यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 26 दिसंबर 2022

ऐसे जीव जिनकी कभी मृत्यु ही नहीं होती

ऐसे जीव जिनकी कभी मृत्यु ही नहीं होती

हाइड्रा

इसे आप बहुत सिरों वाला जीव समझ सकते हैं। इसकी कभी भी प्राकृतिक मृत्यु नहीं होती। हाइड़ा अपने शरीर को अनेक भाग में विभाजित करके प्रत्येक भाग से ग्रोथ करके नए हाइड़ा में विकसित हो जाता है। देखने में यह आपको ऑक्टोपस जैसा लग सकता है। लेकिन पूर्णतः इसका अंत नहीं होता है।

टार्डीग्रेड

पानी में रहने वाला आठ पैरों और 4 एमएम लंबा जीव 30 वर्षों तक बिना, खाए पीए रह सकता है और इसमें अंतरिक्ष में भी जिंदा रहने की क्षमता है। यह लगभग माइनस 272 डिग्री में बिना किसी परेशानी के रह सकता है। वहीं, करीब 150 डीग्री की गर्मी भी आराम से सह लेता है।

प्लेनरियन फ्लेटवर्म

यह प्राणी अमर है। आप इसके लगभग दो सौ टुकड़े कर दें, तो भी हर टुकड़े से एक जीव बन जाएगा। यहीं नहीं, इसके सिर और नर्वस सिस्टम को भी टुकड़ों में काट दें, तो भी यह फिर से बनने लगता है। इसके सेल्स डेड भी हो जाते हैं तो भी ये नए जीवों को अपने आप से निर्माण कर सकता है।

लम्बी लंगफिश

कहा जाता है कि यह मछली पांच साल तक बिना कुछ खाए पीये जीवित रह सकती है। विशेषकर अफ्रीका में पाई जाने वाली यह मछली सूखा पड़ने पर खुद को जमीन में दफन कर लेती है। सूखे के मौसम के दौरान जब यह जमीन के अंदर- होती है, तब अपने शरीर के मेटाबोलिज्म को 60 गुना तक कम कर लेती है।

जेलफिश

यह अपने ही सेल्स को बदल कर फिर से युवा अवस्था में पहुंच जाती है और यह चक्र चलता ही रहता है।

अलास्कन वुड फ्रॉग

यह मेढक भी अमर है। अलास्का में जब तापमान माइनस 20 डिग्री गिर जाता है, तब इस मेढक का शरीर लगभग फ्रीज हो जाता है और यह शीतनिद्रा में सो जाता है। तब यह लगभग 80 प्रतिशत तक बर्फ में जम जाता है। इस दौरान उसका सांस लेना भी बंद हो जाता है। हृदय की धड़कन भी बंद हो जाती है। डॉक्टरी भाषा में यह मर चुका होता है, लेकिन जब वसंत की शुरुआत होती है और इसके ऊपर से बर्फ हटती है तो इसके हृदय में अचानक से इलेक्ट्रिक चार्ज उत्पन्न होता है और उसका हृदय फिर से धड़कने लगता है। इसे फ्रोजन फोग भी कहते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya