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मंगलवार, 16 जुलाई 2024

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवारकी एक अच्छी पहल,एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवार
की एक अच्छी पहल,
जब पहली बार सेवा करने गए तब का चित्र गले में दुपट्टा डाले हुए जो हे वो है *स्वामी गोपाल दास जी* इनकी प्रेरण से सेवा आरंभ हुई।
और जो व्हाइट कुर्ते पजामे में खडे है वो है *हरिकिशन जी गहलोत* जो प्यारा हिंदुस्तान परिवार के सहयोग से चारा ले जाते हे, जब से सेवा शुरू हुई है तब से आप ही रोज सुबह अपनी पत्नि के साथ स्वयं के वाहन में 5:30 से 6:00 बजे के बीच चारा वाले से चारा कर ले जाते हैं। इनका जितना धन्यवाद करे उतना कम है।

एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है, भारत देश के भिन्न भिन्न राज्य शहर गांव ढाणी के मित्रो से बने ग्रुप ने एक और अच्छा कार्य किया है Swami Gopal Das जी की प्रेरणा से हम सभी प्यारा हिंदुस्तान परिवार मित्रो ने किसी ने 100 किसी ने 200 तो किसीने 500 रुपये की राशि गौ सेवा के लिए प्यारा हिंदुस्तान फंड के लिए दी, किसी ने कैश दी तो बाहर के मित्रो ने पेटीएम द्वारा बैंक एकाउंट द्वारा दी वो राशि मिलाकर आज गिरादडा गांव गौशाला में गाय माता को चारा देकर उपयोग कर रहे है, उसका शुभारंभ आज तिथि ग्यारस से किया है,आप सबकी प्रेरणा से सहयोग से ये पुण्य होता रहे यही अपेक्षा है
में प्यारा हिंदुस्तान के सभी मित्रो का आभार व्यक्त करता हु जो इस पुण्य कार्य मे सहयोग कर रहे है

*जय गौमाता🙏🏼😊🌹*

*कैसे शुरू हुई यह गौ सेवा*

यह गौ सेवा स्वामी गोपाल दास जी की प्रेरणा से शुरू की गई
इनकी प्रेरणा उनके आशीर्वाद से यह सेवा आज तक निरन्तर जारी है,
उनके सुझाव अनुसार प्रति व्यक्ति 100 रुपये गौ सेवा राशि निर्धारित की गई व केश का कार्य मुझे दिया गया, और देने वालो ने प्रतिमाह उदार मन से 100/200/300/500/1100/2100/6000 रुपये तक दिए और आज तक निरन्तर देते आ रहे है, व कई सदस्यों ने अपने जन्मदिन के अवसर पर व माता पिता के जन्मदिन व परिवार के किसी सदस्य की स्मृति मे भी विशेष सहयोग राशि दी है,
*जय गौमाता*

जब यह गौसेवा आरंभ हुई तो स्वामी गोपाल दास जी ने कहा था प्रत्येक सदस्य सिर्फ 100 रूपये दे, 100 रूपये भी बहुत होते हे सभी सदस्य दे तो। पर आप देख रहे हो कई सदस्य उदार हृदय से उससे भी ज्यादा दे रहे है। और आप देख भी रहे हे की इन्ही की बदौलत हर माह की पूर्ति हो रही है। मेरा सभी सदस्यो से निवेदन हे की आप इस सेवा का लाभ अवश्य ले 100 रूपये कोई ज्यादा नहीं है। आप नाम न लिखाना चाहे तो गुप्तदान भी दे सकते है पर सेवा अवश्य करे।

इस सेवा का सर्वप्रथम उपयोग 9 जुलाई 2018 तिथि एकादशी को *551 किलो हरा चारा रझको* *गिरादडा गांव श्री चारभुजा गौशाला* में किया गया पर वहां चारे की रोजाना जरूरत को देखते हुए रोज 200 रुपये का हरा चारा रझको भेजा जा रहा है,
जो आज तक भेजा जा रहा है व आप सभी के सहयोग से निरन्तर जारी रहेगा और इसका हिसाब में हर माह की पहली तारीखो को ग्रुप में लिखता हूँ,
*आप सभी सदस्यों से निवेदन है इस गौसेवा का अपने परिवार मित्रो को भी बताए ताकि उनमें भी गौसेवा का भाव जागे कोई 50 रुपये भी देता है तो भी ले क्योकि कण कण से घड़ा भरता है और सेवा के तो 50 रुपये भी 5 लाख के बराबर है*


