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मंगलवार, 16 जुलाई 2024

हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

वो ठग या जनता मूर्ख... ?
सात लाख रूपये दीजिये तो "राधे मां ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

"निर्मल बाबा" है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

"रामपाल" भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

 "ब्रह्मकुमारी मत" वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

 "राधास्वामी" वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

"निरंकारी" है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही, अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ "चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा" को भगवान बनाने पर तुले हैं मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू
हिन्दुस्तान में रहने वाले बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

लेकिन हिंदु सच में है कौन
खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सत्य सनातन वैदिक धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।. 

🙋जागो हिंदुओ जागो🙋🚩

बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता.. बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है" अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं....

👉 बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं । सोने से लदे होते हैं ।
दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो " लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे.. अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं.....

👉 भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं, लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं.. अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉भक्त बीमार होते हैं.. डॉक्टर से दवा लेते हैं.. 
जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "
पर जब बाबा जी बीमार होते हैं, तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं. अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....

👉 अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं...
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं.

👉 जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं, लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....
👉 इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञान इन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञान इंद्री काम नहीं करती..

अतः जागृत बनें, तार्किक बनें।

इसलिए आओ लौट चलें वेदों की ओर...
वैदिक संस्कृति अपनाएं देश को फिर से आर्यावर्त बनाएं। 
🙏🏻🙏🏻🚩🕉️🚩🙏🏻🙏🏻

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