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गुरुवार, 26 जनवरी 2023
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी तरह के रोग होने के 3 कारण होते हैं
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है - डाक्टर सुनील जोगी
नमस्कार मित्रो मै कुंज माहेश्वरी आपके लिए लाया हूँ डाक्टर सुनील जोगी की एक कविता मेरे भारत के बारे में लोगो की जो राय थी वो ऐसी थी की भारत जंगली लोगो का देश है रोगियों का ढोंगियो का मदारियों का देश है पर लोगो की यह राय बदल रही है अब भारत कैसा देश है कुछ पंक्तियों द्वारा समझाते हैं
हम सीना ठोक के कहते है । आवाज लगाकर कहते है।
हाथो में गीता रामायण कुरआन उठाके कहते है।
जो चली आ रही सदियो से हम वो अनमोल कहानी है ।
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम ताजमहल की मीनारे पावन गंगा की धारा है
ख्वाजा नवाज की चादर है अमृतसर का गुरुद्वारा है।
हम हिन्द महासागर का जल और हिमगिरि की ऊंचाई है।
हम भीमसेन जोशी का स्वर है बिस्मिल्ला की शहनाई है।
हम सूर्यदेव का ज्योति कलश शिवशंकर वाला डमरू है।
जिस पर गिरधर नागर नाचे हम वो मीरा के घुंघरू हैं
हम मानसरोवर का पानी, हम काश्मीर की केशर है।
हम रामेश्वर द्वारिकापुरी हम रामसेतु के पत्थर है।
हम शंकर से विषपायी है सागर मंथन के अमृत है।
हम कल्पवृक्ष, हम नागमणि, हम कामधेनु , ऐरावत है
जिसमे श्रीकृष्ण नहाते थे, हम वो यमुना का पानी है।
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम आर्य भट्ट की संतानें हम शून्य बताने वाले है।
हम आयुर्वेद और योगा का ज्ञान सिखाने वाले है।
हम आदिशक्ति हम आदिगुरु हम आदिशंकराचारी है
जिनसे सारी सृष्टि जन्मी उस ब्रह्मा की चिंगारी है
हम वेद पुराणों के ज्ञाता हम अक्षर के आराधक है।
हम ज्योतिषविद खगोलज्ञानी हम तंत्र मंत्र के साधक है
हम महावीर के अनुयायी गौतम गाँधी के दर्शन है
हम अर्जुन का गांडीव और माधव का चक्र सुदर्शन है
हम कला पुजारी उत्सव धर्मी होली और दिवाली है।
जो देवो के सर पे चढ़ती हम वो पूजा की थाली है।
हम हरिश्चन्द्र है शिव दधीचि है कर्ण सरीखे दानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम इतिहासों के पन्ने है भूगोल बनाने वाले है।
हम श्वेत कबूतर नेहरू के जन गण मन गाने वाले है
1618 भाषाएं बोलिया साथ में रखते है
हम छ धर्मो छ ऋतुऔ की टोलिया साथ में रखते है।
हम हिंदू सिंधु घाटी वाली पाटिया साथ में रखते हैं
उनतीस राज्यो में चौसठ सौ जातियां साथ में रखते है।
हम सवा अरब मिलके एक स्वर में जन गण मन को गाते है।
हम उत्तर से दक्षिण तक अमर तिरंगे को फहराते है।
हम रेत समंदर पर्वत झरने नदिया है कालिंदी हैं
जन जन से राष्ट्रसंघ तक गूंज रही वो पावन हिंदी है।
हम इस धरती का कोहिनूर है सतरंगी चुनर धानी है।
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
अरविंद घोष की वाणी है , हम तुलसी का दिग्दर्शन है
हम अब्दुल कलाम की दृष्टि है ऐश्वर्या का आकर्षण है।
हम करुणा मदर टेरेसा की इंदिरा गांधी की शक्ति है।
लक्ष्मी बाई का साहस है मीराबाई की भक्ति है।
हम रामदेव से योगी है धोनी सी धूम मचाते है।
सनसनी सानिया मिर्ज़ा सी तेंदुलकर बनकर छाते हैं
हमसे सहज सुनीता विलियम है जो अंतरिक्ष से आयी है।
बॉबी जिंदल ने अमरीका जाकर के धूम मचाई है।
सबके अधरो को चूम रही हम वो कान्हा की बंशी है
सारी दुनिया को जीत रहे है हम वो भारतवंशी है
हम टाटा बिरला की पूंजी लक्ष्मी मित्तल अंबानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम राम कृष्ण और महावीर नानक की पूजा करते है
शिरडी वाले सांई बाबा हम सबकी झोली भरते है
हम सिद्धि विनायक तिरुपति संकटमोचन भोग लगाते है
हम पीर अली ख्वाजा बाबा के दीपो दान जलाते है
हम रामचरित मानस भारत में चौबीस घंटे गाते है
काशी मथुरा वैष्णो देवी से अमरनाथ तक जाते है।
हमको गुरुद्वारा दिख जाए तो मत्था खुद टिक जाता है।