जय गौमाता🙏🏻❣️
#जय_गौमाता🙏🏼
व्हाट्सएप ग्रुप का सदुपयोग करता
( प्यारा हिंदुस्तान परिवार )

*प्यार हिंदुस्तान एक ग्रुप ही नही बल्कि हिंदुत्व की वो पाठशाला है जो तन मन धन से #हिंदुत्व व गौसेवा को समर्पित है,,*

*स्वामी गोपाल दास जी* की प्रेरणा से पिछले "6 वर्ष" से रोज निरन्तर इस परिवार द्वारा "गिरादडा गांव चारभुजा नाथ गौशाला" में गौमाता हेतु नित्य चारा भेजा जा रहा है,, जो कि अब तक आपके सहयोग से 4 लाख से ऊपर सेवा भेज चुका है, व आप सभी सदस्यों के सहयोग से गोपुत्र एम्बुलेंस को 21 हजार की सहयोग राशि भेंट की गई उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए प्यारा हिंदुस्तान के पर्यावरणप्रेमी दानदाताओं के सहयोग से गौशाला में 12 वृक्षो की नींव रखी गई पौधारोपण किया गया, और सबसे महत्वपूर्ण सबसे बड़ा दान #रक्तदान भी किया जाता है, इस ग्रुप के #रक्तयोद्धाओं ने जरूरत के समय व कोरोना कॉल में भी रक्तदान किया है,
इसके अलावा अन्य सामाजिक देशहित कार्यो में हमारा प्यारा हिंदुस्तान परिवार सहभागिता निभाता रहता है,, यह ग्रुप देश के उन सभी व्हाट्सएप ग्रुप के लिए प्रेरणा है कि हम व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग भी देश हित समाज हित गौ हित के लिये कर सकते है,,

नॉट इस ग्रुप में देश में 14 राज्यो के शहर गांव ढाणी से सदस्य जुड़े हुए है

जो भी सनातनी इस ग्रुप के माध्यम से गौसेवा का पुण्य करना करना चाहे उनका स्वागत है

गौसेवा राष्ट्रसेवा है
जय गौमाता जय चारभुजा नाथ🙏🏻

*इस जुलाई माह में गौसेवा को 6 वर्ष पूर्ण हुुए।*
*एकादशी तिथि से सेवा आरंभ हुई थी*

#जयश्रीराम #जय_वन्दे_गौमातरम🙏🏼🚩

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।

*जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....*

जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।
।।सीताराम।।

हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

वो ठग या जनता मूर्ख... ?
सात लाख रूपये दीजिये तो "राधे मां ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

"निर्मल बाबा" है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

"रामपाल" भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

 "ब्रह्मकुमारी मत" वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

 "राधास्वामी" वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

"निरंकारी" है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही, अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ "चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा" को भगवान बनाने पर तुले हैं मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू
हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

लेकिन हिंदु सच में है कौन
खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सत्य सनातन वैदिक धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।. 

🙋जागो हिंदुओ जागो🙋🚩

बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है" अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं....

👉 बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं । सोने से लदे होते हैं ।
दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो " लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं.....

👉 भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉भक्त बीमार होते हैं.. डॉक्टर से दवा लेते हैं.. 
जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "
पर जब बाबा जी बीमार होते हैं, तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉 अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.

👉 जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
👉 इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती..

अतः जागृत बनें, तार्किक बनें।

इसलिए आओ लौट चलें वेदों की ओर...
वैदिक संस्कृति अपनाएं देश को फिर से आर्यावर्त बनाएं। 
🙏🏻🙏🏻🚩🕉️🚩🙏🏻🙏🏻

सोमवार, 15 जुलाई 2024

अमेरिका की राजनीति से लेकर भारत की राजनीति तक, उस #तिलिस्मी विध्वंसक शक्ति के प्रयोग और संयोग की सच्चाई की कहानी।

अमेरिका की राजनीति से लेकर भारत की राजनीति तक, उस #तिलिस्मी विध्वंसक शक्ति के प्रयोग और संयोग की सच्चाई की कहानी।
अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर परसों हुए हत्या के प्रयास में, डोनाल्ड ट्रंप के सिर और गोली के बीच का आधा इंच का गैप अमेरिका के अच्छे भविष्य को अमेरिकी लोगे से इतना दूर ले जाने वाला था की उस गैप को अमेरिका कभी भी नहीं भर पाता. जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है, ट्रंप को अब अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से कोई नही रोक सकता. इन सब के उपरांत हमें भारतीय संदर्भ में यह समझ जाना चाहिए कि 20 वर्ष का एक तथाकथित सिरफिरा जो उनके इकोसिस्टम का हिस्सा हो और उसे एक बंदूक चाहिए जो लक्ष्य साधने में सफल रहे. मोदी जी, शिंजो आबे से लेकर डोनाल्ड ट्रंप तक, दुनिया के हर राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। वाम पारिस्थितिकी तंत्र बिलकुल घबरा गया है। वे सत्ता के लिए बेचैन हैं। जो लोग अपने देश से प्यार करते हैं, वे सभी अपने देश में हो रहे उन छोटे मोटे घटनाओं को नजरअंदाज करके अपने सही नेता को वोट देने के लिए एकसाथ आना चाहिए।

