जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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रविवार, 1 जनवरी 2023
पंचांग' भारतीयों द्वारा माना जाने वाला वैज्ञानिक कैलेंडर है।
1 जनवरी से अपनी टीम में बहुत बड़ा परिवर्तन होंगा। सर्दी का मौसम है गलत तो बढ़ ही रही है *जलन* भी बढ़ने वाली है😄
गुरुवार, 29 दिसंबर 2022
कार में ब्रेक क्यों लगाते हैं...?
सोमवार, 26 दिसंबर 2022
क्या बॉयकॉट बॉलीवुड ट्रेंड के पीछे राजनैतिक कारण हैं ?
उन लोगों के लिए जो सोचते हैं कि बहिष्कार के पीछे बीजेपी है:
- देखिए, अगर 100 रुपये टिकट की कीमत पर 1 करोड़ लोग फिल्म देखने जाते हैं, तो फिल्म 100 करोड़ रुपये कमाती है।
- अब भारत की 18 साल से ऊपर की आबादी 95 करोड़ है!
- अब, 2019 के चुनावों के अनुसार, भाजपा का वोट प्रतिशत लगभग 37 प्रतिशत था।
- 18 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 60 प्रतिशत लोग बचे हैं, साथ ही किशोर भी हैं जिनके लिए टिकट अनिवार्य है।
- अब बीजेपी के ये सारे वोटर भले ही फिल्म का बहिष्कार कर रहे हों, लेकिन फिल्म को सुपरहिट करने वाले भी काफी से ज्यादा लोग बचे हैं!
मैं जो समझाने की कोशिश कर रहा हूं वह यह है कि बहिष्कार सभी पार्टी लाइनों में है! अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा वाले लोग बॉलीवुड का बहिष्कार कर रहे हैं।
यह कोई रहस्य नहीं है कि एक विशेष समुदाय कभी बीजेपी को वोट नहीं देता है, वह समुदाय अब लगभग 30-35 प्रतिशत है! यहां तक कि अगर इस समुदाय के 1 करोड़ लोग भी एक फिल्म देखने जाते हैं, तो यह 100 करोड़ रुपये कमा सकती है। फिर फिल्में क्यों नहीं चल रही हैं?
इसलिए, मुझे नहीं लगता कि बॉलीवुड के बहिष्कार के पीछे कोई राजनीतिक कारण है। यदि यह राजनीतिक बहिष्कार होता तो मुझे नहीं लगता कि यह सफल होता।
अगर इस प्रकार पोलिटिकल पार्टियां फ़िल्में हिट या फ्लॉप करा पातीं तो न नरेंद्र मोदी जी के ऊपर बानी फिल्म फ्लॉप होती न राहुल गाँधी के !
एकता कपूर जिस तरह के एडल्ट वेब सीरीज बनाती है तो क्या उनकी मानसिकता भी ऐसी ही है?
मैंने कहीं पढ़ा था , कि एकता कपूर छोटी उम्र में ही अपने ड्राइवर के साथ भाग गई थी ,
अगर ये सच है तो आप ही सोच लीजिये उनकी सोच और परवरिश कैसी होगी ?
बाकी उनके किये काम से पता चलता है।
टीवी पर जो गंद मचा हुआ है आजकल वो सब इसी के देन है ।
एक पत्नी के 4 -6 पति ,
एक पति की 4 -5 पत्नियां ,
दादी बनने वाली की शादी ,
और सास और बहु एक समय में गर्भवती ,
घर के बच्चों का भी कहीं ना कहीं चक्कर वो भी स्कूल वाली ऐज में ,
घर में हमेशा कलेश होना ,
घर के मर्द सारा दिन कुर्ता पायजामा / 3 पीस सूट पहन के घर में बैठे रहते हैं।
सारा घर कोई न कोई षड़यंत्र करता रहता है ,
दुखियारी माँ / बहु / बेटी
बेचारा बाप / बेटा/ भाई
तो ऐसी है एकता कपूर
क्या पठान मूवी का बॉयकॉर्ट होना चाहिए या नहीं?
क्या पठान मूवी का बॉयकॉर्ट होना चाहिए या नहीं?
