जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024
24 साल के अनपढ़ लड़के ने कम से कम रु 15000-20000 रु पैदा कर लिए. सच बताना ज़िंदगी की असली जंग में कौन जीता...? मेरे हिसाब से सद्दाम !!
60 से अधिक उम्र के लोगों के साथ साझा करना अच्छा है*
सोमवार, 26 फ़रवरी 2024
फिटकरी- फेफड़े की तमाम दिक्कतों में रामबाण दवाई है यह ।
शनिवार, 24 फ़रवरी 2024
कुछ लोग कह रहे हैं कि आज अगर रोटी खाई है तो किसानों का धन्यवाद कहिये, क्योंकि वह अन्नदाता है l
*अपनों से कुछ अपने मन की बात*
कुछ लोग कह रहे हैं कि आज अगर रोटी खाई है तो किसानों का धन्यवाद कहिये, क्योंकि वह अन्नदाता है l
अगर वह अन्न की पैदावार नहीं करता तो हमें अन्न खाने को नहीं मिलता ...बिल्कुल, धन्यवाद ।
लेकिन मेरा धन्यवाद साथ में टाटा, रिलायंस, इन्फोसिस, महिन्द्रा, टीवीएस जुपिटर, हाँडा एक्टिवा, बजाज, ओरियन्ट, ऊषा, क्राम्पटन, मारुति सुजुकी, हीरो, एवरेडी, ले लैन्ड, अमूल, मदर डेरी, पराग, एम डी एच मसाले, गोल्डी, बीकानेरी भुजिया, हल्दीराम, डॉक्टरों, सूचना तंत्र, बिजली कर्मियों और अन्य हजारों- लाखों उद्यमियों को भी कि जिन्होंने हमारे लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जिससे हम किसानों से उनकी फसल खरीद पा रहे हैं और रोटी खा पा रहे हैं।
वरना, अभी तक मुझे तो कम से कम किसी ने मुफ़्त में गेँहू की बोरियाँ भिजवाई नहीं है।
नौकरी ना होती तो मुफ़्त में किसको धन्यवाद देता भाई?
हाँ, तुम अन्नदाता नहीं हो सिर्फ अन्न उत्पादक हो। अन्न दाता सिर्फ एक है, वो परमात्मा और तुम कभी परमात्मा की जगह नहीं ले सकते। अगर तुम खुद को अन्न दाता कहते हो तो हम भी कर दाता है, जिसके कारण तुम्हें मुफ्त में बिजली, पानी, कर्जमाफी व सब्सिडी की सुविधाएं मिल रही हैं।
भारतीय सरकार की मेहरबानी के कारण, ना तो भारतीय किसानों के ऊपर किसी प्रकार का कोई इनकम टैक्स या सेल्स टैक्स लगता है l उसके ऊपर से सरकार की तरफ से सरकारी पैसे के साथ किसानों को मुफ्त की सुविधाएं दी जाती हैं l
जैसे मुफ्त की बिजली, मुफ्त का पानी, कर्ज माफी और यहां तक की नगद में सहायता राशि भी सरकार द्वारा किसानों को प्रदान की जाती है l ऐसे में किसानों को सरकार से टकराव की बजाय सरकार का एहसानमंद होना चाहिए l
किसानों को किसी प्रकार से अपने आंदोलन की आड़ में देश के दूसरे नागरिकों को सड़के जाम करके और तोड़फोड़ करके परेशान करने का कोई हक नहीं है l
तुमको अन्नदाता का तगमा राजनेता लगा सकते हैं जिनको तुष्टिकरण करके तुम्हारे वोटों का लालच हो , तो असलियत समझो और भगवान बनने की भूल मत करो ! अन्न उत्पादक का सम्मान भी तभी सम्भव होगा जब अन्न उत्पादक समाज के दूसरे वर्गों का सम्मान करें !