अमेरिका की बिकाऊ वामपंथी मीडिया जो लोकतंत्र की तथाकथित कागजों पर नंबर वन की रैंकिंग पर आसीन है, वह इसपर नहीं चलता, मूल्यों पर चलता है। अमेरिकी मीडिया शायद अपना पत्रकारिता का मूल्य भूल चुकी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर लाइव टेलीकास्ट में जानलेवा हमला होता है, लेकिन अमेरिकी प्रिंट और ईलोक्ट्रोनिक मीडिया ने इतनी बड़ी खबर तक को छुपाना चाहा और यह बताता रहा की डोनाल्ड ट्रंप स्टेज से गिर पड़े, अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के लोगों ने उन्हें बचा लिया। लेकिन ये कोई नहीं बता रहा था कि उन पर गोलीबारी हुई है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो इस तरह के आतंकी युवाओं की पूरी सेना वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र और उसके नेताओं ने मीडिया के सहयोग से तैयार कर रखा है जो हर दिन मोदी जी को मारने के स्वप्न दिखाते रहते हैं। भारत में युवाओं का, हर सूचकांक में उत्तम होने के बाबजूद भी, यह विश्वास दिलाया जाता है कि मोदी एक फासीवादी है, वह देश में अघोषित आपातकाल चला रहा है, नरसंहार करवा रहा है, महँगाई लाता है, किसान विरोधी नीति बनाता है, तुम्हारी बेरोजगारी का कारण वही है।