गिरिजाघर की घंटी का स्वर मन प्राणों को महकता है।
हम शांतिकुंज, हम शक्ति कुंज , हम शांति निकेतन वाले हैं ,
हम भारत के सारे धर्मो के पंथो के रखवाले है।
हम आर्य पुत्र माँ के सुपुत्र संगम तीर्थ का पानी है।
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हिमराज हमारा मस्तक है सागर ने चरण पखारे हैं
आस्था हमारी मंदिर मज्जिद गिरिजाघर गुरूद्वारे है
हम गणपति का वंदन करके हर काम सफल कर देते है।
हम काट अंगूठा गुरुदेव के चरणों में धर देते है।
हम शब्द ब्रह्म वाले सर्वे भवन्तु सुखिनः को गाते है।
श्रवण कुमार बन मात पिता की कावड़ लेकर जाते है
हम सत्य अहिंसा से मानवता को महकाने वाले है।
हम त्याग तपस्या से धरती को स्वर्ग बनाने वाले है।
रुद्राक्ष गाय गीता गंगा गायत्री पूजा करते है
कदमों में अंबर रखते हैं चुल्लू में सागर भरते है
हम योगी त्यागी वेद पुराणों के ज्ञानी विज्ञानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम कबीरा की साखी जैसे खुसरो की अमर रूबाई है,
हम मिर्जा गालिब की गजलें रसखान चंद्र वरदाई है
हम सूरदास तुलसी मीरा हम दिनकर पंत निराला है
भूषण केशव मतिराम जायसी बच्चन की मधुशाला हैं
प्रेमचंद गोदान लिखा माधव का गीता ज्ञान लिखा
रामचरितमानस हमने मानवता का वरदान लिखा
जब वक्त पड़ा अनुवंद बने महके मन से मकरंद बने
हम विद्यापति की पदावली रस अलंकार और छंद बने
कोसो जन्मे टैगोर बने भक्ति रस का आनंद बने,
एकात्म जगा आध्यात्म जगाकर, हमीं विवेकानंद बने
हम इस कलियुग के तीरथ है , साधु संतो की वाणी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
घर के बाहर है नीम खड़ी आंगन में तुलसी माता है
हम सात कर्मो वाले पुरखो से भी जन्मों का नाता है
बरगद की पूजा होती है हम पीपल को जल देते है,
हम दरवाजे आए फकीर को भी मीठे फल देते है
अपनी माताएं बहनें सिर पर पल्लू रख कर चलती है
गर वक्त पड़े तो जोहर में लाखो पदमिनिया जलती है
हम जन्म जहां ले लेते उस माटी को चंदन कहते है
हम प्यार भरे कच्चे धागे को रक्षाबंधन कहते है
हम घर पर आए अतिथी का मन से अभिनंदन करते है
हम बड़े बुजुर्गो के चरणों को छूकर वंदन करते है
हम चार धामों के पुण्य और ऋषि मुनियों के वरदानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम वीर शिवा के वंशज है राणा की चौड़ी छाती है
हम टीपू की तलवारे है तात्या टोपे के नाती है
हम बंदा बेरागी, हाडी रानी की कथा सुनाते है
हम रंग बसंती वाला चोला शाम सवेरे गाते है
इस देश की नारी भी पुरुषो से आगे कदम बढ़ाती है,
लक्ष्मीबाई बच्चा लेकर अंग्रेज़ो से लड़ जाती है
मंगल पांडे तन्हा सेना मे क्रांति शुरू कर देता है,
उधमसिंह लंदन जाकर डायर से बदला ले लेता है
सावरकर काले पानी पर एक नई कथा लिख जाते है
अब्दुल हमीद पेंटागन तोपों के आगे बिछ जाते है
हम युद्ध भूमि के पौरुष है कतरा कतरा सेनानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
हम पर संकट आते है तो शिव शंकर तांडव करते है
बजता है पांचजन्य अर्जुन लेकर गांडीव उतरते है
चोटी चाणक्य बाँध लेते प्रत्यंचा राम चढ़ाते है
देवता खड़े होकर क्रोधित हो हर हर गगे गाते है
धरती को थामे शेषनाग भी करवट लेने लगते है,
यमराज मृत्यु का वाहन लेकर आगे बढ़ने लगते है
बूटी लाने वाले हनुमत का पौरुष जगने लगता है
सागर गर्जन करता धरती का धीरज डिगने लगता है
कलकत्ते वाली काली माँ भी रणचंडी बन जाती है,
पलभर मे दुश्मन के नरमुंडो की मॅंडी बन जाती है
हम भूगोलो के रक्षक है इतिहासो के वरदानी है
दुनिया में सबसे सच्चे सबसे अच्छे हिंदुस्तानी है।
भविष्य में संभावित आयकर संबंधित जानकारी पर ध्यान दें - AIS
तो ऊपर बताए गए खर्चों का विवरण इसमें आने लग जाएगें।
सोमवार, 23 जनवरी 2023
बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर ? bageshwar dham contact number mp
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बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर ?