यदि आप सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या(?) से दुखी है
यदि आप सोनू निगम जैसे प्रतिभाशाली गायकों के करियर खतम करने से दुखी है
यदि आप सनी देओल बॉबी देओल विवेक ओबेरॉय अभय देओल विद्युत जामवाल जैसे कई प्रतिभाशाली लेकिन राष्ट्रवादी नायकों के कैरियर को तबाह करने से दुखी है
यदि आप कंगना राणावत जैसी राष्ट्रवादी अभिनेत्री को परेशान करने से दुखी है
तो आपको उस पाकिस्तान नियंत्रित बॉलीवुड को तबाह करने के लिए और राष्ट्रवादी सिनेमा को मजबूत करने के लिए बिना तर्क वितर्क के इस फिल्म पठान का बॉयकॉट करना ही पड़ेगा!! यही लोकतांत्रिक विरोध है और लोकतांत्रिक तरीका है भारत में राष्ट्रवादी शक्तियों को मजबूत करने का।
आज सिर्फ चुनावों में वोटिंग से सरकार नहीं बनती है । सिर्फ सरकार और सेना देश की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती है जनता को भी अंदरूनी राष्ट्रविरोधी शक्तियों को लोकतांत्रिक तरीके से कमजोर करने में पूरा सहयोग देना होगा।
हर वेब सीरीज और फिल्म में पाकिस्तान नियंत्रित बॉलीवुड कुछ ना कुछ एजेंडा घुसा ही देता है देश को कमजोर करने का या युवाओं को दिग्भ्रमित करके नशे या कु–संस्कृति की तरफ ले जाने का।
तुनिषा आत्महत्या हो , श्रद्धा वाकर हत्याकांड हो या उर्मि वैष्णव या शांतिदेवी हत्याकांड हो उसकी शुरुआत बॉलीवुड की बनाई संस्कृति से ही होती है । जिसमें लड़कियों के दिमाग में भरा जाता है कि किसी भी मनुष्य से शादी करो सब एक हैं। लेकिन पर्दे की पीछे की बातों को बॉलीवुड ने कभी नहीं दिखाया। कभी नहीं बताया की किसी संस्कृति में लड़की से छुटकारा पाने का उपाय तलाक या मायके भेजना है । और किसी संस्कृति में पत्नी से छुटकारा पाने का उपाय हत्या करके शव के टुकड़े करना है।
भारत पर हमले हमेशा कई तरीके से हुए हैं।
अप्रत्यक्ष हमले कविताओं, कहानियों , पत्रिकाओं, समाचारपत्रों, धार्मिक सभाओं, फिल्मों धारावाहिकों वेब सीरीज के माध्यम से ज्यादा हुए हैं।
आज सोशल मीडिया पर बॉलीवुड और राष्ट्रविरोधी शक्तियां मुखर हैं जो सिर्फ मनोरंजन के नाम पर मजाक मजाक में आपके और बच्चो के दिमाग में कचरा भर रहे हैं। हमको पता ही नहीं पड़ रहा है कि अनजाने में हमारे दिमाग में क्या भर दिया गया है।
आप अंदर ही अंदर करोड़ो लोगों को आसानी से पहले संस्कृति से दूर करो , फिर धर्मनिरपेक्षता सहिष्णुता के नाम पर भीरू कायर बना दो, राष्ट्रवाद से दूर कर दो।
लाल बहादुर शास्त्री जी के एक आव्हान पर अमीर गरीब सबने अपना सहयोग दिया था सेना को।
आज कितने लोगों वैसा करेंगे??
उल्टे सेना के मरने पर हारने पर देश में तालियां बजाने वालों की फौज खड़ी हो गई है।
सोचिए !! तर्क , निष्पक्षता और बुद्धिजीवी का चोला उतार कर फेंकिए और शतरंजी चालों को समझने में निपुण बनिए।
वरना आपको पता भी नहीं पड़ेगा और आप खुद अनजाने में अपने देश को तोड़ देंगे संस्कृति को नष्ट कर देंगे।
फन मनोरंजन आवश्यक है जीवन में लेकिन जरूरी नहीं की उसके नाम पर हम किसी भी व्यक्ति को अपने दिमाग में कचरा भरने दें!
कुछ लोग 300 या 500 लोगों के रोजगार की खातिर मूवी देखने की बात कर रहे हैं तो ऐसे में आपको साल में आने वाली सभी 800–900 फिल्में देखनी चाहिए।
पठान तो मूवी राइट्स सैटेलाइट राइट्स म्यूजिक राइट से अपना खर्च निकाल लेगी।
शाहरुख और दीपिका के पास पैसे की कोई कमी नहीं है वो इन 500 लोगों के लिए अपना मेहनताना छोड़ सकते हैं।
ऐसे जीव जिनकी कभी मृत्यु ही नहीं होती
हाइड्रा
इसे आप बहुत सिरों वाला जीव समझ सकते हैं। इसकी कभी भी प्राकृतिक मृत्यु नहीं होती। हाइड़ा अपने शरीर को अनेक भाग में विभाजित करके प्रत्येक भाग से ग्रोथ करके नए हाइड़ा में विकसित हो जाता है। देखने में यह आपको ऑक्टोपस जैसा लग सकता है। लेकिन पूर्णतः इसका अंत नहीं होता है।
टार्डीग्रेड
पानी में रहने वाला आठ पैरों और 4 एमएम लंबा जीव 30 वर्षों तक बिना, खाए पीए रह सकता है और इसमें अंतरिक्ष में भी जिंदा रहने की क्षमता है। यह लगभग माइनस 272 डिग्री में बिना किसी परेशानी के रह सकता है। वहीं, करीब 150 डीग्री की गर्मी भी आराम से सह लेता है।
प्लेनरियन फ्लेटवर्म
यह प्राणी अमर है। आप इसके लगभग दो सौ टुकड़े कर दें, तो भी हर टुकड़े से एक जीव बन जाएगा। यहीं नहीं, इसके सिर और नर्वस सिस्टम को भी टुकड़ों में काट दें, तो भी यह फिर से बनने लगता है। इसके सेल्स डेड भी हो जाते हैं तो भी ये नए जीवों को अपने आप से निर्माण कर सकता है।
लम्बी लंगफिश
कहा जाता है कि यह मछली पांच साल तक बिना कुछ खाए पीये जीवित रह सकती है। विशेषकर अफ्रीका में पाई जाने वाली यह मछली सूखा पड़ने पर खुद को जमीन में दफन कर लेती है। सूखे के मौसम के दौरान जब यह जमीन के अंदर- होती है, तब अपने शरीर के मेटाबोलिज्म को 60 गुना तक कम कर लेती है।
जेलफिश
यह अपने ही सेल्स को बदल कर फिर से युवा अवस्था में पहुंच जाती है और यह चक्र चलता ही रहता है।
अलास्कन वुड फ्रॉग
यह मेढक भी अमर है। अलास्का में जब तापमान माइनस 20 डिग्री गिर जाता है, तब इस मेढक का शरीर लगभग फ्रीज हो जाता है और यह शीतनिद्रा में सो जाता है। तब यह लगभग 80 प्रतिशत तक बर्फ में जम जाता है। इस दौरान उसका सांस लेना भी बंद हो जाता है। हृदय की धड़कन भी बंद हो जाती है। डॉक्टरी भाषा में यह मर चुका होता है, लेकिन जब वसंत की शुरुआत होती है और इसके ऊपर से बर्फ हटती है तो इसके हृदय में अचानक से इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होता है और उसका हृदय फिर से धड़कने लगता है। इसे फ्रोजन फोग भी कहते हैं।
संघ क्यों चुप है ??
मंगलवार, 20 दिसंबर 2022
साइकिल चलाने वाले दुष्ट हैं। यूरो एक्ज़िम बैंक लिमिटेड के जनरल डायरेक्टर ने अर्थशास्त्रियों को सोचने पर मजबूर कर दिया जब उन्होंने कहा:
साइकिल चलाने वाले दुष्ट हैं।
यूरो एक्ज़िम बैंक लिमिटेड के जनरल डायरेक्टर ने अर्थशास्त्रियों को सोचने पर मजबूर कर दिया जब उन्होंने कहा:
"एक साइकिल चालक देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक आपदा है:
वे कार नहीं खरीदते हैं और खरीदने के लिए पैसे उधार नहीं लेते हैं।
वे बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान नहीं करते हैं।
वे ईंधन नहीं खरीदते हैं, आवश्यक रखरखाव और मरम्मत के लिए भुगतान नहीं करते हैं।
वे सशुल्क पार्किंग का उपयोग नहीं करते हैं।
न ही गंभीर दुर्घटना का कारण बनता है।
उन्हें बहु-लेन राजमार्गों की आवश्यकता नहीं है।
वे मोटे नहीं होते।
स्वस्थ लोगों की न तो जरूरत है और न ही अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगी।
वे दवा नहीं खरीदते हैं। वे अस्पतालों या डॉक्टरों के पास नहीं जाते हैं।
देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में कुछ भी नहीं जोड़ा जाता है।
इसके विपरीत, हर नया मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां कम से कम 30 नौकरियां पैदा करता है: 10 हृदय रोग विशेषज्ञ, 10 दंत चिकित्सक, 10 आहार विशेषज्ञ और पोषण विशेषज्ञ, और जाहिर है, जो लोग रेस्तरां में ही काम करते हैं।
सावधानी से चुनें:
साइकिल चालक या मैकडॉनल्ड्स?
यह विचार करने योग्य है।
चलना और भी अच्छा है। पैदल चलने वाले तो साइकिल भी नहीं खरीदते।
तस्वीर गूगल
धन्यवाद 🥰
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