आप लोगों को याद होगा कि, राहुल गाँधी ने एक बार अपने भाषण में कहा था कि मोदी को डंडे से मारना चाहिए, एक बार कहा कि मोदी की कार पर चप्पल फेंकने वाला अब डर नहीं रहा है!? वस्तुतः ऐसे नेता भारत में सैकड़ों पोटेंशियल क्रूक ढूँढ रहे हैं, जो कहीं दूर से रायफल का ट्रिगर दबा सके। वह अपने पारिस्थितिकी तंत्र के जरिए पूरे देश में कैरोसीन छींट चुका है. वह इसमें माचिस नहीं जला रहा। वह दो सूखी लकड़ियों को लगातार रगड़ रहा है, ताकि यही घृणा और विष जो वो अपनी हर रैली में दलितों और अल्पसंख्यकों के हृदय में भर रहा है, वही उस घर्षण की ऊष्मा से एकदिवसीय बनने वाली भयंकर आग का रूप लेंगे। भारत की सरकार और उसके सारे पारिस्थितिकी तंत्र को चाहिए कि पप्पू की जिह्वा पर लगाम लगाया जाए वरना परिणाम भयावह होंगे। केवल एक पर लगाम लगाने से कुछ नहीं होगा, उनका पारिस्थितिकी तंत्र मोदीजी को तानाशाह का दर्जा दे चुके हैं, तो ऐसे लोगों को तानाशाही का सही मतलब समझाना ही एकमात्र विकल्प है, आज ममता, स्टालिन और केजरी के बारे में कोई उटपटांग नहीं लिख सकता!! यहां तक की कोई सच भी नहीं बोल सकता वरना पांच मिनट के अंदर वहां की पुलिस प्रेमपत्र भेज देती है बस ऐसे ही दर्द भरे प्रेमपत्र भेजने की तैयारी मोदीजी जी को भी करनी चाहिए। जो फिलहाल करना शुरू भी कर दिया है। उनको शक्ति के साथ दमन ही एकमात्र विकल्प है। भाजपा का इस छोटी सी मार्जिन से शक्तिहीन होना आप लोगों को RSS के मुखिया भागवत जी के उस बयान से भी समझ लेना चाहिए था कि, भाजपा की आलाकमान ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में RSS को विश्वास में नहीं लिया। भाजपा के जितने भी निचले स्तर के कार्यकर्ता और परिचालक हैं, वे सभी कहीं न कहीं RSS से ही जुड़े हुए हैं। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा वह अहम से भरा वयान भी आप लोगों ने जरुर सुना होगा कि हम RSS के बिना भी आगे चल सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष की यही गर्व और अहम से भरा कार्यशैली और सोच, उसके निचले स्तर यानी जमीनी स्तर पर अपने खुन पसीने देकर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भाजपा से छिटक दिया। भाजपा को उसके वोटरों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे RSS भाजपा के कार्यकर्ता जोड़ने की काम करते हैं और विपक्ष के द्वारा फैलाए हर प्रोपेगैंडा से उन्हें बचाए रखते हैं। इन्हीं के द्वारा वोटरों को सरकार की द्वारा मुहैया कराये जा रहे हर सुविधा को पहुंचाने की काम करते हैं, लेकिन घमंड से चुर भाजपा धीरे धीरे उन्हीं ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं कों नैगलेट करने लगा, उनकी दुःख दर्द को समझना तो दूर, बार बार अभियोग करने पर, घंमड से चुर भाजपा के कुछ बड़े नेता और उनके आसपास चक्कर लगा रहे चाटुकार छुटभैये नेता, अपने ही कार्यकर्ताओं को प्रशासनिक डंडों से प्रताड़ित करने लगे। उपर से विपक्ष का प्रहार और अंदर से अपने ही सरकार के प्रशासनिक डंडों से क्षत विक्षत कार्यकर्ता ओर करता भी तो क्या करता! उसका भी परिवार और बाल बच्चे हैं। फिर भी वह राष्ट्रवाद की आग अपने दिल में जलाते हुए विपक्ष और अपनो के द्वारा क्षत विक्षत होते हुए भी भाजपा को 241 की एक बहुत बड़ी सांख्यिक आंकड़े तक पहुंचाया। लेकिन अपना खुन पसीना सींच कर पार्टी को मजबूत करने वाले अपने कार्यकर्ता को छोड़कर बाहर से आयातित सत्ता लोलुप नेताओं को आगे लाकर उनको पार्टी की टिकट देना, यह कहां तक जायज है!? उस आयातित नेता के साथ, भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहा वह कार्यकर्ता अपने वोटरों को जा कर क्या कहेगा, जिसका वह कुछ दिनों पहले विरोध कर रहा था, उसकी प्रपंच के बारे में अपने वोटरों को समझा रहा था? और इन्हीं सभी छोटी छोटी लेकिन अहम बातों को भाजपा के आलाकमान बिलकुल भूल गए, मोदी है तो हम आसानी से जीत जाएंगे!! परंतू उसी नरेंद्र मोदी की अपने दिल में दिया जलाने वाले और मोदी को घर घर तक पहुंचाकर वोटरों में लोकप्रिय और देश व सनातन धर्म के लिए एक आशा के किरण के तौर पर विस्थापित करने वाले कार्यकर्ताओं को भुल गए। लेकिन हां, इस बात को भी में मानता हूँ कि राजनीति के कूटनीतिक दांव पेंच में कभी कभी जितने वाले प्रत्याशी को चाहे वह किसी भी पार्टी के नेता हो उसे आयातित करना पड़ता है!! परंतू इसके लिए भी पहले अपने लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेना चाहिए था, आयातित नेता और पार्टी के कार्यकर्ता के बीच एक विश्वास का तालमेल बैठाना चाहिए था कि, नहीं आप लोग काम करो हम आपके साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। परंतु नहीं, इस चुनाव में भाजपा के जिन राज्यों में चुनाव परिणाम ख़राब हुए हैं, यह सभी तालमेल देखने को बिलकुल नहीं मिला। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अपना खुन पसीना बहाए तो कितना बहाए!? जो भाजपा आज अपनी जड़, RSS के सहायता के बिना चुनाव लड़ सकती है दंभ भरने की बात कर रहा है, वह भुल गया है कि उसके लिए जमीन पर काम करने वाले, उसको जिताने वाले और अपनी प्राणों की आहुति देने वाले भाजपा के नाम पर RSS के कार्यकर्ता ही हैं!! इसका बहुत सारे उदाहरण आप लोगों को मिल जाएंगे जो, हत्याकांड मिडिया के नजरों में आए हैं। मैं जब भाजपा के सपक्ष में कोई भी पोस्ट करता हूं और विपक्ष के प्रपंच को उजागर करने हेतू जाति बाद में बिखरे हुए हिन्दूओं को समझाने के लिए कुछ हद तक लपेटे में लेता हूँ, तो मेरे बहुत सारे मित्र मुझे समझाने लग जाते हैं कि, भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का यह नहीं किया, वह नहीं किया, (मैने जो विवरण उपर में लिखा है) मैं उनकी हर बात को समझता हूँ, उनकी वेदनाओं को अनुभव कर सकता हूं। वह जो कुछ भी बोल रहे हैं, वे सभी इन विषयों से ओतप्रोत जुड़े हुए हैं। वह अपनी वेदना का बयान कर रहे हैं। उन सभी मित्रों से कहना चाहता हूँ कि, मैं आप लोगों की वेदनाओं समझ सकता हूं। मेरे मित्र सूची भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ताओं से लेकर भाजपा के समर्थक भी हैं, और इससे बहुत ज्यादा अपने देश को प्यार करने वाले राष्ट्रवादी भी जुड़े हुए हैं, जो निःस्वार्थ भाव से अपने देश को प्यार करते हैं और इसके लिए वह भाजपा को सपोर्ट करते हैं, विपक्ष के लोगों से लड़ जाते हैं!! इसलिए की वह समझ सकते हैं कि भारत और सनातन धर्म को लेकर भाजपा की दृष्टिकोण क्या है और इसके उत्थान के लिए वह कैसा कार्य कर रहा है। मित्रों, मैं हिन्दुओं को कोस नहीं रहा, अपनी छोटी सी स्वार्थ के लिए लालायित व जातिवाद में बंटकर, देश और धर्म की बृहद स्वार्थ को अनदेखा करने वाले हिन्दुओं को जगाने की एक छोटी सी पहल वस कर रहा हूं, ताकि हिन्दू ये समझ सके कि आसमानी मजहब और वामपंथियों की मिलन से पैदा हुआ उनका नाजायज ब्रदरहुड बच्चा अभी भी बाल्यकाल में है, फिर भी उनको घाव पर घाव देता चला जा रहा है, धीरे धीरे उनको चक्रव्यूह में फंसा रहा है, अभिमन्यु को जिस तरह से छल कपट और प्रपंच से मारा गया था, वह मार रहा है। हिन्दुओं को दिन में तारे दिखा कर अलग अलग हिस्सों में बांटा जा रहा है। मैं इन्हीं सभी कारणों के लिए हिन्दुओं को समझा रहा हूं, बहुत हद तक उनकी न समझीपन के लिए दोशी भी मानता हूँ। इसका एक बड़ा उदाहरण आप लोग बंगाल से आ रहे बहुत सारे विडियो में देख सकते हैं कि, वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता अपने ही मज़हब के कुछ लोगों पर अकथनिय अत्याचार कर रहे हैं, परंतू वही अत्याचारीत पीड़ित कभी भी अपने उस नेता के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट नहीं करता, क्योंकि उसे भी और अपने कौम की भलाई के लिए भी शरिया कानून चाहिए। मैं यहां पर यह उदाहरण देकर यह नहीं कहता कि, आप हिन्दू भी अपने नेता के अत्याचार सहो परंतू अपनी छोटी सी निजी स्वार्थ को छोड़कर अपने देश और धर्म की बृहद स्वार्थ की ओर नजर दो। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए देश कोई मायने नहीं रखता है। यह गठजोड़ जहां पर भी बहुसंख्यक है, वह उस देश को उजाड़कर और तहस नहस कर फिर एक नया मुल्क ढूंढने में लग जाता है। इसका उदाहरण आप लोग जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और कुछ पश्चिमी देशों को देख सकते हैं. और हां, आप भारत को भी देख सकते हैं कि, वह कैसे धीरे धीरे अपनी डेमोग्रेफी बदल रहे हैं, यह हिन्दुओं के लिए भविष्य में आसन्न एक बहुत बड़ा खतरा है। 14 साल पहले भारत में हिन्दू इकोसिस्टम नाम की कोई चीज ही नहीं थी। जो भी था, वह नाममात्र टुकड़ों में बंटा हुआ था छोटी छोटी संगठन में आवद्ध होकर। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड की इकोसिस्टम का आयु भारत में 300 साल हो गए हैं। इनके इकोसिस्टम पूरे विश्वभर में, एक साथ जुड़े हुए हैं। विश्वभर में कहीं पर भी उनके स्वार्थ में बाधा पहुंची तो, वह भारत में किसान आंदोलन को उछाल सकते हैं और कनाडा में ट्रक चालकों के द्वारा हुए बहुत बड़े आंदोलन को कुचल भी सकते हैं। लेकिन किंतु परंतु, भारत में जो हिन्दुओं की इकोसिस्टम है, वह अभी एक दिन का बच्चा है जो अभी तक उसकी नाभी का नाडा भी काटा नहीं गया है। लेकिन हां, हम अभी बहुत तेजी के साथ विश्वभर में अपना पांव जमा रहे हैं। कैसे और किसके जरिए हम अपना पांव देश से लेकर विदेशों में फैला रहे हैं, उसका खुलासा में कभी भी किसी भी किमत पर इस सोशियल मिडिया प्लेटफार्म पर हो या और कहीं पर हो, नहीं करुंगा। बस आप लोगों को उस वक्त तक धैर्य और हौसला रखना होगा और इंतजार करना होगा कि कोई हिन्दुओं की आवाज को देश और विदेशों में उठा रहा है। लेकिन इसके लिए सारे हिन्दुओं को जातिवाद का जहर फेंक कर एकजुट रहना होगा। नहीं तो हम कल भी रो रहे थे और भविष्य में अपने अस्तित्व के लिए रोते रहेंगे। आज इस पोस्ट पर मैंने, सर्व सन्मुख अपनी और आप लोगों की मनकी बातें रखने की भरसक प्रयास किया है। मुझे कोई शौक नहीं है अंबानी में शादी हो रही है। लेकिन मेरा शौक है कि अंबानी की डिफेंस कंपनी भारतीय सेना के जरिए भारत को कितन सशक्त कर रही है।