दोस्तों आज हम बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर से सम्बंधित सभी सवालों के जबाब देने वाले हैं, लोगों बागेश्वर धाम कांटेक्ट नंबर पाने के लिए बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर, bageshwar dham toll free number, bageshwar dham contact number mp, बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर क्या है, बागेश्वर धाम के गुरु जी का मोबाइल नंबर, bageshwar dham phone number, bageshwar dham mobile number, बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर दीजिए, बागेश्वर धाम सन्यासी बाबा का मोबाइल नंबर, bageshwar dham number इन्टरनेट पर सर्च कर रहे हैं आइये bageshwar dham contact number जानते हैं।
दोस्तों बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर पर आपको बहुत से आर्टिकल मिल जाएगे जिसमे आपको जो bageshwar dham contact number दिया जाता हैं , वह या तो बिजी रहता हैं, या नंबर बंद रहता हैं, आज हम आपको bageshwar dham contact number mp देगे जो कॉल भी लगेगा और बागेश्वर धाम समिति से बात भी होगी।
बागेश्वर धाम चमत्कारी मंत्र एक बार जरुर पढ़े – // ॐ बागेश्वराय नमः //
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बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर क्या हैं, या बागेश्वर धाम के गुरु जी का मोबाइल नंबर दोस्तों जैसा की आपको पता होगा की बागेश्वर धाम सरकार ने कुछ बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर जारी किये हैं जिससे आप बागेश्वर धाम के बारे में जानकारी ले सकते हैं, और टोकन कब मिलेगे के बारे में भी पता कर सकते हैं, धाम के मोबाइल नंबर बागेश्वर धाम समिति के सदस्य उठाते हैं , ना की महाराज के दुवारा बागेश्वर धाम के गुरु जी का मोबाइल नंबर सभी के लिए नहीं हैं , और ना महाराज किसी से बात करते हैं, अगर किसी भक्त से बात करनी होती हैं, तो फेसबुक या Youtube लाइव के दौरान करते हैं।
बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर – 8982862921 और 8120592371
दोस्तों bageshwar dham sarkar contact number या बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर पर केवल जानकारी दी जाती हैं, धाम के विषय में ना की टोकन दिए जाते हैं और ना आर्गी लगाई जाती हैं, इसलिए bageshwar dham contact number mp पर अगर कोई आपसे पैसा मागें टोकन के लिए या आर्गी के नाम पर तो मत दो वो आपको ठग रहा हैं।
बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर दीजिए
बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर 8982862921 और 8120592371 हैं , bageshwar dham mobile number पर कॉल करने का सही समय सुबह और शाम को हैं जिससे आपका कॉल जल्दी लग जाए, बहुत से लोग bageshwar dham contact number मिलने के बाद भी धाम पर कॉल नहीं लगता हैं, इसका सीधा कारण हैं एक ही समय पर बहुत से लोगों दुवारा फ़ोन का लगाया जाना हैं।
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दोस्तों बहुत से लोग बागेश्वर धाम का टोल फ्री नंबर ( bageshwar dham toll free number ) चाहते हैं, जिससे बागेश्वर धाम पर महाराज से बात कर सके, क्योंकि बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर हमेशा बिजी रहता हैं और बागेश्वर धाम के भक्त परेशान रहते हैं, तो दोस्तों में आपको बतादू अभी बागेश्वर धाम का कोई भी टोल फ्री नंबर नहीं हैं, केवल bageshwar dham contact number दिया गया हैं, जो इस प्रकार हैं।
बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर – 8982862921 और 8120592371
Bageshwar Dham whatsapp Number
जो लोग भारत से बाहर है, जैसे United State of America या और भी बहुत से देशों के लोंग जो बागेश्वर धाम से कांटेक्ट करना चाहते हैं, उन्हें Bageshwar Dham whatsapp Number या बागेश्वर धाम कांटेक्ट नंबर दिया गया हैं, जो 8120592371 हैं, दोस्तों bageshwar dham contact number पर मैसेज करने के बाद धर्ये बनाए रखे, Reply मिलने में देरी हो सकती हैं।
बागेश्वर धाम मोबाइल नंबर से जुड़े कुछ फर्जी कॉल
धाम के मोबाइल नंबर से जुड़े कुछ फर्जी कॉल से बचे दोस्तों बागेश्वर धाम के नाम पर बहुत से लोंग धाम के श्रध्लुओ को ठगने का प्रयास करते हैं, और बागेश्वर धाम टोकन या बागेश्वर धाम अर्जी लगने का लालच दे सकते हैं, महाराज श्री धीरेन्द्र कृष्ण के अनुसार बागेश्वर धाम पुरतः नि: शुक्ल हैं और जीवन भर रहेगा, अगर कोई धाम के नाम पर पैसा मागें तो मत दो चाहे वह बागेश्वर धाम समिति का सदस्य ही क्यों न हो।
Bageshwar Dham Right information
अगर आप बागेश्वर धाम के बारे में सही जानकारी चाहते हैं, तो बागेश्वर धाम ऑफिसियल सोशल मीडिया एकाउंट्स से प्राप्त करे जैसे बागेश्वर धाम Facebook और Youtube एकाउंट्स से ले और आप हमारी वेबसाइट Bageshwardham.net से भी सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, बागेश्वर धाम के नाम पर बहुत से Youtube चैनल और वेबसाइट हैं, उन पर आंख बंद कर भरोसा मत करे।
बागेश्वर धाम सरकार कार्यालय का नंबर क्या हैं ?
