाल- सिल्वर रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इस रंग के कपड़े पहनने पर पति का साथ और प्यार दोनों हमेशा बना रहेगा। 

वृश्चिक राशि👉 इस राशि की महिलाएं लाल, मैरून या गोल्डन रंग की साड़ी पहनकर पूजा करें तो पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ जाएगा। 

धनु राशि👉 इस राशि की महिलाएं पीले या आसमानी रंग के कपड़े पहनकर पति की लंबी उम्र की कामना करें।  

मकर राशि👉 मकर राशि की महिलाएं इलेक्ट्रिक ब्लू रंग करवा चौथ पर पहनने के लिए चुनें। ऐसा करने से आपके मन की हर इच्छा जल्द पूरी होगी। 

कुंभ राशि👉 ऐसी महिलाओं को नेवी ब्लू या सिल्वर कलर के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से गृहस्थ जीवन में सुख शांति बनी रहेगी। 

मीन राशि👉 इस राशि की महिलाओं को करवा चौथ पर लाल या गोल्डन रंग के कपड़े पहनना शुभ होगा। 
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