धन्यवाद आप सभी राष्ट्रवादी मित्रों का, जो अपना किमती समय निकालकर इतनी बड़ी पोस्ट को पढ़ा। 🙏

रविवार, 14 जुलाई 2024

विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है 1-Divorce (अंग्रेजी) 2-तलाक (उर्दू) कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??

विवाह उपरांत जीवन साथी को छोड़ने के लिए 2 शब्दों का प्रयोग किया जाता है 
1-Divorce (अंग्रेजी) 
2-तलाक (उर्दू) 
कृपया हिन्दी का शब्द बताए...??

कहानी आजतक के Editor... संजय सिन्हा की लिखी है...। 

तब मैं... 'जनसत्ता' में... नौकरी करता था...। एक दिन खबर आई कि... एक आदमी ने झगड़े के बाद... अपनी पत्नी की हत्या कर दी...। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि... "पति ने अपनी बीवी को मार डाला"...! खबर छप गई..., किसी को आपत्ति नहीं थी...। पर शाम को... दफ्तर से घर के लिए निकलते हुए... प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी... सीढ़ी के पास मिल गए...। मैंने उन्हें नमस्कार किया... तो कहने लगे कि... "संजय जी..., पति की... 'बीवी' नहीं होती...!"

“पति की... 'बीवी' नहीं होती?” मैं चौंका था

" “बीवी" तो... 'शौहर' की होती है..., 'मियाँ' की होती है..., पति की तो... 'पत्नी' होती है...! "

भाषा के मामले में... प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था..., हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि... "भाव तो साफ है न ?" बीवी कहें... या पत्नी... या फिर वाइफ..., सब एक ही तो हैं..., लेकिन मेरे कहने से पहले ही... उन्होंने मुझसे कहा कि... "भाव अपनी जगह है..., शब्द अपनी जगह...! कुछ शब्द... कुछ जगहों के लिए... बने ही नहीं होते...! ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है...।"

खैर..., आज मैं भाषा की कक्षा लगाने नहीं आया..., आज मैं रिश्तों के एक अलग अध्याय को जीने के लिए आपके पास आया हूं...। लेकिन इसके लिए... आपको मेरे साथ... निधि के पास चलना होगा...।

निधि... मेरी दोस्त है..., कल उसने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया था...। फोन पर उसकी आवाज़ से... मेरे मन में खटका हो चुका था कि... कुछ न कुछ गड़बड़ है...! मैं शाम को... उसके घर पहुंचा...। उसने चाय बनाई... और मुझसे बात करने लगी...। पहले तो इधर-उधर की बातें हुईं..., फिर उसने कहना शुरू कर दिया कि... नितिन से उसकी नहीं बन रही और उसने उसे तलाक देने का फैसला कर लिया है...।

मैंने पूछा कि... "नितिन कहां है...?" तो उसने कहा कि... "अभी कहीं गए हैं..., बता कर नहीं गए...।" उसने कहा कि... "बात-बात पर झगड़ा होता है... और अब ये झगड़ा बहुत बढ़ गया है..., ऐसे में अब एक ही रास्ता बचा है कि... अलग हो जाएं..., तलाक ले लें...!"

निधि जब काफी देर बोल चुकी... तो मैंने उससे कहा कि... "तुम नितिन को फोन करो... और घर बुलाओ..., कहो कि संजय सिन्हा आए हैं...!"