बहुत से लोग बागेश्वर धाम कार्यालय न नंबर इन्टरनेट पर खोज रहे हैं, दोस्तों बागेश्वर धाम कार्यालय का नंबर बागेश्वर धाम कांटेक्ट नंबर ही हैं, धाम पर कार्यालय से संपर्क करने के लिए 8982862921 और 8120592371 नंबर पर कॉल कर सकते हैं, धाम के बारे में छोटी जानकारी के लिए कॉल न करे , ताकि सभी लोग कॉल कर सके और बागेश्वर धाम पर अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सके।
बागेश्वर धाम कांटेक्ट नंबर बिजी क्यों रहता हैं ?
आप में से बहुत से लोग बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर ना लगने की बजह से परेशान होंगे, दोस्तों bageshwar dham contact number पर एक ही समय पर देश के कोने कोने से कॉल किये जाते हैं , जिससे बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर हमेशा बिजी बताता हैं , कभी कभी यह नंबर बंद भी अ सकता हैं, इसके लिए अगले दिन कॉल करे आपका कॉल जरुर लगेगा।
बागेश्वर धाम महाराज सीधी बातचीत
बागेश्वर धाम के महाराज श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री जी से सीधी बातचीत करने के लिए महाराज कभी कभी फेसबुक या Youtube लाइव के दौरान लाइव बातचीत करते हैं, जिसके लिए नंबर लाइव के दौरान ही दिया जाता है, सीधी बातचीत करने के लिए बागेश्वर धाम सोशल मीडिया एकाउंट्स को फॉलो करो सीधी बातचीत के लिए सुचना जारी की जाती हैं।
निष्कर्ष – अगर आपने हमारी इस पोस्ट को पूरा पढ़ा होगा तो उम्मीद हैं, बागेश्वर धाम का मोबाइल नंबर आपको मिल गया होगा और आप बागेश्वर धाम कांटेक्ट नंबर पर कॉल कर सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, धाम के दो मोबाइल नंबर हैं जो मैंने आप लोगों के साथ शेयर किये हैं।
बागेश्वर धाम का रहस्य क्या हैं ? जानकर आपके होश उड़ जायेगे
बागेश्वर धाम का रहस्य क्या हैं ? जानकर आपके होश उड़ जायेगे
बागेश्वर धाम का रहस्य क्या हैं ? बागेश्वर धाम की सच्चाई क्या हैं ? दोस्तों आपने बागेश्वर धाम के बारे में यूट्यूब और टेलीविज़न के माध्यम से देखा और सुना होगा जहा लोग बागेश्वर धाम के सामने अपनी अर्जी लगाते हैं , वे अपने सवाल पूज्य श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री से पूछते हैं , और उसका निवारण उन्हें तत्काल ही उन्हें मिल जाता हैं ,लेकिन क्या दोस्तों आपने बागेश्वर धाम के पीछे के रहस्यों को सुना हैं , क्या आप बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री के बारे में जानते हैं कैसे इतनी जल्दी फेमस हो गए, आइये जानते हैं.
बागेश्वर धाम एक ऐसा धाम जो बहुत ही कम समय में देश और दुनिया के कोने कोने में सनातन धर्म का डंका बजा रहा हैं , एक ऐसा दिव्य धाम जिस देखकर और सुनकर वैज्ञानिक भी हैरान है, जिससे लोग बागेश्वर धाम के रहस्यों को जानना चाहते हैं , बागेश्वर धाम की सच्चाई क्या हैं.
बागेश्वर धाम का रहस्य क्या हैं ?
बागेश्वर धाम का निर्माण बहुत समय पहले हुआ था , जब इन्टरनेट इतना विकसित नहीं हुआ था, बागेश्वर धाम बहुत पुराना चमत्कारिक मंदिर हैं , यहाँ पीडी दर पीडी प्रसिद्ध संत हुए जो दिव्य दरबार लगाते रहे हैं, परन्तु इन्टरनेट की सुबिधा ना हो पाने के कारण धाम पर प्रचार प्रसार नहीं हो पाया और लोकल क्षेत्र के लोग बस आया करते थे.