अगर किसान सिर्फ अन्न की पैदावार करके खुद को अन्नदाता कहलाता है या अन्नदाता समझता है तो हर इंसान किसी न किसी प्रकार का दाता है l जरा आप खुद पहचानिए की आप कौन से दाता हैं
आंखों के डॉक्टर -चक्षु दाता,
वस्त्र के निर्माता- वस्त्र दाता,
शिक्षक-शिक्षा दाता, वाहन निर्माता-वाहन दाता,
घर बनाने वाला मजदूर और होटल व्यवसाय व्यावसायी-आश्रय दाता,
न्यायालय में वकील और जज-न्याय दाता,
जल की पाइप पर का काम करने वाला -जल दाता,
सुनार-आभूषण दाता,
बिजली का काम करने वाले-विद्युत दाता,
लोगों तक समाचार पहुंचाने वाला मीडिया- सूचना दाता
आदि आदि
कोई दाता छूट गया हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं l
मुझे क्षमा करके आप क्षमा दाता तो बन सकते हैं l
😜🤣😀🤔
दाता तो सिर्फ ईश्वर है, जो बिना मांगे हमें बिना किसी मूल्य लिए इतना कुछ देता है इसलिए वह दाता कहलाता है l जिसमें पैसा लेकर वस्तु बेच दिया वह दाता कैसे हो सकता है l
बाकी नारी जो घर में सबको बिना किसी पैसा लिए खाना बनाकर खिलाती है सही मायने में अन्नदाता वही है l
किसी को पोस्ट अच्छी न लगे तो गेँहू-जीरी की बोरियाँ और सब्जियाँ मुफ्त वितरण करके अन्नदाता बनने का अनुभव महसूस करे ।
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शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024
अपने अस्तित्व, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए…!! हमें जागना होगा
हमें जागना होगा
एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया। एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उस ने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा, “तुम कल से बाँग नहीं दोगे, नहीं तो मै तुम्हें मार डालूँगा।” मुर्गे ने कहा, “ठीक है, सर, जो भी आप चाहते हैं, वैसा ही होगा !” सुबह , जैसे ही मुर्गे के बाँग का समय हुआ, मालिक ने देखा कि मुर्गा बाँग नहीं दे रहा है, लेकिन हमेशा की तरह, अपने पंख फड़फड़ा रहा है। मालिक ने अगला आदेश जारी किया कि कल से तुम अपने पंख भी नहीं फड़फड़ाओगे, नहीं तो मैं वध कर दूँगा। अगली सुबह, बाँग के समय, मुर्गे ने आज्ञा का पालन करते हुए अपने पंख नहीं फड़फड़ाए, लेकिन आदत से, मजबूर था, अपनी गर्दन को लंबा किया और उसे उठाया।
मालिक ने परेशान होकर अगला आदेश जारी कर दिया कि कल से गर्दन भी नहीं हिलनी चाहिए। अगले दिन मुर्गा चुपचाप मुर्गी बनकर सहमा रहा और कुछ नहीं किया। मालिक ने सोचा ये तो बात नहीं बनी, इस बार मालिक ने भी कुछ ऐसा सोचा जो वास्तव में मुर्गे के लिए नामुमकिन था।
मालिक ने कहा कि कल से तुम्हें अंडे देने होंगे नहीं तो मै तेरा वध कर दूँगा। अब मुर्गे को अपनी मौत साफ दिखाई देने लगी और वह बहुत रोया। मालिक ने पूछा, “क्या बात है?” मौत के डर से रो रहे हो?…मुर्गे का जवाब बहुत सुंदर और सार्थक था। मुर्गा कहने लगा: “नहीं, मै इसलिए रो रहा हूँ कि, अंडे न देने पर मरने से बेहतर है बाँग देकर मरता…बाँग मेरी पहचान और अस्मिता थी ,मैंने सब कुछ त्याग दिया और तुम्हारी हर बात मानी , लेकिन जिसका इरादा ही मारने का हो तो उसके आगे समर्पण नहीं संघर्ष करने से ही जान बचाई जा सकती है, जो मैं नहीं कर सका…”
अपने अस्तित्व, अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए संघर्ष करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए…!! हमें जागना होगा…….
हम यहां मुर्गे की बात नहीं कर रहे हैं…!! विचार अवश्य करियेगा….!! हमें जागना होगा…..
जय श्रीराम
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