निधि ने कहा कि... उनकी तो बातचीत नहीं होती..., फिर वो फोन कैसे करे...?!!!

अज़ीब सँकट था...! निधि को मैं... बहुत पहले से जानता हूं...। मैं जानता हूं कि... नितिन से शादी करने के लिए... उसने घर में कितना संघर्ष किया था...! बहुत मुश्किल से... दोनों के घर वाले राज़ी हुए थे..., फिर धूमधाम से शादी हुई थी...। ढ़ेर सारी रस्म पूरी की गईं थीं... ऐसा लगता था कि... ये जोड़ी ऊपर से बन कर आई है...! पर शादी के कुछ ही साल बाद... दोनों के बीच झगड़े होने लगे... दोनों एक-दूसरे को खरी-खोटी सुनाने लगे... और आज उसी का नतीज़ा था कि... संजय सिन्हा... निधि के सामने बैठे थे..., उनके बीच के टूटते रिश्तों को... बचाने के लिए...!

खैर..., निधि ने फोन नहीं किया...। मैंने ही फोन किया... और पूछा कि... "तुम कहां हो... मैं तुम्हारे घर पर हूँ..., आ जाओ...। नितिन पहले तो आनाकानी करता रहा..., पर वो जल्दी ही मान गया और घर चला आया...।

अब दोनों के चेहरों पर... तनातनी साफ नज़र आ रही थी...। ऐसा लग रहा था कि... कभी दो जिस्म-एक जान कहे जाने वाले ये पति-पत्नी... आंखों ही आंखों में एक दूसरे की जान ले लेंगे...! दोनों के बीच... कई दिनों से बातचीत नहीं हुई थी...!!

नितिन मेरे सामने बैठा था...। मैंने उससे कहा कि... "सुना है कि... तुम निधि से... तलाक लेना चाहते हो...?!!!

उसने कहा, “हाँ..., बिल्कुल सही सुना है...। अब हम साथ... नहीं रह सकते...।"

मैंने कहा कि... "तुम चाहो तो... अलग रह सकते हो..., पर तलाक नहीं ले सकते...!"

“क्यों...???

“क्योंकि तुमने निकाह तो किया ही नहीं है...!”

"अरे यार..., हमने शादी तो... की है...!"

“हाँ..., 'शादी' की है...! 'शादी' में... पति-पत्नी के बीच... इस तरह अलग होने का... कोई प्रावधान नहीं है...! अगर तुमने 'मैरिज़' की होती तो... तुम "डाइवोर्स" ले सकते थे...! अगर तुमने 'निकाह' किया होता तो... तुम "तलाक" ले सकते थे...! लेकिन क्योंकि... तुमने 'शादी' की है..., इसका मतलब ये हुआ कि... "हिंदू धर्म" और "हिंदी" में... कहीं भी पति-पत्नी के एक हो जाने के बाद... अलग होने का कोई प्रावधान है ही नहीं....!!!"

मैंने इतनी-सी बात... पूरी गँभीरता से कही थी..., पर दोनों हँस पड़े थे...! दोनों को... साथ-साथ हँसते देख कर... मुझे बहुत खुशी हुई थी...। मैंने समझ लिया था कि... रिश्तों पर पड़ी बर्फ... अब पिघलने लगी है...! वो हँसे..., लेकिन मैं गँभीर बना रहा...

मैंने फिर निधि से पूछा कि... "ये तुम्हारे कौन हैं...?!!!"

निधि ने नज़रे झुका कर कहा कि... "पति हैं...! मैंने यही सवाल नितिन से किया कि... "ये तुम्हारी कौन हैं...?!!! उसने भी नज़रें इधर-उधर घुमाते हुए कहा कि..."बीवी हैं...!"

मैंने तुरंत टोका... "ये... तुम्हारी बीवी नहीं हैं...! ये... तुम्हारी बीवी इसलिए नहीं हैं.... क्योंकि... तुम इनके 'शौहर' नहीं...! तुम इनके 'शौहर' नहीं..., क्योंकि तुमने इनसे साथ "निकाह" नहीं किया... तुमने "शादी" की है...! 'शादी' के बाद... ये तुम्हारी 'पत्नी' हुईं..., हमारे यहाँ जोड़ी ऊपर से... बन कर आती है...! तुम भले सोचो कि... शादी तुमने की है..., पर ये सत्य नहीं है...! तुम शादी का एलबम निकाल कर लाओ..., मैं सबकुछ... अभी इसी वक्त साबित कर दूंगा...!"