बागेश्वर धाम मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह हैं की जो भी श्रधालु सच्चे मन से जो भी मनोकामनाओ को लेकर जाते हैं , बागेश्वर बालाजी सरकार और सन्यासी बाबा की कृपा से सब सिद्ध हो जाता है, धाम पर पहले बागेश्वर महाराज के दादा दरबार लगाया करते थे इसके बाद श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री ने अपना बचपन पूज्य दादा जी की शरण में विताया और पूजा पाठ करने लगे , समय वित्ताता गया और धीरे धीरे दरबार लगाने लगे जनकल्याण के लिए इस तरह बागेश्वर धाम महाराज को सिद्धि प्राप्त हुई.
बागेश्वर धाम महाराज का शुरुआती जीवन बहुत ही कष्टदायक रहा, जिसके चलते वह अपनी पूरी पढ़ाई नहीं कर पाए और बागेश्वर बालाजी, सन्यासी बाबा की सेवा में लग गए और जन कल्याण के लिए दरबार लगाने लगे धीरे-धीरे बागेश्वर धाम इंटरनेट के माध्यम से देश के कोने कोने में जाना जाने लगा.
बागेश्वर धाम की सच्चाई क्या हैं ?
बागेश्वर धाम की सच्चाई को जानने के लिए आय दिन बहुत से न्यूज़ चैनल और पत्रकार आते रहते हैं लेकिन किसी को कुछ नहीं मिलता , सब हैरान हैं की आखिर कैसे बिना बताये लोगों के मन की बात जान लेते हैं और उसका निवारण भी बता देते हैं , हम आपको बता दे बागेश्वर धाम महाराज के अनुसार वह यह सब बागेश्वर बालाजी महाराज और सन्यासी बाबा की कृपा से कर पाते हैं, दोस्तों श्री धीरेन्द्र कृष्णा शास्त्री जिन्हें दुनिया बागेश्वर धाम के नाम से जानती हैं, उन्हें भगवान श्री राम के अनन्य भक्त श्री हनुमान ( बालाजी सरकार ) की कृपा प्राप्त है, जिससे वह अपने पर्चे पर जो भी लिख देते हैं,वही होता है.
वैज्ञानिक भी हैरान बागेश्वर धाम के इस रहस्य सेजानकर आपके भी होश उड़ जाएगे
दोस्तों वैज्ञानिक भी हैरान हैं बागेश्वर धाम के इस रहस्य से टेक्नोलोजी इतनी विकसित हो गई हैं जिससे हम किसी से भी बात कर सकते है मोबाइल फ़ोन के जारी , और लोकेशन का पता लगा सकते हैं, लेकिन किसी के मन की बात नहीं जान सकते हैं , यह केवल दिव्य चमत्कारी शक्तिओ से हो सकता हैं , भारत हमेशा से आस्था और श्रद्धा का देश रहा है, भारत के लोग ईश्वर को मानते हैं ,जिसका जीता जागता उदाहरण है बागेश्वर धाम की ईश्वर हैं और सभी का कल्याण करता हैं.
रानी दुर्गावती ने वीरमरण स्वीकार किया वेद धर्म के लिए
रानी दुर्गावती ने वीरमरण स्वीकार किया वेद धर्म के लिए
शत्-शत् नमन 5 अक्टूबर/जन्मदिवस, ज्वालारूपी रानी दुर्गावती जिनका हत्यारा था वो अकबर जिसे साजिशन बनाया गया महान*
अकबर की महानता के गुण गाने वालों को आज पता भी नहीं होगा की आज किसका जन्म दिवस है। उन्हें भी नहीं पता होगा जिन्होंने आज़ादी , शौर्य , वीरता और बलिदान को केवल दो या चार परिवारों के आस पास इर्द गिर्द घुमा कर रख दिया है.. इस भारत भूमि ने आजादी और धर्म की रक्षा के लिए बहुत से बलिदान लिए हैं। उनमे से एक हैं महान रानी दुर्गावती जी जिनका सौभाग्य से आज जन्म दिवस है,..