बात अलग दिशा में चल पड़ी थी...। मेरे एक-दो बार कहने के बाद... निधि शादी का एलबम निकाल लाई..., अब तक माहौल थोड़ा ठँडा हो चुका था..., एलबम लाते हुए... उसने कहा कि... कॉफी बना कर लाती हूं...।"

मैंने कहा कि..., "अभी बैठो..., इन तस्वीरों को देखो...।" कई तस्वीरों को देखते हुए... मेरी निगाह एक तस्वीर पर गई..., जहाँ निधि और नितिन शादी के जोड़े में बैठे थे...। और पाँव~पूजन की रस्म चल रही थी...। मैंने वो तस्वीर एलबम से निकाली... और उनसे कहा कि... "इस तस्वीर को गौर से देखो...!"

उन्होंने तस्वीर देखी... और साथ-साथ पूछ बैठे कि... "इसमें खास क्या है...?!!!"

मैंने कहा कि... "ये पैर पूजन का रस्म है..., तुम दोनों... इन सभी लोगों से छोटे हो..., जो तुम्हारे पांव छू रहे हैं...।"

“हां तो....?!!!"

“ये एक रस्म है... ऐसी रस्म सँसार के... किसी धर्म में नहीं होती... जहाँ छोटों के पांव... बड़े छूते हों...! लेकिन हमारे यहाँ शादी को... ईश्वरीय विधान माना गया है..., इसलिए ऐसा माना जाता है कि... शादी के दिन पति-पत्नी दोनों... 'विष्णु और लक्ष्मी' के रूप हो जाते हैं..., दोनों के भीतर... ईश्वर का निवास हो जाता है...! अब तुम दोनों खुद सोचो कि... क्या हज़ारों-लाखों साल से... विष्णु और लक्ष्मी कभी अलग हुए हैं...?!!! दोनों के बीच... कभी झिकझिक हुई भी हो तो... क्या कभी तुम सोच सकते हो कि... दोनों अलग हो जाएंगे...?!!! नहीं होंगे..., हमारे यहां... इस रिश्ते में... ये प्रावधान है ही नहीं...! "तलाक" शब्द... हमारा नहीं है..., "डाइवोर्स" शब्द भी हमारा नहीं है...!"

यहीं दोनों से मैंने ये भी पूछा कि... "बताओ कि... हिंदी में... "तलाक" को... क्या कहते हैं...???"

दोनों मेरी ओर देखने लगे उनके पास कोई जवाब था ही नहीं फिर मैंने ही कहा कि... "दरअसल हिंदी में... 'तलाक' का कोई विकल्प ही नहीं है...! हमारे यहां तो... ऐसा माना जाता है कि... एक बार एक हो गए तो... कई जन्मों के लिए... एक हो गए तो... प्लीज़ जो हो ही नहीं सकता..., उसे करने की कोशिश भी मत करो...! या फिर... पहले एक दूसरे से 'निकाह' कर लो..., फिर "तलाक" ले लेना...!!"

अब तक रिश्तों पर जमी बर्फ... काफी पिघल चुकी थी...!

निधि चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी...। फिर उसने कहा कि... "भैया, मैं कॉफी लेकर आती हूं...।"

वो कॉफी लाने गई..., मैंने नितिन से बातें शुरू कर दीं...। बहुत जल्दी पता चल गया कि... बहुत ही छोटी-छोटी बातें हैं..., बहुत ही छोटी-छोटी इच्छाएं हैं..., जिनकी वज़ह से झगड़े हो रहे हैं...।

खैर..., कॉफी आई मैंने एक चम्मच चीनी अपने कप में डाली...। नितिन के कप में चीनी डाल ही रहा था कि... निधि ने रोक लिया..., “भैया..., इन्हें शुगर है... चीनी नहीं लेंगे...।"

लो जी..., घंटा भर पहले ये... इनसे अलग होने की सोच रही थीं...। और अब... इनके स्वास्थ्य की सोच रही हैं...!

मैं हंस पड़ा मुझे हंसते देख निधि थोड़ा झेंपी कॉफी पी कर मैंने कहा कि... "अब तुम लोग... अगले हफ़्ते निकाह कर लो..., फिर तलाक में मैं... तुम दोनों की मदद करूंगा...!"

शायद अब दोनों समझ चुके थे.....

हिन्दी एक भाषा ही नहीं - संस्कृति है...!

इसी तरह हिन्दू भी धर्म नही - सभ्यता है...!!

👆उपरोक्त लेख मुझे बहुत ही अच्छा लगा..., जो सनातन धर्म और संस्कृति से जुड़ा है...।🙏 

#साभार 🙏🙏

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