महान रानी दुर्गावती जी का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को महोबा में हुआ था। दुर्गावती के पिता महोबा के राजा थे। रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, विनम्र, योग्य एवं साहसी लड़की थी। बचपन में ही उसे वीरतापूर्ण एवं साहस भरी कहानियां सुनना व पढ़ना अच्छा लगता था। पढाई के साथ-साथ दुर्गावती ने घोड़े पर चढ़ना, तीर तलवार चलाना, अच्छी तरह सीख लिया था शिकार खेलना उसका शौक था। वे अपने पिता के साथ शिकार खेलने जाया करती थी। पिता के साथ वे शासन का कार्य भी देखती थी।
विवाह योग्य अवस्था प्राप्त करने पर उनके पिता मालवा नरेश ने राजपूताने के राजकुमारों में से योग्य वर की तलाश की। परन्तु दुर्गावती गोडवाना के राजा दलपतिशाह की वीरता पर मुग्ध थी। इस प्रकार दुर्गावती और दलपति शाह का विवाह हुआ। रानी दुर्गावती जी अपने पति के साथ गढ़मंडल में सुखपूर्वक रहने लगी। इसी बीच दुर्गावती के पिता की मृत्यु हो गई और महोबा तथा कालिंजर पर मुग़ल सम्राट अकबर का अधिकार हो गया।
विवाह के एक वर्ष पश्चात् दुर्गावती का एक पुत्र हुआ। जिसका नाम वीर नारायण रखा गया। जिस समय वीरनारायण केवल तीन वर्ष का था उसके पिता दलपति शाह की मृत्यु हो गई। दुर्गावती के ऊपर तो मानो दुखो का पहाड़ ही टूट पड़ा। परन्तु उसने बड़े धैर्य और साहस के साथ इस दुःख को सहन किया। दलपति शाह की मृत्यु के बाद उनका पुत्र वीर नारायण गद्दी पर बैठा। रानी दुर्गावती उसकी संरक्षिका बनी और राज–काज स्वयं देखने लगी। वे सदैव प्रजा के दुःख–सुख का ध्यान रखती थी। चतुर और बुद्धिमान मंत्री आधार सिंह की सलाह और सहायता से रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की सीमा बढ़ा ली।राज्य के साथ–साथ उसने सुसज्जित स्थायी सेना भी बनाई और अपनी वीरता, उदारता, चतुराई से राजनैतिक एकता स्थापित की। गोंडवाना राज्य शक्तिशाली और संपन्न राज्यों में गिना जाने लगा।
रानी दुर्गावती की योग्यता एवं वीरता की प्रशंसा अकबर ने सुनी.. क्रूर अकबर जिसे कईयों ने महानता का झूठा खिताब दे रखा है उसने आसफ खां नामक सरदार को गोंडवाना की गढ़मंडल पर चढ़ाई करने का आदेश दे दिया ये सोच कर कि एक औरत कितनी देर लड़ पाएगी.. उसका हत्यारा सरदार आसफ खां ने भी समझा कि दुर्गावती महिला है, अकबर के प्रताप से भयभीत होकर आत्मसमर्पण कर देगी। परन्तु रानी दुर्गावती को अपनी योग्यता, साधन और सैन्य शक्ति पर इतना विश्वास था कि उसे अकबर की सेना के प्रति भी कोई भय नहीं था। रानी दुर्गावती के मंत्री ने आसफ खान की सेना और सज्जा को देखकर युद्ध न करने की सलाह दी।
*परन्तु रानी ने कहा, " कलंकित जीवन जीने की अपेक्षा शान से मर जाना अच्छा है। आसफ खान जैसे साधारण सूबेदार के सामने झुकना लज्जा की बात है। रानी सैनिक के वेश में घोड़े पर सवार होकर निकल पड़ी। रानी को सैनिक के वेश में देखकर आसफ खान के होश उड़ गये। रणक्षेत्र में रानी के सैनिक उत्साहित होकर शत्रुओ को काटने लगे। रानी भी शत्रुओ पर टूट पड़ी. देखते ही देखते दुश्मनो की सेना मैदान छोड़कर भाग निकली। आसफ खान बड़ी कठिनाई से अपने प्राण बचाने में सफल हुआ। आसफ खान की बुरी तरह हार सुनकर अकबर बहुत क्रोधित हुआ और अपनी क्रूरता की हदें लांघता हुआ डेढ़ वर्ष बाद उसने पुनः आसफ खान को गढ़मंडल पर आक्रमण करने भेजा। रानी तथा आसफ खान के बीच घमासान युद्ध हुआ। तोपों का वार होने पर भी रानी ने हिम्मत नहीं हारी। रानी हाथी पर सवार सेना का संचालन कर रही थी। उन्होंने मुग़ल तोपचियों का सिर काट डाला। यह देखकर आसफ खान की सेना फिर भाग खड़ी हुई। दो बार हारकर वो कामुक, जल्लाद अकबर और भी अधिक क्रोध, लज्जा और ग्लानी से भर गया.*
रानी दुर्गावती अपने राजधानी में विजयोत्स्व मना रही थी। उसी गढ़मंडल के एक सरदार ने रानी को धोखा दे दिया। उसने गढ़मंडल का सारा भेद अकबर के सरदार आसफ खान को बता दिया। आसफ खान ने अपने हार का बदला लेने के लिए तीसरी बार गढ़मंडल पर आक्रमण किया। रानी ने अपने पुत्र के नेतृत्व में सेना भेजकर स्वयं एक टुकड़ी का नेतृत्व संभाला। दुश्मनों के छक्के छूटने लगे. उसी बीच रानी ने देखा कि उसका 15 का वर्ष का पुत्र घायल होकर घोड़े से गिर गया है। रानी विचलित न हुई उसी सेना के कई वीर पुरुषो ने वीर नारायण को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया और रानी से प्रार्थना की कि वे अपने पुत्र का अंतिम दर्शन कर ले। रानी ने उत्तर दिया- यह समय पुत्र से मिलने का नहीं है। मुझे ख़ुशी है कि मेरे वीर पुत्र ने युद्ध भूमि में वीर गति पाई है। अतः मैं उससे देवलोक में ही मिलू।
वीर पुत्र की स्थिति देखकर रानी दो गुने उत्साह से तलवार चलाने लगी. दुश्मनों के सिर कट–कट कर जमीन पर गिरने लगे. तभी दुश्मनों का एक बाण रानी की आँख में जा लगा और दूसरा तीर रानी की गर्दन में लगा। रानी समझ गई की अब मृत्यु निश्चित है। यह सोचकर कि जीते जी दुश्मनों की पकड़ में न आऊँ उन्होंने अपनी ही तलवार अपनी छाती में भोंक ली और अपने प्राणों की बलि दे दी। इनकी मृत्यु 24 जून सन 1564 को हुई. रानी दुर्गावती ने लगभग 16 वर्षो तक संरक्षिका के रूप में शासन किया।
कोटी कोटी नमन महान् वीरांंगना को
Bageshwar Dham Chhatarpur कैसे जाएं पूरी जानकारी – बागेश्वर धाम सरकार
Bageshwar Dham Chhatarpur कैसे जाएं पूरी जानकारी – बागेश्वर धाम सरकार
दोस्तो अगर आप Bageshwar Dham Chhatarpur जाना चाहते हैं, जो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा में स्थित है, बागेश्वर धाम बहुत की काम समय में लोकप्रियता पाने वाला स्थान हैं, यहां पर भगवान श्री बालाजी की कृपा से सभी की मनो कामनाये पूरी की जाती हैं, तो अगर आप भी Bageshwar Dham Sarkar Chhatarpur जानें की सोच रहे हैं, तो आज हम इसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं।
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Bageshwar Dham Chhatarpur के बारे में
बागेश्वर धाम सरकार छतरपुर का एक बहुत ही लोकप्रिय पवित्र धार्मिक स्थल है, यहां पर बड़ी संख्या में लोग रोजाना अपनी मनो कामनाएं पूरी करने के उद्देश से आते हैं, और उनकी मनो कामनाएं भगवान बालाजी के द्वारा की जाती हैं, यह भगवान के अस्तित्व का जीता जागता उदाहरण है, और बागेश्वर धाम पर दिव्य दरबार लगाया जाता हैं, जिसमे लोगो के मन की बात एक कोरे कागज पर लिख पर उसका निवारण भी बताया जाता हैं।
बागेश्वर धाम की लोकप्रियता बहुत की काम समय में लोगो की समस्याओं का निवारण करने से हुई हैं, बागेश्वर धाम बुंदेलखंड के छतरपुर में हैं, बागेश्वर धाम के महाराज पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण जी हैं,
बागेश्वर धाम के बारे में महत्पूर्ण जानकारियाँ
स्थान नाम | वागेश्वर धाम सरकार |
स्थान पता | ग्राम गढ़ा जिला छतरपुर, मध्यप्रदेश – 471105 |
बागेश्वर धाम महाराज | पंडित श्री धीरेन्द्र कृष्ण महाराज |
बागेश्वर धाम फ़ोन नंबर | 8120592371 |
बागेश्वर धाम किस जिले में हैं | मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में |
बागेश्वर धाम वेबसाइट | यहाँ क्लिक करे |
Bageshwar Dham कैसे जाए ?
दोस्तो अगर आप दुनिया के किसी भी कोने से बागेश्वर धाम पर आना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको बागेश्वर धाम का पता होना बहुत ही जरूरी हैं। उसके बाद आप बहुत ही आसानी से बागेश्वर धाम पर आ सकते है, यहां पर आप सड़क मार्ग, रेल्वे मार्ग और हवाई मार्ग से भी आ सकते हैं।
Bageshwar Dham Chhatarpur Address ( बागेश्वर धाम का पता क्या हैं )
बागेश्वर धाम मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के छतरपुर जिले में स्थित है, छतरपुर से पन्ना छतरपुर NH 39 मार्ग से 30 किलोमीटर दूर गंज से आपको 4 से 5 किलोमीटर दूर गाढ़ा ग्राम मिलेगा, जहां पर बालाजी का मंदिर हैं, और यहां पर आपको बालाजी के दर्शन होते हैं।
Bus से बागेश्वर धाम कैसे जाए ?
बस से बागेश्वर धाम स्थान पर जाने के लिए सबसे पहले आपको मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले आना होगा, उसके बाद आपको पन्ना छतरपुर NH 39 मार्ग पर 30 किलोमीटर दूर गंज पर उतरना होगा और वहां से आपको टैक्सी लेकर 4 किलोमीटर दूर ग्राम गाढ़ा में बागेश्वर धाम का मंदिर हैं
बागेश्वर धाम ट्रेन से कैसे जाए ?
दोस्तों अगर आप दुनिया के किसी भी कोने से ट्रेन के माध्यम से बागेश्वर धाम आना चाहते हैं, तो उसके लिए सबसे पहले आपको ट्रेन के माध्यम से छतरपुर आना होगा उसके बाद आप छतरपुर से पन्ना छतरपुर सड़क मार्ग से 30 किलोमीटर दूर गंज नामक स्थान पर उतरकर 4 किलोमीटर अंदर बागेश्वर धाम का स्थान है
Aeroplane से बागेश्वर धाम। कैसे जाए ?
दोस्तों अगर आप हवाई मार्ग से बागेश्वर धाम सरकार मंदिर जाना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले आपको हवाई मार्ग से खजुराहो आना होगा उसके बाद आप खजुराहो से बमिठा होते हुए गंज नामक से 3 किलोमीटर अंदर बागेश्वर धाम स्थान है।
तो दोस्तों इन सभी मार्गों से आप बागेश्वर धाम सरकर छतरपुर आ सकते हैं, बागेश्वर धाम से जुड़ी जानकारी पाने के लिए bageshwardham.net को विजिट करते रहिए।
कृष्ण का नाम लड्डू गोपाल कैसे पड़ा ?
कृष्ण का नाम लड्डू गोपाल कैसे पड़ा ?
भगवान श्रीकृष्ण के कई नाम हैं, श्याम, मोहन, बंसीधर, कान्हा और न जाने कितने, लेकिन इनमें से एक प्रसिद्ध नाम है लड्डू गोपाल।
क्या आपको पता है भगवान कृष्ण का नाम लड्डू गोपाल क्यों पड़ा।
ब्रज भूमि में बहुत समय पहले श्रीकृष्ण के परम भक्त रहते थे.. कुम्भनदास जी ।
उनका एक पुत्र था रघुनंदन ।
कुंम्भनदास जी के पास बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण जी का एक विग्रह था, वे हर समय प्रभु भक्ति में लीन रहते और पूरे नियम से श्रीकृष्ण की सेवा करते।
वे उन्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाते थे, जिससे उनकी सेवा में कोई विघ्न ना हो।
एक दिन वृन्दावन से उनके लिए भागवत कथा करने का न्योता आया।
पहले तो उन्होंने मना किया, परन्तु लोगों के ज़ोर देने पर वे जाने के लिए तैयार हो गए कि भगवान की सेवा की तैयारी करके वे कथा करके रोज वापिस लौट आया करेंगे व भगवान का सेवा नियम भी नहीं छूटेगा।
अपने पुत्र को उन्होंने समझा दिया कि भोग मैंने बना दिया है, तुम ठाकुर जी को समय पर भोग लगा देना और वे चले गए।
रघुनंदन ने भोजन की थाली ठाकुर जी के सामने रखी और सरल मन से आग्रह किया कि ठाकुर जी आओ भोग लगाओ ।
उसके बाल मन में यह छवि थी कि वे आकर अपने हाथों से भोजन करेगें जैसे हम खाते हैं।
उसने बार-बार आग्रह किया, लेकिन भोजन तो वैसे ही रखा था.. अब उदास हो गया और रोते हुए पुकारा की ठाकुरजी आओ भोग लगाओ।
ठाकुरजी ने बालक का रूप धारण किया और भोजन करने बैठ गए और रघुनंदन भी प्रसन्न हो गया।
रात को कुंम्भनदास जी ने लौट कर पूछा कि भोग लगाया था बेटा, तो रघुनंदन ने कहा हाँ। उन्होंने प्रसाद मांगा तो पुत्र ने कहा कि ठाकुरजी ने सारा भोजन खा लिया।
उन्होंने सोचा बच्चे को भूख लगी होगी तो उसने ही खुद खा लिया होगा। अब तो ये रोज का नियम हो गया कि कुंम्भनदास जी भोजन की थाली लगाकर जाते और रघुनंदन ठाकुरजी को भोग लगाते।
जब प्रसाद मांगते तो एक ही जवाब मिलता कि सारा भोजन उन्होंने खा लिया।
कुंम्भनदास जी को अब लगने लगा कि पुत्र झूठ बोलने लगा है,
लेकिन क्यों.. ?? उन्होंने उस दिन लड्डू बनाकर थाली में सजा दिये और छुप कर देखने लगे कि बच्चा क्या करता है।
रघुनंदन ने रोज की तरह ही ठाकुरजी को पुकारा तो ठाकुरजी बालक के रूप में प्रकट हो कर लड्डू खाने लगे।
यह देख कर कुंम्भनदास जी दौड़ते हुए आये और प्रभु के चरणों में गिरकर विनती करने लगे।
उस समय ठाकुरजी के एक हाथ मे लड्डू और दूसरे हाथ का लड्डू मुख में जाने को ही था कि वे जड़ हो गये ।
उसके बाद से उनकी इसी रूप में पूजा की जाती है और वे ‘लड्डू गोपाल’ कहलाये जाने लगे..!!
जय हो लड्डू गोपाल जी की
बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री...
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